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View Full Version : वसंत पंचमी


soni pushpa
24-01-2015, 09:33 AM
हरेक साहित्य प्रेमी के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है, क्यूंकि आज विद्या की देवी माँ सरस्वती का प्रादुर्भाव दिवस है .. आज के दिन माँ सरस्वती की उपासना का पर्व है ... माँ सरस्वती की पौराणिक कथा इस प्रकार से है .....

पौराणिक वसंत पंचमी की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छिड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकटजिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।
शास्त्रों में बताया गया है कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन ज्ञान और विद्या की देवी माता सरस्वती का जन्म हुआ है। छात्रगण इसी उपलक्ष्य में इस दिन माता सरस्वती की पूजा करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शिक्षा हेतु मुहूर्त के लिए यह दिन सबसे उत्तम होता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करके बच्चे को अक्षर ज्ञान देना उत्तम माना गया है। इस दिन छात्र अपने स्कूलों में माता सरस्वती की पूजा करते हैं, साथ ही पुस्तक और लेखनी की भी पूजा करते हैं।


सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।

पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पचंमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस कारण हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
--------------------------------दूसरी मान्यता -----------------------

वसंत पंचमी को भारत का वेलेंटाइन-डे कहने में कोई गुरेज नहीं। भारतीय पंचांग अनुसार मौसम को छह भागों में बांटा गया है उनमें से एक है वसंत का मौसम। इस मौसम से प्रकृति में उत्सवी माहौल होने लगता है। वसंत ऋतु आते ही प्रकृति के सभी तत्व मानव, पशु और पक्षी उल्लास से भर जाते हैं। वसंत आते-आते शीत ऋतु लगभग समाप्त होने लगती है।
वृंदावन और बरसाना की गलियों में राधा और कृष्ण के प्रेम की चर्चा फिर से जीवित हो उठती हैं। यह *दिवस आनंद और उल्लासपूर्वक नाचने-गाने का दिवस तो है ही साथ ही यदि आप अपने प्रेम का इजहार करना चाहें तो इससे अच्छा कोई दूसरा दिवस नहीं।

जरूरी नहीं कि प्रेमिका को ही कोई उपहार या फूलों का गुलदस्ता भेंट करें। अपने किसी मित्र, सहकर्मी, सहपाठी, पत्नी या गुरु के प्रति सम्मान और प्यार व्यक्त करने के लिए भी आप उपहार दे सकते हैं। यह भी जरूरी नहीं कि उपहार ही दें, आप चाहें तो प्रेम के दो शब्द भी बोल सकते हैं .