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View Full Version : पैसा----- या------ प्यार


soni pushpa
28-01-2015, 04:24 PM
दोस्तों , और मेरे सभी पाठको से अनुरोध है की आप इस बहस में अवश्य भाग लें ... जैसे की आज के जीवन की अहम् चीज़ है पैसा और जीवन के लिए प्रेम उतना ही जरुरी है तो आज दुनिया में भगवान क्यों बना बैठा है पैसा . आज अच्छे से अछे रिश्ते पैसे की बात आते ही क्यों बिगड़ जाते है? इन्सान का प्रेम एकतरफ धरा का धरा रह जाता है. और प्यार bhai-- bhai का हो या बाप बेटे का हो या दोस्त से दोस्त का हो खास करके इस तीनो रिश्तों में पैसे को बहुत ज्यदा बीच में आते देखा है . अब कई बार मेरे मन में बहुत द्वन्द हुआ करता है की क्या अधिक महत्व रखता है इंसानी जीवन में प्यार या पैसा? .

Rajat Vynar
28-01-2015, 06:30 PM
सोनी पुष्पा जी, आपका सूत्र पढ़कर लावारिस फ़िल्म का एक गीत याद आ गया-

हे हे चार पैसे क्या मिले..
क्या मिले भई क्या मिले..
वो ख़ुद को समझ बैठे ख़ुदा..
वो ख़ुदा ही जाने अब होगा तेरा अंजाम क्या..
काहे पैसे पे..काहे पैसे पे इतना..
ग़ुरूर करे है..ग़ुरूर करे है..
यही पैसा तो..यही पैसा तो अपनों से..
दूर करे है..दूर करे है..
काहे पैसे पे..काहे पैसे पे इतना..
ग़ुरूर करे है..ग़ुरूर करे है..
सोने-चाँदी के.. ऊँचे महलों में दर्द ज़्यादा है.. चैन थोड़ा है
इस ज़माने में पैसे वालों ने..
प्यार छीना है.. दिल को तोड़ा है..
प्यार छीना है.. दिल को तोड़ा है..
पैसे की अहमियत से तो इन्कार नहीं है..
पैसा ही मगर सब कुछ सरकार नहीं है..
इन्साँ-इन्साँ है पैसा-पैसा है..
दिल हमारा भी तेरे जैसा है..
है भला पैसा तो बुरा भी है..
ये ज़हर भी है.. ये नशा भी है..
ये ज़हर भी है.. ये नशा भी है..
ये नशा कोई..ये नशा कोई धोखा.. ज़रूर करे है..
यही पैसा तो अपनों से.. दूर करे है..दूर करे है..
अरे चले कहाँ..
ऐ पैसे से क्या-क्या तुम यहाँ ख़रीदोगे..
हे दिल ख़रीदोगे या के जाँ ख़रीदोगे..
बाज़ारों में प्यार कहाँ बिकता है..
दुकानों पे यार कहाँ बिकता है..
फूल बिक जाते हैं ख़ुश्बू बिकती नहीं..
जिस्म बिक जाते हैं रूह बिकती नहीं..
चैन बिकता नहीं ख़्वाब बिकते नहीं..
दिल के अरमान बेताब बिकते नहीं..
अरे पैसे से क्या-क्या तुम यहाँ ख़रीदोगे..
हे दिल ख़रीदोगे या के जाँ ख़रीदोगे..
हे इन हवाओं का मोल क्या दोगे..
इन घटाओं का मोल क्या दोगे..
अरे इन ज़मीनों का मोल हो शायद..
आसमानों का मोल क्या दोगे..
आसमानों का मोल क्या दोगे..
पास पैसा है तो है ये.. दुनिया हसीं.. दुनिया हसीं..
हो ज़रूरत से ज़्यादा तो.. मानों यक़ीं.. मानों यक़ीं..
ये दिमाग़ों में..ये दिमाग़ों में.. पैदा फ़ितूर करे है..
यही पैसा तो अपनों से.. दूर करे है..दूर करे है..

soni pushpa
28-01-2015, 11:17 PM
अच्छा गाना लिखा आपने रजत जी सही भी है .. आज की दुनिया में पैसा भगवन से बढ़कर रिश्तो से बढ़कर अपनो से बढ़कर हो गया है ... धन्यवाद

Deep_
29-01-2015, 12:03 PM
कल ही ट्रेन के सफर दौरान मेरे पीछे बैठे हुए दो दोस्त...जिनमें से एक लड़की थी, पैसे की महत्ता को समजा रही थी।
मुझे लगा की कई लोग एसे भी है जो बातें तो प्रेम और खुशी की बातें तो करते है लेकिन अभावो से पीड़ीत भी है।

मै उस समय कोई निष्कर्ष पर नहीं पहूंच पाया था, लेकिन फिर सोचा की जो हमारे पास नहीं होता उसी की कदर हमें अधिक होती है और जो हमारे पास पहेले से ही मौजुद है उससे हमें संतुष्टी हो जाती है।

soni pushpa
29-01-2015, 02:29 PM
हार्दिक आभार दीप जी,.... आपने आपने मंतव्य यहाँ रखे ......

Shikha sanghvi
30-01-2015, 03:25 PM
Bahot hi badhiya topic hai pushpaji.....

Humari nazar Mai paisa or pyar dono Mai se adhick hum pyar ko ahemiyat dete hai....jaise ki Aapne kaha ki paise ke liye apne hi apne se ladte paye jate hai...Jisse Hume bahot hi durd hota hai...agar pyar aapke jivan Mai nahi hai to paise ka kya karoge....?

Pyar agar saath hai to har durd khushi Mai tabdil hai....pyar se hi ye duniya rangin lagti hai...aankhe Naye Aapne sapne sajati hai....

Arvind Shah
30-01-2015, 04:15 PM
दोस्तों , और मेरे सभी पाठको से अनुरोध है की आप इस बहस में अवश्य भाग लें ... जैसे की आज के जीवन की अहम् चीज़ है पैसा और जीवन के लिए प्रेम उतना ही जरुरी है तो आज दुनिया में भगवान क्यों बना बैठा है पैसा . आज अच्छे से अछे रिश्ते पैसे की बात आते ही क्यों बिगड़ जाते है? इन्सान का प्रेम एकतरफ धरा का धरा रह जाता है. और प्यार bhai-- bhai का हो या बाप बेटे का हो या दोस्त से दोस्त का हो खास करके इस तीनो रिश्तों में पैसे को बहुत ज्यदा बीच में आते देखा है . अब कई बार मेरे मन में बहुत द्वन्द हुआ करता है की क्या अधिक महत्व रखता है इंसानी जीवन में प्यार या पैसा? .

सोनीजी प्यार या पैसा दोनों में से कौन महत्व अधिक रखता है और कौन कम ये पुर्णत: व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है !! विशेषकर आपने जीन तीन रिश्तों की बात की उसमें !!

व्यक्ति के जन्म के बाद उसका पारिवारिक माहोल, स्थितियां, माँ—बाप द्वारा दिये गये संस्कार आदि सभी उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को बनाते है किवह किन चिजों को अपने जीवन में मौल देता है !!

मैने अपने आस—पास इन दोनों ही वैरायटी को देखा है और जो प्रश्न आपने उठाये वही प्रश्ननों के सन्दर्भ में उनको पुरी तरह टटोला भी है ! कुल मिला के जो रिजल्ट सामने आया उसमें 95 प्रतिशत भुमिका उपर लिखी बातो से बनती है और 5 प्रतिशत जन्मजात स्वभाव के कारण होता है !

soni pushpa
30-01-2015, 09:01 PM
[QUOTE=Shikha sanghvi;547721]Bahot hi badhiya topic hai pushpaji.....

Humari nazar Mai paisa or pyar dono Mai se adhick hum pyar ko ahemiyat dete hai....jaise ki Aapne kaha ki paise ke liye apne hi apne se ladte paye jate hai...Jisse Hume bahot hi durd hota hai...agar pyar aapke jivan Mai nahi hai to paise ka kya karoge....?

Pyar agar saath hai to har durd khushi Mai tabdil hai....pyar se hi ye duniya rangin lagti hai...aankhe Naye Aapne sapne sajati hai....[/QUO

सबसे पहले बहुत बहुत धन्यवाद शिखा जी इस बहस में भाग लेने के लिए आपके विचारो से मै सहमत हूँ शिखा जी .. आज कई लोगो को पैसों की दुनिया में लोटते देखा है. इतना पैसा होता है उनके पास किन्तु मन की शांति जरा भी नही ,, सिरफ़ दिखावा होता है उनकी लाइफ में भले बड़ी बड़ी पार्टियाँ करते है एइसे लोग दिनभर लोगों से घिरे होते हैं किन्तु उनके पास सच्चे प्यार के रिश्ते नही होते जो की एक bhai बहन के बीच , माँ बेटे के बीच, एक पति पत्नी के बीच बाप बेटे के बीच का प्रेम और सौहार्द्य उनके पास नही होता वो अन्दर से बहुत अकेले हुआ करते हैं और उन्हें दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है जीने के लिए इसलिए मेरा मानना है की --जीने के लिए जितना पैसा जरुरी है उतना ही अपनो का साथ होना अपनो का प्रेम होना फिर वो किसी भी रिश्ते का क्यों न हो साथ रहना जरुरी है . इसलिए इतना कहूँगी की जो लोग पैसे के लिए आपनो को ठुकराते हैं वो अपनों की कदर करे न की उन्हें उलाहना दें उनसे दूर हों ...

soni pushpa
30-01-2015, 09:26 PM
सोनीजी प्यार या पैसा दोनों में से कौन महत्व अधिक रखता है और कौन कम ये पुर्णत: व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है !! विशेषकर आपने जीन तीन रिश्तों की बात की उसमें !!

व्यक्ति के जन्म के बाद उसका पारिवारिक माहोल, स्थितियां, माँ—बाप द्वारा दिये गये संस्कार आदि सभी उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को बनाते है किवह किन चिजों को अपने जीवन में मौल देता है !!

मैने अपने आस—पास इन दोनों ही वैरायटी को देखा है और जो प्रश्न आपने उठाये वही प्रश्ननों के सन्दर्भ में उनको पुरी तरह टटोला भी है ! कुल मिला के जो रिजल्ट सामने आया उसमें 95 प्रतिशत भुमिका उपर लिखी बातो से बनती है और 5 प्रतिशत जन्मजात स्वभाव के कारण होता है !

सबसे पहले बहस में भाग लेने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद अरविन्द जी ,..जेइसा की आपने कारन बताये पारिवारिक माहोल , स्थितिया और माँ बाप के दिए संस्कार इनमे हम एक बात और भी जोड़ सकते हैं अरविन्द जी , भोग विलास आज के युग की चमक दमक में इंसान खो जाने के लिए अपनो को, अपनों के प्यार को भूलता जा रहा है . रिश्तों की क़द्र तब होती है जब आप किसी बीमारी से ग्रसित बनो या फिर कोई आफत आन पड़े तब रिश्तों में रहा प्यार ही काम आता हैं . इसलिए मेरा मानना है पैसों को महत्व दो क्यूंकि जीने के लिए पिसा भी जरुरी है लेकिन इतना नही ... की अपनो के प्यार को भूल जाओ . और हाँ आपकी कही बातें भी सही है कुछ हद तक ये सब चीज़े इन्सान के स्वाभाव में मिलती हैं और ये तय होता है की इन्सान परिस्थियों से मजबूर होकर या संकारों की वजह या फी स्वभावगत खूबिय या कमियों की वजह से एइसा स्वार्थी या परमार्थी बन जाता है याने वो किसे महत्व देता है पैसो को या अपनो के प्यार को .

Pavitra
30-01-2015, 10:24 PM
एक अच्छा विषय हमारे बीच रखने के लिये सबसे पहले तो आपका आभार - अब बात आपके प्रश्न की कि पैसा या प्यार .......मैं चहती हूँ कि पहले बिना किसी निष्कर्ष पर पहुँचे, और भावनओं को एक तरफ रख कर , हमें थोडा व्याव्हारिक होकर स्थिति को देखना चाहिये ।

हम सभी को जीवन जीने के लिये कुछ मूलभूत चीजों की आवश्यकता होती है जैसे - घर , भोजन , कपडे , स्वास्थ्य , आदि । अब जब जीना है तो इन जरूरतों का भी ध्यान रखना ही होगा , क्योंकि इनके बिना जीवन सम्भव नहीं है । अब जरा व्याव्हारिक होकर सोचिये कि क्या ये सारी जरूरतें बिना पैसे के सम्भव हैं ? अगर व्यक्ति पैसे के बारे में ना सोचे तो वो कैसे जीयेगा ? पैसे की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता है । हम चाहे जितना मर्जी कहें कि हम पैसे को महत्व नहीं देते , लेकिन वास्तविकता यही है कि हम सभी जानते हैं कि बिना धन के हम एक दिन भी गुजारा नहीं कर सकते । हम सभी अगर अपने दिल से एक बार पूछें तो हम सभी इस बात पर सहमत होंगे कि आज धन हमारे लिये जरूरी है । इस लिये ये कहना कि पैसे की कोई कीमत नहीं है सिर्फ प्यार की कीमत है , गलत होगा ।

अब बात प्यार की - प्यार मनुष्य का मूल स्वभाव है । हमें प्यार सीखना नहीं पडता , ये हमारे अन्दर जन्मजात होता है । हमारे शरीर् में जब पानी की कमी होती है तो हमें बाहर से पानी की आवश्यकता होती है , और हम पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं , ठीक उसी प्रकार जब हमारे अन्दर प्रेम की कमी होती है तो हम बाहर उस प्रेम की तलाश करते हैं । जिस प्रकार पानी के बिना जीवन असम्भव है उसी प्रकार प्रेम भी हमारे लिये परमावश्यक है । बिना प्रेम के ये सृष्टी आगे बढ ही नहीं सकती । इसलिये प्यार भी अति महत्वपूर्ण है हमारे जीवन में ।

प्यार और पैसे में कोई तुलना ही नहीं होनी चहिये क्योंकि ये दोनों ही चीजें हमारे लिये आवश्यक हैं और अपनी अपनी जगह मूल्यवान भी । पर तुलना हमेशा होती है और इस तुलना का कारण है - "तुलना(Comparison)" ......तुलना दो व्यक्तिओं के बीच के "अहं" की.....उसके पास मुझसे ज्यादा कैसे ? आज व्यक्तिओं में सन्तोष का अभाव है । और एक असन्तुष्ट व्यक्ति हमेशा इर्ष्या और द्वेष से भरा रहता है जिसकी वजह से प्यार का अभाव हो जाता है । जब तक "अहं" रहता है इन्सान के अन्दर उसे प्यार की कीमत ही नहीं समझ आती (क्योंकि प्यार में स्वयं से पहले दूसरों के बारे में सोचना पड्ता है , और जो व्यक्ति अहं से ग्रसित है वो दूसरों के बारे में कैसे सोच सकता है?) .....और जिस दिन उसके सारे रिश्ते उसके अहं की वजह से समाप्त हो जाते हैं , और व्यक्ति अकेला रह जाता है , तब उस एकाकीपन में उसे प्यार की कीमत समझ आती है । क्योंकि प्यार ही हमारा मूल स्वभाव है , पैसा हमारी आवश्यकता है । अब व्यक्ति आवश्यकताओं का अभाव तो सह सकता है पर मूल स्वभाव का अभाव ज्यादा समय तक नहीं सह सकता इसलिये ही आज कल लोग तनाव , अवसाद के शिकार ज्यादा होते हैं ।

Shikha sanghvi
30-01-2015, 11:51 PM
Sahi kaha aapne pushpaji.....duniya mai kai log aise hai jo kisi ke pyar ke liye tadpate rahete hai par unka apna uske paas nahi hota.....paise ka kya hai...vo o aata jata raheta hai..par pyar ko agar hum kho de to vo dubara milna bahot hi mushkil raheta hai...chahe vo pyar kisi ka bhi ho....rishte jodna jitna aasan hai utna hi mushkil hai unhe nibhana...or jo hum pyar ke zariye hi nibha sakte hai....

Pyar se bhadhkar duniya mai kuch bhi to nahi.....pyar hai to hum har mushkil se lad jate hai....pyar saath hai to sara jaha humare kadmo mai hai...

soni pushpa
31-01-2015, 02:15 AM
[QUOTE=Pavitra;547731][SIZE="3"]एक अच्छा विषय हमारे बीच रखने के लिये सबसे पहले तो आपका आभार - अब बात आपके प्रश्न की कि पैसा या प्यार ......



.बहुत बहुत धन्यवाद पवित्रा जी ,... आपने बहुत अच्छे तर्क रखे हैं आपकी बात सही है जीवन के लिए धन जरुरी है पैसा जरुरी है .. और खासकर के आज के इस युग में पैसा नही तो इंसान का जीवन नर्कतुल्य बन जाता है ... किन्तु आज अक्सर हम समाज में देख रहे हैं की अब न रिश्तों का मान रहा है न प्यार का स्थान रहा है और मानव समाज अंध सा बन गया है पैसे के लिए अब घर का खर्च बचाने के लिए लोग बूढ़े माँ बाप को vridhdhasharam में भेज देते हैं भूल जाते हैं की उन्ही माँ बाप की वजह से आज वें जो कुछ हैं वो हैं . उनके दुःख को ये लोग नही समझते. , दूजे अब हरकोई ऐश आराम के लिए कही से भी पैसा जमा करना चाहता है जिससे अगाथ मेहनत करते करते आपने परिवार को समय नही दे पाता जिससे समाज मे कई समस्यायों ने जन्म लिया है. बीवी को पति का साथ नही मिलता जो तलाक जैसी समस्या को बढ़ावा देता है बच्चों को बाप का प्यार नहि मिलता, जिससे बच्चे बिगड़ रहे हैं . जिस बच्चे के भविष्य की चिंता के लिए माँ और बाप दोनों नौकरी करते है किन्तु बच्चे का बचपन कहाँ चला गया उनका उन्हें कोई ख्याल नही , बच्चा माँ पापा के साथ रहने के लिए एक- एक मिनिट के लिए तरसता है याने की आज पैसो की भाग दौड़ में एक nai समस्या ये भी उत्पन हुई है की समय न मिल पाने के कारन पति पत्नी , माँ, बच्चे, बाप बेटे के संबंधों में दरार की वजह से तलाक बढ़ रहे है समाज में , बच्चे गलत रस्ते अपना रहे हैं समाज में . और इन्सान खुद इतना थक रहा है की नींद की दवाई के बिना सो नही पाता, याने मेरा कहने का अभिप्राय ये है की पैसा बुरा नही किन्तु जबतक एक लिमिट में उसके पीछे भागा जाय पैसा हमारे जीवन की आवश्यकतायें पूरी करता है. पर प्यार और रिश्ते की भी उतनी ही जरुरत है आज समाज में हरेक परिवार को . दोनों एक दूजे के पूरक हैं पर जहा अधिकता आइ वहाँ से ही सत्यानाश शुरू ...

soni pushpa
31-01-2015, 02:25 AM
sahi kaha aapne pushpaji.....duniya mai kai log aise hai jo kisi ke pyar ke liye tadpate rahete hai par unka apna uske paas nahi hota.....paise ka kya hai...vo o aata jata raheta hai..par pyar ko agar hum kho de to vo dubara milna bahot hi mushkil raheta hai...chahe vo pyar kisi ka bhi ho....rishte jodna jitna aasan hai utna hi mushkil hai unhe nibhana...or jo hum pyar ke zariye hi nibha sakte hai....

Pyar se bhadhkar duniya mai kuch bhi to nahi.....pyar hai to hum har mushkil se lad jate hai....pyar saath hai to sara jaha humare kadmo mai hai...

जी शिखा जी आपने सही कहा प्यार इन्सान को जीवन देता है इंसानियत सिखलाता है स्वार्थ से परे रहना सिखाता है और प्यार एक एईसी शक्ति है जो किसी अमीर की जब बुरी दशा होती है व्यापार के घाटे की वजह से तब घर के लोगो का साथ सहकार उसे शक्ति देता है आगे बढ़ने के लिए और एक टुटा हुआ व्यक्ति फिर से जी उठता है और मेहनत करके फिर से अर्थोपार्जन कर लेता है याने की पैसे कमा लेता है ... याने की पैसा इंसान जीवन में आता जाता है किन्तु सच्चा और आपनो का प्यार नसीबो वालो को मिलता है .पैसा जहा जीवन के साधन जुटाता है वहां प्यार उस पैसे को पाने के लिए व्यक्ति में जीवन का संचार करता है ...व्यकी के जीवन को जीने की चाह की और मोड़ता है .. और तब उसे आपनो के लिए त्याग करने में ख़ुशी मिलती है न की किसीका हक़ छीनकर .

kuki
03-02-2015, 02:32 PM
सोनी पुष्पाजी आपने बहुत अच्छा टॉपिक चुना है ,इस के लिए आपको धन्यवाद। पैसा और प्यार दोनों ही इंसान के जीवन में बहुत महत्त्व रखते हैं ,लेकिन आज का दौर पूरी तरह से दिखावे का हो गया है अगर आपके पास पैसा है समाज में आपकी अच्छी हैसियत है तो लोग आपको इज़्ज़त देते हैं, आपके रिश्तेदार आपसे प्यार जताते हैं , आपके बहुत सारे मित्र भी होते हैं। इस भौतिकवादी दुनिया में पैसा इंसान की ज़्यादातर ज़रूरतें पूरी करने के लिए बहुत ज़रूरी है ,और ये तब महसूस होता है जब कुछ बीमार लोग सिर्फ इसलिए दम तोड़ देते हैं क्योंकि उनके पास इलाज के लिए पैसा नहीं होता ,होनहार विद्यार्थी अच्छी शिक्षा नहीं ले पाते ,पैसे का महत्व उन माँ-बाप से पूछिए जिनका बच्चा एक छोटे से खिलोने के लिए ज़िद्द करता है और वो दिला नहीं पाते। पैसा ख़राब तब होता है जब इंसान लालची होकर अपनी ज़रूरतों से ज़्यादा पैसा कमाने के लिए भागता है और उसका उपयोग अय्याशियों के लिए किया जाता है।
अब बात प्यार की तो प्यार के बिना तो हम इस दुनिया की कल्पना ही नहीं कर सकते। ये दुनिया प्यार के ऊपर ही टिकी हुई है। प्यार तो हर रिश्ते की नींव होती है ,हम परिवार में सबके साथ रहते हैं और प्यार के बिना साथ रहना असंभव है। प्यार तो इंसान को इंसानियत सिखाता है ,प्यार के बिना इंसान जानवर जैसा है।

soni pushpa
03-02-2015, 08:52 PM
जी कुकिजी आपने सही कहा है मैंने भी ये ही कहा की हाँ पैसा महत्वपूरण है जीवन के लिए बहुत जरुरी भी है आज हम एक कदम पैसे के बिना आगे नही बड़ा सकते किन्तु प्यार भी जरुरी है जीने के लिए पैसा और प्यार दोनों जीवन के पूरक अंग हैं . किन्तु जेइसा की आगे मैंने कहा की जहा एक को पूजना शुरू हुआ नही किसी एक को ज्यदा साथ दिया गया तो वही से सत्यानाश शुरू .

kuki जी इस बहस में भाग लेने और अपने अनमोल मंतव्य यहाँ देने के लिए मै आपकी अभारी हूँ .

Deep_
05-02-2015, 07:09 AM
आज सुबह सुबह मेरी काली ज़बान पर / खाली दिमाग में एक बात आ गई...जो संयोग से ईस सुत्र के अनुलक्ष में थी।

प्यार 'एक' वस्तु है। जब कि पैसा-धन कोई एक वस्तु नही है। वह कई चीज, वस्तु, शौक, ज़रुरतें वगेरह प्राप्त करने के लिए उपयोगी है।
वह एक वस्तु (प्यार) पर समय का प्रभाव कहीं-कहीं पर पड़ता है, लेकिन पैसे पर तो ब्याज मिलता रहेता है!

हां एक बात है, आप महेनत कर के, धंधा-रोजगार-नौकरी कर के, भला-बुरा कर के, चोरी कर के, लोटरी में, कुछ भी कर के कम या अधिक...धन कमा सकते हो...प्यार तो नसीबवालों को ही नसीब है!

soni pushpa
05-02-2015, 04:14 PM
[QUOTE=Deep_;547906]आज सुबह सुबह मेरी काली ज़बान पर / खाली दिमाग में एक बात आ गई...जो संयोग से ईस सुत्र के अनुलक्ष में थी।

प्यार 'एक' वस्तु है। जब कि पैसा-धन कोई एक वस्तु नही है। वह कई चीज, वस्तु, शौक, ज़रुरतें वगेरह प्राप्त करने के लिए उपयोगी है।
वह एक वस्तु (प्यार) पर समय का प्रभाव कहीं-कहीं पर पड़ता है, लेकिन पैसे पर तो ब्याज मिलता रहेता है!
आपकी अभारी हूँ दीप जी बहुत बहुत धनयवाद इस चर्चा में भाग लेने के लिए ...
जी हाँ कई अमीरों को देखा है महफ़िलों में झूठा मुस्कुराते हुए क्यूंकि उनके पास पैसा तो है किन्तु कोई एइसा अपना नही जो सच्चे मन से उन्हें प्यार देता हो फिर चाहे वो कोई भी रिश्ते का प्यार क्यों न हो एइसे भी dukhi लोग हैं दुनिया में .

Deep_
05-02-2015, 09:19 PM
धन्यवाद पुष्पा जी!

मेरी पहली बात भी नोट की जाए...की प्रेम एक ही वस्तु है जब के धन कई वस्तुओं को पाने को सक्षम है।

जिसके पास प्रेम है वह अपने प्रेम को दिखाने की, जताने की कोशिश करता है। उसके पास अगर धन-दौलत नहीं है तो भी वह उसकी चिंता नहीं करता।

उससे विपरित...जिसके पास धन-दौलत है वे अगर प्यार पाने में निष्काम भी हो जाए, दिल बहेलाने के निर्जिव साधन खरीद ही लेतें है।

बात वहीं पर खत्म हो जाती तो ठीक था, लेकिन उसके बाद जो होता है...वह नहीं होना चाहीए।
उसके बाद क्या होता है की धन दौलत वाला ईन्सान यह जताने की कोशिश करता है की उसके पास सब कुछ है। उसे प्रेम-स्नेह की कोई चिंता ही नही।

दुनिया के चमकीले, रोशनीमय 'स्टेज' उन्हीं के पास है, सबकी नजर, सबके आकर्षण का केन्द वही बने रहेते है।
और यह गलत 'मैसेज' सुपरहीट हो जाता है की प्रेम की किंमत कम है, धन दौलत ईत्यादि की अधिक।

Pavitra
05-02-2015, 09:59 PM
आज सुबह सुबह मेरी काली ज़बान पर / खाली दिमाग में एक बात आ गई...जो संयोग से ईस सुत्र के अनुलक्ष में थी।

प्यार 'एक' वस्तु है। जब कि पैसा-धन कोई एक वस्तु नही है। वह कई चीज, वस्तु, शौक, ज़रुरतें वगेरह प्राप्त करने के लिए उपयोगी है।
वह एक वस्तु (प्यार) पर समय का प्रभाव कहीं-कहीं पर पड़ता है, लेकिन पैसे पर तो ब्याज मिलता रहेता है!



दीप जी , प्यार पर भी ब्याज मिलता है.....किसी को प्यार दीजीये और फिर देखिये ताउम्र वो व्यक्ति ब्याज के तौर पर care , trust , love , life सब देता रहेगा ।

soni pushpa
05-02-2015, 10:18 PM
[QUOTE=Pavitra;547925]दीप जी , प्यार पर भी ब्याज मिलता है.....किसी को प्यार दीजीये और फिर देखिये ताउम्र वो व्यक्ति ब्याज के तौर पर care , trust , love , life सब देता रहेगा ।[/Q



धन्यवाद दीप जी ,.... पवित्रा जी ने आपको इन शब्दों में सविस्तार समझा दिया , आशा है अब आप समझ गए होंगे ..


बहुत बहुत धन्यवाद पवित्रा जी आपकी बात से मै १००% सहमत हूँ ... प्यार अपनापन एईसी भावना है जो असंभव को संभव कर देती है पैसा जीवन के लिए साधन है , जबकि स्नहे ,प्यार ,अपनापन ये भावनाए इंसान के लिए जीवन है. ये बात अब दीप जी मान गए होंगे .

Rajat Vynar
08-02-2015, 06:47 PM
जीवन में प्रेम की महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि प्रेम यदि झूठा हो तो भी स्वीकार्य है. इस बात पर प्रकाश डालने के लिए यहाँ पर 'जॉनी मेरा नाम' का एक गीत उद्घृत करना ही पर्याप्त होगा-
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले...
झूठा ही सही...
दो दिन के लिए कोई इकरार कर ले...
झूठा ही सही...

हमने बहुत तुझको छुप छुपके देखा...
दिल पे खिंची है तेरे काजल की रेखा...
काजल की रेखा बनी लछमन की रेखा...
राम में क्यों तुने रावण को देखा...
खड़े खिड़की पे जोगी स्वीकार कर ले...
झूठा ही सही...
पल भर के लिए...

धीरे से जड़े तेरे नैन बडे...
जिस दिन से लड़े तेरे दर पे पडे...
सुन सुनकर तेरी नहीं नहीं...
जाँ, अपनी निकल जाए ना कहीं...
ज़रा हाँ कह दे मेरी जाँ कह दे...
मेरी जाँ कह दे ज़रा हाँ कह दे...
जब रैन पडे नहीं चैन पड़े...
नहीं चैन पडे जब रैन पड़े...
माना तू सारे हँसीनो से हसीं है...
अपनी भी सूरत बुरी तो नहीं है...
कभी तु भी हमारा दीदार करले...
झूठा ही सही...
पल भर के लिए...

पल भर के प्यार पे निसार सारा जीवन...
हम वो नहीं जो छोड़ दे तेरा दामन...
अपने होंठों की हँसी हम तुझको देंगे...
आंसू तेरे अपनी आँखों में लेंगे...
तू हमारी वफ़ा का ऐतबार कर ले...
झूठा ही सही...
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले...
झूठा ही सही...

Deep_
08-02-2015, 08:18 PM
[QUOTE=Pavitra;547925][/Q
धन्यवाद दीप जी ,....ये बात अब दीप जी मान गए होंगे .

मैं तो मानता ही है की प्रेम ही सर्वस्व है। रोटी-कपडा-मकान के साथ साथ प्रेम भी मनुष्य की प्राथमिक जरुरत है ही।

मै केवल यही कहना चाहता हुं की अभाव से ग्रस्त (या प्रेमिका से त्रस्त :giggle:) लोग ही प्रेम के स्थान पर पैसे को भी जगह देते है। ईसका यह मतलब नहीं की वे प्रेम का त्याग कर देतें है। उनके दिल में प्रेम तो है, लेकिन साथ साथ धन की लालसा या जरुरत भी साथ साथ चलती है।
हम सब अलग समय पर अलग मांग करतें है। अगर साथी मिल गया तो प्रेम की संतुष्टी हो गई। फिर आगे अच्छा जीने के लिए पैसे भी तो चाहीए।

जीवन अपनी अपनी प्रायोरिटी के हिसाब से चलता है। कुछ पहेले चाहिए कुछ बाद में चाहिए। लेकिन यकीन मानीए, सबको सब कुछ चाहिए!

Pavitra
09-02-2015, 01:27 PM
हम सब अलग समय पर अलग मांग करतें है। अगर साथी मिल गया तो प्रेम की संतुष्टी हो गई। फिर आगे अच्छा जीने के लिए पैसे भी तो चाहीए।

जीवन अपनी अपनी प्रायोरिटी के हिसाब से चलता है। कुछ पहेले चाहिए कुछ बाद में चाहिए। लेकिन यकीन मानीए, सबको सब कुछ चाहिए!


दीप जी मैं भी यही मानती हूँ कि प्यार जरूरी है पर ये कहना कि पैसा जरूरी नहीं है ,गलत है । जीवन में हर एक चीज की अपनी महत्ता है । और ये तो आपने बिल्कुल सही कहा कि सबको सब कुछ चाहिये ...... :)

soni pushpa
24-02-2015, 06:25 PM
आप सबने इस सूत्र पर बहुत अच्छी तरह से प्रकाश डाला है .मै आप सबकी आभारी हूँ ...बहुत बहुत धन्यवाद सबको ...