Rajat Vynar
14-02-2015, 02:09 PM
यदि हम आपसे पूछें- ‘इस बार वैलेंटाइन महोत्सव आपने कैसे मनाया’ तो आप तुरन्त हमसे पूछने लगेंगे- ‘पहले आप बताइए?’ हमारा जवाब है- इधर तो हमेशा की तरह निल बटा सन्नाटा रहा और इस सन्नाटे का कारण स्वयं हम ही हैं। आपको यह जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि कभी हमारी भी एक अदद प्रेमिका हुआ करती थी। वैलेंटाइन दिवस आया तो हमारे बीच बहुत बड़ा पेंच फँस गया कि वैलेंटाइन महोत्सव के डिनर का पेमेण्ट कौन करेगा? हमने तुरन्त अक़्ल का घोड़ा दौड़ाते हुए कहा- ‘‘एक रूपए का सिक्का उछालकर देख लेते हैं। हेड आया तो मैं पेमेण्ट करूँगा, टेल आया तो तुम पेमेण्ट करना।’’ प्रेमिका मान गई। फिर हमने सोचा- कब तक लड़के लड़कियों के लिए पेमेण्ट करते रहेंगे? इसलिए हमने एक रूपए के दो सिक्कों को आपस में चिपकाकर दोनों तरफ़ टेल बना लिया और एहतियात के तौर पर अपनी प्रेमिका से कह दिया- ‘‘पैसे लेकर ज़रूर आना। टेल ही आएगा।’’ प्रेमिका ने पूछा- ‘‘तुम इतने कान्फिडन्स से कैसे कह रहे हो?’’ हमने बिना झूठ बोले तुरन्त यह राज़ बता दिया कि हमने एक रूपए के दो सिक्कों को आपस में चिपकाकर दोनों तरफ़ टेल ही रखा है! हमारा ‘कटु सत्य’ सुनकर प्रेमिका भड़क गई और वैलेंटाइन सप्ताह से पहले तक पास-पास रहने वाली प्रेमिका हमसे दूर-दूर रहने लगी। यही नहीं, उसने हमारे एक रूपए के सिक्के का राज़ अन्तर्जाल के माध्यम से देश-विदेश तक पहुँचा दिया। यही कारण है- सिक्का आज भी हमारे पास सुरक्षित है, किन्तु प्रेमिका नहीं है!
अब आप बताइए- इस बार आपने वैलेंटाइन महोत्सव कैसे मनाया?
अब आप बताइए- इस बार आपने वैलेंटाइन महोत्सव कैसे मनाया?