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View Full Version : गधा माँगे इन्साफ़


Rajat Vynar
18-02-2015, 06:29 PM
एक कहानी के लिए केन्द्रीय विचार (Central Idea) पौराणिक कथाओं (Mythology) से भी लिया जा सकता है। जैसे लगभग हर पशु-पक्षी किसी न किसी देवी या देवता का वाहन (Vehicle) है। बहुत कम लोगों को पता है कि देवर्षि (Sant of God) नारद का वाहन धेंकी है। चौंकिये मत। धेंकी किसी जीव-जन्तु या पशु-पक्षी का नाम नहीं है। धेंकी पैर से चलाए जाने वाले मूसल का नाम है जिससे धान कूटा जाता है। इस बात पर ग़ौर से विचार कीजिए और कल्पना कीजिए कि यही नारद का ग़म है। ऐसा क्यों? सभी देवी-देवता को वाहन के रूप में जीवित पशु-पक्षी और नारद के लिए एक निर्जीव वस्तु! चलिए, इस नए केन्द्रीय विचार पर आधारित एक व्यंग्यात्मक कहानी पढि़ए- ’गधा माँगे इन्साफ़’-

Rajat Vynar
18-02-2015, 06:31 PM
हमेशा की तरह देवराज इन्द्र के दरबार में सुन्दर-सुन्दर अप्सराओं के साथ देवलोक की प्रमुख नर्तकियाँ रम्भा, मेनका, ऊर्वशी और तिलोत्तमा नृत्य कर रहीं थीं। आज देवराज इन्द्र का चार सौ बीस करोड़वाँ जन्मदिन होने के कारण सभी देवी-देवता पधारे हुए थे जिसके कारण इन्द्र दरबार खचाखच भरा हुआ था। सभी देवी-देवता देवलोक में विशेष रूप से बनाए गए सुरा का पान करते हुए नशे में झूमते हुए नृत्य का आनन्द ले रहे थे। मुख्य अतिथि के रूप में भगवान विष्णु चीफ़-गेस्ट के सिंहासन पर बैठे हुए सुरापान के साथ अप्सराओं के नृत्य का आनन्द ले रहे थे और जब उन्हें किसी अप्सरा के ठुमके बहुत पसन्द आते तो ज़ोर से ’वाह-वाह’ करते हुए दोनों हाथों से सोने की मुद्राएं लुटाने लगते। सभी देवी-देवताओं में सबसे अमीर माने जाने वाले देवता भी वही थे। धन की देवी लक्ष्मी जी खुद उनकी पत्नी जो थीं। लक्ष्मी जी संसार को धन बाँटने के कार्य में अत्यधिक व्यस्त होने के कारण नहीं आईं थीं। जब भगवान विष्णु नशे में धुत होकर बिना समझे-बूझे सोने की मुद्राएं अप्सराओं पर अपने चारों हाथों से लुटाने लगे तो लक्ष्मी जी से रहा न गया और वे देव दरबार में अपने वाहन उल्लू के साथ आ गईं। देव दरबार में आते ही लक्ष्मी ने ककर्श स्वर में विष्णु से कहा- ’अपनी बीबी की गाढ़ी कमाई का पैसा चारों हाथों से कलमुँही अप्सराओं पर लुटाते शर्म नहीं आती, विष्णु? चार पैसा कभी कमाया नहीं। जि़न्दगी भर पापियों को दण्ड देने के नाम पर धरती पर जन्म लेते रहे।’

Rajat Vynar
18-02-2015, 06:32 PM
लक्ष्मी को देखते ही विष्णु का सारा नशा हिरन हो गया। सकपका कर बोले- ’देवी, क्रोध मत करो। शान्त हो जाओ। यह मत भूलो- धरतीलोक के मन्दिरों में सबसे ज़्यादा कलैक्शन मेरे तिरुपति के मन्दिर में होता है।’
लक्ष्मी ने क्रोधपूर्ण स्वर में कहा- ’तो क्या हुआ? तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई- बिना मुझसे पूछे तिरुपति के मन्दिर की कमाई इस तरह आँख बन्द करके अप्सराओं पर लुटाओ?’

Rajat Vynar
18-02-2015, 06:33 PM
विष्णु ने सकपकाकर कहा- ’यह.. यह तिरुपति की कमाई नहीं है, देवी। तुम मुझे जेबखर्च के लिए रोज़ाना जो करोड़ों स्वर्ण मुद्राएं देती हो, उसी को लुटा रहा हूँ।’
लक्ष्मी ने क्रोधपूर्वक कहा- ’जेबखर्च के लिए स्वर्ण मुद्राएं इसलिए नहीं देती कि तुम दारू पीकर अय्याशी करो और अप्सराओं पर आँख बन्द करके लुटाओ। मेरी तो छाती फटी जा रही है। तुमसे ये नहीं होता कि मेरी बहन सरस्वती के लिए कोई योग्य देव वर ढूँढकर लाओ। बेचारी कब से ब्रह्मा से नाराज़ होकर अलग रह रही है। तुम्हें ज़रा भी चिन्ता नहीं अपनी साली की। बेचारी कब तक सिंगल रहेगी?’

Rajat Vynar
18-02-2015, 06:34 PM
विष्णु ने भड़ककर कहा- ’अब मैं तुम्हारी बहन को मिंगल करने के लिए क्षीरसागर छोड़कर देवलोक में कहाँ मारा-मारा फिरूँ? और फिर लगभग सभी देवता किसी न किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं। लव-मैरिज का ज़माना है, मगर एक तुम्हारी बहन है, किसी देवता को घास ही नहीं डालती।’
लक्ष्मी ने भी भड़ककर तेज़ आवाज़ में कहा- ’मेरी बहन भोली-भाली है। किसी को घास नहीं डालेगी। शर्माती है।’

Rajat Vynar
18-02-2015, 06:37 PM
विष्णु ने क्रोधपूर्वक कहा- ’शर्माएगी तो सिंगल रह जाएगी। यह शर्माने का जमाना नहीं है। समझाओ अपनी नादान बहन को।’
लक्ष्मी ने भड़ककर क्रोधपूर्वक कहा- ’अपनी भोली-भाली नादान बहन को घास डालना सिखाऊँ? तुम्हारी खोपड़ी में गोबर भरा है, विष्णु। होश में आओ। नहीं जेबखर्च बन्द कर दूँगी। देवलोक में सुरा पीकर क्षीरसागर में शेषनाग पर चैन से खर्राटे लेकर सोने की सारी मस्ती निकल जाएगी।’

Rajat Vynar
18-02-2015, 06:38 PM
विष्णु ने भोला-भाला चेहरा बनाकर कहा- ’शर्माती है तो खुद घास न डाले। दूसरा कोई घास डाले तो उस घास की इज्ज़त करना सिखाओ। जल्दी ही सिंगल से मिंगल हो जाएगी।’
लक्ष्मी ने आगबबूला होकर कहा- ’मेरी बहन बहुत सीधी है। सिंगल रह जाएगी मेरी बहन, लेकिन मिंगल होने के लिए दूसरी देवियों की तरह बेशर्मी से लाइन नहीं मारेगी।’
लक्ष्मी और विष्णु के बीच का विवाद बढ़ता देखकर देवराज इन्द्र ने बीच-बचाव करते हुए कहा- ’कृपया आप दोनों पति-पत्नी का आपसी झगड़ा क्षीरसागर में निपटाइए। इस समय तो आप लोग मेरे जन्मदिन पर मुबारकबाद देने के लिए आए हैं। इसलिए देव दरबार की शान्ति बनाए रखिए।’

Rajat Vynar
24-02-2015, 07:26 PM
लक्ष्मी और विष्णु ने कसकर अपना मुँह चिपका लिया किन्तु लक्ष्मी की बात दूर बैठे ब्रह्मा के कानों में पड़ चुकी थी। अब वह कहाँ चुप बैठने वाले थे? क्रोधपूर्वक सुरा का मटका ज़मीन पर पटकते हुए ब्रह्मा ने कहा- ’ख़बरदार, अगर जो किसी ने मेरी बीबी सरस्वती की दूसरी शादी कराकर उसे मिंगल बनाने की कोशिश की। श्राप देकर सभी देवियों को सिंगल बना दूँगा। देवलोक में आग लगा दूँगा। सरस्वती अलग रह रही है तो क्या हुआ? देवलोक के तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं के एकमात्र सोशल नेटवर्किंग साइट ’देवबुक’ में आज भी मेरा नाम सरस्वती के फ्रेण्ड लिस्ट में मौजूद है!’

Rajat Vynar
24-02-2015, 07:27 PM
विष्णु को फिर से मुँह खोलने का मौका मिल गया। लक्ष्मी से बोले- ’देखा लिया, लक्ष्मी.. अपनी बहन की करतूत। देवबुक में ब्रह्मा का नाम अपने फ्रेण्ड लिस्ट में चिपकाए रहेगी तो कौन देवता इसे घास डालने की हिम्मत करेगा? इसे कहते हैं- अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारना! हमेशा सिंगल रह जाएगी तुम्हारी बहन।’

लक्ष्मी ने तीक्ष्ण स्वर में विष्णु से कहा- ’तुम चुप रहो, विष्णु। मुझे ब्रह्मा से बात करने दो। आज सुरा पीकर नशे में बहुत ज़्यादा उछलकूद कर रहा है। अभी इसका दिमाग़ ठिकाने लगाती हूँ। बोलो, ब्रह्मा। क्या बक रहे हो तुम? देवबुक में तुम्हारा नाम सरस्वती के फ्रेण्ड लिस्ट में है तो क्या हुआ? रिलेशनशिप स्टेटस में तो तुम्हारा नाम कहीं नहीं है। क्या इससे पता नहीं चलता कि तुम कौड़ी के तीन हो? यही कारण है- धरतीलोक में हर जगह सरस्वती की पूजा तुम्हारे बिना ही होती है।’

Rajat Vynar
24-02-2015, 07:28 PM
सरस्वती ने खुश होकर ताली बजाते हुए कहा- ’खूब कहा, बहन लक्ष्मी। आज तो तुमने ब्रह्मा की वाट लगा दी। उसकी ऐसी की तैसी कर दी! सुरा पीकर इसकी जु़बान कैंची की तरह चलने लगी है।’

लक्ष्मी ने सरस्वती को घूरकर देखते हुए पूछा- ’पहले तू यह बता- तूने ब्रह्मा का नाम अपने फ्रेण्ड लिस्ट में क्यों चिपका रखा है? शर्म नहीं आती तुझे?’

सरस्वती ने शर्माते हुए कहा- ’वो तो मैंने ब्रह्मा का दिल जलाने के लिए उसका नाम अपने फ्रेण्ड लिस्ट में चिपका रखा है। जब मैं सिंगल से मिंगल हो जाऊँगी तो अपने न्यू हब्बी के साथ अपनी फ़ोटो देववुक स्टेटस में पोस्ट करूँगी तो ब्रह्मा का दिल कितना जलेगा!’

Rajat Vynar
24-02-2015, 07:29 PM
यह सुनकर लक्ष्मी ने गर्व से सीना फुलाकर विष्णु की ओर देखते हुए कहा- ’सुन लिया, विष्णु.. तुमने? मेरी बहन पर तोहमत लगा रहे थे? अब बोलती बन्द हो गई न तुम्हारी?’

विष्णु बगलें झाँकने लगे। लक्ष्मी को जवाब न देते बना।

ब्रह्मा ने नशे में गुर्राते हुए कहा- ’देखता हूँ- तुम लोग मिलकर मेरी बीबी सरस्वती को कैसे मिंगल बनाते हो? देवबुक के रिलेशनशिप स्टेटस में मेरा नाम हो या न हो। कोई फ़र्क नहीं पड़ता। अभी तक हमारा डिवोर्स नहीं हुआ है।’

Rajat Vynar
24-02-2015, 07:29 PM
यह सुनकर लक्ष्मी से चुप नहीं रहा गया। लाखों-करोड़ों साल की दिल की भड़ास को निकालते हुए लक्ष्मी ने चिल्लाते हुए ब्रह्मा से कहा- ’अरे डिवोर्स नहीं हुआ तो क्या हुआ? तेरी शादी को मानता ही कौन देवता है, अधर्मी ब्रह्मा? तूने काम ही ऐसा किया है। अपनी ही पुत्री सरस्वती से जबरदस्ती विवाह कर लिया! इसीलिए तो सभी देवताओं ने मिलकर तुम्हें श्राप दे दिया कि तुम्हारी पूजा-अर्चना धरती पर कहीं नहीं होगी। तुमने बहुत हाथ-पैर जोड़ा, रोए-गिड़गिड़ाए। तब जाकर बड़ी मुश्किल से धरती पर अपना एक ही मन्दिर चलाने की परमीशन मिली है तुम्हें। ज़्यादा पकर-पकर करोगे तो वो भी बन्द करवा दूँगी। अपना काला मुँह लेकर इन्द्र दरबार में आने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी? तुम्हें देवराज इन्द्र ने अपने जन्मदिन का कार्ड भेजा कैसे? तुम्हें तो देवता समाज से कभी का निकाला जा चुका है।’

Rajat Vynar
24-02-2015, 07:30 PM
इससे पहले ब्रह्मा कुछ बोलें, देवराज इन्द्र ने सकपकाकर अपनी सफाई देते हुए कहा- ’मैंने तो नहीं भेजा ब्रह्मा को जन्मदिन का कार्ड। बेशर्म है, बिना बुलाए बिना कार्ड के आ गया होगा।’

ब्रह्मा ने दाँत निकालकर कहा- ’बेशर्म बिल्कुल नहीं हूँ। मैं अपनी आॅल्टरनेटिव वाइफ़ गायत्री के साथ आया हूँ। मगर किसी ने मेरी बीबी सरस्वती को मिंगल करने की कोशिश की तो हाथ पर हाथ धरकर चुप नहीं बैठूँगा। देवलोक की ईंट से ईंट बजा दूँगा। ’

bheem
25-02-2015, 11:12 AM
इससे पहले ब्रह्मा कुछ बोलें, देवराज इन्द्र ने सकपकाकर अपनी सफाई देते हुए कहा- ’मैंने तो नहीं भेजा ब्रह्मा को जन्मदिन का कार्ड। बेशर्म है, बिना बुलाए बिना कार्ड के आ गया होगा।’

ब्रह्मा ने दाँत निकालकर कहा- ’बेशर्म बिल्कुल नहीं हूँ। मैं अपनी आॅल्टरनेटिव वाइफ़ गायत्री के साथ आया हूँ। मगर किसी ने मेरी बीबी सरस्वती को मिंगल करने की कोशिश की तो हाथ पर हाथ धरकर चुप नहीं बैठूँगा। देवलोक की ईंट से ईंट बजा दूँगा। ’


Is vyakti ka mansik santulan bigad gaya lagta hai

Rajat Vynar
25-02-2015, 06:53 PM
Is vyakti ka mansik santulan bigad gaya lagta hai

भीम जी, आपके लिए जवाब इधर लगा है। http://myhindiforum.com/showpost.php?p=548638&postcount=24 Awww... आपका बहुत—बहुत धन्यवाद, आपने मुझे पागल कहा। कुछ लोग हदीस के हवाले से पैगम्बर मुहम्मद साहब को भी मानसिक रोगी बताते हैं—

“जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा- एक बार जब काबा की फिर से मरम्मत हो रही थी, और मैं रसूल के साथ पत्थर ढो रहा था, मैंने रसूल से कहा- आप अपनी तहमद(कमरशीट) ऊंची कर दीजिये, ताकि उलझकर आपको चोट न लग जाये। फिर जैसे ही रसूल ने तहमद ऊँची की वह अचानक चिल्लाने लगे, लाओ मेरी तहमद, मेरी तहमद कहाँ है? जबकि तहमद कमर में बंधी हुई थी।” (बुखारी–जिल्द 5 किताब 58 हदीस 170)

“आयशा ने कहा- रसूल हमेशा कल्पनाएँ (पसंद) करते रहते थे। उनको ऐसा भ्रम होता था कि वह कुछ काम कर रहे हैं, या कह रहे हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता था। मैंने उनका इलाज भी करवाया था। एक दिन दो लोग रसूल के पास आये और बोले आपका दिमाग भ्रमित (Bewiched ) हो गया है।“ (बुखारी-जिल्द 4 किताब 54 हदीस 490

“आयशा ने कहा कि रसूल जब चाहे मुझसे कहते रहते थे- आयशा वहाँ देखो- जिब्राइल तुम्हें सलाम कर रहा है। लेकिन मुझे वहाँ कोई दिखाई नहीं देता था।” (बुखारी–जिल्द 8 किताब 74 हदीस 266)

emptymind
26-02-2015, 01:02 PM
Is vyakti ka mansik santulan bigad gaya lagta hai

भीम जी, आपके लिए जवाब इधर लगा है। http://myhindiforum.com/showpost.php?p=548638&postcount=24 Awww... आपका बहुत—बहुत धन्यवाद, आपने मुझे पागल कहा। कुछ लोग हदीस के हवाले से पैगम्बर मुहम्मद साहब को भी मानसिक रोगी बताते हैं—

“जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा- एक बार जब काबा की फिर से मरम्मत हो रही थी, और मैं रसूल के साथ पत्थर ढो रहा था, मैंने रसूल से कहा- आप अपनी तहमद(कमरशीट) ऊंची कर दीजिये, ताकि उलझकर आपको चोट न लग जाये। फिर जैसे ही रसूल ने तहमद ऊँची की वह अचानक चिल्लाने लगे, लाओ मेरी तहमद, मेरी तहमद कहाँ है? जबकि तहमद कमर में बंधी हुई थी।” (बुखारी–जिल्द 5 किताब 58 हदीस 170)

“आयशा ने कहा- रसूल हमेशा कल्पनाएँ (पसंद) करते रहते थे। उनको ऐसा भ्रम होता था कि वह कुछ काम कर रहे हैं, या कह रहे हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता था। मैंने उनका इलाज भी करवाया था। एक दिन दो लोग रसूलकेपासआयेऔरबोलेआपकादिमाग भ्रमित (Bewiched ) हो गया है।“ (बुखारी-जिल्द 4 किताब 54 हदीस 490

“आयशा ने कहा कि रसूल जब चाहे मुझसे कहते रहते थे- आयशा वहाँ देखो- जिब्राइल तुम्हें सलाम कर रहा है। लेकिन मुझे वहाँ कोई दिखाई नहीं देता था।” (बुखारी–जिल्द 8 किताब 74 हदीस 266)

:thinking:
मेरा भी यही विचार है कि रजत जी को एक बार किसी अच्छे मनोचिकित्सक से तुरंत मिल लेना चाहिये।
:think:

Rajat Vynar
26-02-2015, 03:21 PM
:thinking:
मेरा भी यही विचार है कि रजत जी को एक बार किसी अच्छे मनोचिकित्सक से तुरंत मिल लेना चाहिये।
:think:
अभी कृपया आप और अध्ययन कीजिए और पढ़िए अनुच्छेद 1 से 7 तक— http://myhindiforum.com/showpost.php?p=548655&postcount=25

emptymind
26-02-2015, 03:58 PM
अभी कृपया आप और अध्ययन कीजिए और पढ़िए अनुच्छेद 1 से 7 तक— http://myhindiforum.com/showpost.php?p=548655&postcount=25
बस कर पगले, अब रुलाएगा क्या?

emptymind
26-02-2015, 04:23 PM
आपने इस सूत्र का नाम रखा है - "गधा माँगे इन्साफ़", जो संभवत: दिये गए कहानी का शीर्षक भी है।
हमरी खाली खोपड़ियाँ मे ई बात अभी तक नहीं घुसी कि कहानी मे आउर शीर्षक मे तालमेल का है?
कही हमही लोग उ गदहवा तो नहीं है - जो इंसाफ मांग रहे है।

राधाकृष्*णजी का एक ठो कहानी पढ़े थे, स्कुल मे - नाम था - "वरदान का फेर"
इस कहानी मे भी देवी देवता के संग एक तो मानव भी थे - बुधुदेव जी।
हास्य-व्यंग्य खुब था।

हास्य-व्यंग्य का होवे है? - तनिक जान लो कपिल शर्मा के ताऊ जी।

emptymind
26-02-2015, 04:30 PM
हे विप्रवर, हरिशंकर परसाई जी कथा - "भोलाराम का जीव" भी पढ़ लो।
ज्ञान चक्षु खुल जाएँगे।
और भी है - जरूरत हो, तो मांग लेना, बिलकुल मत शरमाना।

emptymind
26-02-2015, 04:34 PM
भीम जी, आपके लिए जवाब इधर लगा है। http://myhindiforum.com/showpost.php?p=548638&postcount=24 awww... आपका बहुत—बहुत धन्यवाद, आपने मुझे पागल कहा। कुछ लोग हदीस के हवाले से पैगम्बर मुहम्मद साहब को भी मानसिक रोगी बताते हैं—

“जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा- एक बार जब काबा की फिर से मरम्मत हो रही थी, और मैं रसूल के साथ पत्थर ढो रहा था, मैंने रसूल से कहा- आप अपनी तहमद(कमरशीट) ऊंची कर दीजिये, ताकि उलझकर आपको चोट न लग जाये। फिर जैसे ही रसूल ने तहमद ऊँची की वह अचानक चिल्लाने लगे, लाओ मेरी तहमद, मेरी तहमद कहाँ है? जबकि तहमद कमर में बंधी हुई थी।” (बुखारी–जिल्द 5 किताब 58 हदीस 170)

“आयशा ने कहा- रसूल हमेशा कल्पनाएँ (पसंद) करते रहते थे। उनको ऐसा भ्रम होता था कि वह कुछ काम कर रहे हैं, या कह रहे हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता था। मैंने उनका इलाज भी करवाया था। एक दिन दो लोग रसूलकेपासआयेऔरबोलेआपकादिमाग भ्रमित (bewiched ) हो गया है।“ (बुखारी-जिल्द 4 किताब 54 हदीस 490

“आयशा ने कहा कि रसूल जब चाहे मुझसे कहते रहते थे- आयशा वहाँ देखो- जिब्राइल तुम्हें सलाम कर रहा है। लेकिन मुझे वहाँ कोई दिखाई नहीं देता था।” (बुखारी–जिल्द 8 किताब 74 हदीस 266)

तनिक मोहतरमा आयशा का भी परिचय करा देते बंधुवर। कुछ हमारे ज्ञान मे भी वृद्धि हो जाएगी।

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:24 PM
आपने इस सूत्र का नाम रखा है - "गधा माँगे इन्साफ़", जो संभवत: दिये गए कहानी का शीर्षक भी है।
हमरी खाली खोपड़ियाँ मे ई बात अभी तक नहीं घुसी कि कहानी मे आउर शीर्षक मे तालमेल का है?
कही हमही लोग उ गदहवा तो नहीं है - जो इंसाफ मांग रहे है।
कहानी के आरम्भ में देवराज इन्द्र के जन्मदिन की पार्टी का वातावरण स्थापित किया जा ही रहा था कि हमारे ही कुछ विशिष्ट मित्रों ने आक्षेप लगाना शुरू कर दिया। यद्यपि उनकी नेकनियती पर कोई प्रश्नचिह्न अथवा सन्देह नहीं है, किन्तु उनके आक्षेप के कारण कहानी आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में बाधा अवश्य हुई है। कहानी के आरम्भ के उपरान्त आप लोगों के प्रिय गधे का आगमन होने ही वाला है। बस आगे पढ़िए—

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:26 PM
लक्ष्मी ने क्रोधपूर्वक कहा- ’क्या कर लोगे तुम, अधर्मी ब्रह्मा? अब देखना तुम- मैं क्या करती हूँ। अब मैं खुद अपनी बहन को दूसरी देवियों की तरह बेशर्मी से लाइन मारना सिखाऊँगी और उसे मिंगल बनाऊँगी।’
इससे पहले ब्रह्मा कुछ कहते, दूर बैठी हुई पार्वती ने आगबबूला होकर लक्ष्मी के निकट आते हुए कहा- ’तुम्हारा मतलब क्या है, लक्ष्मी? मैंने बेशर्मी से लाइन मारकर शिव से शादी की है? मैंने शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की है, तपस्या। शिव को लाइन नहीं मारा। समझीं?’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:27 PM
लक्ष्मी ने तेज़ स्वर में कहा- ’मैं नादान नहीं हूँ। किसी से विवाह करने के लिए चाहे तपस्या करो या फिर और कुछ करो- उसे लाइन मारना ही कहते हैं!’
पार्वती ने क्रोधपूर्वक कहा- ’हाँ-हाँ, ठीक है। मैंने बेशर्मी से लाइन मारकर शिव से शादी की तो इसका मतलब यह नहीं- तुम सबके सामने यह बात कई बार गाओ-बजाओ। कान खोलकर सुन लो, लक्ष्मी। जिसने की शर्म, उसके फूटे कर्म। जैसे तुम्हारी बहन के फूटे हैं। तमीज़ से रहना। नहीं तो शिव से कहकर तीसरा नेत्र खुलवा दूँगी। जलकर भस्म हो जाओगी। सारी हेकड़ी निकल जाएगी।’
लक्ष्मी ने भड़ककर पार्वती से कहा- ’मेरे पति विष्णु ने भी हाथ में चूडि़याँ नहीं पहन रखी हैं। हाथ में सुदर्शन-चक्र है, सुदर्शन चक्र!’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:28 PM
इससे पहले पार्वती और लक्ष्मी के बीच का विवाद और बढ़ता, देवराज इन्द्र ने बीच-बचाव करते हुए कहा- ’कृपया देव दरबार में शान्ति बनाए रखें। रंग में भंग न डालें। आप लोग मेरे जन्मदिन पर आए हैं। आपस में लड़ने नहीं आए।’
किसी तरह से विवाद बन्द हुआ तो अप्सराओं ने पुनः अपना नृत्य आरम्भ किया। अप्सराओं का नृत्य मुश्किल से पाँच मिनट ही चला होगा, तभी गधे की चींपों-चींपों की आवाज़ ने रंग में भंग डाल दिया। देवराज इन्द्र ने चिंतित होकर कहा- ’यह गधा इस समय देव दरबार में क्यों आना चाहता है? इसे क्या कष्ट है? गधे को देव दरबार में आने की अनुमति प्रदान की जाए।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:31 PM
अनुमति मिलते ही गधा अन्दर आ गया और आते ही दुःख भरे स्वर में बोला- ’भगवन्, मेरा नाम देवलोक के अनुसूचित देव-वाहनों की सूची से हटाने की कृपा कीजिए। मैं किसी देवी-देवता का वाहन नहीं बनना चाहता। नगरमहापालिका के छुट्टे साँड की तरह मस्ती से फ्री घूमकर गैयाबाजी करना चाहता हूँ।’

गधे की बात सुनकर दूर बैठे भगवान शिव के वाहन नन्दी ने आँख दिखाकर अपना गुस्सा प्रकट किया तो विवाद से बचने के लिए गधे ने दाँत दिखाकर तुरन्त माफ़ी माँग ली।

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:32 PM
गधे की बात सुनकर इन्द्र ने कहा- ’यह सम्भव नहीं, गधे। देवलोक में वाहनों की बहुत कमी है। तुम्हें सूची से अचानक हटा दिया गया तो बड़ी प्राॅब्लम क्रिएट हो जाएगी। तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है, गधे? किसी देवी या देवता का वाहन बनना तो बड़े गर्व की बात है।’

गधे ने कहा- ’गर्व की बात तो है, भगवन्। मगर आपने मुझे एक नहीं, तीन देवियों का शेयर्ड वाहन बना दिया है। शीतला देवी के साथ मुझे दो और देवियों की ड्यूटी बजानी पड़ती है। बस यही प्रॉब्लम है।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:33 PM
इन्द्र ने आश्चर्य से पूछा- ’शेयर्ड वाहन बनने में क्या प्रॉब्लम है? कई पशु-पक्षी देवी-देवताओं के शेयर्ड वाहन हैं। जैसे मोर सरस्वती और कार्तिकेय के साथ एक और देवी का शेयर्ड वाहन है। मोर ने तो कभी कोई शिकायत नहीं की। हंस ब्रह्मा और सरस्वती के साथ-साथ दो और देवियों का शेयर्ड वाहन है। मगर हंस ने भी कभी कोई शिकायत नहीं की। अब देखो न- मेरा वाहन ऐरावत हाथी खुद मेरी ड्यूटी पूरी करने के बाद लक्ष्मी, शचि और वृहस्पति के यहाँ पार्ट टाइम जॉब करता है। एक्स्ट्रा मेहनत करता है, इसीलिए एक्स्ट्रा गन्ना खाता है और खुश रहता है। उसने भी कभी कोई शिकायत नहीं की।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:34 PM
गधे ने समझाया- ’भगवन्, शेयर्ड वाहन बनने में मुझे कोई परेशानी नहीं। तीन शिफ़्टों में तीनों देवियों की ड्यूटी बजाने में मुझे कभी कोई दिक्कत नहीं रही।’

इन्द्र ने आश्चर्य से पूछा- ’फिर क्या प्राॅब्लम है, गधे? साफ-साफ बताओ। पिछले साल शीतला देवी आईं थीं तो तुम्हारी बड़ी तारीफ़ कर रही थीं। कह रही थीं कि गधा बहुत सीधा-सादा प्यारा और दुलारा वाहन है। नहा-धोकर ड्यूटी पर समय से पहले आ जाता है। चाहे जितनी सवारी करो- कभी नहीं थकता। ड्यूटी खत्म होने के बाद भी देर तक बैठा रहता है।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:35 PM
उसी समय गधे को खोजती हुईं शीतला देवी दो अन्य देवियों के साथ इन्द्र दरबार में आ गईं। शीतला देवी के पैर में पट्टी बँधी हुई थी और वह लंगड़ा-लंगड़ा कर चल रही थीं। देवराज इन्द्र के दरबार में आते ही गधे को बिना देखे शीतला देवी ने क्रोधपूर्वक देवराज इन्द्र से कहा- ’हम तीनों देवियों का कमीना वाहन गधा इधर आया क्या? बड़ा दुष्ट और पाजी है। एक बार दिख जाए गधा तो झाडू़ मार-मार कर कमीने का दिमाग़ ठिकाने लगा दूँगी।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:36 PM
उसी समय शीतला देवी ने इन्द्र दरबार में खड़े गधे को देख लिया और झाडू़ लेकर मारने दौड़ीं। गधा देवराज इन्द्र से जान बचाने की गुहार लगाते हुए इन्द्र दरबार में इधर-उधर भागने लगा तो देवराज इन्द्र ने बीच-बचाव करते हुए शीतला देवी से कहा- ’यह क्या तमाशा बना रखा है, शीतला देवी? क्या आपको पता नहीं- देवराज इन्द्र के दरबार में मारपीट करना सख्त मना है?’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:36 PM
गधे ने कहा- ’भगवन्, यही बताने तो आया था। पिछले साल तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। मगर जब से तीनों देवियों में दोस्ती हुई है, आपस में गप लड़ाने के लिए एक साथ ही रहती हैं और एक साथ ही बाहर आती-जाती हैं। इसलिए तीनों देवियाँ एक साथ ही मेरे ऊपर सवारी करती हैं। अब आप ही बताइए, भगवन्- सिंगल सीटर वाहन गधे के ऊपर तीन-तीन देवियाँ एक साथ सवारी करेंगी तो बेचारे गधे का क्या हाल होगा? एक साल तक तीनों देवियों का अत्याचार सहता रहा। तीन दिन पहले जब बहुत गुस्सा आ गया तो नौकरी छोड़कर भाग आया।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:37 PM
इन्द्र ने क्रोधपूर्ण स्वर में गधे से कहा- ’तुम्हारी शिकायत बेबुनियाद है, गधे। देव वाहन पर चलने का एक कानून है। कानून तोड़ने वाले देवी-देवताओं की सख़्त निगरानी की जाती है और उनका चालान किया जाता है।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:38 PM
गधे ने कहा- ’भगवन्, पहले तो सब कुछ ठीक-ठाक था। जब से देवलोक का डी॰टी॰ओ॰ अर्थात् देवलोक ट्रांसपोर्ट आॅफ़ीसर धरतीलोक का भ्रमण करके भ्रष्टाचार सीखकर आया है तब से चालान करना बन्द दिया है। चालान करने की जगह कुछ स्वर्ण मुद्राएं लेकर दोषी देवी-देवताओं को छोड़ देता है।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:39 PM
देवराज इन्द्र ने चिन्तित होकर कहा- ’यह तो वाकई चिन्ता की बात है। मगर हमने कभी इस भ्रष्टाचार के बारे में देव लोक के प्रमुख दैनिक समाचार-पत्र ’देव-न्यूज़’ में कोई समाचार नहीं पढ़ा। क्या मीडिया वाले सो रहे हैं?’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:39 PM
गधे ने बताया- ’मीडिया वाले सो नहीं रहे हैं, भगवन्। जब से मीडिया में भ्रष्टाचार की जड़ें फैली है, मीडिया वाले सोते कहाँ हैं? अब तो न्यूज़ कलेक्ट करने के लिए मीडिया वाले आँख में मिर्चा लगा-लगा कर रात-रात भर जागते हैं। जैसे ही किसी देवी-देवता की कोई कमज़ोर नस सुबूत के साथ पकड़ में आ जाती है तो तुरन्त जाकर उनसे मिलते हैं और न्यूज़पेपर में न छापने के लिए अच्छा रेट तय करते हैं। जो रेट देने से इन्कार करता है उसकी न्यूज़ अखबार में छप जाती है और जो रेट दे देता है, उसकी न्यूज़ अखबार में कभी नहीं छपती।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:40 PM
देवराज इन्द्र ने प्रश्नवाचक दृष्टि से शीतला देवी की ओर देखा तो शीतला देवी ने सकपका कर झूठ बोलते हुए कहा- ’यह झूठ है। गधे के साथ हम तीनों देवियों ने कोई अत्याचार नहीं किया। गधा हमारे ऊपर झूठा इलज़ाम लगा रहा है। तीन दिन पहले मैं गधे पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी तो दुष्ट और कमीने गधे ने ज़ोर से दुलत्ती मार दी। हाय.. मेरी तो टाँग टूट गई। हड्डी में फ्रैक्चर आ गया। दुलत्ती मारकर गधा जान बचाकर नौ दो ग्यारह हो गया। आज तक ड्यूटी पर वापस नहीं लौटा।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:40 PM
देवराज इन्द्र ने प्रश्नवाचक दृष्टि से गधे की ओर देखा।
गधे ने बताया- ’मैंने शीतला देवी को दुलत्ती नहीं मारी। टाइम पास करने के लिए हम आपस में दुलत्ती-दुलत्ती खेल रहे थे। खेल-खेल में शीतला देवी को चोट लग गई। देव-वाहन की नौकरी छोड़कर भागने के कारण मेरे ऊपर झूठा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:41 PM
शीतला देवी ने कहा- ’गधा झूठ बोल रहा है। मैं धरतीलोक की मानी-जानी कोई छोटी-मोटी नहीं, बहुत बड़ी देवी हूँ। सभी मुझसे डरते हैं और मेरी इज्ज़त करते हैं। धरतीलोक में सभी तरह के वाइरस फैलाने का जिम्मा मेरे पास ही रहता है। धरतीलोक के उत्तर भारत में मेरे एक नहीं, कई-कई मन्दिर हैं। दक्षिण भारत में मैं मारिअम्मन के नाम से जानी-पहचानी जाती हूँ। यही नहीं, धरतीलोक में मारिअम्मन के नाम से सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम, बैंकाक और साउथ अफ्रीका में भी मेरे मन्दिर हैं। टाइम पास करने के लिए ऐफ्टर आॅल एक गधे के साथ मैं दुंलत्ती-दुलत्ती खेलूँगी? गधे ने मुझे दुलत्ती मारी है। आप इस मामले की जाँच करिए और दोषी गधे को सज़ा दीजिए।’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:43 PM
उसी समय ’देव न्यूज़’ के चीफ़ रिपोर्टर ने देवराज इन्द्र के दरबार में आते हुए कहा- ’गधा झूठ नहीं, सच बोल रहा है। आप तीनों देवियों ने गधे के ऊपर अत्याचार किया है। यह देखिए- फ़ोटोग्राफ्स। आप तीनों देवियाँ कितनी बेदर्दी के साथ गधे पर सवारी कर रही हैं। और यह देखिए- इस फ़ोटोग्राफ़ में तो हद कर दी आप तीनों देवियों ने। वाकई आप तीनों के हिम्मत की दाद देनी चाहिए। एक तो गै़रक़ानूनी रूप से आप तीनों देवियों ने गधे पर एक साथ सवारी की और फिर उस फ़ोटो को साड़ी में प्रिण्ट कराकर कितनी शान से आप तीनों देवियाँ उस साड़ी को पहनकर एक साथ पोज़ दे रही हैं!’

Rajat Vynar
26-02-2015, 06:44 PM
शीतला देवी ने घबड़ाकर कहा- ’यह.. यह फ़ोटो आपको कहाँ से मिली? यह फ़ोटो तो मैंने एक साल पहले तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं के एकमात्र सोशल नेटवर्किंग साइट देवबुक में लगाई थी और बाद में डरकर हटा भी दिया था।’ ’देव न्यूज’ के चीफ़ रिपोर्टर ने कहा- ’देवबुक से ही फ़ोटो निकाली थी हमने। हम प्रेस वालों की निगाहों से कोई नहीं बच सकता। और यह देखिए- इस फ़ोटोग्राफ़ में आप देवलोक ट्रांसपोर्ट आॅफ़ीसर को घूँस दे रही हैं।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:36 PM
तीनों देवियों ने सिर झुका लिया। देवराज इन्द्र ने क्रोधपूर्वक कहा- ’गधे पर अत्याचार का मामला प्रेस की नज़रों में आ चुका है। किसी तरह प्रेस का मुँह बन्द करिए। मामले को दबाइए। धरतीलोक और पाताललोक में पता चल गया तो देवी-देवताओं की कितनी बदनामी होगी!’

शीतला देवी ने ’देव न्यूज़’ के चीफ़ रिपोर्टर से मामले को दबाने के लिए कहा।

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:37 PM
’देव न्यूज़’ के चीफ़ रिपोर्टर ने दाँत निकालते हुए कहा- ’यह बहुत बड़ा मामला है। देव वाहन पर एक साल तक अत्याचार हुआ है। इस अत्याचार में एक नहीं, तीन-तीन देवियाँ इन्वाल्व हैं। रेट कुछ ज़्यादा ही लगेगा। बस आप तीनों देवियाँ मिलकर पैंतालीस करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ दे दीजिए। मामले को दबा दिया जाएगा। गधे को दुलत्ती मारने के आरोप में जेल भेज दिया जाएगा।’

गधे ने रोते हुए कहा- ’यह अन्याय है। मामले को मेरी आँखों के सामने लीपा-पोता जा रहा है।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:39 PM
देवराज इन्द्र ने ठहाका लगाते हुए गधे से कहा- ’देवी-देवताओं से उलझोगे तो इसी तरह मुँह की खाओगे, गधे। क्या तुम्हें पता नहीं- बड़े लोगों से नहीं उलझना चाहिए?’

उसी समय देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने अपने दल-बल के साथ देवराज इन्द्र के दरबार में प्रवेश किया और गधे को चारों ओर से घेर लिया। शीतला देवी ने खुश होकर देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस से कहा- ’अच्छा हुआ- डी॰एल॰सी॰पी॰ जी आप आ गए। गधे के कारण बहुत प्राॅब्लम क्रिएट हो रही है। आप गधे का एन्काउण्टर कर दीजिए। सारी प्राॅब्लम साॅल्व हो जाएगी।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:40 PM
गधा थर-थर काँपते हुए चिल्लाया- ’बचाओ-बचाओ, देवलोक की पुलिस मेरा एन्काउण्टर करना चाहती है।’

देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने शीतला देवी से कहा- ’माफ़ कीजिए, शीतला देवी। मैं गधे का एन्काउण्टर करने नहीं आया। मैं कोर्ट के आर्डर से गधे को ’गदहा-प्लस’ सिक्योरिटी देने आया हूँ।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:40 PM
देवराज इन्द्र ने आश्चर्य से पूछा- ’एक गधे को गदहा-प्लस सिक्योरिटी? देवलोक की सबसे बड़ी सिक्योरिटी एक गधे को देने की क्या आवश्यकता है? गदहा-प्लस सिक्योरिटी जिसे मिलती है वह गधा समान बन जाता है। वह अपनी मर्ज़ी से हिल-डुल तक नहीं सकता। उसे हर काम गदहा-प्लस सिक्योरिटी के प्रोटोकाॅल के मुताबिक करना पड़ता है। आज तक किसी देवी या देवता को ’गदहा-प्लस’ सिक्योरिटी नहीं मिली! एक गधे को और गधा बनाने की क्या ज़रूरत है? मैं स्वयं सभी देवी-देवताओं का राजा हूँ किन्तु मेरे पास सिर्फ़ ’उल्लू-प्लस’ सिक्योरिटी है। तीनों लोकों को धन बाँटने वाली देवी लक्ष्मी के पास भी सिर्फ़ ’चींटी-प्लस’ सिक्योरिटी है!’

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मच्छर को देखते ही गधा थर-थर काँपते हुए चिल्लाया- ’बचाओ-बचाओ, मुझे मच्छर से बचाओ। शीतला देवी ने चिकनगुनिया और डेंगू के वाइरस से लैस करके मच्छर को मुझे काटने के लिए भेजा है!’

शीतला देवी ने दौड़कर अपनी झाडू़ से गधे की नाक पर बैठे मच्छर को भगाना चाहा तो देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने शीतला देवी को रोकते हुए कहा- ’माफ़ कीजिए। मुझे अपनी झाडू़ चेक करने दीजिए। हो सकता है- आपने अपनी झाडू़ में कोई भयानक हथियार छिपा रखा हो। गधे को अगर कुछ हो गया तो मेरी नौकरी चली जाएगी। आपसे मेरी अच्छी जान-पहचान है, मिली-भगत है, साँठ-गाँठ है तो इसका मतलब यह नहीं- मैं आपके लिए अपनी नौकरी दे दूँगा। पता है आपको- मेरा डेली की ऊपरी कमाई क्या है? एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ!’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:47 PM
शीतला देवी ने मुँह बनाकर देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस को अपनी झाडू़ चेक करने के लिए दे दिया। झाडू़ की अच्छी तरह से जाँच-पड़ताल करने के बाद शीतला देवी को वापस करते हुए देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने कहा- ’ठीक है। अब आप इस झाडू़ से मच्छर भगा सकती हैं। जल्दी कीजिए। नहीं तो अगर मच्छर ने गधे को काट लिया तो आप बेवजह फँस जाएँगी।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:47 PM
शीतला देवी ने जल्दी से दौड़कर अपनी झाडू़ से गधे की नाक पर बैठे मच्छर को भगाकर राहत की साँस लिया ही था कि गधे के सिर पर एक मक्खी आकर बैठ गई। गधे ने अपनी पूँछ से मक्खी को उड़ाना चाहा किन्तु देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने अत्यधिक चुस्ती और फुर्ती दिखाकर गधे को ऐसा करने से रोक दिया और चीखते हुए कहा- ’सभी देवी-देवता ज़मीन पर लेट जाएँ। गधे के सिर पर एक मक्खी आकर बैठ गई है और हमें शक है कि यह मक्खी नहीं, मक्खी-बम है। चिन्ता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। देवलोक का बम-स्क्वाड दो मिनट में मक्खी-बम को डिफ्यूज़ कर देगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:50 PM
बम का नाम सुनते ही देवराज इन्द्र के दरबार में खलबली मच गई। देवराज इन्द्र घबड़ाकर अपने सिंहासन के पीछे जाकर छिप गए। अपनी जान बचाने के लिए ब्रह्मा ने छोटा रूप धारण लिया और सरस्वती की वीणा में घुसने की कोशिश करने लगे। सरस्वती ने गुस्से में आकर वीणा को गदे की तरह घुमाकर ब्रह्मा की पीठ पर जड़ते हुए कहा- ’शर्म नहीं आती वीणा में घुसते? तार-वार टूट गई तो क्या होगा?’ वीणा की ज़ोरदार मार खाकर ब्रह्मा फुटबाल की तरह उछल गए और इन्द्र-दरबार के रोशनदान से होते हुए धरतीलोक में बने अपने इकलौते मन्दिर की छत को तोड़ते हुए अपनी ही मूर्ति के सिर पर जाकर अटक गए। छोटे रूप में ब्रह्मा के साक्षात् दर्शन करके उनके भक्त जय-जयकार करने लगे। भगवान विष्णु सुरा के एक मटके में जाकर छिप गए। जिसको जहाँ जगह मिली वहाँ जाकर छिप गया।

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शीतला देवी दाँत पीसते हुए अन्य दोनों देवियों के साथ ज़मीन पर लेट गईं। देवलोक के बम-स्क्वाड ने अत्यन्त सावधानी के साथ थर-थर काँपते हुए गधे के सिर पर बैठी मक्खी की जाँच करने की कोशिश की तो मक्खी उड़कर शीतला देवी की नाक पर जाकर बैठ गई। बम-स्क्वाड ने घोषित करते हुए कहा- ’डरने की कोई बात नहीं है। यह मक्खी-बम नहीं, साधारण मक्खी है!’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:51 PM
यह सुनकर सभी देवी-देवता चैन की साँस लेकर बाहर आ गए और अपने-अपने स्थान पर जाकर बैठ गए। नशे में धुत भगवान् विष्णु को गधे का मामला कुछ-कुछ समझ में आने लगा था। उन्हें ऐसा लगा जैसे देवराज इन्द्र का सिंहासन हिलने लगा है। भगवान् विष्णु ने मन ही मन में सोचा कि देवराज इन्द्र के सिंहासन पर अपना कब्ज़ा जमाने के लिए इससे अच्छा और बेहतर मौका अब नहीं मिलेगा। करोड़ों साल से उनकी वक्र दृष्टि देवराज इन्द्र के सिंहासन पर जमी हुई थी। लक्ष्मी की राय लेने के लिए भगवान् विष्णु ने प्रश्नवाचक दृष्टि से लक्ष्मी की ओर देखा। लक्ष्मी ने एक आँख मारकर और धीरे से सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति प्रदान की। फिर क्या था? लक्ष्मी का इशारा मिलते ही हाथ आए मौक़े का फ़ायदा उठाने के लिए बीच में कूदते हुए भगवान् विष्णु ने सुरा के नशे में झूमते हुए कहा- ’धिक्कार है मुझ पर। पापियों का विनाश करने के लिए धरती पर जन्म लेता हूँ और देवलोक में इतना बड़ा घपला चल रहा है? इसे कहते हैं- चिराग़ तले अँधेरा। आज गधे के साथ इन्साफ़ होना चाहिए। नहीं तो.. आगे मैं कहूँगा नहीं, करके दिखाऊँगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:52 PM
भगवान् विष्णु की हाँ में हाँ मिलाते हुए दूसरे देवी-देवता भी एक स्वर में नारे लगाने लगे- ’देवराज इन्द्र- सिंहासन खाली करो। नहीं चलेगी, नहीं चलेगी। देवलोक में घपलेबाजी नहीं चलेगी। विष्णु तुम संघर्ष करो- हम तुम्हारे साथ हैं!’

देवी-देवताओं को अपने खिलाफ़ देखकर शीतला देवी ने भड़ककर कहा- ’एक गधे के आगे अब मैं नहीं झुकने वाली। धरतीलोक और पाताललोक में चिकन-पाॅक्स और स्माल-पाॅक्स फैलाकर सब कुछ तहस-नहस कर दूँगी। इस समय तो मेरे पास चिकनगुनिया, डेंगू और ईबोला का अतिरिक्त प्रभार भी है। धरतीलोक और पाताललोक में चारों ओर हाहाकार मचा दूँगी।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:54 PM
गधे का पलड़ा भारी देखकर और अपना सिंहासन हिलता देखकर देवराज इन्द्र ने मज़बूर होकर अत्यधिक कठोर शब्दों में अध्यादेश जारी करते हुए शीतला देवी से कहा- ’आप तीनों देवियाँ अपनी-अपनी देव-पदवी का दुरुपयोग तब ही तो करेंगी जब आपके पास देव-पदवी रहेगी। तत्काल प्रभाव से आप तीनों देवियों को तीन साल के लिए देवलोक से बर्खास्त किया जाता है। निकल जाइए देवलोक से बाहर। तीन साल के लिए अब आप देवियों को कोई देव-वाहन भी नहीं दिया जाएगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:55 PM
शीतला देवी के साथ अन्य दोनों देवियाँ ’देवराज इन्द्र मुर्दाबाद’ का नारा लगाते हुए इन्द्र दरबार के बीचों बीच बैठकर हड़ताल करने लगीं। शीतला देवी की दयनीय दशा देखकर गधे ने रोते हुए देवराज इन्द्र से कहा- ‘इस बार शीतला देवी को छोड़ दिया जाए।’ किन्तु देवराज इन्द्र ने गधे की एक न सुनी। देवराज इन्द्र का इशारा मिलते ही देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने तीनों देवियों को बेदर्दी के साथ घसीटकर इन्द्र दरबार से बाहर निकाल दिया। शीतला देवी के हाथ से पदवी जाते ही 8 मई, 1980 को तैंतीसवें वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली में स्माल पाॅक्स को आधिकारिक रूप से उन्मूलित घोषित कर दिया गया और 1 मार्च, 1982 से डब्ल्यू॰एच॰ओ॰ के 158 सदस्य देशों में से 150 देशों ने अपने देश में चल रहे स्माल पाॅक्स टीकाकरण कार्यक्रम को बन्द कर दिया। देवराज इन्द्र ने सभी देवी-देवताओं से एक सफल नेता की तरह बात बनाते हुए चिन्तित स्वर में कहा- ’सभी देवी-देवता कृपया शान्त हो जाइए। सच्चाई जानने के लिए यह सब मेरा एक नाटक था। गधा ठीक कहता है। भ्रष्टाचार की जड़ें हर जगह फैली हुई हैं। आज मैंने अपनी आँखों से देख लिया- ये मीडिया वाले और हमारे देवी-देवता कितना भ्रष्ट हैं। यह बात अत्यधिक चिन्ता का विषय है। क्या इसका कोई उपाय नहीं?’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:56 PM
गधे ने सलाह दिया- ’इसका उपाय है, भगवन्। देवताओं पर निगरानी करने के लिए देवपाल बनना चाहिए।’

देवराज इन्द्र ने घबड़ाकर कहा- ’छोटी-छोटी बातों के लिए देवपाल लाने की क्या ज़रूरत है? देवलोक का खर्चा बढ़ेगा। अभी हमारे पास इतना फण्ड नहीं है जो हम देवपाल बना सकें।’ कहते हुए देवराज इन्द्र मन ही मन सोच रहे थे कि यदि देवपाल बन गया तो उन्होंने अपने वाहन ऐरावत हाथी के लिए गन्ना खरीदने में जो भ्रष्टाचार किया है उसकी पोल-पट्टी खुल जाएगी।

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:57 PM
यह सुनकर गधे ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया- ’तो ठीक है, भगवन्। जब तक देवपाल न बने, मुझे देव-वाहन के कार्यभार से मुक्त कर दिया जाए।’

इन्द्र ने भी दो टूक शब्दों में जवाब दे दिया- ’यह सम्भव नहीं, गधे।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:57 PM
गधा भी पीछे हटने वाला नहीं था, बोला- ’ठीक है। तो फिर मैं जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड में आपके खिलाफ़ शिकायत कर दूँगा। जानवरों पर अत्याचार करते हैं आप लोग। पी॰सी॰ए॰ एक्ट में कार्यवाही हो जाएगी आप लोगों के खिलाफ़।’

इन्द्र ने घबड़ाकर हथियार डालते हुए कहा- ’अब इतना नाराज़ होने की क्या ज़रूरत है, गधे? कोई और रास्ता निकालो।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:58 PM
गधे ने सोचते हुए जवाब दिया- ’तो फिर मुझे किसी देवी-देवता का स्वतंत्र-प्रभार इन्डिपेन्डन्ट चार्ज वाहन बनाया जाए। अब मुझे देवियों का शेयर्ड वाहन नहीं बनना। गधे को इन्साफ़ चाहिए.. और वह भी आज की तारीख में! अब मैं और अधिक अन्याय बर्दाश्त नहीं करूँगा।’

देवराज इन्द्र ने पास खड़ी लक्ष्मी से पूछा- ’क्या आप उल्लू के बदले गधा को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हैं?’

Rajat Vynar
27-02-2015, 02:59 PM
लक्ष्मी ने बड़े प्यार से अपने वाहन उल्लू पर हाथ फेरते हुए कहा- ’मेरा प्यारा-प्यारा उल्लू। मेरा दुलारा उल्लू। मेरी आँखों का तारा उल्लू। मैं न दूँगी अपने उल्लू को.. और फिर उल्लू मेरा वाहन ही नहीं, धनवानों की बेवकूफ़ी का प्रतीक भी है। क्योंकि जिसके पास धन होता है वह धन के मोह में पड़कर मूर्ख हो जाता है और उसके सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है।’

देवराज इन्द्र ने लक्ष्मी को प्रेम से समझाते हुए कहा- ’मूर्खता में गधा भी उल्लू से कम नहीं। बेवकूफी में उल्लू और गधा दोनों बराबर माने जाते हैं। एक-दूसरे के समकक्ष माने जाते हैं। अब आप किसी को उल्लू कहिए या गधा। क्या फ़र्क पड़ता है? मतलब बेवकूफ ही होता है।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:00 PM
लक्ष्मी ने भड़ककर कहा- ’मेरा प्यारा वाहन उल्लू गधे के समकक्ष हो ही नहीं सकता, क्योंकि मेरा वाहन उल्लू उतना बेवकूफ नहीं है जितना लोग समझते हैं। गधे से इसकी ज़्यादा इज्ज़त है। दुनियाँ की लगभग सभी भाषाओं में गधा का मतलब मूर्ख ही होता है किन्तु हिन्दी को छोड़कर दुनियाँ की किसी भाषा में उल्लू का मतलब मूर्ख नहीं होता। इसलिए मेरे वाहन उल्लू की तुलना गधे से किसी हालत में नहीं की जा सकती। मैं न दूँगी अपने प्यारे वाहन उल्लू को!’

लक्ष्मी से बात न बनती देखकर देवराज इन्द्र ने यमराज की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए पूछा- ’क्या आप अपने वाहन भैंसा के बदले गधा को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हैं?’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:00 PM
यमराज ने बड़े प्यार से अपने वाहन भैंसे पर हाथ फेरते हुए कहा- ’सवाल ही नहीं उठता। प्राण हरने के लिए जब मैं भैंसे पर सवार होकर धरतीलोक जाता हूँ तो मेरा भयानक गेटअप देखते ही बनता है। यमराज का डरावना भौकाल मेन्टेन होता है। भैंसे पर सवार मेरा रुद्र रूप देखते ही लोग डरकर अपना प्राण त्याग देते हैं। भैंसे की जगह गधे पर चलूँगा तो जो मरने वाला होगा वह भी हँसते-हँसते जि़न्दा होकर बैठ जाएगा। मैं न दूँगा अपने प्यारे वाहन भैंसे को।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:01 PM
अब देवराज इन्द्र ने कामदेव की ओर देखा कि शायद काम बन जाए किन्तु कामदेव की पत्नी रति ने कामदेव को आँख दिखाकर मना कर दिया। रति के इशारे को समझकर कामदेव ने अपना वाहन तोता छोड़ने से इन्कार कर दिया। रति भी अपना वाहन कबूतर छोड़ने के लिए तैयार न हुईं। जब भगवान विष्णु से पूछा गया तो उन्होंने साफ कह दिया- ’लक्ष्मी से पूछ लीजिए। अगर लक्ष्मी हाँ कह दे तो मैं अभी अपने वाहन गरुड़ के बदले गधा ले लूँगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:02 PM
लक्ष्मी ने इन्कार में अपना सिर हिलाते हुए कहा- ’क्षीरसागर में हमारा घर होने के कारण गधा सागर में कहाँ तक तैरेगा? हमारे लिए गरुड़ ही ठीक रहेगा।’

जब शिव जी के पुत्र गणेश से पूछा गया तो उन्होंने भी अपने वाहन चूहे के बदले गधा लेने से इन्कार करते हुए कहा- ’माफ़ कीजिए। मुझे लाइट वीहिकल चूहा से चलने की आदत है। अचानक हैवी वीहिकल गधा कैसे ड्राइव करूँगा? गधा बहुत बड़ा वाहन है। गधा लेने में रिस्क है। सभी जानते हैं- मुझे लड्डू का भोग लगता है। गधे का पेट बड़ा होने के कारण चढ़ावे का सारा लड्डू गधा गधे की तरह खुद चट कर गया तो क्या होगा? मैं तो भूखा मर जाऊँगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:03 PM
देवराज इन्द्र का जन्मदिन होने के कारण सभी देवी-देवता पधारे हुए थे। किसी से भी बात न बनती देखकर देवराज इन्द्र ने सभी देवी-देवताओं को एक सर्कुलर जारी करवाया कि यदि कोई देवी या देवता गधे को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करना चाहता है तो तुरन्त आकर अपनी स्वीकृत प्रदान करे। किन्तु कोई भी देवी या देवता गधे को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करने के लिए आगे नहीं आया। यह देखकर देवराज इन्द्र ने अध्यादेश जारी करते हुए गधे से कहा- ’गधे, आज से तुम्हें देव-वाहन विदाउट पोर्टफ़ोलियो घोषित किया जाता है। जब भी कोई देवी या देवता वाहन की माँग करेगा, तुम्हें उसके साथ अटैच कर दिया जाएगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:04 PM
यह सुनकर गधा प्रसन्नतापूर्वक जाने लगा तो देवराज इन्द्र ने कहा- ’ऐसे कहाँ जा रहे हो, गधे? आज मेरा जन्मदिन है। जन्मदिन का महाभोज खाकर जाओ।’

यह सुनकर गधा देव-वाहन दीर्घा में जाकर दूसरे जानवरों के साथ बैठ गया। गधे की समस्या का निदान होते ही रम्भा, मेनका, ऊर्वशी और तिलोत्तमा ने अन्य अप्सराओं के साथ नृत्य करना आरम्भ कर दिया। उसी समय ’नारायण-नारायण’ की आवाज़ के साथ नारद ने देवराज इन्द्र के दरबार में प्रवेश किया और देवराज इन्द्र को बहुत बड़ा सा गिफ्ट पार्सल देते हुए कहा- ’जन्मदिन मुबारक हो, देवराज इन्द्र।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:05 PM
देवराज इन्द्र ने नारद से गिफ्ट पार्सल लेकर धन्यवाद देते हुए पूछा- ’आज आपकी वीणा नहीं दिखाई दे रही, नारद मुनि? जन्मदिन पर आने की खुशी में घर पर भूल आए क्या?’

नारद ने कहा- ’देवलोक के लिए स्पाइ का काम करता हूँ। तीन साल से सेलरी नहीं मिली। आजकल शार्ट आॅफ़ फ़ण्ड में चल रहा हूँ। गिफ्ट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए अपनी वीणा को गिफ्ट पार्सल में पैक करवा दिया। आपके जन्मदिन पर खाली हाथ आते अच्छा नहीं लग रहा था। सेलरी मिल जाएगी तो नई वीणा ले लूँगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:06 PM
नारद को देखकर भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर पूछा- ’आप कहाँ गायब रहते हैं, नारद? पहले आपके दर्शन रोज़ होते थे। फिर आपने हफ्ते में दो बार आना शुरू किया। उसके बाद आप हफ्ते में एक बार आने लगे। फिर आप महीने में दो बार आने लगे। उसके बाद आप महीने में एक बार आने लगे। धीरे-धीरे करके आप दो महीने में एक बार आने लगे। फिर तीन महीने में एक बार आने लगे। उसके बाद आप छः महीने में एक बार आने लगे। फिर आप एक साल में एक बार आने लगे। अब तो आप लगता है- कई साल बाद पधारे हैं.. और वह भी देवराज इन्द्र के जन्मदिन पर। कहीं आप किसी लोक में किसी कन्या से इश्क-विश्क तो नहीं लड़ाने लगे?’

नारद ने ठण्डी साँस भरकर कहा- ’मेरे भाग्य में इश्क कहाँ, भगवन्? जब से आपने मोहिनी रूप धरकर मुझे अप्रैल-फू़ल बनाया, मेरी इश्क लड़ाने की इच्छा ही मर गई।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:07 PM
भगवान विष्णु ने आश्चर्यपूर्वक पूछा- ’फिर कहाँ गायब रहते हैं आप? आपके न आने के कारण तीनों लोकों की कोई आॅथेन्टिक न्यूज़ ही नहीं मिल पाती। देवलोक के अख़बार देव-न्यूज़ में छपे समाचार का कोई भरोसा नहीं। बड़ा उल्टा-सीधा सच्चा-झूठा समाचार नमक-मिर्च लगाकर छपता है। सही समाचार पाने के लिए मैं बड़ा बेचैन रहता हूँ, नारद।’

नारद ने कहा- ’भगवन्, पहले मैं जवान था। इसलिए तीनों लोकों का चक्कर जल्दी-जल्दी लगा लेता था। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई, तीनों लोकों का चक्कर लगाने में थक जाता हूँ। पैदल चलता हूँ। इसलिए जगह-जगह रुक-रुक कर विश्राम करने लगता हूँ। मेरे पास कोई वाहन भी नहीं जिससे मैं आराम के साथ तीनों लोकों का चक्कर लगा सकूँ।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:08 PM
देवराज इन्द्र ने नारद को घूर कर देखते हुए कहा- ’झूठ न बोलिए, नारद। आपके नाम से देवलोक के रिकार्ड में धेंकी का एलाॅटमेण्ट आपके वाहन के रूप में हुआ है।’

नारद ने हँसते हुए कहा- ’धेंकी! वो पैर से चलने वाला धान कूटने का मूसल? कब तक चलेगा आपका लकड़ी का धेंकी? दीमक लगकर खराब हो गया। देवलोक के स्टोर-रूम में जमा किए करोड़ों साल हो गया। आज तक उसके बदले नया धेंकी नहीं मिला। जब पूछो- एक ही जवाब मिलता है- धेंकी आउट आॅफ़ स्टाॅक है! अब आने की कोई उम्मीद नहीं। देवलोक की फ़ैक्ट्री ने धेंकी बनाना बन्द कर दिया है। इसलिए कृपा करके मुझे निर्जीव धेंकी के स्थान पर कोई दूसरा सजीव वाहन दिया जाए। जैसे दूसरे देवी-देवताओं को मिला हुआ है। बड़ी कृपा होगी।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:09 PM
तभी देवराज इन्द्र को याद आया कि गधा विदाउट पोर्टफ़ोलियो देव-वाहन बना घूम रहा है। देवराज इन्द्र ने मुस्कुराते हुए भगवान् विष्णु को इशारा किया। वह खुद नारद मुनि का मुँह नहीं लगना चाहते थे। भगवान विष्णु ने देवराज इन्द्र का इशारा समझकर मुस्कुराते हुए नारद से कहा- ’नारद जी, आजकल गधा विदाउट पोर्टफ़ोलियो देव-वाहन बना खाली घूम रहा है। आप गधे को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करें।’

गधे का नाम सुनकर नारद ने भड़ककर कहा- ’भगवन्, क्या मैं आपको गधा लगता हूँ जो मैं एक गधे को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करूँ?’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:11 PM
भगवान् विष्णु ने मुस्कुराते हुए कहा- ’नारद, आप मुझे गधे लगते नहीं, आप वास्तव में गधे हैं। अगर आप गधे न होते तो क्या आप मुझे मोहिनी रूप में पहचान न लेते?’

नारद ने मुँह बनाकर कहा- ’भगवन्, मैं गधा हूँ तो इसका मतलब यह नहीं कि आप मुझे यह बात बार-बार याद दिलाएँ कि मैं गधा हूँ। देवर्षि होने के कारण गधे पर बैठकर चलूँगा तो धरतीलोक में बड़े लोग हँसेंगे। छोटे बच्चे कंकड़-पत्थर मारेंगे। बड़ी बेइज्ज़ती होगी। सारी बनी-बनाई इज्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी। मैं एक अपमानसूचक गधे को अपना वाहन कैसे बना सकता हूँ? मैं देवलोक का लीजेण्ड हूँ। गधे जैसे अपमानसूचक वाहन से चलना मेरे स्टैटस के खिलाफ़ है। गधे की सवारी करने पर मुझे बहुत बुरा फ़ील होगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:12 PM
नारद की बात सुनकर गधे ने भड़ककर कहा- ’नारद अपना शब्द वापस लें। नारद कितने बड़े लीजेण्ड हैं यह सबको पता है। भगवान विष्णु ने बन्दर का रूप देकर नारद को मूर्ख नहीं, महामूर्ख बनाया। देवलोक के लीजेण्ड देवी-देवताओं में नारद सबसे छोटे लीजेण्ड हैं। नारद जैसे सबसे छोटे लीजेण्ड का वाहन बनना मेरे स्टैटस के खिलाफ़ है। नारद को लादकर चलने में मुझे बहुत बुरा फ़ील होगा। यही नहीं, अगर नारद मुझे अपना वाहन बनाने के लिए किसी तरह तैयार भी हो जाएं तो भी मैं किसी हालत में नारद का वाहन बनने के लिए तैयार नहीं। नारद ने देव-वाहन का अपमान किया है।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:12 PM
नारद ने क्रोधपूर्वक गधे से कहा- ’मैं अपना शब्द वापस नहीं लूँगा। तू दिन में सपना तो नहीं देख रहा, गधा? मुझे पैदल चलना मंज़ूर है, लेकिन किसी हालत में एक गधे को अपना वाहन नहीं बनाऊँगा। पहले धेंकी, अब डंकी? नो.. ऐसा कभी नहीं होगा! अपमान.. घोर अपमान। मेरा तो श्राप देने का मन कर रहा है।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:14 PM
श्राप की बात सुनकर भगवान् विष्णु ने घबड़ाकर कहा- ’नारद जी, कृपया ठण्डे दिमाग से सोचिए। पैदल चलने से अच्छा है- आप गधे पर चलिए।'

नारद ने क्रोधपूर्वक कहा- ’भगवन्, क्या सोचूँ ठण्डे दिमाग़ से? गधा अच्छा और शरीफ़ जानवर नहीं है।’

भगवान् विष्णु ने आश्चर्यपूर्वक कहा- ’क्या कहते हैं आप, नारद मुनि? गधे से अच्छा और शरीफ़ जानवर कोई नहीं। बेचारे गधे के पास तो सींग तक नहीं!’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:15 PM
नारद ने कहा- ’गधे के पास सींग नहीं तो क्या हुआ? पीछे के दो पैर तो हैं। भगवन्, आप मेरा ब्रेन-वाश करने की कोशिश न कीजिए। गधे के बारे में जब-तब बहुत शिकायतें मिला करती हैं। गधा जब देखो दुलत्ती मार देता है। इसलिए गधा देव-वाहनों में सबसे अधिक खतरनाक है। मुझे नहीं खानी गधे की दुंलत्ती।’

भगवान् विष्णु ने नारद की शंका को दूर करते हुए कहा- ’नारद मुनि, यह आपका भ्रम है। गधा खतरनाक जानवर बिल्कुल नहीं है। यह आपसे किसने कह दिया- गधा जब-तब हर किसी को बिना कारण दुलत्ती मारता रहता है? जिन लोगों ने आपसे गधे की शिकायत की, क्या उन लोगों ने आपसे बताया कि उन्होंने गधे के साथ क्या हरकत की थी? गधे को बोना फ़ाइड गधा और सीधा-सादा जानवर समझकर जब कोई गधे को बहुत परेशान करता है और पानी गधे के सिर से गुज़रने लगता है तब कहीं जाकर गधा दुलत्ती मारता है। गधा आपका अपना वाहन रहेगा तो वह आपको दुलत्ती क्यों मारेगा? और फिर आपको गधे से इतना भयभीत होने की कोई ज़रूरत नहीं है। आप हथियार की तरह भारी-भरकम वीणा हमेशा साथ रखते है। गधा ज़रा भी बदमाशी करे तो वीणा से गधे को जमकर पीट दीजिएगा। गधे का दिमाग़ ठिकाने आ जाएगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:16 PM
नारद ने मुँह बनाकर कहा- ’नहीं, भगवन्, नहीं चाहिए मुझे गधा। मेरा दिल गधे से नहीं भरता। मुझे गधे की लाइफ़स्टाइल बिल्कुल पसन्द नहीं है। जब देखो गधा धूल में लोटता रहता है!’

भगवान् विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’नारद मुनि, मैं आपकी बात से सहमत हूँ- गधा जहाँ पाता है वहाँ धूल में लोटने लगता है। मगर आपको इससे क्या? जब गधा आपका अपना वाहन बन जाएगा तो आप गधे को रोज़ नहला-धुलाकर ऊपर से एक बोतल सेंट छिड़क दीजिएगा। गधा चारों ओर से महकने लगेगा। अच्छी खुशबू करने लगेगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:17 PM
नारद ने कुछ विचार करते हुए कहा- ’बात तो आपकी ठीक लगती है, भगवन्.. मगर देवर्षि होने के कारण मुझे गधे की सवारी करने में बड़ी शर्म महसूस होती है। प्रेस्टिज-प्राॅब्लम है। सुपिरिआॅरिटी काॅम्प्लेक्स है। और फिर इसमें आपकी कोई चाल तो नहीं?’

भगवान् विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’इसमें कोई चाल नहीं, नारद मुनि। मैं तो आपके भले के लिए कह रहा हूँ। कुछ नहीं से गधा भला। सुपिरिआॅरिटी काॅम्प्लेक्स और प्रेस्टिज प्राॅब्लम की बात सोचेंगे तो कब तक पैदल चलेंगे? पैदल चल-चल कर थक जाएँगे आप। गधे से चलेंगे तो आपको बिल्कुल थकावट महसूस नहीं होगी। और फिर जैसे ही कोई अच्छा वाहन खाली हुआ, आपके नाम तुरन्त अलाॅट कर दिया जाएगा। आप बिल्कुल चिन्ता न करिए, नारद मुनि। मैं आपकी प्राॅब्लम समझ गया। वास्तव में गधा गधे की तरह दिखने के कारण ही आप उस पर चलने में अपना अपमान महसूस कर रहे हैं और शर्मा रहे हैं। मैं गधे को रंग-बिरंगे और चमकीले रंग से इस तरह रंग दूँगा कि गधा गधा नहीं, जि़राफ़ का छोटा भाई लगेगा। लोग आश्चर्य से देखेंगे कि नारद मुनि किसी अद्भुत वाहन पर चल रहे हैं। इससे आपकी इज्ज़त और बढ़ेगी। क्योंकि ऐसा विचित्र वाहन देवलोक में किसी देवी या देवता के पास नहीं होगा। समझदारी इसी में है, नारद- किसी से यह न बताया जाए- आप एक गधे की सवारी कर रहे हैं।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:18 PM
नारद ने विचार करते हुए कहा- ’बात तो आपकी ठीक लगती है, भगवन्। मगर इस नए रंग-बिरंगे और चमकीले वाहन का नाम क्या होगा?’

विष्णु ने मुस्कुराते हुए गधे को नया नाम देते हुए कहा- ’अब गधे का नया नाम गर्दभ होगा। कैसा लगा आपको गधे का नया माॅडर्न नाम?’

नारद ने दाँत निकालते हुए कहा- ’बड़ा सुन्दर नाम है, भगवन्!’

गधे ने नारद और विष्णु के वार्तालाप के बीच में कूदते हुए कहा- ’मैं किसी भी हालत में नारद का वाहन नहीं बनूँगा। नारद ने मेरा अपमान किया है। नारद को मुझसे माफ़ी माँगनी होगी। तब जाकर मैं नारद का वाहन बनूँगा।’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:19 PM
भगवान् विष्णु ने गधे को बहुत समझाया किन्तु गधा अपनी जि़द पर अड़ा रहा। विष्णु ने नारद से कहा- ’चलिए, नारद जी.. आप ही गधे से माफ़ी माँग लीजिए। नहीं, वाहन हाथ से निकल जाएगा।’

नारद ने भड़ककर कहा- ’मैं एक गधे से कभी माफ़ी नहीं माँगूगा। यह मेरा अपमान है।’

भगवान विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’नारद जी, मौके की नज़ाकत को समझिए। बड़ी मुश्किल से हाथ आया गधा अगर हाथ से निकल गया तो फिर पकड़ में नहीं आएगा। लोग मज़बूरी में गधे को भी बाप बनाते हैं। मैं आपसे गधे को बाप बनाने के लिए नहीं कह रहा हूँ, सिर्फ़ वाहन बनाने के लिए कह रहा हूँ। पकड़ लीजिए गधे का पैर।’

नारद अपनी जि़द पर अड़े रहे। गधा भी बिना माफ़ी माँगे नारद का वाहन बनने के लिए तैयार न हुआ।

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:20 PM
अन्त में भगवान विष्णु ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा- ’ठीक है, नारद। तुम कुछ महीनों तक गधे को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करो। और गधे, तुम भी नारद के वाहन के रूप में नारद के साथ रहो। हो सकता है कि इन कुछ महीनों में तुम दोनों एक-दूसरे को इतना पसन्द करने लगो कि नारद को माफ़ी माँगने की ज़रूरत ही न पड़े। जब तक तुम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती न हो जाए, देव-वाहन के रिकार्ड में नारद मुनि के नाम के साथ उनके वाहन के रूप में गधा का नाम नहीं चढ़ाया जाएगा।’

भगवान् विष्णु की युक्ति नारद और गधा- दोनों को पसन्द आ गई। नारद ने पूछा- ’मेरे और गधे के बीच के इस नए वाहन एग्रीमेण्ट का नाम क्या होगा, भगवन्?’

विष्णु ने मुस्कुराते हुए कहा- ’इस नए वाहन एग्रीमेण्ट का नाम ’लिव-इन-गदहाशिप’ होगा!’

Rajat Vynar
27-02-2015, 03:21 PM
देव-वाहन एग्रीमेण्ट का नया नाम सुनकर नारद प्रसन्न हो गए। भगवान विष्णु ने गधे को रंग-बिरंगे और चमकीले रंग से रंगकर एक अद्भुत वाहन बना दिया। नारद खुशी-खुशी गधे की सवारी करने लगे। भगवान विष्णु नारद के साथ शरारत न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता। एक दिन नारद जब धरतीलोक पर गधे की सवारी कर रहे थे तो अचानक ज़ोर से पानी बरसने लगा। ज़ोरदार बारिश में गधे का रंग पानी में घुलकर बह गया और गधा गधा लगने लगा। नारद समझ गए कि भगवान विष्णु अपनी आदत से बाज नहीं आए और उन्होंने एक बार फिर उनके साथ शरारत करके भद्दा मज़ाक किया। इसीलिए गधे को पक्के रंग से न रंग कर वाटर कलर से रंग दिया। तब से आज तक नारद श्राप देने के लिए भगवान विष्णु को ढूँढ रहे हैं किन्तु विष्णु डरकर क्षीरसागर से बाहर ही नहीं निकलते। गधे से अच्छी दोस्ती हो जाने के कारण नारद आज भी गधे की ही सवारी कर रहे हैं, किन्तु देवलोक के रिकार्ड में पंजीकृत न होने के कारण आज तक किसी को यह नहीं पता कि नारद का वाहन गधा है! (समाप्त)