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View Full Version : क्या क्रिकेट ही सब कुछ है?


jitendragarg
05-12-2010, 06:39 AM
या आप क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों में भी रूचि रखते है? क्या फुटबाल, टेनिस, फ़ॉर्मूला १, जैसे खेल कभी भारत में अपनी सही पहचान बना पाएंगे? और ऐसे ही सारे विषयों पर आपकी क्या राय है?

अगर आप भी उन लोगों में से है, जो इन सवालों को सुन सुन कर पक गए हा, और क्रिकेट के नाम से ही नफरत करने लगे है, तो आप बिलकुल सही सूत्र में है! अपने विचारों को रखने के लिए, बाकी खेलों के बारे में बात करने के लिए, हम चुनिन्दा लोग यहाँ आ सकते है! आखिर क्रिकेट के अलावा भी दुनिया में कई खेल है! तो इंतज़ार क्यूँ, क्रिकेट की या क्रिकेट प्लेयर्स की जितनी बुराइयां करनी है, दिल खोल के करिए!

gulluu
05-12-2010, 08:12 AM
क्रिकेट को में ऐसा खेल मानता हूं जिसमे केवल बेट्समेन बनकर खेलने में ही मजा आता है ,पूरा खेल लगभग बेट्समेन द्वारा बनाये गए रनों पर ज्यादा केंद्रित रहता है .लेकिन ये मजा पाने के लिए घंटो फिल्डिंग करनी पड़ती है और कई बार तो कुछ मिनटों में ही पारी समाप्त हो जाती है आपकी और फिर घंटो की मेहनत और लंबा इन्तजार .
क्या बकवास खेल है .
मेरे हिसाब से इस खेल को जुआरियों और सट्टेबाजों ने ज्यादा लोकप्रिय बना दिया है क्योंकि इससे उनको पूरा पूरा दिन सट्टा लगाने के भरपूर मौके मिलते हैं .

pooja 1990
05-12-2010, 08:31 AM
kash avf me ye sutra hota or me niyamak hoti.to kachre ke dibbe me ise dal deti .e sare game acche hai.india me cricket ki diwangi itni hai ki log match dekne ke liye kuch b karte hai. kisi game ki burai nahi honi chahiye. gullu ji aapse ye ummeed nahi thi.

gulluu
05-12-2010, 08:50 AM
मेरी जानकारी के हिसाब से अभी तक क्रिकेट केवल वही देश खेलते थे जो कभी अंग्रेजो के गुलाम थे और ये खेल हमको हमारी मानसिक गुलामी से परिचित करवाता है .बड़े बड़े देश ,जैसे अमेरिका ,रूस,चीन ,जापान ,जर्मनी आदि में क्रिकेट के खेल की और खिलाडियों की कोई वेल्यु नहीं है .

gulluu
05-12-2010, 08:54 AM
kash avf me ye sutra hota or me niyamak hoti.to kachre ke dibbe me ise dal deti .e sare game acche hai.india me cricket ki diwangi itni hai ki log match dekne ke liye kuch b karte hai. kisi game ki burai nahi honi chahiye. gullu ji aapse ye ummeed nahi thi.
पूजा जी ,ये सूत्र केवल क्रिकेट की बुराई के लिए बनाया गया है .कृपया क्रिकेट की तारीफ के लिए अलग से सूत्र बनाये ,यहाँ पर क्रिकेट की तारीफ करके हमारा और सूत्रधार का मजा खराब ना करें.
:bang-head:

ndhebar
05-12-2010, 09:11 AM
कहते है पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं

खेल क्षेत्र में
भारतियों के लिए क्रिकेट भी कुछ ऐसी ही हैसियत रखता है
अपवाद हर जगह होते हैं, इस देश में क्रिकेट को नापसंद करने वाले भी अपवाद ही हैं

ndhebar
05-12-2010, 09:17 AM
पूजा जी ,ये सूत्र केवल क्रिकेट की बुराई के लिए बनाया गया है .कृपया क्रिकेट की तारीफ के लिए अलग से सूत्र बनाये ,यहाँ पर क्रिकेट की तारीफ करके हमारा और सूत्रधार का मजा खराब ना करें.
:bang-head:

गुल्लू भाई सिमित चर्चा के लिए pm है
जब सूत्र सार्वजनिक है तो चर्चा में हर तरह के लोग हिस्सा ले सकते हैं, बस चर्चा स्वस्थ होनी चाहिए
आप किसी को रोक नहीं सकते

abhisays
05-12-2010, 09:28 AM
Critique of a post is welcome but it should not be an outlandish blasting of the author. Critique should always be directed towards the post and not the author.

Thanks
Abhishek

amit_tiwari
05-12-2010, 09:31 AM
Cricket is the only game where player can put on weight while playing !!!

ये ताना अमेरिकी बेसबाल प्लेयर का है |
काफी हद तक सही है |

थोड़े उदाहरण : विश्वनाथन आनंद ; शतरंज के १० से भी अधिक सालों से बादशाह | पेप्सी, कोक आदि का विज्ञापन करने से मना कर दिया | पर होर्लिक्स के विज्ञापन करते रहे, कारण कि होर्लिक्स बच्चो के लिए लाभदायक है और कोल्ड ड्रिंक से कोई लाभ नहीं होता |

अभिनव बिंद्रा ; बीजिंग ओलम्पिक शूटिंग चैम्पियन जहां खुली प्रतियोगिता में अव्वल आये; पेप्सी कोला आदि के विज्ञापन नहीं लिए, कारण की उसे बच्चों के लिए सही नहीं मानते |

सुशील सिंह; कुश्ती में जो हैसयत दारा सिंह और गामा पहलवान नहीं बना पाए वो तीस से कम कि आयु में बना लिया | बीजिंग ओलम्पिक के बाद विज्ञापन करने से मना कर दिया क्यूंकि इससे विश्व चैम्पियनशिप की तैयारी में असर पड़ता था | हाँ जीतने के बाद दिल्ली के नागरिकों ने जो एक भैंस और घी दिया उसे बड़े प्रेम से ले गए |


अब माटी के लाल क्रिकेट के सितारे; सचिन ; डिटर्जेंट पाउडर धोनी; नाम ही बेच दिया तो अब कंपनी चाहे झाड़ू का प्रचार करवा ले, ये खींस निपोर के करेंगे | बाकी भी सीमेंट, सरिया, बाईक झंडू बाम बेंच के पैसा बना रहे हैं |
जबकि जीते क्या? कभी श्रीलंका को हरा दिया कभी कुछ और ! दो दर्जन देशों की प्रतियोगिता में जीते भी तो वो भी एक बार १९८३-८४ में कभी |

अब भी कुछ कहने को बाकी रह गया है ??

Kalyan Das
05-12-2010, 12:55 PM
kash avf me ye sutra hota or me niyamak hoti.to kachre ke dibbe me ise dal deti .

हा हा हा हा

ABHAY
06-12-2010, 12:50 PM
हाहा आह अहह हः अहा आहा अ मजा आ गया क्रिकेट आजकल बच्चो की जिन्दजी बर्बाद कर रहा है क्रिकेट जब सुरु होता है सबके सब देखने लगते है चलो भाई आप क्रिकेट के प्रेमी हो तो देख रहे हो कोई बात नहीं मगर क्रिकेट तो देखा अब उसी चीज को पेपर में देखो उसी चीज को न्यूज में सुनो हाईलाइट देखो पता नहीं क्रिकेट समाप्त होने के बाद उससे जूरी जितनी भी न्यूज आती हैं सब देखते है भाई एक क्रिकेट देखने से मन नहीं भरता हैं क्या जो इतने सारे चीज देखेते हो कभी गुली डटा का मैच की भी बात करो भाई !

munneraja
06-12-2010, 05:46 PM
kash avf me ye sutra hota or me niyamak hoti.to kachre ke dibbe me ise dal deti .e sare game acche hai.india me cricket ki diwangi itni hai ki log match dekne ke liye kuch b karte hai. Kisi game ki burai nahi honi chahiye. Gullu ji aapse ye ummeed nahi thi.
पूजा जी
किसी भी नियामक को भावनाओं के साथ नहीं वास्तविकता के साथ चलना चाहिए.
कोई जरूरी नहीं कि जिसे हम पसंद करते हों उसे सभी के लिए थोपा जाये...

jitendragarg
06-12-2010, 11:45 PM
जिस किसी को भी ये सूत्र पसंद नहीं उसे इस सूत्र से दूर रहने का पूरा हक है. अगर आप को पसंद नहीं तो आप को यहाँ इस सूत्र में पोस्ट करने के लिए किसी ने जबरदस्ती नहीं की है! इसलिए कृपया किसी भी व्यक्ति की बुराई करने से पहले एक बार सोचिये.

ABHAY
07-12-2010, 03:38 PM
जिस किसी को भी ये सूत्र पसंद नहीं उसे इस सूत्र से दूर रहने का पूरा हक है. अगर आप को पसंद नहीं तो आप को यहाँ इस सूत्र में पोस्ट करने के लिए किसी ने जबरदस्ती नहीं की है! इसलिए कृपया किसी भी व्यक्ति की बुराई करने से पहले एक बार सोचिये.

:iagree: बिलकुल ठीक

kuram
09-12-2010, 03:05 PM
मैंने क्रिकेट देखना उस दिन बंद कर दिया था जब अफ्रिका के महान खिलाड़ी हैन्सी क्रोंजे ने प्रायश्चित के तौर पे फिक्सिंग को स्वीकार किया था. क्रिकेट भारत और पाकिस्तान के लिए दीवानगी है एक नशा है जब क्रिकेट के मैच चलते है तो दफ्तर में काम आधा हो जाता है लोग दीन दुनिया से बेखबर होकर टीवी के आगे चिपक जाते है. बहुत से लोगो को अपने बाप के बाप का नाम पता नहीं होता लेकिन क्रिकेटर की तीन पीढ़ी को जानते है. इसी दीवानगी और पागलपन का फ़ायदा उठाकर कुछ चालबाज लोगो ने आई.पी.एल का शगूफा चालु किया और धनकुबेर बन गए. और बड़े बड़े उधोगपतियो के लिए क्रिकेट एक कमाऊ धंधा बन गया है. अगर गहराई से जांच की जाए तो फिक्सिंग के इतने पाप छुपे मिलेंगे की गिनना भारी हो जाएगा. मात्र दो चार मैच खेलने के बाद क्रिकेटर मालामाल हो जाता है लेकिन दुसरे खेलो में जीतने पर भी दो वक्त का लंच ही नसीब होता है.

jitendragarg
31-12-2010, 09:12 AM
सिर्फ क्रिकेट की बुराई के लिए नहीं, इस सूत्र को क्रिकेट के अलावा बाकी खेल के विषय में चर्चा के लिए भी बनाया गया था! पर लगता है, सब लोग इस सूत्र को देखने के बाद वापिस क्रिकेट की दुनिया में खो गए. जागो भाई लोग, और क्रिकेट को भूल कर बाकी खेलों के बारे में भी सोचो!

:cheers:

AZNABI
21-01-2011, 10:37 AM
cricket ab asli cricket nahi raha.
cricket ab ek multi national co. ban gaya hai.
sub sattaybazo ki pahli pasand cricket hi hai.

YUVRAJ
21-01-2011, 02:55 PM
:iagree:
:clap:...:clap:...:clap:...:bravo:गुल्लू भाई सिमित चर्चा के लिए pm है
जब सूत्र सार्वजनिक है तो चर्चा में हर तरह के लोग हिस्सा ले सकते हैं, बस चर्चा स्वस्थ होनी चाहिए
आप किसी को रोक नहीं सकते

sagar -
17-02-2011, 11:08 PM
सिर्फ क्रिकेट की बुराई के लिए नहीं, इस सूत्र को क्रिकेट के अलावा बाकी खेल के विषय में चर्चा के लिए भी बनाया गया था! पर लगता है, सब लोग इस सूत्र को देखने के बाद वापिस क्रिकेट की दुनिया में खो गए. जागो भाई लोग, और क्रिकेट को भूल कर बाकी खेलों के बारे में भी सोचो!

:cheers:
क्योकि क्रिकेट अपने देश में सबसे लोकप्रये गेम हे भाई