PDA

View Full Version : हैप्टिक की मोबाइल मैसेजिंग सेवा


rajnish manga
28-08-2015, 07:42 AM
हैप्टिक की मोबाइल मैसेजिंग सेवा

लगभग डेढ़ वर्ष पहले यानी 31 मार्च 2014 को आकृत वैश नामक साहसी उद्यमी ने मोबाइल से मैसेजिंग करने के लिये ‘हैप्टिक’ नाम के एक एप्लीकेशन लांच किया था और इतने छोटे समय में ही यह एप साइबर स्पेस में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। बीते वर्ष में 1 लाख से भी अधिक यूजर्स की संख्या को पारकर ‘हैप्टिक’ एंड्राएड के टाॅप 25 और आईओएस के टॉप 50 एप में शामिल रहा है।

आज के समय में मेसेजिंग का प्रयोग व्यापार के विस्तार के लिये बहुत किया जा रहा है और आकृत का लक्ष्य ‘हैप्टिक’ को इस श्रेणी में अव्वल बनाने की है। वर्तमान में अधिकतर लोग मोबाइल फोन का प्रयोग कर रहे हैं ओर आने वाले 10 सालों के समय में इसके यूजर्स की संख्या में काफी उछाल आने की संभावना है।

अकृत ने इसके बाद अपने अपने मित्र स्वप्न के साथ इस एप को तैयार करना शुरू किया और एक साल से भी कम के समय में वे ‘हैप्टिक’ को प्लेस्टोर पर लाने में सफल रहे। लाँच होने के साथ ही यह एप लोगों को बहुत पसंद आया और इतने समय में इन लोगों के साथ 80 से अधिक चैटिंग के विशेषज्ञ लोगों की सहायता के लिये काम कर रहे हैं।

मुंबई के एक व्यवसाई परिवार में जन्में अकृत 19 वर्ष की उम्र में शिकागो आगे की पढ़ाई के लिये गए तो प्रारंभिक कुछ समय उनके लिये बहुत चुनौतीपूर्ण रहा। कई बार उन्होंने सोचा कि मुंबई वापस आ कर अपने पिता के कपड़े के व्यापार के साथ जुड़ जायें लेकिन फिर उन्हें लगा कि उस काम में लग कर वे अपनी प्रतिभा के साथ अन्याय ही करेंगे।

rajnish manga
28-08-2015, 07:45 AM
अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बूते अकृत शिकागो में ही पढ़ाई में लगे रहे और जल्द ही उन्होंने खुद को परिवार से दूर ढाल लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मोटोरोला और डेलोइट में प्रशिक्षण लिया और अपना व्यवसायिक सफर शुरू किया।

2008-09 के वर्षों में एप स्टोर के लाँच के साथ ही मोबाइल फोन की क्रांति का दौर आया। उन दिनों फ्लरी में बड़े पैमाने पर भर्तियां हो रही थीं और कई प्रयासों के बाद भी अकृत वहां नौकरी पाने में असफल रहे। हर प्रयास विफल होने के बाद वे फ्लरी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे और वहां संबंधित अधिकारियों से मिले। ‘‘बाकी सब अब इतिहास है। बाद में मुझे बताया गया कि मेरी दृढता को देखते हुए कंपनी ने मुझे नौकरी दी।’’

जल्द ही अकृत के काम और लगन को देखते हुए फ्लरी के भारत में खुलने वाले दफ्तर की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई और वे मुंबई लौट आए। ‘‘उन दिनों फ्लिपकार्ट भारत में शुरू ही हुई थी और बहुत कम समय में वह काफी मशहूर हो गई थी। ऐसे में फ्लरी ने देखा कि भारत भविष्य का बाजार है और उन्होंने यहां पर विस्तार की जिम्मेदारी मुझे सौंपी।’’

भारत आने के बाद अकृत ने अपने तीन मित्रों के साथ मिलकर मोबाइल मैसेजिंग की दिशा में कुछ नया करने की ठानी। हालांकि यह तीनों मित्र उन दिनों अपनी-अपनी नौकरी भी कर रहे थे और खाली समय में एक मैसेजिंग एप भी तैयार कर रहे थे।

rajnish manga
28-08-2015, 07:49 AM
वर्ष 2013 में इनकी मेहनत सफल हुई और इन्होंने ‘बैटमैन’ के नाम से मोबाइल मैसेजिंग एप लाँच की। बाद में इसके वर्तमान नाम ‘हैप्टिक’ की कहानी भी कम रोचक नहीं है। ‘‘हम तीनों ने एक्सेल वर्कशीट पर 100-100 नाम सोचकर लिखे और आखिर में इस नाम पर हमारी सहमति बनी। ‘हैप्टिक’ मूलतः जर्मन शब्द ‘हैप्पिक’ से बना है जिसका मतलब ‘मूल मौखिक प्रतिक्रिया’ है।’’

अकृत कहते हैं कि ‘हैप्टिक’ के लाँच होने के बादउनकी जिंदगी बदल गई है और बीते वर्ष में उन्होंने बहुत तरक्की की है। ‘‘हमारी कंपनी में बाहर के लोगों ने निवेश किया और अब हम एक बड़े आॅफिस में आ गये हैं। हमारे एप की मदद से रोजाना हजारों की संख्या में ग्राहक संतुष्ट हो रहे हैं। यह सब बहुत सुखद है।’’

‘हैप्टिक’ को कोई भी स्मार्टफोन उपयोगकर्ता अपने फोन में डाउनलोड करके उसमें पहले से ही मौजूद कंपनियों को चुनकर मैसेज भेज सकता है। जैसे ही कंपनी के प्रतिनिधी को संदेश प्राप्त होता है वह उपयोगकर्ता को मैसेज के द्वारा ही उत्तर देता है और उसकी संतुष्टि तक यही क्रिया चलती रहती है।

‘‘हमने पाया कि बहुत से उपयोगकर्ताओं को कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं के बारे में इंटरनेट पर जानकारी खोजने में बहुत समय जाया करना पड़ता है। ‘हैप्टिक’ उपयोगकर्ताओं की इस तकलीफ को काफी हद तक खत्म करता है क्योंकि इसमें अधिकतर कंपनियों के बारे में पहले से ही सूचनाए उपलब्ध हैं और उपयोगकर्ता हमारी एप पर संबंधित कंपनी खोज सकता है जो उसका काफी समय बचाती है। शायद यही हमारी खूबी भी है।’’

लुकअप मैसेंजर, येलो मैसेंजर, लोकलोय और कई अन्य मैसेजिंग एप आने के बाद निश्चित ही इस क्षेत्र में मुकाबला बढ़ा है और लगभग प्रतिमाह कोई न कोई नई एप बाजार में लाँच हो रही है।

Avinash Gupta
07-11-2016, 02:02 PM
आती सुन्दर अपने कितनी अच्छी चीज़े हमारे साथ साझा किया है

soni pushpa
08-11-2016, 11:56 AM
[QUOTE=rajnish manga;554369]वर्ष 2013 में इनकी मेहनत सफल हुई और इन्होंने ‘बैटमैन’ के नाम से मोबाइल मैसेजिंग एप लाँच की। बाद में इसके वर्तमान नाम ‘हैप्टिक’ की कहानी भी कम रोचक नहीं है। ‘‘हम तीनों ने एक्सेल वर्कशीट पर 100-100 नाम सोचकर लिखे और आखिर में इस नाम पर हमारी सहमति बनी। ‘हैप्टिक’ मूलतः जर्मन शब्द ‘हैप्पिक’ से बना है जिसका मतलब ‘मूल मौखिक प्रतिक्रिया’ है।’’

बहुत अछि जानकारी आपने हमसे शेयर की है भाई ..
आकृत वैश जी की मेहनत रंग लाइ और लोगों को इतनी सुविधा मिली सच कहा है प्रयास करने वालों की मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती
बहुत बहुत धन्यवाद भाई

rafik
12-12-2016, 10:07 PM
Bahut achchhi jankary di aapne. Thanks