PDA

View Full Version : सन 2115 का करवा चौथ व्रत


rajnish manga
30-10-2015, 07:30 PM
सन 2115 का करवा चौथ व्रत

http://static.punjabkesari.in/multimedia/2015_10image_00_23_150532173asd-l.jpg


नींद में व्यक्ति अक्सर स्वप्नलोक में पहुँच जाता है. इसे ईश्वर का वरदान ही कहा जायेगा कि स्वप्नलोक में समय और स्थान की सीमायें खुद ब खुद समाप्त हो जाती हैं. इससे बड़ी सुविधा क्या हो सकती है. विज्ञान मंगल ग्रह पर उतर चुका है और वीनस के नज़दीक से होता हुआ सुदूर अंतरिक्ष में अरबों मील दूर अभी सफ़र में है लेकिन स्वप्नलोक की परिधि पर ही घूम रहा है. हर व्यक्ति स्वप्नलोक में जाने कैसे कैसे आश्चर्यलोक की यात्रा करता है वह खुद भी दांतों तले उंगली दबा लेने को मजबूर हो जाता है. ऐसे ही एक स्वप्न की दास्तान आपको सुनाना चाहता हूँ.

rajnish manga
30-10-2015, 07:32 PM
टाइम मशीन में शेट्रोल (यह पेट्रोल से नहीं चलती) डलवा कर मैं भविष्य की यात्रा पर निकल गया. आज अधिक दूर तक जाने का मूड नहीं था. सो मीटर में 100 वर्ष भविष्य में (यानी सन 2115) दर्ज किया और पासवर्ड की इमेज मन में रख कर स्टार्ट बटन दबा दिया. एक हरिकेन जैसा बवंडर उठा और आधा घंटा तक तरह तरह की आवाजें आती रहीं. धीरे धीरे आवाजें शांत हो गयीं और मैं टाइम मशीन समेत सन 2115 में लैंड कर गया. मशीन को फोल्ड कर के मैंने नज़दीक के एक पार्क के कोने वाली फेंस के पीछे छिपा दिया. अब मैं घूमने फिरने के लिए स्वतंत्र था. सुबह हो चुकी थी.

बाहर आ कर सबसे पहले तो मुझे यह देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ कि सड़कों पर कोई पुरूष दिखाई नहीं दे रहा था. हर तरफ लड़कियाँ ओर महिलायें. दफ्तरों की ओर जाती हुयी लड़कियाँ. बस और कारें सभी महिलाओं द्वारा चलाई जा रही थीं. दुकानों में भी लड़कियाँ – सेल्स काउंटर के दोनों ओर. पुरूष गए तो गए कहाँ? यदि पुरूष दिख भी रहे थे तो कन्धों पर सामान से भरे थैले उठाये हुए. मुझे भी बहुत से लोग हैरानी से देख रहे थे. मेरी वेशभूषा भी उस काल से मैच नहीं कर रही थी. घूमते हुए मैंने देखा कि जहाँ महिलायें बाहर के सारे काम संभाल रही हैं- बैंकों में, माल्स में, पुलिस में, फक्ट्रियों में, व्यापार आदि में, वहीं पुरूष घरों में काम करते हुए दिखाई दे रहे थे. ख़ुशी और संतोष से उनके चेहरे चमक रहे थे. ऐसा लगता था कि चारों और सत्ता महिलाओं के हाथ में है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों की गिनती कम लग रही थी. इसी प्रकार घूमते घूमते सारा दिन निकल गया.

rajnish manga
30-10-2015, 07:34 PM
शाम के समय पुरुषों के बारे में कुछ और खुलासे हुए. शाम के समय पुरूष सज धज के थालियों में पूजा का सामान ले जाते दिखाई दिए. सुबह से ले कर शाम तक पुरुषों का कोई अधिक दीदार नहीं हुआ. हां, अब, कई कई समूहों में लोग मंदिरों की ओर जाते हुए दिखाई दिए. मुझे ख़याल आया कि आज तो करवा चौथ का पर्व है. आज तो 2015 में महिलायें अपने पति की लम्बी उमर के लिए निर्जल रह कर व्रत उपवास कर रही होंगी. और यहाँ क्या हो रहा है? कोई महिला व्रत उपवास रखते हुए नहीं दिखी बल्कि यहाँ तो व्रत उपवास पूजा के लिए पुरूष प्रतिबद्ध नज़र आ रहे थे. ज़ाहिर था कि ये सभी पुरूष अपनी पत्नियों की लम्बी उमर के लिए व्रत कर रहे थे. मैं भी अपने को छुपाते हुए उन पुरुषों के साथ चलने लगा. थोड़ी देर वे लोग एक विशालकाय मंदिर में दाखिल हुए. मैंने देखा कि मंदिर में पुजारी का काम भी महिलायें कर रही थीं. वही कथा पढ़ रहीं थीं और पुरूष गोल चक्कर में बैठ कर पूजा की थाली घुमा रहे थे. एक ग्रुप निबटता तो पुरुषों का दूसरा ग्रुप घेरे में आ बैठता. ध्यान दिया तो वे सब लोग करवा चौथ को करवा चौथ नहीं बल्कि कड़वा चौथ कह रहे थे. पुरुषों की यह दशा देख कर मुझे पसीने आ गए. मैं वहाँ से भाग निकला.

भागते भागते मैं उस पार्क में आ गया जहां मैंने टाइम मशीन को छिपाया था. मशीन को निकाल कर मैंने वापसी यात्रा के लिए सैट किया और वहाँ से टेक ऑफ कर लिया. इतने में मेरे सैलफोन में लगे हुए सुबह चार बजे के अलार्म की कर्कश आवाज गूँज उठी और मेरी आँख खुल गयी.



**

abhisays
30-10-2015, 09:45 PM
हा हा हा ऐसा सच में ना हो जाए. बहुत ही रोचक रचना थी. रजनीश जी, आपको धन्यवाद. :bravo::bravo::bravo:

soni pushpa
31-10-2015, 06:08 PM
[QUOTE=rajnish manga;556098]शाम के समय पुरुषों के बारे में कुछ और खुलासे हुए. शाम के समय पुरूष सज धज के थालियों में पूजा का सामान ले जाते दिखाई दिए. सुबह से ले कर शाम तक पुरुषों का कोई अधिक दीदार नहीं हुआ. हां, अब, कई कई समूहों में लोग मंदिरों की ओर जाते हुए दिखाई दिए. मुझे ख़याल आया कि आज तो करवा चौथ का पर्व है. आज तो 2015 में महिलायें अपने पति की लम्बी उमर के लिए निर्जल रह कर व्रत उपवास कर रही होंगी. और यहाँ क्या हो रहा है? कोई महिला व्रत उपवास रखते हुए नहीं दिखी बल्कि यहाँ तो व्रत उपवास पूजा के लिए पुरूष प्रतिबद्ध नज़र आ रहे थे. ज़ाहिर था कि ये सभी पुरूष अपनी पत्नियों की लम्बी उमर के लिए व्रत कर रहे थे. मैं भी अपने को छुपाते हुए उन पुरुषों के साथ चलने लगा. थोड़ी देर वे लोग एक विशालकाय मंदिर में दाखिल हुए. मैंने देखा कि मंदिर में पुजारी का काम भी महिलायें कर रही थीं. वही कथा पढ़ रहीं थीं और पुरूष गोल चक्कर में बैठ कर पूजा की थाली घुमा रहे थे. एक ग्रुप निबटता तो पुरुषों का दूसरा ग्रुप घेरे में आ बैठता. ध्यान दिया तो वे सब लोग करवा चौथ को करवा चौथ नहीं बल्कि कड़वा चौथ कह रहे थे. पुरुषों की यह दशा देख कर मुझे पसीने आ गए. मैं वहाँ से भाग निकला.

[size=3][font=&quot]भागते भागते मैं उस पार्क में आ गया जहां मैंने टाइम मशीन को छिपाया था. मशीन को निकाल कर मैंने वापसी यात्रा के लिए सैट किया और वहाँ से टेक ऑफ कर लिया. इतने में मेरे सैलफोन में लगे हुए सुबह चार बजे के अलार्म की कर्कश आवाज गूँज उठी और मेरी आँख खुल गयी.



:laughing::laughing:omg bhai ... आपका स्वप्न इतना इतना रोचक था भाई :laughing:काश सच हो ,... स्वप्न तो सच पड़े न पड़े किन्तु हाँ आपके इस स्वप्न की वजह से हमने खूब हंस लिया:laughing: :laughing:

internetpremi
31-10-2015, 07:14 PM
यह स्वप्न था ?
या nightmare?

मज़ा आग गया पढ़कर.

GV

rajnish manga
31-10-2015, 10:16 PM
हा हा हा ऐसा सच में ना हो जाए. बहुत ही रोचक रचना थी. रजनीश जी, आपको धन्यवाद. :bravo::bravo::bravo:

रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, अभिषेक जी.




:laughing::laughing:omg bhai ... आपका स्वप्न इतना इतना रोचक था भाई :laughing:काश सच हो ,... स्वप्न तो सच पड़े न पड़े किन्तु हाँ आपके इस स्वप्न की वजह से हमने खूब हंस लिया:laughing: :laughing:

मेरी रचना आपको इतना हँसा सकी, यह जान कर मुझे ख़ुशी हुयी. आपको बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.

यह स्वप्न था ?
या nightmare?

मज़ा आग गया पढ़कर.

Gv

जी वी साहब, आपने टेक्निकल सवाल उठाया है कि यह स्वप्न था या डरावना अनुभव. यह रिसर्च का विषय है. बहरहाल, आपको इसका विवरण पसंद आया, यह मेरे लिए हर्ष की बात है. अनेकों धन्यवाद.

Pavitra
01-11-2015, 03:48 PM
बहुत अच्छे :bravo: :laughing::laughing:

वैसे आपका यह सपना सच भी हो सकता है भविष्य में , क्योंकि जिस तरह से आजकल कथित नारीवाद की वजह से पुरुषों को प्रताडित किया जा रहा है , तो भविष्य में पुरुष शान्ति प्राप्त करने हेतु घरों में बैठना ही पसन्द करेंगे ..... :P