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View Full Version : ! उफ़ इंसानियत कहाँ गयी ???


Hamsafar+
17-12-2010, 12:20 PM
आतंकवाद , बोम्ब ब्लास्ट ! उफ़ इंसानियत कहाँ गयी ???

दोस्तों हम रोज सुबह चाय की चुस्कयों के साथ अखवार पड़ते है, और बीती हुयी ख़बरों से रूबरू होते है. एक शब्द "आतंकवाद " इस पर रोज कोई न कोई कोई खबर आती है, पता नहीं कैसे लोग है, माफ़ करना इनको लोग कहना गलत होगा, खूंखार भेडिये !!! क्या इनका परिवार नहीं होता है, या ये जीवित नहीं मरे हुए इंसान ... सोच कर ! क्या इनको दर्द नहीं होता , जो इंसानों के मरते रहते रहते है, क्या मकसद है इनका ???
खैर हम रोज ही पड़ते हैं ! आज मैं इस सूत्र का आगाज कर रहा हूँ, इस सूत्र में , उन्ही न्यूज़ पेपर की कटिंग पोस्ट करेंगे, और साथ आप लोगों का समर्थन की आप लोगों को भी कोई भी जानकारी हो वो यहाँ जरूर पोस्ट करें......
धन्यवाद आप सभी का हमसफ़र(एस. आर. )

Hamsafar+
17-12-2010, 12:28 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=6137&stc=1&d=1292574504

SHASHI
17-12-2010, 12:38 PM
हम्सफर्जी, आपने एकदम ज्वलंत व सामायिक मुद्दा इस सूत्र में उठाया है. आज के दिन अपने देश का ही नहीं परन्तु पुर विश्व समुदाय के लिए बहुत ही गंभीर मसला है ये आतंकवाद. बहुत बढ़िया सूत्र है, इसके ऊपर जो भी तथ्य या जानकारी होगी इस पर जरुर मेरा सहयोग रहेगा, धन्यवाद.

ABHAY
18-12-2010, 09:16 PM
आज के जमाना में जहा इंसानियत खत्म हो रही है वही इंसानियत को फिर से बनाने वाला पैदा ले लिया है जश्न मनावों भाई लोग :cheers: और वो कोई और नहीं मैं हू जब करोरो या उससे भी जादा कमीने मरे होंगे तो मेरे जैसा इंसान फिर से इंसानियत को बचाने के लिए इस धरती पे आया है ! हा ह आहा हा आह :cheers:

ndhebar
19-12-2010, 10:34 AM
जब "इंसान" इंसान ही नहीं रहा तो फिर इंसानियत कहाँ से रहेगी
आज के मशीनी युग ने मनुष्य की भावनाओं को कुचल कर रख दिया है
इंसान की सफलता का पैमाना पैसा है और पैसा कमाने के लिए इंसानियत को दफ़न कर देना सबले पहली और अहम् शर्त मानी जाती है

YUVRAJ
19-12-2010, 11:13 AM
ऐसा नहीं है , यदि आप इंसान बने रहें तो पैसा और शोहरत खुद ब खुद आपके कदम चूमती है/
जब "इंसान" इंसान ही नहीं रहा तो फिर इंसानियत कहाँ से रहेगी
आज के मशीनी युग ने मनुष्य की भावनाओं को कुचल कर रख दिया है
इंसान की सफलता का पैमाना पैसा है और पैसा कमाने के लिए इंसानियत को दफ़न कर देना सबले पहली और अहम् शर्त मानी जाती है

YUVRAJ
19-12-2010, 11:15 AM
वन्दे मातरम् ...
बहुत ही उम्दा विषय है यस आर भाई जी ...:clap::clap::clap::clap::clap::bravo:
आतंकवाद , बोम्ब ब्लास्ट ! उफ़ इंसानियत कहाँ गयी ???

दोस्तों हम रोज सुबह चाय की चुस्कयों के साथ................
.................लोगों का समर्थन की आप लोगों को भी कोई भी जानकारी हो वो यहाँ जरूर पोस्ट करें......
धन्यवाद आप सभी का हमसफ़र(एस. आर. )

pooja 1990
19-12-2010, 12:25 PM
insaniyat gayi tail lene.paise ke aage sab kuch rak hai.chahe bo kuch b ho.aapki izzet sohrat imandari etc..pr

YUVRAJ
19-12-2010, 12:31 PM
पैसे की अहमियत बस नमक सी है दोस्त ...:cheers:
इस जिन्दगी में ...:)
अधिक हुआ तो स्वादहीन और कम हुआ तो दावत का मजा खत्म ...:think:
insaniyat gayi tail lene.paise ke aage sab kuch rak hai.chahe bo kuch b ho.aapki izzet sohrat imandari etc..pr

ABHAY
19-12-2010, 02:42 PM
पैसे की अहमियत बस नमक सी है दोस्त ...:cheers:
इस जिन्दगी में ...:)
अधिक हुआ तो स्वादहीन और कम हुआ तो दावत का मजा खत्म ...:think:

:iagree: इसलिए तो कहा जाता है बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रूपया !

ndhebar
19-12-2010, 03:34 PM
पैसे की अहमियत बस नमक सी है दोस्त ...:cheers:
इस जिन्दगी में ...:)
अधिक हुआ तो स्वादहीन और कम हुआ तो दावत का मजा खत्म ...:think:
कथनी और करनी में अंतर होता है
बात कहना और उसको अपने आचरण में शामिल करना अलग अलग बात होता है
सभी जानते हैं की एक दिन मरना है पर क्या इससे जीवन का मोह घट जाता है......नहीं ना

YUVRAJ
19-12-2010, 11:31 PM
isase achchha mazak kuchh ho hi nahi sakata ki aap saty se dare.

inshan banane ke liye moh ka tyag jaruri hai ...aur jo मौत se darta ho ya जीवन का मोह karata ho vo kisi bhi najariye se inshan hai hi nahi....
kya aap ko aisa nahi lagata ?
कथनी और करनी में अंतर होता है
बात कहना और उसको अपने आचरण में शामिल करना अलग अलग बात होता है
सभी जानते हैं की एक दिन मरना है पर क्या इससे जीवन का मोह घट जाता है......नहीं ना

YUVRAJ
19-12-2010, 11:39 PM
आहा हा हा हा हा ...:lol:

सही कहला ए भाई ...:cheers:
बाप न होईहे त घरवो न चली और नमक न होई त चुल्हवो न जरी..;)
सही कहली की ना ...?

:iagree: इसलिए तो कहा जाता है बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रूपया !

pooja 1990
20-12-2010, 07:23 AM
Ek or bat kisi ko updesh dena or unhe khud amal karna bo bat hai.jaise apne sarir me aag laga lena. :q ppo

YUVRAJ
20-12-2010, 07:30 AM
upadesh bhi use hi dena chahiye jo upadesh lene ke kabil ho...
agyani ko gyaan nahi dena chahiye...

Sikandar_Khan
20-12-2010, 08:45 AM
आज की दुनियां मे इंसानियत का कोई महत्व नही है । हर इंसान झूठे दिखावे मे जी रहा है ।
पैसे को ही अपना भगवान समझने लगे हैँ ।
सब रिश्ते नाते की तुलना पैसोँ से की जाती है ।

pooja yadav
26-12-2010, 05:27 PM
आज की दुनियां मे इंसानियत का कोई महत्व नही है । हर इंसान झूठे दिखावे मे जी रहा है ।
पैसे को ही अपना भगवान समझने लगे हैँ ।
सब रिश्ते नाते की तुलना पैसोँ से की जाती है ।

आपने सही कहा मित्र. सभी इंसान . यही हकीकत है

YUVRAJ
27-12-2010, 09:50 AM
छोटीसी बात है ,
बिना नमक के कोई भी नमकीन करी नहीं बनती यार
:cheers:
आज की दुनियां मे इंसानियत का कोई महत्व नही है .........
..........................
सब रिश्ते नाते की तुलना पैसोँ से की जाती है ।

kuram
28-12-2010, 11:00 AM
इश्वर ने मनुष्य को खाली मस्तिष्क देकर जानवरों से अलग किया है. बस जिसने अपना मस्तिष्क खोया वापिस जानवरों की पांत में चला जाता है.
कौनसा धर्म या इंसानियत खून की नीव पर उन्नति कर सकती है या कौनसा इश्वर खून बहाने पर खुश हो सकता है आज तक समझ में नहीं आया.