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View Full Version : भारत का उत्थान


vijay Bhardwaj
01-05-2016, 02:39 PM
क्या भूमिका निभाउंगा मैं, अखंड भारत के उत्थान में।
रुकना नहीं है मुझको थककर, इस युग निर्माण में।
आए हो जब इस धरती पर, धर्म अपना निभाना होगा।
अपना हिसाब चुकाना होगा, कुछ करके ही जाना होगा।
मासूम चेहरों को खिलखिलाना होगा, इस देश को आगे जाना होगा।
अपनी भूमिका बतलाना होगा, और आसमाँ छू जाना होगा।

rajnish manga
01-05-2016, 02:57 PM
देश प्रेम की भावना को समर्पित इस सुंदर कविता को हमसे शेयर करने के लिये धन्यवाद, भाई विजय भारद्वाज जी. आपकी आगामी पोस्टों का इंतज़ार रहेगा.

Pavitra
02-05-2016, 11:11 PM
क्या भूमिका निभाउंगा मैं, अखंड भारत के उत्थान में।
रुकना नहीं है मुझको थककर, इस युग निर्माण में।
आए हो जब इस धरती पर, धर्म अपना निभाना होगा।
अपना हिसाब चुकाना होगा, कुछ करके ही जाना होगा।
मासूम चेहरों को खिलखिलाना होगा, इस देश को आगे जाना होगा।
अपनी भूमिका बतलाना होगा, और आसमाँ छू जाना होगा।


बहुत बढिया विजय जी .... देश के लिये समाज के लिये हमारी जो जिम्मेदारी है , उसे हमें समझना होगा और आगे आकर समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभानी होगी..... आपकी अभिव्यक्ति सराहनीय है......:bravo:
आशा है आप आगे भी यहाँ एक्टिव रहेंगे...... ः)

vijay Bhardwaj
03-05-2016, 02:11 AM
रजनीश जी और पवित्रा जी धन्यवाद मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए और मैं पवित्रा जी से शेयर भी करना चाऊँगा कि आपके सारे ब्लॉग्स सराहनीय है, मै उनको पढ़ कर ही लिखने को प्रणीत हुआ इसलिये मैं आपको भी इसका श्रेय देना चाऊँगा।

soni pushpa
23-05-2016, 11:34 AM
क्या भूमिका निभाउंगा मैं, अखंड भारत के उत्थान में।
रुकना नहीं है मुझको थककर, इस युग निर्माण में।
आए हो जब इस धरती पर, धर्म अपना निभाना होगा।
अपना हिसाब चुकाना होगा, कुछ करके ही जाना होगा।
मासूम चेहरों को खिलखिलाना होगा, इस देश को आगे जाना होगा।
अपनी भूमिका बतलाना होगा, और आसमाँ छू जाना होगा।

येही देश भक्ति की भावना से हरेक भारतीय भर जाय तो आज कोई समस्या ही न हो बहुत सुन्दर रचना के साथ आपके विचार भी उच्च हैं विजय जी ..