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View Full Version : कौन बनेगा करोडपति (280 लाख करोड़ का सवाल है ..)


ChachaChoudhary
20-12-2010, 10:46 AM
कौन बनेगा करोडपति (280 लाख करोड़ का सवाल है ..)

कौन बनेगा करोडपति



का



अगला सवाल है



--



--



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... और ये सवाल है ............. आपके लिए ................



280 लाख करोड़ का



...







...



...







280 लाख करोड़ का सवाल है ...

*



"भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये (280 ,00 ,000 ,000 ,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.

या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो.



यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2010 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में

280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है.



भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है.



हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है.

हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - cwg घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ........



आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो. इसे भी इतना फॉरवर्ड करो की पूरा भारत इसे पढ़े ... और एक आन्दोलन बन जाये ...



सदियो की ठण्डी बुझी राख सुगबुगा उठी,



मिट्टी सोने का ताज् पहन इठलाती है।



दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो,



सिहासन खाली करो की जनता आती है।





जनता? हां, मिट्टी की अबोध् मूर्ते वही,



जाडे पाले की कसक सदा सहने वाली,



जब् अन्ग अन्ग मे लगे सांप हो चूस् रहे,



तब् भी न कभी मुह खोल दर्द कहने वाली।



लेकिन, होता भूडोल, बवंडर उठते है,



जनता जब् कोपाकुल् हो भृकुटी चढ़ाती है,



दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो,



सिहासन खाली करो की जनता आती है।







हुन्कारो से महलो की नीव उखड जाती,



सांसो के बल से ताज हवा मे उडता है,



जनता की रोके राह समय मे ताब् कहां?



वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुडता है।



सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा,



120 कोटि हित सिहासन तैयार करो,



अभिषेक आज राजा का नही, प्रजा का है,



120 कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो।



आरती लिये तु किसे ढुढता है मूरख,



मन्दिरो, राजप्रासदो मे, तहखानो मे,



देवता कही सडको पर मिट्टी तोड रहे,



देवता मिलेंगे खेतो मे खलिहानो मे।



फ़ावडे और हल राजदण्ड बनने को है,



धुसरता सोने से श्रृंगार सजाति है,



दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो,

सिहासन खाली करो की जनता आती है।



उठो ... जागो और जगाओ ...

आज एक नया तूफ़ान उठाओ



इस तूफ़ान में उडने वाले है

निरंकुश, भ्रस्टाचारी , शाषक और शासन

इनकी आँखें अंधी और कान बहरे हो चले है

ये नहीं सुनते जनता का कृन्दन



चुप ना बैठो...अपना मुख खोल और विस्तारित करो अपनी वाणी बहुत सहा है अब ना सहेंगे अब तक बहुत बह चूका पानी ...



एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक बनो .... अब जागने और जगाने का वक़्त आ गया है.


जय हिंद,

जय भारत ...

हिन्दुस्तान जिंदाबाद, ............

prashant
20-12-2010, 11:43 AM
चाचाजी बहुत ही विचारणीय मुद्दा है.मेरे ख्याल से हर सदस्य को कुछ कहना चाहिए.......

pooja 1990
20-12-2010, 11:46 AM
Wah deepak lage raho.fhad do pajama netao ka or upa goverment ka.

munneraja
20-12-2010, 05:17 PM
सभी चैनल्स अपने प्रोग्राम प्रसारण के लिए शुल्क ले रहे हैं
* उसके बाद भी हम उनके द्वारा दिखाए जाने वाले विज्ञापन देख रहे हैं
* उसके बाद भी उनके प्रोग्राम में दिखाए जाने वाली प्रतियोगिता में मोबाइल से सन्देश भेज कर किसी प्रतियोगी को जिताने के लिए हम प्रति सन्देश कम से कम तीन रुपये भुगत रहे हैं

क्योंकि हम बोलते नहीं हैं इसलिए भुगत रहे हैं और चैनल वाले चांदी काट रहे हैं, करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे हैं .....

VIDROHI NAYAK
20-12-2010, 06:13 PM
चाचाजी बहुत ही विचारणीय मुद्दा है.मेरे ख्याल से हर सदस्य को कुछ कहना चाहिए.......
शुरुवाती दौर में बेहतर यही होगा की हम सब इससे फॉरवर्ड करें !

chhotu
21-12-2010, 11:41 AM
कोई को ही चिंता नहीं है, जेब से निकाल निकाल कर दिए जाते हैं तो किसको पड़ी है की दुसरे की सोचे, अपनी जेब भरने से मतलब है और जेब में पैसे आ ही रहे हैं

RAJ007
21-12-2010, 05:00 PM
सभी चैनल्स अपने प्रोग्राम प्रसारण के लिए शुल्क ले रहे हैं
* उसके बाद भी हम उनके द्वारा दिखाए जाने वाले विज्ञापन देख रहे हैं
* उसके बाद भी उनके प्रोग्राम में दिखाए जाने वाली प्रतियोगिता में मोबाइल से सन्देश भेज कर किसी प्रतियोगी को जिताने के लिए हम प्रति सन्देश कम से कम तीन रुपये भुगत रहे हैं

क्योंकि हम बोलते नहीं हैं इसलिए भुगत रहे हैं और चैनल वाले चांदी काट रहे हैं, करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे हैं .....

सभी दर्शकों को अपना विरोध दर्ज करना चाहिए और सन्देश भेजना बंद कर देना चाहिए. इन सन के लिए एकता होने चाहिए.

SHASHI
21-12-2010, 05:24 PM
सभी चैनल्स अपने प्रोग्राम प्रसारण के लिए शुल्क ले रहे हैं
* उसके बाद भी हम उनके द्वारा दिखाए जाने वाले विज्ञापन देख रहे हैं
* उसके बाद भी उनके प्रोग्राम में दिखाए जाने वाली प्रतियोगिता में मोबाइल से सन्देश भेज कर किसी प्रतियोगी को जिताने के लिए हम प्रति सन्देश कम से कम तीन रुपये भुगत रहे हैं

क्योंकि हम बोलते नहीं हैं इसलिए भुगत रहे हैं और चैनल वाले चांदी काट रहे हैं, करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे हैं .....

सभी दर्शकों को अपना विरोध दर्ज करना चाहिए और सन्देश भेजना बंद कर देना चाहिए. इन सन के लिए एकता होने चाहिए.

में मुन्ने राजाजी और राज भाई से एक दम सहमत हू, यदि दर्शक एकजुट होकर आवाज बुलंद कर कर अपना विरोध प्रकट करे तो ऐसा मुमकिन है. हम सब को उनको जवाब देना ही नहीं चाहिए.