View Full Version : आज का दिन (घटना और व्यक्तित्व)
rajnish manga
01-01-2017, 03:27 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 जनवरी)
मौलाना हसरत मोहानी / Maulana Hasrat Mohani
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34109&stc=1&d=1513854321
rajnish manga
01-01-2017, 03:31 PM
मौलाना हसरत मोहानी महान स्वतंत्रता सेनानी तथा हमारी संविधान सभा के सदस्य होने के साथ साथ एक प्रख्यात शायर भी थे. आज एक जनवरी उनका जन्मदिन है. इस अवसर पर हम उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनकी एक मशहूर ग़ज़ल के चुनिंदा अश'आर पेश करते है:
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है,
हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है,
तुझसे मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा,
और तेरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है,
खींच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़्फ़ातन,
और दुपट्टे से तेरा वो मुँह छिपाना याद है,
जानकर सोता तुझे वो क़सा-ए-पाबोसी मेरा,
और तेरा ठुकरा के सर वो मुस्कुराना याद है,
तुझ को जब तन्हा कभी पाना तो अज़राह-ए-लिहाज़,
हाल-ए-दिल बातों ही बातों में जताना याद है,
ग़ैर की नज़रों से बचकर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़,
वो तेरा चोरीछिपे रातों को आना याद है,
आ गया गर वस्ल की शब भी कहीं ज़िक्र-ए-फ़िराक़,
वो तेरा रो-रो के मुझको भी रुलाना याद है,
दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिये,
वो तेरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है,
चोरी चोरी हम से तुम आकर मिले थे जिस जगह,
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है,
बेरुख़ी के साथ सुनाना दर्द-ए-दिल की दास्तां,
और तेरा हाथों में वो कंगन घुमाना याद है,
वक़्त-ए-रुख़सत अलविदा का लफ़्ज़ कहने के लिये,
वो तेरे सूखे लबों का थरथराना याद है,
Deep_
01-01-2017, 05:13 PM
[बहुत खुब । मैने पहली बार पुरी गज़ल पढी । पता नहीं था की सिर्फ चुनिंदा शेर ही फिल्म की गज़ल में है । धन्यवाद रजनीश जी।... Deep]
rajnish manga
01-01-2017, 06:43 PM
[बहुत खुब । मैने पहली बार पुरी गज़ल पढी । पता नहीं था की सिर्फ चुनिंदा शेर ही फिल्म की गज़ल में है । धन्यवाद रजनीश जी।... Deep]
बहुत बहुत धन्यवाद, दीप जी. इस ग़ज़ल में अभी चार पांच शे'र और हैं. कठिन शब्दों की वजह से उन्हें शामिल नहीं किया गया.
rajnish manga
01-01-2017, 06:48 PM
आज का शायर (1 जनवरी)
राहत इन्दोरी / Rahat Indori
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33888&stc=1&d=1483282065
rajnish manga
01-01-2017, 06:56 PM
आज का शायर (1 जनवरी) राहत इन्दोरी / Rahat Indori
जो आज साहिबे मसनद है कल नहीं होंगे
किरायेदार है जाती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल यहाँ की मिटटी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है
**
ग़ज़ल
चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया|
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया|
डूबे हुए जहाज़ पे क्या तब्सरा करें,
ये हादसा तो सोच की गहराई ले गया|
झूठे क़सीदे लिखे गये उस की शान में,
जो मोतीयों से छीन के सच्चाई ले गया|
यादों की एक भीड़ मेरे साथ छोड़ कर,
क्या जाने वो कहाँ मेरी तन्हाई ले गया
अब असद तुम्हारे लिये कुछ नहीं रहा,
गलियों के सारे संग तो सौदाई ले गया|
अब तो ख़ुद अपनी साँसें भी लगती हैं बोझ सी,
उमरों का देव सारी तवानाई ले गया|
(तवानाई = ऊर्जा / शक्ति)
(डॉ. राहत इंदौरी)
rajnish manga
01-01-2017, 08:51 PM
आज का शायर (1 जनवरी)
मख़मूर जालंधरी / Makhmoor Jalandhari
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33889&stc=1&d=1483289432
जनाब मखमूर जालंधरी जिनका वास्तविक नाम गुरबक्श सिंह था मूलतः उर्दू के उल्लेखनीय शायरों में शुमार किये जाते हैं. उनकी ग़ज़ले और नज्में उर्दू साहित्य में विशेष स्थान रखती हैं. उन्हें आज भी बहुत आदर सहित याद किया जाता है.
rajnish manga
01-01-2017, 09:24 PM
आज का शायर (1 जनवरी)
मख़मूर जालंधरी / Makhmoor Jalandhari
हिंदी में जासूसी नॉवेल उपन्यास पढ़ने वालों ने कर्नल रंजीत के लिखे उपन्यास अवश्य देखे और पढ़े होंगे लेकिन आपको शायद यह नहीं पता होगा कि मखमूर जालंधरी ही कर्नल रंजीत के नाम से लिखते थे. मैं आपको यह भी बताना चाहता हूँ कि मखमूर साहब ने लगभग 60 साल पहले जालंधर रेडियो के लिये करीब 250 रेडियो नाटक भी लिखे थे.
rajnish manga
01-01-2017, 09:26 PM
आज का शायर (1 जनवरी)
मख़मूर जालंधरी / Makhmoor Jalandhari
ग़ज़ल
‘मख़मूर’ जालंधरी
पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा भी न हो सके
हम क़ैद-ए-ज़ब्त-ए-ग़म से रिहा भी न हो सके
दार-ओ-मदार-ए-इश्क़ वफ़ा पर है हम-नशीं
वो क्या करे कि जिससे वफ़ा भी न हो सके
गो उम्र भर भी मिल न सके आपस में एक बार
हम एक दूसरे से जुदा भी न हो सके
जब जुज़्ब की सिफ़ात में कुल की सिफ़ात है
फिर वो बशर भी क्या जो खुदा भी न हो सके
ये फैज़-ए-इश्क़ था कि हुई हर खता मुआफ़
वो खुश न हो सके तो खफ़ा भी न हो सके
वो आस्तान-ए-दोस्त पे क्या सर झुकाएगा
जिस से बुलंद दस्त-ए-दुआ भी न हो सके
ये एहतिराम था निगह-ए-शौक़ का जो तुम
बेपर्दा हो सके जल्वा-नुमां भी न हो सके
‘मख़मूर’ कुछ तो पूछिए मजबूरी-ए-हयात
अच्छी तरह खराब-ए-फ़ना भी न हो सके
शब्दार्थ:
पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा = अच्छाई करने में सावधानी व प्रतिबद्धता / क़ैद-ए-ज़ब्त-ए-ग़म= दुःख को छुपाने का बंधन / दार-ओ-मदार-ए-इश्क़ = प्यार की निर्भरता / वफ़ा = अच्छाई / हम-नशीं = साथी / जुज़्ब की सिफ़ात = एक अंश की विशेषतायें / बशर = व्यक्ति / फैज़-ए-इश्क़ = प्यार की देन / आस्तान-ए-दोस्त = मित्र का घर / दस्त-ए-दुआ = दुआ के लिये उठे हुये हाथ / एहतिराम = आदर सहित / निगह-ए-शौक़ = प्यारभरी दृष्टि / जल्वा-नुमां = सामने प्रगट होना / मजबूरी-ए-हयात = जीवन की विवशतायें / खराब-ए-फ़ना = मृत्यु से विनष्ट होना
soni pushpa
02-01-2017, 01:18 PM
[QUOTE=rajnish manga;560105]
मौलाना हसरत मोहानी महान स्वतंत्रता सेनानी तथा हमारी संविधान सभा के सदस्य होने के साथ साथ एक प्रख्यात शायर भी थे. आज एक जनवरी उनका जन्मदिन है. इस अवसर पर हम उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनकी एक मशहूर ग़ज़ल के चुनिंदा अश'आर पेश करते है:
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है,
हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है,
खींच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़्फ़ातन,
और दुपट्टे से तेरा वो मुँह छिपाना याद है,
तुझ को जब तन्हा कभी पाना तो अज़राह-ए-लिहाज़,
हाल-ए-दिल बातों ही बातों में जताना याद है,
दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिये,
वो तेरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है,
चोरी चोरी हम से तुम आकर मिले थे जिस जगह,
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है,
बेरुख़ी के साथ सुनना दर्द-ए-दिल की दास्तां,
और तेरा हाथों में वो कंगन घुमाना याद है,
[size=3]वक़्त-ए-रुख़सत अलविदा का लफ़्ज़ कहने के लिये,
वो तेरे सूखे लबों का थरथराना याद है,
bhai bahut pyari si jazal hai
ek gazalkaar ke liye isase achhi shrdhdhanjali or kya ho sakati hai bhai . bahut khoob
rajnish manga
03-01-2017, 04:02 PM
आपने शायर के बारे में पढ़ा और उनका कलाम भी पढ़ कर उसकी भरपूर सराहना की, इसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
rajnish manga
03-01-2017, 04:59 PM
2 जनवरी
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33890&stc=1&d=1483448205
rajnish manga
03-01-2017, 11:06 PM
4 जनवरी
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33891&stc=1&d=1483470341
rajnish manga
07-01-2017, 09:09 PM
6 जनवरी
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33892&stc=1&d=1483808884
rajnish manga
15-01-2017, 09:47 AM
डॉ. वृन्दावनलाल वर्मा (9 जनवरी)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33893&stc=1&d=1484459124
rajnish manga
15-01-2017, 09:51 AM
डॉ. वृन्दावनलाल वर्मा (9 जनवरी)
जिस समय हिंदी में मुंशी प्रेमचंद सामाजिक विषयों पर विपुल कथा-साहित्य की रचना कर रहे थे, उसी समय डॉ वृन्दावन लाल वर्मा ऐतिहासिक कहानियों तथा उपन्यासों के द्वारा हिंदी साहित्य को समृद्ध करने के काम में जुटे हुये थे. मुझे उनके अधिकतर उपन्यास पढ़ने का सौभाग्य मिला. यह उनकी लेखन शैली का कमाल था कि हमारे ऐतिहासिक पात्र पाठक के सामने जीवंत हो उठते थे, झांसी की रानी को केंद्र में रख कर उन्होंने ‘मृगनयनी’ उपन्यास की रचना की. उनके कुछ उपन्यास इस प्रकार हैं: मृगनयनी, गढ़कुण्ढार, विराटा की पदमिनी, राखी की लाज, लगान, कुण्डली चक्र आदि. इस लोकप्रिय एवम् महान साहित्यकार का आज जन्मदिन है. उनको हमारा सादर नमन.
rajnish manga
15-01-2017, 09:57 AM
भारत रत्न
स्व. लाल बहादुर शास्त्री (11 जनवरी)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33894&stc=1&d=1484459621
http://pbs.twimg.com/media/CturW9qWAAA0fg9.jpg
rajnish manga
15-01-2017, 10:01 AM
भारत रत्न
स्व. लाल बहादुर शास्त्री (11 जनवरी)
स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल यद्यपि बहुत कम (9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक) रहा किंतु इस छोटे कार्यकाल में ही उन्होंने वो काम कर दिखाया जिससे उन्हें सदा याद किया जायेगा. सर्वप्रथम, उनके नेतृत्व में भारत ने भारत-पाक युद्ध में गौरवशाली विजय प्राप्त की. तत्पश्चात, शांति को प्रतिबद्ध भारत ने ताशकंद में पाकिस्तान से समझौता किया. दूसरा, उनका नारा- जय जवान जय किसान आज तक लोगों के दिलो दिमाग़ में कायम है. उन दिनों शास्त्री जी ने देश में खाद्य समस्या के चलते हर सोमवार की शाम को उपवास रखने का आह्वान किया जिसे स्वेच्छा से सारे देशवासियों ने अपनाया. सोमवार शाम को न तो घरों में चूल्हा जलता था और न ही होटल,रेस्त्राँ, या ढाबों पर खाना परोसा जाता था. एक शेर उन्हें बहुत पसंद था:
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं......तो चर्चा नहीं होता
इस महान विभूति को हमारी सादर श्रद्धांजलि.
rajnish manga
15-01-2017, 10:04 AM
अज़ीम शायर इब्न-ए-इंशा (11 जनवरी)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33895&stc=1&d=1484460223
rajnish manga
15-01-2017, 10:24 AM
अज़ीम शायर इब्न-ए-इंशा (11 जनवरी)
इंशा साहब की अनेक ग़ज़लें कई प्रसिद्ध गायक कलाकारों द्वारा गाई गई हैं जिन्हें यू ट्यूब पर तलाश किया जा सकता है व सुना जा सकता है. इनके व्यंग्य लेखों की एक मशहूर पुस्तक 'उर्दू की आख़िरी किताब' हिंदी में भी उपलब्ध है जिसे राजकमल प्रकाशन, दिल्ली ने प्रकाशित किया है. इब्न-ए-इंशा की एक ग़ज़ल श्रद्धांजलि स्वरूप यहाँ प्रस्तुत की जा रही है:
ग़ज़ल (शायर: इब्ने इंशा)
कल चौदहवीं की रात थी, शब-भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा ये चाँद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा
हम भी वहाँ मौजूद थे, हम से भी सब पूछा किये
हम हँस दिये, हम चुप रहे, मन्ज़ूर था पर्दा तेरा
इस शहर में किससे मिलें, हमसे तो छूटीं मेहफ़िलें
हर शक़्स तेरा नाम ले, हर शक़्स दीवाना तेरा
कूचे को तेरे छोड कर जोगी ही बन जायें मगर
जँगल तेरे, परबत तेरे, बस्ती तेरी सहरा तेरा
हम और रस्म-ए-बन्दग़ी, आशुफ़्तगी उफ़्तादगी
एहसान है क्या-क्या तेरा, ऐ हुस्न-ए-बेपरवा तेरा
दो अश्क़ जाने किस लिये, पलकों पे आकर टिक गये
अल्ताफ़ की बारिश तेरी, इकराम का दरया तेरा
ऐ बेदारेग़-ओ-बेअमाँ, हमने कभी की है फ़ुग़ाँ
हमको तेरी वहशत सही, हमको सही सौदा तेरा
तू बेवफ़ा तू मेहरबाँ, हम और तुझसे बदगुमाँ,
हमने तो पूछा था ज़रा, ये वक़्त क्यूँ ठहरा तेरा
हमपर ये सख्ती की नज़र, हम हैं फ़क़ीर-ए-रहगुज़र
रस्ता कभी रोका तेरा, दामन कभी थामा तेरा
हाँ-हा तेरी सूरत हसीं, लेकिन तू ऐसा भी नहीं
इस शख्स के अश'आर से, शोहरा हुआ क्या-क्या तेरा
बेशक़ उसी का दोश है, कहता नहीं, खामोश है
तू आप कर ऐसी दवा, बीमार हो अच्छा तेरा
बेदर्द सुननी हो तो चल, कहता है क्या अच्छी ग़ज़ल
आशिक़ तेरा रुसवा तेरा, शायर तेरा 'इन्शा' तेरा
rajnish manga
15-01-2017, 10:33 AM
अज़ीम उर्दू शायर अहमद फ़राज़ (12 जनवरी)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33896&stc=1&d=1484461902
rajnish manga
15-01-2017, 10:36 AM
अज़ीम उर्दू शायर अहमद फ़राज़ (12 जनवरी)
अहमद फ़राज़ की शायरी की विशेषताओं की बात करें तो जहां एक ओर उनकी रोमानी शायरी लोगों को दीवाना बना देती थी तो दूसरी ओर उनकी बेबाक और प्रगतिशील व क्रांतिकारी अंदाज़ उनके देश के सैनिक तानाशाहों को बैचेन रखता था. यही वजह है कि पाकिस्तान में सरकारी तंत्र में हर हाथ उनके लिये खंजर बन गया था:
शहर वालों की मुहब्बत का मैं कायल हूँ मगर
मैंने जिस हाथ को चूमा वही खंजर निकला
मेरा कलाम तो अमानत है मेरे लोगों की
मेरा कलाम तो अदालत मेरे ज़मीर की है
यही कहा था मेरी आँख देख सकती है
तो मुझ पे टूट पड़ा सारा शहर नाबीना
(नाबीना = अंधा)
उनकी एक मशहूर ग़ज़ल के चंद अश'आर:
रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम न सही, फिर भी कभी तो
रस्मों-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ
शब्दार्थ: पिन्दार-ए-मोहब्बत = प्रेम का गर्व / मरासिम = प्रेम व्यवहार
रस्मों-रहे = सांसारिक शिष्टाचार
rajnish manga
15-01-2017, 11:17 AM
स्वामी विवेकानंद (12 जनवरी)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33897&stc=1&d=1484464525
rajnish manga
15-01-2017, 11:19 AM
स्वामी विवेकानंद (12 जनवरी)
स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की जयंती पर उनकी पावन स्मृति को नमन करते हुये हम उनके कुछ विचार यहाँ प्रस्तुत कर रहे है:
1. गंभीरता के साथ बच्चों जैसी सरलता को मिलाओ. सबके साथ मेल से रहो. अहंकार के सब भाव छोड़ दो और साम्प्रदायिक विचारों को मन में न लाओ. बेकार के विवादों से बचो. याद रखो जब तक तुम्हारे हृदय में उत्साह और गुरु और भगवान् में विश्वास है, तब तक तुम्हें कोई नहीं दबा सकता.
2. कोई शख्स कितना ही महान क्यों न हो, आँखें मूँद कर उसके पीछे पीछे न चलो. अगर भगवान् की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख, नाक, कान, मुँह, दिमाग़ आदि क्यों देता?
3. हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़ारना पड़ता है- उपहास, विरोध और स्वीकृति.
4. ऐसी बेकार की बातों और उनकी चर्चा से दूर रहें, जिनकी कोई उपयोगिता ही नहीं है.
5. यही दुनिया है. अगर तुम किसी का भला करो, तो लोग उसको कोई अहमियत नहीं देंगे. लेकिन ज्योंही तुम उस काम को बंद कर दोगे, वे फ़ौरन तुम्हें बदमाश साबित करने पर जुट जायेंगे.
rajnish manga
15-01-2017, 11:24 AM
शमशेर बहादुर सिंह (13 जनवरी)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33898&stc=1&d=1484465013
rajnish manga
15-01-2017, 11:27 AM
शमशेर बहादुर सिंह (13 जनवरी)
कवि शमशेर बहादुर सिंह हिंदी साहित्य में प्रगतिशील लहर के कवि रचनाकार थे. उनका सम्पूर्ण साहित्य कई खण्डों में प्रकाशित किया जा रहा है (पूरी ग्रंथावली का मूल्य 5000 रूपए रखा गया है). उनकी कविताओं में आम आदमी का जीवन, उसकी पीड़ा और उसकी तकलीफें देखी जा सकती हैं. उन्होंने नज्में तथा ग़ज़लें भी लिखी हैं. इस महान साहित्य कार को हम आज उनके जन्मदिन पर आदरपूर्वक याद करते हैं और श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं.
rajnish manga
15-01-2017, 11:31 AM
कैफ़ी आज़मी (14 जनवरी)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33899&stc=1&d=1484465443
rajnish manga
15-01-2017, 11:34 AM
कैफ़ी आज़मी (14 जनवरी)
कैफ़ी साहब को बचपन से ही शायरी का शौक़ था. गयारह साल की उम्र में उन्होंने अपनी यह ग़ज़ल लिखी थी, ‘‘इतना न जिंदगी में किसी की खलल पड़े, हंसने से हो सुकूं, न रोने से कल पड़े.’’ इस ग़ज़ल को बेग़म अख्तर ने अपनी पुरसोज़ आवाज़ दे कर अमर बना दिया.
कैफ़ी आज़मी एक इंकलाबी शायर थे और उन्होंने कलम की रूह को जिंदा रखने के लिये कभी समझौता नहीं किया। एक फिल्म गीतकार के रूप में भी कैफी ने कभी मूल्यों का दामन नहीं छोड़ा।
उन्होंने लगभग 80 फिल्मों के लिये गीत लिखे. कैफी साहब ने 1951 में पहला गीत ’बुजदिल’ फिल्म के लिए लिखा था. कई फिल्मों की पटकथा तथा डायलाग भी लिखे. फिल्म ‘हीर रांझा’ इस मायने में अनोखी थी कि उसके सभी डायलाग भी शेरो शायरी में थे. फिल्म ‘हीर रांझा’ में उन्होंने बहुत मेहनत की थी. वे रात दिन काम में लगे रहते. इसी के उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ और वे लकवे का शिकार हो गए जिससे वे मृत्युपर्यंत पूरी तरह उबर नहीं पाए. फिल्म ‘अर्थ’ के गीत उन्होंने इसी हालात में लिखे थे.
‘कागज के फूल’ कैफ़ी साहब के कैरियर में मील का पत्थर साबित हुआ उसका मशहूर गाना है वक्त ने किया क्या हंसीं सितम.. यह आज भी संगीत प्रेमियों द्वारा गुनगुनाया जाता है. यहाँ से उनकी सफलता का ग्राफ़ शुरू हुआ.
कैफी साहब के लिखे तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो (अर्थ), कर चले हम फिदा (हकीकत), दो दिन की जिंदगी (सत्यकाम), जरा सी आहट (नौनिहाल), झूम-झूम ढलती रात (कोहरा), ये नयन भरे भरे (अनुपमा) चलते-चलते कोई यूं ही मिल गया था (पाकीजा 1972) आदि गीत सदा याद किये जाते रहेंगे. फिल्म ‘शोला और शबनम’ में भी उनके गाने बहुत मशहूर हुए जैसे- जाने क्या ढूंढती हैं ये आंखें मुझमें और जीत ही लेंगे बाजी हम-तुम आदि गीत भी कभी भुलाए नहीं जा सकते.
कैफ़ी साहब को सर्वश्रेष्ठ गीत के लिये राष्ट्रीय तथा फिल्म फ़ेयर पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया. भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया. उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. इनके अलावा भी उन्हें कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा समय समय पर पुरस्कृत किया गया था. कैफ़ी साहब को हमारा सादर नमन.
>>>
rajnish manga
15-01-2017, 11:40 AM
अभिनेता गुरुदत्त की मृत्यु का उन्हें बड़ा सदमा लगा. उन्होंने कहा:
http://dr-narasinha-kamath.sulekha.com/content/blogs/img/Guru%20Dutt.jpg
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
डरता हूँ कहीं ख़ुश्क न हो जाए समुन्दर
राख अपनी कभी आप बहाता नहीं कोई
इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी
यूँ मौत को सीने से लगाता नहीं कोई
अर्थी तो उठा लेते हैं सब अश्क बहा के
नाज़-ए-दिल-ए-बेताब उठाता नहीं कोई
rajnish manga
15-01-2017, 11:57 AM
डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर (15 जनवरी)
Dr. Martin Luther King Jn
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33900&stc=1&d=1484466963
rajnish manga
16-01-2017, 10:27 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 जनवरी)
संगीतकार ओ पी नय्यर / O P Nayyar
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33901&stc=1&d=1484591173
rajnish manga
16-01-2017, 10:31 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 जनवरी)
संगीतकार ओ पी नय्यर / O P Nayyar
चार दशक से अधिक समय तक बॉलीवुड में अपने संगीत की कभी धूमिल न पड़ने वाली छाप छोड़ने वाले मस्तमौला संगीतकार ओ पी नय्यर संगीत की अपनी अलग शैली, अपने अक्खड़पन और अपने ज़िद्दी स्वभाव के कारण सदा याद किये जायेंगे. वे अपना अलग मुकाम बनाने में कामयाब रहे. उनकी फिल्मों तथा संगीत में पंजाबी जन जीवन का अल्हड़पन, उमंग तथा उत्साह बहुत खूबसूरती से उभर कर सामने आता है.
उन्होंने सन 1949 में बनी फिल्म ‘कनीज़’ से अपने फिल्म कैरियर की शुरुआत की लेकिन स्वतंत्र संगीतकार के रूप में 1952 में बनी फिल्म ‘आसमान’ उनकी पहली फिल्म थी. इसके बाद ‘छम छमा छम’ और ‘बाज़’ जैसी कुछ फिल्मे आयीं लेकिन यह सभी फिल्मे बुरी तरह फ्लॉप रहीं. पार्श्वगायिका गीता राय (बाद में गीता दत्त) की सिफ़ारिश पर गुरुदत्त ने अपनी फिल्म ‘आर-पार’ तथा कुछ अन्य फिल्मों में उन्हें बतौर संगीतकार लिया. यहाँ से उनका कैरियर ग्राफ ऊपर की ओर जाना शुरू हो गया. अन्य निर्माता निर्देशकों के साथ भी वे बहुत कामयाब रहे.
उन्होंने गीत की सिचुएशन के हिसाब काफ़ी समय तक आशा भोंसले, शमशाद बेगम और मोहम्मद रफ़ी से पार्श्वगायन करवाया और वे उनके पसंदीदा कलाकार बने रहे. आशा से अनबन होने के बाद उन्होंने कई नई गायिकाओं से पार्श्व गायन करवाया. फिल्म ‘आसमान’ के समय ही उस समय की सर्वाधिक चर्चित गायिका लता मंगेशकर से उनका विवाद हो गया और यह दोनों कभी साथ नहीं आये.
फ़िल्म सी.आई.डी. (1956), नया दौर (1957) और फ़ागुन (1958) को बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त सफलता प्राप्त हुई. इनमे से नय्यर साहब को ‘नया दौर’ के लिये बेस्ट संगीतकार के फ़िल्मफ़ेयर एवार्ड से भी नवाज़ा गया. सी आई डी और फ़ागुन को भी नोमिनेशन मिला. फिल्म ‘सावन की घटा’ तथा ‘प्राण जाये पर वचन न जाये’ में उनके द्वारा संगीतबद्ध गीतों को फ़िल्मफ़ेयर एवार्ड प्राप्त हुआ. ये दोनों गीत आशा भोंसले द्वारा गए गए थे.
उनकी अन्य प्रमुख फिल्मों में हावड़ा बृज (1958), फिर वही दिल लाया हूँ (1963), कश्मीर की कली (1964), मेरे सनम (1965), सावन की घटा तथा बहारें फिर भी आयेंगी (1966), किस्मत (1968), संबंध (1969), और प्राण जाये पर वचन न जाये (1974) आदि शामिल हैं. नय्यर साहब का अंतिम समय एकाकी बीता. आज उनके जन्मदिन पर हम उन्हें आदर पूर्वक याद करते हैं.
rajnish manga
16-01-2017, 10:51 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 जनवरी)
संगीतकार ओ पी नय्यर / O P Nayyar
संगीतकार ओ पी नय्यर का अनोखा स्वभाव
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कहते हैं कि प्रतिभा के अपने साइड इफेक्ट होते हैं। ओ पी नैय्यर ने केवल एक ही फ़िल्म में गीतकार प्रदीप से गीत लिखवाए। ये थी एस. मुखर्जी प्रोडक्शन की 1969 में आई फ़िल्म ‘संबंध’। नैय्यर साहब को प्रदीप की शक्ल पसंद नहीं थी। इसलिए वो सिटिंग में प्रदीप को नहीं बुलाते थे। कवि प्रदीप एकदम सरल हृदय सज्जन व्यक्ति। नैय्यर एकदम मुंहफट अक्खड़। ‘संबंध’ के गाने प्रदीप किसी हरकारे के हाथों भिजवा दिया करते थे और उनकी धुन बना ली जाती थीं।
इसी तरह गीतकार अनजान से नैय्यर ने फ़िल्म ‘बहारें फिर भी आएंगी’ के गीत लिखवाए थे। अनजान के बेटे समीर ने ख़ुद बताया कि नैय्यर साहब ने अनजान से निवेदन किया था कि अनजान नैय्यर के पास न आया करें। अनजान ने कारण पूछा। नैय्यर ने कहा- ‘यार, तुम बहुत शरीफ़ आदमी हो और मैं गालियां-शालियां देकर बात करता हूं। मुझे अच्छा नहीं लगता।’
‘शरारत’ और ‘रागिनी’- ये दो ऐसी फ़िल्में थीं, जिसमें किशोर कुमार के लिए मोहम्मद रफ़ी ने पार्श्वगायन किया था। 1958 में आई फ़िल्म ‘रागिनी’ के निर्माता स्वयं अशोक कुमार थे। और किशोर के साथ वह भी इस फ़िल्म में अभिनय कर रहे थे। इस फ़िल्म का गाना ‘मन मोरा बावरा’ शास्त्रीय-संगीत पर आधारित था। इसलिए नैय्यर ने तय किया कि ये गाना वह रफ़ी से गवाएंगे। किशोर कुमार को मंज़ूर नहीं था कि पर्दे पर वह रफ़ी की आवाज़ लें। वह बड़े भैया के पास गए। पर दादामुनि ने दख़लअंदाज़ी से साफ़ इंकार कर दिया।
उनके स्वरबद्ध किये हुये कुछ लोकप्रिय गीत
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ओ लेके पहला पहला प्यार / ये देश है वीर जवानों का / उड़े जब जब ज़ुल्फ़ें तेरी / रेशमी सलवार कुर्ता जाली का / इक परदेसी मेरा दिल ले गया / दीवाना हुआ बादल / इशारों इशारों में दिल लेने वाले / ये चाँद सा रोशन चेहरा / चल अकेला ....चल अकेला / पुकारता चला हूँ मैं / ये है रेशमी ज़ुल्फ़ों का अंधेरा ना घबराइये / आपके हसीन रूख़ पे आज नया नूर है/ आओ हुज़ूर तुमको बहारों में ले चलूँ / कजरा मोहब्बत वाला अखियों में ऐसा डाला.... आदि आदि.
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Deep_
17-01-2017, 09:43 AM
फिल्मी हस्तीयों के साथ साथ ओर कई व्यक्तियों से रुबरु करवाने के लिए रजनीश जी को बहुत बहुत धन्यवाद ।
rajnish manga
18-01-2017, 10:12 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 जनवरी)
मुहम्मद अली / Muhammad Ali
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33904&stc=1&d=1484762954
rajnish manga
18-01-2017, 10:17 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 जनवरी)
मुहम्मद अली / Muhammad Ali
मुहम्मद अली (मूल नाम- कैसियस क्ले) ने सन 1960 में मुक्केबाज़ी का ओलिंपिक स्वर्ण पदक हासिल किया. उसके बाद सन 1964 में वे विश्व हैवी वेट चैंपियन बने. बाद में, सन 70 के दशक में उन्होंने दो बार यह चैंपियनशिप जीती जब उन्होंने जो फ्रेज़ियर और जॉर्ज फ्रीमैन को पराजित किया. 1984 में वे पार्किंसन रोग से ग्रस्त हो गए. लेकिन इस सब के बीच वे समाज की भलाई के कामों से जुड़े रहे और दान दाता के रूप में भी जाने जाते थे. 2005 में उन्हें राष्ट्रपति का स्वतंत्रता पदक भी प्रदान किया. अपनी बिमारी से वे हार गए और 74 वर्ष की आयु में 3 जून 2016 को वे इस संसार को अलविदा कह गए. उनके कहे हुये शब्द न सिर्फ़ खिलाड़ियों को प्रेरित करते रहेंगे बल्कि सामान्य व्यक्तियों को भी आगे बढ़ने में मदद करते रहेंगे. उनमे आत्मविश्वास का यह हाल था कि वे खुद को ‘I Am The Greatest’ कह कर प्रचारित करते थे. अपने चाहने वालों के दिल में में वे हमेशा ‘महानतम मुक्केबाज’ के रूप में आसीन रहेंगे.
उनके कुछ उल्लेखनीय विचार:
मैं ट्रैनिंग के हर एक मिनट से नफरत करता था, लेकिन मैंने खुद से कहा, हार मत मानो। अभी सह लोगे तो अपनी बाकी की ज़िन्दगी एक चैंपियन की तरह
बिता सकोगे ।
वह जो जोखिम उठाने का साहस नहीं करता वो अपने जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता।
मैं एक साधारण इंसान हूँ जिसने खुद में मौजूद प्रतिभा के विकास में कड़ी मेहनत की मैने खुद पर विश्वास रखा और मैने दूसरों की अच्छाई पर भी विश्वास रखा।
लोगो की सेवा करना, धरती पर आपके कमरे का किराया है।
चेम्पियन किसी जिम में नहीं बनाये जाते है। चेम्पियन तो एक ऐसी चीज से बनाये जाते हैं, जो उनके अंदर होती है – एक इच्छा, सपना, विज़न ।बस उनके पास कौशल होना चाहिये।
rajnish manga
18-01-2017, 10:44 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 जनवरी)
कुंदनलाल सहगल /Kundan Lal Saigal
अभिनेता-गायक / Actor-Singer
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33905&stc=1&d=1484764844
rajnish manga
18-01-2017, 10:49 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 जनवरी)
कुंदनलाल सहगल /Kundan Lal Saigal
11 अप्रैल 1904 को जम्मू के नवाशहर में जन्मे कुंदनलाल सहगल सहगल ने किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नहीं ली थी, लेकिन सबसे पहले उन्होंने संगीत के गुर एक सूफी संत सलमान युसूफ से सीखे थे। सहगल की प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही साधारण तरीके से हुई थी। उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी थी और जीवन यापन के लिए उन्होंने रेलवे में टाईमकीपर की मामूली नौकरी भी की थी। बाद में उन्होंने रेमिंगटन नामक टाइपराइटिंग मशीन की कंपनी में सेल्समैन की नौकरी भी की।
वर्ष 1930 में कोलकाता के न्यू थियेटर के बी.एन.सरकार ने उन्हें 200 रूपए मासिक पर अपने यहां काम करने का मौका दिया। यहां उनकी मुलकात संगीतकार आर.सी.बोराल से हुई, जो सहगल की प्रतिभा से काफी प्रभावित हुए। शुरूआती दौर में बतौर अभिनेता वर्ष 1932 में प्रदर्शित एक उर्दू फिल्म ‘मोहब्बत के आंसू’ में उन्हें काम करने का मौका मिला। वर्ष 1932 में ही बतौर कलाकार उनकी दो और फिल्में ‘सुबह का सितारा’ और ‘जिंदा लाश’ भी प्रदर्शित हुई, लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली।
वर्ष 1933 में प्रदर्शित फिल्म ‘पूरन भगत’ की कामयाबी के बाद बतौर गायक सहगल कुछ हद तक फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। वर्ष 1933 में ही प्रदर्शित फिल्म ‘यहूदी की लड़की’, ‘चंडीदास’ और ‘रूपलेखा’ जैसी फिल्मों की कामयाबी से उन्होंने दर्शकों का ध्यान अपनी गायकी और अदाकारी की ओर आकर्षित किया। उन दिनों अभिनेता को अपने गाने स्वयं गाने पड़ते थे. पार्श्वगायन का कांसेप्ट अभी शुरू नहीं हुआ था.
वर्ष 1935 में शरत चंद्र चटोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित पी.सी.बरूआ निर्देशित फिल्म ‘देवदास’ की कामयाबी के बाद बतौर गायक-अभिनेता सहगल शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचे। कई बंगाली फिल्मों के साथ-साथ न्यू थियेटर के लिए उन्होंने 1937 में ‘प्रेंसिडेंट’, 1938 में ‘साथी’ और ‘स्ट्रीट सिंगर’ तथा वर्ष 1940 में ‘जिंदगी’ जैसी कामयाब फिल्मों को अपनी गायिकी और अदाकारी से सजाया।
वर्ष 1941 में सहगल मुंबई के रणजीत स्टूडियो से जुड़ गए। वर्ष 1942 में प्रदर्शित उनकी ‘सूरदास’ और 1943 में ‘तानसेन’ ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता का नया इतिहास रचा। वर्ष 1944 में उन्होंने न्यू थियेटर की ही निर्मित फिल्म ‘मेरी बहन’ में भी काम किया।
वर्ष 1946 में सहगल ने संगीत सम्राट नौशाद के संगीत निर्देशन में फिल्म ‘शाहजहां’ में ‘गम दिए मुस्तकिल’ और ‘जब दिल ही टूट गया’ जैसे गीत गाकर अपना अलग समां बांधा। सहगल के सिने करियर में उनकी संगीतकार पंकज मलिक के साथ बहुत खूब जमी। सहगल और पंकज मलिक की जोड़ी वाली फिल्मों में ‘यहूदी की लड़की’(1933), ‘धरती माता’ (1938), ‘दुश्मन’ (1938), ‘जिंदगी’ (1940) और ‘मेरी बहन’ (1944) जैसी फिल्में शामिल हैं।
(इसी फोरम पर सागर की पोस्ट से साभार)
rajnish manga
18-01-2017, 10:53 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 जनवरी)
कुंदनलाल सहगल /Kundan Lal Saigal
अपने समय में सहगल अपनी मधुर आवाज़, गायकी, और अभिनय क्षमता के बल पर हिन्दुस्तानी फिल्म उद्योग पर एकछत्र राज्य किया. सन् 1937 में उनकी पहली बंगला फिल्म ‘दीदी’ रिलीज़ हुई थी जिसके बाद वे बंगाली संभ्रांत वर्ग के भी ह्रदय सम्राट बन गए थे. कहते हैं कि उनका बांग्ला गायन सुन कर गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोरे ने कहा था ‘की शुंदर गला तोमार ... आगे जानले कोतोई ना आनंद पेताम’..”
फिल्म ‘देवदास’ में सहगल के स्वर में एक ठुमरी रेकॉर्ड की गयी ‘पिया बिन नाहीं आवत चैन’ जो पूर्व में उस्ताद करीम खां द्वारा गाई गयी थी. उस्ताद फ़िल्में देखना पसंद नहीं करते थे. किन्तु अपने कलकत्ता प्रवास के दौरान वह जिन नवाब साहब के यहाँ ठहरे थे उनके बहुत इसरार करने पर वह ‘देवदास फिल्म देखने के लिए तैयार हो गए. वह बेमन से गए थे लेकिन फिल्म देखते-देखते उनकी आँखें नम हो गई और जब वह गाना आया ‘पिया बिन नाहीं आवत चैन’ तो सहगल की दर्द भरी आवाज़ में राग झिंझोटी में उक्त ठुमरी सुन कर उनकी आँखों से बेइख्तियार आंसू बहने लगे.
पिक्चर की समाप्ति पर उन्होंने इस नौजवान (सहगल) से मिलने की इच्छा व्यक्त की. नवाब साहब ने सहगल को बुलाने की पेशकश की. उस्ताद ने कहा कि नहीं, मैं खुद उसके पास चल कर जाऊंगा. कदाचित यह गौरव किसी फिल्म कलाकार को न मिला होगा कि इतना बड़ा गवैय्या खुद चल कर उसका गाना सुनने जाए. खां साहब ने मिल कर सहगल का गाना सुनने की अपनी ख्वाहिश बतायी. सहगल यह सुन कर मानो ज़मीन में गड़ गए. बोले कि यह आप क्या फरमा रहे है, मैं नाचीज़ तो आपके सामने गाना तो क्या जुबान भी नहीं खोल सकता. खां साहब ने कहा कि नहीं, यह मेरा हुक्म है.
सहगल इसे कैसे टाल सकते थे. उन्होंने उस्ताद के चरणों में सर झुकाया और हारमोनियम ले कर जैसे ही गाना शुरू किया, खां साहब की आँखों से फिर आंसुओं की धार बहने लगी. गाना ख़त्म हो जाने के बाद उस्ताद ने सहगल को गले लगा लिया और भावुक हो कर बोले कि तुम्हारे गाने में वो जादू है जो किसी भी रूह को बैचेन कर देगा.
उनकी गाई ग़ज़ल ‘ए कातिबे तकदीर मुझे इतना बता दे... ‘ (फिल्म: माई सिस्टर/ बेनर: न्यू थिएटर्स/ गीत: पंडित भूषन/ संगीत: पंकज मलिक) आज भी ग़ज़ल गायकों के लिए मार्ग दर्शक का स्थान रखती है. इसके अलावा सहगल द्वारा गाई गयी ग़ालिब की दो ग़जलें ‘नुक्ताचीं है ग़मे दिल ... ‘ (फिल्म: यहूदी के लडकी) तथा ‘दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गयी’ (फिल्म: कारवाने हयात) को उन्होंने जिस तर्ज़े बयानी और सोज़ में भीगी हुयी आवाज़ में गाया है कि आज भी सुनने वालों पर अपना जादू कायम रखे हुए हैं.
अंत में फिल्म स्ट्रीट सिंगर का सब से महत्वपूर्ण गीत ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाए’ एक पारंपरिक ठुमरी है जिसे उस्ताद फैय्याज़ खां तथा अन्य कई उस्ताद गाया करते थे. किन्तु सहगल ने इसे शुद्ध भैरवी में गा कर सब को आश्चर्यचकित कर दिया. सहगल की मृत्यु के 65 साल बाद भी सहगल की आवाज़ का जादू ज्यों का त्यों बरकरार है.
(शरद दत्त जी की पुस्तक ‘के.एल.सहगल की जीवनी’ से प्रेरित).
rajnish manga
18-01-2017, 11:01 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 जनवरी)
हरिवंशराय बच्चन / Harivansh Rai Bachchan
लेखक कवि और व्याख्याता
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33906&d=1484764845
rajnish manga
18-01-2017, 11:06 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 जनवरी)
हरिवंशराय बच्चन / Harivansh Rai Bachchan
डॉ. हरिवंश राय ‘बच्चन’ का जन्म 27/11/1907 को प्रयाग में हुआ. उनकी प्रारम्भिक और स्कूली शिक्षा इलाहाबाद के स्कूलों में हुयी और उच्च शिक्षा प्रयाग और काशी विश्वविद्यालय में संपन्न हुयी. 1941 से 1952 तक वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के लेक्चरर रहे. तत्पश्चात वे आईरिश कवि डब्ल्यू बी यीट्स के काव्य पर शोधकार्य के सिलसिले में 1952 से 1954 तक इंगलैंड में रहे जहाँ उन्होंने केम्बिज यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की.
1941 से 1952 तक वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के लेक्चरर रहे. तत्पश्चात वे आईरिश कवि डब्ल्यू बी यीट्स के काव्य पर शोधकार्य के सिलसिले में 1952 से 1954 तक इंगलैंड में रहे जहाँ उन्होंने केम्बिज यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की. . दिल्ली में रहते हुए उन्होंने ‘सोपान’ नाम से एक कोठी भी बनवा ली थी. 1972 से लेकर जीवन की संध्या तक वे दिल्ली और मुंबई के बीच आते जाते रहे. मुंबई में उनके होनहार अभिनेता पुत्र अमिताभ बच्चन अपने परिवार के साथ रहते है. जीवन के अंतिम दिनों में बच्चन जी (जिन्हें उनके पुत्र बाबूजी कह कर बुलाते थे) मुंबई में ही रहने लगे थे. यहीं पर 18 जनवरी 2003 को उन्होंने अंतिम सांस ली.
बच्चन जी के कृतित्व की बात करें तो उन्होंने सन 1932 से लेकर जीवन पर्यंत लगभग 55 मौलिक कृतियों के अतिरिक्त बहुत सी संपादित और अनूदित रचनाओं (उमर ख़य्याम की रुबाइयाँ और शेक्सपीयर के कुछ नाटक) से भी हिंदी साहित्य के भण्डार में अपना अमूल्य योगदान दिया. ‘मधुशाला’ के अतिरिक्त चार खण्डों में प्रकाशित उनकी आत्मकथा हिंदी साहित्य में न सिर्फ़ अत्यंत सम्मानजनक स्थान रखती है बल्कि लोकप्रियता में भी शीर्ष पर (बेस्ट सैलर) रही हैं.
पुरस्कार: 1968 में वे साहित्य अकादमी द्वारा (अपनी कृति ‘दो चट्टानें’ के लिये) पुरस्कृत किये गए. उनकी आत्मकथा के लिये उन्हें प्रतिष्ठित ‘सरस्वती सम्मान’ प्राप्त हुआ. सन 1976 में उन्हें उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिये भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण’ सम्मान से अलंकृत किया गया. इन पुरस्कारों के अतिरिक्त भी उन्हें उनके जीवन काल में कई देशी और विदेशी सम्मान प्राप्त हुये.
मुझे इस बात का गर्व है कि कॉलेज के दिनों मे उन्हें रू-ब-रू सुनने का मौक़ा मिला. उन दिनों वे मधुशाला की रुबाइयों का सस्वर पाठ किया करते थे. बच्चन जी को हमारी सादर श्रद्धांजलि.
>>>
rajnish manga
18-01-2017, 11:09 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 जनवरी)
हरिवंशराय बच्चन / Harivansh Rai Bachchan
डॉ हरिवंशराय बच्चन अनुवाद कार्य में कितने प्रवीण थे यह रॅाबर्ट फ्रॉस्ट (Robert Frost) की कविता के एक अंश के अनुवाद से स्पष्ट हो
The Woods are lovely dark and deep
But I have promises to keep
And miles to go before I sleep
And miles to go before I sleep
उपरोक्त पंक्तियों का बच्चन जी के द्वारा भावानुवाद:
गहन सघन मनमोहक वन तरु, मुझको आज बुलाते हैं.
किन्तु किये जो वादे मैंने, याद मुझे आ जाते हैं.
अभी कहाँ आराम बदा, ये मूक निमंत्रण छलना है,
अरे अभी तो मीलों मुझको, मीलों मुझको चलना है.
*****
soni pushpa
21-01-2017, 12:14 AM
नया सूत्र शुरू किया आपने तिथि और तरीकों के अनुसार सब बड़ी बड़ी विभूतियों के बारे में जानकारी एकत्रित करना और उसे यहाँ हम सबसे शेयर करना कोई छोटी बात नहीं भाई उसके लिए आपकी मेहनत और लगन के लिए हम सब आपके शुक्रगुज़ार हैं हैं आप ने हमेशा फोरम को उपयोगी जानकारियों से सबलऔर रोचक बनाये रखा है भाई .
हार्दिक आभार सह बहुत बहुत धन्यवाद भाई
rajnish manga
21-01-2017, 08:31 AM
नया सूत्र शुरू किया आपने तिथि और तरीकों के अनुसार सब बड़ी बड़ी विभूतियों के बारे में जानकारी एकत्रित करना और उसे यहाँ हम सबसे शेयर करना कोई छोटी बात नहीं भाई उसके लिए आपकी मेहनत और लगन के लिए हम सब आपके शुक्रगुज़ार हैं हैं आप ने हमेशा फोरम को उपयोगी जानकारियों से सबलऔर रोचक बनाये रखा है भाई .
हार्दिक आभार सह बहुत बहुत धन्यवाद भाई
सूत्र को पसंद करने तथा उसके बारे में सकारात्मक टिप्पणी देने के लिये आपका आभारी हूँ, बहन पुष्पा जी. इस प्रोत्साहन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
Deep_
21-01-2017, 11:17 PM
नया सूत्र शुरू किया आपने तिथि और तरीकों के अनुसार सब बड़ी बड़ी विभूतियों के बारे में जानकारी एकत्रित करना और उसे यहाँ हम सबसे शेयर करना कोई छोटी बात नहीं भाई उसके लिए आपकी मेहनत और लगन के लिए हम सब आपके शुक्रगुज़ार हैं हैं आप ने हमेशा फोरम को उपयोगी जानकारियों से सबलऔर रोचक बनाये रखा है भाई .
हार्दिक आभार सह बहुत बहुत धन्यवाद भाई
सही कथन है पुष्पा जी । रजनीश जी फोरम के सूर्य है जो उगना कभी नही भुलते ।
rajnish manga
22-01-2017, 07:46 AM
सही कथन है पुष्पा जी । रजनीश जी फोरम के सूर्य है जो उगना कभी नही भुलते ।
आपके स्नेहपूर्ण शब्दों के लिये बहुत आभारी हूँ, दीप जी. सूर्य तो नहीं, हाँ, एक टिमटिमाता सितारा बना रहूँ, मेरे लिये यही बहुत है. आपका हार्दिक धन्यवाद.
rajnish manga
22-01-2017, 07:54 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 जनवरी)
ओशो / Osho
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33907&stc=1&d=1485057213
rajnish manga
22-01-2017, 08:22 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 जनवरी)
ओशो / Osho
तत्व का कोई निर्माण नहीं होता; निर्माण केवल संयोगों का होता है। तत्व वह है, जिसे हम न बना सकेंगे। इस देश ने तत्व की परिभाषा की है, वह जिसे हम पैदा न कर सकेंगे और जिसे हम नष्ट न कर सकेंगे। अगर किसी तत्व को हम नष्ट कर लेते हैं, तो सिर्फ इतना ही सिद्ध होता है कि हमने गलती से उसे तत्व समझा था; वह तत्व था नहीं। अगर किसी तत्व को हम बना लेते हैं, तो उसका मतलब इतना ही हुआ कि हम गलती से उसे तत्व कह रहे हैं; वह तत्व है नहीं।
दो तत्व हैं जगत में। एक, जो हमें चारों तरफ फैला हुआ जड़ का विस्तार दिखाई पड़ता है, मैटर का। वह एक तत्व है। और एक जीवन चैतन्य, जो इस जगत में फैले विस्तार को देखता और जानता और अनुभव करता है। वह एक तत्व है, चैतन्य, चेतना। इन दो तत्वों का न कोई निर्माण है और न कोई विनाश है। न तो चेतना नष्ट हो सकती है और न पदार्थ नष्ट हो सकता है।
हां, संयोग नष्ट हो सकते हैं। मैं मर जाऊंगा, क्योंकि मैं सिर्फ एक संयोग हूं; आत्मा और शरीर का एक जोड़ हूं मैं। मेरे नाम से जो जाना जाता है, वह संयोग है। एक दिन पैदा हुआ और एक दिन विसर्जित हो जाएगा। कोई छाती में छुरा भोंक दे, तो मैं मर जाऊंगा। आत्मा नहीं मरेगी, जो मेरे मैं के पीछे खड़ी है; और शरीर भी नहीं मरेगा, जो मेरे मैं के बाहर खड़ा है। शरीर पदार्थ की तरह मौजूद रहेगा, आत्मा चेतना की तरह मौजूद रहेगी, लेकिन दोनों के बीच का संबंध टूट जाएगा। वह संबंध मैं हूं। वह संबंध मेरा नाम-रूप है। वह संबंध विघटित हो जाएगा। वह संबंध निर्मित हुआ, विनष्ट हो जाएगा।
rajnish manga
23-01-2017, 05:00 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 जनवरी)
नेता जी सुभाष चंद्र बोस / Netaji Subhash Chandra Bose
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33908&stc=1&d=1485176403
rajnish manga
23-01-2017, 05:04 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 जनवरी)
नेता जी सुभाष चंद्र बोस / Netaji Subhash Chandra Bose
पढ़ाई में सदा अव्वल रहने वाले सुभाष चन्द्र अपने माता-पिता की इच्छा के अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.सी.एस.) की तैयारी के लिये 1919 में इंग्लैंड चले गए थे। इसके लिये उन्होंने 1920 में आवेदन किया और इस परीक्षा में उनको न सिर्फ सफलता मिली बल्कि उन्होंने चौथा स्थान भी हासिल किया। उनका मन इसमें नहीं रमा. 1921 में उन्होंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया। भारत वापस आने के बाद नेता जी गांधीजी के संपर्क में आए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। 1938 (हरिपुरा) और 1939 (त्रिपुरी) में कांग्रेस के अध्यक्षचुने गए. इस समय विश्व दूसरे विश्व-युद्ध के दहाने पर खड़ा था. नेता जी ने अंग्रेजों को छः माह के भीतर भारत से निकल जाने का अल्टीमेटम दे दिया. महात्मा गाँधी और कांग्रेस के अन्य बड़े नेता अभी ऐसे क़दम के पक्ष में नहीं थे. नेता जी ने इन परिस्थितियों में कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया.
उन्होंने 1939 में ही अपनी नई पार्टी फॉरवर्ड ब्लाक का गठन किया. नेता जी को अपने बाग़ी तेवरों के कारण बहुत बार जेल भी जाना पड़ा. 1941 में वे अंग्रेज़ों की आँखों में धूल झोंकते हुये कलकत्ता में अपने घर में नज़रबंदी से भाग निकले. उन्होंने भेष बदल कर यह कारनामा किया. वे अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते जर्मनी जा पहुंचे. जर्मनी और जापान उन दिनों अलाइड फोर्सेज के विरोध में खड़े हुये थे. नेता जी इन दोनों देशों के सहयोग से अंग्रेजी शासन को भारत से खदेड़ना चाहते थे. जापान में उन दिनों रास बिहारी बोस पहले से मौजूद थे. उन्होंने अपने साथियों कैप्टेन मोहन सिंह तथा निरंजन सिंह गिल ने मिल कर Indian National Army या आज़ाद हिंद फ़ौज की स्थापना की. इसकी प्रथम ब्रिगेड का गठन 1 दिसम्बर सन 1942 अमल में आया. इसमें 16300 सैनिक थे. इसमें उन भारतीय फ़ोजियों का भी बहुत रोल रहा जिन्हें जापान ने द्वितीय युद्ध के दौरान युद्धबंदी बना लिया था. उस समय जापान के पास लगभग 60000 भारतीय युद्धबंदी थे.
जुलाई 1943 में नेता जी जर्मन पनडुब्बी द्वारा सिंगापुर पहुँच गए. सिंगापुर का काफ़ी हिस्सा उन दिनों जापान के कब्जे में था. यहाँ से ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण अभियान शुरू हुआ. यहाँ उन्होंने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया. 4 जुलाई 1943 ई. को सुभाष चन्द्र बोस ने 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' एवं 'इंडियन लीग' की कमान को संभाला। आज़ाद हिन्द फ़ौज के सिपाही सुभाषचन्द्र बोस को 'नेताजी' कहते थे। बोस ने अपने सिपाहियों को 'जय हिन्द' का नारा दिया। उन्होंने 21 अक्टूबर, 1943 ई. को सिंगापुर में अस्थायी 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की। राम सिंह ठाकुर का यह गाना – क़दम क़दम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा, ये ज़िंदगी है कौम की तू कौम पर लुटाये जा – आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिकों में आत्मविश्वास का संचार करता था। यह गीत आज भी हमारे फौज के कदमताल का गीत है।
जुलाई, 1944 ई. को सुभाष चन्द्र बोस ने रेडियो पर गांधी जी को संबोधित करते हुए कहा "भारत की स्वाधीनता का आख़िरी युद्ध शुरू हो चुका हैं। हे राष्ट्रपिता! भारत की मुक्ति के इस पवित्र युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएं चाहते हैं।" सुभाषचन्द्र बोस ने सैनिकों का आहवान करते हुए कहा “तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।”
आज़ाद हिंद फ़ौज ने जब भारत की और कूच किया तो उन्हें बर्मा तथा भारत की पूर्वी सीमा पर अंग्रेजी सेना से मुक़ाबला करना पड़ा. दुर्भाग्यवश द्वितीय युद्ध में जापान को पराजय का सामना करना पड़ा. इस बीच ताइपे में एक विमान दुर्घटना में नेता जी की जान चली गई. इस सारे घटना क्रम का आज़ाद हिंद फ़ौज की तैयारियों तथा योजनाओं पर भारी असर पड़ा. आज़ाद हिंद फ़ौज के बहुत से सैनिक तथा अफ़सर अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिये गए और उन पर दिल्ली के लाल किले में देशद्रोह का मुकद्दमा चलाया गया.
इसमें मुख्य अभियुक्त थे प्रेम सहगल, गुरबख्श सिंह ढिल्लों तथा शाहनवाज़ खान. इन मुकद्दमों के विरुद्ध सारे देश में जलसे और जलूस निकाले गए. आन्दोलन किये गए और अखबारों में भी उनकी सहानुभूति में आलेख छपने लगे. सारे देश में 1946 की दिवाली भी नहीं मनाई गई, दिये भी नहीं जलाए गए. अंग्रेजी हकुमत के विरुद्ध जब दबाव बढ़ा तो इन सभी के विरुद्ध देशद्रोह का आरोप हटा लिया गया. निर्णय में उन्हें जलावतन की सजा मिली. जनता के व्यापक प्रतिरोध के बाद इसे भी निरस्त कर दिया गया. इन घटनाओं के कुछ दिन बाद ही भारत स्वतंत्र हुआ.
soni pushpa
24-01-2017, 12:39 PM
आज के युग की आधुनिक सुविधाओं के बिना आज़ादी की लड़ाई लड़ी कितने कष्ट सहे थे नेताजी ने उस परम वीर नेताजी को हम कैसे भूल सकते हैं.
सादर अभीवादन करते हैं हम उन्हें ..
धन्यवाद भाई
rajnish manga
24-01-2017, 05:04 PM
आज के युग की आधुनिक सुविधाओं के बिना आज़ादी की लड़ाई लड़ी कितने कष्ट सहे थे नेताजी ने उस परम वीर नेताजी को हम कैसे भूल सकते हैं.
सादर अभीवादन करते हैं हम उन्हें ..
धन्यवाद भाई
हम इन महापुरुषों की देन को कैसे भूल सकते हैं. उन्होंने कभी अपनी या अपने जीवन की परवाह नहीं की. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिये बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
rajnish manga
24-01-2017, 05:14 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 जनवरी)
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा / Dr. Homi Jehangir Bhaba
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33909&stc=1&d=1485263569
rajnish manga
24-01-2017, 05:17 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 जनवरी)
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा / Dr. Homi Jehangir Bhaba
भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक होमी भाभा 12वीं पास करने के बाद कैम्ब्रिज में पढने गये और 1930 में मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री हासिल किये। अध्ययन के दौरान उन्हे लगातार छात्रवृत्ती मिलती रही। 1934 में उन्होने पीएचडी की डिग्री हासिल की, इसी दौरान होमी भाभा को आइजेक न्यूटन फेलोशिप मिली। होमी भाभा को प्रसिद्ध वैज्ञानिक रुदरफोर्ड, डेराक, तथा नील्सबेग के साथ काम करने का अवसर मिला था। उन्होंने कॉस्केटथ्योरी ऑफ इलेक्ट्रान का प्रतिपादन करने साथ ही कॉस्मिक किरणों पर भी काम किया जो पृथ्वी की ओर आते हुए वायुमंडल में प्रवेश करती है। उन्होने कॉस्मिक किरणों की जटिलता को सरल किया। दूसरे विश्वयुद्ध के प्रारंभ में होमी भारत वापस आ गये। 1940 में भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलौर में सैद्धान्तिक रीडर पद पर नियुक्त हुए। उन्होने कॉस्मिक किरणों की खोज के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की। 1941 में मात्र 31 वर्ष की आयु में आपको रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुना गया था। नोबल पुरस्कार विजेता प्रो. सी.वी. रमन भी होमी भाभा से प्रभावित थे।
शास्त्रिय संगीत, मूर्तीकला तथा नित्य आदि क्षेत्रों के विषयों पर भी आपकी अच्छी पकङ थी। वे आधुनिक चित्रकारों को प्रोत्साहित करने के लिए उनके चित्रों को खरीद कर टॉम्ब्रे स्थित संस्थान में सजाते थे। संगीत कार्यक्रमों में सदैव हिस्सा लेते थे और कला के दूसरे पक्ष पर भी पूरे अधिकार से बोलते थे, जितना कि विज्ञान पर। उनका मानना था कि सिर्फ विज्ञान ही देश को उन्नती के पथ पर ले जा सकता हैं।
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rajnish manga
24-01-2017, 05:21 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 जनवरी)
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा / Dr. Homi Jehangir Bhaba
होमी भाभा ने टाटा को एक संस्थान खोलने के लिए प्रेरित किया। टाटा के सहयोग से होमी भाभा का परमाणु शक्ति से बिजली बनाने का सपना साकार हुआ। भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने की महात्वाकांक्षा मूर्तरूप लेने लगी, जिसमें भारत सरकार तथा तत्कालीन मुम्बई सरकार का पूरा सहयोग मिला। नव गठित टाटा इन्सट्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च के वे महानिदेशक बने। उस समय विश्व में परमाणु शक्ति से बिजली बनाने वाले कम ही देश थे।
24 जनवरी 1966 को जब वे अर्तंराष्ट्रीय परिषद में शान्ति मिशन के लिए भाग लेने जा रहे थे तो उन्हे ले जाने वाला बोइंग विमान 707 खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में डॉ भाभा की मौत हो गई । टॉम्ब्रे के वैज्ञानिकों ने इस असहनीय दुःख को सहते हुए पूरे दिन परिश्रम पूर्ण कार्य करके उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि दी। लालफिताशाही से उन्हे सख्त चिढ थी तथा किसी की मृत्यु पर काम बन्द करने के वे सख्त खिलाफ थे। उनके अनुसार कङी मेहनत ही किसी महान व्यक्ति को डी जाने वाली सच्ची श्रद्धांजलि है। भारत सरकार ने 12 जनवरी 1967 को टॉम्ब्रे संस्थान का नामकरण उनके नाम पर यानि भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र कर दिया। डॉ. होमी भाभा असमय चले गये किन्तु उनका सपना साकार हो गया, 1974 में भारत पूर्ण परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बन गया।
rajnish manga
25-01-2017, 07:56 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 जनवरी)
महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय / Sawai Jai Singh ll
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33910&stc=1&d=1485316438
rajnish manga
25-01-2017, 08:00 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 जनवरी)
महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय / Sawai Jai Singh ll
आज से ठीक 317 वर्ष पूर्व अर्थात् 25 जनवरी सन 1700 के दिन महाराजा बिशन सिंह की असमय मृत्यु के उपरान्त कछवाहा वंश के 11 वर्षीय बालक जिनका जन्म के बाद का नाम विजय सिंह था, जो बाद में जय सिंह द्वितीय (या महाराजा सवाई जय सिंह) के नाम से प्रसिद्ध हुये, आमेर राज्य के सिंहासन पर आसीन हुये थे. अपने असाधारण ज्ञान, कौशल, कूटनीति, शौर्य तथा अपने कृतित्व के कारण भारतीय इतिहास के पन्नों में ही नहीं बल्कि लोगों के दिलों में भी जीवित हैं.
soni pushpa
26-01-2017, 11:41 AM
केफ़ीआज़मी जी और मार्टिन लूथर के बारे में हमें नया कुछ जानने को मिला भाई बहुत बहुत धन्यवाद हमसे शेयर करने के लिए .
दूसरी बात ये कहना चाहूंगी की नया सूत्र जो की नई जानकारियों से भरपूर है उसे शुरू करने के लिए अनेकानेक बधाइयाँ
rajnish manga
28-01-2017, 10:30 AM
केफ़ीआज़मी जी और मार्टिन लूथर के बारे में हमें नया कुछ जानने को मिला भाई बहुत बहुत धन्यवाद हमसे शेयर करने के लिए .
दूसरी बात ये कहना चाहूंगी की नया सूत्र जो की नई जानकारियों से भरपूर है उसे शुरू करने के लिए अनेकानेक बधाइयाँ
पोस्ट की गई सामग्री को पसंद करने के लिये तथा सूत्र में समंजित मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
rajnish manga
28-01-2017, 10:33 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 जनवरी)
कमलेश्वर / Kamleshwar
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33911&d=1485585491
rajnish manga
28-01-2017, 10:34 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 जनवरी)
कमलेश्वर / Kamleshwar
बहुमुखी प्रतिभा के धनी और नयी कहानी आंदोलन के अगुआ रहे कमलेश्वर की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:
कहानी-संग्रहों में ज़िंदा मुर्दे व वही बात, आगामी अतीत, डाक बंगला, काली आँधी।
चर्चित उपन्यासों में कितने पाकिस्तान, डाक बँगला, समुद्र में खोया हुआ आदमी, एक और चंद्रकांता।
उन्होंने आत्मकथा, यात्रा-वृत्तांत और संस्मरण भी लिखे हैं।
कमलेश्वर ने लगभग 100 फिल्मों के संवाद, कहानी या पटकथाएँ लिखीं। उन्होंने सारा आकाश, अमानुष, आँधी, सौतन की बेटी, लैला, व मौसम जैसी फ़िल्मों की पट-कथा के अतिरिक्त 'मि. नटवरलाल', 'द बर्निंग ट्रेन', 'राम बलराम' जैसी फ़िल्मों सहित अनेक हिंदी फ़िल्मों का लेखन किया।
दूरदर्शन (टी.वी.) धरावाहिकों में 'चंद्रकांता', 'युग', 'बेताल पचीसी', 'आकाश गंगा', 'रेत पर लिखे नाम' इत्यादि का लेखन किया।
वे दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर भी आसीन रहे तथा उन्होंने अनेक पत्र पत्रिकाओं का संपादन भी किया जैसे सारिका,कथा क्रम, गंगा, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर आदि.
उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिये भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। कमलेश्वर को ‘कितने पाकिस्तान’ उपन्यास के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया किया।
rajnish manga
28-01-2017, 10:39 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (28 जनवरी)
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय /Lala Lajpat Rai
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33912&stc=1&d=1485585478
rajnish manga
28-01-2017, 10:45 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (28 जनवरी)
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय /Lala Lajpat Rai
महान देशभक्त लाला लाजपत राय का नाम भारत के महान क्रांतिकारियों में गिना जाता है। वे आजीवन ब्रिटिश साम्राज्यवाद की ताकत से लड़ते रहे और उसी का सामना करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुती दे दी। लालाजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता (लाल बाल पाल में से एक) तथा पूरे पंजाब के प्रतिनिधि थे। उन्हें 'पंजाब के शेर' की उपाधि भी मिली थी। उन्होंने क़ानून की शिक्षा प्राप्त कर कुछ समय तक वकालत भी की थी, किन्तु बाद में स्वामी दयानन्द के सम्पर्क में आने के कारण वे आर्य समाज के के प्रबल समर्थक बन गये। यहीं से उनमें उग्र राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई।
सन 1928 में सारे देश में साइमन कमीशन के विरोध में विरोध प्रदर्शन हुये और जलूस निकाले गए. इनको दबाने के लिये अंग्रेजों द्वारा दमन चक्र शुरू कर दिया गयाl लोगों को तितर बितर करने के लिये जगह जगह लाठी चार्ज हुये और गिरफ्तारियां की गयींl 30 अक्टूबर 1928 को लाला जी के नेतृत्व में लाहौर में एक विशाल जलूस निकाला गयाl अपनी दमनकारी नीतियों के अनुसार सरकारी अधिकारियों द्वारा शांतिपूर्ण और निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज का आदेश दिया गयाl अन्य लोगों के साथ साथ लाला जी भी इस लाठी चार्ज में बुरी तरह घायल हो गएl उनकी छाती पर लाठी के घातक वार किये गए थेl गंभीर चोटों की वजह से दिनांक 17 नवंबर 1928 को लाला जी ने प्राण त्याग दिएl मृत्यु से पहले लाला जी ने कहा था ‘मेरे शरीर पर पड़ी एक एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक एक कील का काम करेगीl”
उन्होंने महात्मा हंसराज के साथ मिल कर उस वक़्त के पंजाब में दयानन्द एंग्लो वैदिक (DAV) शैक्षणिक संस्थाओं, स्कूलों व कॉलेजों की स्थापना कीl उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक तथा लक्ष्मी बीमा कं. की भी स्थापना कीl उन्होंने 1920 में मुंबई (तब बम्बई) में आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थीl
उन्होंने उस समय के उर्दू दैनिक वन्दे मातरम में लिखा था "मेरा मज़हब हक़परस्ती है, मेरी मिल्लत क़ौमपरस्ती है, मेरी इबादत खलकपरस्ती है, मेरी अदालत मेरा ज़मीर है, मेरी जायदाद मेरी क़लम है, मेरा मंदिर मेरा दिल है और मेरी उमंगें सदा जवान हैं।" लालाजी एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी, प्रतिबद्ध समाज सेवक, शिक्षाविद, मजदूरों के हक़ के लिये लड़ने वाले नेता, देशभक्त लेखक तथा निर्भीक पत्रकार थेl वे सच्चे अर्थों में भारत के गौरव थेl आज भारत के इस महान सपूत के जन्मदिवस पर हम उन्हें आदर एवम् श्रद्धापूर्वक नमन करते हैंl
rajnish manga
29-01-2017, 11:44 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (29 जनवरी)
हिकी'ज़ बंगाल गजट /Hicky's Bengal Gazette
29 जनवरी 1780 को भारत के पहले अखबार का प्रकाशन आरम्भ हुआ:
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33914&stc=1&d=1485675585
भारत का पहला अख़बार
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33913&stc=1&d=1485675585
rajnish manga
29-01-2017, 11:52 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (29 जनवरी)
हिकी'ज़ बंगाल गजट /Hicky's Bengal Gazette
29 जनवरी 1780
जेम्स अगस्ट्न हिकी ने कलकत्ता से साप्ताहिक अखबार बंगाल गजट या हिकीज गजट का प्रकाशन शुरू किया.
भारतीय पाठकों और दर्शकों के लिए आज अखबार, रेडियो और टेलीविजन में समाचार पढ़ने, सुनने और देखने के लिए हजारों विकल्प मौजूद हैं. लेकिन ज़रा सोचें कि अब से 237 वर्ष पहले समाचारों के आदान प्रदान का क्या स्वरूप होता होगा जब कोई अखबार या रेडियो टीवी नहीं थे. भारत का पहला अखबार 29 जनवरी 1780 को एक अंग्रेज जेम्स अगस्ट्न हिकी ने कोलकाता से निकाला. इसका नाम बंगाल गजट (Hicky’s Bengal Gazette) था और इसे अंग्रेजी में निकाला गया. इसे हिकीज गजट भी कहा जाता है. यह चार पृष्ठों का अखबार हुआ करता था और सप्ताह में एक बार प्रकाशित होता था. हिकी भारत के पहले पत्रकार थे जिन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता के लिये ब्रिटिश सरकार से संघर्ष किया. हिकी ने बिना डरे अखबार के जरिए भ्रष्टाचार और ब्रिटिश शासन की आलोचना की. हिकी को अपने इस दुस्साहस का अंजाम भारत छोड़ने के फरमान के तौर पर भुगतना पड़ा था. ब्रिटिश शासन की आलोचना करने के कारण बंगाल गजट को जब्त कर लिया गया था. 23 मार्च 1782 को अखबार का प्रकाशन बंद हो गया. इस तरह भारत में प्रिंट मीडिया की शुरूआत करने का श्रेय हिकी को ही जाता है.
soni pushpa
30-01-2017, 11:08 AM
Etani mahtvapurna jankariyon se hame avagat karwane ke liye bahut bahut dhanywad bhai.
rajnish manga
30-01-2017, 07:16 PM
etani mahtvapurna jankariyon se hame avagat karwane ke liye bahut bahut dhanywad bhai.
उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रिया, बहन पुष्पा जी.
rajnish manga
30-01-2017, 07:22 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 जनवरी)
महात्मा गाँधी / Mahatma Gandhi
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को आज उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन करते हुये हमारी श्रद्धांजलि
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33916&stc=1&d=1485789681
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33915&stc=1&d=1485789681
rajnish manga
30-01-2017, 10:18 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 जनवरी)
अमृता शेर-गिल / Amrita Sher-Gil
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33918&stc=1&d=1485800191^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33917&stc=1&d=1485800191
rajnish manga
30-01-2017, 10:20 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 जनवरी)
अमृता शेर-गिल / Amrita Sher-Gil
सिख पिता उमराव सिंह और हंगरी मूल की मां मेरी एंटोनी गोट्समन जो ओपेरा गायिका थीं, की यह पुत्री मात्र 8 वर्ष की आयु में पियानो-वायलिन बजाने के साथ-साथ कैनवस पर भी हाथ आजमाने लगी थी। अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी 1913 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था।
सन 1921 में अमृता शेरगिल का परिवार शिमला (समर हिल) आ गया। अमृता ने जल्द ही पियानो ओर वायलीन सीखना प्रारंभ कर दिया और मात्र 9 वर्ष की उम्र में ही अपनी बहन इंदिरा के साथ मिलकर उन्होंने शिमला के गैएटी थिएटर में संगीत कार्यक्रम पेश करना और नाटकों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया। चित्रकला में अमृता की रूचि को देखते हुये उनकी माँ उन्हें 1924 में कला के लिये प्रसिद्ध स्थान फ्लोरेंस (इटली) ले आयीं। यहाँ उन्हें इतालवी मास्टर्स के कामों की जानकारी हासिल हुयी। कुछ समय बाद पुनः भारत आ गयीं। सन 1929 में जब अमृता 16 वर्ष की थीं तब अपनी माँ के साथ पेरिस (फ्रांस) चली गयीं जहां उन्होंने फ्रांसीसी कला शैलियों का अध्ययन और अभ्यास किया।
सन 1934 में वे पुनः भारत लौट आयीं। वापस आकर उन्होंने अपने आप को भारत की परंपरागत कला की खोज में लगा दिया और अपनी मृत्यु तक यह कार्य करती रहीं। अपनी इन यात्राओं के दौरान उनका रुझान भारतीय जनजीवन और भारतीय विषयों की ओर मुड़ गया. वे अजंता के चित्रों तथा बंगाल के चित्रकारों से भी बहुत प्रभावित हुयीं। मात्र 28 वर्ष की आयु में ही लाहौर में उनका निधन हो गया।
अमृता शेरगिल की एक बेनाम पेंटिंग सेफ्रनआर्ट ऑनलाइन नीलामी में 4.75 करोड़ रुपये (7.20 लाख डॉलर) में बिकी। देश की महिला कलाकारों में अग्रणी अमृता शेरगिल ने अपने एक दशक के संक्षिप्त कार्यकाल में भारतीय कला जगत पर गहरी छाप छोड़ी।
Pavitra
30-01-2017, 10:53 PM
सही कथन है पुष्पा जी । रजनीश जी फोरम के सूर्य है जो उगना कभी नही भुलते ।
आपकी इस बात से मैं पूर्णत सहमत हूं ,रजनीश जी वास्तव में ही फोरम के सूर्य हैं जिनसे यह फोरम प्रकाशित है |
rajnish manga
31-01-2017, 11:54 AM
आपकी इस बात से मैं पूर्णत सहमत हूं ,रजनीश जी वास्तव में ही फोरम के सूर्य हैं जिनसे यह फोरम प्रकाशित है |
आपके इस स्नेह और सम्मान के लिये मैं आभारी हूँ. आपका बहुत बहुत धन्यवाद, पवित्रा जी.
Rajat Vynar
31-01-2017, 02:36 PM
सही कथन है पुष्पा जी । रजनीश जी फोरम के सूर्य है जो उगना कभी नही भुलते ।
पूर्ण सहमत, किन्तु एक संशोधन के साथ-
रजनीश जी फ़ोरम के एकमात्र सूर्य हैं जो कभी उगना नहीं भूलते।
rajnish manga
01-02-2017, 09:50 AM
पूर्ण सहमत, किन्तु एक संशोधन के साथ-
रजनीश जी फ़ोरम के एकमात्र सूर्य हैं जो कभी उगना नहीं भूलते।
आप इतना मान देते हैं और मेरा साथ देते हैं इस सब के लिये मैं आपका आभारी हूँ, रजत जी. मेरे लिये यही काफी है कि मैं एक टिमटिमाता सितारा बना रहूँ.
abhisays
02-02-2017, 04:24 AM
रजनीश जी, इस सूत्र की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, फोरम के बेहतरीन सूत्रों में से एक. :hello:
rajnish manga
02-02-2017, 01:51 PM
रजनीश जी, इस सूत्र की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, फोरम के बेहतरीन सूत्रों में से एक. :hello:
तहे दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ, अभिषेक जी. मुझे खुशी है कि यह सूत्र आपको अच्छा लगा.
rajnish manga
02-02-2017, 01:55 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 जनवरी)
सीमाब अकबराबादी / Seemab Akbarabadi
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33919&stc=1&d=1486029289
rajnish manga
02-02-2017, 02:19 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 जनवरी)
सीमाब अकबराबादी / Seemab Akbarabadi
अल्लामा सीमाब अकबराबादी (मूल नाम सैयद आशिक़ हुसैन सिद्दीकी) के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म आगरा में हुआ था l विभाजन के बाद वे पाकिस्तान गए थे लेकिन लकवा हो जाने के कारण वहीँ रह गएl वो आगरा में जन्मे थे। वे अरबी, फ़ारसी और उर्दू जुबान के विद्वान थे । गद्य और पद्य दोनों में उनकी किताबें मिलती हैं। ग़ज़ल से अधिक उन्होंने नज़्मों की रचना की। एक साप्ताहिक पत्र ''ताज'' और एक मासिक पत्रिका ''शायर'' निकाला । पत्रिका शायर आज भी बम्बई से निकल रही है। उनका परिवार भारत में ही रहा था जो आगरा से शिफ्ट हो कर मुंबई आ गए थेl सीमाब साहब के बेटे इजाज़ सिद्दीकी काफी समय तक इस पत्रिका को चलाते रहे और बाद में उनके पौते इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी इसे चला रहे हैं. इफ्तिखार साहब भी उम्दा शायर हैं. उनकी एक ग़ज़ल फिल्म ‘अर्थ’ में आपने चित्र सिंह की आवाज़ में सुनी होगी ‘तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जायेगा / दूर तक तनहाइयों का सिलसिला रह जायेगा’. आइये सीमाब साहब के क़लाम से रू-ब-रू होते हैं:
सीमाब अकबराबादी ग़ज़ल
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अब क्या बताऊँ मैं तेरे मिलने से क्या मिला
इर्फ़ान-ए-ग़म हुआ मुझे, दिल का पता मिला
जब दूर तक न कोई फ़कीर-आश्ना मिला,
तेरा नियाज़-मन्द तेरे दर से जा मिला
मन्ज़िल मिली,मुराद मिली मुद्द'आ मिला,
सब कुछ मुझे मिला जो तेरा नक़्श-ए-पा मिला
या ज़ख़्म-ए-दिल को चीर के सीने से फेंक दे,
या ऐतराफ़ कर कि निशान-ए-वफ़ा मिला
"सीमाब" को शगुफ़्ता न देखा तमाम उम्र,
कमबख़्त जब मिला हमें कम-आश्ना मिला
शब्दार्थ: इर्फ़ान-ए-ग़म = दुःख का ज्ञान / नियाज़-मन्द = विनीत, चाहने वाला / मुराद = इच्छा,चाह / मुद्द'आ = विषय / नक़्श-ए-पा = पद-चिह्न / ऐतराफ़ = स्वीकार कर / शगुफ़्ता = आनंदित / तमाम = सारी / कमबख़्त = अशुभ
rajnish manga
02-02-2017, 05:11 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (2 फ़रवरी)
आचार्य रामचंद्र शुक्ल / Acharya Ram Chandra Shukla
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33920&stc=1&d=1486041034
rajnish manga
05-02-2017, 12:55 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (5 फ़रवरी)
चौरी चौरा विद्रोह / Chauri Chaura Vidroh
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33924&stc=1&d=1486284910
rajnish manga
05-02-2017, 12:58 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (5 फ़रवरी)
चौरी चौरा विद्रोह / Chauri Chaura Vidroh
दिनांक 5 फरवरी 1922 का चौरी चौरा (जिला गोरखपुर, उत्तर प्रदेश) का विद्रोह, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वह अभूतपूर्व घटना है, जिसने सत्याग्रह आन्दोलन के दूसरे चरण में किसान विद्रोह के क्रांतिकारी पक्ष को उभारा. इस विद्रोह में चौरी चौरा थाने को आग लगा दी गई थी जिसमें 23 पुलिस कर्मियों को ज़िन्दा जला दिया गया था. यह किसानों पर किये गए अत्याचारों पर उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी जिसे गुंडागर्दी या अपराध समझने की प्रवृत्ति, ज़मींदारी और ताल्लुक्दारी व्यवस्था व संस्कृति का ही एक षड़यंत्र थी. इस काण्ड के लिये परोक्ष रूप से स्थानीय ज़मींदार और उनका संरक्षक सब-इंस्पेक्टर गुप्तेश्वर सिंह ज़िम्मेदार था जो खुद इसी सामन्ती तबके से आता था. ग्रामीण जनता इन ज़मींदारों द्वारा मनमाना लगान वसूले जाने के शोषण से पहले ही तंग आ चुकी थी. इस स्थिति ने चिंगारी का काम किया.
दरअसल, इस घटना से कुछ दिन पहले यानी 1 फरवरी को एक ऐसी घटना हुयी जिसने निरीह किसानों को विद्रोह के लिये मजबूर कर दिया. उस दिन बिशुनपुरा जागीर के कारिंदों के उकसाने पर एस आई गुप्तेश्वर सिंह ने अकारण भगवान अहीर की मार मार कर चमड़ी उधेड़ दी थी. 4 फरवरी को जब किसान अपने साथी को अकारण पीटे जाने का कारण पूछने थाने पर गए तो एस आई को यह नागवार लगा और उसने किसानों के जलूस पर पहले लाठी चार्ज किया और एकाएक गोली चलाने का आदेश दे दिया.
एक वर्ष पूर्व (सन 1921 में) गांधी जी यहाँ लोगों में आज़ादी का शंखनाद फूंक गए थे. चौरी चौरा की गरीब जनता ने असहयोग आन्दोलन में अपने को एकजुट किया. स्वराज उनका मंत्र था और आज़ादी उनका लक्ष्य- चाहे किसी भी तरीके से मिले. अतः यह उनकी आकांक्षा का विद्रोह था. ग्रामीण आबादी के लिये ब्रिटिश सत्ता का सबसे नज़दीकी केंद्र पुलिस का थाना ही था जहां वे अपना विद्रोह जता सकते थे. करीब 60 गाँवों के स्वयं सेवकों का संगठन इसमें शामिल हुआ.
विद्रोहियों पर मुकद्दमा चला और 9 जनवरी सन 1923 को सेशन कोर्ट ने 172 किसानों को फाँसी की सजा सुना दी. इससे सारे भारत में उबाल आ गया. बाद में हाई कोर्ट में इसके विरुद्ध अपील की गई और लंबी सुनवाई के बाद बहुत से लोगों को बरी कर दिया गया, कईयों की सजाएं कम की गई और 19 लोगों को फाँसी की सजा बहाल रखी गई. 2 जुलाई 1923 से 11 जुलाई के बीच इन बहादुर विद्रोहियों को फाँसी दे दी गई. इन सभी शहीदों को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.
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23-02-2017, 11:01 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (8 फ़रवरी)
डॉ ज़ाकिर हुसैन / ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह / निदा फ़ाज़ली / जुल्स वर्न
Dr Zakir Husain / Singer Jagjit Singh / Nida Fazli / Jules Verne
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33926&stc=1&d=1487876343^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33927&stc=1&d=1487876343
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33928&stc=1&d=1487876343^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33929&stc=1&d=1487876343
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23-02-2017, 11:08 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 फ़रवरी)
सुदामा पाण्डेय धूमिल / Sudama Pandey Dhumil
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33930&stc=1&d=1487876841
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23-02-2017, 11:14 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 फ़रवरी)
सुदामा पाण्डेय धूमिल / Sudama Pandey Dhumil
9 नवंबर 1936 को बनारस के खेवली गांव में जन्मे स्व. सुदामा पाण्डेय की प्रारंभिक शिक्षा गांव की प्राथमिक पाठशाला में हुई। 1953 में उन्होंने हाई स्कूल किया लेकिन घर की आर्थिक दशा ठीक न होने के कारण वे आगे न पढ़ सके। भटकने के बाद पहले मजदूरी और बाद में एक नौकरी मिली। यहाँ कुछ समय बाद मालिक से कहा सुनी हो गईl इसके बाद सरकारी नौकरी भी मिली लेकिन अपनी साफ़गोई के कारण उसमें लाभ कम, मानसिक यंत्रणा अधिक रहीl पहले अभावों तथा बाद के चुनौतीपूर्ण परिवेश ने उनकी कविता को उसका तीखापन व आकार दियाl
हिन्दी साहित्य की साठोत्तरी कविता के शलाका पुरुष स्व. सुदामा पाण्डेय धूमिल अपने बागी तेवर व समग्र उष्मा के सहारे संबोधन की मुद्रा में ललकारते दिखते उन्होंने वंचित लोगों को जुबान दी। कालांतर में यही बुलन्द व खनकदार आवाज जन-जन की जुबान बन गई। उन्हें यदि जनकवि कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगीl
उनके चार काव्य संग्रह प्रकाशित हुये.- एक उनके जीवन काल में, तीन मरणोपरांत l उनके पहले काव्य संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ की कवितायें भय, भूख, अकाल, सत्तालोलुपता, अकर्मण्यता और अन्तहीन भटकाव को रेखांकित करती हैंl ये आक्रामक तेवर की कवितायें हैं तथा अपने में बेजोड हैं। ये कवितायें ही हिंदी साहित्य में धूमिल के नाम को सदा के लिये अंकित कर देने में सक्षम हैl
10 फ़रवरी सन 1975 को मात्र उनतालिस वर्ष की छोटी आयु में ही वे ब्रेन ट्यूमर की वजह से मृत्यु को प्राप्त हुये।
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23-02-2017, 11:18 PM
कविता: मोचीराम (एक अंश)
सुदामा पाण्डेय धूमिल
राँपी से उठी हुई आँखों ने मुझे
क्षण-भर टटोला
और फिर
जैसे पतियाये हुए स्वर में
वह हँसते हुए बोला-
बाबू जी सच कहूँ-मेरी निगाह में
न कोई छोटा है
न कोई बड़ा है
मेरे लिए, हर आदमी एक जोड़ी जूता है
जो मेरे सामने
मरम्मत के लिए खड़ा है।
और असल बात तो यह है
कि वह चाहे जो है
जैसा है, जहाँ कहीं है
आजकल
कोई आदमी जूते की नाप से
बाहर नहीं है
....
असल में वह एक दिलचस्प ग़लतफ़हमी का
शिकार है
जो वह सोचता कि पेशा एक जाति है
और भाषा पर
आदमी का नहीं, किसी जाति का अधिकार है
जबकि असलियत है यह है कि आग
सबको जलाती है सच्चाई
सबसे होकर गुज़रती है
कुछ हैं जिन्हें शब्द मिल चुके हैं
कुछ हैं जो अक्षरों के आगे अंधे हैं
वे हर अन्याय को चुपचाप सहते हैं
और पेट की आग से डरते हैं
जबकि मैं जानता हूँ कि 'इन्कार से भरी हुई एक चीख़'
और 'एक समझदार चुप'
दोनों का मतलब एक है-
भविष्य गढ़ने में, 'चुप' और 'चीख'
अपनी-अपनी जगह एक ही किस्म से
अपना-अपना फ़र्ज अदा करते हैं।
rajnish manga
24-02-2017, 05:12 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (11 फ़रवरी)
पं. नरेन्द्र शर्मा / Pt Narendra Sharma
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33931&stc=1&d=1487941877
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24-02-2017, 05:15 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (11 फ़रवरी)
पं. नरेन्द्र शर्मा / Pt Narendra Sharma
फिल्म सत्यम शिवम् सुन्दरम् (1978) के गीत ‘सत्यम शिवम् सुन्दरम’ और ‘जसुमति मैया से बोले नंदलाला’ आप सभी ने सुने होंगे। इनके गीतकार पं. नरेंद्र शर्मा का जन्म जिला बुलंदशहर की तहसील खुर्जा के एक गांव में हुआ था. उनके पिता पटवारी थे. उन्होंने 1936 में इलाहाबाद से एम ए इंगलिश में किया. और वे कांग्रेस से जुड़ गए. 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो के आन्दोलन के दौरान उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें महाराष्ट्र के देवलाली में नज़रबंद किया गया. वहाँ से छूटने के बाद वे मुंबई आ गए । भगवती चरण वर्मा की कोशिश से पं. नरेन्द्र शर्मा बंबई टाकीज़ से जुड़ गए । वर्मा जी खुद उन दिनों बंबई टॉकीज में ही काम करते थे। 1943 में आई फिल्म ‘हमारी बात’ ही नरेंद्र शर्मा की पहली फिल्म मानी जाती है। हमारी बात में नौ गीत थे और सब नरेंद्र शर्मा ने ही लिखे थे। एक जनवरी 1943 को रिलीज की गई यह अकेली फिल्म पंडितजी की बहुमुखी प्रतिभा की झलक दिखाने के लिए काफी है। अनिल बिस्वास इसके संगीत निर्देशक थे। वे (पं. नरेन्द्र शर्मा) 40 वर्षों तक फिल्मों से जुड़े रहे।
आधुनिक युग में उनसे अच्छे दोहे शायद ही किसी ने लिखे हों। यही कारण है कि जब बी.आर. चोपड़ा ने ‘महाभारत’ सीरियल बनाया और उसके लेखन का जिम्मा हिंदी के बड़े उपन्यासकार राही मासूम रजा को सौंपा तो रजा ने दोहे लिखवाने के लिए नरेंद्र शर्मा का नाम ही सुझाया।
पं. नरेन्द्र शर्मा जी काफी समय तक विविध भारती के प्रधान नियोजक भी रहे. प्रसारित होने वाले गीतों के स्तर पर उन्होंने बड़ा ध्यान दिया था। रेडियो सुनने वाला अपने घर में बैठा हुआ सुनता है। वह शायद ही पसंद करे कि उसका घर सिनेमाघर, अजायबघर, कैबरे या नाइट-क्लब बन जाये।
पंडित नरेन्द्र शर्मा ने हिन्दी-फ़िल्मों के लिये बहुत से गीत लिखे। उनके 17 कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक जीवनी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं 1932 से प्रकाशित होने लगी थीं 1934 में उनका पहला काव्य संग्रह ‘शूल फूल’ प्रकाशित हुआ था। फिल्मों में आने के बाद भी उनकी साहित्य सेवा अनवरत चलती रही।
शूल-फूल (1934), कर्ण-फूल (1936), प्रभात-फेरी (1938), प्रवासी के गीत (1939), कामिनी (1943), मिट्टी और फूल (1943), पलाश-वन (1943), हंस माला (1946), रक्तचंदन (1949), अग्निशस्य (1950), कदली-वन (1953), द्रौपदी (1960), प्यासा-निर्झर (1964), उत्तर जय (1965), बहुत रात गये (1967), सुवर्णा (1971), सुवीरा (1973)
पंडित नरेन्द्र शर्मा ने हिन्दी-फ़िल्मों के लिये बहुत से गीत लिखे। उनके 17 कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक जीवनी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं 1932 से प्रकाशित होने लगी थीं.
rajnish manga
24-02-2017, 05:18 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (11 फ़रवरी)
पं. नरेन्द्र शर्मा / Pt Narendra Sharma
गीत: युग और मैं (एक अंश )
उजड़ रहीं अनगिनत बस्तियाँ, मन, मेरी ही बस्ती क्या!
धब्बों से मिट रहे देश जब, तो मेरी ही हस्ती क्या!
जाने कब तक घाव भरेंगे इस घायल मानवता के?
जाने कब तक सच्चे होंगे सपने सब की समता के?
सब दुनिया पर व्यथा पड़ी है, मेरी ही क्या बड़ी व्यथा!
रीतबदल है त्योहारों में, घर फुकते दीवाली से,
फाग ख़ून की, है गुलाल भी लाल लहू की लाली से!
दुनिया भर में ख़ूनख़राबी, आँख लहू रोई तो क्या?
बदल रहे सब नियम-क़ायदे, देखें दुनिया कब बदले!
मानव ने नवयुग माँगा है अपने लोहू के बदले!
बदले का बर्ताव न बदला, तुम बदले तो रोना क्या!
हाथ बने किसलिए? करेंगे भू पर मनुज स्वर्ग निर्माण!
बुद्धि हुई किसलिए? कि डाले मानव जग-जड़ता में प्राण!
आज हुआ सबका उलटा रुख़, मेरा उलटा पासा क्या!
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24-02-2017, 06:25 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (12 फ़रवरी)
प्राण / pran
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http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33932&stc=1&d=1487946139
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24-02-2017, 06:37 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (12 फ़रवरी)
प्राण (वास्तविक नाम प्राण कृष्ण सकिंद) / Pran
जन्म: 12 फरवरी 1920
मृत्यु: 12 जुलाई 2013
हिन्दी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता प्राण का जिक्र आते ही आंखों के सामने एक ऐसा भावप्रवण चेहरा आ जाता है जो अपने हर किरदार में जान डालते हुए यह अहसास करा जाता है कि उसके बिना यह किरदार अर्थहीन हो जाता. हिन्दी फिल्मों के एक लोकप्रिय खलनायक और शानदार चरित्र अभिनेता प्राण की संवाद अदायगी की विशिष्ट शैली आज भी लोग नहीं भूले हैं. उनकी अदाकारी में दोहराव कहीं नजर नहीं आता. भूमिका चाहे मामूली लुटेरे की हो या किसी बड़े गिरोह के मुखिया की हो या फिर कोई लाचार पिता हो, प्राण ने सभी के साथ न्याय किया है. कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जिनमें नायक पर खलनायक प्राण भारी पड़ गए.
पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में 12 फरवरी 1920 को जन्मे प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सकिंद है. पिता की तबादले वाली नौकरी के चलते प्राण कई शहरों में रहे. लाहौर में गणित विषय के मेधावी छात्र रहे प्राण की अभिनय यात्रा 1940 में पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ से शुरू हुई. यह फिल्म उस साल की सुपरहिट फिल्म रही. इसके बाद प्राण ने ‘चौधरी’ और फिर ‘खजांची’ में काम किया.
प्राण ने कभी अभिनय का प्रशिक्षण नहीं लिया. वह उस दौर के कलाकार हैं जब अभिनय प्रशिक्षण केंद्रों का देश में नामोनिशान तक नहीं था. लेकिन उन्हें अभिनय की चलती फिरती पाठशाला कहा जा सकता है.
तुमसा नहीं देखा, बड़ी बहन, मुनीम जी, पत्थर के सनम, गंवार, गोपी, हमजोली, दस नंबरी, अमर अकबर एंथनी, दोस्ताना, कर्ज, अंधा कानून, पाप की दुनिया, मृत्युदाता करीब 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय के अलग अलग रंग बिखेरने वाले प्राण कई सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे.
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24-02-2017, 06:44 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (12 फ़रवरी)
चार्ल्स डार्विन / Charles Darwin
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33933&stc=1&d=1487947400
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24-02-2017, 06:49 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (12 फ़रवरी)
अब्राहम लिंकन / Abraham Lincoln
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33934&d=1487947414
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24-02-2017, 07:02 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (13 फ़रवरी)
फैज़ अहमद फैज़ /Faiz Ahmed Faiz
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33935&stc=1&d=1487948450
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24-02-2017, 07:46 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (13 फ़रवरी)
फैज़ अहमद फैज़ /Faiz Ahmed Faiz
भारतीय उपमहाद्वीप के मशहूर व उल्लेखनीय शायर फैज़ अहमद फैज़ बहुमुखी व्यक्तित्व के मालिक थे. उनको समझने के लिये यह बताना ज़रूरी है कि वे 1911 में सियालकोट में पैदा हुये. उनकी शिक्षा सियालकोट और लाहौर से हुयी. उन्होंने अंग्रेजी और अरबी दोनों विषयों में एम ए तक की शिक्षा प्राप्त की थी. अमृतसर तथा लाहौर के कॉलेजों में प्राध्यापक रहे. बाद में पांच वर्ष तक (1942 से 1947 तक) फ़ौज में रहे और कर्नल के रैंक तक पहुंचे. विभाजन के बाद उन्होंने लाहौर (पाकिस्तान) में रहना मुनासिब समझा. वे ‘पाकिस्तान टाइम्स’ तथा ‘इमरोज़’ के एडिटर भी रहे. उनके जीवन का सबसे तकलीफ़देह समय वह था जब उन्हें रावलपिंडी कांस्पीरेसी केस के सिलसिले में 4 वर्ष के लिये जेल में रहना पड़ा. वे तरक्की पसंद तहरीक से जुड़े शायर थे और उनकी शायरी एक प्रकार से इसी तहरीक का घोषणापत्र था. जेल मैं कागज़ और कलम रखने की मनाही थी. कुछ कवितायेँ वे उन कैदियों के हाथ चोरी छुपे जेल से बाहर भेजने में कामयाब हो जाते थे जो रिहाईके बाद बाहर जाते थे. ये कवितायें या छुटपुट शे’र मौखिक रूप से बाहर पहुँचते थे. ऐसा ही एक शे’र था:
मताए लौहो क़लम छिन गई तो क्या ग़म है
के खूने दिल में डुबो ली हैं उंगलियाँ मैंने
(लौहो क़लम = स्याही और कलम)
यह फैज़ साहब की प्रतिभा ही थी कि वे चार बार साहित्य में नोबेल के लिये विचाराधीन रहे.
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24-02-2017, 08:27 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (13 फ़रवरी)
सरोजिनी नायडू /Sarojini Naidu
भारत कोकिला / Nightingale of India
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33938&stc=1&d=1487953563
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24-02-2017, 08:34 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (13 फ़रवरी)
सरोजिनी नायडू /Sarojini Naidu
भारत कोकिला सरोजिनी नायडू (विवाहपूर्व सरोजिनी चट्टोपाध्याय) ने 12 वर्ष की आयु में मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा पूरे मद्रास रेजीडेंसी क्षेत्र में प्रथम स्थान पर रहीं. उनके पिता रसायन शास्त्री थे. उन्होंने ने निज़ाम कॉलेज की स्थापना की थी. माता बंगला में कविताएं लिखती थीं.
छोटी उमर में ही उन्होंने 1300 पदों वाली लंबी कविता ‘क्वीन ऑफ़ लेक्स’ तथा अपने पिता की सहायता से फ़ारसी का एक नाटक लिखा जिसका नाम था ‘माहेर मुनीर’. उनके पिता ने इसकी एक प्रति निजाम हैदराबाद के पास भिजवाई. सरोजिनी की प्रतिभा को देखते हुये निज़ाम ने उन्हें वज़ीफ़ा देते हुये आगामी शिक्षा के लिये इंग्लैंड भेजा.
तीन काव्य संग्रहों के बाद से ही सरोजिनी नायडू को भारतीय और अंग्रेज़ी साहित्य जगत की स्थापित कवयित्री माना जाने लगा था. सरोजिनी नायडू द्वारा प्रकाशित काव्य पुस्तकें इस प्रकार हैं:
The Golden Threshold (1905)
Bird of Time (1912)
The Broken Wings (1919)
The Sceptred Flute (1937)
1925 में उन्हें इंडियन नेशनल कांग्रेस (कानपुर अधिवेशन) का अध्यक्ष चुना गया. वे कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं. अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने कहा था 'स्वाधीनता संग्राम में भय एक अक्षम्य विश्वासघात है और निराशा एक अक्षम्य पाप है।' उनका यह भी मानना था कि भारतीय नारी कभी भी कृपा की पात्र नहीं थी, वह सदैव से समानता की अधिकारी रही है। उन्होंने अपने इन विचारों के साथ महिलाओं में आत्मविश्वास जाग्रत करने का काम किया.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वे उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल नियुक्त की गयीं.
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24-02-2017, 08:40 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (13 फ़रवरी)
शहरयार /Shaharyar
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33939&stc=1&d=1487954386
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24-02-2017, 08:45 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (13 फ़रवरी)
शहरयार /Shaharyar
कुँवर अख़लाक मोहम्मद खाँ उर्फ "शहरयार" का जन्म 6 जून 1936 को आंवला, जिला बरेली में हुआ। वैसे उनके पूर्वज चौढ़ेरा बन्नेशरीफ़, जिला बुलंदशहर के रहने वाले थे। वालिद पुलिस अफसर थे और जगह-जगह तबादलों पर रहते थे इसलिए आरम्भिक पढ़ाई हरदोई में पूरी करने के बाद इन्हें 1948 में अलीगढ़ भेज दिया गया. वे अपने कैरियर के अंतिम पड़ाव में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग के चेयरमैन पद तक पहुंचे और वहीँ से रिटायर हुये।
शहरयार ने अपनी शायरी के लिए एक नए निखरे और बिल्कुल अलग अन्दाज़ को चुना—और यह अन्दाज़ नतीजा था उनके गहरे समाजी तजुर्बे का, जिसके तहत उन्होंने यह तय कर लिया था कि बिना वस्तुपरक वैज्ञानिक सोच के दुनिया में कोई कारगर-रचनात्मक सपना नहीं देखा जा सकता। उसके बाद वे अपनी तनहाइयों और वीरानियों के साथ-साथ दुनिया की खुशहाली और अमन का सपना पूरा करने में लगे रहे ! इसमें सबसे बड़ा योगदान उस गंगा-जमुनी तहज़ीब का है जिसने उन्हें पाला-पोसा और वक्त-वक्त पर उन्हें सजाया, सँभाला और सिखाया है। उनके ज़ोमे वफ़ात (13 फ़रवरी) पर हम उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
rajnish manga
24-02-2017, 08:47 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (13 फ़रवरी)
शहरयार /Shaharyar
फिल्म गमन (ग़ज़ल: शहरयार / संगीत जयदेव)
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है
दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे
पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान सा क्यूँ है
तन्हाई की ये कौन सी मन्ज़िल है रफ़ीक़ो
ता-हद्द-ए-नज़र एक बयाबान सा क्यूँ है
हम ने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की
वो ज़ूद-ए-पशेमान पशेमान सा क्यूँ है
क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
आईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है
rajnish manga
24-02-2017, 09:23 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 फ़रवरी)
नरेश मेहता /Naresh Mehta
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33940&stc=1&d=1487956977
rajnish manga
24-02-2017, 09:33 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 फ़रवरी)
नरेश मेहता /Naresh Mehta
ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता तथा साहित्य अकादमी सहित अन्यान्य विशिष्ठ संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं समादृत कवि, कथाकार, निबंधकार, नाट्य लेखक नरेश मेहता का जन्म 15 फ़रवरी 1922 को शाजापुर (म.प्र) में हुआ था. बनारस से एम ए के बाद आल इंडिया रेडियो, इलाहाबाद में काम किया. चौथी दुनिया पत्र का संपादन भी किया. वे तार सप्तक (द्वितीय) में भी शामिल थे.
शबरी खंड काव्य की भूमिका में वे लिखते हैं-
‘जिस प्रकार राजनीतिक या आर्थिक समता के बिना धर्म का ‘सोऽहं’ भाव निरा पाखण्ड है उसी प्रकार बिना धर्म या नैतिक मूल्यों के राजनीतिक या आर्थिक समानता निरी क्रूर, पाशविक या अवसरवादिता है .... सामाजिक मूढ़ता, परिवेशगत जड़ता तथा अपने युग के साथ संलापहीनता की स्थिति में व्यक्ति केवल अपने को ही जागृत कर सकता है.अपने को ही संबोधित कर सकता है. इसी संघर्ष के माध्यम से ‘स्व’ ‘पर’ हो सकता है; व्यक्ति, समाज बन सकता है.’
इनकी प्रमुख रचनायें इस प्रकार हैं:
काव्य रचनाएँ: वनपाखी, उत्सवा, अरण्या, प्रवाद-पर्व आदि (संग्रह) शबरी, संशय की एक रात, महा-प्रस्थान (खण्ड काव्य).
उपन्यास: डूबते मस्तूल, यह पथबंधु था, उत्तरकथा, धूमकेतु: श्रुति, पुरुष, प्रतिश्रुति, नदी यशस्वी है.
कहानी संग्रह: जलसाघर
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24-02-2017, 09:39 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 फ़रवरी)
सुभद्रा कुमारी चौहान /Subhadra Kumari Chauhan
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33941&d=1487956990
rajnish manga
24-02-2017, 09:42 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 फ़रवरी)
सुभद्रा कुमारी चौहान /Subhadra Kumari Chauhan
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 1904 में इलाहाबाद के निकट एक गाँव में हुआ था। कक्षा नौ तक ही पढ़ पायीं। वे कुशाग्र बुद्धि थीं. प्रथम काव्य रचना आपने 15 वर्ष की आयु में लिखी थी और उसके बाद तो लेखन का यह क्रम चलता रहा। सुभद्रा कुमारी का स्वभाव बचपन से ही दबंग, बहादुर व विद्रोही था। वह बचपन से ही अशिक्षा, अंधविश्वास, जाति आदि रूढ़ियों के विरुद्ध लडीं।
1919 में उनका विवाह हुआ और विवाह के बाद वे जबलपुर (मध्य प्रदेश) आ गईं। 17-18 वर्ष की आयु में सुभद्रा और उनके पति दोनों सत्याग्रह में कूद पड़े. सुभद्रा जी ने कई वर्ष जेल में ही बिताये।
‘झांसी की रानी’ वीर रस की कविता है जो बड़ों और बच्चों दोनों को उत्साह से भर देती है। स्कूल के बच्चे इसे आसानी से कंठस्त कर लेते हैं।
सुभद्रा जी ने बहुत पहले ही अपनी कविताओं में भारतीय संस्कृति के प्राणतत्वों, धर्मनिरपेक्ष समाज का निर्माण और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने लगी थीं। 1948 में उन्होंने सदा के लिये आँख मूँद ली. आज उनकी पुण्यतिथि (15 फ़रवरी) पर हम उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैंl
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24-02-2017, 09:48 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 फ़रवरी)
डॉ मेघनाद साहा /Dr Meghnad Saha
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33942&stc=1&d=1487958443
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24-02-2017, 09:53 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 फ़रवरी)
डॉ मेघनाद साहा /Dr Meghnad Saha
मेघनाद साहा (Meghnad Saha) भारत के एक महान वैज्ञानिक थे. उनका जन्म 6 अक्तूबर 1893 को ढाका के एक गाँव में हुआ था. खगौल भौतिकी के क्षेत्र में उनका अभूतपूर्व योगदान रहा. प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से वे 1913 में गणित विषय में स्नातक हुये और 1915 में एम एस सी किया. 1917 में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ साइंस में अध्यापन कार्य शुरू कर दिया. उनका विषय था क्वांटम फिजिक्स. 1919 में उन्होंने अपना ‘थर्मल आयोनाइज़ेशन फ़ॉर्मूला’ ईजाद किया जिसे उन्होंने एक शोध पत्र के रूप में अमेरिकन ‘आस्ट्रो फिजिकल जर्नल’ में प्रस्तुत किया जो खगौल भौतिकी में क्रांतिकारी खोज साबित हुआ.
1927 में साहा लंदन की रॉयल सोसाइटी के फ़ेलो नियुक्त हुए. उन्होंने 1930 में इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ़ साइंस (जो आज राष्ट्रीय विज्ञानं एकेडमी है) की स्थापना की. 1935 में उन्होंने राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान (जो आज भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं एकेडमी है) की स्थापना की. 1947 में उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूक्लीयर फिजिक्स की स्थापना की जिसमे उन्होंने नाभिकीय भौतिकी (न्यूक्लीयर फिजिक्स) के अध्ययन की शुरुआत की.
वे फ्रेंच, जर्मन, बंगला, संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अच्छे जानकार थे.
उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की. वह देश की समस्याओं के वैज्ञानिक हल के पक्षधर थे. उनके सार्थक प्रयासों से भाखड़ा नंगल, हीराकुंड तथा दामोदर घाटी परियोजनाएं साकार हुयीं. सन 1952 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत कर सांसद बने. 16 फरवरी 1956 को संसद भवन के पास ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. देश को अपने इस महान सपूत पर गर्व है. उनकी पावन स्मृति को हमारा नमन.
rajnish manga
24-02-2017, 10:00 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 फ़रवरी)
छत्रपति शिवाजी /Chhatrapati Shiva Ji
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33943&stc=1&d=1487959161
rajnish manga
24-02-2017, 10:04 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 फ़रवरी)
गोपाल कृष्ण गोखले /Gopal Krishna Gokhale
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33944&d=1487959174
rajnish manga
24-02-2017, 10:10 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 फ़रवरी)
गोपाल कृष्ण गोखले /Gopal Krishna Gokhale
आज महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनैतिक व सामाजिक विचारक तथा इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रमुख नेता स्व. श्री गोपाल कृष्ण गोखले की पुण्यतिथि है. 19 फ़रवरी 1915 को जब उनका स्वर्गवास हुआ उस वक़्त वे केवल 49 साल के थे. वे 1905 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए . वे कांग्रेस में नरम दल का प्रतिनिधित्व करते थे. एल्फिंस्टन कॉलेज, मुंबई से शिक्षा लेने के बाद वे कुछ समय तक गणित के प्रोफ़ेसर भी रहे.
नीतिगत मतभेदों के बावजूद महात्मा गाँधी गोखले को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे. गोखले, गाँधी जी के बुलावे पर दक्षिण अफ्रीका भी गए थे. हम आज इस महान विभूति को आदरपूर्वक याद करते हुये अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
rajnish manga
24-02-2017, 10:15 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (20 फ़रवरी)
भवानी प्रसाद मिश्र /Bhawani Prasad Mishra
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33945&stc=1&d=1487960092
rajnish manga
24-02-2017, 10:19 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (20 फ़रवरी)
भवानी प्रसाद मिश्र /Bhawani Prasad Mishra
भवानी प्रसाद मिश्र
कर्म, वाणी और व्यवहार में गांधीवादी विचारधारा को समर्पित भवानी प्रसाद मिश्र काव्य में छायावाद तथा नई कविता के बीच एक सेतु के समान थे. उनके महत्व को ऐसे समझ सकते हैं कि 1951 में अज्ञेय द्वारा सम्पादित दूसरे ‘तार सप्तक’ में पहले कवि थे. बहुत से पाठक कविता को आनंद देने वाली तथा रिझाने वाली कला मानते हैं किंतु मुक्तिबोध, रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और मिश्र जी जैसे कवियों ने इस धारणा को तोड़ा है. उनकी रचनाएँ रिझाती कम है, खिझाती ज्यादा हैं. यह हमारा चैन तोड़ती और हमें सोचने पर विवश करती है.
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल जा चुके मिश्र जी घोर अंधकार में भी सदा मशाल लिये खड़े रहे और उन्होंने सत्ता के सामने कभी घुटने नहीं टेके. यहाँ तक कि 1975 में आपातकाल के दौरान वे, अज्ञेय, निर्मल वर्मा तथा रेणु निर्भय हो कर जयप्रकाश नारायण के साथ डटे रहे. इन चारों ने सिद्ध किया कि स्वाधीनता जीवन के लिये अनमोल है.
कुछ समय तक मिश्र जी फिल्मों से भी जुड़े रहे किंतु वहाँ वे अपने सिद्धांतों के चलते अधिक नहीं टिक सके. इसी पृष्ठभूमि उन्होंने ‘गीत फ़रोश’ नामक गीत लिखा:
जी हाँ हुजूर मैं गीत बेचता हूँ
मैं तरह तरह के गीत बेचता हूँ
rajnish manga
24-02-2017, 10:34 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 फ़रवरी)
अभिनेत्री नूतन / Abhinetri Nutan
http://static.navodayatimes.in/multimedia/11_11_1254071092014_06_04_07_02_32_nutan2-ll.jpg
(4 जून 1936 - 21 फ़रवरी 1991)
rajnish manga
24-02-2017, 10:40 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 फ़रवरी)
अभिनेत्री नूतन / Abhinetri Nutan
NUTAN, one of the most accomplished actresses of Bollywood had passed away on Feb 21, 1991, Here is a song from Hindi Movie KHANDAN in which she played the female lead role
LxVLKM5oeO8
rajnish manga
25-02-2017, 02:09 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (22 फ़रवरी)
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद / Maulana Abul Kalam Azad
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33946&stc=1&d=1488017272
rajnish manga
25-02-2017, 02:23 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (22 फ़रवरी)
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद / Maulana Abul Kalam Azad
भारतरत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
महान स्वतन्त्रता सेनानी, इस्लामिक स्टडीज़ के विद्वान, पत्रकार, समाज सुधारक, शिक्षाविद, कवि, लेखक व अनुवादक मौलाना आज़ाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को मक्का नगर में हुआ. इनके पूर्वज बाबर के समय अफगानिस्तान से भारत आये थे.
वे अरबी, फारसी, उर्दू, बंगला, हिंदी और अंग्रेजी के अच्छे जानकार थे और सामाजिक आर्थिक उन्नति के लिये उच्च शिक्षा के महत्व को बखूबी समझते थे. वे स्वयं इस्लामी मामलों के विद्वान थे और हर प्रकार के पाखंड का विरोध करते थ. कट्टरपंथी मौलवी, मुल्लाओं से वे बहुत दूर रहना चाहते थे।
सन 1912 में ‘अलहिलाल’ निकाला और 1914 में ‘अल बलाग’ नामक पत्र निकाले जिसने हिन्दू मुस्लिम एकता और लोगों में राष्ट्रवाद का खुल कर प्रचार प्रसार किया तथा लोगो में नयी जाग्रति की लहर पैदा करने का काम किया. लेकिन सरकार के खिलाफ लिखने के जुर्म में इनको रांची (झारखंड) में 4 वर्ष तक जेल में कैद रहना पड़ा. 1930 में महात्मा गाँधी के साथ नमक क़ानून तोड़ने पर उन्हें डेढ़ वर्ष कारावास की सजा मिली.
उनकी लिखी पुस्तकों में इंडिया विन्स फ्रीडम, क़ुरान शरीफ़ का अरबी से उर्दू में अनुवाद, तर्जुमन-ए-क़ुरान, ग़ुबारे-ए-खातिर, हिज्र-ओ-वसल, खतबात-ल-आज़ाद, हमारी आज़ादी और तजकरा.
rajnish manga
25-02-2017, 03:24 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 फ़रवरी)
अभिनेर्त्री मधुबाला / Abhinetri Madhubala
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33947&stc=1&d=1488021757
rajnish manga
25-02-2017, 03:35 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 फ़रवरी)
अभिनेर्त्री मधुबाला / Abhinetri Madhubala
मधुबाला (14 फ़रवरी 1933 - 23 फ़रवरी 1969)
मुमताज़ जहां दहलवी जिन्हें हम मधुबाला के नाम से जानते हैं ने अपनी बेपनाह खूबसूरती और बेमिसाल अभिनय क्षमता से से फ़िल्मी दर्शकों के दिलों पर राज्य किया. उन समय के दिग्गज कलाकार उन्हें अपनी जीवन संगिनी बनाना चाहते थे. इनमें किदार शर्मा (फिल्म ‘नीलकमल’ के निर्माता निर्देशक), कमाल अमरोही (1949 की फिल्म महल के निर्माता निर्देशक), प्रेमनाथ, प्रदीप कुमार, भारत भूषण तथा दिलीप कुमार प्रमुख थे. लेकिन कतिपय कारणों से यह मुमकिन न हुआ.
वे हृदय की बीमारी से निरंतर अशक्त होती जा रही थीं. अंततः उन्होंने एक फिल्म में अपने सह-कलाकार किशोर कुमार से इस बारे में बताया और किशोर से शादी की बात की. उन्होंने किशोर से कहा कि वे दुनिया से एक सुहागिन के रूपम में रुखसत होना चाहती है. किशोर ने उनकी बात मान कर उनसे विवाह कर लिया. उस समय किशोर का अपनी पहली पत्नि रूमा देवी से तलाक हो चुका था. किशोर को पता था कि मधुबाला अधिक दिन तक जीवित नहीं रहेंगी. विवाह के बाद किशोर का अधिकतर समय मधुबाला के सिरहाने बैठ कर उनकी सुश्रुषा में बीता. 23 फरवरी सन 1969 को महज़ 36 वर्ष की आयु में इस महान अदाकारा ने सदा के लिये अपनी आँखें मूंद लीं. उनके जाने से फिल्मों के क्षेत्र में जो स्थान रिक्त हुआ उसे शायद कभी भरा नहीं जा सकेगा.
rajnish manga
25-02-2017, 03:42 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 फ़रवरी)
स्टीव जॉब्स / Steve Jobs
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33948&stc=1&d=1488022867
rajnish manga
25-02-2017, 04:01 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 फ़रवरी)
स्टीव जॉब्स / Steve Jobs (Founder of Apple Co.)
स्टीव जॉब्स के अंतिम शब्द / Last words of Steve Jobs
एक समय था जब मैं व्यापार जगत की ऊँचाइयों को छू चुका था। लोगों की नजर में मेरी जिंदगी सफलता का एक बड़ा नमूना बन चुकी थी। लेकिन आज खुद को बेहद बीमार और इस बिस्तर पर पड़ा हुआ देखकर मैं कुछ अजीब महशूश कर रहा हूँ। पूरी जिंदगी मैंने कड़ी मेहनत की, लेकिन खुद को खुश करने के लिए या खुद के लिए समय निकालना जरूरी नहीं समझा। जब मुझे कामयाबी मिली तो बेहद गर्व महशूश हुआ, लेकिन मौत के इतने करीब पहुँचकर आज वो सारी उपलब्धियां फीकी लग रहीं हैं।
इंसान को जब यह लगने लगे की उसने भविष्य के लिए पर्याप्त कमाई कर ली है, तो उसे अपने खुद के लिए समय निकाल लेना चाहिए। बचपन का कोई अधूरा शौक, जवानी की कोई ख्वाहिश या फिर कुछ भी ऐसा जो दिल को तसल्ली दे सके।
किसी ऐसे के साथ वक्त बिताना चाहिए जिसे आप ख़ुशी दे सकें और बदले में उससे भी वही हाशिल कर सकें। क्योंकि जो पैसा मैंने सारी जिंदगी में कमाया उसे मैं साथ लेकर नहीं जा सकता हूँ। अगर मैं कुछ लेकर जा सकता हूँ तो वे हैं यादें। ये यादें ही तो हमारी “अमीरी” होतीं हैं, जिसके सहारे हम सुकून की मौत पा सकते हैं।
मेरी गुजारिश है आप सबसे कि अपने परिवार से प्यार करें, उनके साथ वक्तबिताएं, इस बेशकीमती खजाने को बरबाद न होने दें। खुद से भी प्यार करें।
rajnish manga
25-02-2017, 10:17 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 फ़रवरी)
सर डॉन ब्रेडमैन /Sir Don Bradman
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33949&stc=1&d=1488046596
rajnish manga
27-02-2017, 07:43 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 फ़रवरी)
चंद्रशेखर आज़ाद /Chandra Shekhar Azad
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33951&stc=1&d=1488210155
rajnish manga
27-02-2017, 09:04 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 फ़रवरी)
चंद्रशेखर आज़ाद /Chandra Shekhar Azad
(23.7.1906 – 27.2.1931)
असहयोग आन्दोलन में भाग लेने पर 15 वर्ष की आयु में ही कोर्ट में अपने निडर बयान के कारण 15 कोड़ों की सजा भुगतने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद काकोरी ट्रेन डकैती (1926) जैसी अनेक क्रांतिकारी घटनाओं में शामिल रहे थे। उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया। वे बहुत अनुशासनप्रिय, अच्छे योजनाकार तथा संगठनकर्ता थे।
27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आज़ाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में जामुन के पेड़ के नीचे अपने एक सहयोगी के साथ अपनी संभावित विदेश यात्रा की योजना बना रहे थे। तभी पुलिस ने उन्हें घेर कर गोली चला दी और उन्हें घायल कर दिया। आज़ाद ने भी DSP को बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया। जब उनके पास एक ही गोली रह गई तो उन्होंने अपनी कनपटी पर पिस्तौल रख कर गोली चला दी। इस प्रकार अंग्रेज उन्हें कभी जीते जी नहीं पकड़ सके।
उनका नाम देश के देश के युवाओं को सदैव प्रेरित करता रहेगा। आज भारत अपने इस महान पुत्र की वीरता तथा बलिदान को कृतज्ञतापूर्वक याद करता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
rajnish manga
01-03-2017, 07:48 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 मार्च/March 1)
सोहन लाल द्विवेदी /Sohan Lal Dwivedi
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33952&stc=1&d=1488340033
rajnish manga
01-03-2017, 07:52 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 मार्च/March 1)
सोहन लाल द्विवेदी /Sohan Lal Dwivedi
(22.2.1906 – 1.3.1988)
सोहनलाल द्विवेदी महान गाँधीवादी चिन्तक, राष्ट्रीय कवि तथा स्वतंत्रता सैनिक थे। वे राष्ट्रीय नवजागरण के ऐसे कवियों में से एक थे जिन्होंने अपने संकल्प, चिन्तन, त्याग और बलिदान के सहारे हर ओर राष्ट्रीयता की अलख जगाकर अपने पूरे युग को आन्दोलित किया। द्विवेदी जी का साहित्य वर्तमान और अतीत के प्रति गौरव की भावना जगाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देश-भक्ति व ऊर्जा से ओतप्रोत उनकी रचनाओं की विशेष सराहना हुई और आपको राष्ट्रकवि की उपाधि से भी अलंकृत किया गया। 1969 में भारत सरकार ने आपको पद्दश्री अलंकरण दे कर सम्मानित किया था।
द्विवेदी जी की साहित्यिक कृतियां: देश प्रेम के भावों से युक्त आपकी प्रथम रचना 'भैरवी' 1941 में प्रकाशित हुई । आपकी अन्य प्रकाशित कृतियां हैं- 'वासवदत्ता', 'कुणाल 'पूजागीत', 'विषपान, 'युगाधार और 'जय गांधी' । इनमें आपकी गांधीवादी विचारधारा और खादी-प्रेम की मार्मिक और हृदयग्राही अभिव्यक्ति के दर्शन होते हैं । आपने प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य की भी रचना की । उनमें प्रमुख हैं- 'बांसुरी', 'झरना', 'बिगुल', 'बच्चों के बापू, 'चेतना', 'दूध बताशा, 'बाल भारती, 'शिशु भारती', 'नेहरू चाचा' 'सुजाता', 'प्रभाती' आदि। कुछ पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी उन्होंने किया।
1 मार्च 1988 को राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी चिर निद्रा में लीन हो गए।
कुछ लोग निम्न कविता को हरिवंश राय बच्चन की रचना मानते है लेकिन यह सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित है:
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
rajnish manga
01-03-2017, 07:56 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 मार्च/March 1)
सोहन लाल द्विवेदी /Sohan Lal Dwivedi
बढ़े चलो, बढ़े चलो (रचना: सोहनलाल द्विवेदी)
न हाथ एक शस्त्र हो, न हाथ एक अस्त्र हो,
न अन्न वीर वस्त्र हो,
हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
रहे समक्ष हिम-शिखर, तुम्हारा प्रण उठे निखर,
भले ही जाए जन बिखर,
रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
घटा घिरी अटूट हो, अधर में कालकूट हो,
वही सुधा का घूंट हो,
जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
गगन उगलता आग हो, छिड़ा मरण का राग हो,
लहू का अपने फाग हो,
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
चलो नई मिसाल हो, जलो नई मिसाल हो,
बढो़ नया कमाल हो,
झुको नही, रूको नही, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
अशेष रक्त तोल दो, स्वतंत्रता का मोल दो,
कड़ी युगों की खोल दो,
डरो नही, मरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
Pavitra
02-03-2017, 01:35 PM
[color=#0000ff]
[/font] कुछ लोग निम्न कविता को हरिवंश राय बच्चन की रचना मानते है लेकिन यह सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित है:
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
महान कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी जी के बारे में जानकारी देने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यावाद । यह कविता मेरी प्रिय कविता है, और मैं भी इसे श्री हरिवंश राय बच्चन जी की कविता ही समझती थी । आज इसके वास्तविक रचयिता के बारे में जानकार बहुत खुशी हुई ।
rajnish manga
03-03-2017, 06:54 AM
महान कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी जी के बारे में जानकारी देने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यावाद । यह कविता मेरी प्रिय कविता है, और मैं भी इसे श्री हरिवंश राय बच्चन जी की कविता ही समझती थी । आज इसके वास्तविक रचयिता के बारे में जानकार बहुत खुशी हुई ।
जी आम धारणा यही है. ऐसा क्यों व कैसे हुआ, कह नहीं सकते. हिंदी साहित्य की वेबसाइट 'कविताकोश' के अनुसार स्वयं अमिताभ बच्चन (श्री हरिवंश राय बच्चन के सुपुत्र) ने यह सूचित किया था.
soni pushpa
09-03-2017, 03:40 PM
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नेट के माध्यम से मिली ये कविता मुझे भाई एक_ एक पंक्ति मानवमन को उत्साह से भरने वाली है सच में भाई आपने ये सूत्र बहुत ही सही चुना है कितनी साडी जानकारियाँ हमें आपके इस सूत्र से हासिल होती है हमेशा .. धन्यवाद भाई
rajnish manga
09-03-2017, 06:44 PM
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
....
नेट के माध्यम से मिली ये कविता मुझे भाई एक_ एक पंक्ति मानवमन को उत्साह से भरने वाली है सच में भाई आपने ये सूत्र बहुत ही सही चुना है कितनी साडी जानकारियाँ हमें आपके इस सूत्र से हासिल होती है हमेशा .. धन्यवाद भाई
मैं आपसे सहमत हूँ, बहन पुष्पा जी. सच में यह कविता पाठक को या श्रोता को बहुत प्रेरित करती है. इसी प्रकार का लेखन कालजयी साहित्य की श्रेमी में आता है. इस सुंदर टिप्पणी के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद.
rajnish manga
09-03-2017, 08:41 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (3 मार्च/March 3)
संगीतकार रवि /Music Director Ravi
(3.3.1926 - 7.3.2012)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33953&stc=1&d=1489077593
rajnish manga
23-03-2017, 07:15 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 मार्च/March 23)
भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरू /Bhagat Singh-Sukhdev-Rajguru
http://guruprasad.net/wp-content/uploads/2014/03/bhagat_singh_executed.jpg
शहीद दिवस पर अमर शहीदों को हमारी सादर श्रद्धांजलि
rajnish manga
24-03-2017, 12:25 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 मार्च/March 23)
भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरू शहीदी दिवस/Bhagat Singh-Sukhdev-Rajguru Shaheedi Diwas
मैं नास्तिक क्यों हूँ (सरदार भगत सिंह) – एक अंश
समाज को इस ईश्वरीय विश्वास केविरुद्ध उसी तरह लड़ना होगा जैसे कि मूर्ति-पूजा तथा धर्म-संबंधी क्षुद्रविचारों के विरुद्ध लड़ना पड़ा था। इसी प्रकार मनुष्य जब अपने पैरों परखड़ा होने का प्रयास करने लगे और यथार्थवादी बन जाए तो उसे ईश्वरीय श्रद्धाको एक ओर फेंक देना चाहिए और उन सभी कष्टों, परेशानियों का पौरुष के साथसामना करना चाहिए जिसमें परिस्थितियाँ उसे पलट सकती हैं। मेरी स्थिति आजयही है। यह मेरा अहंकार नहीं है। मेरे दोस्तों, यह मेरे सोचने का ही तरीकाहै जिसने मुझे नास्तिक बनाया है। मैं नहीं जानता कि ईश्वर में विश्वास औररोज-बरोज की प्रार्थना - जिसे मैं मनुष्य का सबसे अधिक स्वार्थी और गिराहुआ काम मानता हूँ - मेरे लिए सहायक सिद्ध होगी या मेरी स्थिति को और चौपटकर देगी। मैंने उन नास्तिकों के बारे में पढ़ा है, जिन्होंने सभी विपदाओंका बहादुरी से सामना किया, अतः मैं भी एक मर्द की तरह फाँसी के फंदे कीअंतिम घड़ी तक सिर ऊँचा किए खड़ा रहना चाहता हूँ।
देखना है कि मैं इस पर कितना खराउतर पाता हूँ। मेरे एक दोस्त ने मुझे प्रार्थना करने को कहा। जब मैंने उसेअपने नास्तिक होने की बात बतलाई तो उसने कहा, 'देख लेना, अपने अंतिम दिनोंमें तुम ईश्वर को मानने लगोगे।' मैंने कहा, 'नहीं प्रिय महोदय, ऐसा नहींहोगा। ऐसा करना मेरे लिए अपमानजनक तथा पराजय की बात होगी। स्वार्थ के लिएमैं प्रार्थना नहीं करुंगा।' पाठकों और दोस्तो, क्या यह अहंकार है? अगर है, तो मैं इसे स्वीकार करता हूँ।
(भगत सिंह का यह आलेख ‘Why I am an Atheist’ लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित और लाहौर से छपने वाले अखबार ‘The People’ में दिनांक 27 सितंबर 1931 को छपा था. आपको याद होगा कि लाला लाजपत राय की शहादत का बदला लेने के लिये ही भगत सिंह और उनके साथियों ने 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॅान्डर्स की हत्या की थी)
rajnish manga
25-03-2017, 10:49 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 मार्च/March 25)
बॉलीवुड अभिनेत्री नंदा / Bollywood Actor Nanda
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33954&stc=1&d=1490464111
rajnish manga
25-03-2017, 10:54 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 मार्च/March 25)
बॉलीवुड अभिनेत्री नंदा / Bollywood Actor Nanda
जन्म: 08 जनवरी 1939
मृत्यु: 25 मार्च 2014
बॉलीवुड में अपनी खुबसूरती और बेहतरीन अदाकारी के चलते मशहूर अभिनेत्री नंदा द्वारा निभाए गए किरदारों को और उनकी रील लाइफ के बारे में तो लगभग हर किसी को पता है। आइये अभिनेत्री नंदा के जीवन की कुछ ख़ास बातों से रू-ब-रू होते हैं:-
1. नंदा का जन्म एक प्रसिद्ध मराठी परिवार में हुआ था। नंदा के पिता विनायक दामोदर कर्नाटकी, जो मास्टर विनायक के नाम से मशहूर थे, मराठी (नाटकों और) फिल्मों के सफल अभिनेता-निर्देशक थे। जब नंदा केवल 8 वर्ष की थी तो उनके पिता का देहांत हो गया था. पिता की मृत्यु के उपरान्त घर की ज़िम्मेदारी बालिका नंदा के नाज़ुक कंधों पर आ गयी।
2. पिता के निधन के बाद नंदा को बचपन में ही फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम करना पड़ा। उन्होंने फिल्मों में बेबी नंदा के नाम से काम करना शुरू कर दिया.
3. नंदा को वी. शांताराम ने फिल्म तूफान और दीया में लीड एक्ट्रैस के तौर पर ब्रेक दिया था। यह फिल्म भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित थी। नंदा, वी. शांताराम की भतीजी थीं।
4. फिल्म छोटी बहन (1957) में नंदा ने मुख्य किरदार निभाया था। यह फिल्म बड़ी हिट रही, जिससे नंदा स्टार बन गईं।
5. सन् 1983 में रिलीज हुई प्रेम रोग उनकी अंतिम फिल्म थी। फिल्म में उनके साथ पद्मिनी कोल्हपुरे और ऋषि कपूर थे।
6. फिल्म 'काला पत्थर' में साथ काम करने के बाद नंदा और वहीदा रहमान के बीच काफी अच्छी दोस्ती हो गई और जिस दिन नंदा का निधन हुआ, उसी दिन वहीदा रहमान मुंबई में एक किताब का विमोचन करने वाली थीं, लेकिन नंदा के निधन की खबर के बाद वहीदा प्रोग्राम में नहीं गईं।
7. नंदा की शुरुआती हिट फिल्में छोटी बहन, हम दोनों, तीन देवियां थीं। शशि कपूर के साथ सुपर हिट जोड़ी रही(जैसे जब जब फूल खिले)।
8. अभिनेर्त्री नंदा ने फिल्मों में बहुत से अभिनेताओं के साथ रोमांटिक किरदार निभाये लेकिन असल ज़िन्दगी में उनके जीवन पर अकेलेपन की छाया कभी खत्म नहीं हुई. नंदा के लिये शादी के कई प्रस्ताव आये लेकिन इनमें से कोई भी अंजाम तक न पहुंचा. अंत में नंदा की सखी वहीदा रहमान ने नंदा को जाने माने फिल्म निर्देशक मनमोहन देसाई के साथ शादी करने के लिए राजी कर लिया. देसाई उन्हें अपनी जीवन संगिनी बनाना चाहते थे. सन 1992 में दोनों की सगाई हुई थी. लेकिन किस्मत को शायद यह मंजूर न था. 1994 में छत से गिरने पर मनमोहन देसाई की मौत हो गई। इसके बाद नंदा मृत्युपर्यन्त अविवाहित ही रहीं।
rajnish manga
25-03-2017, 11:02 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 मार्च/March 25)
शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी / Ganesh Shankar Vidyarthi
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33955&stc=1&d=1490464872
rajnish manga
25-03-2017, 11:05 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 मार्च/March 25)
शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी / Ganesh Shankar Vidyarthi
गणेश शंकर विद्यार्थी एक निडर और निष्पक्ष पत्रकार, समाज-सेवी और स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में उनका नाम अजर-अमर है। गणेशशंकर विद्यार्थी एक ऐसे पत्रकार थे, जिन्होंने अपनी लेखनी की ताकत से भारत में अंग्रेज़ी शासन की नींद उड़ा दी थी। इस महान स्वतंत्रता सेनानी ने कलम और वाणी के साथ-साथ महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों और क्रांतिकारियों को समान रूप से समर्थन और सहयोग दिया।
सन 1913 में विद्यार्थी ने एक क्रांतिकारी पत्रकार और स्वाधीनता कर्मी के तौर पर अपना करियर प्रारंभ किया। उन्होंने क्रन्तिकारी पत्रिका ‘प्रताप’ की स्थापना की और उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई। ‘प्रताप’ के माध्यम से उन्होंने पीड़ित किसानों, मिल मजदूरों और दबे-कुचले गरीबों के दुखों को उजागर किया। अपनी निर्भीक एवं क्रांतिकारी पत्रिकारिता के कारण उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ा – सरकार ने उनपर कई मुक़दमे किये, भरी जुरमाना लगाया और कई बार गिरफ्तार कर जेल भी भेजा।
मार्च 1931 में कानपुर में भयंकर हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए जिसमें हजारों लोग मारे गए। गणेश शंकर विद्यार्थी ने दंगाइयों के बीच जाकर हजारों लोगों को बचाया पर खुद एक ऐसी ही हिंसक भीड़ में फंस गए जिसने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। एक ऐसा मसीहा जिसने हजारों लोगों की जान बचायी खुद धार्मिक उन्माद की भेंट चढ़ गया।
rajnish manga
25-03-2017, 11:11 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (26 मार्च/March 26)
रॉबर्ट फ्रॉस्ट / Robert Frost
अमरीकी कवि / American Poet
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33956&stc=1&d=1490465447
rajnish manga
25-03-2017, 11:16 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (26 मार्च/March 26)
अमरीकी कवि रॉबर्ट फ्रॉस्ट / American Poet Robert Frost
रॉबर्ट फ्रॉस्ट अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त अमेरिकन कवि थे जिन्होंने अपनी कविताओं में ग्राम्य अंचल तथा जन जीवन का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया है. उन्होंने कविता की क्लासीकी भाषा से अलग आम बोलचाल की भाषा को ही अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया. उनकी बहुत सी कविताओं में हमें रहस्यवाद के दर्शन होते हैं. वर्ड्सवर्थ की तरह उन्हें भी प्रकृति से बहुत प्रेम था. उनके पास अपना एक 30 एकड़ का फार्म था जिसमे खेत थे, चरागाह, घने वृक्ष और फलों के बागान थे. उनकी अधिकतर रचनायें इसी फार्म के खुशगवार माहौल में लिखी गयी थीं.
soni pushpa
29-03-2017, 12:35 AM
नंदा जी , गणेश शंकर विद्यार्थीजी और राबर्ट जी के बारे में जो कुछ आपने बताया उस जानकारी से अधिकांशतः लोग अनभिज्ञ ही होंगे भाई , आपने इस सूत्र के माध्यम से हमें उनके बारे में सब जानकारियां दी कृतज्ञता सहित आपके आभारी हैं हम।
rajnish manga
29-03-2017, 08:31 AM
नंदा जी , गणेश शंकर विद्यार्थीजी और राबर्ट जी के बारे में जो कुछ आपने बताया उस जानकारी से अधिकांशतः लोग अनभिज्ञ ही होंगे भाई , आपने इस सूत्र के माध्यम से हमें उनके बारे में सब जानकारियां दी कृतज्ञता सहित आपके आभारी हैं हम।
आपकी उक्त टिप्पणी में प्रशंसा भी है और प्रोत्साहन भी है. ऐसी पोस्ट भविष्य में भी देता रहूँ, यह कोशिश होगी. हार्दिक धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
rajnish manga
30-03-2017, 12:50 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (29 मार्च/March 29)
बहादुर शाह ज़फ़र / Bahadur Shah Zafar
मंगल पांडे / Mangal Pande
http://www.vskgujarat.com/wp-content/uploads/2016/03/118.jpg
rajnish manga
30-03-2017, 12:54 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (29 मार्च/March 29)
बहादुर शाह ज़फ़र / Bahadur Shah Zafar
मंगल पांडे / Mangal Pande
http://superzindagi.in/wp-content/uploads/2015/12/200px-Bahadur-Shah-II-200x165.jpg^http://www.bl.uk/onlinegallery/sacredtexts/images/Zafar1.jpg
29 मार्च 1858: सैनिक कोर्ट मार्शल द्वारा बहादुर शाह द्वितीय (बहादुर शाह ज़फ़र) के विरुद्ध चलाये गए मुकद्दमे में फैसला सुनाया गया और उन्हें देश निकाले का हुक्म दिया गया. आपको याद होगा कि उन्हें रंगून भेज दिया गया था. उस समय उनकी आयु 80 वर्ष से अधिक थी. रंगून में ही उनका इंतकाल हुआ और वहीं पर उन्हें सुपुर्दे ख़ाक किया गया. इस मौके पर ज़फर का यह शे'र याद आता है:
कितना है बदनसीब ज़फ़र दफ़्न के लिए
दो ग़ज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
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30-03-2017, 01:09 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 मार्च/March 30)
मनोहर श्याम जोशी / Manohar Shyam Joshi
(सुप्रसिद्ध हिंदी लेखक)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33957&stc=1&d=1490861343
rajnish manga
04-04-2017, 01:12 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
मीना कुमारी / Meena Kumari
(बीते कल की प्रख्यात अभिनेत्री)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33958&stc=1&d=1491293548
rajnish manga
04-04-2017, 01:25 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
मीना कुमारी / Meena Kumari
मीना कुमारी एक शायरा भी थीं और 'नाज़' उपनाम से कवितायें लिखती थीं. गुलज़ार द्वारा सम्पादित उनकी शायरी की पुस्तक काफ़ी प्रसिद्ध हुयी. उनकी एक ग़ज़ल पेश है:
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।
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04-04-2017, 02:39 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
मीना कुमारी / Meena Kumari
क्या अभिनेत्री मीना कुमारी का गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के साथ क्या कोई सम्बन्ध था?
Is it true that Meena Kumari was a distant relative of Rabindranath Tagore?
अभिनेत्री मीना कुमारी की मां का नाम इक़बाल बानो था जो उनका शादी के बाद रखा हुआ नाम था. शादी से पहले उनका नाम प्रभादेवी था. प्रभादेवी की मां गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के छोटे भाई की पुत्री थी जो छोटी उमर में ही विधवा हो गयी थीं. बाद में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया और मेरठ में रहने वाले प्यारेलाल से शादी कर ली थी. प्रभादेवी इन्हीं की बेटी थी. प्रभादेवी ने अलीबख्श नामक व्यक्ति से शादी की थी. यही इक़बाल बानो और अलीबख्श मीना कुमारी (जिनका वास्तविक नाम महजबीन बानो था) के माता-पिता थे. इस प्रकार प्रकारांतर से मीना कुमारी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की संबंधी थीं.
rajnish manga
04-04-2017, 03:05 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
एफ़िल टावर / Eiffel Tower
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33959&stc=1&d=1491300288
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04-04-2017, 03:19 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
एफ़िल टावर / Eiffel Tower
अपने समय की एक अद्भुत वास्तुकला, एफ़िल टॉवर दुनिया का पहला ऐसा स्मारक था जिसे 1000 फ़ुट की प्रतीकात्मक ऊंचाई तक बनाया गया था. आज की तारीख में टॉवर की ऊँचाई 324 मीटर है, जो की पारंपरिक 81 मंज़िला इमारत की ऊँचाई के बराबर है। यह तीन मंज़िला टॉवर पर्यटकों के लिए साल के 365 दिन खुली रहती है। यह टॉवर पर्यटकों द्वारा टिकट खरीद कर देखी गई दुनिया की इमारतों में अव्वल स्थान पर आती है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एफ़िल टॉवर फ़्रांस की पहचान है।आजतक इस टावर में तकरीबन 26 करोड़ व्यक्ति इसमें प्रवेश कर चुके हैं।
31 मार्च 1889 वाले दिन, जब इस टॉवर को लोगों के आने जाने के लिये खोला गया, गुस्ताव एफ़िल जिनकी कंपनी ने इसका डिज़ाइन तैयार किया और इस टॉवर का निर्माण कराया था, कुछ सरकारी अधिकारियों और प्रेस के प्रतिनिधियों के समूह को साथ ले कर सीढ़ियों से चलते हुये टॉवर के शीर्ष तक पहुंचे क्योंकि उस समय तक लिफ्ट ने काम करना शुरू नहीं किया था. नीचे से चल कर टॉवर के शीर्ष तक पहुँचने में उन्हें एक घंटे से अधिक का समय लगा था.
मूल योजना के अनुसार एफ़िल टॉवर का निर्माण पेरिस में सन 1889 में आयोजित वैश्विक प्रदर्शनी के दौरान एक अस्थायी संरचना के तौर पर किया गया था. लेकिन इसके खूबसूरत डिज़ाइन और भव्यता के साथ साथ देखने वालों में इस संरचना की अपार लोकप्रियता के कारण प्रशासन द्वारा एफ़िल टॉवर को स्थायी रूप में मान्यता प्रदान कर सदा के लिये स्वीकार कर लिया गया.
इसके निर्माण में दो वर्ष, दो माह तथा पांच दिन का समय लगा. इस कार्य में गुस्ताव एफ़िल को लोहे के काम का तजुर्बा रखने वाले 300 कारीगरों का सहयोग लेना पड़ा. लोहे के भारी भरकम 18038 खंड-प्रखंडों से मिल कर बने हुये एफ़िल टॉवर नामक इस अजूबे का निर्माण हुआ. पूरी तरह लोहे से निर्मित टॉवर का कुल वजन लगभग 7715 टन है तथा लोहे के सभी खंडों को जोड़ने के लिये इसमें 25 लाख रिवटें (RIVETS) इस्तेमाल की गई.
भूमि पर एफ़िल टॉवर का कुल क्षेत्रफल करीब 220000 वर्ग मीटर (220 thousand square meter) है. लोहे को जंग से बचाये रखने के लिये पूरी टॉवर की सतह को हर दस वर्ष में एक बार अच्छी तरह से PAINT किया जाता है. इस कार्य के लिये हर बार लगभग 60 टन पेंट प्रयोग में लाया जाता है. टॉवर की ऊँचाई 300.5 मीटर तथा उसके ऊपर का एंटीना 20.3 मीटर ऊँचा है. सर्दी और गर्मी के मौसम में तापमान के अंतर की वजह से एफ़िल टॉवर की संरचना में 15 सेंटीमीटर तक संकुचन या फैलाव हो सकता है.
(यह जानकारी फ़ोरम के ही पुराने सूत्र से ली गयी है जिसे रजनीश मंगा ने तैयार किया था)
rajnish manga
08-04-2017, 12:56 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (4 /April 4)
हिंदी के मूर्धन्य कवि-लेखक अज्ञेय / Agyey
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33960&stc=1&d=1491638168
rajnish manga
08-04-2017, 01:01 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (8 अप्रेल /April 8)
कवि-लेखक बंकिमचन्द्र चटर्जी / Bankim Chandra Chattopadhyay
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33961&d=1491638167
soni pushpa
09-04-2017, 05:29 PM
मीना कुमारी जी और अज्ञेय जी के साथ बंकिमचंद्र जी के बारे में अनमोल जानकारी देने के लिए धन्यवाद भाई
rajnish manga
12-04-2017, 09:37 AM
मीना कुमारी जी और अज्ञेय जी के साथ बंकिमचंद्र जी के बारे में अनमोल जानकारी देने के लिए धन्यवाद भाई
Thanks for appreciating the above mentioned posts, Pushpa ji.
rajnish manga
12-04-2017, 09:42 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (8 अप्रेल /April 8)
चित्रकार पाब्लो पिकासो / Pablo Picasso
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33962&stc=1&d=1491972069
rajnish manga
12-05-2017, 08:11 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (12 May)
फ्लोरेंस नाइटिंगेल / Florence Nightingale
https://2.bp.blogspot.com/-0k4SUilRe5o/UYe08y2i01I/AAAAAAAAAeo/8hplClI5VUQ/s1600/Florence+Nightingale.jpg
rajnish manga
20-07-2017, 06:52 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (3 July)
बॉलीवुड अभिनेता राज कुमार / Raj Kumar
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33966&stc=1&d=1500515485
rajnish manga
20-07-2017, 07:07 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (4 July)
स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekanand
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33967&stc=1&d=1500516455
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20-07-2017, 07:30 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (6 July)
दलाई लामा / Dalai Lama
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33968&stc=1&d=1500517795
rajnish manga
20-07-2017, 07:38 AM
https://s-media-cache-ak0.pinimg.com/originals/fc/7e/ef/fc7eef816cb9145903031c1a9f2bd72b.jpg
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20-07-2017, 08:21 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (7 July)
सर आर्थर कॉनन डॉयल / Sir Arthur Conan Doyle
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33969&stc=1&d=1500520880
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20-07-2017, 09:43 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (9 July)
अभिनेता-निर्माता-निर्देशक गुरु दत्त / Actor-Director-Producer Guru Dutt
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33970&stc=1&d=1500525727
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20-07-2017, 11:05 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 July)
अभिनेत्री व नृत्य संयोजक / Actress & Choreographer
(नाट्य जगत व सिनेमा की महान हस्ती)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33971&stc=1&d=1500573906
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20-07-2017, 11:11 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (11 July)
Qateel Shifai/ क़तील शिफ़ाई
उर्दू के मशहूर शायर व गीतकार / Renowned Urdu Poet & Lyricist
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33972&stc=1&d=1500574245
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20-07-2017, 11:41 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (11 July)
प्रसिद्ध हिंदी कथाकार व अभिनेता भीष्म साहनी / Renowned Hindi Writer & Actor
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33973&stc=1&d=1500576021
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21-07-2017, 08:31 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 July)
प्रसिद्ध अफ़्रीकी नेता नेल्सन मंडेला / South African Leader Nelson Mandela
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33974&stc=1&d=1500651076
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21-07-2017, 09:24 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 July)
ग़ज़ल गायक मेहदी हसन / Ghazal Singer Mehdi Hassan
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33975&stc=1&d=1500654185
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21-07-2017, 09:33 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 July)
ग़ज़ल गायक मेहदी हसन / Ghazal Singer Mehdi Hassan
qcKxMW6aLnk
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22-07-2017, 07:47 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (20 July)
ब्रूस ली / Bruce Lee
Iconic Actor-Director of Martial Art Movies
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33976&stc=1&d=1500734760
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22-07-2017, 08:16 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 July)
नील आर्मस्ट्रांग / Neil Armstrong
First Man To Set Foot On Moon On 21 July 1969
Apollo 11 lift off: 16 Jul / Landing on Moon: 20 July/ Walk 21
July 1969
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33978&stc=1&d=1500748036
http://images.jagran.com/neil-sl-25-8-2011.jpg
Apollo 11 Mission Completed
(Team: Neil Armstrong, Edwin Buzz Aldrin and Michael Collins)
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22-07-2017, 10:58 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (22 July)
पार्श्वगायक मुकेश / Playback Singer Mukesh
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33977&stc=1&d=1500746285
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23-07-2017, 08:52 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 July)
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक / Lokmanya Bal Gangadhar Tilak
(23/7/1856 - 1/8/1920)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33979&stc=1&d=1500782775
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23-07-2017, 09:50 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 July)
शहीद चंद्रशेखर आज़ाद / Chandra Shekhar Azad
(23/7/-1906 - 27/2/1931)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33981&stc=1&d=1500785702
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23-07-2017, 10:41 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 July)
शिव कुमार बटालवी / Shiv Kumar Batalvi
(23/7/-1936 - 7/5/1973)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33984&stc=1&d=1500790799
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23-07-2017, 10:48 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 July)
शिव कुमार बटालवी / Shiv Kumar Batalvi
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33982&stc=1&d=1500789793^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33983&stc=1&d=1500789793
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24-07-2017, 11:05 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 July)
मनोज कुमार / Manoj Kumar
Actor-Producer-Director
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33985&stc=1&d=1500919507
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25-07-2017, 05:30 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 July)
ज्ञानी ज़ैल सिंह / Giani Zail Singh (Sworn on 25/7/1982)
आर. वेंकटरमण / R. Venkatraman (Sworn on 25/7/1987)
भारत के पूर्व राष्ट्रपति / Former Presidents of India
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33986&stc=1&d=1500985754^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33987&stc=1&d=1500985754
(Giani Zail Singh: 5/5/1916 - 25/12/1994)
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26-07-2017, 10:57 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (26 July)
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ / George Bernard Shaw
Nobel Laureate Playwrite, Critic & Political Thinker
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33988&stc=1&d=1501049184
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31-07-2017, 12:12 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 July)
शहीद उधम सिंह / Shaheed Udham Singh
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33989&stc=1&d=1501441899
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31-07-2017, 10:04 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 July)
मोहम्मद रफ़ी / Mohd. Rafi (Playback Singer)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33990&stc=1&d=1501520607
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31-07-2017, 11:19 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 July)
मुंशी प्रेमचंद / Munshi Premchand
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33991&stc=1&d=1501525103
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01-08-2017, 10:44 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 August)
मीना कुमारी / बाबू देवकीनंदन खत्री / लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
https://images-na.ssl-images-amazon.com/images/M/MV5BMTM2NjQ1Nzg2N15BMl5BanBnXkFtZTcwNDkyNjAzMQ@@._ V1_UY317_CR1,0,214,317_AL_.jpg^https://rukminim1.flixcart.com/image/312/312/book/0/4/4/chandrakanta-santati-6-parts-original-imadahb2sccwajut.jpeg?q=70
Meena Kumari -------------Babu Devkinandan Khatri
(1/8/1932 - 31/3/1972) (29/6/1861 - 1/8/1913)
http://pbs.twimg.com/media/CLS3B5PVAAEagXE.jpg
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27-08-2017, 01:32 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 August)
सर डॉन ब्रेडमैन / Sir Don Bradman
http://www.abcofcricket.com/Article_Library/art16/sirdon1.gif
https://qph.ec.quoracdn.net/main-qimg-444ff2fd8ba505e405e70a384655b2d6-c?convert_to_webp=true
rajnish manga
27-08-2017, 02:41 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 August)
मुकेश / Mukesh
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33993&stc=1&d=1503827595
मुकेश सत्रह वर्ष की आयु में अभिनेता बनने के लिए 1940 में मुंबई आये | 1945 में मुकेश Mukesh को संगीत की दुनिया में प्रवेश करने का मौका मिला | “पहली नजर” फिल्म में उनको पहली बार पार्श्व गायक के तौर पर गाने का मौका मिला | इस फिल्म में उन्होंने “दिल जलता है तो जलने दे ” गाना गाया जो आज भी पुराने लोगो की जबान पर कायम है|
मुकेश के गाये कुछ लोकप्रिय गीत इस प्रकार हैं:
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा....
मै ना भूलूंगा, मै ना भूलूंगा , इन रस्मो को इन कस्मो को ....
एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल ....
आंसू भरी हैं ये जीवन की राहें ....
ये मेरा दीवानापन है ....
सारंगा तेरी याद मैं नैन हुए बेचैन ....
चंचल शीतल कोमल निर्मल,संगीत की देवी
जिन्दगी ख़्वाब है, ख्वाब में झूठ क्या और भला सच है क्या
सजन रे झूठ मत बोलो,खुदा के पास जाना है
जीना यहाँ मरना यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ ....
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे
मेरा नाम राजू ....
मेरा जूता है जापानी ....
कहता है जोकर सारा जमाना
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27-08-2017, 03:04 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 August)
ऋषिकेश मुखर्जी / Hrishikesh Mukherjee
https://pbs.twimg.com/media/CqzmipbWEAA_MvL.jpg
ऋषिकेश मुखर्जी / Hrishikesh Mukherjee
(30 Sept 1922 - 27 Aug 2006)
rajnish manga
28-08-2017, 10:41 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (29 August)
माइकल जेक्सन / Michael Jackson
(29/08/1958 - 25/06/2009)
KING OF POP
https://i.pinimg.com/736x/32/71/28/327128cb65b81639207bb462df3c4131--michael-jackson-rare-michael-okeefe.jpg
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28-08-2017, 10:57 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (29 August)
मेजर ध्यान चंद / Major Dhyan Chand
हॉकी का जादूगर
http://www.jagranjosh.com/imported/images/E/Articles/Hockey-Wizard1.jpg
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (5 September)
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन / Dr Sarvpalli Radhakrishnan
His Birthday is observed as Teachers' Day (September 5)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34092&stc=1&d=1512905912
rajnish manga
15-09-2017, 10:12 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 Sept)
दूरदर्शन / Doordarshan
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33994&stc=1&d=1505495485
15 सितंबर 1959 को दिल्ली में दूरदर्शन का पहला प्रसारण प्रयोगात्मक आधार पर आधे घंटे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया था।
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15-09-2017, 10:31 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 Sept)
दूरदर्शन / Doordarshan
दूरदर्शन को देश भर के शहरों में पहुँचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल थे। एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था। फिर दूरदर्शन पर शुरु हुआ पारिवारिक कार्यक्रम हम लोग जिसने लोकप्रियता के तमाम रेकॉर्ड तोड़ दिए। 1984 में देश के गाँव-गाँव में दूरदर्शन पहुँचानेके लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इसके बाद आया भारत और पाकिस्तान के विभाजन की कहानी पर बना बुनियाद जिसने विभाजन की त्रासदी को उस दौर की पीढ़ी से परिचित कराया। इस धारावाहिक के सभी किरदार आलोक नाथ (मास्टर जी), अनीता कंवर (लाजो जी), विनोद नागपाल, दिव्या सेठ घर घर में लोकप्रिय हो चुके थे। फिर तो एक के बाद एक बेहतरीन और शानदार धारवाहिकों ने दूरदर्शन को घर घर में पहचान दे दी। दूरदर्शन पर 1980 के दशक में प्रसारित होने वाले मालगुडी डेज़, ये जो है जिन्दगी, रजनी, ही मैन, वाहः जनाब, तमस, बुधवार और शुक्रवार को 8 बजे दिखाया जाने वाला फिल्मी गानों पर आधारित चित्रहार, भारत एक खोज, व्योमकेश बक्शी, विक्रम बैताल, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ लैला, शाहरुख़ खान की फौजी, रामायण, महाभारत, देख भाई देख ने देश भर में अपना एक खास दर्शक वर्ग ही नहीं तैयार कर लिया था बल्कि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में भी इन धारवाहिकों को ज़बर्दस्त लोकप्रियता मिली।
(विकिपीडिया से साभार)
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15-09-2017, 10:36 PM
रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिकों ने तो सफलता के तमाम कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे, 1986 में शुरु हुए रामायण और इसके बाद शुरु हुए महाभारत के प्रसारण के दौरान रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था और लोग अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से लेकर अपनी यात्रा तक इस समय पर नहीं करते थे। रामायण की लोकप्रियता का आलम तो ये था कि लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीपक जलाकर रामायण का इंतजार करते थे और एपिसोड के खत्म होने पर बकायदा प्रसाद बाँटी जाती थी।
(विकिपीडिया से साभार)
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15-09-2017, 11:00 PM
15 सितम्बर की कुछ अन्य प्रमुख घटनाएं
1846 − नेपाल, जंगबहादुर राणा ने सत्ता कब्जाई
1861 − सर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म (आज भारत में अभियन्ता दिवस मनाया जाता है)
1883 − बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का गठन
1890 − अंग्रेजी उपन्यासकार अगाथा क्रिस्टी का जन्म
1905 − हिन्दी साहित्यकार डॉ. रामकुमार वर्मा का जन्म
1915 − परमवीर कैप्टेन कर्मसिंह का जन्म
1927 − हिन्दी साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म
1931 − गांधी−इर्विन समझौता
1970 − इंदिरा गांधी विवेकानंद शिला स्मारक के उद्घाटन में आयीं
2016 − हिन्दी साहित्यकार प्रभाकर श्रोत्रिय का निधन
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18-09-2017, 09:09 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 Sept)
एम एफ हुसैन / M F Husain
(चित्रकार / Painter)
http://images.jagran.com/husain_SL_09_06_2011.jpg
http://www.vam.ac.uk/__data/assets/image/0003/240483/ganesha.jpg
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18-09-2017, 09:51 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 Sept 1950)
नरेन्द्र दामोदर दास मोदी / Narendra Damodardas Modi
भारत के प्रधानमंत्री / Prime Minister of India
http://s1.firstpost.in/wp-content/uploads/2017/09/Narendra-Modi-New-Years-Eve-speech_PTI.jpg
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18-09-2017, 10:24 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 Sept)
कुमार पाशी (शायर)/ Kumar Pashi (Poet)
http://s11.postimg.org/l5rb1tuen/kumar_pashi_small.jpg
(3 July 1935 - 17 Sept 1992)
एक ग़ज़ल
खुश हो ए दुनिया कि एक अच्छी खबर ले आये हैं
सब ग़मों को हम मना कर अपने घर ले आये हैं
इस कदर महफूज़ गोशा इस ज़मीन पर अब कहाँ
हम उठा कर दश्त में दीवार-ओ-दर ले आये हैं
सनसनाते आसमान में उन पे क्या गुजरी न पूछ
आने वाले खून में तर बाल-ओ-पर ले आये हैं
देखता हूँ दुश्मनों का एक लश्कर हर तरफ
किस जगह मुझको यह मेरी हम-सफर ले आये हैं
मैं कि तारीकी का दुश्मन मैं अंधेरों का हरीफ़
इस लिए मुझको इधर अहल-ए-नज़र ले आये हैं
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18-09-2017, 10:49 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 Sept)
हास्य कवि काका हाथरसी / Kaka Hatharasi (Poet)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33995&stc=1&d=1505715840
(18 Sept 1906 - 18 Sept 1995)
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18-09-2017, 10:55 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 Sept)
हास्य कवि काका हाथरसी / Kaka Hathrasi (Poet)
http://1.bp.blogspot.com/-7Kogvv3uo9I/UF7RrQJqU_I/AAAAAAAAAOo/99gF6A12rFE/s1600/KK.jpg
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23-09-2017, 11:48 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 Sept)
रामधारी सिंह दिनकर (कवि) / Ramdhari Singh Dinkar (Poet)
http://i1.wp.com/www.go4prep.com/wp-content/uploads/Ramdhari-Singh-Dinkar-Biography-Essay-in-Hindi.jpg
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24-09-2017, 12:02 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 Sept)
मैडम भीकाजी कामा / Madam Bhikaji Cama
महान स्वतंत्रता सेनानी (24/9/1861-13/8/1936)
http://amazoncdn.imusti.com/mnt/books/images/hindi/pbt0196/images/pbt0196_front209x263.jpg^http://1.bp.blogspot.com/-jUZjHPNU6-I/UkFJjCvvNbI/AAAAAAAAAnU/1FwDBnkkeq0/s1600/India1907Flag.png
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29-09-2017, 02:21 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (Born: 28 Sept 1929)
लता मंगेशकर / Lata Mangeshkar
http://a10.gaanacdn.com/images/playlists/0/420100/crop_175x175_420100_1495192219.jpg^http://a10.gaanacdn.com/images/artists/55/155/crop_175x175_155.jpg
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29-09-2017, 02:37 PM
लता मंगेशकर / Lata Mangeshkar (Born: 28 Sept 1929)
लता जी के गाये कुछ प्रसिद्ध गीत:
हवा में उड़ता जाए (बरसात)
आएगा आएगा आएगा आने वाला (महल)
घर आया मेरा परदेसी (आवारा)
तुम न जाने किस जहाँ में (सजा)
ये जिंदगी उसी की है (अनारकली)
मन डोले मेरा तन डोले (नागिन)
मोहे भूल गए साँवरिया (बैजू बावरा)
यूँ हसरतों के दाग (अदालत)
जाएँ तो जाएँ कहाँ (टैक्सी ड्राइवर)
प्यार हुआ इकरार हुआ (श्री 420)
रसिक बलमा (चोरी चोरी)
ऐ मालिक तेरे बंदे हम (दो आँखे बारह हाथ)
आ लौट के आजा मेरे गीत (रानी रूपमती)
प्यार किया तो डरना क्या (मुगल ए आजम)
ओ बसंती पवन पागल (जिस देश में गंगा बहती है)
ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ)
अल्लाह तेरो नाम (हम दोनों)
पंख होते तो उड़ आती रे (सेहरा)
बिंदिया चमकेगी (दो रास्ते)
चलते चलते (पाकीजा)
मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियाँ है (चाँदनी)
मेरे ख्वाबों में जो आए (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे)
हमको हमीं से चुरा लो(मोहब्बतें)
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30-09-2017, 02:13 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं
30 Sept 1687 के दिन मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने हैदराबाद के गोलकुंडा किले पर अधिकार किया था.
https://i.ytimg.com/vi/hPb90kEcy8o/hqdefault.jpg
https://i.ytimg.com/vi/3595lUxYlYY/maxresdefault.jpg
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30-09-2017, 02:28 PM
और इतिहास में आज की प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार हैं (30 सितंबर)
1687 - औरंगजेब ने हैदराबाद के गोलकुंडा के किले पर क़ब्जा किया।
1993 - महाराष्ट्र के औरंगाबाद में भूकम्प के कारण 10,000 से अधिक लोगों की मौत ।
2001 - कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव राव सिंधिया का निधन।
2003 - विश्वनाथन आनंद ने विश्व रैपिड शतरंज चैम्पियनशिप जीती।
2004 - चीनी दार्शनिक कन्फ़्यूशियस की 2555 वीं जयंती मनाई गई ।
2009 - प्रख्यात पाश्र्व गायक मन्ना डे को वर्ष 2007 प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया।
2010 - इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विवादित बाबरी मस्जिद मामले में जमीन को तीन हिस्सों में बांटकर रामलला, निर्मोही अखाड़े और वक्फ बोर्ड को एक-एक हिस्सा देने का फैसला सुनाया।
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02-10-2017, 06:30 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (2 October)
महात्मा गाँधी / Mahatma Gandhi
https://www.mapsofindia.com/events/images/events/gandhi-jayanti.jpg
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02-10-2017, 06:48 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (2 October)
लाल बहादुर शास्त्री / Lal Bahadur Shastri
पूर्व प्रधानमंत्री
https://gkdutta.files.wordpress.com/2014/10/1266.jpg
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10-10-2017, 08:26 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (8 October)
मुंशी प्रेमचंद / Munshi Premchand
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33999&stc=1&d=1507649265
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33998&stc=1&d=1507649158
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10-10-2017, 08:37 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (8 October)
लोक नायक जय प्रकाश नारायण / Lok Nayak Jaiprakash Narayan
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34000&stc=1&d=1507649830
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10-10-2017, 08:51 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 October)
डॉ द्वारकानाथ कोटनिस / Dr Dwarkanath Kotnis
(10 अक्टूबर 1910 - 9 दिसम्बर 1942)
http://www.stampsathi.in/images/stamps/full/1390.gif
एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मेएक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे Dr. डॉ द्वारकानाथ कोटनिस केजिक्र के बिना भारत-चीन संबंधों की चर्चा अधूरी है। दूसरे विश्व युद्ध केदौरान घायल चीनी सैनिकों की सेवा कर इंसानियत, मैत्री और भाईचारे की मिसालकायम करने वाले भारतमाँके इस सपूत को आज भीवहाँ की जनता श्रद्धा और प्रेम से याद करती है।
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10-10-2017, 09:02 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 October)
डॉ द्वारकानाथ कोटनिस / Dr Dwarkanath Kotnis
उल्लेखनीयहै कि वर्ष 1937 में जब जापान ने चीन पर हमला किया तो चीन के तत्कालीनजनरल छू ते ने भारत में आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभा रही कांग्रेसपार्टी के नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू से घायल सैनिकों के इलाज में सहायताके लिए चिकित्सक भेजने का अनुरोध किया। भारत स्वयं भी गुलामी की बेड़ियोंमें जकड़ा हुआ था औरयहाँकी जनता भी आजादी की हवा मेंसाँस लेने के लिए छटपटा रही थी। इसके बावजूद नेहरूजी ने पड़ोसी मदद की गुहार अनसुनी नहीं की और पाँच चिकित्सक इंडियन मेडिकल ऐड मिशन टू चायना के तहत वहाँ भेजे।इसमें डॉ. कोटनिस मुख्य हैं, क्योंकि जब बाकी डॉक्टर्स स्वदेश लौट आए तब भी वे पड़ोसी देश में मोर्चा संभाले रहे थे और लगभग पाँच वर्ष तक पड़ोसियों की जी-जान से सेवा की। यही कारण है कि चीन के सैनिकों के दिल उन्होंने अपनी सेवा से जीत लिए।
इसी दौरान डॉ. कोटनिस ने चीन की गुओ क्विंग लांग से विवाह किया और वे यहाँ की जनता के दिलों में पूरी तरह से बस गए। उनके जिक्र के बिना भारत-चीन संबंधों की चर्चा अधूरी है। दूसरे विश्व युद्ध केदौरान घायल चीनी सैनिकों की सेवा कर इंसानियत, मैत्री और भाईचारे की मिसाल कायम करने वाले भारत माँ के इस सपूत को आज भी वहाँ की जनता श्रद्धा और प्रेम से याद करती है।
V. Shantaram paid his tribute to Dr Kotnis through his Film 'Dr Kotnis Ki Amar Kahani'. A poster:
http://www.thehindu.com/migration_catalog/article12817259.ece/alternates/FREE_660/24%20kotnis
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10-10-2017, 09:45 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 October)
ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह / Ghazal Singer Jagjit Singh
https://s-media-cache-ak0.pinimg.com/originals/29/2a/a3/292aa3974e3e74a2d1bab1ad6b2b171b.jpg
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 October)
रेखा / Rekha (Born On October 10, 1954)
बॉलीवुड अभिनेत्री / Bollywood Actress
http://www.iloveindia.com/indian-heroes/pics/rekha.jpg
रेखा (मूल नाम भानुरेखा गणेशन) का जन्म चेन्नई में तमिल अभिनेता जेमिनी गनेशन और तेलगु अभिनेत्री पुष्पावली के यहां हुआ था। उनके पिता अभिनेता के तौर पर काफी सफल हुए और रेखा भी उन्हीं के पद्चिन्हों पर चलीं। वे तेलगु को अपनी मातृभाषा मानती हैं। वे हिन्दी, तमिल और इंग्लिश भी अच्छे से बोल लेती हैं।
अपनी वर्सटैलिटी और हिन्दी फिल्मों की बेहतरीन अभिनेत्री मानी जाने वाली रेखा ने अपने करियर की शुरूआत 1966 में बाल कलाकार के तौर पर तेलगु फिल्म रंगुला रतलाम सेे की थी। मुख्य अभिनेत्री के तौर पर उनका डेब्यू चार साल बाद फिल्म सावन भादो से हुआ था। वे अपने लुक्स को लेकर हमेशा चर्चा में रहीं और 1970 तक आते आते वे अभिनेत्री के रूप में स्थापित हो गईं। रेखा ने अपने 40 सालों के लंबे करियर में लगभग 180 से उपर फिल्मों में काम किया है।
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10-10-2017, 11:29 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 October)
रेखा / Rekha (Born On October 10, 1954)
अभिनेत्री रेखा को उनके अभिनय के लिये तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुका है- दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का और एक बार सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का जिसमें क्रमशः खूबसूरत, खून भरी मांग और खिलाडि़यों का खिलाड़ी जैसी फिल्में शामिल हैं। 'उमराव जान' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है। उनके करियर का ग्राफ कई बार नीचे भी गिरा लेकिन के उन्होंने अपने को कई बार इससे उबारा और स्टेटस को बरकरार रखने के लिए उनकी क्षमता ने सभी का दिल जीता। 2010 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया।
हम उन्हें उनके 67 वें जन्मदिन की बधाई व शुभकामनायें प्रेषित करते हैं।
rajnish manga
10-10-2017, 11:34 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (10 October)
रेखा / Rekha (Born On October 10, 1954)
http://4.bp.blogspot.com/-JXjmsstnkNI/TwWJ3UvaAVI/AAAAAAAAAD0/VxXFAb2yLXo/s1600/rekha.jpg
फिल्म 'उमराव जान' में उनके अविस्मरणीय अभिनय को कौन भूल सकता है
rajnish manga
11-10-2017, 11:25 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (11 October)
अमिताभ बच्चन / Amitabh Bachchan
(Born On October 11, 1942)
https://s-media-cache-ak0.pinimg.com/originals/1b/ff/8a/1bff8af3fe256b1771a0c1498e018ad0.jpg
rajnish manga
11-10-2017, 11:33 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (11 October)
अमिताभ बच्चन / Amitabh Bachchan
(Born On October 11, 1942)
https://starsunfolded-1ygkv60km.netdna-ssl.com/wp-content/uploads/2016/01/Jaya-Bachchan-with-her-family.jpg
Amitabh Bachchan with wife Jaya, son Abhishek, daughter Shweta and daughter-in-law Aishwarya Rai
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15-10-2017, 11:14 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 October)
हेमा मालिनी / Hema Malini
(Born On October 16, 1948)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34009&stc=1&d=1508091265
rajnish manga
15-10-2017, 11:34 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 October)
हेमा मालिनी / Hema Malini
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34010&stc=1&thumb=1&d=1508091261
हेमामालिनी का जन्म तमिलियन परिवार 16 अक्टूबर 1948 को अम्मनकुडी तमिलनाडु में हुआ था। उनके पिता का नाम वीएसआर चक्रवर्ती हैं। उनकी माँ का नाम जया चक्रवर्ती है-जोकि एक फिल्म निर्माता थीं।
1961 में एक तेलगु फिल्म 'पांडव वनवासन' में हेमा ने नर्तकी का किरदार निभाया था। हिंदी फिल्मों में 'सपनों का सौदागर' (1968) में हेमा को अभिनय करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनके हीरो राजकपूर थे । राजकपूर ने तब कहा था-एक दिन यह लड़की सिनेमा की बहुत बड़ी स्टार बनेगी।
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15-10-2017, 11:37 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 October)
हेमा मालिनी / Hema Malini
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34011&d=1508091261
जीतेंद्र और संजीव कुमार समेत कई अभिनेता हेमा की खूबसूरती के दिवाने थे। संजीव हेमा से शादी करना चाहते थे। लेकिन हेमा का दिल पहले से शादीशुदा धर्मेंद्र पर आ गया था ।
हेमा और धर्मेंद्र का रिश्ता दोनों के परिवारों को स्वीकार नहीं था। वहीं धर्मेंद्र ने शर्त रखी थी कि वो शादी के बाद अपनी पहली पत्नी प्रकाश, बच्चों और परिवार को नहीं छोड़ेंगे। धर्मेंद्र के प्यार में पूरी तरह डूब चुकी हेमा ने उनकी ये शर्त मान ली। हिन्दू होने के चलते धर्मेंद्र हेमा से शादी नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने मुस्लिम धर्म कबूल कर लिया था। धर्मेंद्र की दूसरी शादी दिलावर खान के नाम से हुई है।
rajnish manga
15-10-2017, 11:40 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 October)
हेमा मालिनी / Hema Malini
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34014&stc=1&d=1508092759
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34015&stc=1&d=1508092759
https://s-media-cache-ak0.pinimg.com/736x/57/dc/34/57dc3431a6973b280f3f201dfefe9b62--hema-malini-indian-dresses.jpg
Hema Malini with husband Dharmendra and her daughters Isha and Ahana
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15-10-2017, 11:53 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 October)
हेमा मालिनी / Hema Malini
1970, 1971, 1972 व 1975 उनके करियर में अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ष माने जाते हैं जिनमें उनकी मशहूर फिल्मे जॉनी मेरा नाम, अंदाज़, सीता और गीता तथा शोले प्रदर्शित हुई. इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इस बीच उन्हें बहुत से फ़िल्मी तथा राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया.
आज उनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य में उनकी जीवनी 'हेमा मालिनी: बियॉन्ड द ड्रीम गर्ल' के नाम से रिलीज़ हो रही है जिसमे हेमा मालिनी के जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलुओं व् प्रसंगों की जानकारी दी गयी है.
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15-10-2017, 11:56 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 October)
हेमा मालिनी / Hema Malini
हेमा एक शानदार डांसर भी हैं। उन्हें भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी और ओडिसी में प्रशिक्षण प्राप्त है और वो देश-विदेश में स्टेज परफॉर्मेंस भी देती हैं।
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34017&stc=1&d=1508093754^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34018&stc=1&d=1508093754
2004 में हेमा राजनीति में आ गईं। फिलहाल वे मथुरा से लोकसभा सांसद हैं।
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18-10-2017, 03:12 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 October)
अनिल कुम्बले / Anil Kumble
क्रिकेटर / Cricketer (Born 17 October 1970)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34019&stc=1&d=1508321825
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18-10-2017, 03:30 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 October)
अनिल कुम्बले / Anil Kumble
https://pics.me.me/6-things-on-which-every-anil-kumble-fan-should-be-8774491.png
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18-10-2017, 03:33 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 October)
अनिल कुम्बले / Anil Kumble
http://image.newsdog.today/origin_ea39dc6dd498bb1dddc97fb3f9dc80c1
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18-10-2017, 03:47 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 October)
अनिल कुम्बले / Anil Kumble
http://1.bp.blogspot.com/-o6FsmXRIjKg/UjHZvEYxDnI/AAAAAAAAAA4/52IiHDFkmoI/s1600/Kumble_0.jpg
Shares this record with Jim Laker who took 10 wickets in an innings at Old Trafford, Manchester v/s Australia in 1956. He took 19 wickets in the Match. Kumble performed this feat at Ferozshah Kotla, New Delhi on 7 February 1999 v/s Pakistan.
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18-10-2017, 04:21 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (17 October)
अनिल कुम्बले / Anil Kumble
http://1.bp.blogspot.com/-Vk_1IjdPumw/ViIvhfHP4rI/AAAAAAAAAIQ/PHYnCaUH_qU/s1600/12106783_10153993889779578_4492848541250446011_n.j pg
अनिल कुम्बले ने 132 टैस्ट मैचों में कुल 619 विकेट लिए
इसके अलावा 271 ODI मैचों में कुल 337 विकेट लिए
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18-10-2017, 11:34 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 October)
आज के दिन की महत्वपूर्ण घटनायें:
1878 - थॉमस एल्वा एडिसन ने घरेलू उपयोग के लिए बिजली उपलब्ध करायी।
http://www.prabhatbooks.com/upload/1406365023.jpg
1892 - अमेरिका में शिकागो से न्यूयार्क के बीच पहली लंबी दूरी की वाणिज्यिक फोन लाइन को शुरू।
1922 - ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी की स्थापना हुई, जिसका नाम बाद में बदलकर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (BBC) किया गया।
1931 - बिजली के खोजकर्ता थॉमस एडिसन का निधन हुआ।
1954 - टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स कंपनी ने पहले ट्रांजिस्टर रेडियो का निर्माण किया।
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19-10-2017, 12:01 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 October)
आज के दिन की महत्वपूर्ण घटनायें:
1745 – मशहूर किताब 'गुलीवर की यात्राएं' के लेखक जोनाथन स्विफ्ट का निधन हुआ।
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34021&stc=1&d=1508354501^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34028&stc=1&d=1508587023
1853 – अमेरिका के हवाई प्रांत में पहली आटा चक्की शुरू की गयी।
1950 – मदर टेरेसा ने कलकत्ता में मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी की स्थापना की था. बाद में उन्हें भारत साकार द्वारा भारत रत्न तथा नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. वेटिकन ने उन्हें संत के रूप में भी मान्यता दी.
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34020&stc=1&d=1508354128
1970 – आज के दिन रूस के सहयोग से स्वदेश में निर्मित MIG 21 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया.
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20-10-2017, 11:37 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (20 October)
आज के दिन की महत्वपूर्ण घटनायें:
1568: मुगल सम्राट अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर हमला किया.
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34023&stc=1&d=1508481278^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34024&stc=1&d=1508481374
1962: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर युद्ध शुरू हुआ.
1973: ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में ओपेरा हाउस को पहली बार जनता के लिए खोला गया.
2011: लीबिया पर 40 साल एकछत्र राज करने वाले तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी गृहयुद्ध में मारा गया.
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34022&stc=1&d=1508479641
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20-10-2017, 11:33 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 October)
आज के दिन की महत्वपूर्ण घटनायें:
1296 – अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली की गद्दी संभाली।
1934 – नेताजीसुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर में आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना की।
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34025&stc=1&d=1508524347
1951 - भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। (1977 में इसका विलय जनता पार्टी में हुआ. 1980 में यह पार्टी अपने नए अवतार में भारतीय जनता पार्टी ने नाम से वजूद में आयी)।
1954 - भारत और फ़्रांस ने पौण्डीचेरी, करैकल, और माहे को भारतीय गणतंत्र में शामिल करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। यह समझौता 1 नवंबर से लागू हुआ।
1970 - नारमन इ बारलॉग को नोबेल का शांति पुरस्कार दिया गया।
(Born: March 24, 1914 / Died: September 12, 2009)
वे एक अमरीकी कृषि वैज्ञानिक थे. उन्होंने अनाज का उत्पादन बढाने के लिए नयी तकनीक का सहारा लिया और उसके आधार पर उन्होंने संसार में हरित क्रान्ति का श्रीगणेश किया.
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34027&stc=1&d=1508525742
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21-10-2017, 12:12 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 October)
यश चोपड़ा / Yash Chopra
फिल्म निर्माता-निर्देशक
http://images.livehindustan.com/uploadimage/photostory/yash-chopra1474960775_big~27~09~2016~1490674056_wallpap er.jpg
(27/9/1932 - 21/10/2012)
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21-10-2017, 05:04 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 October)
यश चोपड़ा / Yash Chopra (Died 21 October)
फिल्म निर्माता-निर्देशक
यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को लाहौर में हुआ था। उनकी पढ़ाई लाहौर में हुई। 1945 में इनका परिवार पंजाब के लुधियाना में बस गया था। यश चोपड़ा कभी इंजीनियर बनना चाहते थे। वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लंदन भी जानेवाले थे, लेकिन उनकी किस्मत कहीं और लिखी हुई थी। फिल्मों में करियर बनानेका सपना लिए वो बंबई आए थे।
यशचोपड़ा ने बतौर सहायक निर्देशक अपने करियर की शुरुआत बड़े भाई बी आरचोपड़ा और आई एस जौहर के साथ की। साल 1959 में उन्होंने पहली फिल्म 'धूल काफूल' का निर्देशन किया। कई सफल फिल्मों के बाद 1973 में उन्होंने अपनीप्रोडक्शन कंपनी ‘यशराज फिल्म्स’ की स्थापना की।
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21-10-2017, 05:08 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 October)
यश चोपड़ा / Yash Chopra (Died 21 October)
स्टार को सुपरस्टार बनाने वाला पारस
यशचोपड़ा ने अपनी फिल्मों से कई सितारों को स्टारडम का दर्जा दिलाया। 1975 में फिल्म 'दीवार' से उन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन की 'एंग्री यंग मैन' की छवि बनाई। अमिताभ की लीड रोल वाली पांच फिल्में 'दीवार' (1975), 'कभी-कभी (1976), 'त्रिशूल' (1978), 'काला पत्थर' (1979), 'सिलसिला' (1981) यश चोपड़ा की बेहतरीन फिल्में हैं। वहीं, बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान केसाथ बतौर निर्देशक यश चोपड़ा ने 'डर', 'दिल तो पागल है' और 'वीर ज़ारा' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं। शाहरुख के साथ यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' रही।
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21-10-2017, 05:14 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 October)
यश चोपड़ा / Yash Chopra (Died 21 October 2012)
रोमांटिक फिल्मों के जादूगर: यश चोपड़ा को रोमांटिक फिल्मों का जादूगर कहा जाता था। उनकी अंतिम फिल्म ‘जब तक है जान’ भी रोमांटिक फिल्म थी। 2012 में अपने 80वें जन्मदिन के मौके पर उन्होंने कहा था कि ये उनकी अंतिम फिल्म है और अब वो रिटायर होकर परिवार कोवक्त देना चाहते हैं। यश चोपड़ा रिटायर तो हो गए लेकिन परिवार को वक्त नहीं दे पाए। 21 अक्टूबर, 2012 को डेंगू के चलते उनका निधन हो गया था।
परिवार: उनकी पत्नी का नाम पामेला चोपड़ा है। यश और पामेला के दो बेटे आदित्य और उदयहैं । बड़े बेटे आदित्य भी निर्देशक हैं। उन्होंने साल 2014 में अभिनेत्री रानी मुखर्जी से शादी की है। वहीं, उनके छोटे बेटे उदय चोपड़ा बॉलीवुड अभिनेता हैं। इन दिनों वो एक्टिंग के अलावा फिल्म निर्माण में भी किस्मत आजमा रहे हैं।
पुरस्कार व सम्मान: 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सिनेमा सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सेनवा जा गया था। वहीं, 2005 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान मिला। फिल्मों की शूटिंग के लिए यश चोपड़ा को स्विट्ज़रलैंड सबसे ज्यादा पसंद था। अक्टूबर 2010 में स्विट्ज़रलैंड में उन्हें वहां एक अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। स्विट्ज़रलैंड में उनके नाम पर एक सड़क भी है और एक ट्रेन भी चलाई गई है।
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21-10-2017, 11:11 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (21 October)
बॉलीवुड अभिनेता शम्मी कपूर का जन्मदिन भी आज ही है.
(वे 21/10/1931 को पैदा हुये और 14/8/2011 को उनका
स्वर्गवास हुआ). आज हम उन्हें आदर सहित याद करते हैं.
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34031&stc=1&d=1508608944
बॉलीवुड फिल्मों की प्रसिद्ध नृत्यांगना एवं अभिनेत्री हेलेन
जिन्होंने क्लब नृत्यों को अपनी विशेष शैली में प्रस्तुत किया
का जन्म दिनांक 21/10/1939 को हुआ था. उन्हें हमारी
शुभ कामनायें.
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34029&stc=1&d=1508609492
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22-10-2017, 09:02 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (22 October)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34030&d=1508608941
Hamid Ali Khan
@ Ajit of Bollywood
बॉलीवुड अभिनेता अजीत (हामिद अली खान), जिन्हें शुरुआत में उनके ऐतिहासिक फिल्मों में निभाए किरदारों के लिए जाना गया लेकिन बाद में वे खलनायक के रूप में जाने गए, का आज के दिन स्वर्गवास हुआ था.
(जीवन यात्रा 21/1/1922 से 22/10/1998 तक)
हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
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24-10-2017, 12:12 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 October)
इस्मत चुगताई / Ismat Chugtai
सुप्रसिद्ध उर्दू कथाकार
http://i.dawn.com/large/2015/08/55e17f64ce578.jpg
Born: 15 Aug 1915
(Somewhere the year is mentioned as 1911 )
Died: 24 Oct 1991
इस्मत चुगताई का जन्म 15 अगस्त, 1915 में बदायूं के एक उच्च मध्यवर्गीय परिवार में हुआ. वे दस भाई बहन थे, जिनमें इस्मत आपा का नौवां नंबर था. छह भाई और चार बहनें. बहनों की शादी के बाद उन्हें बहनों का साथ कम और भाइयों का साथ उन्हें ज्यादा मिला. अब लड़कों के साथ रहना तो उनकी जैसी हरकतें और आदतें सीखना भी लाजिमी था. इस तरह इस्मत आपा बिंदास हो गईं, और हर वह काम करतीं जो उनके भाई करते. जैसे फुटबॉल से लेकर गिल्ली डंडा तक खेलना. इस तरह उनके बिंदास व्यक्तित्व का निर्माण हुआ, जिसकी झलक उनकी लेखनी में देखने को मिली. आधुनिक उर्दू अफसानागोई के चार आधार स्तंभ माने जाते हैं, जिनमें मंटो, कृशन चंदर, राजिंदर सिंह बेदी और चौथा नाम इस्मत चुगताई का आता है.
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24-10-2017, 11:29 PM
इस्मत चुगताई / Ismat Chugtai
उनकी ‘लिहाफ’ नामक कहानी पर खूब विवाद हुआ व अश्लीलता का आरोप लगा और उन पर मुकद्दमा चलाया गया. यह सन 1946 की बात है. वे फिल्मों से भी जुडी रहीं. यहाँ तक कि फिल्म जूनून (1979) में अभिनय भी किया. उनकी कहानी पर आधारित फिल्म ‘गरम हवा’ को फिल्मफेयर तथा राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किया गया.
दुनिया से विदाई भी कम विवादास्पद नहीं थी
24अक्तूबर, 1991 को उनका निधन मुंबई मे हो गया. लेकिन विवाद यहां भी कायम रहे. उनका दाह संस्कार किया गया, जिसका उनके रिश्तेदारों ने विरोध किया. हालांकि कई ने कहा कि उनका वसीयत में ऐसा लिखा गया था.
इस्मत आपा की प्रमुख किताबें
कहानी संग्रह: चोटें, छुई-मुई, एक बात, कलियां, एक रात, शैतान
उपन्यास: टेढ़ी लकीर, जिद्दी, दिल की दुनिया, मासूमा, जंगली कबूतर, अजीब आदमी
आत्मकथा: कागजी है पैरहन
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24-10-2017, 11:33 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 October)
गिरिजा देवी / Girija Devi
सुप्रसिद्ध ठुमरी गायिका
http://indiannerve.com/wp-content/uploads/2013/05/Girija-Devi-.jpg
Born: May 8, 1929 (Varanasi / UP)
Died: Oct 24, 2017 (Kolkata / WB)
मशहूर ठुमरी गायिका पद्मविभूषण गिरिजा देवी का मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. पिछले कई दिनों से उनका बीएम बिड़ला नर्सिंग होम में इलाज चल रहा था. ठुमरी क्वीन के नाम से मशहूर गिरिजा संगीत की दुनिया का जाना-माना चेहरा थीं. उनका निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है.
उनके चाहने वाले उन्हें प्यार से अप्पा जी कहकर बुलाते थे. उनका जन्म 8 मई 1929 को बनारस में हुआ था. उनके पिता हारमोनियम बजाते थे और संगीत सिखाते थे. गिरिजा ने 5 साल की उम्र में सारंगी वादक सरजू प्रसाद मिश्रा से ख्याल और टप्पा गाना सीखा था. उन्होंने 9 साल की उम्र में फिल्म 'याद रहे' में काम किया था.
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25-10-2017, 11:11 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 October)
साहिर लुधियानवी / Sahir Ludhianvi
Renowned Urdu Poet and lyricist
https://thumbor.assettype.com/gaonconnection%2F2016-10%2Fb782c635-9af5-48bb-9c9a-02e4d65b9aa0%2FSahir%20Ludhiyanvi.jpg?rect=0,0,133 3,571&w=800&q=60&auto=format&fm=pjpg
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25-10-2017, 11:22 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 October)
साहिर लुधियानवी / Sahir Ludhianvi
http://www.urdulife.com/upics/mushaira/srl.jpg
उनकी नज़्म 'ताजमहल' एक कालजयी रचना है.
उनके लिखे कुछ भावपूर्ण गीत:
आना है तो आ"
"अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम"
"चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें"
"मन रे तु काहे न धीर धरे"
"मैं पल दो पल का शायर हूं"
"यह दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है"
"ईश्वर अल्लाह तेरे नाम"
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26-10-2017, 11:23 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (26 October)
शहंशाह जलालुद्दीन मो. अकबर / Akbar The Great
(15 October 1542– 26 October 1605)
Note: Date of Akbar's death is also mentioned as 25 or 27th October at some places.
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34034&stc=1&d=1509042235
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34035&stc=1&d=1509042235
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27-10-2017, 12:15 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (26 October)
पं. डी वी पलुस्कर / Pt. D V Paluskar
(28 May 1921 - 26 October 1955)
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हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के शिखर पुरुष पं. पलुस्कर ने कुछ फिल्मों में भी अपने संगीत की छाप छोड़ी है (फिल्म बैजू बावरा में उस्ताद अमीर खां के साथ गाया उनका गीत 'आज गावत मन मोरा झूम के' संगीत प्रेमियों को भूल नहीं सकता). उनके पिता पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर एक महान संगीतज्ञ थे जिन्होंने सन 1901 में गन्धर्व संगीत महाविद्यालय की स्थापना की थी. पिता का उनके जीवन तथा गायन पर बहुत प्रभाव पड़ा. वे महाराष्ट्र में ग्वालियर घराने के विकास से जुड़े रहे.
https://lh6.googleusercontent.com/-X-MvIbYJuS8/TX2fwt0e7YI/AAAAAAAAAjU/hB-okXfoyWA/w1200-h630-p-k-no-nu/DVP4.jpg
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27-10-2017, 10:56 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 October)
विजय मर्चेंट / Vijay Merchant
Renowned Cricketer
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http://st3.cricketcountry.com/wp-content/uploads/2015/10/cl_Vijay-Merchant-birthday1.jpg
जन्म : 12 अक्टूबर, 1911
मृत्यु : 27 अक्टूबर, 1987
विजय सिंह माधव सिंह मर्चेन्ट का जन्म एक धनी परिवार में 12 अक्टूबर 1911 को मुम्बई में हुआ था । जब वह मात्र 15 वर्ष के थे तब उन्होंने एक मैच में दो शतक बना दिए । 5 फुट 7 इंच की ऊंचाई हो जाने पर उन्होंने अपना फुटवर्क सुधारते हुए गेंद के बेहतरीन ‘कट’ लगाने आरम्भ कर दिए।
कैरियर के दौरान उनकी उपलब्धियाँ
उन्होंने 18 वर्षों के दौरान 10 टैस्ट मैच खेले, जिनमें उन्होंने 859 रनबनाए । रणजी ट्राफी मैचों में उन्होंने 47 पारी खेलीं जिसमें 16 बार शतक लगाए और आश्चर्यजनक औसत (98.75) से उन्होंने 3639 रन बनाए और उन्होंने मीडियम पेस ऑफ स्पिन गेंद फेंकते हुए 31.87 के औसत से 65 विकेट लिए ।
उनका प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कैरियर अत्यन्त शानदार रहा । इसमें उनका बल्लेबाजी का औसत 71.64 रहा । यह औसत क्रिकेट के सम्राट डान ब्रैडमैन के बाद दूसरे नम्बर पर आता है ।उन्होंने मात्र 10 टैस्ट मैच खेले जिनमें उनका अधिकतम स्कोर 154 रहा जो उन्होने 1951-52 में बनाया था |
इंग्लैंड के दो दौरों के दौरान जो 10 वर्ष के अन्तराल पर थे, उन्होंने 4000 से अधिक रन बनाए ।
उन्होंने प्रथम श्रेणी मैचों में 44 शतक बनाए जिनमें 11 बार 200 से अधिक रन बनाए ।
एक बार वह 359 नॉट आउट भी रहे थे ।
1937 में उन्हें ‘विजडन क्रिकेटर आफ द ईयर’ (wisden cricketer of the year) चुना गया |
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27-10-2017, 11:19 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 October)
विजय मर्चेंट / Vijay Merchant
Renowned Cricketer
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https://qph.ec.quoracdn.net/main-qimg-4dd4e0ca2c27b0538a87e3ec02f8acb2
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30-10-2017, 10:10 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 October)
बेग़म अख्तर / Begum Akhtar
मलिका-ए-ग़ज़ल
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https://d1u4oo4rb13yy8.cloudfront.net/article/60184-mtjevfrswe-1496918686.jpg
Born: Oct 07, 1914
Died: Oct 30, 1974
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30-10-2017, 10:22 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं / बेग़म अख्तर
Ix4X-2yneqM
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01-11-2017, 08:39 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 October)
सरदार वल्लभ भाई पटेल / Sardar Vallab Bhai Patel
लौह पुरुष
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http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=34040&stc=1&d=1509507566
Sardar Vallab Bhai Patel
Born: Oct 31, 1875
Died: Dec 15, 1950
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01-11-2017, 08:47 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 October)
इंदिरा गाँधी / Indira Gandhi
Iron Lady of India
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https://www.telegraphindia.com/1141026/images/2610ins1.jpg
Born: Nov 19, 1917
Died:: Oct 31, 1984
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01-11-2017, 09:04 AM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 October)
अमृता प्रीतम / Amrita Pritam
Padma Vibhushan & Gyanpeeth Awardee
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https://pbs.twimg.com/media/BwVWRHGIgAAXp1L.jpg
अमृता प्रीतम पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थी। पंजाब (भारत) के गुजराँवाला जिले में पैदा हुईं अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 100 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थीं जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अमृता जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार से पहले ही अलंकृत किया जा चुका था. उन्होंने प्रीतलड़ी नामक पत्रिका का संपादन भी किया।
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05-11-2017, 07:20 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (3 October)
प्रेम नाथ / Prem Nath (Bollywood Actor)
Born: 21 Nov 1926 / Died: 3 Nov !992
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http://www.surfindia.com/celebrities/bollywood/images/premnath.jpg^http://www.indianetzone.com/photos_gallery/88/2_Prem_Nath_in_a_Bollywood_Flick.jpg^http://www.astrosage.com/celebrity-horoscope/img/Prem-Nath-horoscope.jpeg
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rajnish manga
05-11-2017, 07:28 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (3 November)
मनमोहन कृष्ण / Manmohan Krishna (Bollywood Actor)
Born: 26 Feb 1922 / Died: 3 Nov 1990
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https://in.bmscdn.com/iedb/artist/images/website/poster/large/manmohan-krishna-1361-24-03-2017-17-52-59.jpg^https://i.ytimg.com/vi/gGmWM89c24o/hqdefault.jpg
rajnish manga
05-11-2017, 07:48 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (3 November)
पृथ्वीराज कपूर / Prithviraj Kapoor (Bollywood Actor)
Born: 3 Nov 1906 / Died: 29 May 1972
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rajnish manga
05-11-2017, 07:49 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (3 November)
पृथ्वीराज कपूर / Prithviraj Kapoor (Bollywood Actor)
Born: 3 Nov 1906 / Died: 29 May 1972
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http://elinepa.org/word/wp-content/uploads/2016/01/sikandar.jpg
rajnish manga
08-11-2017, 05:42 PM
और आज की हमारी शख्सियत हैं (7 November)
बहादुर शाह ज़फर / Bahadurshah Zafar
Born: 24 Oct 1775 / Died: 7 Nov 1862
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