View Full Version : साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
अनुरोध :- जाने अनजाने में साइबर क्राइम से बचें
munneraja
27-12-2010, 12:44 PM
साइबर क्राइम के बारे में विस्तार से बताएं
साइबर क्राइम के बारे में विस्तार से बताएं
आप क्या इस सूत्र का नाम सही कर सकते हे. प्रधान जी.
साइबर कैफे मालिकों को अब कैफे में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों का डाटा मैन्यूअली स्टोर नहीं करना पड़ेगा। क्लिंक साइबर मैनेजर सॉफ्टवेयर से खुद ब खद डाटा स्टोर हो जाएगा। इससे न सिर्फ साइबर कैफे के मालिकों को मदद मिलेगी, बल्कि साइबर क्राइम को अंजाम देने वालों को ढूंढना पुलिस के भी आसान होगा।
देश में साइबर सॉल्यूशन के लिए माने जाने वाली कंपनी आइडिएक्ट इनोवेशन ने इसे बनाया है। ये सॉफ्टवेयर सभी कैफे मालिकों को मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा। सोमवार को साइबर क्राइम के विषय पर कंपनी व लुधियाना पुलिस की तरफ से दयानंद अस्पताल के ऑडीटोरियम में सैमीनार का आयोजन भी किया गया। जिसमें शहर के 100 से अधिक साइबर कैफे मालिकों ने भी भाग लिया। इस सैमीनार में लुधियाना के डीसीपी प्रमोद बान ने कहा कि पिछले कुछ समय से साइबर क्राइम में बढ़ौतरी हुई है।
साइबर क्राइम से निपटने के लिए पंजाब में पहला साइबर इंनवेस्टिगेशन सेल वर्ष 2009 में बना था। उनका कहना है कि साइबर क्राइम करने वालों से निपटने के लिए पुलिस को कैफे मालिकों का सहयोग आवश्यक है। कैफे मालिक इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों का डाटा मैन्यूअली रिकार्ड करते हैं। लेकिन अब इस सॉफ्टवेयर की मदद से उन्हें ऐसी कोई दिक्कत नहीं आएगी। कंपनी के गुरविंदर सिंह का कहना है कि भारत में 47 प्रतिशत इंटरनेट का इस्तेमाल साइबर कैफे में होता है।
ऐसे में रिकार्ड मेनटेन करना कैफे मालिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। कंपनी की तरफ से डिवेलप इस सॉफ्टवेयर से कैफे मालिकों की ये समस्या खत्म हो जाएगी। ग्राहक की फोटो से लेकर उसका सारा डाटा खुद ब खुद स्टोर किया जाएगा। इंटरनेट के इस्तेमाल से पहले ग्राहक को अपनी सारी जानकारी देनी होगी। ये सॉफटवेयर कंपनी की तरफ से मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा है। इस मौके पर एडीसीपी हर्ष बंसल ने भी सैमीनार को संबोधित किया।
munneraja
27-12-2010, 01:12 PM
आप क्या इस सूत्र का नाम सही कर सकते हे. प्रधान जी.
नया नाम बता दीजिये
और इस प्रकार के कार्यों के लिए आप व्यक्तिगत सन्देश प्रयोग कीजिये
नया नाम बता दीजिये
और इस प्रकार के कार्यों के लिए आप व्यक्तिगत सन्देश प्रयोग कीजिये
आप समझदार व्यक्ति हे. कुछ सन्देश दें. इस सूत्र के नाम के लिए
Hamsafar+
27-12-2010, 02:16 PM
आप समझदार व्यक्ति हे. कुछ सन्देश दें. इस सूत्र के नाम के लिए
ये सूत्र उपयुक्त लग रहा हे:bravo::bravo:
munneraja
27-12-2010, 03:35 PM
किसी भी स्थान से किसी नेट आईडी का प्रयोग करते हुए किसी सदस्य/ग्रुप/संस्था अथवा समाज के लिए गन्दा कथन, किसी प्रकार की ऐसी टिपण्णी जिस से उसकी छवि को नुक्सान पहुचता हो या धमकी देना साइबर क्राइम में आता है
जिसके लिए पीड़ित पुलिस स्टेशन में अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है
Hamsafar+
27-12-2010, 03:37 PM
किसी भी स्थान से किसी नेट आईडी का प्रयोग करते हुए किसी सदस्य/ग्रुप/संस्था अथवा समाज के लिए गन्दा कथन, किसी प्रकार की ऐसी टिपण्णी जिस से उसकी छवि को नुक्सान पहुचता हो या धमकी देना साइबर क्राइम में आता है
जिसके लिए पीड़ित पुलिस स्टेशन में अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है
:bravo::bravo::bravo::bravo::bravo::bravo:
Hamsafar+
27-12-2010, 03:38 PM
किसी भी स्थान से किसी नेट आईडी का प्रयोग करते हुए किसी सदस्य/ग्रुप/संस्था अथवा समाज के लिए गन्दा कथन, किसी प्रकार की ऐसी टिपण्णी जिस से उसकी छवि को नुक्सान पहुचता हो या धमकी देना साइबर क्राइम में आता है
जिसके लिए पीड़ित पुलिस स्टेशन में अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है
उचित परिभाषा
munneraja
27-12-2010, 03:43 PM
किसी भी व्यक्ति द्वारा अनुचित रूप से सेक्स सम्बन्धी प्रस्ताव अथवा मेटेरिअल भेजना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.
Hamsafar+
27-12-2010, 03:45 PM
किसी नारी का अश्लील चित्रण भी यही हे बॉस
munneraja
27-12-2010, 03:48 PM
किसी देश की गुप्त सूचनाओं को दूसरे स्थान पर भेजना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है
munneraja
27-12-2010, 03:50 PM
किसी व्यक्ति को इनाम अथवा लौटरी लगने की सूचना देकर उसका शोषण भी साइबर अपराध है जिस पर पुलिस कार्यवाही की जा सकती है
Hamsafar+
27-12-2010, 05:13 PM
दोस्तों ये सूचनाये हे. यदि भूलबश हमने ये काम किया हो, तो आज इस से दूर होने का समय आ गया हे!
VIDROHI NAYAK
27-12-2010, 06:51 PM
मुन्ना जी ...यह भी तो कहा जा सकता है की कोई भी अपराध जो सायबर से जुड़ा हो साइबर अपराध होता है...! बस सिंपल सी बात !
Hamsafar+
27-12-2010, 06:55 PM
मुन्ना जी ...यह भी तो कहा जा सकता है की कोई भी अपराध जो सायबर से जुड़ा हो साइबर अपराध होता है...! बस सिंपल सी बात !
बही बात कही जा रही हे. की जाने अनजाने हमसे भी कहीं ना कही भूल हुई हे. कानून प्रायश्चित नहीं देगा. आज हम लोग खुद. एषा ना करने की कसम और माफ़ी .... इससे आगे और क्या. (बापिस घर आओ )
साइबर अपराध और साइबर कानून
17 अक्टूबर, 2000 को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (सूचना तकनीक क़ानून, 2000) अस्तित्व में आया। 27 अक्टूबर, 2009 को एक घोषणा द्वारा इसे संशोधित किया गया। संशोधित क़ानून में परिभाषाएं निम्नवत हैं :
सूचना तकनीक क़ानून, 2000 की प्रस्तावना में ही हर ऐसे लेनदेन को क़ानूनी मान्यता देने की बात उल्लिखित है, जो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के दायरे में आता है और जिसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सूचना तकनीक का इस्तेमाल हुआ हो.
(ए) यहां क़ानून से तात्पर्य सूचना तकनीक क़ानून, 2000 से है.
(बी) संवाद (कम्युनिकेशन) का मतलब किसी भी तरह की जानकारी या संकेत के प्रचार, प्रसार या उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना है. यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, किसी भी तरह का हो सकता है.
(सी) संवाद सूत्र (कम्युनिकेशन लिंक) का अर्थ कंप्यूटरों को आपस में एक-दूसरे से जोड़ने के लिए प्रयुक्त होने वाले सैटेलाइट, माइक्रोवेव, रेडियो, ज़मीन के अंदर स्थित कोई माध्यम, तार, बेतार या संचार का कोई अन्य साधन हो सकता है.
सूचना तकनीक क़ानून 9 जनवरी, 2000 को पेश किया गया था. 30 जनवरी, 1997 को संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली में प्रस्ताव संख्या 51/162 द्वारा सूचना तकनीक की आदर्श नियमावली (जिसे यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड लॉ के नाम से जाना जाता है)पेश किए जाने के बाद सूचना तकनीक क़ानून, 2000 को पेश करना अनिवार्य हो गया था। संयुक्त राष्ट्र की इस नियमावली में संवाद के आदान-प्रदान के लिए सूचना तकनीक या काग़ज़ के इस्तेमाल को एक समान महत्व दिया गया है और सभी देशों से इसे मानने की अपील की गई है. सूचना तकनीक क़ानून, 2000 की प्रस्तावना में ही हर ऐसे लेनदेन को क़ानूनी मान्यता देने की बात उल्लिखित है, जो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के दायरे में आता है और जिसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सूचना तकनीक का इस्तेमाल हुआ हो.इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स सूचना के आदान-प्रदान और उसके संग्रहण के लिए काग़ज़ आधारित माध्यमों के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का इस्तेमाल करता है. इससे सरकारी संस्थानों में भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दस्तावेज़ों का आदान-प्रदान संभव हो सकता है और इंडियन पेनल कोड, इंडियन एविडेंस एक्ट 1872, बैंकर्स बुक्स एविडेंस एक्ट 1891 और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 अथवा इससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े किसी भी क़ानून में संशोधन में भी इन दस्तावेज़ों का उपयोग हो सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली ने 30 जनवरी, 1997 को प्रस्ताव संख्या ए/आरइएस/51/162 के तहत यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ द्वारा अनुमोदित मॉडल लॉ ऑन इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से संबंधित आदर्श कानून) को अपनी मान्यता दे दी. इस क़ानून में सभी देशों से यह अपेक्षा की जाती है कि सूचना के आदान-प्रदान और उसके संग्रहण के लिए काग़ज़ आधारित माध्यमों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जा रहीं तकनीकों से संबंधित कोई भी क़ानून बनाने या उसे संशोधित करते समय वे इसके प्रावधानों का ध्यान रखेंगे, ताकि सभी देशों के क़ानूनों में एकरूपता बनी रहे. सूचना तकनीक क़ानून 2000 17 अक्टूबर, 2000 को अस्तित्व में आया. इसमें 13 अध्यायों में विभक्त कुल 94 धाराएं हैं. 27 अक्टूबर, 2009 को इस क़ानून को एक घोषणा द्वारा संशोधित किया गया. इसे 5 फरवरी, 2009 को फिर से संशोधित किया गया, जिसके तहत अध्याय 2 की धारा 3 में इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर की जगह डिजिटल हस्ताक्षर को जगह दी गई. इसके लिए धारा 2 में उपखंड (एच) के साथ उपखंड (एचए) को जोड़ा गया, जो सूचना के माध्यम की व्याख्या करता है. इसके अनुसार, सूचना के माध्यम से तात्पर्य मोबाइल फोन, किसी भी तरह का व्यक्तिगत डिजिटल माध्यम या फिर दोनों हो सकते हैं, जिनके माध्यम से किसी भी तरह की लिखित सामग्री, वीडियो, ऑडियो या तस्वीरों को प्रचारित, प्रसारित या एक से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है.
आधुनिक क़ानून की शब्दावली में साइबर क़ानून का संबंध कंप्यूटर और इंटरनेट से है. विस्तृत संदर्भ में कहा जाए तो यह कंप्यूटर आधारित सभी तकनीकों से संबद्ध है. साइबर आतंकवाद के मामलों में दंड विधान के लिए सूचना तकनीक क़ानून, 2000 में धारा 66-एफ को जगह दी गई है.
66-एफ : साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान
(1)
(ए) भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता को भंग करने या इसके निवासियों को आतंकित करने के लिए-
क. किसी अधिकृत व्यक्ति को कंप्यूटर के इस्तेमाल से रोकता है या रोकने का कारण बनता है.
ख. बिना अधिकार के या अपने अधिकार का अतिक्रमण कर जबरन किसी कंप्यूटर के इस्तेमाल की कोशिश करता है.
ग. कंप्यूटर में वायरस जैसी कोई ऐसी चीज डालता है या डालने की कोशिश करता है, जिससे लोगों की जान को खतरा पैदा होने की आशंका हो या संपत्ति के नुक़सान का ख़तरा हो या जीवन के लिए आवश्यक सेवाओं में जानबूझ कर खलल डालने की कोशिश करता हो या धारा 70 के तहत संवेदनशील जानकारियों पर बुरा असर पड़ने की आशंका हो या-
(बी) अनाधिकार या अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए जानबूझ कर किसी कंप्यूटर से ऐसी सूचनाएं हासिल करने में कामयाब होता है, जो देश की सुरक्षा या अन्य देशों के साथ उसके संबंधों के नज़रिए से संवेदनशील हैं या कोई भी गोपनीय सूचना इस इरादे के साथ हासिल करता है, जिससे भारत की सुरक्षा, एकता, अखंडता एवं संप्रभुता, अन्य देशों के साथ इसके संबंध, सार्वजनिक जीवन या नैतिकता पर बुरा असर पड़ता हो या ऐसा होने की आशंका हो, देश की अदालतों की अवमानना अथवा मानहानि होती हो या ऐसा होने की आशंका हो, किसी अपराध को बढ़ावा मिलता हो या इसकी आशंका हो, किसी विदेशी राष्ट्र अथवा व्यक्तियों के समूह अथवा किसी अन्य को ऐसी सूचना से फायदा पहुंचता हो, तो उसे साइबर आतंकवाद का आरोपी माना जा सकता है.
2.
यदि कोई व्यक्ति साइबर आतंकवाद फैलाता है या ऐसा करने की किसी साजिश में शामिल होता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है.
2005 में प्रकाशित एडवांस्ड लॉ लेक्सिकॉन के तीसरे संस्करण में साइबरस्पेस शब्द को भी इसी तर्ज पर परिभाषित किया गया है. इसमें इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में फ्लोटिंग शब्द पर खासा जोर दिया गया है, क्योंकि दुनिया के किसी भी हिस्से से इस तक पहुंच बनाई जा सकती है. लेखक ने आगे इसमें साइबर थेफ्ट (साइबर चोरी) शब्द को ऑनलाइन कंप्यूटर सेवाओं के इस्तेमाल के परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया है. इस शब्दकोष में साइबर क़ानून की इस तरह व्याख्या की है, क़ानून का वह क्षेत्र, जो कंप्यूटर और इंटरनेट से संबंधित है और उसके दायरे में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्*स, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचनाओं तक निर्बाध पहुंच आदि आते हैं.
सूचना तकनीक क़ानून में कुछ और चीज़ों को परिभाषित किया गया है, जो इस प्रकार हैं, कंप्यूटर से तात्पर्य किसी भी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक, मैग्नेटिक, ऑप्टिकल या तेज़ गति से डाटा का आदान-प्रदान करने वाले किसी भी ऐसे यंत्र से है, जो विभिन्न तकनीकों की मदद से गणितीय, तार्किक या संग्रहणीय कार्य करने में सक्षम है. इसमें किसी कंप्यूटर तंत्र से जुड़ा या संबंधित हर प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर शामिल है.
सूचना तकनीक क़ानून, 2000 की धारा 1 (2) के अनुसार, उल्लिखित अपवादों को छोड़कर इस क़ानून के प्रावधान पूरे देश में प्रभावी हैं. साथ ही उपरोक्त उल्लिखित प्रावधानों के अंतर्गत देश की सीमा से बाहर किए गए किसी अपराध की हालत में भी उक्त प्रावधान प्रभावी होंगे.
सूचना तकनीक क़ानून, 2000 के अंतर्गत साइबरस्पेस में क्षेत्राधिकार संबंधी प्रावधान
मानव समाज के विकास के नज़रिए से सूचना और संचार तकनीकों की खोज को बीसवीं शताब्दी का सबसे महत्वपूर्ण अविष्कार माना जा सकता है. सामाजिक विकास के विभिन्न क्षेत्रों, ख़ासकर न्यायिक प्रक्रिया में इसके इस्तेमाल की महत्ता को कम करके नहीं आंका जा सकता, क्योंकि इसकी तेज़ गति, कई छोटी-मोटी द़िक्क़तों से छुटकारा, मानवीय ग़लतियों की कमी, कम ख़र्चीला होना जैसे गुणों के चलते यह न्यायिक प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है. इतना ही नहीं, ऐसे मामलों के निष्पादन में, जहां सभी संबद्ध पक्षों की शारीरिक उपस्थिति अनिवार्य न हो, यह सर्वश्रेष्ठ विकल्प सिद्ध हो सकता है. सूचना तकनीक क़ानून के अंतर्गत उल्लिखित आरोपों की सूची निम्नवत हैः
1. कंप्यूटर संसाधनों से छेड़छाड़ की कोशिश-धारा 65
2. कंप्यूटर में संग्रहित डाटा के साथ छेड़छाड़ कर उसे हैक करने की कोशिश-धारा 66
3. संवाद सेवाओं के माध्यम से प्रतिबंधित सूचनाएं भेजने के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 ए
4. कंप्यूटर या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से चोरी की गई सूचनाओं को ग़लत तरीक़े से हासिल करने के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 बी
Hamsafar+
29-12-2010, 09:12 AM
:bravo::bravo::bravo::bravo:
5. किसी की पहचान चोरी करने के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 सी
6. अपनी पहचान छुपाकर कंप्यूटर की मदद से किसी के व्यक्तिगत डाटा तक पहुंच बनाने के लिए दंड का प्रावधान- धारा 66 डी
7. किसी की निजता भंग करने के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 इ
8. साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 एफ
9. आपत्तिजनक सूचनाओं के प्रकाशन से जुड़े प्रावधान-धारा 67
10. इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सेक्स या अश्लील सूचनाओं को प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड का प्रावधान-धारा 67 ए
11. इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से ऐसी आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण, जिसमें बच्चों को अश्लील अवस्था में दिखाया गया हो-धारा 67 बी
12. मध्यस्थों द्वारा सूचनाओं को बाधित करने या रोकने के लिए दंड का प्रावधान-धारा 67 सी
13. सुरक्षित कंप्यूटर तक अनाधिकार पहुंच बनाने से संबंधित प्रावधान-धारा 70
14. डाटा या आंकड़ों को ग़लत तरीक़े से पेश करना-धारा 71
15. आपसी विश्वास और निजता को भंग करने से संबंधित प्रावधान-धारा 72 ए
16. कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का उल्लंघन कर सूचनाओं को सार्वजनिक करने से संबंधित प्रावधान-धारा 72 ए
17. फर्ज़ी डिजिटल हस्ताक्षर का प्रकाशन-धारा 73
सूचना तकनीक क़ानून की धारा 78 में इंस्पेक्टर स्तर के पुलिस अधिकारी को इन मामलों में जांच का अधिकार हासिल है.
इंडियन पेनल कोड (आईपीसी) में साइबर अपराधों से संबंधित प्रावधान भी देखे और पढ़ें. निम्न्बत हें !
1. ईमेल के माध्यम से धमकी भरे संदेश भेजना-आईपीसी की धारा 503
2. ईमेल के माध्यम से ऐसे संदेश भेजना, जिससे मानहानि होती हो-आईपीसी की धारा 499
3. फर्ज़ी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉड्र्स का इस्तेमाल-आईपीसी की धारा 463
4. फर्ज़ी वेबसाइट्स या साइबर फ्रॉड-आईपीसी की धारा 420
5. चोरी-छुपे किसी के ईमेल पर नज़र रखना-आईपीसी की धारा 463
6. वेब जैकिंग-आईपीसी की धारा 383
7. ईमेल का ग़लत इस्तेमाल-आईपीसी की धारा 500
8. दवाओं को ऑनलाइन बेचना-एनडीपीएस एक्ट।
10 हथियारों की ऑनलाइन ख़रीद-बिक्री-आर्म्स एक्ट
munneraja
29-12-2010, 10:11 AM
सोनी जी ने बहुत विस्तार से सूत्र को गति प्रदान की है
उनको धन्यवाद
EGALLOVE
29-12-2010, 10:15 AM
अच्छी जानकारी से अवगत करने के लिए आपका साधुवाद
सोनी जी ने बहुत विस्तार से सूत्र को गति प्रदान की है
उनको धन्यवाद
शुक्रिया प्रधान जी :hi:
Hamsafar+
29-12-2010, 11:18 AM
बालमुकुन्द द्विवेदी जी के सौजन्य से ...
दुनिया में इंरटनेट के उपयोग में लगातार इजाफा हो रहा है, जिसके चलते साइबर अपराध में भी वृद्धि हो रही है। भारत में भी इंटरनेट क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, मध्यप्रदेश भी अब इससे अछूता नहीं रहा। पहले जहाँ देश में साइबर अपराध का मुख्य केन्द्र दिल्ली, मुम्बई, बैंगलौर और पूना जैसी मेट्रो सिटी थीं वहीं आज मध्यप्रदेश का कोई शहर अब ऐसा नहीं बचा जो इसकी गिरफ्त में न हो। अमेरिकी कंपनी सिमैन्टेक की एक रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराध के मामले में भारत जहां विश्व में पाँचवें पयदान पर है, वहीं इस देश में साइबर क्राइम तेजी से पांव पसार रहा है। भारत में तीन चौथाई इंटरनेट उपभोक्ता किसी न किसी तरह साइबर क्राइम का शिकार होते हैं और इस लिहाज से इसे सबसे बुरी तरह प्रभावित देश माना जा सकता है।
Hamsafar+
29-12-2010, 11:19 AM
सुरक्षा समाधान उपलब्ध कराने वाली फर्म सिमैन्टक ने अपने एक अध्ययन में निष्कर्ष निकालते हुए बताया है, कि वैश्विक स्तर पर लगभग 65 फीसदी इंटरनेट उपयोक्ता साइबर क्राइम के शिकार होते है। जबकि भारत में यह संख्या 76 प्रतिशत है। इनमें कंप्यूटर वायरस, ऑनलाइन क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी और आइडेंटी चोरी जैसे अपराध शामिल हैं। देश में साइबर संबंधी अपराधों की घटनाओं में करीब 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हर साल हो रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी रिपोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी गई है। इसके अनुसार सबसे अधिक साइबर अपराध ‘पोर्नोग्राफी’ से संबंधित हैं। इनमें सबसे खास बात यह है कि इन वारदातों को अंजाम देने वाले अपारधियों की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच है। मध्यप्रदेश में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर शहरों में अनेक बार ऐसी वारदातों को अन्जाम देने वाले अपराधी पकड़े जा चुके हैं
Hamsafar+
29-12-2010, 11:20 AM
मध्यप्रदेश उद्योग प्रौद्योगिकी एवं इंटरनेट के क्षेत्र में हुए विकास का लाभ भले ही उठा रहा हो, लेकिन हकीकत यह भी है कि साइबर अपराध में वृद्धि से निगमित क्षेत्र की आय पर्याप्त मात्रा में प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञों की माने तो साइबर अपराधों के कारण बहुत सी कंपनियों को अपनी आय में 8 से 10 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ता है।
Hamsafar+
29-12-2010, 11:20 AM
वस्तुत: हिन्दुस्थान के सूचना भंड़ार पर बाहरी देशों की लगातार नजर बनी रहती है। जबकि देश के सभी राज्यों का एक पक्ष यह भी है कि साइबर अपराध की तेजी से बढ़ती घटनाओं के मुकाबले पुलिस और इनफोर्समेंट एजेसियां कंप्यूटर तकनीक के मायाजाल से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। हैकिंग, डाटा चोरी, डिजिटल हस्ताक्षर, सर्विलेंस और गोपनीय दस्तावेजों को खुफिया हमले से बचाने के लिए राज्यों में अपनाई जा रही कंप्यूटर इमर्जेन्सी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) तकनीक भी पूरी तरह से सफल साबित नहीं हो पारही है। ऐसा माना जा रहा है कि आईटी दक्षता के मद्देनजर आने वाले समय में सभी प्रदेशों में साइबर अपराध आंतकवाद को पीछे छोड़ देगा वस्तुत: यह साइबर आतंकवादी ऐसे लोग हैं जो किसी सामाजिक, धार्मिक, सैद्धांतिक, राजनीतिक या अन्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कंप्यूटर या कंप्यूटर तंत्र को बाधित कर लोगों को डरा-धमकाकर अपने हितों की पूर्ति करते हैं।
Hamsafar+
29-12-2010, 11:21 AM
आतंकवादी और जेहादी संगठनों की तरह साइबर अपराधी राज्यों में विशेषकर सॉफ्ट टारगेट के तौर पर देश के छोटे शहरों को निशाना बना रहे हैं। इनमें पुणे, नोएडा, गुड़गांव और भोपाल के अलावा दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु और पंजाब शामिल हैं। देश में साइबर अपराध में गुजरात पहला ऐसा राज्य है जहां बीते कुछ सालों में डाटा चोरी और हैकिंग, इलेक्ट्रानिक रूप से अश्लील प्रकाशन और ट्रांसमिशन के सर्वाधिक ममले दर्ज किए गए। आज तेजी से विकसित हो रही सूचना तकनीक ने साइबर अपरधियों की मुश्किलों को आसान बना दिया है। आईटी विशेषज्ञों के अनुसार मध्यप्रदेश सहित देश के सभी राज्यों में मुख्य रूप से वित्तीय संस्थान, बैकिंग, कॉर्परट, वाणिज्य और औद्योगिक क्षेत्र साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं। सूचना तकनीक के इस दौर में आतंकियों ने हथियारों के साथ तकनीक को जोड़ने की कला में महारत हासिल कर ली है। यदि समय रहते इस पर लगाम न लगाई गई तो आगे चलकर यह और भी खतरनाक रूप अख्तियार कर सकता है।
Hamsafar+
29-12-2010, 11:21 AM
वस्तुत: निष्पक्ष कानून की अवधारणा पर आधारित हमारी सामाजिक व्यवस्था में आतंकवाद के इस नए रूप से निपटने के लिए स्पष्ट वैधानिक दिशा-निर्देश पहली जरूरत है। मौजूदा परिस्थितियों में सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे पास साइबर आतंकवाद की सही और स्पष्ट व्याख्या ही मौजूद नहीं है, जिसके चलते न्याय की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। मीडिया, व्यक्तिगत अनुभव या अन्य उपलब्ध स्रोतों से साइबर क्राइम के बारे में कुछ समझदारी विकसित जरूर हुई है, लेकिन असल समस्या यह है कि विशेषज्ञों की जमात इसे अपने-अपने नजरिए से परिभाषित करती है।
Hamsafar+
29-12-2010, 11:22 AM
ब्लॉग, इंटरनेट जालस्थलों, ई-मेल के जरिए देश और प्रजातांत्रिक व्यवस्था विरोधी गतिविधियों को भी आतंकवाद मानते हुए साइबर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके लिए विधिवत रूप से भारतीय साइबर कानून या सूचना प्रौद्योगिकी कानून-2000 में संशोधन किया जा चुका है। लेकिन इसका नकारात्मक पहलू यह है कि केन्द्र और राज्य सरकारों ने अभी तक न तो कोई ऐसा साझा प्रयास किया और न ही एकल कोशिश की है, जिससे कि आम जनता को साइबर क्राइम के प्रति जागृत किया किया जा सकता। इस कानून के अनुसार साइबर अपराधियों को अब आंतकवादी मानकर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी और जिसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान भी किया गया है। इसके पहले भी जान-बूझकर इंटरनेट के माध्यम से समाज, धर्म, देश या किसी संगठन के खिलाफ अपमानजनक संदेश प्रसारित करने, ई-मेल से धमकी भरे संदेश भेजने, ई-मेल द्वारा अपमानसूचक संदेश भेजने, इलेक्ट्रानिक अभिलेखों की जालसाजी, जाली वेबसाइट, साइबर धोखाधड़ी, ई-मेल स्पूफिंग, वेब अपहरण, ई-मेल दुरुपयोग, दवाओं की ऑनलाइन बिक्री सहित हथियारों की ऑनलाइन बिक्री को भारतीय दंड़ संहिता और शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध की श्रेणी में रखा गया था।
Hamsafar+
29-12-2010, 11:22 AM
हालांकि लगातार बढ़ते साइबर अपराध को नियंत्रित करने के लिए पुलिस अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण के दिया जा रहा है। साथ ही आम लोगों को भी साइबर क्राइम और इससे संबंधित कानून की बुनियादी जानकारियों से अवगत कराने के लिए गृह विभाग द्वारा एक पुस्तिका का प्रकाशन तथा वितरण किया जाता है।एक अच्छी पहल जरूर इस मामले में हो रही है कि देश के सॉफ्टवेयर उद्योग की प्रमुख संस्था नेसकॉम अपने सामाजिक सरोकार के तहत पुलिस को साइबर अपराध से निपटने में निपुण बना रही है। यह संस्था पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध के विभिन्न रूपों से अवगत कराने के साथ उन्हें कंप्यूटर आधारित विभिन्न तरह के अपराधों की जांच तथा गड़बड़ी तक पहुंचने की कला से परिचित कराती है। अब देखना यह है कि शासन द्वारा साइबर क्राइम को कन्ट्रोल करने के लिए किए जा रहे प्रयास कहां तक सफल होते हैं।
(लेखक हिन्दुस्थान समाचार के संवाददाता हैं)
Bond007
13-01-2011, 12:10 AM
कम्प्यूटर क्राइम या साइबर क्राइम ऐसे अपराध की और इंगित करता है जिसमे किसी कंप्यूटर व तंत्र/संजाल (नेटवर्क) का उपयोग किया गया हो, जहाँ कोई कंप्यूटर अपराध के आयोग में मददगार साबित हो भी सकता है अथवा नहीं भी|
नेट क्राइम आम तौर पर आपराधिक गतिविधियों में इंटरनेट के दोहन की और इंगित करता है|
ऐसे मुद्दे आम तौर पर हाई-प्रोफाइल होते हैं; जिनमे हैकिंग, कापीराईट का उल्लंघन, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, चाइल्ड ग्रूमिंग (शौषण) आदि शामिल हैं|
कुछ निजता एवं गोपनीयता चोरी व रोक सम्बन्धी कानूनन व अन्य समस्याएं भी सामने आती हैं|
वैश्विक रूप से सरकारी तथा गैरसरकारी दोनों ही तरह के तंत्र इसमें लिप्त पाए गए हैं जो मुख्य रूप से जासूसी, वित्तीय चोरी तथा अन्य सीमा-पार से अंजाम दिए जा सकने वाले अपराध हैं| जिसे साधारणतया साइबर-युद्ध भी कहा जाता है|
कुछ अंतरास्ट्रीय वैध निकाय इन तंत्रों द्वारा किये गए कार्यों के मद्देनज़र आने वाले खतरे के लिए इंटरनेश्नल क्राइम कोर्ट के साथ इनकी जवाबदेहिता को तय करने में प्रयासरत हैं|
Bond007
13-01-2011, 12:47 AM
रूपरेखा:
साइबर क्राइम में संभाव्यतः अवैध गतिविधियों की एक विस्तृत श्रेणी शामिल है| प्रायः, तथापि ये दो श्रेणियों में विभक्त है:
१) अपराध जिनमे कंप्यूटर नेटवर्क अथवा उपकरण सीधे ही निशाने पर होते हैं|
जैसे:
अ- कंप्यूटर वायरस|
ब- मालवेयर|
स- सेवा हमले (DoS Attacks)|
२) अपराध जिनमे कंप्यूटर नेटवर्क अथवा उपकरण मदगार होते हैं; जिनका प्राथमिक लक्ष्य कंप्यूटर नेटवर्क अथवा उपकरण की स्वतंत्रता से लक्षित होता है|
जैसे:
अ- गुप्त रूप से पीछा करना (Cybar Stalking)|
ब- धोखा/ छल-कपट एवं पहचान चुराना (Identity Theft)|
स- सूचना युद्ध (Information Warfare)|
द- फिशिंग घोटाले (Phishing Scams; छल-पूर्वक किसी अन्य का पासवर्ड, यूज़रनेम तथा अन्य जानकारियां इस्तेमाल करके वित्तीय हानि पहुंचाना)|
Bond007
13-01-2011, 02:27 PM
कंप्यूटर की भूमिका
कोई कंप्यूटर साक्ष्य के लिये एक श्रोत बन सकता है; यद्यपि कंप्यूटर सीधे ही आपराधिक उद्देश्य के लिए प्रयोग न किया गया हो, लेकिन यह रिकोर्ड रखने, विशेष रूप से डेटा एन्क्रिप्शन (कूट-लेखन को समझने में) करने के लिए एक उतम उपकरण है| यदि साक्ष्यों को पुनः प्राप्त किया जा सके, तो यह आपराधिक जांचकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार है|
Bond007
13-01-2011, 02:52 PM
स्पैम
स्पैम या वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए थोक में अप्रार्थित ईमेल भेजना| इसे जंक ई-मेल (Junk E-Mail) या Unsolicited Bulk E-Mail (UBE) के रूप में भी जाना जाता है|
यह गैर कानूनी है| इसकी शुरुआत ९० के दशक शुरूआती सालों में हुई थी| आम तौर पर Botnet या वायरस प्रभावित कम्प्यूटर्स के जरिये ये मेल भेजे जाते हैं|
जैसा कि ई-मेल के लिए लागू किया गया है, विशिष्ट स्पैम विरोधी क़ानून अपेक्षाकृत नए हैं| तथापि अवांछित इलेक्ट्रॉनिक संचार पर सीमा कुछ रूपों में कुछ समय के लिए ही अस्तित्व में है|
स्पैम ई-मेल विषय के आधार पर
फार्मेसी- 81%
प्रतिकृति (Replica)- 5.40%
विकासक (Enhancers)- 2.30%
Phishing- 2.30%
डिग्री (Degrees)- 1.30%
Casino- 1%
वजन घटाने- 0.40%
अन्य- 6.30%
khalid
13-01-2011, 03:23 PM
आप धन्यवाद के पात्र हैँ बेह्तरीन जानकारी दिया हैँ आपने
Bond007
13-01-2011, 07:53 PM
Botnet
Botnet सॉफ्टवेयर एजेंटों, या रोबोट का एक संग्रह है, जिसे स्वचालित रूप से चलाया जाता है| यह शब्द सबसे अधिक IRC Bots और हाल ही में दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर ( Malicious Software) के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन यह कंप्यूटर के एक ऐसे नेटवर्क का भी उल्लेख करता है जो वितरित अभिकलन सॉफ्टवेयर (Distributed Computing Software) का उपयोग कर सकते हैं|
Botnets के मुख्य चालक ये सब मान्यता और वित्तीय लाभ के लिए कर रहे हैं|
Bond007
13-01-2011, 08:44 PM
Botnet की कार्यविधि
नीचे दिया गया चित्र दिखाता है की किस तरह से Botnet बनाये जाते हैं और स्पैम मेल भेजने में प्रयुक्त होते हैं|
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8230&stc=1&d=1294936976
१) एक Botnet ऑपरेटर वायरस अथवा वोर्म्स भेजता है, साधारण उपयोगकर्ताओं के कंप्यूटर को संक्रमित कर उसके पेलोड का एक दुर्भावनापूर्ण अनुप्रयोग करता है--- Bot
२) संक्रमित पी.सी. के जरिये Bot एक विशेष C&C सर्वर में लॉग इन करता है ( बहुधा कोई IRC सर्वर, लेकिन कुछ मामलो में कोई वेब सर्वर)|
३) कोई स्पैमर, ऑपरेटर से Botnet कि सेवाएँ खरीदता है|
४) स्पैमर ऑपरेटर को स्पैम मैसेज प्रदान करता है, जो IRC सर्वर के जरिये अनुबंधित मशीनों को निर्देशित करता है, ताकि स्पैम मेल भेजे जा सके|
Bond007
13-01-2011, 08:59 PM
आप धन्यवाद के पात्र हैँ बेह्तरीन जानकारी दिया हैँ आपने
धन्यवाद श्रीमान|
मैं अपनी तरफ से जो भी जानकारी देता हूँ यदि एक दर्ज़न लोग भी इसे देख लेते हैं तो इस सूत्र में मैं अपना योगदान सार्थक समझूंगा|
एक बार फिर से धन्यवाद|:hi:
MANISH KUMAR
19-01-2011, 06:24 PM
बहुत अछि जानकारियाँ दे रहे हैं सर! लगे रहो, यहाँ भी अपना नाम रोशन करना.
:bravo::bravo::bravo:
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