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View Full Version : प्रेम विवाह उचित या अनुचित !


VIDROHI NAYAK
27-12-2010, 03:25 PM
सर्वप्रथम तो यह प्रश्न कोई नया नहीं है! हज़ारो बार इसकी चर्चा कहीं न कहीं हुई होगी परन्तु फिर भी कुछ अनुत्तरित सा रह जाता है ! यहाँ भी इस प्रश्न को रखने का तात्पर्य किसी एक पक्ष के समर्थन में जाना है !
कई बार तो इसके दुष्परिणाम भी देखे गएँ है ...पर भी भी प्रेम विवाह हो ही रहे हैं !यह तब भी था जब इसकी अभिव्यक्ति की भाषाएँ कम थी ! साधन कम थे ! पर प्रेम तब भी होते थे और विवाह भी !
आज समाज में कुछ व्रह्द्ता आई है परन्तु अंतरजातीय, अदि विवाहों पर कहीं न कहीं इसी समाज में संकुचन आ ही जाता है ! प्रतिदिन लोग धर्म,प्रेम के विषय में खुद को जागरूक प्रदर्शित करते हैं पर असी स्थितियो में असहाय हो जाते हैं !
मेरा यहाँ ये प्रश्न रखने का उद्देश्य यही है की शायद इस विषय को कुरेदते कुरेदते कोई समाधान या कोई आतंरिक सच्चाई ही उजागर हो जाए !
तो उम्मीद करते हैं की आपके सुविचार इस विषय को बहुमुखी बनायेंगे !
धन्यवाद

Hamsafar+
27-12-2010, 03:30 PM
बॉस लम्बी दुरी के लिए #
वैसे कहें. तो प्यार तो प्यार है. यदि सभी इसे माने तो स्वर्ग है ये !

munneraja
27-12-2010, 03:40 PM
यदि आज विवाह की स्थितियां देखी जाएँ तो प्रेम विवाह क्या अपितु सामान्य विवाह तक टूटने की स्थिति में पहुच रहे हैं ----
इसका सबसे बड़ा कारण आपसी अहम का टकराव है
छोटी छोटी बातें अहम का हिस्सा बन जाती हैं और झगड़ा शुरू हो जाता है
संयम ना जाने कहाँ चला गया है ??

VIDROHI NAYAK
27-12-2010, 04:03 PM
यदि आज विवाह की स्थितियां देखी जाएँ तो प्रेम विवाह क्या अपितु सामान्य विवाह तक टूटने की स्थिति में पहुच रहे हैं ----
इसका सबसे बड़ा कारण आपसी अहम का टकराव है
छोटी छोटी बातें अहम का हिस्सा बन जाती हैं और झगड़ा शुरू हो जाता है
संयम ना जाने कहाँ चला गया है ??
मुन्नेराजा जी बहुत थोडा सा अहम भी जीवन का महत्वपूर्ण विषय है पर इतना नहीं की परिवार ही टूटने लगे...आखिर क्यों है? और क्या हैं इसको दूर करने के उपाय?

munneraja
27-12-2010, 04:29 PM
मुन्नेराजा जी बहुत थोडा सा अहम भी जीवन का महत्वपूर्ण विषय है पर इतना नहीं की परिवार ही टूटने लगे...आखिर क्यों है? और क्या हैं इसको दूर करने के उपाय?
ससुराल में आकर जब कोई लड़की कुछ नया करने की सोचती है तो ससुराल वालों का अहम आड़े आ जाता है - हमारे यहाँ तो आज तक ऐसा कुछ हुआ ही नहीं.
आज के ज़माने की सोच में निरंतर बदलाव आ रहा है, यदि खाने पहनने में कोई ऐसा बदलाव आता है जिसे किसी प्रकार से बुरा नहीं कहा जा सकता हो तो सभी को स्वीकार करना चाहिए ना कि इसे अपनी अहम का हिस्सा बनाना चाहिए

Hamsafar+
27-12-2010, 04:32 PM
ससुराल में आकर जब कोई लड़की कुछ नया करने की सोचती है तो ससुराल वालों का अहम आड़े आ जाता है - हमारे यहाँ तो आज तक ऐसा कुछ हुआ ही नहीं.
आज के ज़माने की सोच में निरंतर बदलाव आ रहा है, यदि खाने पहनने में कोई ऐसा बदलाव आता है जिसे किसी प्रकार से बुरा नहीं कहा जा सकता हो तो सभी को स्वीकार करना चाहिए ना कि इसे अपनी अहम का हिस्सा बनाना चाहिए

खाने पहनिने पर कोई विरोधाभास नहीं हे. पर यदि इनके अन्दर ही परिवार को हर्ट करने की सोच हो तो !
उपाय:
लड़का या लड़की.
दोनों एक्लोते होने चाहिए.
ताकि इनको कोई ना समझा पाए. तो वक्त ग्रीन सिग्नल देगा. चाहे बुढ़ापे में ही क्यों ना ....

VIDROHI NAYAK
27-12-2010, 04:48 PM
खाने पहनिने पर कोई विरोधाभास नहीं हे. पर यदि इनके अन्दर ही परिवार को हर्ट करने की सोच हो तो !
उपाय:
लड़का या लड़की.
दोनों एक्लोते होने चाहिए.
ताकि इनको कोई ना समझा पाए. तो वक्त ग्रीन सिग्नल देगा. चाहे बुढ़ापे में ही क्यों ना ....
हमसफ़र जी ...कहा गया है की जिसका कोई गुरु नहीं होता वक्त उसे स्वयं सिखा देता है ...परन्तु वास्तविकता ये है की तब तक इतनी देर हो चुकी होती है की उस का हमारे जीवन पर कोई खास असर नहीं पड़ता ! ऐसे में वक्त पर कब तक निर्भर रहा जाए? क्या वक्त के सारे फैसले उचित 'वक्त' पर ही होते हैं?

Hamsafar+
27-12-2010, 04:53 PM
हमसफ़र जी ...कहा गया है की जिसका कोई गुरु नहीं होता वक्त उसे स्वयं सिखा देता है ...परन्तु वास्तविकता ये है की तब तक इतनी देर हो चुकी होती है की उस का हमारे जीवन पर कोई खास असर नहीं पड़ता ! ऐसे में वक्त पर कब तक निर्भर रहा जाए? क्या वक्त के सारे फैसले उचित 'वक्त' पर ही होते हैं?

दोस्त सही कहा वक्त सबका गुरु होता है, और जिसक गुरु हो उसका भी गुरु सिर्फ वक्त है. ये वह चीज़ हे जो हर गहरे गख्म की दवा हे. इसलिए... बस.

pooja 1990
29-12-2010, 08:05 AM
i agree to love merriage.ghar balo ki sahmit b jaruri hai.gggg par shadi ke bad aapko menten karna padega.ki koi problem na ho ex jhagda .dd

VIDROHI NAYAK
29-12-2010, 10:14 AM
i agree to love merriage.ghar balo ki sahmit b jaruri hai.gggg par shadi ke bad aapko menten karna padega.ki koi problem na ho ex jhagda .dd
पूजा जी कुछ ही स्थितियो में घर वालो की सहमति प्रेम विवाह की हो पाती है यानी कहा जा सकता है की लव टू अर्रेंज मेरिज! परन्तु अधिकतर ऐसा नहीं होता ! मै आपका मतलब नहीं समझा ...एक तरफ आप एग्री हैं और दूसरी तरफ घर वालो की मर्जी की भी बात कर रहीं हैं !
कृपया एकपक्षिक बात करें !

EGALLOVE
29-12-2010, 10:16 AM
यदि आपसी सामंजस नहीं हे तो कोई सा विवाह उपयुक्त नहीं होगा

khalid
29-12-2010, 10:43 PM
उचित या अनुचित की बात बाद मेँ
पहले भारत और भारतीय संस्कृति के बारे मेँ
हम भारत के रहने वाले हैँ जहाँ आज भी 80 %आबादी गाँव मेँ रहतेँ हैँ
जहाँ आज भी शादी से पहले लड़के वाले पुछतेँ हैँ लड़की के ननिहाल वाले कौन हैँ
कहाँ रहतेँ हैँ
अगर किसी ने कह दिया लड़की के माँ बाप लव मेरिज किया हैँ तो यह सोचकर रिश्ता तोड देते हैँ कि माँ बाफ ऐसे हैँ तो औलाद कैसी होगी

khalid
29-12-2010, 10:49 PM
अब बातेँ शादी के बारे मेँ
होता क्या हैँ
लव मेरिज से पहले एक दुसरे से इतने वादे करतेँ हैँ और इतनी उम्मीदेँ पालतेँ हैँ एक दुसरे से आगे निभाने मेँ बहुत दिक्कत पेश आतेँ हैँ
आगे चलकर रिश्ता टुटने के चाँस बहुत बढ जातेँ हैँ
ख्वाब मेँ जीना एक बात हैँ हकिकत मेँ बहुत मुश्किल हैँ

pankaj bedrdi
30-12-2010, 02:57 AM
खालिद भाइ क्या बात कही है आपने बहुत अच्छा

Hamsafar+
30-12-2010, 09:53 AM
उचित या अनुचित की बात बाद मेँ
पहले भारत और भारतीय संस्कृति के बारे मेँ
हम भारत के रहने वाले हैँ जहाँ आज भी 80 %आबादी गाँव मेँ रहतेँ हैँ
जहाँ आज भी शादी से पहले लड़के वाले पुछतेँ हैँ लड़की के ननिहाल वाले कौन हैँ
कहाँ रहतेँ हैँ
अगर किसी ने कह दिया लड़की के माँ बाप लव मेरिज किया हैँ तो यह सोचकर रिश्ता तोड देते हैँ कि माँ बाफ ऐसे हैँ तो औलाद कैसी होगी

:bravo::bravo::bravo::bravo:

ABHAY
30-12-2010, 10:33 AM
दहेज रोकने का सबसे बड़ा हतियार है प्रेम विवाह कानून को इसके लिए अलग से कानून बनाना चाहिए

khalid
30-12-2010, 08:25 PM
दहेज रोकने का सबसे बड़ा हतियार है प्रेम विवाह कानून को इसके लिए अलग से कानून बनाना चाहिए

कानुन का अपने देश मेँ कैसा हाल हैँ
सब जानतेँ हैँ कोई भी कानुन लागु बाद मेँ होता हैँ तोडने का तरिका पहले निकल जाता हैँ
दहेज रोकने के लिए कोई कानुन काम नहीँ करेगा
क्योँ कि हम भारतीय लकिर के फकिर ज्यादा हैँ
आज अगर किसी का बेटा डाक्टर बन गया तो
पच्चीस तीस लाख खर्च कर के वो उसके विवाह मेँ निकाल लेगा
और देने वाले भी बहुत मिल जाएगेँ
लव मेरिज इसका समाधान नहीँ हैँ
उपर मैँ लिख चुका हुँ
एक चीज जो थोडा बहुत इसमेँ काम करेगा वो हैँ जागरुकता एक जुट होगर खिलाफत करना

jitendragarg
02-01-2011, 08:26 PM
विवाह कैसा भी हो, बस दोनों लोगों के बीच प्रेम होना चाहिए. आखिर शादी दो लोगो का संगम है, उनके परिवार का नहीं!


:cheers:

amit_tiwari
02-01-2011, 11:43 PM
अब बातेँ शादी के बारे मेँ
होता क्या हैँ
लव मेरिज से पहले एक दुसरे से इतने वादे करतेँ हैँ और इतनी उम्मीदेँ पालतेँ हैँ एक दुसरे से आगे निभाने मेँ बहुत दिक्कत पेश आतेँ हैँ
आगे चलकर रिश्ता टुटने के चाँस बहुत बढ जातेँ हैँ
ख्वाब मेँ जीना एक बात हैँ हकिकत मेँ बहुत मुश्किल हैँ

व्यावहारिक सत्य कहा है खालिद भाई | :iagree::iagree:
अक्सर दो घंटे के लिए मिलने वाली गर्लफ्रेंड बीवी बन के जब चौबीस घंटे रहती है तो पंगे शुरू हो जाते हैं | :cry::cry:
हालांकि सभी के साथ ऐसा नहीं होता किन्तु फिर भी सामान्यतया आपकी कही बात सही होती है |

Kumar Anil
03-01-2011, 07:24 AM
सामान्यतः हम प्रेम और आकर्षण मेँ अन्तर नहीँ कर पाते । जवानी की दहलीज पर किसी विलिँगी को देखकर उठी हिलोरेँ प्रेम नहीँ वस्तुतः आकर्षण मात्र होती है और इसके वशीभूत किया गया विवाह प्रायः असफल रहता है क्योँकि आकर्षण क्षणभंगुर होता है । जबकि प्रेम शाश्वत है उसमेँ समर्पण है उसमेँ देने की कामना है कुछ पाने की कल्पना ही नहीँ । अब जिस रिश्ते मेँ इतनी खूबियोँ का समावेश होगा , भला कैसे वह अनुचित होगा । रिश्तोँ की सफलता के पीछे जो आधारभूत तत्व चाहिए यथा मिठास और सामंजस्य , वो है इसमेँ । अब आते हैँ व्यवहारिक धरातल पर जिस सन्दर्भ मेँ यह प्रसंग उठाया गया है मेरी मान्यता है कि विचारोपरान्त अपने लिए उचित इस रिश्ते मेँ गत 25 - 30 वर्षोँ के अनमोल रिश्तोँ की भी खुशी को स्थान देना होगा ।

ndhebar
03-01-2011, 11:12 AM
विवाह कैसा भी हो, बस दोनों लोगों के बीच प्रेम होना चाहिए. आखिर शादी दो लोगो का संगम है, उनके परिवार का नहीं!


:cheers:
सभी की अपनी अपनी सोच है
मेरा मानना है की शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का ही नहीं अपितु दो परिवारों का, दो भिन्न संस्कारों का अभूतपूर्व संगम है/
इसका ये मतलब नहीं की मैं प्रेम विवाह के विरुद्ध हूँ पर वो कैसा प्रेम जिसके लिए दुसरे रिश्तों को कुर्बान करना पड़े/
प्रेम तो खुद कुर्बानी का दूसरा नाम है/

raj2011
03-01-2011, 11:18 AM
सभी की अपनी अपनी सोच है
मेरा मानना है की शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का ही नहीं अपितु दो परिवारों का, दो भिन्न संस्कारों का अभूतपूर्व संगम है/
इसका ये मतलब नहीं की मैं प्रेम विवाह के विरुद्ध हूँ पर वो कैसा प्रेम जिसके लिए दुसरे रिश्तों को कुर्बान करना पड़े/
प्रेम तो खुद कुर्बानी का दूसरा नाम है/

:bravo::bravo::bravo::bravo:

ABHAY
03-01-2011, 03:46 PM
सब कुछ ठीक है आज के जमाने में !:cheers::cheers::bike::bike:

r@j@1974
04-01-2011, 09:07 AM
सच कहे तो प्रेम विवाह पूरी तरह से अनुचित है क्योकि प्रेम मतलब बहुत अच्छा, और जहा सब कुछ बहुत अच्छा हो वहाँ कोई भी न तो बुराई पसंद करेगा न ही देख सकेगा जब कोई किसी से प्रेम करता है तो सिर्फ उसकी अच्छाई को ही देखता है और पसंद करता अपने बुरे पहलु को कोई भी किसी को नहीं दर्शाता न ही दर्शाना चाहता है इस संसार में कोई भी व्यक्ति परिपूर्ण नहीं है और ऐसे में अपने जीवन साथी में कोई अधूरापन कैसे देख पायेगा इस बात को लेकर ही विवाद बढ़ सकते है की तुमने क्या क्या नहीं छुपाया.फिर जहा विवाद की संभावना पहले ही बनाती ऐसे विवाह क्यों
अब आप कहेंगे की विवाद तो arrange विवाह में भी हो सकते है, तो यह सत्य है लेकिन यहाँ परिवार तथा समाज का दबाव रहता है और वैसे भी विवाह एक सामाजिक बंधन है फिर इसे सामाजिक तरीके से ही क्यों नहीं किया जाए .

Harshita Sharma
27-01-2011, 04:26 PM
विवाह कैसा भी हो, बस दोनों लोगों के बीच प्रेम होना चाहिए. आखिर शादी दो लोगो का संगम है, उनके परिवार का नहीं!


:cheers:
आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? यहाँ पर ज्यादातर आबादी गावों में बसती है जहाँ पर सयुक्त परिवार होते हैं. फिर शादी के बाद लड़का, लड़की के घर वालों से और लड़की , लड़के के घर वालों से घुल-मिल कर न रहेगी, उनके दुःख-सुख में शामिल नहीं होगी तो विषम परिस्थितियों में इनका साथ कौन देगा? परिवार में रहते हुए ऐसा तो हो नहीं सकता कि अपने पति के अलावा और किसी भी सदस्य से मतलब न रखे. सभी आनंद कारज में सब लोग शामिल होते हैं तो खुशियाँ कई गुना बढ़ जाती हैं.
फिर कैसे न दो दिलों के साथ दो परिवारों का संगम होगा.:think:

YUVRAJ
28-01-2011, 08:15 AM
:clap:...:clap:...:clap:...:bravo:

:iagree:...बहुत दम है आपकी बातों में पर लगता है हमें कुछ करना होगा और टीवी सीरियल की कहानियों को भूल कर समाज के दायरे में रहना होगा/
पूर्वजो के बनाए नियम और कायदे को कभी भी भूलना नहीं चाहिए ...मेरा मानना है ...:)

आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? यहाँ पर ज्यादातर आबादी गावों में बसती है जहाँ पर सयुक्त परिवार होते हैं. फिर शादी के बाद लड़का, लड़की के घर वालों से और लड़की , लड़के के घर वालों से घुल-मिल कर न रहेगी, उनके दुःख-सुख में शामिल नहीं होगी तो विषम परिस्थितियों में इनका साथ कौन देगा? परिवार में रहते हुए ऐसा तो हो नहीं सकता कि अपने पति के अलावा और किसी भी सदस्य से मतलब न रखे. सभी आनंद कारज में सब लोग शामिल होते हैं तो खुशियाँ कई गुना बढ़ जाती हैं.
फिर कैसे न दो दिलों के साथ दो परिवारों का संगम होगा.:think:

YUVRAJ
28-01-2011, 08:16 AM
:clap:...:clap:...:clap:...:bravo:
सभी की अपनी अपनी सोच है
मेरा मानना है की शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का ही नहीं अपितु दो परिवारों का, दो भिन्न संस्कारों का अभूतपूर्व संगम है/
इसका ये मतलब नहीं की मैं प्रेम विवाह के विरुद्ध हूँ पर वो कैसा प्रेम जिसके लिए दुसरे रिश्तों को कुर्बान करना पड़े/
प्रेम तो खुद कुर्बानी का दूसरा नाम है/

VIDROHI NAYAK
28-01-2011, 08:35 AM
आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? यहाँ पर ज्यादातर आबादी गावों में बसती है जहाँ पर सयुक्त परिवार होते हैं. फिर शादी के बाद लड़का, लड़की के घर वालों से और लड़की , लड़के के घर वालों से घुल-मिल कर न रहेगी, उनके दुःख-सुख में शामिल नहीं होगी तो विषम परिस्थितियों में इनका साथ कौन देगा? परिवार में रहते हुए ऐसा तो हो नहीं सकता कि अपने पति के अलावा और किसी भी सदस्य से मतलब न रखे. सभी आनंद कारज में सब लोग शामिल होते हैं तो खुशियाँ कई गुना बढ़ जाती हैं.
फिर कैसे न दो दिलों के साथ दो परिवारों का संगम होगा.:think:
लोगो का प्रेम विवाह के विरुद्ध होने का सबसे बड़ा कारण अंतरजातीय या अंतरधार्मिक होना है ! आज भी शहर क्या गावों में अक्सर तर एक जात का होने पर शादी करा दी जाती है ! परन्तु जहाँ अंतरजातीय/अंतरधार्मिक बात आती है वहां टायं टायं फिस्स ! हमारे घरों में अक्सर समानता का पाठ पढाया जाता है ! परन्तु वही व्यक्ति स्वयं ही समानता के नियम को लागू नहीं कर पाता ! आज भी गावों में व्यक्ति कितना बुरा हो अगर वह किसी ऊँची जाती का है तो उसका सम्मान होगा ! (यहाँ जो ऊँचा शब्द मैंने प्रयोग किया है वो भी हमारे पूर्वजो का ही बनाया हुआ है ) अब ऐसे में क्या हम व्यहारिक शिक्षा दे सकते हैं ?
मात्र किसी के कहने पर कुछ चित्र वैगेरह देखकर विवाह करा देना क्या उचित है? सच तो यह है की यह एक समझौता हो गया वंश बढाने के लिए ! आखिर क्या है जो लोग नहीं समझ पाते ! हम एक तरफ तो पाठ पढाते हैं दूसरी तरफ उन्ही चीजों पर अमल नहीं करते ! बचपन से ही एक व्यहारिक शिक्षा दी जाती है भेदभाव की और शब्द हमेशा कुछ अलग ही कहते रहते हैं ! क्या यह दुमुखी व्यवहार ठीक है ? मित्रों बात यहाँ अच्छाई या बुराई की नहीं आती बल्कि सामजिक अहंकार की आती है !और इन्ही चीजों से जन्म होता है ओनर किलर जैसे दैत्यों का !
मै माता पिता के विरोध का पक्षधार नहीं हूँ ...बस इतना चाहता हूँ की वो समझे की प्रेम अहंकार से बड़ा है और वही एक ऐसी चीज़ है जो विषम परिस्थितियो में मुस्कुराने की वज़ह हो सकती है !

YUVRAJ
28-01-2011, 08:45 AM
शायद आप भूल गये कि जन्म पत्रिका और गूणों का मिलान भी जरूरी होता है... और उसमें की गयी गणना का आधार गणितीय होता है... यदि हम परिवार से प्यार करें तो अधिक उचित होगा और पत्नी भी परिवार की एक सदस्य है तो वह किसी भी तरीके से प्यार से वंचित तो नहीं होगी रही अहंकार की बात तो जहां चार बर्तन होते हैं तो आवाज होती ही है ...इसे अहंकार तो नहीं माना जा सकता ....................
.......................

मात्र किसी के कहने पर कुछ चित्र वैगेरह देखकर विवाह करा देना क्या उचित है? सच तो यह है की यह एक समझौता हो गया वंश बढाने के लिए !..........
......................
....................
बस इतना चाहता हूँ की वो समझे की प्रेम अहंकार से बड़ा है और वही एक ऐसी चीज़ है जो विषम परिस्थितियो में मुस्कुराने की वज़ह हो सकती है !

VIDROHI NAYAK
28-01-2011, 09:04 AM
शायद आप भूल गये कि जन्म पत्रिका और गूणों का मिलान भी जरूरी होता है... और उसमें की गयी गणना का आधार गणितीय होता है... यदि हम परिवार से प्यार करें तो अधिक उचित होगा और पत्नी भी परिवार की एक सदस्य है तो वह किसी भी तरीके से प्यार से वंचित तो नहीं होगी रही अहंकार की बात तो जहां चार बर्तन होते हैं तो आवाज होती ही है ...इसे अहंकार तो नहीं माना जा सकता ....
प्रथम सवाल ...क्या वो विवाह सफल नहीं होते जिनके पत्र मिलान नहीं होते? वैसे भी यह सभी संस्कृतियो में नहीं है तो क्या सफलता वहां नहीं पाई जाती ? और अंहकार का बरतनो वाले उदाहरण से कोई लेना देना नहीं है मित्र ! अंहकार है तो अकेले में भी होगा और अगर नहीं तो भीड मे भी नहीं !

YUVRAJ
28-01-2011, 09:15 AM
भारतीय संस्कृतियों में तो लगभग सभी परंपरा में रह कर ही विवाह करते हैं बात यदि पश्चमी संस्कृतियों की की जाये तो हाँ ऐसे विवाह सफल नहीं होते .... :iagree:
अहंकार के बारे में आधिक जानकारी नहीं है क्यूँ की करता ही नहीं ...:)
सामान्य सास बहू के बीच होने वाली छोटी-छोटी तकरार के लिये लिखा है ... वैसे आप किस अहंकार की चर्चा कर रहे हैं ...
प्रथम सवाल ...क्या वो विवाह सफल नहीं होते जिनके पत्र मिलान नहीं होते? वैसे भी यह सभी संस्कृतियो में नहीं है तो क्या सफलता वहां नहीं पाई जाती ? और अंहकार का बरतनो वाले उदाहरण से कोई लेना देना नहीं है मित्र ! अंहकार है तो अकेले में भी होगा और अगर नहीं तो भीड मे भी नहीं !

VIDROHI NAYAK
28-01-2011, 09:25 AM
भारतीय संस्कृतियों में तो लगभग सभी परंपरा में रह कर ही विवाह करते हैं बात यदि पश्चमी संस्कृतियों की की जाये तो हाँ ऐसे विवाह सफल नहीं होते .... :iagree:
अहंकार के बारे में आधिक जानकारी नहीं है क्यूँ की करता ही नहीं ...:)
सामान्य सास बहू के बीच होने वाली छोटी-छोटी तकरार के लिये लिखा है ... वैसे आप किस अहंकार की चर्चा कर रहे हैं ...
नहीं नहीं मै उन तकरारो की बात नहीं कर रहा हूँ...मै जाती पाती के कारण उपजे अहंकार की बात कर रहां हूँ ! हाँ इन तकरारो को हम सामन्यतः की श्रेणी में रख सकते हैं !

YUVRAJ
28-01-2011, 12:39 PM
ओह ...:)
हमारी समझ से ...यह समस्या प्रेम विवाह में ही अधिकतर आती है ...नहीं नहीं मै उन तकरारो की बात नहीं कर रहा हूँ...मै जाती पाती के कारण उपजे अहंकार की बात कर रहां हूँ ! हाँ इन तकरारो को हम सामन्यतः की श्रेणी में रख सकते हैं !

VIDROHI NAYAK
28-01-2011, 01:15 PM
ओह ...:)
हमारी समझ से ...यह समस्या प्रेम विवाह में ही अधिकतर आती है ...
क्या आप इसे स्पष्ट करेंगे ?

YUVRAJ
28-01-2011, 01:52 PM
भाई नायक जी ...:)

परिवार वाले कभी भी विजातीय विवाह नहीं करते ... अपने ही वर्ण या जाति में विवाह होते है अतः जाती-पाती की समस्या ना के बराबर ही दिखती है ...
:cheers:क्या आप इसे स्पष्ट करेंगे ?

Sikandar_Khan
13-02-2011, 12:36 PM
हम तब शायद 5-6 साल के थे। पड़ोस में रहने वाले 22 साल के एक नौजवान ने आत्महत्या कर ली थी। शाम का वक्त था जब उसके घर से पहली चीख गूंजी। उसके बाद तो रुदन की अनवरत धारा बह चली। हमें घर से बाहर निकलने नहीं दिया गया। रात में बाबूजी को अम्मा से कहते सुना बहुत हिकारत भरे स्वर में- “ साले को जवानी चढ़ी थी। आशिकी कर रहे थे जनाब। फिल्म देख देख कर ये लोग मुहब्बत करने लगते हैं। मां-बाप, घर द्वार सब भूलभाल कर ये किस चाह में पड़ जाते हैं कि अपना सबकुछ बौना लगने लगता है।”

वह लड़का हमारे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की से प्रेम करता था। उनका अंतरजातीय प्रेम रास नहीं आया परिवार वालों को। बंदिशें बढ़ीं और एक दिन दोनों घर छोड़कर भाग निकले। दो तीन महीने बीते थे कि कहीं से लड़की के घर वालों को उनका ठिकाना मालूम हो गया। बताने की जरूरत नहीं कि लड़की सवर्ण् थी। जीप में भरकर उसके घरवाले गए उन्हें पकड़ने।
अगले दिन मुहल्ले के कुंए पर उस लड़की को सबके सामने नहलाया गया। मेरे मन में महिलाओं की सबसे क्रूर छवि वही है जब चार महिलाएं मिलकर कुंए पर उस लड़की की मांग में लगा सिंदूर धो रही थीं। वह चीख रही थी। चिल्ला रही थी और हर संभव प्रतिरोध कर रही थी. एक महीने बाद आननफानन में उसकी शादी कर दी गई।

‘शादी के कुछ ही दिनों बाद उसका प्रेमी लौट आया। वह बहुत उदास रहता, उसकी आंखों में देखकर लगता वहां आंसुओं की कोई नदी ठहरी हुई है । कुछ दिन बीते और उसने उसी नदी में डूबकर जान दे दी। उसने फांसी लगा ली।

तब बहुत अचरज लगता था कि कैसे कोई अजनबी आपके जीवन में इतनी गहरी पैठ बना लेता है कि आप उसके लिए जीने मरने लगते हैं। प्यार करना बहुत ग्लैमरस काम था उन दिनों। हम अपनी किशोरावस्था में उन साथियों को बड़े रश्क से देखते जिनकी अपनी गलर्फ्रैंड थीं।

हमारे लिए वे नायक थे। हम अपने आपको उनके सामने बौना महसूस करते। हम तो उनके साथ कोई खेल बिना खेले ही हार जाते थे। क्योंकि हमें पता था कि कुछ तो बात है इसमें तभी तो वह खूबसूरत सी लड़की जो मुझे देखती भी नहीं वह इसकी साइकिल पर बैठने में गुरेज नहीं करती इतना ही नहीं इसके लिए चाकलेट तक खरीदकर लाती है। अपनी पाकेट मनी के पैसे से ।

वह लड़की अब भी अपने मायके आती है। उसके दो बच्चे हैं। पता नहीं वह अपने प्रेमी के घर की ओर देखती भी है अथवा नहीं लेकिन उसकी सिक्कों सी खनखनाती हंसी की आवाज अब कभी सुनाई नहीं देती।

khalid
13-02-2011, 01:02 PM
सिकन्दर भाई बहुत हीँ डेँजर कहानी लिख दिया आपने

Sikandar_Khan
13-02-2011, 01:27 PM
सिकन्दर भाई बहुत हीँ डेँजर कहानी लिख दिया आपने

खालिद भाई जी
सच्चाई danger ही होती है

VIDROHI NAYAK
13-02-2011, 05:30 PM
सिकंदर जी वास्तव में ह्रदय रो गया !!!

Kumar Anil
13-02-2011, 05:50 PM
अपने ज़ेहन मेँ कौँधते ह्रदयविदारक संस्मरण को , कितनी ख़ूबसूरती से मार्मिक विवेचना कर जीवंत कर दिया है , मित्र । शब्दोँ की इस गज़ब जादूगरी को सलाम ।

Sikandar_Khan
13-02-2011, 06:08 PM
सिकंदर जी वास्तव में ह्रदय रो गया !!!

अपने ज़ेहन मेँ कौँधते ह्रदयविदारक संस्मरण को , कितनी ख़ूबसूरती से मार्मिक विवेचना कर जीवंत कर दिया है , मित्र । शब्दोँ की इस गज़ब जादूगरी को सलाम ।

उत्साहवर्धन के लिए आप दोनों का हार्दिक आभार

Ranveer
29-03-2011, 08:01 PM
हम तब शायद 5-6 साल के थे। पड़ोस में रहने वाले 22 साल के एक नौजवान ने आत्महत्या कर ली थी। शाम का वक्त था जब उसके घर से पहली चीख गूंजी। उसके बाद तो रुदन की अनवरत धारा बह चली। हमें घर से बाहर निकलने नहीं दिया गया। रात में बाबूजी को अम्मा से कहते सुना बहुत हिकारत भरे स्वर में- “ साले को जवानी चढ़ी थी। आशिकी कर रहे थे जनाब। फिल्म देख देख कर ये लोग मुहब्बत करने लगते हैं। मां-बाप, घर द्वार सब भूलभाल कर ये किस चाह में पड़ जाते हैं कि अपना सबकुछ बौना लगने लगता है।”

वह लड़का हमारे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की से प्रेम करता था। उनका अंतरजातीय प्रेम रास नहीं आया परिवार वालों को। बंदिशें बढ़ीं और एक दिन दोनों घर छोड़कर भाग निकले। दो तीन महीने बीते थे कि कहीं से लड़की के घर वालों को उनका ठिकाना मालूम हो गया। बताने की जरूरत नहीं कि लड़की सवर्ण् थी। जीप में भरकर उसके घरवाले गए उन्हें पकड़ने।
अगले दिन मुहल्ले के कुंए पर उस लड़की को सबके सामने नहलाया गया। मेरे मन में महिलाओं की सबसे क्रूर छवि वही है जब चार महिलाएं मिलकर कुंए पर उस लड़की की मांग में लगा सिंदूर धो रही थीं। वह चीख रही थी। चिल्ला रही थी और हर संभव प्रतिरोध कर रही थी. एक महीने बाद आननफानन में उसकी शादी कर दी गई।

‘शादी के कुछ ही दिनों बाद उसका प्रेमी लौट आया। वह बहुत उदास रहता, उसकी आंखों में देखकर लगता वहां आंसुओं की कोई नदी ठहरी हुई है । कुछ दिन बीते और उसने उसी नदी में डूबकर जान दे दी। उसने फांसी लगा ली।

तब बहुत अचरज लगता था कि कैसे कोई अजनबी आपके जीवन में इतनी गहरी पैठ बना लेता है कि आप उसके लिए जीने मरने लगते हैं। प्यार करना बहुत ग्लैमरस काम था उन दिनों। हम अपनी किशोरावस्था में उन साथियों को बड़े रश्क से देखते जिनकी अपनी गलर्फ्रैंड थीं।

हमारे लिए वे नायक थे। हम अपने आपको उनके सामने बौना महसूस करते। हम तो उनके साथ कोई खेल बिना खेले ही हार जाते थे। क्योंकि हमें पता था कि कुछ तो बात है इसमें तभी तो वह खूबसूरत सी लड़की जो मुझे देखती भी नहीं वह इसकी साइकिल पर बैठने में गुरेज नहीं करती इतना ही नहीं इसके लिए चाकलेट तक खरीदकर लाती है। अपनी पाकेट मनी के पैसे से ।

वह लड़की अब भी अपने मायके आती है। उसके दो बच्चे हैं। पता नहीं वह अपने प्रेमी के घर की ओर देखती भी है अथवा नहीं लेकिन उसकी सिक्कों सी खनखनाती हंसी की आवाज अब कभी सुनाई नहीं देती।

सच में अति हृदयविदारक ....
सिकंदर जी सच कहूँ तो मेरी आँख भी भर आयी
एक पत्थर दिल भी पिघल जाए इसे पढ़कर
कुछ तथ्यों को मै अपने जहन में सँजो कर रखता हूँ
उनमे ये भी शामिल हो गयी ...........!!!

MANISH KUMAR
30-03-2011, 10:14 AM
हम तब शायद 5-6 साल के थे। पड़ोस में रहने वाले 22 साल के एक नौजवान ने आत्महत्या कर ली थी।



वह लड़की अब भी अपने मायके आती है। उसके दो बच्चे हैं। पता नहीं वह अपने प्रेमी के घर की ओर देखती भी है अथवा नहीं लेकिन उसकी सिक्कों सी खनखनाती हंसी की आवाज अब कभी सुनाई नहीं देती।

मम्मी......... :cryingbaby::cryingbaby::cryingbaby:

kuram
30-03-2011, 02:35 PM
दोस्त उचित अनुचित का तो पता नहीं लेकिन -
अरेंज मेरिज में आप बाप पर अपनी भड़ास निकाल सकते हो और प्रेम विवाह में बाप आप पर निकाल सकता है.

Bholu
30-03-2011, 05:04 PM
दोस्त उचित अनुचित का तो पता नहीं लेकिन -
अरेंज मेरिज में आप बाप पर अपनी भड़ास निकाल सकते हो और प्रेम विवाह में बाप आप पर निकाल सकता है.

सही है
इन दोनो बेटा बाप को पकड कर अफ्रीका जगंल मे जानवरो की तेल मालिश के लिये भेज दो