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View Full Version : ताराहुमारा : ४३५ मील मेराथोन के धावक


sam_shp
01-01-2011, 08:42 PM
ताराहुमारा : ४३५ मील मेराथोन के धावक


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ताराहुमारा धावक


रारामुरी या ताराहुमारा मेक्सीको के मूल निवासी है। रारामूरी का उनकी भाषा मे अर्थ “पैदल धावक” या “तेज धावक” होता है। ये लोग लंबी दूरी की दौड़ के लिये प्रसिद्ध है। इस जनजाति के धावक ४३५ मील तक की दौड़ एक बार मे पूरी करते हैं। यह दौड़ १० मैराथन के बराबर है। ४३५ मील की मैराथन २ दिन मे पूरी होती है और नदियो, दर्रो और घाटियो के मध्य से गुजरती है।
ताराहुमारा जनजाति के लोग इतनी लम्बी दूरी कैसे तय कर पाते है?
वैज्ञानिक शोधो से आये कुछ निष्कर्ष:
१. मानव शरीर लम्बी दूरी की दौड़ दौड़ने के लिये पुर्णतः अनुकुल है। आदिम काल मे मानव को हर कार्य दौड़ कर ही करना होता था। हिंसक पशु का हमला होने पर बचाव के लिये दौड़ो, दूसरे कबीले का हमला, बचाव के लिये दौड़ो भागो। शिकार के लिये दौड़ो और शिकार करो। आदिम काल मे मानव शिकार के पिछे दौड़ता था। चौपाये पशुओ मे पसीना नही निकलता, जिससे दौड़ते समय उनका शरीर गर्म हो जाता है और वे ज्यादा दूरी तक दौड़ नही पाते है। इसके विपरित मानव शरीर से पसीना निकलता है जो दौड़ते समय शरीर को ठंडा करता है और मानव लंबी दूरी तक दौड़ने मे सक्षम है। कुछ पशु जो मानव से कहीं अधिक गति से दौड़ते है अपनी गति ज्यादा समय तक बनाये नही रख सकते है। इसका लाभ उठाकर मानव अपने शिकार को दौड़ा दौड़ा कर थका देता था और उसके थक जाने पर उसे मार देता था या पकड़ लेता था।
२.वैज्ञानिको की गणना के अनुसार ४३५ मील की दौड़ के लिये लगभग ४६,००० किलो कैलरी की आवश्यकता होती है। हमारे शरीर को उर्जा कार्बोहाड्रेट्स और शर्करा के रूप मे चाहीये होती है। दौड़ने के लिये इतनी सारी उर्जा प्राप्त करने के लिये ताराहुमारा के धावक मक्के से बनी एक विशेष बीयर पीते है। एक धावक लगभग ४ लीटर बीयर पी जाता है। यह बीयर कार्बोहाड्रेट्स और शर्करा का एक बेहतरीन श्रोत है जबकि इसमे शराब (अल्कोहल) की मात्रा नगण्य होती है।
http://vigyan.files.wordpress.com/2010/12/tarahumara_sanda_4a8308bfab20c.jpg?w=300&h=225 (http://vigyan.files.wordpress.com/2010/12/tarahumara_sanda_4a8308bfab20c.jpg)
ताराहुमारा धावक की चप्पले


३.ताराहुमारा के धावक या तो नंगे पांव दौड़ते है या एक विशेष प्रकार की चप्पल पहनते है। ताराहुमारा के धावको ने यहां आधुनिक जूतो मे भी खोट निकाली है। आधुनिक जूतो से दौड़ेने पर हमारा पैर एड़ी के बल जमीन पर गिरता है, जबकी नंगे पांव दौड़ने पर अगले पंजो पर। एड़ी मे झटका सहन करने की क्षमता पंजो की तुलना मे कम होती है। पंजो के बल दौड़ने से शरीर की मांसपेशीयो और जोड़ो मे टूटफूट कम होती है, जबकि आधुनिक जूतो से यह ज्यादा होती है।
४. ताराहुमारा जनजाति ने लम्बी दूरी की इन दौड़ो को धर्म से जोड़ रखा है। उनके धार्मिक रीती-रिवाजो का यह एक अनिवार्य अंग है !
क्या सोचते है आप ? जूते उतारिये और निकल पड़ीये दौड़ने ! हां बियर मत पिजीये , पीना है तो मेक्सीको से मक्के वाली बीयर मंगवा लिजिये !