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View Full Version : हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया


teji
02-01-2011, 06:13 AM
:welcome: दोस्तों,

इस थ्रेड में मैं हिंदी फिल्मो के प्रसिद्ध नए पुराने अभिनेत्रियों के बारे में बात करुँगी और उनकी ज़िन्दगी से जुडी कुछ दिलचस्ब बातें बताऊंगी.

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=7678&stc=1&d=1293934341

थैंक्स

khalid
02-01-2011, 06:22 AM
तो सुरुआत किजीए ......?

teji
02-01-2011, 01:03 PM
देविका रानी

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=7679&stc=1&d=1293958967

देविका रानी हिन्दी फ़िल्मों की पहली प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं, इनका भारतीय सिनेमा के लिये योगदान अपूर्व रहा है और यह हमेशा हमेशा याद रखा जायेगा| जिस जमाने में भारत की महिलायें घर की चारदीवारी के भीतर भी घूंघट में मुँह छुपाये रहती थीं, देविका रानी ने चलचित्रों में काम करके अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था| उन्हें उनके अद्वितीय सुंदरता के लिये भी याद किया जाता रहेगा|

teji
02-01-2011, 01:05 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=7680&stc=1&d=1293959089

देविका रानी, भारतीय रजतपट की पहली नायिका, का जन्म वाल्टेयर (विशाखापत्तनम) में हुआ था| वे विख्यात कवि श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर के वंश से सम्बंधित थीं, श्री टैगोर उनके चचेरे परदादा थे| देविका रानी के पिता कर्नल एम.एन. चौधरी मद्रास (अब चेन्नई) के पहले 'सर्जन जनरल' थे| उनकी माता का नाम श्रीमती लीला चौधरी था|

teji
02-01-2011, 01:06 PM
स्कूल की शिक्षा समाप्त करने के बाद 1920 के दशक के आरंभिक वर्षों में देविका रानी नाट्य शिक्षा ग्रहण करने के लिये लंदन चली गईं और वहाँ वे 'रॉयल एकेडमी आफ ड्रामेटिक आर्ट' (RADA) और रॉयल 'एकेडमी आफ म्युजिक' नामक संस्थाओं में भर्ती हो गईं| वहाँ उन्हें 'स्कालरशिप' भी प्रदान किया गया| उन्होंने 'आर्किटेक्चर', 'टेक्सटाइल' एवं 'डेकोर डिजाइन' विधाओं का भी अध्ययन किया और 'एलिजाबेथ आर्डन' में काम करने लगीं|

http://www.hindu.com/mag/2006/07/02/images/2006070200210501.jpg

अध्ययन काल के मध्य देविका रानी की मुलाकात हिमांशु राय से हुई| हिमांशु राय ने देविका रानी को लाइट आफ एशिया नामक अपने पहले प्रोडक्शन के लिया सेट डिजाइनर बना लिया| सन् 1929 में उन दोनों ने विवाह कर लिया| विवाह के बाद हिमांशु राय को जर्मनी के प्रख्यात यू.एफ.ए. स्टुडिओ में 'ए थ्रो आफ डाइस' नामक फिल्म बनाने के लिये निर्माता का काम मिल गया और वे सपत्नीक जर्मनी आ गये|

teji
02-01-2011, 01:07 PM
भारत में भी उन दिनों चलचित्र निर्माण का विकास होने लग गया था अतः हिमांशु राय अपने देश में फिल्म बनाने का विचार करने लगे और वे देविका रानी के साथ स्वदेश वापस आ गये| भारत आकर उन्होंने फिल्में बनाना शुरू कर दिया और उनकी फिल्मों में देविका रानी नायिका का काम करने लगीं| सन् 1933 में उनकी फिल्म कर्मा प्रदर्शित हुई और इतनी लोकप्रिय हुई कि लोग देविका रानी को कलाकार के स्थान पर स्टार सितारा कहने लगे|

http://www.hamaraforums.com/uploads/post-6518-1175288988.jpg

इस तरह देविका रानी भारतीय सिनेमा की पहली महिला फिल्म स्टार बनीं|
देविका रानी और उनके पति हिमांशु राय ने मिलकर बांबे टाकीज़ स्टुडिओ की स्थापना की जो कि भारत के प्रथम फिल्म स्टुडिओं में से एक है| बांबे टाकीज़ को जर्मनी से मंगाये गये उस समय के अत्याधुनिक उकरणों से सुसज्जित किया गया| अशोक कुमार, दिलीप कुमार, मधुबाला जैसे महान कलाकारों ने बांबे टाकीज़ में काम कर चुके है। अछूत कन्या, किस्मत, शहीद, मेला जैसे अत्यंत लोकप्रिय फिल्मों का निर्माण वहाँ पर हुआ है| अछूत कन्या उनकी बहुचर्चित फिल्म रही है क्योंकि वह फिल्म एक अछूत कन्या और एक ब्राह्मण युवा के प्रेम प्रसंग पर आधारित थी|

teji
02-01-2011, 01:08 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=7681&stc=1&d=1293959293

सन् 1940 में देविका रानी विधवा हो गईं| बांबे टाकीज का सम्पूर्ण संचालन उनके पति हिमांशु राय किया करते थे| देविका रानी ने अपने स्टुडिओ बांबे टाकीज़ के संचालन के लिये जी जान लड़ा दिया परंतु सन् 1943 में सशधर और अशोक कुमार तथा अन्य विश्वसनीय लोगों के स्टुडिओ से नाता तोड़ लेने की वजह से वे असहाय हो गईं| उन लोगों ने बांबे टाकीज़ से सम्बंध समाप्त करके फिल्मिस्तान नामक नया स्टुडिओ बना लिया| परिणामस्वरूप देविका रानी को फिल्मों से अपना नाता तोड़ना पड़ा| उन्होंने रूसी चित्रकार स्वेतोस्लाव रॉरिक के साथ सन् 1945 में विवाह कर लिया और बंगलौर में जाकर बस गईं| भारत के राष्ट्रपति ने सन् 1958 में देविका रानी को पद्मश्री सम्मान प्रदान किया| उन्हें सन् 1970 में प्रथम बार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव भी मिला|

teji
02-01-2011, 01:12 PM
देविका रानी की प्रमुख फिल्मे

http://www.roerich.ee/galnew/paintings/sr/Devika_Rani_Roerich_1946.jpg

1943 हमारी
1941 अंजान
1937 सावित्री
1937 इज़्ज़त
1936 अछूत कन्या
1936 जन्मभूमि
1936 जीवन नैया

teji
15-01-2011, 07:36 PM
मीना कुमारी

http://chandrakantha.com/articles/indian_music/filmi_sangeet/media/1963_Meena_Kumari.jpg

मीना कुमारी (1 अगस्त, 1932 - 31 मार्च, 1972) भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं। इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्म में उनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है। 1952 में प्रदर्शित हुई फिल्म बैजू बावरा से वे काफी वे काफी मशहूर हुईं।

teji
15-01-2011, 07:38 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8250&stc=1&d=1295105863


मीना कुमारी का असली नाम माहजबीं बानो था और ये बंबई में पैदा हुई थीं । उनके पिता अली बक्श भी फिल्मों में और पारसी रंगमंच के एक मँजे हुये कलाकार थे और उन्होंने कुछ फिल्मों में संगीतकार का भी काम किया था। उनकी माँ प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो),भी एक मशहूर नृत्यांगना और अदाकारा थी जिनका ताल्लुक टैगोर परिवार से था । माहजबीं ने पहली बार किसी फिल्म के लिये छह साल की उम्र में काम किया था। उनका नाम मीना कुमारी विजय भट्ट की खासी लोकप्रिय फिल्म बैजू बावरा पड़ा। मीना कुमारी की प्रारंभिक फिल्में ज्यादातर पौराणिक कथाओं पर आधारित थे। मीना कुमारी के आने के साथ भारतीय सिनेमा में नयी अभिनेत्रियों का एक खास दौर शुरु हुआ था जिसमें नरगिस, निम्मी, सुचित्रा सेन और नूतन शामिल थीं।

teji
15-01-2011, 07:39 PM
http://www.10ka20.com/img/meena-kumari-1.jpg

1953 तक मीना कुमारी की तीन सफल फिल्में आ चुकी थीं जिनमें : दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं. परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ। परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूकि इस फिल्म में भारतीय नारियों के आम जिदगी की तकलीफ़ों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी। लेकिन इसी फिल्म की वजह से उनकी छवि सिर्फ़ दुखांत भूमिकाएँ करने वाले की होकर सीमित हो गयी। लेकिन ऐसा होने के बावज़ूद उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू भारतीय दर्शकों पर हमेशा छाया रहा।

teji
15-01-2011, 07:40 PM
http://1.bp.blogspot.com/_YQSZcpg4rHg/TE6IoCqo0_I/AAAAAAAAFdA/R7xLz6wX8rI/s1600/MEENA+Kumari+pyar+ka+saagar.JPG

मीना कुमारी की शादी मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही के साथ हुई जिन्होंने मीना कुमारी की कुछ मशहूर फिल्मों का निर्देशन किया था। लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है । शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी।

pankaj bedrdi
15-01-2011, 07:43 PM
बहुत मस्त जनकारी है तेजी जी आप चौपल पर आये

teji
15-01-2011, 07:49 PM
बहुत मस्त जनकारी है तेजी जी आप चौपल पर आये


चौपाल में की करना होगा?

teji
16-01-2011, 06:14 AM
मधुबाला

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8262&stc=1&d=1295143939


मधुबाला (जन्म: 14 फरवरी, 1933 दिल्ली - निधन: 23 फरवरी, 1969 मुंबई) भारतीय हिन्दी फ़िल्मो की सबसे चर्चित अभिनेत्रियों में से एक थी। उनके अभिनय में एक आदर्श भारतीय नारी को देखा जा सकता है। चेहरे द्वारा भावाभियक्ति तथा नज़ाक़त उनकी प्रमुख विशेषता है। उनके अभिनय प्रतिभा,व्यक्तित्व और खूबसूरती को देख कर यही कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे सुन्दर अभिनेत्री है। और हिन्दी फ़िल्मों के समीक्षक मधुबाला के अभिनय काल को भारतीय फिल्मो का 'स्वर्ण युग' ( The Golden Era ) की संज्ञा से सम्मानित करते हैं।

teji
16-01-2011, 06:17 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8263&stc=1&d=1295144207


मधुबाला का जन्म १४ फरवरी १९३३ को दिल्ली में एक पश्तून मुस्लिम परिवार मे हुआ था। मधुबाला अपने माता-पिता की ५ वीं सन्तान थी। उनके माता-पिता के कुल ११ बच्चे थे। मधुबाला का बचपन का नाम 'मुमताज़ बेग़म जहाँ देहलवी' था। ऐसा कहा जाता है कि एक भविष्यवक्ता ने उनके माता-पिता से ये कहा था कि मुमताज़ अत्यधिक ख्याति तथा सम्पत्ति अर्जित करेगी परन्तु उसका जीवन दुखःमय होगा। उनके पिता अयातुल्लाह खान ये भविष्यवाणी सुन कर दिल्ली से मुम्बई एक बेहतर जीवन की तलाश मे आ गये। मुम्बई मे उन्होने बेहतर जीवन के लिए काफ़ी संघर्ष किया।

teji
16-01-2011, 06:24 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8264&stc=1&d=1295144614


बालीवुड में उनका प्रवेश 'बेबी मुमताज़' के नाम से हुआ। उनकी पहली फ़िल्म थी बसन्त (१९४२)। देविका रानी बसन्त मे उनके अभिनय से बहुत प्रभावित हुयीं, तथा उनका नाम मुमताज़ से बदल कर ' मधुबाला' रख दिया। उन्हे बालीवुड में अभिनय के साथ-साथ अन्य तरह के प्रशिक्षण भी दिये गये। (१२ वर्ष की आयु मे उन्हे वाहन चलाना आता था)।

teji
16-01-2011, 06:28 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8265&stc=1&d=1295144877

उन्हें मुख्य भूमिका निभाने का पहला मौका केदार शर्मा ने अपनी फ़िल्म नील कमल (१९४७) में दिया। इस फ़िल्म मे उन्होने राज कपूर के साथ अभिनय किया। इस फ़िल्म मे उनके अभिनय के बाद उन्हे 'सिनेमा की सौन्दर्य देवी' (Venus Of The Screen) कहा जाने लगा। इसके २ साल बाद बाम्बे टॉकीज़ की फ़िल्म महल में उन्होने अभिनय किया। महल फ़िल्म का गाना 'आयेगा आनेवाला' लोगों ने बहुत पसन्द किया। इस फ़िल्म का यह गाना पार्श्व गायिका लता मंगेश्कर, इस फ़िल्म की सफलता तथा मधुबाला के कैरियर मे, बहुत सहायक सिद्ध हुआ ।

teji
16-01-2011, 06:30 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8266&d=1295144877

महल की सफलता के बाद उन्होने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। उस समय के स्थापित पुरूष कलाकारों के साथ उनकी एक के बाद एक फ़िल्म आती गयी तथा सफल होती गयी। उन्होंने अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार, देवानन्द आदि सभी के साथ काम किया। १९५० के दशक में उनकी कुछ फ़िल्मे असफल भी हुयी। जब उनकी फ़िल्मे असफल हो रही थी तो आलोचक ये कहने लगे की मधुबाला मे प्रतिभा नही है तथा उसकी कुछ फ़िल्मे उसकी सुन्दरता की वज़ह से हिट हुयीं, ना कि उसके अभिनय से। लेकिन ऐसा नही था। उनकी फ़िल्मे फ़्लाप होने का कारण था- सही फ़िल्मो का चुनाव न कर पाना। मधुबाला के पिता ही उनके मैनेजर थे और वही फ़िल्मो का चुनाव करते थे। मधुबाला परिवार की एक मात्र ऐसी सदस्या थीं जिनके आय पर ये बड़ा परिवार टिका था। अतः इनके पिता परिवार के पालन-पोषण के लिये किसी भी तरह के फ़िल्म का चुनाव कर लेते थे। चाहे भले ही उस फ़िल्म मे मधुबाला को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका ना मिले। और यही उनकी कुछ फ़िल्मे असफल होने का कारण बना। इन सब के बावजूद वह कभी निराश नही हुयीं। १९५८ मे उन्होने अपने प्रतिभा को पुनः साबित किया। इस साल आयी उनकी चार फ़िल्मे ( फ़ागुन, हावरा ब्रिज, काला पानी, और चलती का नाम गाडी) सुपरहिट हुयीं।

teji
16-01-2011, 06:31 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8267&d=1295144877

ज्वार भाटा (१९४४) के सेट पर वह पहली बार दिलीप कुमार से मिली। उनके मन मे दिलीप कुमार के प्रति आकर्षण पैदा हुआ तथा बह उनसे प्रेम करने लगी। उस समय वह १८ साल की तथा दिलीप कुमार २९ साल के थे। उन्होने १९५१ मे तराना मे पुनः साथ-साथ काम किया। उनका प्रेम मुग़ल-ए-आज़म की ९ सालों की सूटिंग शुरू होने के समय और भी गहरा हो गया था। वह दिलीप कुमार से विवाह करना चाहती थीं पर दिलीप कुमार ने इन्कार कर दिया। ऐसा भी कहा जाता है की दिलीप कुमार तैयार थे लेकीन मधुबाला के लालची रिश्तेदारों ने ये शादी नही होने दी। १९५८ मे अयातुल्लाह खान ने कोर्ट मे दिलीप कुमार के खिलाफ़ एक केस दायर कर के दोनो को परस्पर प्रेम खत्म करने पर बाध्य भी किया।

teji
16-01-2011, 06:32 AM
मधुबाला को विवाह के लिये तीन अलग - अलग लोगों से प्रस्ताव मिले। वह सुझाव के लिये अपनी मित्र नर्गिस के पास गयी। नर्गिस ने भारत भूषण से विवाह करने का सुझाव दिया जो कि एक विधुर थे। नर्गिस के अनुसार भारत भूषण, प्रदीप कुमार एवं किशोर कुमार से बेहतर थे। लेकिन मधुबाला ने अपनी इच्छा से किशोर कुमार को चुना। किशोर कुमार एक तलाकशुदा व्यक्ति थे। मधुबाला के पिता ने किशोर कुमार से बताया कि वह शल्य चिकित्सा के लिये लंदन जा रही है तथा उसके लौटने पर ही वे विवाह कर सकते है। मधुबाला मृत्यु से पहले विवाह करना चाहती थीं ये बात किशोर कुमार को पता था।

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8268&d=1295144877

१९६० में उन्होने विवाह किया। परन्तु किशोर कुमार के माता-पिता ने कभी भी मधुबाला को स्वीकार नही किया। उनका विचार था कि मधुबाला ही उनके बेटे की पहली शादी टूटने की वज़ह थीं। किशोर कुमार ने माता-पिता को खुश करने के लिये हिन्दू रीति-रिवाज से पुनः शादी की, लेकिन वे उन्हे मना न सके।

teji
16-01-2011, 06:37 AM
मुगल-ए-आज़म में उनका अभिनय विशेष उल्लेखनीय है। इस फ़िल्म मे सिर्फ़ उनका अभिनय ही नही बल्की 'कला के प्रति समर्पण' भी देखने को मिलता है। इसमें 'अनारकली' का भूमिका उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। उनका लगातार गिरता हुआ स्वास्थय उन्हे अभिनय करने से रोक रहा था लेकिन वो नहीं रूकीं। उन्होने इस फ़िल्म को पूरा करने का दृढ निश्चय कर लिया था। फ़िल्म के निर्देशक के. आशिफ़ फ़िल्म मे वास्तविकता लाना चाहते थे। वे मधुबाला की बीमारी से भी अन्जान थे। उन्होने शूटिंग के लिये असली जंज़ीरों का प्रयोग किया। मधुबाला से स्वास्थय खराब होने के बावजूद भारी जंज़ीरो के साथ अभिनय किया। इन जंज़ीरों से उनके हाथ की त्वचा छिल गयी लेकीन फ़िर भी उन्होने अभिनय जारी रखा। मधुबाला को उस समय न केवल शारिरिक अपितु मानसिक कष्ट भी थे। दिलीप कुमार से विवाह न हो पाने की वजह से वह अवसाद (Depression) से पीड़ित हो गयीं थी। इतना कष्ट होने के बाद भी इतना समर्पण बहुत ही कम कलाकारो मे देखने को मिलता है।

http://www.indianetzone.com/photos_gallery/13/madhubala_14280.jpg

५ अगस्त १९६० को जब मुगले-ए-आज़म प्रदर्शित हुयी तो फ़िल्म समीक्षकों तथा दर्शकों को भी ये मेहनत और लगन साफ़-साफ़ दिखाई पड़ी। असल मे यह मधुबाला की मेहनत ही थी जिसने इस फ़िल्म को सफ़लता के चरम तक पहुचाँया। इस फ़िल्म के लिये उन्हे फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड के लिये नामित किया गया था। हालाकिं यह पुरस्कार उन्हे नही मिल पाया। कुछ लोग सन्देह व्यक्त करते है की मधुबाला को यह पुरस्कार इस लिये नही मिल पाया की वह घूस देने के लिये तैयार नही थी। इस फ़िल्म की लोकप्रियता के वजह से ही इस फ़िल्म को पुनः रंग भर के पूरी दुनिया मे प्रदर्शित किया गया।

teji
16-01-2011, 06:39 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8269&stc=1&d=1295145536


मधुबाला, हृदय रोग से पीड़ित थीं जिसका पता १९५० मे नियमित होने वाले स्वास्थ्य परीक्षण मे चल चुका था। परन्तु यह तथ्य फ़िल्म उद्योग से छुपाया रखा गया। लेकिन जब हालात बदतर हो गये तो ये छुप ना सका। कभी - कभी फ़िल्मो के सेट पर ही उनका तबीयत बुरी तरह खराब हो जाती थी। चिकित्सा के लिये जब वह लंदन गयी तो डाक्टरों ने उनकी सर्जरी करने से मना कर दिया क्योंकि उन्हे डर था कि वो सर्जरी के दौरान मर जायेंगीं। जिन्दगी के अन्तिम ९ साल उन्हे बिस्तर पर ही बिताने पड़े। २३ फ़रवरी १९६९ को बीमारी की वजह से उनका स्वर्गवास हो गया। उनके मृत्यु के २ साल बाद यानि १९७१ मे उनकी एक फ़िल्म जिसका नाम जलवा था प्रदर्शित हो पायी थी। मधुबाला का देहान्त ३६ साल की उम्र मे हो गया । उनका अभिनय जीवन भी लगभग इतना ही था। उन्होने इस दौरान ७० ( लगभग ) फ़िल्मो में काम किया।

ndhebar
22-01-2011, 10:30 AM
रुक क्यों गयी तेजी जी

teji
06-02-2011, 08:07 PM
माधुरी दीक्षित

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8614&stc=1&d=1297008457

teji
06-02-2011, 08:08 PM
http://www.madhuridixit.net.in/thumbs/madhuri-dixit-005.jpg

माधुरी दीक्षित भारतीय हिन्दी फ़िल्मो मे एक ऐसा मुकाम तय किया है जिसे आज के अभिनेत्रियाँ अपने लिए आदर्श मानती है . ८० और ९० के दशक मे इन्होने स्वयम को हिन्दी सिनेमा मे एक प्रमुख अभिनेत्री तथा सुप्रसिद्ध न्रित्यान्गना के रूप मे स्थापित किया । अपने लाजवाब नृत्य और स्वाभाविक अभिनय का ऐसा जादू था माधुरी पूरे देश की धड़कन बन गयी. 15 मई 1967 मुंबई मे मराठी परिवार मे माधुरी दीक्षित का जन्म हुआ.

teji
06-02-2011, 08:12 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8615&stc=1&d=1297008694

पिता शंकर दीक्षित और माता स्नेह लता दीक्षित की लाडली माधुरी बचपन से डॉक्टर बनने की चाह थी और शायद यह भी एक वज़ह रही की माधुरी ने अपना जीवन साथी श्री राम नेने को चुना जो की पेशे से एक चिकित्सक है. डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल से पढने के बाद माधुरी दीक्षित ने मुंबई यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा पूरी कि और बचपन से ही नृत्य मे रूचि थी जिसके लिए माधुरी ने आठ वर्ष का प्रशिक्षण लिया. सन २००८ मे उन्हे भारत सरकार् के चतुर्थ सर्वोच नागारिक सम्मान " पद्म श्री " से सम्मनित किया गया ।

teji
06-02-2011, 08:16 PM
http://stbjp.msn.com/i/98/5E3523B1961F126E693F9CF1395F2.jpg

माधुरी दीक्षित हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल अभिनेत्री है।इन्होने अपने अभिनय जीवन की शुरुआत सन १९८४ मे " अबोध " नामक चलचित्र से की । किन्तु इन्हे पह्चान १९८८ मे आई फिल्म " तेजाब " से मिली । इस्के बाद इन्होने पीछे मुद्द कर नही देखा । एक के बाद एक सुपरहिट फिल्मो के कारवान ने इनको भारतीय सिनेमा की सर्वोच्च अभिनेत्री बनाया : राम लखन (१९८९) ,परिन्दा (१९८९) ,त्रिदेव (१९८९) , किशन - कन्हेया (१९९०) तथ प्रहार (१९९१) । वर्ष १९९० मे इनकी फिल्म आई " दिल " जिसमे इन्होने एक अमीर तथा बिगडैगल लड्की क किरदार निभाया जो एक गरीब लड्के से इश्क करती है तथा उससे शादी के लिये अपनो से बगावत करती है। उन्के इस किरदार के लिये उन्हे [फिल्म फेयर सर्वश्रेश्ठ अभिनेत्री] का पुरस्कार मिला ।

teji
06-02-2011, 08:18 PM
माधुरी दीक्षित की फिल्में


आजा नचले
देवदास
हम तुम्हारे हैं सनम
ये रास्ते हैं प्यार के
लज्जा
गज गामिनी
पुकार
आरज़ू
बड़े मियाँ छोटे मियाँ
घरवाली बाहरवाली
दिल तो पागल है
मृत्युदंड
कोयला
महंत
प्रेम ग्रंथ
राजकुमार
राजा
याराना
पापी देवता
हम आपके हैं कौन
अंजाम
दिल तेरा आशिक
खलनायक
फूल
आँसू बने अंगारे
साहिबाँ
बेटा
ज़िन्दगी एक जुआ
संगीत
धारावि
प्रेम दीवाने
खेल
साजन
100 डेज़
जमाई राजा
प्रतिकार
महासंग्राम
दिल
दीवाना मुझ सा नहीं
प्यार का देवता
सैलाब
जीवन एक संघर्ष
किशन कन्हैया
थानेदार
वर्दी
इज़्ज़तदार
प्रेम प्रतिज्ञा
मुज़रिम
परिन्दा
राम लखन
त्रिदेव
पाप का अंत
कानून अपना अपना
इलाका
तेज़ाब
दयावान
खतरों के खिलाड़ी
आवारा बाप
उत्तर दक्षिण
हिफ़ाज़त
अबोध
स्वाति