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View Full Version : ग्रामीण भारत :: व्यापार और विकास


amol
08-01-2011, 11:20 AM
http://www.globalenvision.org/files/india%20women.jpg

सन १९२६ में महात्मा गाँधी ने कहा था

"भारत कलकत्ता या बम्बई में नहीं है, असली भारत तो यहाँ के ७ लाख गाँव में रहता है"

और आज आजादी के ६ दशक बाद लगभग हम सभी इस बात को भूल चुके है. धीरे धीरे गाँव से शहर की तरफ लोग पलायन करते जा रहे है. जो विकास की बातें हो रही है वो केवल भारत के कुछ चंद बड़े शहरो को ध्यान में रख कर हो रही है.

लेकिन मेरा मानना है की ग्रामीण भारत में एक बड़ा potential छुपा हुआ है, भारत का विकास बिना ग्रामीण क्षेत्रो को साथ लेकर नहीं हो सकता.

तो हम लोग इस थ्रेड पर ग्रामीण भारत, इसकी समस्याएँ, सरकार के विकास सम्बन्धी योजनायें, ग्रामीण व्यापार और उद्योग जगत की चर्चा करेंगे.

धन्यवाद

amol
08-01-2011, 11:34 AM
ग्रामीण भारत का भविष्य उज्जवल है, कैसे और क्यों?

ग्रामीण मार्केट को किसी भी global recession या मंदी का असर नहीं पड़ता.
क्रेडिट कार्ड, विदेशी बैंक और लोन अभी ग्रामीण भारत से दूर ही है. और आपको तो पता ही होगा, २ साल पहले जो विश्व में मंदी आई थी उसमे इनका कितना बड़ा योगदान था.
हाल के वर्षो में अच्छे मानसून और NREGA के कारण ग्रामीण इलाको में गरीबी कम हुई है और लोगो की क्रय शक्ति बडी है.
किसानो के लोन सरकार ने माफ़ किये है.
भारत निर्माण प्रोग्राम से ग्रामीण आधार भुत ढाचे का विकास हुआ है.
साक्षरता में वृद्धि हुई है. लोग अब पहले से ज्यादा पढाई लिखाई और नए नए उद्योग धन्दो में ruchi le rahe है.

YUVRAJ
28-01-2011, 08:24 AM
:clap:...:clap:...:clap:...:bravo:

VIDROHI NAYAK
28-01-2011, 08:43 AM
अमोल जी नमस्कार !
दो टूक शब्दों में कहना चाहूँगा ..अगर सुविधाओं की बात न करें तो गावों से बहता जिंदिगी और कहीं नहीं ! और सुविधाएँ रोजगार से कहीं न कहीं सम्बंधित हैं ! अगर आज भारत के गावों की सड़क और विद्युत व्यवस्था सुधर जाए तो अपने आप ही इस भारत का रूप बदल जायेगा !
धन्यवाद

Sikandar_Khan
28-01-2011, 08:43 AM
आज भी हमारे गाँव विकास और सरकारी योजनाओ से कोसो दूर हैँ
चूंकि हमारे चाचा जी खुद एक किसान हैँ
जिनको ऐसी समस्याओँ से रुबरु होना पड़ता है
आज भी उत्तर प्रदेश के गांवो मे छः से आठ घंटे की बिजली उपलब्ध कराई जाती है ।
वो भी एक हफ्ता रात का और एक हफ्ता दिन के हिसाब से
जिससे समय से पानी न मिल पाने के कारण कभी कभी फसलोँ खाशा नुकसान पहुंचता है।
गांवो मे रोड की व्यवस्था तो देखने लायक होती है।
विकास के नाम पर
सरकारी के दावे खोखले साबित होते हैँ।

YUVRAJ
28-01-2011, 08:51 AM
स्तर सुधारना होगा ... क्या आपने पंजाब के किसानों को देखा या समझा है !!!
आज भी हमारे गाँव विकास और सरकारी योजनाओ से कोसो दूर हैँ
चूंकि हमारे चाचा जी खुद एक किसान हैँ
जिनको ऐसी समस्याओँ से रुबरु होना पड़ता है
आज भी उत्तर प्रदेश के गांवो मे छः से आठ घंटे की बिजली उपलब्ध कराई जाती है ।
वो भी एक हफ्ता रात का और एक हफ्ता दिन के हिसाब से
जिससे समय से पानी न मिल पाने के कारण कभी कभी फसलोँ खाशा नुकसान पहुंचता है।
गांवो मे रोड की व्यवस्था तो देखने लायक होती है।
विकास के नाम पर
सरकारी के दावे खोखले साबित होते हैँ।

Sikandar_Khan
28-01-2011, 09:09 AM
स्तर सुधारना होगा ... क्या आपने पंजाब के किसानों को देखा या समझा है !!!


तो क्या इसके लिए किसान जिम्मेदार हैँ ?

khalid
28-01-2011, 09:41 AM
स्तर सुधारना होगा ... क्या आपने पंजाब के किसानों को देखा या समझा है !!!


क्या आपने उनको मिलने वाली सरकारी सुविधा को देखा हैँ

YUVRAJ
28-01-2011, 12:35 PM
अकेला किसान ही क्यूँ भाई सिकंदर जी ... दोनों ही

तो क्या इसके लिए किसान जिम्मेदार हैँ ?


जरूर खालिद भाई जी ... पर जिस फसल की खेती की जाती है पंजाब में ...वैसे ही नयी फसलों की पैदावार उत्तर भारतीय किसानों को करनी चाहिये... बाजार में यदि उस फसल की मांग जादा होगी तो किसान को भी फ़ायदा होगा और सरकार को भी ...
क्या आपने उनको मिलने वाली सरकारी सुविधा को देखा हैँ

VIDROHI NAYAK
28-01-2011, 01:08 PM
अकेला किसान ही क्यूँ भाई सिकंदर जी ... दोनों ही




जरूर खालिद भाई जी ... पर जिस फसल की खेती की जाती है पंजाब में ...वैसे ही नयी फसलों की पैदावार उत्तर भारतीय किसानों को करनी चाहिये... बाजार में यदि उस फसल की मांग जादा होगी तो किसान को भी फ़ायदा होगा और सरकार को भी ...
हर जगह की माटी समान नहीं होती इसीलिए हर जगह एक जैसी फसल का उत्पादन करना संभव नहीं है !

khalid
28-01-2011, 01:28 PM
हर जगह की माटी समान नहीं होती इसीलिए हर जगह एक जैसी फसल का उत्पादन करना संभव नहीं है !

बिल्कुल लाख टके की बात कहीँ आपने
रेत पर सिर्फ करेला . खरबुजा , तरबुज , पलवल जैसी चिजे ही उबज सकते हैँ

YUVRAJ
28-01-2011, 01:32 PM
आपकी बात भी सही है भाई नायक जी ....हरित क्रांती के पहले जब किसी रसायन का प्रयोग किये बिना फसलें उगायी जाती थी तो मिट्टी पर भी कुछ बूरा असर नहीं होता था ... और संसाधनों को जुटा कर आज के समय में किसी भी जगह पैदावार की जा सकती है ... पहली जरूरत है कि एकता हो और दूसरी वो पैदा किया जाये जिसे विश्व बाजार में भी बेचा जा सके... क्या सही दाम पर बिकेगा इस की जानकारी प्रत्येक किसान को प्रदान की जाये/ उत्तर प्रदेश में कई ऐसे इलाके हैं जहां से बासमती चावल खारीद कर निर्यात किया जाता है ...
पैदावार ke liye कुछ उदाहरण हैं ...मशरूम, मिंट आदि-आदि... इन से हमारे किसान गरीबी से निजात पा सकतें हैं...
भाई सिकंदर जी तो कानपूर से हैं और उन्हें जानकारी होगी कि गुलाब की सबसे आच्छी पैदावार वहीं होती है और चालाक किसान बी पालन करके उससे शहद भी बनाते हैं और गुलाब का शहद बोलने से उसकी कीमत सामान्य शहद से कई गुना अधिक होती है... इस तरह के नये नये रास्ते तलासने होगें ...
हर जगह की माटी समान नहीं होती इसीलिए हर जगह एक जैसी फसल का उत्पादन करना संभव नहीं है !

VIDROHI NAYAK
28-01-2011, 01:45 PM
आपकी बात भी सही है भाई नायक जी ....हरित क्रांती के पहले जब किसी रसायन का प्रयोग किये बिना फसलें उगायी जाती थी तो मिट्टी पर भी कुछ बूरा असर नहीं होता था ... और संसाधनों को जुटा कर आज के समय में किसी भी जगह पैदावार की जा सकती है ... पहली जरूरत है कि एकता हो और दूसरी वो पैदा किया जाये जिसे विश्व बाजार में भी बेचा जा सके... क्या सही दाम पर बिकेगा इस की जानकारी प्रत्येक किसान को प्रदान की जाये/ उत्तर प्रदेश में कई ऐसे इलाके हैं जहां से बासमती चावल खारीद कर निर्यात किया जाता है ...
पैदावार ke liye कुछ उदाहरण हैं ...मशरूम, मिंट आदि-आदि... इन से हमारे किसान गरीबी से निजात पा सकतें हैं...
भाई सिकंदर जी तो कानपूर से हैं और उन्हें जानकारी होगी कि गुलाब की सबसे आच्छी पैदावार वहीं होती है और चालाक किसान बी पालन करके उससे शहद भी बनाते हैं और गुलाब का शहद बोलने से उसकी कीमत सामान्य शहद से कई गुना अधिक होती है... इस तरह के नये नये रास्ते तलासने होगें ...
सहमत हूँ मै आपकी बात से !

YUVRAJ
28-01-2011, 01:45 PM
खालिद भाई जी ...:)

ग्रामीण भारत :: व्यापार और विकास सूत्र का विषय है ... उपाय खोजनें होगें न की तकलीफों का बहाना ...:p

विकास कैसे हो यह हमारी चर्चा का मुख्य विषय है .... और यह तभी होगा जब .... ग्रामीण लोगों को ज्ञान और तरीके सिखानें होगें... इस रसायन के युग में काफी कुछ अलग किया जा सकता है ...:cheers:बिल्कुल लाख टके की बात कहीँ आपने
रेत पर सिर्फ करेला . खरबुजा , तरबुज , पलवल जैसी चिजे ही उबज सकते हैँ