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View Full Version : सर्प का संसार(')_~_~_~


ABHAY
11-01-2011, 04:47 PM
कहते हैं सांप काटते नहीं लोग कटा बैठते हैं और यह सच है. अन्य बहुतेरे जीवों की तरह सांप भी डरपोक प्राणी है, हाँ अपने प्रजनन काल में नाग - कोबरा आक्रामक हो जाता है जैसा कि कई दूसरे जीव भी ऐसा ही आचरण करते हैं. कल नागपंचमी है- यह त्यौहार नागों-सर्पों के भय से ही उपजा एक त्यौहार है, क्योकि लोकजीवन में सापों से हमेशा दहशत व्याप्त रही है. जहरीले सापों के दंश से अक्सर लोगों की मृत्यु होती रही है. क्योंकि इसका लम्बे समय तक कोई शर्तिया इलाज नहीं था -जैसा कि अब एंटी वेनम है, जो सर्प दंश की एकमात्र भरोसेमंद काट है, इलाज है!

ABHAY
11-01-2011, 04:48 PM
जन्मेजय का नाग यज्ञ सापों के प्रति असहाय मानवीय प्रतिशोध का पुरा आख्यान है. पुराणों में वर्णन है कि जन्मेजय ने जब नाग /सर्प वंश के समूल नाश के लिए अपना यज्ञ शुरू किया तो एक डुन्डिभी नामक नाग ने आकर प्राण रक्षा की गुहार लगाई थी. उसने कहा था "अन्य ते भुजगा ब्रह्मण ये दंशन्तीह मानवान-अर्थात हे राजन जो साँप मनुष्य को काटते है वे दूसरे होते हैं और बहुत से साँपों की वंश रक्षा हो गयी थी. मगर सांप तो डसते ही हैं, कोई अपना स्वभाव नहीं छोड़ता भले ही मनुष्य द्वारा पीड़ित होने पर ...नागपंचमी के मामले में एक और कथा प्रचलित है जिसमें एक ब्राह्मण ने नाग के सपोलों को अनजाने में हत्या कर दी थी -क्रोधित नागिन ने उसके पूरे परिवार और उसकी बेटी के सभी ससुराल वालों को कट कर उन्हें मौत की नीद सुला दिया था जबकि ब्राह्मण कन्या सांपों की बड़ी पुजारी थी -बाद में ब्राह्मण कन्या की विनती पर नागिन ने सभी को जिला दिया और उसी घटना की याद में नाग पंचमी मनाई जाती रही है ...ऐसी दंतकथाएं यही बताती हैं कि सर्प-भय लोक मानस में गहरे पैठा हुआ है.

ABHAY
11-01-2011, 04:48 PM
नाग पंचमी के साथ ही अखाड़ों की लड़ाई, मल्लयुद्ध, महुअर जैसे खेल जिसमें भीड़ में किसी पर जादू या 'मूठ' चला दी जाती है और छोटे गुरु बड़े गुरु की पुकार के साथ दरवाजे दरवाजे नाग दर्शन का कार्यक्रम चलता है. वन्य जीव अधिनियम के तहत कोबरा-फन वाले सांप को पकड़ना गैरकानूनी है मगर सैकड़ों वर्षों की परम्पराओं के आगे नियम कानून बौने से बन जाते हैं, कारण कि जनता जागरूक नहीं है और वह खुद ही अवैज्ञानिक बातों को बढ़ावा देती है. आप इन बातों को जांच लें और धीरे धीरे लोगों को जागरूक करें जिससे लुप्त हो चले कोबरा प्रजाति की वंश रक्षा हो सके और एक ऐसी नागपंचमी भी आये जब लोग बस केवल नाग-चित्रों से कम चला लें -नाग को जंगलों में ही विचरण को छोड़ दें.

ABHAY
11-01-2011, 04:50 PM
यह कैसे पता किया जाए कि काटने वाला साँप ज़हरीला था अथवा नहीं?
यदि हम भारत की ही बात करें तो हमारे देश में लगभग 20 हज़ार लोग हर साल सर्पदंश के शिकार बनते हैं। इस तरह के आँकड़े सुनने के बाद अक्सर मन में यह सवाल उठता है कि इस बात की पहचान कैसे की जाए कि काटने वाला साँप ज़हरीला था अथवा नहीं? क्योंकि यदि इस तरह की जानकारी लोगों के पास हो, तो उससे साँप के शिकार व्यक्ति को बचाने में काफी मदद मिल सकती है।
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8211&stc=1&d=1294750217
आमतौर से ज़हरीले साँप के काटने के 15 मिनट के भीतर जो लक्षण उभरते हैं, उन्हें देखकर यह स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है कि काटने वाला साँप ज़हरीला था अथवा नहीं। हालाँकि काटने वाले साँप की प्रजाति तथा सर्प द्वारा दंश के समय छोड़े गये विष की मात्रा पर ये लक्षण काफी हद तक निर्भर होते हैं, लेकिन निम्नांकित लक्षणों को देखकर इस बात की पहचान आसानी से की जा सकती है कि काटने वाला साँप विषैला था या विषहीन।

ABHAY
11-01-2011, 04:51 PM
ज़हरीले साँप के काटने पर 15 मिनट के भीतर आमतौर से जो लक्षण उभर आते हैं, वे निम्ननानुसार हैं:-

साँप के काटे गये स्थान पर त्वचा का रंग लालिमायुक्त हो जाता है। उस स्थान पर सूजन नजर आने लगती है और पीड़ित व्यक्ति को तेज दर्द का अनुभव होता है।

ज़हरीले साँप के काटने पर पीड़ित व्यक्ति को साँस लेने में कठिनाई होने लगती है (कई मामलों में साँस रूक भी जाती है), उसकी दृष्टि कमजोर होने लगती है, आँखों के आगे धुंधलापन नजर आने लगता है।

पीड़ित व्यक्ति का जी मिचलाने लगता है, उल्टी होने लगती है, मुँह से लार निकलने लगती है और शरीर की त्वचा अत्यधिक पसीना छोड़ने लगती है।

ज़हरीले साँप के काटने पर हाथ-पैरों में झनझनाहट सी होने लगती है, धीरे-धीरे हाथ-पैर सुन्न से होने लगते हैं और लकवे के लक्षण बढ़ने के साथ ही पीड़ित व्यक्ति की आवाज भरभराने लगती है, आँखें उनींदी सी हो जाती हैं और किसी भी वस्तु के निगलने में परेशानी होती है।

धीरे-धीरे ये लक्षण बढ़ते जाते हैं, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है और होंठ तथा जीभ नीली पड़ने लगती है।

ABHAY
11-01-2011, 04:51 PM
यदि पीड़ित व्यक्ति के अंदर इस तरह के लक्षण उभर रहे हों तो उसे किसी योग्य डॉक्टर के पास ले जाएँ और जल्द से जल्द एंटीवेनम लगवाएँ। क्योंकि सर्पदंश का एकमात्र इलाज एंटीवेनम है। ध्यान रहे, साँप के ज़हर को किसी बूटी, पत्थर अथवा मंत्र द्वारा उतारा जाना सम्भव नहीं है।

ABHAY
11-01-2011, 04:53 PM
आदमी और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
'इच्छाधरी नाग' कितने रूप बदल सकते हैं?
क्या किसी सिद्धि के द्वारा इच्छाधरी नाग को गुलाम बनाया जा सकता है?
क्या विषकन्याएँ सचमुच सॉपों से भी ज़हरीला होती हैं?
'नागमणि' के द्वारा कौन-कौन से चमत्कार सम्भव हैं?
सबसे ज़हरीला साँप कौन सा होता है?
साँप काटने पर कौन सा मंत्र प्रयोग में लाया जाता है?
क्या साँप के ज़हर को चूसने वाली कोई जड़ी भारत में पाई जाती है?
क्या साँप अपनी आँखों में कातिल की फोटो कैद कर लेता है?

ABHAY
11-01-2011, 04:55 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8212&stc=1&d=1294750521
ऐसे ही बहुत से सवाल हैं, जो अक्सर हमारे दिमाग में कौंधते रहते हैं। लेकिन हमें कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिल पाता है, जो इस सम्बंध में प्रामाणिक जानकारी दे सके। नतीजतन इधर उधर से मिला आधा-अधूरा ज्ञान लोगों के मन में बचपन से जमे अंधविश्वास की पर्तों को और मोटा करता जाता है।
सम्भवत: भारत में साँपों से जुड़े जितने मिथक और अंधविश्वास प्रचलित हैं, उतने किसी अन्य देश में नहीं। यही कारण है कि एक ओर जहाँ साँप हमारे लिए पूज्यनीय हैं, वहीं दूसरी ओर वे हमारे मस्तिष्क में 'देखते ही मार देने वाले' जीव के रूप में जगह बनाए हुए हैं। इसके पीछे कारण है सिर्फ और सिर्फ साँपों के बारे में प्रचलित मिथ्या धारणाएँ और उनसे जुड़ी हमारी अज्ञानता। 'सर्प संसार' जन समुदाय में प्रचलित इसी अज्ञानता को दूर करने का एक विनम्र प्रयास है।

ABHAY
11-01-2011, 04:58 PM
क्या सचमुच होते हैं इच्छाधारी नाग/नागिन?
भारतीय जनमानस में इच्छाधारी नाग अथवा नागिर की अनगिन कथाएँ मौजूद हैं। किवदंतियों के अनुसार ये इच्छाधारी नाग अथवा नागिन कोई भी रूप धर सकते हैं, कहीं भी जा सकते हैं। साथ ही कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ऐसे साँपों के पास एक चमत्कारी मणि भी होती है, जिससे रौशनी फूटती रहती है। यदि कोई व्यक्ति उस मणि को हासिल कर ले, तो जिस साँप की वह मणि होती है, वह उसका गुलाम बन जाता है और उसकी सारी आज्ञाओं का पालन करने के लिए विवश हो जाता है। जबकि सच यह है कि ये सारी बातें सरासर बकवास हैं। इन तमाम बातों का सत्य से कोई लेना-देना नहीं है।

ABHAY
11-01-2011, 04:58 PM
कितना घातक है यह अंधविश्वास?
हिन्दी फिल्मकारों ने समाज में व्याप्त सर्प सम्बंधी अंधविश्वास की धारणाओं का जमकर दोहन किया है। उन्होंने न सिर्फ इस विषय फिल्में बनाकर मोटा मुनाफा कमाया है, वरन समाज में अंधविश्वास की धारणा को और ज्यादा गहरा करने का काम भी किया है। शायद यही कारण है कि लोगों को हर साँप में इच्छाधारी साँप का रूप नजर आता है और वे सीधे उसे यमलोक पहुँचाने का रास्ता खोजने लगते हैं। अक्सर इस वजह से ही साँप क्रुद्ध हो जाते हैं और वे लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं।

साँपों के बारे में एक यह भी अंधविश्वास व्याप्त है कि साँप अपनी आँखों में मारने वाले का फोटो कैद कर लेता है, जिसे देखकर उसका प्रेमी अथवा प्रेमिका मारने वाले से बदला लेती है। इस अंधविश्वास के कारण ही लोग साँप को मारने के बाद उसकी आँखें तक नष्ट कर देते हैं।

ABHAY
11-01-2011, 05:00 PM
साँपों के बारे में व्याप्त अंधविश्वास के कारण ही लोग उनके काटने पर अक्सर ओझाओं के चक्कर लगाते हैं, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। जबकि यदि ऐसे लोग साँपों के काटने पर नजदीकी अस्पताल जाएँ, तो उन व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है, जिन्हें साँप ने काट हो।

इस प्रकार यह अंधविश्वास एक ओर जहाँ साँपों के लिए खतरनाक सिद्ध हो रहा है, वहीं उसके कारण हर साल सैकड़ों की तादात में मनुष्य भी असमय काल का ग्रास बनने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

ऐसा भी नहीं है कि इन अंधविश्वासों के जालों को साफ करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। चाहे सरकार स्तर पर अथवा गैर सरकारी स्तर पर लोगों को जानकारी प्रदान कर उन्हें अंधविश्वास के कोटरों से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन 'हिस्स' जैसे तमाम प्रयास इस सारे किये-धरे पर एक बार में ही पानी फेर देते हैं। इसलिए यहाँ पर यह सवाल सिर उठा रहा है कि क्या इस तरह की अंधविश्वास फैलाने वाली फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? क्या भारत सरकार को इस बारे में कोई स्पष्ट नीति बनानी चाहिए, जिससे फिल्म और टेलीविजन चैनल आस्था के नाम पर भारत की जनता को गुमराह न कर सकें?

यदि आप इस विषय पर गहराई से कुछ सोचते हैं, तो कृपया अपने विचार अवश्य व्यक्त करें। हो सकता है कि अंधविश्वास के विरूद्ध चलाई जाने वाली मुहिम में आपके विचार ही निर्णायक भूमिका अदा कर जाएँ।

ABHAY
11-01-2011, 05:04 PM
वाइपर से मुठभेड़।

साँप का नाम सुनकर बड़े-बड़ों की नानी याद आ जाती है, फिर जब वह साँप खतरनाम वाइपर हो, तो? पी0एन0 सुब्रमण्यम जी के घर जब एक खतरनाक वाइपर दिखा, तो आप सोच सकते हैं कि उन्होंने क्या किया होगा? उन्हीं की कलम सी लिखी वाइपर से मुठभेड़ की दास्तान उन्हीं के भेजे हुए चित्रों के साथ।भोपाल से वाईपर की यह पहली प्रामाणिक रिपोर्ट मिली है .यह एक बेहद खतरनाक और बड़े विषदंतों वाला जहरीला साँप है ....
तुम्हें तो शार्क चाहिए था, हम तो उस के बाप हैं

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8213&stc=1&d=1294751079

ABHAY
11-01-2011, 05:09 PM
"विषैले सर्प जब काटते हैं तो उनके कटाने कि जगह पर एक या दो दातों के निशान ही होते हैं और जब विषहीन सर्प काटता हैं तो काटने वाली जगह पर कई दातों के निशान होते हैं. क्या ये बात सही है?"
>>>>..दरअसल विषैले सापों के ऊपरी जबड़े के दो कैनाइन सरीखे दांत विशेष रूप से बढ कर विषदंत का रूप ले लेते हैं ...और दंश के समय यही पहले शिकार पर धंसते हैं -ये और दाँतों की तुलना में मोटे होते हैं अतः इनका निशान भी ज्यादा स्पष्ट होता है -कोबरा के विषदंत का निशान तो सूजे के चुभोने सरीखा दिखता है बाकी मोटी सुई चुभोने जैसा दिखते हैं ....विषैले सापों में ऊपर पहले के दो निशान . . मोटे होते हैं और उन्ही के नीचे हल्के निशान दोनों ओर रहते हैं और विषहीन सांप के दंश में विषदंत के मोटे निशान नदारद होते हैं ...बाकी हल्के तो रहते ही हैं ..हाँ हम विषैले सापों का सचित्र वर्णन अवश्य करेगें.

(एक बात आज तक नहीं समझ पाया- मुंशी प्रेम चंद जी ने
"मन्त्र" कहानी क्यों लिखी? ) का उत्तर मैं दे देता हूँ- प्रेमचंद ही नहीं आगे भी कई समादृत साहित्यकारों ने सापों के बारे मे अनर्गल लिखा है ..शिवानी ने एक उपन्यास में लिखा कि विषैले साप को काटते ही मुंह से झाग निकला और दंशित व्यक्ति काल कवलित हो गया ..निश्चय ही उन्हें सापों के बारें में सही जानकारियाँ नहीं थीं या वे हासिल नहीं कर सके ..मगर उनकी कहानियों के अन्य सामाजिक तथ्यों के हम अनदेखी नहीं कर सकते ..वे अपने काल के महान रचनाकारों में से थे....

ABHAY
11-01-2011, 05:11 PM
दन्त हा हः हा भागो
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8214&stc=1&d=1294751443

ABHAY
11-01-2011, 05:14 PM
.और फन फैलाए फुफकारता नाग रास्ता रोक कर खड़ा हो गया ....!

यह सचमुच एक सुखद आश्चर्य है कि अभी तक उत्तर प्रदेश से सर्पदंश का कोई समाचार मुझे सुनायी दिखाई नहीं दिया है ...जबकि पिछले वर्षों जून माह आया नहीं कि सर्पदंश की खबरें अखबारों की सुर्खियाँ बनने लगती थी. मगर अब तो जुलाई माह भी आ गया है जो कई विषहीन सापों के साथ ही कोबरा और करइत जैसे विषैले साँप का प्रजनन काल है -उनका जोड़ा बनाने का समय है .जाहिर है यह समय सापों की सबसे अधिक गतिविधि का समय है ...और इस समय सबसे अधिक सावधानी भी अपेक्षित है ..इस समय फन वाला कोबरा /नाग बहुत आक्रामक भी हो जाता है ...और अगर कोई बार बार इनके वास स्थल /प्रणय स्थल से गुजरता है तो उसे ये खदेड़ कर भी काट सकते हैं ..
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8215&stc=1&d=1294751636
अरे डरिये नहीं यह प्लास्टिक का कोबरा है .....

ABHAY
11-01-2011, 05:15 PM
अगर कोबरा खदेड़ ले या आपके रास्ते के ठीक सामने फन काढ़े खड़ा हो जाय तब ? बहुतों की घिग्घी बध ही जायेगी .ऐसे हालात में आप जरा बुद्धि चातुर्य दिखाएँ -पास में कोई भी कपडा ,गमछा आदि हो तो उसे साँप पर फेक कर चलता बनें ...और कुछ न हो तो रूमाल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं ..अपनी ओर आते वस्त्र से यह उलझ जाएगा और इस बीच आपको भाग लेने का मौका मिल जाएगा ...रुमाल बहुत छोटी है तो शर्ट भी फुर्ती से निकाल कर उस पर फेक सकते हैं ...पिछली गर्मी में एक वाकया हुआ ..मेरे एक परिजन ने बताया कि मनरेगा के अधीन जब वे गाँव की परिधि पर मजदूरों से नाली खुदवा रहे थे तो कोबरा महराज प्रगट हो गए ...और वे वहां से भागना चाहे तो कोबरा ठीक उनका रास्ता रोककर खड़ा हो गया ..मानो दो चार हाथ कर लेने पर आमादा हो ...उनके तो होश फाख्ता ....फिर उन्होंने मेरी पहले ही बताई गयी ट्रिक अपनाई-जेब से अपना रूमाल निकाल कर लहराकर उसकी ओर फेका ...कोबरा उससे उलझा गया और वे तब तक किनारे से भाग लिए ....

ABHAY
11-01-2011, 05:16 PM
कोबरा की कुछ किस्में हैं जिनके पहचान के लक्षण अलग अलग हैं -एक के फन पर चश्में का दो निशान होता है तो एक पर केवल एक और एक पर कोई निशान नहीं ..पर्यावरण के हिसाब से वे बिलकुल काले और भूरे हो सकते हैं और एक लगभग अल्बिनो किस्म है जो गेहूं के रंग की होती है जिसे पूर्वांचल में गेहुँअन बोलते हैं . कोबरा और दूसरे सापों की देखने की क्षमता बहुत तीक्ष्ण होती है ...इसीलिये तो सापों को संस्कृत में चक्षुश्रवा कहा गया है मतलब आँख से ही देखने सुनने दोनों का काम क्योंकि साँप को तो कान होते ही नहीं ...तो अगर आप ग्राम्य वासी हैं या व्याह शादी या किसी और भी सामाजिक कार्य से मुल्क /गाँव जा रहे हैं तो इस माह ख़ास तौर पर कोबरा से सावधान रहें -बचाव हमेशा इलाज से बेहतर है न ....कोबरा या नाग या किसी भी सांप से जुड़े किसी भी प्रश्न का हम सहर्ष उत्तर देगें ..यह ब्लॉग साँपों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर के लिए ही बनाया गया है ....साँपों से प्रत्येक वर्ष भारत में ३० हजार लोगों की अकाल और बहुत ही दर्दनाक मृत्य हो जाती है ....आप और हम मिलकर इस संख्या में कमी ला सकते हैं .....

ABHAY
11-01-2011, 05:19 PM
...उन्होंने जब मंत्र पढ़ना शुरू किया, तो साँप अपना ज़हर चूसने के लिए मजबूर हो गया।
"मेरे जीवन की यह एक ऐसी अविश्वसनीय घटना है, जिसपर यकीन करना मुश्किल है। लेकिन आँखों देखी बात है, इसलिए उसपर यकीन न करने का कोई कारण ही नहीं। हुआ यूँ कि मैं अपने गाँव गया था, वह बाँदा जिले के आउटर साइड में पड़ता है। बस स्टैण्ड पर उतरने के बाद मैं ताँगे पर बैठ गया। ताँगा अभी थोड़ी दूर ही चला था कि एक जगह से कुछ महिलाओं की रोने की आवाजें आने लगीं। मैंने जिज्ञाशावस ताँगेवाले से पूछा।

ताँगे वाला बोला- वह सामने पीपल का पेड़ देख रहे हैं आप, वहीं पर कोई नाग बाबा से साँप का ज़हर झड़वाने आया होगा। वे बहुत पहँचे हुए बाबा हैं। कितने भी जहरीले साँप ने काटा हो, उनके पास अगर आदमी पहुँच जाए, तो फिर वे साँप को ज़हर निकालने को मजबूर कर देते हैं।
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8216&stc=1&d=1294751941

ABHAY
11-01-2011, 05:20 PM
उसकी बात सुनकर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने ताँगा रूकवाया और नाग बाबा के पास जा पहुँचा। पीपल के पेड़ के नीचे काफी लोग जमा थे। भीड़ के बीचोबीच एक आदमी जमीन पर लेटा हुआ था। उसके पास ही एक बाबाजी कोई मंत्र पढ़ रहे थे। साथ ही साथ वह एक लोटे से पानी जैसा पदार्थ जमीन पर लेटे हुए व्यक्ति पर डालते जा रहे थे।

कुछ ही देर में चमत्कार सा हो गया। जमीन पर लेटा हुआ व्यक्ति उठ गया। यह देखकर उसके घर वाले बाबा के पैरों पर गिर पड़े। बाबा जी यह देखकर प्रसन्न हो गये और उन्हें अपना आशीर्वाद देने लगे।"

ABHAY
11-01-2011, 05:21 PM
मैंने अपने दोस्त को समझाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन मैं पूरी तरह से विफल रहा। अब उसे कैसे बताया जाए कि साँपों की कुल 2600 प्रजातियों में सिर्फ 270 ही ऐसी हैं, जो विषैली होती हैं। इनमें से भी सिर्फ 25 प्रजातियाँ ऐसी होती हैं, जिनके काटने से मनुष्य की मृत्यु होती है। आम आदमी ज़हरीले साँपों और विष रहित साँपों में फर्क नहीं कर पाता है। साँप के काटने पर आदमी इतना भयभीत हो जाता है कि उसे कुछ सूझता ही नहीं। आम आदमी में साँप का भय इतना ज्यादा है कि विष रहित साँप के काटने पर भी उसे कोबरा नाग समझ लेता है। ऐसे में उसे मानसिक रूप से आघात लगता है और वह मरणासन्न जैसी अवस्था में जा पहुँचता है। साँपों के प्रति प्रचलित इसी भय का लाभ उठाकर ओझा और बाबा लोगों को ठगते हैं। यही कारण है कि विष रहित साँप के काटने पर तो लोग ओझा के पास जाकर मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण बच जाते हैं, लेकिन विषैले साँप के काटने पर मर जाते हैं। ऐसे में ओझा लोग यह कहते हैं कि आपने इसे हमारे पास लाने में बहुत देर कर दी। अगर आप थोड़ी देर पहले हमारे पास आ गये होते, तो यह जरूर बच जाता।

साँप काटने की दशा में यदि प्रभावित व्यक्ति को साँप झाड़ने वाले ओझाओं के पास जाने के बजाए यदि सक्षम डाक्टर के पास ले जाया जाए और एंटीवेनम लगवाया जाए, तो जहरीले साँप के काटने पर भी रोगी को बचाया जा सकता है।

ABHAY
11-01-2011, 05:30 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8217&stc=1&d=1294752566


http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8218&stc=1&d=1294752566
यह धर्म के नाम पर अविश्वास फैलाने वाले कुचालियों की कुचाल है .हाँ ,दो मुंह वाले सांप जरूर पाए गए हैं जो प्रक्रति के विद्रूप परिहास के परिणाम हैं .मगर यह पंचमुखी तो श्रावण माह के महात्म्य को लक्षित कर श्रद्धालुओं की आँखों को नतमस्तक करने के लिए ही है ...यह बनावटी प्लास्टक का सांप है ...ध्यान से देखिये ....कारीगर की तारीफ़ करनी होगी बिल्कुल धामन सांप से मिला दिया है.

VIDROHI NAYAK
11-01-2011, 05:52 PM
अत्यंत ज्ञान वर्धक जानकारियाँ ! धन्यवाद !

ABHAY
11-01-2011, 06:57 PM
अत्यंत ज्ञान वर्धक जानकारियाँ ! धन्यवाद !

शुक्रिया भाई स्वागत है आपका और कोई तों आया नहीं :cheers::cheers:

VIDROHI NAYAK
11-01-2011, 07:21 PM
इस फोरम में ही काफी लोग घट गए हैं ... की वज़ह से !

YUVRAJ
11-01-2011, 07:27 PM
गजब की जानकारी भाई अभय जी ... :cheers:
आप प्रसंसा :good: और धन्यवाद :thank-you: के पात्र हैं...:clap:
:bravo::bravo::bravo:

khalid
11-01-2011, 07:41 PM
अत्यंत लाजवाब सुत्र का निर्माण किया है अभय
धन्यवाद