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View Full Version : गणित की खुबशूरती !!!


YUVRAJ
14-01-2011, 09:19 AM
१ x ८ + १ = ९

१२ x ८ + २ = ९८

१२३ x ८ + ३ = ९८७

१२३४ x ८ + ४ = ९८७६

१२३४५ x ८ + ५ = ९८७६५

१२३४५६ x ८ + ६ = ९८७६५४

१२३४५६७ x ८ + ७ = ९८७६५४३

१२३४५६७८ x ८ + ८ = ९८७६५४३२

१२३४५६७८९ x ८ + ९ = ९८७६५४३२१

YUVRAJ
14-01-2011, 09:20 AM
१ x ९ + २ = ११

१२ x ९ + ३ = १११

१२३ x ९ + ४ = ११११

१२३४ x ९ + ५ = १११११

१२३४५ x ९ + ६ = ११११११

१२३४५६ x ९ + ७ = १११११११

१२३४५६७ x ९ + ८ = ११११११११

१२३४५६७८ x ९ + ९ = १११११११११

१२३४५६७८९ x ९ + १० = ११११११११११

YUVRAJ
14-01-2011, 09:22 AM
९ x ९ + ७ = ८८

९८ x ९ + ६ = ८८८

९८७ x ९ + ५ = ८८८८

९८७६ x ९ + ४ = ८८८८८

९८७६५ x ९ + ३ = ८८८८८८

९८७६५४ x ९ + २ = ८८८८८८८

९८७६५४३ x ९ + १ = ८८८८८८८८

९८७६५४३२ x ९ + ० = ८८८८८८८८८



है ना मजेदार !!!

YUVRAJ
14-01-2011, 09:24 AM
अब इस symmetry को भी देखें ...



१ x १ = १

११ x ११ = १२१

१११ x १११ = १२३२१

११११ x ११११ = १२३४३२१

१११११ x १११११ = १२३४५४३२१

११११११ x ११११११ = १२३४५६५४३२१

१११११११ x १११११११ = १२३४५६७६५४३२१

११११११११ x ११११११११ = १२३४५६७८७६५४३२१

१११११११११ x १११११११११ =१२३४५६७८९८७६५४३२१

Sikandar_Khan
14-01-2011, 10:10 AM
बहुत ही बढियां भाई
एकदम नया

khalid
14-01-2011, 10:42 AM
बहुत ही बढियां भाई
एकदम नया

हाँ आप के लिए लेकिन मेरे लिए
सोचना परेगा
क्योँ की 100 इस के आगे की गीनती के लिए पडोसियोँ के पास जाना परता हैँ

SHASHI
14-01-2011, 10:51 AM
क्या बात है युव्राज्जी, गणित का गणित कोई आपसे सीखे, बहुत बढ़िया है :bravo:

YUVRAJ
15-01-2011, 12:05 AM
aap sabhi mitro ka aabhar....:cheers:
बहुत ही बढियां भाई
एकदम नया

हाँ आप के लिए लेकिन मेरे लिए
सोचना परेगा
क्योँ की 100 इस के आगे की गीनती के लिए पडोसियोँ के पास जाना परता हैँ

क्या बात है युव्राज्जी, गणित का गणित कोई आपसे सीखे, बहुत बढ़िया है :bravo:

Kumar Anil
15-01-2011, 07:22 AM
aap sabhi mitro ka aabhar....:cheers:

कठिन को सरल और रोचक कर हमारे लिये प्रस्तुत करने पर निस्संदेह आप बधाई के पात्र हैँ । युवी दि ग्रेट क्या आप इस गुत्थी को सुलझा सकते हैँ कि हम अपने जीवन की सरलता को तजकर उसे कठिन बनाने पर क्योँ आमादा हैँ ?

YUVRAJ
15-01-2011, 07:55 AM
अहा हा हा हा हा ...:lol:
गजब का प्रश्न है कुमार भाई जी ....:eek:
मेरा अनुमान है कि आज के समय में हम दिखावे पर अधिक गौर करते हैं मिट्टी के अखाड़े की बजाय जिम जाते हैं, प्रभू के दिए इस शरीर को लोहा उठा उठा कर बिगाड़ने के लिये/ खादी, सूती और रेशम को त्याग कर अन्य अप्राकृतिक वस्त्रों को महत्त्व देते हैं अरे भाई जी दिखावा जो जरूरी हो गया है/
हम प्रकृति से दूर जो होते जा रहे हैं और अप्राकृतिक को अपना कर वैभव दिखाने की चाह में डूबते जा रहे हैं/
पड़ोसी जो कल तक हमारे सुख :bakar: दुखः :ill: के साथी हुआ करते थे आज हमारे सब से प्रबल प्रतिद्वंदी :quarrel: जो हैं ...
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:cheers:कठिन को सरल और रोचक कर हमारे लिये प्रस्तुत करने पर निस्संदेह आप बधाई के पात्र हैँ । युवी दि ग्रेट क्या आप इस गुत्थी को सुलझा सकते हैँ कि हम अपने जीवन की सरलता को तजकर उसे कठिन बनाने पर क्योँ आमादा हैँ ?