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View Full Version : फस गए रे ओबामा (२०१०) फिल्म समीक्षा!


jitendragarg
22-01-2011, 08:01 AM
सुभास कपूर द्वारा निर्देशित और नेहा धूपिया, रजत कपूर जैसे कलाकारों से सजी फस गए रे ओबामा, वैश्विक मंदी के दौर के समय की एक हास्य फिल्म है. फिल्म को दुनिया भर के दर्शकों से मिली सराहना, एकदम खरी है!

http://2.bp.blogspot.com/__9zmB2bCW6I/TNogvepwj-I/AAAAAAAAAk8/eklVpul1c2c/s1600/phas_gaye_re_obama.jpg

फिल्म की शुरुआत बहुत ही साधारण है! लगता है, फिर वही "मुझे अमेरिका जाना है", वाली घिसी पिटी कहानी है! पर कुछ देर में फिल्म का रुख ऐसे बदलता है, कि लगता है, बैठे बैठे दुसरे सिनेमा हॉल में घुस गए! फिल्म का आखरी एक घंटा कहानी जो तेजी से चलती है, सोचने का भी समय नहीं रहता.

हालाँकि, शुरुआत के अलावा, फिल्म का संगीत भी काफी कमजोर है. फिल्मांकन गज़ब का है, पर पृष्ठभूमि में बजने वाला संगीत इतना कमजोर है, कि अच्छे अच्छे द्रश्यों को खोखला कर देता है!

सिर्फ कहानी इतनी अच्छी है, कि फिल्म के पैसे वसूल हो जाते है! अगर आप कलाकारों या संगीत को एक तरफ रख कर कहानी को देख सकते है, तो फस गए रे ओबामा, आपको जरूर पसंद आएगी.

IMDB link (http://www.imdb.com/title/tt1773015/)

abhisays
22-01-2011, 08:34 AM
बहुत ही अच्छी समीक्षा है ....:bravo::bravo::bravo:

ndhebar
22-01-2011, 10:17 AM
अगर आप कलाकारों या संगीत को एक तरफ रख कर कहानी को देख सकते है, तो फस गए रे ओबामा, आपको जरूर पसंद आएगी.

कलाकारों से क्या समस्या है भाई
सब ने एक से बढ़कर एक अभिनय किया है और रही बात संगीत की तो
ऐसी फ़िल्में जिन दर्शकों को ध्यान में रखकर बनायीं जाती है उन्हें सिर्फ कहानी और अभिनय चाहिए

jitendragarg
22-01-2011, 06:37 PM
कलाकारों से क्या समस्या है भाई
सब ने एक से बढ़कर एक अभिनय किया है और रही बात संगीत की तो
ऐसी फ़िल्में जिन दर्शकों को ध्यान में रखकर बनायीं जाती है उन्हें सिर्फ कहानी और अभिनय चाहिए

सही कहा, पर कुछ कलाकार अपनी पूरी छमता से अभिनय नहीं कर पाए. कई द्रश्य ऐसे है, जहाँ प्रियदर्शन की "सब एक साथ" वाली बात आ जाती है, और ऐसे द्रश्य में कोई भी कलाकार सही अभिनय नहीं कर पता.

संगीत की बात करे, तो मिर्च जैसी फिल्म में भी गज़ब का संगीत था. और संगीत का मतलब सिर्फ गाना ही नहीं होता. प्रष्ठभूमि में बजने वाला संगीत भी महत्व रखता है, जो कि अभिनय जितना ही जरूरी है. पर इधर वो द्रश्य को आकर्षित बनाने कि बजाये उससे ध्यान हटाता है. खैर ये मेरी अपनी राय है, जरूरी नहीं, कि हर व्यक्ति ऐसा ही सोचे.

:cheers: