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View Full Version : स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ


teji
23-01-2011, 09:07 AM
प्यारे दोस्तों :welcome:

आज मैं लेकर आई हूँ iPod और iPhone बनाने वाली कंपनी Apple के founder Steve Jobs के जीवन की तीन कहानिया जो आपकी जिंदगी भी बदल सकती हैं.

http://i.zdnet.com/blogs/steve_jobs_1.jpg

जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपति का नाम लिया जाता है तो उसमे कोई और नाम भले हो न हो, एक नाम ज़रूर होता है. और वो नाम है स्टीव जोब्स का.

apple नामक विशाल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जोब्स को पूरी दुनिया एक महान अभियंता, उद्योगपति, शानदार स्पीकर और दूरदर्शी के रूप में जानती है. आज जो स्पीच आप यहाँ पढने जा रहे है वो उन्होंने स्तान्फोर्ड विश्वविद्यालय के दिक्शंथ समारोह में १२ जून २००५ को दिया था.

teji
23-01-2011, 09:10 AM
steve jobs convocation speech at stanford university


धन्यवाद; आज विश्व के सबसे शानदार कॉलेज में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित मह्सुश कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं ; मैं कभी किसी कॉलेज से पास नहीं हुआ; और आज पहली बार मैं किसी कॉलेज के दीक्षांत समारोह के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानिया सुनाना चाहूँगा... ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानिया.

teji
23-01-2011, 09:11 AM
मेरी पहली कहानी, डोट्स जोड़ने के बारे में है. रीड कॉलेज में दाखिला लेने के ६ महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके १८ महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने कॉलेज क्यों छोड़ा? ....असल में, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है.

teji
23-01-2011, 09:13 AM
मुझे जन्म देने वाली माँ एक जवान, अविवाहित कॉलेज स्टुडेंट थी, और वह मुझे किसी और को गोद देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी की कोई कॉलेज स्नाथक ही मुझे गोद ले. सबकुछ बिलकुल निश्चित था और मैं एक वकील और उसकी पत्नी के द्वारा गोद किया जाने वाला था कि अचानक उस दंपत्ति ने अपना विचार बदल दिया और निर्णय किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे वर्तमान माता पिता, जो तब कतार में थे, को फ़ोन करके बोला गया कि , “हमारे पास एक बच्चा है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी. बाद में मुझे जन्म देने वाली माँ को पता चला कि मेरी माँ कॉलेज पास नहीं हैं और पिता तो हाई स्कूल भी पास नहीं हैं तो उन्होंने गोद देने वाले कागज़ पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले माता पिता के मुझे कॉलेज भेजने के आश्वाशन के बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं कॉलेज गया..पर गलती से मैंने स्तान्फोर्ड जितना ही महंगा कॉलेज चुन लिया. मेरे काम काजी माता पिता की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी. 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी.मुझे कुछ आईडिया नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और कॉलेज मुझे किस तरह से इसमें मदद करेगा..और ऊपर से मैं अपने माता पिता के जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज छोड़ने का निर्णय लिए...और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा निर्णय था.

teji
23-01-2011, 09:17 AM
http://www.iphonespies.com/wp-content/uploads/2009/12/young_steve_jobs2.jpg

जैसे ही मैंने कॉलेज छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी क्लास करने की बाध्यता खत्म हो गयी. और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने मतलब की क्लास करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई कमरा भी नहीं था , इसलिए मुझे दोस्तों के कमरे में फर्श पे सोना पड़ता था. मैं काके की बोतल को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था. मैं हर इतवार 7 मील पैदल चल कर हरे कृष्ण मंदिर जाता था, ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था.

teji
23-01-2011, 09:19 AM
http://www.wired.com/images_blogs/photos/uncategorized/jobs1984.jpg


मैंने अपने जीवन में जो भी अपनी कौतुहल और अन्तर्ज्ञान की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए अमूल्य साबित हुआ. मैं आपको एक उदहारण देता हूँ. उस समय रीड कॉलेज शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ सुलेखन सिखाई जाती थी. पूरे कॉलेज में हर एक पोस्टर, हर एक लेबल बड़ी खूबसूरती से हांथों से सुलेख किया होता था. चूँकि मैं कॉलेज से निकल चुका था इसलिए मुझे साधारण क्लास करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं सुलेखन की क्लास करूँगा और इसे अछ्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में सीखा.; अलग-अलग अक्षरो के मेल के बीच में space बदली करना और किसी अच्छी मुद्रण कला को क्या चीज अच्छा बनाती है , यह भी सीखा . यह खूबसूरत था, इतना कलात्मक था कि इसे विज्ञानं द्वारा हासिल नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था. उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का इस्तेमाल कभी अपने जीवन में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh कंप्यूटर बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में डिजाईन कर दिया. और Mac खूबसूरत मुद्रण कला युक्त दुनिया का पहला कंप्यूटर बन गया. अगर मैंने कॉलेज से नहीं निकलता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते, और चूँकि Windows ने Mac की नक़ल की थी तो शायद ये किसी भी कंप्यूटर में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी कॉलेज नहीं छोड़ा होता तो मैं कभी सुलेखन की वो क्लास नहीं कर पाता और फिर शायद कंप्यूटर में जो फॉन्ट होते हैं, वो होते ही नहीं.

teji
23-01-2011, 09:21 AM
http://edibleapple.com/wp-content/uploads/2009/12/jobs-highschool-graduation.jpg


जब मैं कॉलेज में था तब भविष्य में देख कर इन बिन्दुओ को जोड़ना असंभव था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी भविष्य में झांक कर बिन्दुओ को जोड़ नहीं सकते हैं. आप सिर्फ भूत में ही देखकर ही बिन्दुओ को जोड़ सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके भविष्य से जुड़ जायेगा.

आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा ---अपने साहस पर, अपनी क़िस्मत में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में...किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा...क्योंकि इस बात में विश्वास करना की आगे चल कर बिंदु जुड़ेंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा...तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे...

teji
23-01-2011, 09:23 AM
मेरी दूसरी कहानी, प्यार और नुक्सान के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने माता पिता के गैराज से Apple कम्पनी की शुरुआत की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion और 4000 लोगों की कम्पनी बन गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपना सबसे अच्छा प्रोडक्ट Macintosh रिलीज़ किया था, मैं तीस का हो गया था और मुझे कम्पनी से निकाल दिया गया.

teji
23-01-2011, 09:27 AM
http://harishragunathan.files.wordpress.com/2010/07/steve-jobs_3-with-sculley.jpg
आप अपनी बनायीं हुई कम्पनी से कैसे निकला जा सकता है? जैसे जैसे कम्पनी बढ़ी, हमने एक ऐसे गुणी आदमी को कम्पनी में रखा, जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ कम्पनी अच्छी रन करेगा, पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला लेकिन फिर कंपनी के भविष्य को लेके हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात निदेशक मंडल तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया, तब मैं ३० साल का था और उस वक़्त मुझे मेरी ही कंपनी से निकाल दिया गया...सरेआम निकाल दिया गया. जो मेरी पूड़े व्यस्क जीवन का केंद्र बिंदु था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.

teji
23-01-2011, 09:29 AM
http://harishragunathan.files.wordpress.com/2010/07/1976_steve_jobs3.jpg

मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से मान के मैंने अपने पीढ़ी के उद्योगपतियों को नीचा दिखाया है. मैं David Packard और Bob Noyce से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा सार्वजनिक विफलता थी, एक बार तो मैंने valley छोड़ कर जाने की भी सोची. पर धीरे – धीरे मुझे अहसास हुआ की मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे जोश में ज़रा भी कमी नहीं आई है....मुझे खारिज कर दिया गया, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता था. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है की Apple से निकाले जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. सफल होने का बोझ अब नवागत होने के हल्केपन में बदल चूका था, मैं एक बार फिर खुद को बहुत ही आजाद महसूस कर रहा था...इस स्वछंदता की वज़ह से मैं अपने जीवन की सबसे रचनात्मक पलो में जा पाया.

teji
23-01-2011, 09:32 AM
http://graphics8.nytimes.com/images/2008/06/01/business/01pixar.xlarge1.jpg

अगले पांच सालों में मैंने एक कंपनी... NeXT और एक दूसरी कंपनी Pixar स्टार्ट की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही अद्भूत महिला से हुई, जो आगे चलकर मेरी पत्नी बनी. Pixar ने दुनिया की पहली कंप्यूटर animated मूवी , “ Toy Story” बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation स्टूडियो है. Apple ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT द्वारा विकशित की गयी तकनीक प्रयोग करती है....अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल विश्वास के साथ कह सकता हूँ की अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी ...पर शायद मरीज़ को इसकी ज़रूरत थी. कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वाश मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था...

teji
23-01-2011, 09:34 AM
आप वास्तव में क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने जीवन के लक्ष्य को दूंदना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच पसंद करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और सही में संतुष्ट होने का एक ही तरीका है की
आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करने में आप को मज़ा आता हो. यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत..उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है...वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा...और जैसा की किसी अच्छी सम्बन्ध में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ....इसलिए खोजते रहिये...रूकिये मत

teji
23-01-2011, 09:36 AM
मेरी तीसरी कहानी मृत्यु के बारे में है. जब मैं 17 साल का था तो मैंने एक जगह पढ़ा था, जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जिए जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखिरी दिन है ..तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक जगह बना दी, और तबसे...पिछले ३३ सालों से , मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है , “ अगर ये मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?” और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है , मैं समझ जाता हूँ की कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी जीवन के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है , क्योंकि जब एक बार मृत्यु के बारे में सोचता हूँ तब सारी आशाएं, सारा घमंड, असफल होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है...किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है.

teji
23-01-2011, 09:38 AM
आप पहले से ही नंगे हैं.ऐसा कोई कारण नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने. .करीब एक साल पहले पता चला की मुझे कैंसर है. सुबह 7:30 बजे मेरा स्कैन हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था की मेरे pancreas में tumour है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लगभग यकीन के साथ बताया की मुझे एक ऐसा कैंसर है जिसका इलाज़ संभव नहीं है..और अब मैं बस ३ से ६ महीने का मेहमान हूँ. डॉक्टर ने सलाह दी की मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका असल में मतलब होता है कि , “आप मरने की तैयरी कर लीजिए.” इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते , वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपके परिवार को कम से कम परेशानी हो.इसका ये मतलब होता है की आप सबको अलविदा कर दीजिए.

teji
23-01-2011, 09:39 AM
मैंने इस परिक्षण के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से टुय्मर से कुछ cells निकाले गए. मैं तो बेहोश था , पर मेरी पत्नी, जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया की जब डॉक्टर ने मिक्रोस्कोप से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा...दरअसल cells देखकर डॉक्टर समझ गया की मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का pancreatic cancer है जो सर्जेरी से ठीक हो सकता है. मेरी सर्जेरी हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.

teji
23-01-2011, 09:41 AM
http://sixminutes.dlugan.com/wp-content/uploads/2008/05/present-like-steve-jobs.jpg


मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा , और उम्मीद करता हूँ की अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वाश के साथ कह सकता हूँ की death एक useful but intellectual concept है.कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक की जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी...फिर भी मौत वो मजिल है जिसे हम सब share करते हैं.आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है. ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं... कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे. इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है.आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को मत डूबने दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौड़ है.

teji
23-01-2011, 09:43 AM
जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत प्रकाशन, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी पीढ़ी में bible की तरह था. इसे स्टुअर्ट ब्रांड नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ ... MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, और उसने इसे अपना कवि वाला स्पर्श दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब कंप्यूटर नहीं हुआ करता था.

teji
23-01-2011, 09:45 AM
http://www.publishingservices.in/wp-content/uploads/2010/10/steve-jobs.jpg

पूरी सूचि टंकण मशीन, क़ैंची और पोलारिड कैमरा की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो गूगल को एक खिताब के रूप में कर दिया गया हो....वो भी गूगल के आने के ३५ साल पहले. वह एक आदर्श था, अच्छे चीजों और महान विचारों से भरा हुआ था.

स्टुअर्ट और उनकी टीम ने “The Whole Earth Catalogue” के कई संस्करण निकाले और अंत में एक अंतिम संस्करण निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था. अंतिम संस्करण के पिछले कवर पर प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था...वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप रोमांच पसंद करते हों तो किसी से लिफ्ट माँगना चाहेंगे. और उस तस्वीर के नीचे लिखा था, “Stay Hungry, Stay Foolish”.. ये उनका आखिरी सन्देश था जब उन्होंने अलविदा किया..., “Stay Hungry, Stay Foolish” और मैंने अपने लिए हमेशा यही तमन्ना की है, और अब जब आप लोग यहाँ से पास होकर निकल रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही आरज़ू करता हूँ , stay hungry, stay foolish.

आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

teji
23-01-2011, 09:47 AM
:banalama: The End :banalama:

abhisays
23-01-2011, 06:10 PM
यह एक एतिहासिक स्पीच था. शेयर करने के लिया धन्यवाद्. इसका विडियो भी उपलब्ध है.


UF8uR6Z6KLc

arvind
24-01-2011, 12:55 PM
तेजी जी,
आपकी जितनी तारीफ की जाय, कम होगा।
आपके इस एक सूत्र ने फोरम के मकसद को एक नयी परिभाषा दी है।
आपको कोटि-कोटि धन्यवाद।

teji
06-02-2011, 08:04 PM
तेजी जी,
आपकी जितनी तारीफ की जाय, कम होगा।
आपके इस एक सूत्र ने फोरम के मकसद को एक नयी परिभाषा दी है।
आपको कोटि-कोटि धन्यवाद।

थैंक्स अरविन्द पाजी.

amit_tiwari
06-02-2011, 09:43 PM
बेहद बेहद बेहद प्रेरणास्पद थ्रेड !!!!

rahul
06-02-2011, 10:33 PM
I will never forget these lines.

Great job Teji, thanks for sharing this wonderful speech in Hindi.

teji
18-02-2011, 06:22 AM
I will never forget these lines.

Great job Teji, thanks for sharing this wonderful speech in Hindi.


Thanks Rahul.

kalpna
22-02-2011, 10:57 AM
दुनिया बहुत सुन्दर है बताये :think:

Gopal
01-03-2011, 12:52 AM
Well done guys...jitni tareef ki jaye kam hai.

arvind
07-03-2011, 02:33 PM
1970 में स्टीव जोन्स ने स्टीव वाइजनैक व माइक मारकुला के साथ मिलकर एप्पल की नीव रखी। 1980 के शुरुआती दिनों मे जोन्स ने मैकिनटोस का निर्माण किया। लेकिन 1984 में कंपनी के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर से मतभेद होने के कारण एप्पल से इस्तीफा दे दिया आर नेक्स्ट नाम की कंपनी बना ली। फिर 1996 में एप्पल ने नेक्स्ट का अधिग्रहण कर लिया और जोन्स फिर एप्पल से जुड़ गए। गुस्सैल स्वभाव के स्टीव ने एप्पल को 15 साल पहले तब नया जीवन दिया, जब कम्प्युटर सॉफ्टवेर बनानेवाली कंपनी माइक्रोसॉफ़्ट के बढ़ते प्रभुत्व से अन्य आईटी कंपनियाँ खत्म हो रही थी। वह कंपनी के संस्थापक सदस्य है। एप्पल के मैक कम्प्युटर और लैपटाप के बाद 2007 मे कंपनी ने आइ फोन लांच करके तहलका मचा दिया था। बाद मे कई अन्य कंपनियों ने टच स्क्रीन फोन बाजार मे उतारा, लेकिन किसी को आइ फोन जैसी सफलता नहीं मिली। पिछले वर्ष जोन्स की ही अगुवाई मे एप्पल ने टैबलेट कम्प्युटर आइ पैड लांच किया, जो एक बार फिर से हिट रहा। एप्पल अपने आइ पोड के लिए पहले से ही जाना जाता रहा है। जानकारो का कहना है कि एप्पल ने बाजार में जो जगह बना ली है, उसे हथियाना आसान नहीं है। लेकिन अगर जोन्स लंबे समय तक कंपनी के काम काज से अलग रहते है, तो कंपनी की साख पर असर पड़ सकता है। अगर जोन्स की जगह कोई ले सकता है, तो वह टिम कुक है। कुक को 2005 मे कंपनी का सीओओ बनाया गया था। वह तकनीकी रूप से बेमिशाल माने जाते हैं। 2009 मे लीवर ट्रांसप्लांट के लिए जब जोन्स ने छह महीने की छुट्टी ली, तो कुक ने ही कंपनी के कामकाज को संभाला था।

arvind
07-03-2011, 02:35 PM
जिसने सूचना क्रांति को पूरी दुनिया में एक आयाम दिया, जिसके हर उत्पाद ने विश्व में धूम मचा दी, जिसके हर उत्पाद का गैजेट प्रेमियों को इंतजार रहता है, वह आज खुद अपनी मौत का इंतज़ार कर रहा है। वह शख्स, छह अरब डॉलर का मालिक है और आज भी उसका मूल मंत्र है - "स्टे हंगरी, स्टे फूलिश"। उसका नाम है - स्टीव जोन्स। एप्पल के संस्थापक सीईओ स्टीव जोन्स को कैंसर की बीमारी है। यह बीमारी लाइलाज है। डाक्टरों की मानें, तो स्टीव जोन्स के पास केवल छह हफ्ते का समय है। आइफोन बनानेवाली अमेरिकी कंपनी एप्पल के संस्थापक की जिंदगी खतरे में है। अगर किसी शख्स को यह पता चल जाये कि वह कुछ ही दिनों का मेहमान है, तो इसी डर से ही सारा काम छोड़ देगा। लेकिन ऐसा लगता है कि 55 वर्षीय स्टीव जोन्स इससे बिल्कुल भी विचलित नहीं है।

मीडिया में ऐसी खबरे आयी है कि एप्पल के सीईओ को डॉक्टर ने कह दिया है कि वह छह हफ्ते का मेहमान है। लेकिन हाल ही में उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कि उद्योगपतियों के साथ बैठक में देखा गया। तस्वीरों से ऐसा लग रहा था कि वह स्वस्थ नहीं है। लेकिन चेहरे के हावभाव से जाहिर हो रहा था कि उनपर मौत का डर हावी नहीं है और वह जिंदगी के बचे हुए वक़्त में भी कुछ करना चाहते है।

arvind
07-03-2011, 02:35 PM
24 फरवरी 1955 को अमेरिका के सन फ्रांसिस्को शहर में जन्मे स्टीवन पॉल जोन्स पहले भी कई बीमारियों से पीड़ित रहे है। इसके बावजूद उनकी दिनचर्या में बदलाव नहीं आया। काफी पहले बौद्ध धर्म अपना चुके जोन्स ने 2004 में कर्मचारियों को संबोधित करते हुये कहा था कि उन्हें लीवर में कैंसर हो गया है। उनके लीवर के ट्यूमर का मुश्किल ऑपरेशन किया गया। हालांकि इस ट्यूमर को जानलेवा नहीं बताया गया, लेकिन इससे सेहत बुरी तरह प्रभावित होती है। 2006 में भी ऐसी खबरें आयी थी कि जोन्स बीमार है, लेकिन उन्होने इसका खंडन किया था। 14 जनवरी 2009 को कर्मचारियों को किये मेल मे जोन्स ने लिखा था: जैसा मै सोचता था, उसके विपरीत मेरा स्वास्थ्य खराब है। इसलिए मै छह महीने की छुट्टी लेता हूँ। अप्रैल 2009 में जोन्स ने लीवर ट्रांसप्लांट करा लिया। छुट्टी से लौटने के बाद वह काफी दुबले हो गए थे। फिर भी पहले की तरह की कंपनी को आगे ले जाने की योजना पर अमल करते रहे। लेकिन जब स्वास्थ्य खराब होने लगा, तो एप्पल को नयी ऊंचाईयों तक पहुचानेवाले दूरदर्शी सीईओ जोन्स ने कर्मियों को इस मेल किया: मेरे अनुरोध पर कंपनी के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर ने मुझे मेडिकल छुट्टी दे दी है, ताकि मैं अपनी सेहत पर ध्यान दे सकूँ। पहले एप्पल इस बात की सूचना देता रहा है की जोन्स कब काम पर लौटेंगे। लेकिन इस बार नहीं बताया कि वह कब लौट रहे हैं। इससे साफ जाहिर है कि उनकी सेहत अच्छी नहीं है। मीडिया में आयी तसवीरों से भी साफ लगता है कि वह काफी बीमार है। लेकिन जोन्स हौसले के सहारे जिंदगी कि जंग लड़ रहे है, ताकि जिंदगी और मौत के बीच की दूरी को आगे ले जा सकें।

abhisays
08-10-2011, 07:39 PM
स्टीव जोब्स को दुनिया हमेशा याद रखेगी..

इश्वर इनकी आत्मा को शांति दे..

Ranveer
09-10-2011, 11:50 PM
ये तीन कहानियां बहुत प्रसिद्द हुईं हैं |
ये व्यक्ति अद्भूत प्रतिभा के युक्त थे , इनके जीवन की कई असफल घटनाएं जो किसी को तोड़ कर रख देती हैं ,उससे इन्होने नीवं कड़ी की , हर असफलता उसकी सफलता की बुनियाद बनी |

मैंने ऐसे बहुत कम लोगों को देखा है ,जिनके मुश्किल वक्त में लिए गए फैसले उन्हें शिखर पर पंहुचाने वाले साबित होतें हैं , कुछ हो सकतें हैं , पर इनके साथ तो सभी |

इनकी जीवनी भी काफी थपेड़े खाती हुई लहर की तरह बदलती रही ,पर आखिर अंत तक ये एक ऐसे व्यक्ति साबित हुए जिनसे पीढियां प्रेरणा लेतीं रहेंगी |

मेरी तरफ से भी इस महान आत्मा को श्रधांजलि |

downcomix
10-10-2011, 08:40 PM
स्टीव जोब्स एक महान इनोवेटर थे ...उन्होंने दुनिया को बहुत सारी तकनिकी उपलब्धियां दी ...एपल को नयी उचाई दी ....उनका इस तरह कम उम्र दुनिया से बिदा लेना दुखद है ...
स्टीव जोब्स को मेरी श्रदांजलि ...उनकी आत्मा की चिर शांति की कमाना ..........


http://wallpapers-place.com/images/wallpapers/steve_jobs_hd_widescreen_wallpapers_1280x800.jpeg

http://img.ibtimes.com/www/data/images/full/2011/10/06/169604-flowers-for-apple-co-founder-steve-jobs-are-seen-outside-an-apple-stor.jpg