PDA

View Full Version : कुछ ईमानदार कोशिश


ndhebar
31-01-2011, 12:43 PM
इस सूत्र में हम उन फिल्मों की बात करेंगे जो बड़े सितारों या बड़े बजट की ना होते हुए भी दर्शकों का मनोरंजन करने में उतनी ही समर्थ होती हैं

VIDROHI NAYAK
31-01-2011, 12:52 PM
बेसब्री से प्रतीक्षा है !

ndhebar
31-01-2011, 01:16 PM
इस श्रेणी की मेरी पहली फिल्म है लेखक निर्देशक हबीब फैसल की "दो दूनी चार"
ऋषि और नीतू कपूर द्वारा अभिनीत ये फिल्म निर्देशक की पहली फिल्म है हालाँकि इससे पहले इन्होने कुछ चार एक फ़िल्में लिखी है
जो की सभी यशराज बैनर की फिल्मे थी सलाम नमस्ते, झूम बराबर झूम, ता रा रम पम और बैंड बाजा बारात
अब बात करते हैं इस फिल्म की
फिल्म है फूल्टू पैसा वसूल
फिल्म में वो सब कुछ है जिसकी अपेक्षा एक फिल्म प्रेमी करता है
अच्छी कहानी, कसी हुई पटकथा, अच्छा संगीत और सभी कलाकारों का दमदार अभिनय
कुछ दृश्य तो बस कमाल के हैं जो की आप फिल्म देखकर ही मजा ले पाएंगे
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8495&stc=1&d=1296465321

बस जल्दी से देख डालिए और अपने अनुभव यहाँ बताना ना भूलियेगा

jitendragarg
31-01-2011, 01:23 PM
मिर्च (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2053)!



:cheers:

pankaj bedrdi
31-01-2011, 01:24 PM
मैने देखा है फिल्म अच्छा लगा

ndhebar
31-01-2011, 01:29 PM
मिर्च (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2053)!



:cheers:
मैंने आपके सूत्र से ही प्रेरणा लेकर ये सूत्र निर्माण किया है
मैंने सोचा अलग अलग फिल्मों के लिए अलग अलग सूत्र क्यों
सभी अच्छी फिल्मों की समीक्षा अगर एक ही मंच पर हो सदस्यों को सामग्री भी मिलेगी और सूत्र को भी

sagar -
22-02-2011, 08:00 AM
इस श्रेणी की मेरी पहली फिल्म है लेखक निर्देशक हबीब फैसल की "दो दूनी चार"
ऋषि और नीतू कपूर द्वारा अभिनीत ये फिल्म निर्देशक की पहली फिल्म है हालाँकि इससे पहले इन्होने कुछ चार एक फ़िल्में लिखी है
जो की सभी यशराज बैनर की फिल्मे थी सलाम नमस्ते, झूम बराबर झूम, ता रा रम पम और बैंड बाजा बारात
अब बात करते हैं इस फिल्म की
फिल्म है फूल्टू पैसा वसूल
फिल्म में वो सब कुछ है जिसकी अपेक्षा एक फिल्म प्रेमी करता है
अच्छी कहानी, कसी हुई पटकथा, अच्छा संगीत और सभी कलाकारों का दमदार अभिनय
कुछ दृश्य तो बस कमाल के हैं जो की आप फिल्म देखकर ही मजा ले पाएंगे
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8495&stc=1&d=1296465321

बस जल्दी से देख डालिए और अपने अनुभव यहाँ बताना ना भूलियेगा
भाई एकदम मस्त परिवारक फिल्म हे घरेलू जिंदगी में होने वाली प्रोब्लम पर फिल्मी गयी हे एक आम इंसान जिसके पास स्कूटर भी ढंग का नही हे और कार के सपने लेता हे !

jitendragarg
23-02-2011, 02:39 PM
मैंने आपके सूत्र से ही प्रेरणा लेकर ये सूत्र निर्माण किया है
मैंने सोचा अलग अलग फिल्मों के लिए अलग अलग सूत्र क्यों
सभी अच्छी फिल्मों की समीक्षा अगर एक ही मंच पर हो सदस्यों को सामग्री भी मिलेगी और सूत्र को भी

अलग अलग सूत्र बनाने से, हर फिल्म को बराबर का मौका मिलेगा! एक ही सूत्र में सब कुछ लिख देंगे, तो सिर्फ आखरी के पन्ने पर लिखी हुई फिल्मो के बारे में ही लोग पढेंगे, और बाकी फिल्मो को भूल जायेंगे! अलग सूत्र बनाने से हर सदस्य अपनी अपनी समीक्षा आसानी से लिख सकेगा!

:cheers:

jitendragarg
23-02-2011, 02:45 PM
एक और फिल्म थी बारह आना! बहुत ही सही फिल्म! कमाल की भूमिकाएं निभाई थी सभी ने! पूरी जानकारी तो मुझे याद नहीं! पर, अभी ४०-५० रुपये में असली डीवीडी मिल जायेगी! पैसे पुरे वसूल होंगे, इसकी गारंटी है!





:cheers:

ndhebar
23-02-2011, 02:51 PM
अलग अलग सूत्र बनाने से, हर फिल्म को बराबर का मौका मिलेगा! एक ही सूत्र में सब कुछ लिख देंगे, तो सिर्फ आखरी के पन्ने पर लिखी हुई फिल्मो के बारे में ही लोग पढेंगे, और बाकी फिल्मो को भूल जायेंगे! अलग सूत्र बनाने से हर सदस्य अपनी अपनी समीक्षा आसानी से लिख सकेगा!

:cheers:

सबकी अपनी अपनी सोच है जीतेन्द्र जी
मुझे जो सही लगा मैंने कहा आपको जो सही लगता है आप कीजिये

jitendragarg
23-02-2011, 03:14 PM
सबकी अपनी अपनी सोच है जीतेन्द्र जी
मुझे जो सही लगा मैंने कहा आपको जो सही लगता है आप कीजिये

सब फिल्मो की जानकारी एक साथ रखने से काफी फायदा होगा, ये बात तो सही है! आपके सूत्र से बल्कि सब फिल्मो की एक साथ जानकारी मिलेगी! पर ऐसी अच्छी फिल्मे वैसे ही बहुत कम बनती है, इसलिए जो अच्छी फिल्म देखता हूँ, उसके बारे में हमेशा लिखता हूँ, ताकि जितना ज्यादा हो सके, प्रचार हो! अगर हमारे सूत्रों को पढ़ कर, कोई व्यक्ति एक अच्छी फिल्म देखता है, तो हम लोगो को भला ही बोलेगा, और बॉलीवुड के बारे में जो कहा जाता है बाकी देशों में, वो भावना भी बदलेगी!

बाकी पढ़ने वाले पर निर्भर करता है, उसको सब फिल्मो की एक साथ जानकारी चाहिए, या किसी एक फिल्म की पूर्ण समीक्षा! जो चाहिए, वो मिले, तो फोरम का हित ही होगा! इसलिए तो मैं खुद आपके इस सूत्र को हर दुसरे दिन जरूर देख लेता हूँ! काफी अच्छी अच्छी फिल्मो के नाम मिले तो मुझे भी उनको देख कर उनकी समीक्षा लिखने में आसानी रहेगी!


:cheers:

ndhebar
23-02-2011, 07:17 PM
:cheers:

:cheers::cheers: Bro

bharat
22-06-2011, 07:37 AM
इस श्रेणी में A WEDNESDAY एक बेहतरीन फिल्म है!
बिना किसी धूमधाम और बड़े सितारों के बिना एक रोचक कहानी को बेहतरीन तरीके से परदे पे उतार दिया है निर्देशक ने! नसरुदीन शाह और अनुपम खेर की कमाल की अदाकारी!



http://www.avistaz.com/wp-content/uploads/2008/11/wednesday.jpg

kareenagosip
13-09-2011, 11:39 AM
IN 2010 and 2009 a lot of movies has folloped

ndhebar
16-10-2011, 11:36 AM
पिछले दिन मैंने ये फिल्म देखि


http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=12556&stc=1&d=1318746977

ndhebar
16-10-2011, 11:47 AM
इस फिल्म के लेखक -निर्देशक हैं अमोल गुप्ते
फिल्म 'स्टेनली का डब्बा' में टिफिन के डब्बे के मध्यम से एक बहुत ही संवेदनशील विषय को उठाने की कोशिश की गयी है.
स्टेनली एक बाल-मजदूर है और शाम से देर रात तक अपने चाचा के होटल में काम करता है.
स्टेनली एक हंसमुख चुलबुला सा बच्चा है और एक संभावित कहानीकार भी. टीचर ने अगर पूछ लिया, चेहरा गन्दा क्यूँ है तो पूरे एक्शन के साथ घटना बयाँ करता है कि माँ ने उसे कुछ लाने को भेजा. वहाँ उसने देखा एक छोटे लड़के को एक बड़ा लड़का पीट रहा था. फिर वो उस से भिड़ गया और यूँ हाथ घुमाया,यूँ घूंसे जमाये, यूँ उठा कर पटका. पूरा क्लास मंत्रमुग्ध हो उसकी बातें सुनता रहता है. टीचर के क्लास से बाहर जाते ही बच्चे उसके पीछे पड़ जाते हैं "स्टेनली फाइटिंग की स्टोरी सुना ना " और वो शुरू हो जाता है. रोज एक नई कहानी. जिसमे माँ ने उसे कहीं भेजा होता है.वो माँ पर एक रोचक निबंध भी लिखता है कि 'उसकी माँ बस से जम्प करती है और ट्रेन में उछल कर चढ़ जाती है. उसकी माँ एक सुपरवुमैन है '.

पर जब लंच-टाइम होता है तो स्टेनली चुपचाप बाहर जाने लगता है और किसी बच्चे के पूछने पर कहता है, मैं कैंटीन से बड़ा पाव लेने जा रहा हूँ. उसके पास टिफिन नहीं होता. वो बाहर के नल से भर-पेट पानी पीकर आ जाता है. एक हिंदी के शिक्षक हैं. 'वर्मा सर' उनकी आदत है.लंच-टाइम में बच्चों की क्लास में ही घूमते रहते हैं और सबकी टिफिन से कुछ ना कुछ लेकर खाते रहते हैं. लेकिन स्टेनली को देखते ही हिकारत से कहते हैं..'डब्बा तो कभी लाता नहीं.."
कहानी काफी रोचक है और निर्देशन भी सधा हुआ है.
सभी कलाकारों का अभिनय सहज है.
वर्मा सर के रूप में अमोल गुप्ते और स्टेनली के रूप में पार्थो ने अपना प्रभाव छोड़ा है.

*बस जल्दी से देख डालिए और अपने अनुभव यहाँ बताना ना भूलियेगा

sonu_mastana
16-10-2011, 08:21 PM
yeh film maine bhi dekhi hai. kaafi acchi hai.