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View Full Version : कैसे बनेंगे हम महाशक्ति?


Bond007
12-02-2011, 03:57 AM
हमारे देश भारत वर्ष के पूर्व राष्ट्रपति डा. ए. पी. जी. अब्दुल कलाम का सपना सन २०२० तक भारत को एक महाशक्ति के रूप में देखने का है| राजनैतिक स्तर पर कलाम की चाहत है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका का विस्तार हो और भारत ज्यादा से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाये। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत है। वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुँचाने की हमेशा वक़ालत करते रहे हैं।

और यही सपना समस्त भारतवासियों का है| कि एक दिन हमारा देश सभी तरह के झगड़े-फसादों, जाती-सम्प्रदाय गत विद्वेषों आदि अनेक बुराइयों को छोड़कर विश्व में अग्रणी राष्ट्र बने|

लेकिन हमारे समाज में इतनी सारी बुराइयां हैं नाम लेते ही थूकने का मन करता है| अब इन सब बुराइयों का बोझ पीठ पर लादे-लादे तो देश का विकास होने से रहा| होगा भी तो दस-बारह दशक तो लग ही जायेंगे|

तो माननीय सदस्यों! हम इसी विषय पर इस सूत्र में चर्चा करेंगे कि आखिर कैसे भारत एक महाशक्ति बन पायेगा? बन भी पायेगा या नहीं! बनेगा, तो कब तक बन पायेगा?

Bond007
12-02-2011, 04:13 AM
भारत के महाशक्ति बनने की सम्भावना का आकलन अमरीका एवं चीन की तुलना से किया जा सकता है। रोजाना तरह-तरह के सर्वे और रिपोर्ट आते रहते हैं| जिनमे भारत को कभी २०४० तक, कभी २०५० तक तो कभी २०८० तक विश्व की सबसे ताकतवर महाशक्ति बनते दिखाया जाता है| अच्छा है, कम से कम वास्तविकता न सही तो फिल्म देखकर ही काम चला लेते हैं| लेकिन मेरा यह मानना है कि यह सपनीली फिल्म कभी न कभी वास्तविक रूप जरूर लेगी|


यद्यपि अमेरिका अभी भी कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमसे आगे है| लेकिन अंकल सैम के दिन अब फिरने लगे हैं| धीरे-धीरे अमेरिका का प्रभुत्व अब कम होने लगा है| अब दुनिया के देशों में अमेरिका के नाम पर इतना खोफ नहीं रहता| वहां पर नई तकनीकी के विकास की रफ़्तार अब मंद हो गई है| इसकी जगह पर अब तकनीकी क्षेत्र की सेवाएं भारत से आउटसोर्स होने लगी हैं| इस मामले में भारत का पलड़ा भारी मालूम पड़ता है|

तकनिकी के मामले में चीन पीछे है| चीन मुख्यतः दूसरों के द्वारा बनाई तकनीक पर आश्रित है|

Bond007
12-02-2011, 04:19 AM
मेरी राय में महाशक्ति बनने के लिए हमें कुछ अति महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर गौर करना होगा|

जिसमें पहला है-तकनिकी| जिसके बारे में मैं ऊपर बता चूका हूं|



अब दूसरे बिंदु पर आते हैं-श्रम का मूल्य|
महाशक्ति बनने के लिये श्रम का मूल्य कम रहना चाहिये। तब ही देश माल का सस्ता उत्पादन कर पाता है और दूसरे देशोंं में उसका माल प्रवेश पाता है। चीन और भारत इस कसौटी पर अव्वल बैठते हैं जबकि अमरीका पिछड़ रहा है। विनिर्माण उद्योग लगभग पूर्णतया अमरीका से गायब हो चुका है। सेवा उद्योग भी भारत की ओर तेजी से रुख कर रहा है।

हालांकि मुझसे ज्यादा इसके बारे में अर्थशास्त्री ज्यादा जानते होंगे|

Bond007
12-02-2011, 04:28 AM
तीसरा बिदु है शासन में पारदर्शिता|

मैंने कहीं पर पढ़ा था कि "वह देश आगे बढ़ता है जिसके नागरिक खुले वातावरण में उद्यम से जुड़े नये उपाय क्रियान्वित करने के लिए आजाद होते हैं।"

इसका मतलब शासन की कटु नज़र में शोध, व्यापार, अध्ययन, तकनीक, विचार, रचनात्मकता आदि सब कुंठित होकर रह जाती हैं| और ठीक से नहीं पनप पाती| अमेरिका में यह खुलापन उपलब्ध है| लेकिन हमारे यहां इसकी अपेक्षाकृत कमी दिखाई पड़ती है| ठीक से साधन और प्रोत्साहन उपलब्ध न होने के कारण भी आशाएं दम तोड़ देती हैं और हम विकास के एक जरूरी अध्याय से वंचित रह जाते हैं|

चीन में तो नागरिकों की उर्जा पर कम्युनिष्टों का नियंत्रण है|

Bond007
12-02-2011, 04:34 AM
चोथा बिंदु है-भ्रष्टाचार|

यदि देश की सरकार भ्रष्ट होगी तो नागरिकों की उर्जा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है| देश की पूंजी गलत हाथों में पहुंचकर बर्बाद हो जाती है और देश गरीबी का शिकार हो जाता है| हमारे यहां माननीय नेतागण धन को स्विट्जरलैंड भेज देते हैं| धन के रिसाव के मामले में भारत बहुत तरक्की किये हुए है|

Bond007
12-02-2011, 04:37 AM
पांचवा बिंदु है-असमानता|

गरीब और अमीर के अन्तर के बढ़ने से समाज में वैमनस्य पैदा होता है। गरीब की ऊर्जा अमीर के साथ मिलकर देश के निर्माण में लगने के स्थान पर अमीर के विरोध में लगती है। और समस्याएं खड़ी होकर सामने आती हैं|

Bond007
12-02-2011, 04:39 AM
इसके अलावा कई ऐसे नकारात्मक बिंदु हैं जो हमारे विकास के लिए बहुत ही घातक हैं| अब इसी बारे में मैं सुधी सदस्यों की सोच, बिंदु और राय जाना चाहूंगा|

Bond007
12-02-2011, 04:49 AM
तकनीकी क्षेत्र में हम आगे बढ़ रहे हैं, श्रम का मूल्य न्यून है और समाज में कुछ खुलापन है। हमारी मुख्य समस्यायें भ्रटाचार और असमानता की है। तकनीकी शोध में भी हम आगे बढ़ रहे हैं जैसा कि नैनो कार के बनाने से संकेत मिलते हैं। भ्रटाचार में भी कुछ कमी के संकेत मिल रहे हैं। सूचना के अधिकार ने सरकारी मनमानी पर कुछ न कुछ लगाम अवश्य कसी है। परन्तु अभी बहुत आगे जाना है। अमीरी-गरीबी के मध्य असमानता भी अपने देश में कैन्सर की तरह पनपती जा रही है। गृह मंत्री चिदम्बरम सैन्य बल से इस पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं परन्तु यह निश्चित रूप से असफल होगा क्योंकि मूल रोग की सरकार अनदेखी कर रही है।

मूल रोग है आर्थिक नीतियां। बड़ी कम्पनियों को सरकार खुली छूट दे रही है। इनके लाभ बढ़ते जा रहे हैं जबकि गरीब कराह रहा है। गरीब पर ढाये गये इस अत्याचार पर सरकार मनरेगा द्वारा मरहम पट्टी करने का प्रयास कर रही है। परन्तु इस योजना में भी जम कर भ्रटाचार बढ़ रहा है। इस योजना में समाज की ऊर्जा निकम्मेपन एवं फर्जी कार्यों में खर्च हो रही है। इस तरह भ्रष्टाचार एवं असमानता दोनों समस्यायें आपस में जुड़ी हुयी हैं।

Bond007
12-02-2011, 04:58 AM
ऐसा लगता है कि सरकार का इरादा इन समस्याओं को हल करने का है ही नहीं। राजनीतिक पार्टियों का मकसद सत्ता पर काबिज रहना हो गया है| कुल मिलकर तरकीब लड़ाई कि गरीब को राहत देने के नाम पर अपने समर्थकों की टोली खड़ी कर लो। जनता जाये भाड़ में!

कल्याणकारी योजनाओं को तामील में लाने के लिए भारी भरकम नौकरशाह लगाए जा रहे है। इन नोकरशाहों के लिए कमाई का एक और जरिया| सरकारी विद्यालयों एवं अस्पतालों का बेहाल सर्वविदित है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लगभग आधा माल ब्लैक हो रहा है| मनरेगा के मार्फत्* निकम्मों की टोली खड़ी की जा रही है। १०० रुपये पाने के लिये उन्हें दूसरे उत्पादक रोजगार छोड़ने पड़ रहे हैं। अत: भ्रटाचार और असमानता की समस्याओं को रोकने में हम असफल हैं। ये हमारी महाशक्ति बनने में बहुत बड़ा रोड़ा है।

Bond007
12-02-2011, 05:00 AM
ये सच है कि भारत महाशक्ति बनने के करीब है लेकिन हम भ्रष्टाचार की वजह से इस से दूर होते जा रहे है।हमारे नेताओ को जब अपने फालतू के कामो से फुरसत मिले तब ही तो वो इस सम्बन्ध मे सोच सकते है उन लोगो को तो फ्री का पैसा मिलता रहे देश जाये भाड मे। भारत को महाशक्ति बनने मे जो रोडा है वो है नेता। युवाओ को इस के लिये इनके खिलाफ लडना पडेगा, आज देश को महाशक्ति बनाने के लिये एक महाक्रान्ति की जरुरत है, क्योकि बदलाव के लिये क्रान्ति की ही आवश्यकता होती है लेकिन इस बात का ध्यान रखना पडेगा की भारत के रशिया जैसे महाशक्तिशाली देश की तरह टुकडे न हो जाये, अपने को बचाने के लिये ये नेता कभी भी रुप बदल सकते है।

amit_tiwari
12-02-2011, 05:13 AM
तो माननीय सदस्यों! हम इसी विषय पर इस सूत्र में चर्चा करेंगे कि आखिर कैसे भारत एक महाशक्ति बन पायेगा? बन भी पायेगा या नहीं! बनेगा, तो कब तक बन पायेगा?


मेरे विचार से इसका सबसे अच्छा उपाय है लोगों को सशक्त करना !
अभी युवा वर्ग स्वयं रोजगार खोजने में लगा है जबकि उच्च शिक्षित वर्ग का ध्येय खुद बाहर या भारत में नौकरी खोजना नहीं अपितु दूसरों के रोजगार का साधन बनाना चाहिए |

आपने यहाँ कलाम साहब का काफी अच्छा उदाहरण दिया है, उन्होंने इस विषय पर काफी विषद लिखा है !!

Bond007
12-02-2011, 05:18 AM
मेरे विचार से इसका सबसे अच्छा उपाय है लोगों को सशक्त करना !
अभी युवा वर्ग स्वयं रोजगार खोजने में लगा है जबकि उच्च शिक्षित वर्ग का ध्येय खुद बाहर या भारत में नौकरी खोजना नहीं अपितु दूसरों के रोजगार का साधन बनाना चाहिए |

आपने यहाँ कलाम साहब का काफी अच्छा उदाहरण दिया है, उन्होंने इस विषय पर काफी विषद लिखा है !!

अपने विचार रखने के लिए धन्यवाद अमित जी!

कलाम जी का जिक्र करना मेरे लिए जरूरी था| वे मेरे आदर्श हैं|

Nitikesh
12-02-2011, 05:55 AM
भ्रष्टाचार जैसी समस्या तो खतम करने के लिए हमें राजनीति में सक्रिय से भाग लेना चाहिए/
जैसे की हर चुनाव में मतदान देने जाएँ/लोकतंत्र का सबसे बड़ा मूल हैं चुनाव/हम में से ज्यादातर मित्र तो मत ही नहीं देने जाते हैं/जब कारण पूछते है तो कहते है की छुट्टी नहीं थी या फिर यार कौन मतदान दे/जिसे हम जिसे मत देते हैं वो तो जीतता ही नहीं है/अब सोचिये ऐसे लोग जो मत नहीं देते हैं और जब सरकार कोई गलती करती है,तो ये लोग कहते हैं की सरकार निक्मी है/कोई काम ही नहीं करती बस अपना पेट भरती रहती है/मैं पूछता हूँ क्या ऐसे लोगों को यह सब कहने का अधिकार है..........भारत की १०० करोड़ से भी ज्यादा लोग रहते हैं/लेकिन मैं पूछता हूँ की कितने % जनता अपने देश के प्रति अच्छे दिल से समर्पित है/चुनाव के समस्य यह सुनने को मिलाता है की फलाना जगह पर ४०%,५५% ज्यादा से ज्यादा ६०% मतदान होने की बात सुनी जाती हैऔर बाकि सब लोग कहाँ होते है/चलिए मान लिजिये की इस सब में से ५०% अपने घर से बहार होते है/तो बाकि के ५०% क्या कर रहे होते हैं/जाहिर सी बात है सभी चादर तान कर घर में सो रहे होते हैं/हम सभी मिलकर अच्छी सरकार ना बना सके लेकिन प्रयास तो कर ही सकते है/
सरकार बनाने वाले भी होशियार हो गए है/वह जान गयी है की हम सभी जात-पात और घर्म के नाम पर बंटे हुए हैं/जिसका वे अच्छा इस्तेमाल करते है/जो इस सब बातों में नहीं आते उन्हें पैसे दे कर उनका वोट खरीद लिया जाता है/
कहते हैं न जैसे हम होंगे वैसी ही हमारी सरकार होगी/जब हमी वोट देने में पैसे लेंगे तो जाहिर सी बात है की नेताओं के पास पैसों के पेड़ हैं नहीं/तो नेता हमसे सूद समेत वापस ले लेती है/अत: भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए लोकतंत्र की इकाई यानी की हमें पहले सुधारन होगा/हमें सच्चे ह्रदय से एक सच्चा और ईमानदार सरकार के बनाने में मदद करना होगा/इसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा मतदान में भाग लेना होगा/बिना ये सोचे की हमारे उम्मीवार तो जीतेगें ही नहीं/क्यूंकि नेता जान गए हैं की आधी जनता तो वोट देगी ही नहीं/अत: वे आधी जनता को ही मनाने जाते है/

ABHAY
12-02-2011, 06:45 AM
अमेरिका को उरा दो महाशक्ति बनने में देर नहीं लगेगी !

pankaj bedrdi
12-02-2011, 07:01 AM
बहुत अच्छा सुत्र बनाये हो भाइ यह बहुत विचारिय सुत्र अभी मेरे पास थोडा टाइम का अभाव है टाइम मिलते इस पर विचार करुगा

Bond007
12-02-2011, 07:04 AM
अमेरिका को उरा दो महाशक्ति बनने में देर नहीं लगेगी !

हा......हा.......हा.......
हंसी आ गई|
मजाक नहीं भाई, संजीदा होकर कुछ अपने विचार रखो|:)

ABHAY
12-02-2011, 07:27 AM
बात में दम है बंधू मगर जबतक भारत अपनी राजनीती नहीं सुधारेगा कुछ नहीं होने वाला क्योकि हमारे देस में कुछ ऐसे राजनीती है जो सिर्फ अपना बिकास देखते है देस का नहीं मेरा मानना है की इस तरह के लोगो को राजनीती से हटा डे और जो देस का बिकाश चाहते है उनकी तन्खुआ रोक डे और उन्हें अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए कोई छोटी मोती जौब करने डे अक्सर देखा गया है जो राजनीती में गया है उसको दूसरे जॉब करने की मनाही है मगर क्यों ऐसा नहीं होना चाहिए ! और एक बात है लगभग आज से सायद ५ साल पहले मैंने पेपर में पढ़ा था की एक किसान ने ट्रक के इंजन से हेलिकोप्टर बनाया है ! तो हमारी सर्कार ने उसे जेल में बंद कर दिया बजाये उसको कोई इनाम दिए अरे भाई वो भी तो देस का भला चाहते थे फिर जेल क्यों ! इस तरह नहीं होना चाहिए यहाँ पे हर किसी का अपना लैब होना चाहिए जो अपने तरीके से रेसुर्च कर सके और इसकी कोई उम्र भी नहीं होना चाहिए ! भाई दूसरे देस का बच्चा भी अगर चाहे तो हमें पछार सकता है ! जरुरत है कानून में बदलाव की न की

ndhebar
12-02-2011, 10:19 AM
बंधू सपने देखने पर कर नहीं है, देखते रहिये
काने के राजा बनने की स्थिति तभी आएगी जब सभी अंधे हो जायेंगे
आप इसे व्यंग समझ सकते हैं पर ये कठोर सत्य है

VIDROHI NAYAK
12-02-2011, 11:45 AM
कैसे बनेंगे हम महाशक्ति?
- जुबान को हाँथ देकर !

Sikandar_Khan
12-02-2011, 11:51 AM
जब तक हम सब मे एकता नही होगी हम महाशक्ति नही बन सकते हैँ

Kumar Anil
12-02-2011, 04:22 PM
बॉन्ड भाई ! सर्वप्रथम एक सार्थक चिँतन और सारगर्भित सूत्र के निर्माण पर मेरी कोटिश बधाई स्वीकार करेँ । मुख्यमंत्री जी के भ्रमण कार्यक्रम के दृष्टिगत थोड़ी व्यस्तता है । इससे निवृत्त होने पर मैँ भी आपके इस पुनीत और महायज्ञ मेँ एक आहुति अवश्य दूँगा ।

Bond007
12-02-2011, 09:08 PM
बंधू सपने देखने पर कर नहीं है, देखते रहिये
काने के राजा बनने की स्थिति तभी आएगी जब सभी अंधे हो जायेंगे
आप इसे व्यंग समझ सकते हैं पर ये कठोर सत्य है

तो क्या हमें इस सपने को पूरा करने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए और इस तरफ अपना एक छोटा सा कदम बढ़ाना भी फ़िज़ूल समझना चाहिए!

Bond007
12-02-2011, 09:09 PM
बॉन्ड भाई ! सर्वप्रथम एक सार्थक चिँतन और सारगर्भित सूत्र के निर्माण पर मेरी कोटिश बधाई स्वीकार करेँ । मुख्यमंत्री जी के भ्रमण कार्यक्रम के दृष्टिगत थोड़ी व्यस्तता है । इससे निवृत्त होने पर मैँ भी आपके इस पुनीत और महायज्ञ मेँ एक आहुति अवश्य दूँगा ।

धन्यवाद अनिल जी! आपका स्वागत है|

Kumar Anil
12-02-2011, 09:37 PM
तो क्या हमें इस सपने को पूरा करने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए और इस तरफ अपना एक छोटा सा कदम बढ़ाना भी फ़िज़ूल समझना चाहिए!


पूर्णतया सहमत !
दुष्यन्त जी के शब्दोँ मेँ....
कौन कहता है आसमां मेँ सुराख़ नहीँ होता ,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारोँ ।

VIDROHI NAYAK
12-02-2011, 10:13 PM
पूर्णतया सहमत !
दुष्यन्त जी के शब्दोँ मेँ....
कौन कहता है आसमां मेँ सुराख़ नहीँ होता ,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारोँ ।
अनिल जी माफ़ी चाहूँगा ! उपरोक्त पंक्ति में कितनी सत्यता है? हालाँकि यह सत्य है की ये अतिशियोक्ति है परन्तु क्या हुआ राजीव दिकछित जैसे पत्थर उछालने वालो का ? सत्यता तो ये है की अकेला तो कोई पत्थर आसमा तक पहुँचाने के लिए सोच ही नहीं सकता अपितु उस पत्थर से वो दूसरे का शीशा आसानी से तोड़ने की सोचता है ..और उसको इस चीज़ का बढ़ावा किसी और ने नहीं बल्कि हमने ही दिया है...हमने ही सिखाया है की कुछ नया करने में ज्यादा रिस्क है...मत कर ये...अरे लफड़ा हो जाएगा..वही कर जो होता आया है..ज्यादा हीरो मत बन ...अपना घर पहले देख ...और न जाने क्या क्या ...और यही आसान और आनंददायक भी है...अहहहहाहाहा !

amol
12-02-2011, 10:24 PM
भारत और महाशक्ति. माफ़ करियेगा जनाब यह इस फोरम का सबसे बड़ा चुटकुला नजर आ रहा है मुझे.

Bond007
12-02-2011, 10:33 PM
भारत और महाशक्ति. माफ़ करियेगा जनाब यह इस फोरम का सबसे बड़ा चुटकुला नजर आ रहा है मुझे.

तो फिर अमोल जी! थोड़ी देर के लिए चुटकुले ही सुन लेते हैं| कभी-कभी चुटकुलों में भी बहुत काम की बातें निकल आती हैं|

क्या ख़याल है? यहां पर प्रबुद्धजन अगर चुटकुले ही सुनाएं तो उसमे भी हमें कुछ तो सीख मिलेगी|

और आपसे एक विनती है, कि कृपा करके आप फोरम पर निरंतरता बनाये रखें|:)

amol
12-02-2011, 10:33 PM
भारत की आबादी पता है क्या आप लोगो को. १२० करोड़, लोग बच्चे पैदा करते जा रहे हैं, पानी, बिजली और बाकि संसाधन का घोर अभाव है और भारत महाशक्ति. मैं नहीं मानता


अमेरिका का क्षेत्रफल भारत के ३ गुना बड़ा है और आबादी १/४ ही है. अगले ४० साल के बाद पेट्रोल पूरी दुनिया से खत्म हो जायेगा और केवल अमेरिका के पास बचेगा, फिर भारत और महाशक्ति हा हा हा.
मेरे पैत्रिक गाँव में आज भी बिजली नहीं आई है, कच्चे रोड है, लोग इन्टरनेट का नाम ही नहीं सुने हैं. फिर आप किसको महाशक्ति बनाने जा रहे हैं.


अमेरिका जो अपने फालतू के cheap labour वाले काम भारत को outsource कर देता है, तो यहाँ के लोग अपने आप को IT superpower मानने लगते है.

VIDROHI NAYAK
12-02-2011, 10:33 PM
भारत और महाशक्ति. माफ़ करियेगा जनाब यह इस फोरम का सबसे बड़ा चुटकुला नजर आ रहा है मुझे.
हो सकता है की ये चुटकुला हो परन्तु आप तो इतने नकारात्मक मत होइए...कुछ न कर पाने की स्थिति में कम से कम किसी चुटकले को एक बार गंभीरता से पढ़ ले हम !

VIDROHI NAYAK
12-02-2011, 10:37 PM
भारत की आबादी पता है क्या आप लोगो को. १२० करोड़, लोग बच्चे पैदा करते जा रहे हैं, पानी, बिजली और बाकि संसाधन का घोर अभाव है और भारत महाशक्ति. मैं नहीं मानता


अमेरिका का क्षेत्रफल भारत के ३ गुना बड़ा है और आबादी १/४ ही है. अगले ४० साल के बाद पेट्रोल पूरी दुनिया से खत्म हो जायेगा और केवल अमेरिका के पास बचेगा, फिर भारत और महाशक्ति हा हा हा.
मेरे पैत्रिक गाँव में आज भी बिजली नहीं आई है, कच्चे रोड है, लोग इन्टरनेट का नाम ही नहीं सुने हैं. फिर आप किसको महाशक्ति बनाने जा रहे हैं.


अमेरिका जो अपने फालतू के cheap labour वाले काम भारत को outsource कर देता है, तो यहाँ के लोग अपने आप को it superpower मानने लगते है.
ठीक है आपके साथ मिलकर हम भी करते हैं हा हा हा ..क्योंकि आपके अनुसार इसके आलावा अब कुछ नहीं हो सकता ...!!!!!!!!

amol
12-02-2011, 10:39 PM
चलिए IT से ही शुरू करते हैं, भारत का contribution क्या है विश्व को, कुछ नहीं बस कॉल सेण्टर वाले है हम लोग.



विश्वास नहीं होता है तो यह देखिये टाइम magazine में यह फोटो आया था इंडिया के उपर.

विदेश में अभी भारत की image कॉल सेंटर वाला देश की है.


http://www.offshoresafelist.com/news/india_outsourcing_time_magazine.jpg

Bond007
12-02-2011, 10:41 PM
अनिल जी माफ़ी चाहूँगा ! उपरोक्त पंक्ति में कितनी सत्यता है? हालाँकि यह सत्य है की ये अतिशियोक्ति है परन्तु क्या हुआ राजीव दिकछित जैसे पत्थर उछालने वालो का ? सत्यता तो ये है की अकेला तो कोई पत्थर आसमा तक पहुँचाने के लिए सोच ही नहीं सकता अपितु उस पत्थर से वो दूसरे का शीशा आसानी से तोड़ने की सोचता है ..और उसको इस चीज़ का बढ़ावा किसी और ने नहीं बल्कि हमने ही दिया है...हमने ही सिखाया है की कुछ नया करने में ज्यादा रिस्क है...मत कर ये...अरे लफड़ा हो जाएगा..वही कर जो होता आया है..ज्यादा हीरो मत बन ...अपना घर पहले देख ...और न जाने क्या क्या ...और यही आसान और आनंददायक भी है...अहहहहाहाहा !

तो विद्रोही जी! क्यों न यहीं से संजीदा होकर एक अभियान की शुभ-शुरुआत कर दी जाये! किसी भी बात का सिर्फ विरोध करने से तो कुछ नहीं होगा| मैं आप पर, आप दुसरे पर, दूसरा मुझ पर; ऐसे ही आरोप प्रत्यारोप करने से कब तक काम चलने वाला है| ये तो हम पहले से करते आये हैं और लगता है ये आदत आगे भी नहीं जाने वाली|

ये आरोप-प्रत्यारोप का काम पुराने नेताओं के लिए छोड़ देते हैं न.......|

amol
12-02-2011, 10:43 PM
अरे जनाब जो देश अपनी भाषा, संस्कृति और परिधान छोड़कर दुसरो के पीछे पड़ा हो वो विश्व शक्ति कैसे बन सकता हैं. जापान में सब कुछ जापानी भाषा में होता हैं, china वाले अपनी भाषा में सारे काम करते हैं, फ्रांस में फ्रेंच है और germany में german . तो हम लोग जो अंग्रेजी उधार लेकर काम चला रहे हैं, कैसे सुपर पॉवर बन सकते हैं.

khalid
12-02-2011, 10:45 PM
भारत और महाशक्ति. माफ़ करियेगा जनाब यह इस फोरम का सबसे बड़ा चुटकुला नजर आ रहा है मुझे.

क्योँ भाई क्योँ नहीँ बन सकता
क्या कमी हैँ हमारे देश मेँ क्या हमारी माँ के दुध मेँ असर कम हैँ क्या हमारी माँओँ ने भगत सिँह राज गुरु चन्द्रशेखर आजाद मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे सपुतोँ को पैदा करना बंद कर दिया हैँ
नहीँ मेरे भाई ऐसा कुछ नहीँ हैँ आगाज हो चुका हैँ अंजाम भी जल्द दिखेगा
बस जरुरत हैँ कुछ जमीनी स्तर पर कुछ करने की आज नहीँ तो कल होगा होगा जरुर
हम पहले हर चीज के लिए दुसरोँ का मुँह ताकते थे आज एक से एक हथियार मिजाईल परमाणु बम बगैर किसी के सहायता के खुद बना रहेँ हैँ क्या यह बदलाव नहीँ हैँ

Bond007
12-02-2011, 10:47 PM
अरे जनाब जो देश अपनी भाषा, संस्कृति और परिधान छोड़कर दुसरो के पीछे पड़ा हो वो विश्व शक्ति कैसे बन सकता हैं. जापान में सब कुछ जापानी भाषा में होता हैं, china वाले अपनी भाषा में सारे काम करते हैं, फ्रांस में फ्रेंच है और germany में german . तो हम लोग जो अंग्रेजी उधार लेकर काम चला रहे हैं, कैसे सुपर पॉवर बन सकते हैं.

यही तो हम यहां पर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे भारत सुपर पावर बन सकता है!!!

amol
12-02-2011, 10:48 PM
क्योँ भाई क्योँ नहीँ बन सकता
क्या कमी हैँ हमारे देश मेँ क्या हमारी माँ के दुध मेँ असर कम हैँ क्या हमारी माँओँ ने भगत सिँह राज गुरु चन्द्रशेखर आजाद मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे सपुतोँ को पैदा करना बंद कर दिया हैँ
नहीँ मेरे भाई ऐसा कुछ नहीँ हैँ आगाज हो चुका हैँ अंजाम भी जल्द दिखेगा
बस जरुरत हैँ कुछ जमीनी स्तर पर कुछ करने की आज नहीँ तो कल होगा होगा जरुर
हम पहले हर चीज के लिए दुसरोँ का मुँह ताकते थे आज एक से एक हथियार मिजाईल परमाणु बम बगैर किसी के सहायता के खुद बना रहेँ हैँ क्या यह बदलाव नहीँ हैँ

माफ़ कीजियेगा खालिद जी, मगर मेरा एक दोस्त जो की DRDO में बड़े पद पर हैं बताता है की अभी भी भारत में सभी हथियार और missile रुसी सहायता से ही बनते हैं. अभी भी हम आत्म निर्भर नहीं हैं.

amol
12-02-2011, 10:50 PM
यही तो हम यहां पर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे भारत सुपर पावर बन सकता है!!!




इसके लिए नियम बना दिया जाये की एक दपंती एक ही बच्चा पैदा कर सकता है. सबसे पहले भारत की जनसँख्या कम की जाये. तभी कुछ हो सकता है.

khalid
12-02-2011, 10:53 PM
तो विद्रोही जी! क्यों न यहीं से संजीदा होकर एक अभियान की शुभ-शुरुआत कर दी जाये! किसी भी बात का सिर्फ विरोध करने से तो कुछ नहीं होगा| मैं आप पर, आप दुसरे पर, दूसरा मुझ पर; ऐसे ही आरोप प्रत्यारोप करने से कब तक काम चलने वाला है| ये तो हम पहले से करते आये हैं और लगता है ये आदत आगे भी नहीं जाने वाली|

ये आरोप-प्रत्यारोप का काम पुराने नेताओं के लिए छोड़ देते हैं न.......|


नहीँ इस से भी काम नहीँ चलने वाला
जो आरोप प्रत्यारोप करतेँ हैँ उसे तो देश निकाल देना बेहतर होगा इन जैसे नेताओँ की जरुरत ना तो इस देश को हैँ ना यहाँ की जनता को
इसी कमी का तो फायदा उठाकर अंग्रेजो ने इतने साल तक हम पर शासन कीया हैँ
हमेँ तो ऐसे लोगोँ की जरुरत हैँ जो मिल बैठकर देश की एकता अखण्डता के बारे मेँ सोचे बगैर आरोप लगाए

khalid
12-02-2011, 10:58 PM
माफ़ कीजियेगा खालिद जी, मगर मेरा एक दोस्त जो की drdo में बड़े पद पर हैं बताता है की अभी भी भारत में सभी हथियार और missile रुसी सहायता से ही बनते हैं. अभी भी हम आत्म निर्भर नहीं हैं.

चलिए आपकी बात को मैँ मान गया
अगर हम बाईक बनाए तो क्या पेट्रोल भी अपने कुआँ से निकालना परेगा

Bond007
12-02-2011, 10:58 PM
मैं इतिहास का कोई भी उदहारण यहां नहीं देना चाहूंगा| सबसे पहले अमित जी ने यहां अपने विचार रखे थे| उन्होंने यहां भी और अपने साक्षात्कार में भी इस बात को कबूल किया था कि मैं रोज़गार तलाशने में नहीं बल्कि रोज़गार देने में यकीन रखता हूं|

अमेरिका की बात छोड़ दें तो अच्छा ही होगा| पिछले तीन सालों में वहां की जमीन कैसी दरकी, पूरी दुनिया को पता है| कम से कम भारत में तो वहां जैसे बुरे हालात नहीं आए| अमेरिका भी कोई दो-चार साल में इतना शक्तिशाली देश नहीं बन गया था| उसे भी सदियां लगी अपना प्रभुत्व दुनिया में कायम करने में| फिर भारत में तो पिछले २० वर्षों में ही कुछ परिवर्तन आया है| फिर पूरी तरह से उभरने में तो अभी दशकों लगेंगे| बात बची तेल की, तो उर्जा प्राप्त करने के लिए तेल के अलावा भी कई साधन हैं जिनपर काम चल रहा है|

हम नहीं तो हमारी आने वाली पीढी वो दिन जरूर देख सकती है, जब भारत का राजनैतिक और सामरिक प्रभुत्व दुनिया देखेगी|

Kumar Anil
12-02-2011, 10:59 PM
अनिल जी माफ़ी चाहूँगा ! उपरोक्त पंक्ति में कितनी सत्यता है? हालाँकि यह सत्य है की ये अतिशियोक्ति है परन्तु क्या हुआ राजीव दिकछित जैसे पत्थर उछालने वालो का ? सत्यता तो ये है की अकेला तो कोई पत्थर आसमा तक पहुँचाने के लिए सोच ही नहीं सकता अपितु उस पत्थर से वो दूसरे का शीशा आसानी से तोड़ने की सोचता है ..और उसको इस चीज़ का बढ़ावा किसी और ने नहीं बल्कि हमने ही दिया है...हमने ही सिखाया है की कुछ नया करने में ज्यादा रिस्क है...मत कर ये...अरे लफड़ा हो जाएगा..वही कर जो होता आया है..ज्यादा हीरो मत बन ...अपना घर पहले देख ...और न जाने क्या क्या ...और यही आसान और आनंददायक भी है...अहहहहाहाहा !

विद्रोही नायक जो कम उम्र मेँ परिपक्व सोच रखता है , जिसका मैँ प्रशंसक हूँ , उसकी इस विशद गम्भीर विषय पर ऐसी प्रतिक्रिया की कतई उम्मीद न थी । मित्र आप जानते ही हैँ कि कविता शाब्दिक नहीँ होती अपितु प्रतीकात्मक होती है । दुष्यन्त जी चिन्तक और ज्ञानी थे । अल्पायु मेँ ही कालजयी रचनाओँ को लिखकर अमर हो गये । उनके मर्म को समझिये , ये हौसले की उड़ान का संकेत कराती है , आपको सकारात्मक ऊर्जा से लबरेज़ कराती है , आपको एक विज़न देती है । अगर हम सपने न देखते तो हवाई जहाज आसमान मेँ न दिखता । कभी हमारी पहुँच से बहुत दूर हमारे चंदा मामा पर टूरिस्ट न जा रहे होते । एक अदना सा कम्प्यूटर इंजीनियर मिस्र की छिटकी हुई शोषित जनता को जगाकर तानाशाही का अन्त न कर पाता । 30 वर्ष से पिस रही जनता के एक नुमाइन्दे ने फेसबुक के एक पन्ने से एक पत्थर ही तो तबीयत से उछाला और परिणाम आपके सामने है ।

Bond007
12-02-2011, 11:02 PM
माफ़ कीजियेगा खालिद जी, मगर मेरा एक दोस्त जो की drdo में बड़े पद पर हैं बताता है की अभी भी भारत में सभी हथियार और missile रुसी सहायता से ही बनते हैं. अभी भी हम आत्म निर्भर नहीं हैं.

आपकी बात काफी हद तक सही है| कई तरह के हथियार और लड़ाकू विमान भारत इजरायल या रूस की सहायता से बनाता है या आयात करता है|

लेकिन भारत में भी कई ऐसी तकनीकों का विकास और सुधार कार्यक्रम जोरों पर हैं|

Bond007
12-02-2011, 11:09 PM
नहीँ इस से भी काम नहीँ चलने वाला
जो आरोप प्रत्यारोप करतेँ हैँ उसे तो देश निकाल देना बेहतर होगा इन जैसे नेताओँ की जरुरत ना तो इस देश को हैँ ना यहाँ की जनता को
इसी कमी का तो फायदा उठाकर अंग्रेजो ने इतने साल तक हम पर शासन कीया हैँ
हमेँ तो ऐसे लोगोँ की जरुरत हैँ जो मिल बैठकर देश की एकता अखण्डता के बारे मेँ सोचे बगैर आरोप लगाए

खालिद जी! आप भी जानते हैं और मैं भी जानता हूं| यहां पर तो गुंडे-बदमाशों को नेता बनने का मौका दिया जाता है| स्पेशल ऑफर मिलता है जी| इन्हें बाहर फेंकेगा कौन? नेताओं ने तो अपने बारे में सोचने के अलावा किसी और के बारे में न सोचने की कसम खा रखी है| उन्हें तो ज्यादा दोष देना बेहतर न होगा| इसके बजाये कुछ खास करना ही बेहतर होगा|

VIDROHI NAYAK
12-02-2011, 11:21 PM
खालिद जी! आप भी जानते हैं और मैं भी जानता हूं| यहां पर तो गुंडे-बदमाशों को नेता बनने का मौका दिया जाता है| स्पेशल ऑफर मिलता है जी| इन्हें बाहर फेंकेगा कौन? नेताओं ने तो अपने बारे में सोचने के अलावा किसी और के बारे में न सोचने की कसम खा रखी है| उन्हें तो ज्यादा दोष देना बेहतर न होगा| इसके बजाये कुछ खास करना ही बेहतर होगा|

मै वही तो बार बार कहने की कोशिश कर रहा हूँ की क्या हुआ राजीव जी के साथ? कितने लोग उनके समर्थन में खड़े हुए? इस फोरम के ही सही कितने लोगो ने उनके बारे में एक बार सोचा भी? जूलियस अन्साजे को आज भारत में सभी जान गए होंगे पर कितने लोग राजीव जी को जानते हैं?

Bond007
12-02-2011, 11:45 PM
मै वही तो बार बार कहने की कोशिश कर रहा हूँ की क्या हुआ राजीव जी के साथ? कितने लोग उनके समर्थन में खड़े हुए? इस फोरम के ही सही कितने लोगो ने उनके बारे में एक बार सोचा भी? जूलियस अन्साजे को आज भारत में सभी जान गए होंगे पर कितने लोग राजीव जी को जानते हैं?

जानने औए न जानने की बात को एक तरफ रख दो| कितने ही लोग गुमशुदा रहकर कार्य करना उचित समझते हैं| प्रसिद्धी एक अलग मुद्दा है| किसी ने कुछ किया जरूरी नहीं कि उसे सब जानें| हालांकि हम सब में ये चाह होती है कि सब हमें जानें| जो छोटे तौर पर काम कर रहे हैं जरूरी नहीं कि वे प्रसिद्द हों, बस वो काम कर रहें हैं|

Nitikesh
13-02-2011, 04:26 AM
भारत और महाशक्ति. माफ़ करियेगा जनाब यह इस फोरम का सबसे बड़ा चुटकुला नजर आ रहा है मुझे.

माफ करना बंधू.........परन्तु आप जैसी सोच हमारी भी हो जाये तो देश का बेर गर्क ही समझो!

भारत की आबादी पता है क्या आप लोगो को. १२० करोड़, लोग बच्चे पैदा करते जा रहे हैं, पानी, बिजली और बाकि संसाधन का घोर अभाव है और भारत महाशक्ति. मैं नहीं मानता


अमेरिका का क्षेत्रफल भारत के ३ गुना बड़ा है और आबादी १/४ ही है. अगले ४० साल के बाद पेट्रोल पूरी दुनिया से खत्म हो जायेगा और केवल अमेरिका के पास बचेगा, फिर भारत और महाशक्ति हा हा हा.
मेरे पैत्रिक गाँव में आज भी बिजली नहीं आई है, कच्चे रोड है, लोग इन्टरनेट का नाम ही नहीं सुने हैं. फिर आप किसको महाशक्ति बनाने जा रहे हैं.


अमेरिका जो अपने फालतू के cheap labour वाले काम भारत को outsource कर देता है, तो यहाँ के लोग अपने आप को IT superpower मानने लगते है.

मुझे अपने देश के हाल की जनसंख्या पर गर्व है/किसी भी देश को विकसित होने में वहाँ के नागरिकों का बहुत बड़ा योगदान होता है/हमारी जनसंख्या के आने वाले ५० वर्षों तक मानव बल की कमी नहीं होने वाली है/यह हमारे देश का X factor है/बस हमें हमरी जनसंख्या का सही उपयोग करने के लिए सिखना होगा/सरकार जनसंख्या पर जागरूकता फैला रही है और पहले से लोग ज्यादा जागरूक भी हो रहे हैं/अभी हालत इतने भी बुरे नहीं है/अमेरिका भिजन्संख्या के मामले में दुनियां में तीसरे स्थान पर है/अमेरिका ज्यादा होशियार देश है/

अमेरिका अपने देश के तेल के खानों का उपयोग नहीं कर रहा है/अभी वह दूसरे देश के ही तेल पर जी रहा है/उसे तेल सस्ता में मिलाता रहे/इसके लिए वह इराक जैसे देशो पर हमला करता है/

भाई मेरे हम भारत में ही नहीं पूरी दुनियां में १/३ लगभग इन्टरनेट या दूसरी दूरसंचार यन्त्र का उपयोग करते हैं/

हम अमेरिका का कौन सा फालतू काम कर रहे हो? outsourcing!
भाई मेरे वहाँ के ओबामा भाई का एक मुख्य चुनावी अजेंडा था की outsourcing पर रोक लगायी जाएगी और आप इस काम को फ़ालतू बता रहे हैं!जिस काम से किसी का घर चल रहा हो/वह काम उस व्यक्ति के लिए फालतू नहीं हो सकता है/यदि हमारे देश में सभी आप के जैसा सोचे लगे तो हमरे देश की बेरोजगारी और बढ़ जायेगी/हमरे देश में बेरोजगारी की सबसे बड़ी वजह यह भी है की ज्यादा लोगों को सिर्फ सरकारी नौकरी ही चाहिए और कोई दूसरा काम करना ही नहीं चाहता है/अब नौकरी तो पेड़ पर लगे नहीं हैं जो सरकार हमें को तोड़ कर दे दे/

माफ़ कीजियेगा खालिद जी, मगर मेरा एक दोस्त जो की DRDO में बड़े पद पर हैं बताता है की अभी भी भारत में सभी हथियार और missile रुसी सहायता से ही बनते हैं. अभी भी हम आत्म निर्भर नहीं हैं.

हम इस क्षेत्र में तरक्की कर रहे हैं/हमने अपने देश में इस क्षेत्र बहुत सारे झंडे गाडे है/अभी हाल में ही हमारे देश का पहला स्वदेशी वायुयान सूर्यकिरण हमारे वायुसेना के बेड़े में सामिल हो गया है/थोडा सब्र करो यार हम जल्द ही इन सभी क्षेत्रों में अपने बल बूते पर खड़े होंगे/

नहीँ इस से भी काम नहीँ चलने वाला
जो आरोप प्रत्यारोप करतेँ हैँ उसे तो देश निकाल देना बेहतर होगा इन जैसे नेताओँ की जरुरत ना तो इस देश को हैँ ना यहाँ की जनता को
इसी कमी का तो फायदा उठाकर अंग्रेजो ने इतने साल तक हम पर शासन कीया हैँ
हमेँ तो ऐसे लोगोँ की जरुरत हैँ जो मिल बैठकर देश की एकता अखण्डता के बारे मेँ सोचे बगैर आरोप लगाए

भाई नेता तो चुनने की जिम्मेदारी हमारी है/इसका तो एक ही जबाब है/ज्यादा से ज्यादा मतदान लगभग ९०% अब हमारे देश में चुनाव वाले दिन छुट्टी होती है/अत: अब सभी को मतदान देना अनिवार्य कर देना चाहिए/हमें भी इस क्षेत्र में जागरूक होना होगा/हमें समझना होगा की नेताओं के चिकनी चुपड़ी बातों में ना आ कर/अपने विवेक का इतेमाल करते हुए एक अच्छे व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि बनाये/क्यूँकी जो भी नेता चुनाव में खड़ा होता है/उनके बारे में तो हमें जानकारी होती है की वह कैसा आदमी है/

amit_tiwari
13-02-2011, 06:42 AM
मैं एक साधारण भारतीय परिवार से हूँ | नौकरीपेशा पिता, गृहणी माँ |
मेरी माँ एकदम भारतीय माँ की तरह ही हैं जो मेरे किसी के बाजार जाने पर भी सारे ज्ञात भगवानों के नाम लेती हैं ताकि वो सकुशल घर वापस आये, कहीं बाहर जाते समय पूरी और आलू की सब्जी देना नहीं भूलती यद्यपि मैं कई बार समझा चूका हूँ कि फ्लाईट में खाना मिलता है |
मैं शायद ११ या १२ वर्ष का था जब उनकी कही एक लाइन को मैंने अपने स्वभाव का प्रमुख हिस्सा बना लिया | उन्होंने यूँ ही मुझसे कहा कि सोनू (इस नाम से वो मुझे बुलाती हैं) अगर कभी मैं कुछ ऐसा करू जो तुम्हे ठीक ना लगे तो मुझे बिना डरे बताना | किसी में कमियाँ निकलना बुरा होता है लेकिन उसकी कमी बताना नहीं | मुझे नहीं लगता कि तब मैं उनकी इस बात का अर्थ भी समझ पाया होऊंगा किन्तु आगे चल कर मैंने इसे अपने अन्दर पूरी तरह से ढाल लिया |

इस बात को यहाँ कहने का अर्थ ??? अर्थ है इस सूत्र में हुई कुछ बातें | पहले भी मैंने एक किसी थ्रेड में लगभग कहा था कि मुझे भारतीय होने का कोई गर्व नहीं और काफी विवाद हुआ था |

आखिर कब तक हम अपनी हर कमी को 'माँ तुझे सलाम' जैसी फ़िल्मी बातों से छुपाते रहेंगे ??? जब भी कहीं कोई तार्किक बात करना चाहें वहाँ देश की संस्कृति, सभ्यता, गाय की पूजा, अतिथि सत्कार ये सब मत शुरू करिए कृपया | गाय की पूजा वाले देश में ही हर चौराहे पर एक दास गाय दिन भर लातियाई जाती हैं, नारी पूजने वाले देश में ही 'माँ की आँख' एक सर्वप्रिय वाक्य हो चुका है और अतिथि सत्कार में तो हम इतने आगे हैं की उसके किस्सों पर दो दर्जन रामायण खर्च हो जाएँ |
कमियाँ बताना या स्वीकारना बेइज्जती नहीं होती |
ढेबर भाई ने ठीक कहा | अंधे के राजा होने की परिस्थिति तभी आती है जब सब अंधे हो जाएँ |

ठीक है देश का सम्मान करते हैं, हमें भी भारतीय होने पर गर्व है किन्तु इसका अर्थ ये नहीं है कि हम आँखें मूँद कर वन्दे मातरम ही जपते रहें |
कृपया ठोस तरीके दें जिन्हें कोई सामान्य पारिवारिक व्यक्ति अपने जीवन में ला कर कुछ कर सके |

अनिल जी ने अपने साक्षात्कार में एकदम सटीक कहा कि अभी भारत में वही इमानदार है जिसे बेईमानी का मौका नहीं मिला | ९९.९९ प्रतिशत सही है |

शायद अमोल जी ने या किसी ने टाइम पत्रिका का हवाला देकर कहा है कि भारत काल सेंटर वाला देश है | यह सही है | भारत अभी भी 'Third World' की कैटगरी में है, यदि कोई इसे नहीं स्वीकारता तो उसका एक ही अर्थ है कि उसे वैश्विक परिस्थति का अनुमान भी नहीं | इन्डियन पासपोर्ट पकड़ कर सिंगापूर के एअरपोर्ट के इमिग्रेशन काउंटर पर खड़े होने पर अभी भी 'inferior' फीलिंग होती है, डेवेलपिंग फीलिंग | उस स्थिति में कभी भी वन्दे मातरम नहीं याद आता |

खुशफहमी में जीना बदहाली में jeene से भी बुरा है |

स्थिति badli jaa sakti है, badlegi भी लेकिन sirf achchha sochane से नहीं | kadva sach sweekariye और vastavik upay sochiye |

Bond007
13-02-2011, 06:49 AM
स्थिति badli jaa sakti है, badlegi भी लेकिन sirf achchha sochane से नहीं | kadva sach sweekariye और vastavik upay sochiye |

सिर्फ सोचने और बताने से नहीं बल्कि उसको प्रयोग करने से ही स्थिति में बदलाव संभव है|

amit_tiwari
13-02-2011, 07:22 AM
कनेक्टिविटी कट जाने के कारण मेरा उत्तर अभी अधूरा रह गया था |

सोचने की जगह कार्य शुरू करने का उदाहरण अभिषेक जी को दिया जा सकता है | हिंदी प्रचार की बातें चलती रहती हैं किन्तु इन्होने उन बातों से आगे आकर बिना किसी अर्थ लाभ और लोभ के हिंदी का मंच सजाया | हाँ यहाँ मेरा कहने का अर्थ यह नहीं की सभी को अपना एक फोरम बनाना चाहिए, उससे प्रयास बाँटेंगे | जो भी यहाँ अपने समय और प्रयासों का सहयोग कर रहे हैं वो भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं | और इस मामले में मेरे जैसे लोग ज्यादा बुरे हैं क्यूंकि बातें तो करते हैं लेकिन ज्यादा पोस्ट नहीं कर पाते |
अब अगर इस फोरम को एक मोडल मान लें तो कैसे हमने एक समस्या 'अपनी भाषा में विचारों का बाँटना' का हल निकल लिया | करने से !!! अभिषेक जी ने शुरुआत की और बाकी लोगों ने उस शुरुआत को जीवन दे दिया | बस इसी तरह से हम यदि हर समस्या को एक के बाद एक लेते जाएँ तो हालत बदलेंगे ही |

amit_tiwari
13-02-2011, 07:24 AM
कनेक्टिविटी कट जाने के कारण मेरा उत्तर अभी अधूरा रह गया था |

सोचने की जगह कार्य शुरू करने का उदाहरण अभिषेक जी को दिया जा सकता है | हिंदी प्रचार की बातें चलती रहती हैं किन्तु इन्होने उन बातों से आगे आकर बिना किसी अर्थ लाभ और लोभ के हिंदी का मंच सजाया | हाँ यहाँ मेरा कहने का अर्थ यह नहीं की सभी को अपना एक फोरम बनाना चाहिए, उससे प्रयास बाँटेंगे | जो भी यहाँ अपने समय और प्रयासों का सहयोग कर रहे हैं वो भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं | और इस मामले में मेरे जैसे लोग ज्यादा बुरे हैं क्यूंकि बातें तो करते हैं लेकिन ज्यादा पोस्ट नहीं कर पाते |
अब अगर इस फोरम को एक मोडल मान लें तो कैसे हमने एक समस्या 'अपनी भाषा में विचारों का बाँटना' का हल निकल लिया | करने से !!! अभिषेक जी ने शुरुआत की और बाकी लोगों ने उस शुरुआत को जीवन दे दिया | बस इसी तरह से हम यदि हर समस्या को एक के बाद एक लेते जाएँ तो हालत बदलेंगे ही |

Kumar Anil
13-02-2011, 07:44 AM
कड़वे सच को स्वीकार कर वास्तविक उपाय खोजने होँगे । सूत्रधार का भी मक़सद यही है । उसने भी महाशक्ति बनने के लिये संभावनाओँ की तलाश मेँ हमराह होने का आगाज़ किया है । सोने की चिड़िया के साथ कल्पनालोक मेँ विचरण तो यथार्थ से आँखे मूँदे रहना है ठीक वैसे ही जैसे अफीम चाटकर निश्चेष्ट पड़े रहना । लेकिन सोने की चिड़िया के टूटे हुये पँख को लेकर विलाप करना भी शोभनीय नहीँ है , हमारी किँकर्तव्यविमूढ़ता को दर्शाता है । बेहतर तो होगा कि उसे उपचारित कर पुनः गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान करेँ । कमियाँ गिनाकर मूल विषय को परिदृश्य से ही गायब करने पर फौरी तौर पर आकर्षण का केन्द्र बिन्दु तो बना जा सकता है इससे इतर कुछ और नहीँ । ये विषय ही कुछ ऐसा है कि अचानक सूत्र चैट बॉक्स मेँ तब्दील हो गया तो फिर हमारा भी दायित्व बनता है कि हम सूत्रधार द्वारा प्रदत्त अधिकारोँ के अर्न्तगत उपाय ढ़ूँढ़े न कि छिद्रान्वेषी बन सतही मीमांसा करेँ ।

Bhuwan
21-02-2011, 05:31 AM
तो माननीय सदस्यों! हम इसी विषय पर इस सूत्र में चर्चा करेंगे कि आखिर कैसे भारत एक महाशक्ति बन पायेगा? बन भी पायेगा या नहीं! बनेगा, तो कब तक बन पायेगा?


चर्चा के लिए बहुत ही उपयुक्त विषय चुना है बोंड जी ने. आपको हार्दिक बधाई.
mere विचार में तो सबसे पहला काम जो होना चाहिए वो ये की रद्दी हो चुके इन नेताओं को कबाड़ख़ाने में फेंकना चाहिए. और अफसरशाही को अधिक से अधिक जिम्मेदार बनना चाहिए. महिलाओं की दशा में सुधर भी एक जरूरी चीज़ है. साथ ही नै सोच और युवा शक्ति को बढ़ावा देना, नै-नै तकनीकें अपने दम पर विकशित करना, जाती-पाती और आरक्षण जैसी बुराइयों से बचना और प्रतिभाओं को अधिक से अधिक प्रोत्साहन और मौका देना जरूरी है.
सबसे बड़ी बात, खुद कुछ करो, हाथ पर हाथ रख कर बैठने से, दूसरों का मुंह देखते रहने से और फालतू की बयानबाजी करने से कुछ नहीं होने वाला. सिवाय बर्बादी के.

pankaj bedrdi
21-02-2011, 06:34 PM
सबसे महत्वपुण बाते है हमे तो कहना है कि सबसे पहले घुसखोरी खतम करना होगा

Bond007
23-02-2011, 07:58 PM
क्या भाई; किसी और के पास कोई और विचार नहीं है???

Bond007
23-02-2011, 08:01 PM
सबसे महत्वपुण बाते है हमे तो कहना है कि सबसे पहले घुसखोरी खतम करना होगा

बेदर्दी जी! ये काम न तो आपके बस का है और न ही मेरे बस का| ये काम इतना आसान नहीं है|

ये बात तो हम सब हमेशा से कहते आ रहे हैं| कुछ ऐसा बताओ जो हम अपने स्तर पर अपनी हद और जिम्मेदारी से कर सकें|

pankaj bedrdi
26-02-2011, 08:43 AM
बेदर्दी जी! ये काम न तो आपके बस का है और न ही मेरे बस का| ये काम इतना आसान नहीं है|

ये बात तो हम सब हमेशा से कहते आ रहे हैं| कुछ ऐसा बताओ जो हम अपने स्तर पर अपनी हद और जिम्मेदारी से कर सकें|


तो यहा से शुरु करे भारत गाँव का देश है इस लिय सबसे पहले गाँव का विकास जरुरी है जैसे गाँव मै अच्छा अस्तर पर पढाइ हो किसान पुरा लाभ मिले इत्यादी

Bond007
27-02-2011, 11:48 AM
इस एक और नई रिपोर्ट पर भी नजर डालो.....

सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत
Feb 24,

नई दिल्ली। वित्तीय सेवा प्रदाता ग्रुप सिटी का अनुमान है कि भारत 2050 तक चीन एवं अमेरिका को पछाड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
सिटी ने एक रपट में कहा है कि चीन को 2020 तक अमेरिका को पछाड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाना चाहिए और उसके बाद 2050 तक वह भारत से पिछड़ जाएगा।
सिटी का यह अनुमान क्रय शक्ति समता के आधार पर है। पीपीपी के आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था 2050 में लगभग 85,970 अरब डालर हो जाएगी जो 2010 में 3,920 अरब डालर थी।
सिटी के अनुमान के अनुसार भारत 2040 तक अमेरिका को पछाड़ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और दस साल बाद उस समय की नंबर एक अर्थव्यवस्था चीन को भी पछाड़ सकता है। इसमें कहा गया है कि 2015 तक भारत जापान को पछाड़ कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

Bholu
27-02-2011, 04:08 PM
क्या भविष्य बार्ता कि है

pankaj bedrdi
27-02-2011, 04:45 PM
इस विश्व कप से भारत अर्थवस्था अच्छा हो जायेगा

Kumar Anil
12-03-2011, 09:36 AM
शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिसके माध्यम से हम तमाम बुराईयोँ , कुरीतियोँ का समूल नाश करते हुये एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण करते हुये शक्ति के रूप मेँ स्थापित हो सकते है । शिक्षा से ही हमारा चिन्तन जाग्रत होता है , सकारात्मक होता है । शिक्षा हमेँ ऊर्जा प्रदान करती है और एक विजन देती है । जिसके फलस्वरूप व्यक्ति अपना परिष्कार करते हुये राष्ट्र के निर्माण मेँ महती भूमिका अदा करता है ।
अब सवाल यह उठता है कि क्या केवल सरकारी मशीनरी के भरोसे सर्व शिक्षा अभियान के सच को आरोपित किया जाये । जहाँ विश्व बैँक के पैसे की लूट के लिये तमाशा हो रहा है । या फिर बच्चोँ को प्रलोभन देकर स्कूल बुलाने वाली मिड डे मील योजना का नंगा नाच देखा जाये । जहाँ ब्यूरोक्रेट्स , ngo , जनप्रतिनिधि अपनी जेबेँ भरने के लिये अधिक चिन्तित दिखायी दे रहे हैँ । बढ़ते हुये कर्जे और लुटती हुई जनता की गाढ़ी कमाई के लिये यह एक यक्ष प्रश्न हो सकता है ।
पर एक व्यक्ति के रूप मेँ हमारा भी तो दायित्व बनता है । कुछ बोध हमेँ भी तो होना चाहिये जैसा हमारे सूत्रधार हमसे अपेक्षा कर रहे हैँ कि हम अपने स्तर पर क्या कर सकते हैँ ।
अर्थदान तो हम सभी नित्यप्रति करने का कोई अवसर नहीँ चूकते । शायद इसके पीछे धर्म या हमारी उदात्त भावनायेँ कार्य करती हैँ या फिर हम अपने पापोँ को पुण्योँ मेँ परिवर्तित करने का शार्टकट समझते होँगे । दीनबन्धु एन्ड्रज मानव धर्म को ही सबसे बड़ा धर्म मानते थे ।
तो इस अर्थदान के बज़ाए या फिर उसके साथ साथ हम शिक्षा दान क्योँ नहीँ करते । न न ये केवल ngo या समाज सेवी संस्थाओँ का कार्य नहीँ अपितु हर एक शिक्षित व्यक्ति का होना चाहिये । समयाभाव का रोना रोकर शायद हम खुद को झुठलायेँगे क्योँकि चैटिँग के लिये अन्ततः हम समय निकाल ही लेते हैँ ।
एक दृष्टान्त शेयर करना चाहूँगा । मेरी एक परिचित टीचर ने अपने घरेलू कार्योँ की मदद के लिये एक बेहद गरीब लड़की , जिसका जीवन यापन भिक्षावृत्ति पर चलता था , को रखा और उसको शिक्षा दान से बी . एड . की डिग्री दिलवा दी और आज समाज का वो कूड़ा एक सरकारी स्कूल मेँ स्वयं टीचर के रूप मेँ सैकड़ोँ बच्चोँ को प्रकाशवान कर रही है । नीरज जी ने कहा है कि जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना , अँधेरा धरा पर कहीँ रह न जाये ।

Bhuwan
14-03-2011, 04:34 PM
लेकिन अनिल जी हमने तो ये देखा है की जो जितना शिक्षित हो वो उतना ही बदमास और स्वार्थी हो जाता है. ngo वाले शिक्षा प्राप्त करके समाजसेवा के नाम पर धड़ल्ले से अपनी जेबें भरते नजर आते हैं.
अपनी समझदारी विकसित करने के बजाए अपने आप को चालक बनाते हैं. अपने आप को एक मैनेजर के रूप में पेश करते हैं.

VIDROHI NAYAK
14-03-2011, 05:28 PM
लेकिन अनिल जी हमने तो ये देखा है की जो जितना शिक्षित हो वो उतना ही बदमास और स्वार्थी हो जाता है. Ngo वाले शिक्षा प्राप्त करके समाजसेवा के नाम पर धड़ल्ले से अपनी जेबें भरते नजर आते हैं.
अपनी समझदारी विकसित करने के बजाए अपने आप को चालक बनाते हैं. अपने आप को एक मैनेजर के रूप में पेश करते हैं.

शिक्षा के भी तो अपने प्रकार होते है..किसी ने चालाकी में शिक्षा ग्रहण की तो किसी ने होशियारी में ! हैं दोनों लगभग सामान प्रकार की ! वस्तुता ये तो वही बात हुई की हम किसी वस्तु का कैसे प्रयोग करते हैं ! यह तो व्यक्तिवाद पर निर्भर है !

Kumar Anil
14-03-2011, 07:34 PM
लेकिन अनिल जी हमने तो ये देखा है की जो जितना शिक्षित हो वो उतना ही बदमास और स्वार्थी हो जाता है. Ngo वाले शिक्षा प्राप्त करके समाजसेवा के नाम पर धड़ल्ले से अपनी जेबें भरते नजर आते हैं.
अपनी समझदारी विकसित करने के बजाए अपने आप को चालक बनाते हैं. अपने आप को एक मैनेजर के रूप में पेश करते हैं.


भुवन जी , शिक्षा अपने अधिकारोँ के लिये जागरूक करती है , एक चेतना पैदा करती है । अच्छे बुरे का बोध कराती है । हमेँ अपने दायित्वोँ का भी बोध कराती है । स्वार्थ और बदमाशी मानवीय दुर्गुण हैँ जिनका शिक्षा से कोई सरोकार नहीँ । शिक्षित व्यक्ति किसी भी राष्ट्र के निर्माण मेँ , उसके विकास मेँ अधिक महत्वपूर्ण और बेहतर भूमिका निभाता है । जहाँ तक ngo का प्रश्न है , उस बाबत तो मैँने स्वयं ही निवेदन किया है कि हमेँ इनसे अपनी निर्भरता कम करनी होगी । जैसे जैसे इसकी निर्भरता कम होगी , इनमेँ व्याप्त भ्रष्टाचार मेँ भी निश्चित रूप से कमी आयेगी ।

ndhebar
16-03-2011, 12:13 PM
भुवन जी , शिक्षा अपने अधिकारोँ के लिये जागरूक करती है , एक चेतना पैदा करती है । अच्छे बुरे का बोध कराती है । हमेँ अपने दायित्वोँ का भी बोध कराती है । स्वार्थ और बदमाशी मानवीय दुर्गुण हैँ जिनका शिक्षा से कोई सरोकार नहीँ । शिक्षित व्यक्ति किसी भी राष्ट्र के निर्माण मेँ , उसके विकास मेँ अधिक महत्वपूर्ण और बेहतर भूमिका निभाता है ।

बहुत अच्छी और सत्य बात कही है
शिक्षा मनुष्य के अन्दर के अंधकार को दूर करने में उतनी ही सहायक है जितनी अँधेरे को दूर करने में रौशनी

Bond007
17-03-2011, 12:45 AM
लेकिन अनिल जी हमने तो ये देखा है की जो जितना शिक्षित हो वो उतना ही बदमास और स्वार्थी हो जाता है. Ngo वाले शिक्षा प्राप्त करके समाजसेवा के नाम पर धड़ल्ले से अपनी जेबें भरते नजर आते हैं.
अपनी समझदारी विकसित करने के बजाए अपने आप को चालक बनाते हैं. अपने आप को एक मैनेजर के रूप में पेश करते हैं.


भुवन जी , शिक्षा अपने अधिकारोँ के लिये जागरूक करती है , एक चेतना पैदा करती है । अच्छे बुरे का बोध कराती है । हमेँ अपने दायित्वोँ का भी बोध कराती है । स्वार्थ और बदमाशी मानवीय दुर्गुण हैँ जिनका शिक्षा से कोई सरोकार नहीँ । शिक्षित व्यक्ति किसी भी राष्ट्र के निर्माण मेँ , उसके विकास मेँ अधिक महत्वपूर्ण और बेहतर भूमिका निभाता है । जहाँ तक ngo का प्रश्न है , उस बाबत तो मैँने स्वयं ही निवेदन किया है कि हमेँ इनसे अपनी निर्भरता कम करनी होगी । जैसे जैसे इसकी निर्भरता कम होगी , इनमेँ व्याप्त भ्रष्टाचार मेँ भी निश्चित रूप से कमी आयेगी ।

शिक्षा वो जरूरी चीज है जो हमें जागरूक बनाने के लिए जरूरी है| इसके सहारे हम लोग सरकारी मशीनरी में भ्रष्टाचार को कम कर सकते हैं|

kuram
17-03-2011, 02:30 PM
[इतने मित्रो के विचार पढ़े. मुझे लगता है नब्ज कही छूट गयी है.
तो ज़रा सुनो - हम महाशक्ति दौ साल तक भी नहीं बनेगे.
क्या हम Jaativad छोड़ पाए है ?? जिसके कारण कोई चार सिपाही लेकर भी आया तो हम हार गए. क्योंकि हम बनते हुए थे. क्या हम धर्म की सही परिभाषा समझ पाए है जिसके कारण करोडो निर्दोष इस देश में मरे है और देश का बंटवारा भी हुआ है.
क्या हमें अपने वैज्ञानिकों के नाम भी याद है ?? जबकि फ़िल्मी सितारों और क्रिकेटरों की तीन पीढ़ी तक को हम जानते है. आर्यभट उपग्रह में अपना योगदान देने के लिए विदेश छोड़कर भारत आने वाले वैज्ञानिक और गणितग्य डॉक्टर वशिष्ट इलाज के अभाव में मरा था जबकि फ़िल्मी हीरो और हिरोइन को एक शो या शादी विवाह में जाने के लिए दो तीन करोड़ रूपये मिलते है. आई आई टी में टोपर को अमेरिका छात्रवृति देता है भारत में आकर जबकि हमारे देश के अखबार में तो उसका नाम भी नहीं छपता जबकि अगर किसी हीरो हिरोइन ने शर्त चेंज कर लिया तो भी मुख्य खबर होती है. अन्ना हजारे का नाम कितने लोगो को पता है ?? किसी ने उसके बारे में जानने की भी कोशिश की है ???
बाबा रामदेव के कहने पर लौकी का जूस पीकर एक आदमी मरा था पूरे देश में हल्ला हो गया जबकि ताजा घटना में संक्रमित ग्लूकोज से बीस महिलाओं की जान गयी है कोई स्यापा हुआ ???

Bholu
17-03-2011, 02:37 PM
[इतने मित्रो के विचार पढ़े. मुझे लगता है नब्ज कही छूट गयी है.
तो ज़रा सुनो - हम महाशक्ति दौ साल तक भी नहीं बनेगे.
क्या हम jaativad छोड़ पाए है ?? जिसके कारण कोई चार सिपाही लेकर भी आया तो हम हार गए. क्योंकि हम बनते हुए थे. क्या हम धर्म की सही परिभाषा समझ पाए है जिसके कारण करोडो निर्दोष इस देश में मरे है और देश का बंटवारा भी हुआ है.
क्या हमें अपने वैज्ञानिकों के नाम भी याद है ?? जबकि फ़िल्मी सितारों और क्रिकेटरों की तीन पीढ़ी तक को हम जानते है. आर्यभट उपग्रह में अपना योगदान देने के लिए विदेश छोड़कर भारत आने वाले वैज्ञानिक और गणितग्य डॉक्टर वशिष्ट इलाज के अभाव में मरा था जबकि फ़िल्मी हीरो और हिरोइन को एक शो या शादी विवाह में जाने के लिए दो तीन करोड़ रूपये मिलते है. आई आई टी में टोपर को अमेरिका छात्रवृति देता है भारत में आकर जबकि हमारे देश के अखबार में तो उसका नाम भी नहीं छपता जबकि अगर किसी हीरो हिरोइन ने शर्त चेंज कर लिया तो भी मुख्य खबर होती है. अन्ना हजारे का नाम कितने लोगो को पता है ?? किसी ने उसके बारे में जानने की भी कोशिश की है ???
बाबा रामदेव के कहने पर लौकी का जूस पीकर एक आदमी मरा था पूरे देश में हल्ला हो गया जबकि ताजा घटना में संक्रमित ग्लूकोज से बीस महिलाओं की जान गयी है कोई स्यापा हुआ ???

बहुत बढिया भाई

ndhebar
17-03-2011, 02:41 PM
कटु परन्तु सत्य

मुझे मेरे एक मित्र ने कहा की भारत अगले बीस वर्षों में अमेरिका की बराबरी कर लेगा
मुझे हंसी आई, मैंने कहा भाई बीस वर्ष तक भारत अगर तरक्की करेगा तो अमेरिका क्या रूक कर भारत का इंतजार करेगा

kuram
17-03-2011, 02:45 PM
हमारे यहाँ एक से एक महंगे मंदिर बने है क्योंकि यह पुण्य है मंदिरों में अरबो की ज्वेलरी जमा है क्या स्कूल बनवाना पाप है ?? क्या झुग्गी झोंपड़ी की जगह फ्लेट बनाकर उनमे रहने वालो का उद्धार करना पाप है ??
इस देह में पढ़े लिखे लोग हो सकते है लेकिन चिंतन करने वाले मुझे लगता नगण्य है. प्रांतवाद के लिए झंडे लेकर मारपीट करने वाले डिग्री होलडर होते है. जिन्हें ये पता भी नहीं होता की देश कई प्रान्तों से मिलकर बना है. ताजा खबरों में एक जाती पंद्रह दिन से पटरी रोक कर बैठी है रेलवे को करोडो का चुना लग चुका है और देश वाशियों को परेशानी हो रही है. किसलिए ? आरक्षण के लिए. और सरकार चुप चाप तमाशा देख रही है क्योंकि वोट बेंक टूट जाएगा. दस दिन बाद कोई दूसरी जाती बैठ जाएगी फिर कोई दूसरी फिर कोई दूसरी सिल सिला चलता जाएगा. और एक दिन ऐसा आयेगा की ये जाती पांच प्रतिशत वो जाती दस प्रतिशत ऐसे मिलाकर सौ प्रतिशत नौकरी सिर्फ आरक्षन के लिए समर्पित. योग्यता जाए भाड़ में.
हमारे लगभग सारे हथियार आयातित है और जो घर में बनाए है वो भी टेक्नोलोजी बाहर से भीख में या कीमत चुकाकर लाये है क्योंकि अपने यहाँ इंजिनियर और वैज्ञानिकों का न सम्मान होता है और न पैसे मिलते. अपने यहाँ तो गाली दो या फूहड़ पना करो उसके बाद बिग बोस में जाओ और करोडो कमाओ.

kuram
17-03-2011, 02:56 PM
दोस्तों, अपने यहाँ सिर्फ ग्रंथो में ही महान वाक्य है जीवन में न उनको कोई उतारता है और न समाज उतारने देता है. बेटा भी जब बाहर कमाने के लिए जाता है तो माँ बाप ऊपर की कमाई करने के लिए कहते है जबकि सुबह सुबह रामायण पढने वाले बाप के आगे हर पेज में ये आता है की मेहनत करके खाना इश्वर सेवा ही है." यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता " वाले देश में लडकियों को पैदा होते ही अफीम पिलाकर मारा जाता था और जिनको माँ बाप ने नहीं मारा तो यह पुण्य काम ससुराल में दहेज़ के लिए पति देव और माता सामान सास ने पूरा किया और अब भी करती है. सरपंच के चुनाव में भी करोडो रूपये खर्च होते है क्योंकि जनता बिना पैसे लिए और दारु पिए वोट नहीं देती. अब करोड़ रूपये लगाकर चुनाव तो कोई बेईमान ही जीत सकता है तो फिर उससे विकास की उम्मीद क्यों भाई ??
आज हर कोई अपना घर भरने में लगा है. देश भक्ति सिर्फ भाषण में है.
अभी समय की कमी है दोस्तों फिर और लिखूंगा. धन्यवाद उन मित्रो को जिसने सार्थक सूत्र बनाया और अपना समय दिया.

khalid
17-03-2011, 02:59 PM
लेकिन अनिल जी हमने तो ये देखा है की जो जितना शिक्षित हो वो उतना ही बदमास और स्वार्थी हो जाता है. ngo वाले शिक्षा प्राप्त करके समाजसेवा के नाम पर धड़ल्ले से अपनी जेबें भरते नजर आते हैं.
अपनी समझदारी विकसित करने के बजाए अपने आप को चालक बनाते हैं. अपने आप को एक मैनेजर के रूप में पेश करते हैं.


भाई भुवन जहाँ तक ngo का प्रश्न हैँ मैँ लगभग दो साल काम कर के देख चुका हुँ रजीस्टर ngo था उसके वाउजुद मैँ बुरी तरह से ठगा गया जब की मैँने हर तरह से उस संस्था को आगे बढाने के लिए जी तोड मेहनत की लेकिन सचिव को सिर्फ ज्वाईनिँग के रकम से मतलब था हालाकी कुछ ngo जमीनी स्तर पर काम जरुर कर रहा हैँ उनका तादात 1% हैँ बाकी अपने जेब के लिए करता हैँ यह भी सच हैँ सरकार हर घर तक नहीँ पहुँच सकता हैँ और NGO एक अच्छा विकल्प हैँ लेकिन सरकार का फर्ज बनता हैँ जो अच्छे NGO हैँ उसे हीँ काम दे अन्यथा उसे ब्लैक लिस्ट कर दे कुछ NGO को बिहार मेँ मध्यान भोजन स्कुल मेँ सप्लायर का काम दिया हैँ लेकिन खाने की क्वालिटी इतना घटिया होता हैँ आए दिन इस बात का विवाद बन जाता हैँ इन सब चीजोँ के उपर सरकार नकेल कसे तब जाकर कुछ तो भला होगा

dev b
18-04-2011, 02:46 PM
मित्रो महा शक्ति बनाने के लिए हम को सूक्ष्म में निम्न सुधार लाने पड़ेंगे ........................
१.........सभी धर्म के लोगो को मिल जुल कर रहना होगा
२..........काले धन को वापस भारत लाना होगा
३...........infrastructure का विकाश करना होगा
४............हम को ये सोचना होगा की हम ने देश को क्या दिया ना की हम को देश ने क्या दिया
५.............राजनीति के कचरे को साफ़ करना होगा

Bond007
29-04-2011, 11:53 PM
'विजन 2020' के बारे में डॉ. कलाम जी के विचार--

Bond007
29-04-2011, 11:56 PM
2020 तक विकसित देश बन सकता है भारत


पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि 'विजन 2020' के तहत अगर अगले नौ साल तक सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की वृद्धि दर 10 से 11 प्रतिशत रहती है तो भारत आर्थिक रूप से विकसित देशों की कतार में शामिल हो सकता है।
कलाम ने कहा कि 2020 के लिए हमारे पास नौ साल और हैं और अगर हम इस अवधि में 10 से 11 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर हासिल करते हैं तो हम आर्थिक रूप से विकसित देश बन सकते हैं।

पूर्व राष्ट्रपति भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] की सफलता और 2020 तक भारत के विकसित होने को लेकर तैयार किए गए अपने 'विजन 2020' के बारे में बोल रहे थे। शिकागो में भारतीय महा-वाणिज्य दूत मुक्ता दत्त तोमर ने कलाम के सम्मान में इस सप्ताह की शुरुआत में कार्यक्रम का आयोजन किया था।

बहरहाल, उन्होंने कहा कि विकास के लिए जरूरी है कि भारत भ्रष्टाचार से मुक्त देश हो। गांवों में शहरी सुविधाओं के विकास से संबंद्ध अपनी 'पुरा' योजना के बारे में कलाम ने कहा कि यह देश में विकास लाएगा और विकास के अंतर की खाई को पाटेगा। उन्होंने भारत में स्वच्छ और हरित ऊर्जा, महिलाओं की शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, गांवों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराए जाने तथा ग्रामीण इलाकों में पर्याप्त सुविधाओं के विकास पर जोर दिया।

Bond007
30-04-2011, 12:02 AM
मित्रो महा शक्ति बनाने के लिए हम को सूक्ष्म में निम्न सुधार लाने पड़ेंगे ........................
१.........सभी धर्म के लोगो को मिल जुल कर रहना होगा
२..........काले धन को वापस भारत लाना होगा
३...........infrastructure का विकाश करना होगा
४............हम को ये सोचना होगा की हम ने देश को क्या दिया ना की हम को देश ने क्या दिया
५.............राजनीति के कचरे को साफ़ करना होगा

ये शब्द- 'होगा', क्यों इस्तेमाल करते हैं हम लोग? करना होगा, सोचना होगा, लाना होगा......., करेगा कौन? 'करना होगा....' क्यों, 'कर रहे हैं....' क्यों नहीं? ये कौन देखेगा कि हम कर क्या रहे हैं? अपने स्तर, अपनी सामर्थ्य से किए जा सकने वाले काम ही कुछ उद्धार कर सकते हैं|

वरना तो सोचते, सलाह देते और विचार ही व्यक्त करते रह जाएंगे|

Bond007
30-04-2011, 12:12 AM
लेकिन अनिल जी हमने तो ये देखा है की जो जितना शिक्षित हो वो उतना ही बदमास और स्वार्थी हो जाता है. Ngo वाले शिक्षा प्राप्त करके समाजसेवा के नाम पर धड़ल्ले से अपनी जेबें भरते नजर आते हैं.
अपनी समझदारी विकसित करने के बजाए अपने आप को चालक बनाते हैं. अपने आप को एक मैनेजर के रूप में पेश करते हैं.


उनका उद्देश्य कभी भी समाज-सेवा या देश-सेवा नहीं स्वयं-सेवा होता है| पढ़ाई करने की पहली प्राथमिकता अपने लिए उज्जवल भविष्य को तलाशना होता है| जो किसी तरह से नौकरी पाने में कामयाब नहीं होते, ngo में काम करने लगते हैं| समाज के लिए शिक्षक सबसे पहली जरूरत है, लेकिन आजकल लोगों का पहला लक्ष्य कभी भी शिक्षक बनना नहीं होता| एक फिल्म का संवाद याद आ रहा है "जिसे कोई और काम नहीं मिलता, टीचर बन जाता है" कुछ ऐसा ही था|

Bholu
05-05-2011, 01:37 PM
मित्रो महा शक्ति बनाने के लिए हम को सूक्ष्म में निम्न सुधार लाने पड़ेंगे ........................
१.........सभी धर्म के लोगो को मिल जुल कर रहना होगा
२..........काले धन को वापस भारत लाना होगा
३...........infrastructure का विकाश करना होगा
४............हम को ये सोचना होगा की हम ने देश को क्या दिया ना की हम को देश ने क्या दिया
५.............राजनीति के कचरे को साफ़ करना होगा

बात तो ठीक है लेकिन सुधार जब होगा जब हम सुधारेगेँ