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View Full Version : दिल्ली के दर्शनीय स्थल


Bond007
12-02-2011, 07:32 AM
दिल्ली भारत की राजधानी ही नहीं पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र भी है। राजधानी होने के कारण भारतीय सरकार के अनेक कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन आदि अनेक आधुनिक स्थापत्य के नमूने तो यहाँ देखे ही जा सकते हैं प्राचीन नगर होने का कारण इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। पुरातात्विक दृष्टि से कुतुबमीनार और लौह स्तंभ जैसे विश्व प्रसिद्ध निर्माण यहाँ पर आकर्षण का केंद्र समझे जाते हैं। एक ओर हुमायूँ का मकबरा जैसा मुगल शैली की ऐतिहासिक राजसिक इमारत यहाँ है तो दूसरी ओर दूसरी ओर निज़ामुद्दीन औलिया की पारलौकिक दरगाह।

लगभग सभी धर्मों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल यहाँ हैं बिरला मंदिर, बंगला साहब का गुरुद्वारा, बहाई मंदिर और देश पर जान देने वालों का स्मारक भी राजपथ पर इसी शहर में निर्मित किया गया है। भारत के प्रधान मंत्रियों की समाधियाँ हैं, जंतर मंतर है, लाल किला है साथ ही अनेक प्रकार के संग्रहालय और बाज़ार हैं जो दिल्ली घूमने आने वालों का दिल लूट लेते हैं।

Bond007
12-02-2011, 07:44 AM
लक्ष्मी नारायण मंदिर
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8746&stc=1&d=1297482226

लक्ष्मी नारायण मंदिर बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1938 में हुआ था और इसकाउद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। बिड़ला मंदिर अपने यहां मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के लिए भी प्रसिद्ध है। जन्माष्टमी का त्यौहार यहां बहुत हर्षोल्लामस के साथ मनाया जाता है।
इसके वास्तुशिल्प की बात की जाए तो यह मंदिर उड़ियन शैली में निर्मित है। मंदिर का बाहरी हिस्सा सफेद संगमरमर और लाल बलुआपत्थिर से बना है जो मुगल शैली की याद दिलाता है। मंदिर में तीन ओर दो मंजिला बरामदे हैं और पिछले भाग में बगीचे और फव्वारे हैं।
यह मंदिर मूल रूप में १६२२ में वीर सिंह देव ने बनवाया था, उसके बाद पृथ्वी सिंह ने १७९३ में इसका जीर्णोद्धार कराया।सन १९३८ में भारत के बड़े औद्योगिक परिवार, बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और पुनरोद्धार कराया।

Bond007
12-02-2011, 07:47 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8747&stc=1&d=1297482226

जन्माष्टमी के अवसर पर सजा हुआ मंदिर

Bond007
12-02-2011, 07:48 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8748&stc=1&d=1297482226

किनारे की भित्ति शोभा

Bond007
12-02-2011, 07:50 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8749&stc=1&d=1297482226

गरुड़ स्तंभ

Bond007
12-02-2011, 07:52 AM
आद्या कात्यायिनी मंदिर

आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है। यह मंदिर गुंड़गांव-महरौली मार्ग के निकट छतरपुर में स्थित है। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है और इसकी सजावट बहुत की आकर्षक है। दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर विशाल क्षेत्र में फैला है। मंदिर परिसर में खूबसूरत लॉन और बगीचे हैं।

मूल रूप से यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। इसके अतिरिक्तं यहां भगवान शिव, विष्णु, देवी लक्ष्मी, हनुमान, भगवान गणेश और राम आदि देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं।

दुर्गा पूजा और नवरात्रि के अवसर पर पूरे देश से यहां भक्त एकत्र होते हैं और समारोह में भाग लेते हैं। इस दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। यहां एक पेड़ है जहां श्रद्धालु धागे और रंग-बिरंगी चूड़ियां बांधते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।

Bond007
12-02-2011, 07:58 AM
बहाई उपासना मंदिर
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8750&stc=1&d=1297483039

दिल्ली के दिल यानी नेहरू प्लेस में बसा लोटस टेंपल, अपने आप में अनूठा है। यह हर तरह के पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है। माना जाता है कि प्रतिदिन लोटस टेंपल में करीब आठ से दस हजार पर्यटक आते हैं। यहाँ का निर्मल वातावरण प्रार्थना और ध्यान के लिए सहायक है। यहाँ पर न तो कोई मूर्ति है, न ही कोई कर्म-कांड होते हैं बल्कि यहाँ पर विभिन्न धर्मों के पवित्र लेख पढ़े जाते हैं। भारत के लोगों के लिए कमल का फूल पवित्रता तथा शांति का प्रतीक है और ईश्वर के अवतार का संकेत चिह्न भी है। इस फूल का कीचड़ में रहने के बावजूद पवित्र तथा स्वच्छ रह कर खिलना, सिखाता है कि धार्मिक प्रतिस्पर्धा तथा भौतिक पूर्वाग्रहों के अंदर रह कर भी वे इन सबसे कैसे अनासक्त हो पाएँ।

बहाई उपासना मंदिर उन मंदिरों में से है जो गौरव शांति एवं उत्कृष्ठ वातावरण को ज्योतिर्मय करता है, जो किसी भी श्रद्धालु को आध्यात्मिक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए अति आवश्यक है। उपासना मंदिर मीडिया प्रचार प्रसार और श्रव्य माध्यमों में आगंतुकों को सूचनाएं प्रदान करता है। मंदिर का उद्घाटन २४ दिसंबर १९८६ को हुआ लेकिन आम जनता के लिए यह मंदिर १ जनवरी १९८७ को खोला गया। तब से इस मंदिर को लोटस टेंपल के नाम से ही पुकारा जाता है। मंदिर में पर्यटकों को आर्किषत करने के लिए विस्तृत घास के मैदान, सफेद विशाल भवन, ऊंचे गुंबद वाला प्रार्थनागार और प्रतिमाओं के बिना मंदिर से आकर्षित होकर हजारों लोग यहां मात्र दर्शक की भांति नहीं बल्कि प्रार्थना एवं ध्यान करने तथा निर्धारित समय पर होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने भी आते हैं। यह विशेष प्रार्थना हर घंटे पर पांच मिनट के लिए आयोजित की जाती है। गर्मियों में सूचना केंद्र सुबह ९:३० बजे खुलता है, जो शाम को ६:३० पर बंद होता है। जबकि र्सिदयों में इसका समय सुबह दस से पांच होता है। इतना ही नहीं लोग उपासना मंदिर के पुस्तकालय में बैठ कर धर्म की किताबें भी पढ़ते हैं और उनपर रिसर्च भी करने आते हैं।

Bond007
12-02-2011, 07:59 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8751&stc=1&d=1297483039


मंदिर का स्थापत्य आर्किटेक्ट श्री.एफ.सहबा ने तैयार किया है। इस मंदिर के निर्माण के बाद ऐसी जगह की जरूरत महसूस हुई, जहाँ पर सभी जिज्ञासुओं के प्रश्नों का सहजता से जवाब दिया जा सके। तब सूचना केंद्र के गठन के बारे में निर्णय लिया गया। सूचना केंद्र के निर्माण में करीब पांच साल का समय लगा। इसको मार्च २००३ में जिज्ञासुओं के लिए खोला गया। सूचना केंद्र में मुख्य सभागार है, जिसमें करीब ४०० लोग एक साथ बैठ सकते हैं। इसके अतिरिक्त दो छोटे सभागार भी हैं, जिसमें करीब ७० सीटें है। सूचना केंद्र में लोगों को बहाई धर्म के बारे में जानकारी भी दी जाती है। इसके साथ ही आगंतुकों को लोटस टेंपल की जानकारी दी जाती है। इस मंदिर के साथ विश्वभर में कुल सात बहाई मंदिर है। जल्द ही आठवाँ मंदिर भी बनने वाला है। भारतीय उपमहाद्वीपों में भारत के लोटस टेंपल के अलावा छह मंदिर एपिया -पश्चिमी समोआ, सिडनी - आस्ट्रेलिया, कंपाला- यूगांडा, पनामा सिटी - पनामा, फ्रैंकफर्ट - जर्मनी और विलमेट- यू एस ए में भी हैं। प्रत्येक उपासना मंदिर की कुछ बुनियादी रूपरेखाएँ मिलती जुलती है तो कुछ अपने अपने देशों की सांस्कृतिक पहचानों को दर्शाते हुए भिन्न भी हैं। इस दृष्टि से यह मंदिर ‘अनेकता में एकता’ के सिद्धांत को यथार्थ रूप देता हैं। इन सभी मंदिरों की सार्वलौकिक विलक्षणता है -इसके नौ द्वार और नौ कोने हैं। माना जाता है कि नौ सबसे बड़ा अंक है और यह विस्तार, एकता एवं अखंडता को दर्शाता है। उपासना मंदिर चारों ओर से नौ बड़े जलाशयों से घिरा है, जो न सिर्फ भवन की सुंदरता को बढ़ता है बल्कि मंदिर के प्रार्थनागार को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान करते है। बहाई उपासना मंदिर उन मंदिरों में से है जो गौरव शांति एवं उत्कृष्ट वातावरण को ज्योतिर्मय करता है। उपासना मंदिर मीडिया प्रचार प्रसार और श्रव्य माध्यमों में आगंतुकों को सूचनाएँ प्रदान करता है। सुबह और शाम की लालिमा में सफेद रंग की यह संगमरमरी इमारत अद्भुत लगती है। कमल की पंखुड़ियों की तरह खड़ी इमारत के चारों तरफ लगी दूब और हरियाली इसे इसे कोलाहल भरे इलाके में शांति और ताजगी देने वाला बनाती हैं।

Bond007
12-02-2011, 08:04 AM
काली बाड़ी मंदिर

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8752&stc=1&d=1297483410
बिड़ला मंदिर के पास ही काली बाड़ी मंदिर स्थित है। यह छोटा-सा मंदिर काली मां को समर्पित है। नवरात्रि के दौरान यहां भव्य समारोह आयोजित किया जाता है। काली मां को देवी दुर्गा का ही रौद्र रूप माना जाता है। इस मंदिर में देवी को शराब का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। काली बाड़ी मंदिर दिखने में छोटा और साधारण अवश्यम है लेकिन इसकी मान्यमता बहुत अधिक है । मंदिर के अंदर ही एक विशाल पीपल का पेड़ है। भक्तेगण इस पेड को पवित्र मानते हैं और इस पर लाल धागा बांध कर मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं।

Bond007
12-02-2011, 08:06 AM
जैन मन्दिर


दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर लाल किला और चांदनी चौक के सामने स्थित है। इसका निर्माण 1526 में हुआ था। वर्तमान में इसकी इमारत लाल पत्थरों की बनी है। इसलिए यह लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां कई मंदिर हैं लेकिन सबसे प्रमुख मंदिर भगवान महावीर का है जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। यहां जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा भी स्थापित है। जैन धर्म के अनुयायियों के बीच यह स्थान बहुत लोकप्रिय है। यहां का शांत वातावरण लोगों का अपनी ओर खींचता है।

मुगल साम्राज्य में मंदिरों के शिखर बनाने की अनुमति नहीं थी। इसलिए इस मंदिर का कोई औपचारिक शिखर नहीं था। बाद में स्वतंत्रता प्राप्ति उपरांत इस मंदिर का पुनरोद्धार हुआ।

Bond007
12-02-2011, 08:09 AM
गुरुद्वारा बंगला साहिब

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8753&stc=1&d=1297483410
गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली का सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक है। यह अपने स्वर्ण मंडित गुम्बद शिखर से एकदम ही पहचान में आ जाता है। यह नई दिल्ली के बाबा खड़गसिंह मार्ग पर गोल मार्किट, नई दिल्ली के निकट स्थित है।

यह गुरुद्वारा मूलतः एक बंगला था, जो जयपुर के महाराजा जयसिंह का था। सिखों के आठवें गुरु गुरु हर किशन सिंह यहां अपने दिल्ली प्रवास के दौरान रहे थे। उस समय स्माल पॉक्स और हैजा की बिमारियां फैली हुई थीं। गुरु महाराज ने उन बीमाअरियों के मरीजों को अपने आवास से जल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं थीं। अब यह जल स्वास्थ्य वर्धक, आरोग्य वर्धक और पवित्र माना जाता है, और विश्व भर के सिखों द्वारा ले जाया जाता है। यह गुरुद्वारा अब सिखों और हिन्दुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है।

Bond007
12-02-2011, 08:11 AM
खिड़की मस्जिद

खिड़की मस्जिद का निर्माण फिरोज शाह तुगलक के प्रधानमंत्री खान-ई-जहान जुनैन शाह ने 1380 में करवाया था। मस्जिद के अंदर बनी खूबसूरत खिड़कियों के कारण इसका नाम खिड़की मस्जिद पड़ा। यह मस्जिद दो मंजिला है। मस्जिद के चारों कोनों पर बुर्ज बने हैं जो इसे किले का रूप देते हैं। तीन दरवाजों पर मीनारें बनी हैं। पुराने समय में पूर्वी द्वार से प्रवेश किया जाता था लेकिन अब दक्षिण द्वार पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है।

यह मस्जिद दक्षिण दिल्ली के खिड़की गांव में बनी हुई है।

Bond007
12-02-2011, 08:14 AM
कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8754&stc=1&d=1297484039
दिल्ली की प्रसिद्ध कुतुब मीनार के पास स्थित इस मस्जिद का निर्माण गुलाम वंश के प्रथम शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1192 में शुरु करवाया था। इस मस्जिद को बनने में चार वर्ष का समय लगा। लेकिन बाद के शासकों ने भी इसका विस्तार किया। जैसे अल्तमश ने 1230 में और अलाउद्दीन खिलजी ने 1351 में इसमें कुछ और हिस्से जोड़े। यह मस्जिद हिन्दू और इस्लामिक कला का अनूठा संगम है। एक ओर इसकी छत और स्तंभ भारतीय मंदिर शैली की याद दिलाते हैं, वहीं दूसरी ओर इसके बुर्ज इस्लामिक शैली में बने हुए हैं। मस्जिद प्रांगण में सिकंदर लोदी (1488-1517) के शासन काल में मस्जिद के इमाम रहे इमाम जमीम का एक छोटा-सा मकबरा भी है।

Bond007
12-02-2011, 08:20 AM
जामा मस्जिद

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8756&stc=1&d=1297484386
जामा मस्जिद का निमॉण सन् 1656 में सम्राट शाहजहां ने किया था. यह पुरानी दिल्ली में स्थित है. यह मस्जिद लाल और संगमरमर के पत्थरों का बना हुआ है। लाल किले से महज 500 मी. की दूरी पर जामा मस्जिद स्थित है जो भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण 1650 में शाहजहां ने शुरु करवाया था। इसे बनने में 6 वर्ष का समय और 10 लाख रु.लगे थे। बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित इस मस्जिद में उत्तर और दक्षिण द्वारों से प्रवेश किया जा सकता है। पूर्वी द्वार केवल शुक्रवार को ही खुलता है। इसके बार में कहा जाता है कि सुल्तान इसी द्वार का प्रयोग करते थे। इसका प्रार्थना गृह बहुत ही सुंदर है। इसमें ग्यारह मेहराब हैं जिसमें बीच वाला महराब अन्य से कुछ बड़ा है। इसके ऊपर बने गुंबदों को सफेद और काले संगमरमर से सजाया गया है जो निजामुद्दीन दरगाह की याद दिलाते हैं।

Bond007
12-02-2011, 08:21 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8755&stc=1&d=1297484386

Bond007
12-02-2011, 08:25 AM
फतेहपुरी मस्जिद


फतेहपुरी मस्जिद चांदनी चौक की पुरानी गली के पश्चिमी छोर पर स्थित है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी फतेहपुरी बेगम ने 1650 में करवाया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम फतेहपुरी मस्जिद पड़ा। ये बेगम फतेहपुर से थीं। ताज महल परिसर में बनी मस्जिद भी इन्हीं बेगम के नाम पर है।
लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है। मस्जिद के दोनों ओर लाल पत्थर से बने स्तंभों की कतारें हैं। इस मस्जिद में एक कुंड भी है जो सफेद संगमरमर से बना है। यह मस्जिद कई धार्मिक वाद-विवाद की गवाह रही है।

अंग्रेज़ों ने इस मस्जिद को १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद, नीलाम कर दिया था, जिसे राय लाला चुन्ना मल ने मात्र १९,०००/- रुपए में खरीद लिया था। जिनके वंशज आज भी चांदनी चौक में चुन्नामल हवेली में रहते हैं। जिन्होंने इस मस्जिद को संभाले रखा था। बाद में १८७७ में सरकार ने इसे चार गांवों के बदले में वापस अधिकृत कर मुसलमानों को दे दिया, जब उन्हें दिल्ली में रहने का दोबारा अधिकार दिया गया था। ऐसी ही एक दूसरी मस्जिद, अकबरबादी बेगम द्वारा बनवाई गई थी, जिसे अंग्रेज़ों ने बर्बाद करवा दिया था।

ABHAY
12-02-2011, 12:01 PM
क्या खूब जानकारी दी है भाई और भी बहुत कुछ है दिल्ली में उसे भी बताये :bravo::bravo:

jitendragarg
12-02-2011, 03:43 PM
upasana mandir meine dekha tha, bahut pehle! pure delhi me sabse jyada shaandar jagah hai! ekdum shaanti wala mahol! bas jaate hi so jao! :verycool:


:cheers:

Bond007
13-02-2011, 11:27 AM
लाल किला
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/c/ca/Red_Fort_facade.jpg

दिल्ली के किले को लाल - किला भी कहते हैं, क्योंकि यह लाल रंग का है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगी पुरानी दिल्ली शहर में स्थित है। यह युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में चयनित है|

लाल किला एवं शाहजहाँनअबाद का शहर, मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा 1639 A.D. में बनवाया गया था। लालकिले का अभिन्यास फिर से किया गया था, जिससे इसे सलीमगढ़ किले के संग एकी कृत किया जा सके। यह किला एवं महल शाहजहाँनाबाद की मध्यकालीन नगरी का महत्वपूर्ण केन्द्र-बिन्दु रहा है। लालकिले की योजना, व्यवस्था एवं सौन्दर्य मुगल सृजनात्मकता का शिरोबिन्दु है, जो कि शाहजहाँ के काल में अपने चरम उतकर्ष पर पहुँची। इस किले के निर्माण के बाद कई विकास कार्य स्वयं शाहजहाँ द्वारा जोडे़ गए। विकास के कई बडे़ पहलू औरंगजे़ब एवं अंतिम मुगल शासकों द्वारा किये गये। सम्पूर्ण विन्यास में कई मूलभूत बदलाव ब्रिटिश काल में 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद किये गये थे। ब्रिटिश काल में यह किला मुख्यतः छावनी रूप में प्रयोग किया गया था। बल्कि स्वतंत्रता के बाद भी इसके कई महत्वपूर्ण भाग सेना के नियंत्रण में 2003 तक रहे।

लाल किला मुगल बादशाह शाहजहाँ की नई राजधानी, शाहजहाँनाबाद का महल था। यह दिल्ली शहर की सातवीं मुस्लिम नगरी थी। उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली बदला, अपने शासन की प्रतिष्ठा बढाने हेतु, साथ ही अपनी नये नये निर्माण कराने की महत्वकाँक्षा को नए मौके देने हेतु भी। इसमें उसकी मुख्य रुचि भी थी।

यह किला भी ताजमहल की भांति ही यमुना नदी के तीर पर स्थित है। वही नदी का जल इस किले को घेरे खाई को भरती थी। इसके पूर्वोत्तरी ओर की दीवार एक पुराने किले से लगी थी, जिसे सलीमगढ का किला भी कहते हैं। सलीमगढ का किला इस्लाम शाह सूरी ने 1546 में बनवाया था। लालकिले का निर्माण 1638 में आरम्भ होकर 1648 में पूर्ण हुआ। पर कुछ मतों के अनुसार इसे लालकोट का एक पुरातन किला एवं नगरी बताते हैं, जिसे शाहजहाँ ने कब्जा़ करके यह किला बनवाया था। लालकोट हिन्दु राजा पृथ्वीराज चौहान की बारहवीं सदी के अन्तिम दौर में राजधानी थी।

Bond007
13-02-2011, 11:30 AM
11 मार्च 1783 को, सिखों ने लालकिले में प्रवेश कर दीवान-ए-आम पर कब्जा़ कर लिया। नगर को मुगल वजी़रों ने अपने सिख साथियों को समर्पण कर दिया। यह लार्य करोर सिंहिया मिस्ल के सरदार बघेल सिंह धालीवाल के कमान में हुआ।
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/b/b8/Delhi_red_fort_night.jpg

Bond007
13-02-2011, 11:32 AM
लालकिला सलीमगढ़ के पूर्वी छोर पर स्थित है। इसको अपना नाम लाल बलुआ पत्थर की प्राचीर एवं दीवार के कारण मिला है। यही इसकी चारदीवारी बनाती है। यह दीवार 1.5 मील (2.5 किमी) लम्बी है, और इसकी ऊँचाई 60 फीट (16मी) नदी किनारे की ओर से, लेकर 110 फीट (33 मी) ऊँची शहर की ओर , तक है। इसके नाप जोख पर ज्ञात हुआ है, कि इसकी योजना एक 82 मी की वर्गाकार ग्रिड (चौखाने) का प्रयोग कर बनाई गई है।

लालकिले की योजना पूर्ण रूपेण की गई थी, और इसके बाद के बदलावों ने भी इसकी योजना के मूलरूप में कोई बदलाव नहीं होने दिया है। 18वीं सदी में कुछ लुटेरों एवं आक्रमणकारियों द्वारा इसके कई भागों को क्षति पहुँचाई गई थी। 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले को ब्रिटिश सेना के मुख्यालय के रूप में प्रयोग किया जाने लगा था। इस सेना ने इसके करीब अस्सी प्रतिशत म्ण्डपों तथा उद्यानों को नष्ट कर दिया। इन नष्ट हुए बागों एवं बचे भागों को पुनर्स्थापित करने की योजना सन 1903 में उमैद दानिश द्वारा चलाई गई।

Bond007
13-02-2011, 11:33 AM
लाल किले में उच्चस्तर की कला एवं विभूषक कार्य दृश्य है। यहाँ की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला संश्लेषण है, जिसका परिणाम विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था। यह शैली रंग, अभिव्यंजना एवं रूप में उत्कृष्ट है। लालकिला दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत समूह है, जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को अपने में समेटे हुए है। इसका महत्व समय की सीमाओं से बढ़कर है। यह वास्तुकला सम्बंधी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। सन 1913में इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित होने से पूर्वैसकी उत्तरकालीनता को संरक्षित एवं परिरक्षित करने हेतु प्रयास हुए थे।

इसकी दीवारें, काफी सुचिक्कनता से तराशी गईं हैं। ये दीवारें दो मुख्य द्वारों पर खुली हैं ― दिल्ली गेट एवं लाहौर गेट। लाहौर गेट इसका मुख्य प्रवेशद्वार है। इसके अन्दर एक लम्बा बाजार है, चट्टा चौक, जिसकी दीवारें दुकानों से कतारित हैं। इसके बाद एक बडा़ खुला स्थान है, जहाँ यह लम्बी उत्तर-दक्षिण सड़क को काटती है। यही सड़क पहले किले को सैनिक एवं नागरिक महलों के भागों में बांटती थी। इस सड़क का दक्षिणी छोर दिल्ली गेट पर है।

Bond007
14-02-2011, 03:33 AM
नक्करखाना

लाहौर गेट से चट्टा चौक तक आने वाली सड़क से लगे खुले मैदान के पूर्वी ओर नक्कारखाना बना है। यह संगीतज्ञों हेतु बने महल का मुख्य द्वार है।

दीवान-ए-आम

इस गेट के पार एक और खुला मैदान है, जो कि मुलतः दीवाने-ए-आम का प्रांगण हुआ करता था। दीवान-ए-आम। यह जनसाधारण हेतु बना वृहत प्रांगण था। एक अलंकृत सिंहासन का छज्जा दीवान की पूर्वी दीवार के बीचों बीच बना था। यह बादशाह के लिये बना था, और सुलेमान के राज सिंहासन की नकल ही था।

नहर-ए-बहिश्त

राजगद्दी के पीछे की ओर शाही निजी कक्ष स्थापित हैं। इस क्षेत्र में, पूर्वी छोर पर ऊँचे चबूतरों पर बने गुम्बददार इमारतों की कतार है, जिनसे यमुना नदी का किनारा दिखाई पड़ता है। ये मण्डप एक छोटी नहर से जुडे़ हैं, जिसे नहर-ए-बहिश्त कहते हैं, जो सभी कक्षों के मध्य से जाती है। किले के पूर्वोत्तर छोर पर बने शाह बुर्ज पर यमुना से पानी चढा़या जाता है, जहाँ से इस नहर को जल आपूर्ति होती है। इस किले का परिरूप कुरान में वर्णित स्वर्ग या जन्नत के अनुसार बना है। यहाँ लिखी एक आयत कहती है,

यदि पृथ्वी पर कहीं जन्नत है, तो वो यहीं है, यहीं है, यहीं है।

महल की योजना मूलरूप से इस्लामी रूप में है, परंतुप्रत्येक मण्डप अपने वास्तु घटकों में हिन्दू वास्तुकला को प्रकट करता है। लालकिले का प्रासाद, शाहजहानी शैली का उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करता है।

ज़नाना

महल के दो दक्षिणवर्ती प्रासाद महिलाओं हेतु बने हैं, जिन्हें जनाना कहते हैं: मुमताज महल, जो अब संग्रहालय बना हुआ है, एवं रंग महल, जिसमें सुवर्ण मण्डित नक्काशीकृत छतें एवं संगमर्मर सरोवर बने हैं, जिसमें नहर-ए-बहिश्त से जल आता है।

खास महल

दक्षिण से तीसरा मण्डप है खास महल। इसमें शाही कक्ष बने हैं। इनमें राजसी शयन-कक्ष, प्रार्थना-कक्ष, एक बरामदा और मुसम्मन बुर्ज बने हैं। इस बुर्ज से बादशाह जनता को दर्शन देते थे।


दीवान-ए-खास
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/0/01/Delhi_Red_Fort.jpg
दीवान-ए-खास, राजसी निजी सभा कक्ष

अगला मण्डप है दीवान-ए-खास, जो राजा का मुक्तहस्त से सुसज्जित निजी सभा कक्ष था। यह सचिवीय एवं मंत्रीमण्डल तथा सभासदों से बैठकों के काम आता थाइस म्ण्डप में पीट्रा ड्यूरा से पुष्पीय आकृति से मण्डित स्तंभ बने हैं। इनमें सुवर्ण पर्त भी मढी है, तथा बहुमूल्य रत्न जडे़ हैं। इसकी मूल छत को रोगन की गई काष्ठ निर्मित छत से बदल दिया गया है। इसमें अब रजत पर सुवर्ण मण्डन किया गया है।

हमाम

अगला मण्डप है, हमाम, जो को राजसी स्नानागार था, एवं तुर्की शैली में बना है। इसमें संगमर्मर में मुगल अलंकरण एवं रंगीन पाषाण भी जडे़ हैं।

मोती मस्जिद

हमाम के पश्चिम में मोती मस्जिद बनी है। यह सन् 1659 में , बाद में बनाई गई थी, जो औरंगजे़ब की निजी मस्जिद थी। यह एक छोटी तीन गुम्बद वाली, तराशे हुए श्वेत संगमर्मर से निर्मित है। इसका मुख्य फलक तीन मेहराबों से युक्त है, एवं आंगन में उतरता है।

हयात बख़्श बाग

इसके उत्तर में एक वृहत औपचारिक उद्यान है जिसे हयात बख्श बाग कहते हैं। इसका अर्थ है जीवन दायी उद्यान। यह दो कुल्याओं द्वारा द्विभाजित है। एक मण्डप उत्तर दक्षिण कुल्या के दोनों छोरों पर स्थित हैंएवं एक तीसरा बाद में अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वारा 1842 बनवाया गया था। यह दोनों कुल्याओं के मिलन स्थल के केन्द्र में बना है।

Bond007
14-02-2011, 03:36 AM
लाल किला दिल्ली शहर का सर्वाधिक प्रख्यात पर्यटन स्थल है, जो लाखॉ पर्यटकों को प्रतिवर्ष आकर्षित करता है। यह किला वह स्थल भी है, जहाँ से भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देश की जनता को सम्बोधित करते हैं। यह दिल्ली का सबसे बडा़ स्मारक भी है।

एक समय था, जब 3000 लोग इस इमारत समूह में रहा करते थे। परंतु 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा़ हो गया, एवं कई रिहायशी महल नष्ट कर दिये गये। इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया। इसी संग्राम के एकदम बाद बहादुर शाह जफर पर यहीं मुकदमा भी चला था। यहीं पर नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था। यह स्वतंत्रता के बाद 1947 में हुआ था। इसके बाद भारतीय सेना ने इस किले का नियंत्रण ले लिया था। बाद में दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया।

इस किले पर दिसम्बर 2000 में लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादियों द्वारा हमला भी हुआ था। इसमें दो सैनिक एवं एक नागरिक मृत्यु को प्राप्त हुए। इसे मीडिया द्वारा काश्मीर में भारत - पाकिस्तान शांति प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास बताया गया था।

Bond007
14-02-2011, 03:38 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/b/b8/Delhi_red_fort_night.jpg

रात के विद्युत प्रकाश में जगमगाता लाल किला

1947 में भारत के आजाद होने पर ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था। २२ दिसंबर २००३ को भारतीय सेना ने ५६ साल पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली किया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया। इस समारोह में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने कहा कि कि सशस्त्र सेनाओं का इतिहास लाल किले से जुड़ा हुआ है, पर अब हमारे इतिहास और विरासत के एक पहलू को दुनिया को दिखाने का समय है।

मुगल शहंशाह शाहजहां ने 1638 में लाल किले के निर्माण के आदेश दिये थे। लगभग इसी समय उसने आगरा में अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद में ताजमहल बनवाना शुरू किया था। लाल किले पर 1739 में फारस के बादशाह नादिर शाह ने हमला किया था और वह अपने साथ यहां से स्वर्ण मयूर सिंहासन ले गया था, जो बाद में ईरानी शहंशाहों का प्रतीक बना।

1857 के गदर के बाद ब्रिटिश सेना ने लाल किले पर नियंत्रण कर लिया।

Bond007
14-02-2011, 03:44 AM
पुराना किला

पुराना किला नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित प्राचीन दीना-पनाह नगर का आंतरिक किला है। इस किले का निर्माण शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल में १५३८ से १५४५ के बीच करवाया था। किले के तीन बड़े द्वार हैं तथा इसकी विशाल दीवारें हैं। इसके अंदर एक मस्जिद है जिसमें दो तलीय अष्टभुजी स्तंभ है। हिन्दू साहित्य के अनुसार यह किला इंद्रप्रस्थ के स्थल* पर है जो पांडवों की विशाल राजधानी होती थी। जबकि इसका निर्माण अफ़गानी शासक शेर शाह सूरी ने १५३८ से १५४५ के बीच कराया गया, जिसने मुगल बादशाह हुमायूँ से दिल्ली का सिंहासन छीन लिया था। ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह हुमायूँ की इस किले के एक से नीचे गिरने के कारण दुर्घटनावश मृत्यु हो गई।

कहा जाता है कि दिल्ली को सर्वप्रथम पाण्डव|पांडवों ने अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ के रूप में बसाया था वह भी ईसापूर्व से १४०० वर्ष पहले, परन्तु इसका कोई पक्का प्रमाण नहीं हैं। आज दिख रहे पुराने किले के दक्षिण पूर्वी भाग में सन १९५५ में परीक्षण के लिए कुछ खंदक खोदे गए थे और जो मिट्टी के पात्रों के टुकड़े आदि पाए गए वे महाभारत की कथा से जुड़े अन्य स्थलों से प्राप्त पुरा वस्तुओं से मेल खाते थे जिससे इस पुराने किले के भूभाग को इन्द्रप्रस्थ रहे होने की मान्यता को कुछ बल मिला है। भले ही महाभारत को एक पुराण के रूप में देखते हैं लेकिन बौद्ध साहित्य “अंगुत्तर निकाय” में वार्णित महाजनपदों यथा अंग, अस्मक, अवन्ती, गंधार, मगध, छेदी आदि में से बहुतों का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है जो इस बात का संकेत है कि यह ग्रन्थ मात्र पौराणिक ही नहीं तथापि कुछ ऐतिहासिकता को भी संजोये हुए है।

Bond007
14-02-2011, 03:49 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/9/98/Purana_Qila_01.jpg
पुराने किले, दिल्ली का बड़ा दरवाज़ा

पुराने किले की पूर्वी दीवार के पास दुबारा खुदाई १९६९ से १९७३ के बीच भी की गई थी। वहां से महाभारत कालीन मानव बसासत के कोई प्रमाण तो नहीं मिले लेकिन मौर्य काल (३०० वर्ष ईसापूर्व) से लेकर प्रारंभिक मुग़ल काल तक अनवरत वह भूभाग मानव बसाहट से परिपूर्ण रहा। ऐसे प्रमाण मिलते गए हैं जिनमे काल विशेष के सिक्के, मनके, मिटटी के बर्तन, पकी मिटटी की (टेराकोटा) यक्ष यक्षियों की छोटी छोटी प्रतिमाएँ, लिपि युक्त मुद्राएँ (सील) आदि प्रमुख हैं जो किले के संग्रहालय में प्रर्दशित हैं।

कहते हैं की मुग़ल सम्राट हुमायूँ ने यमुना नदी के किनारे उसी टीले पर जिसके नीचे इन्द्रप्रस्थ दबी पड़ी है, अपने स्वयं की नगरी “दीनपनाह” स्थापित की थी। तत्पश्चात शेरशाह सूर (सूरी)(१५३८-४५) ने जब हुमायूँ पर विजय प्राप्त की तो सभी भवनों को नष्ट कर वर्तमान दिल्ली, शेरशाही या “शेरगढ़” का निर्माण प्रारम्भ करवाया। इस बीच हुमायूँ ने पुनः संघटित होकर आक्रमण किया और अपनी खोई हुई सल्तनत वापस पा ली। समझा जाता है कि किले का निर्माण कार्य हुमायूँ ने ही १५४५ में पूर्ण कराया था।

Bond007
14-02-2011, 03:50 AM
पुराना किला मूलतः यमुना नदी के तट पर ही बना था परन्तु उत्तर और पश्चिम दिशाओं के ढलान से प्रतीत होता है कि नदी को जोड़ती हुई एक खाई सुरक्षा के दृष्टि से बनी थी। इस किले की चहर दीवारी लगभग २.४ किलोमीटर लम्बी है और इसके तीन मुख्य दरवाज़े उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में हैं। इनमे से पश्चिमी दरवाज़े का प्रयोग आजकल किले में प्रवेश के लिए किया जाता है। उत्तर की ओर का द्वार “तलाकी दरवाजा” कहलाता है। यह स्पष्ट नहीं है कि कब और क्यों इस दरवाज़े के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया। यह किला मुग़ल, हिंदू तथा अफघानी वास्तुकला के समन्वय का एक सुंदर नमूना माना जाता है।

शेरशाह द्वारा बनवाया गया शेर मंडल जो अश्तकोनीय दो मंजिला भवन है। इसी भवन मे हुमायूँ का पुस्तकालय हुआ करता था। यहीं पर एक बार पुस्तकों के बोझ को उठाये हुए जब हुमायूँ सीढियों से उतर रहा था, तभी अजान (इस्लामी प्रार्थना) की पुकार सुनाई पड़ती है, नमाज़ का समय हो चला था। हुमायूँ की आदत थी कि नमाज़ की पुकार सुनते ही, जहाँ कहीं भी होता झुक जाया करता। झुकते समय उसके पैर लंबे चोगे में कहीं फँस गये और वह संतुलन खो कर गिर पड़ा। इस दुर्घटना से हुई शारीरिक क्षति से ही १५५६ के पूर्वार्ध मे वह चल बसा।

Bond007
14-02-2011, 03:51 AM
महाभारत में उल्लेखित पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ सम्भवतः इसी स्थान पर थी। पुराने किले में विभिन्न स्थानों पर शिलापटों पर यह वाक्य लिखे हैं। पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ कहां थी? इस बात को लेकर लोगों में बहस होती रही है। लेकिन खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि पांडवों की राजधानी इसी स्थल पर रही होगी।

यद्यपि पुरातत्वविदों के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं हैं, लेकिन खुदाई के दौरान यहां मिले बर्तनों के अवशेषों से किले के आसपास पांडवों की राजधानी होने की बात को बल मिलता है। यहां खुदाई में ऐसे बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत से जुडे़ अन्य स्थानों पर भी मिले हैं। इसके अलावा महाभारत से जुडे़ प्रसंग और प्राचीन परंपराएं भी इस ओर संकेत करती हैं, कि यहां पांडवों की राजधानी रही होगी।

भारत में बहुत कम नगर ऐसे हैं, जो दिल्ली की समान पुराने हों। इतिहासकारों के अनुसार पूर्व ऐतिहासिक काल में जिस स्थल पर इंद्रप्रस्थ बसा हुआ था, उसके ऊंचे टीले पर १६ वीं शताब्दी में पुराना किला बनाया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस किले की कई स्तरों पर खुदाई की है। खुदाई में प्राचीन भूरे रंग से चित्रित मिट्टी के विशिष्ट बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत काल के हैं। ऐसे ही बर्तन अन्य महाभारत कालीन स्थलों पर भी पाए गए हैं। इस बारे में एक तथ्य यह भी है कि इंद्रप्रस्थ के अपभ्रंश इंद्रपरत के नाम का एक गांव वर्तमान शताब्दी के प्रारंभ तक पुराना किला में स्थित था। राजधानी नई दिल्ली का निर्माण करने के दौरान अन्य गांवों के साथ उसे भी हटा दिया गया था। दिल्ली में स्थित सारवल गांव से १३२८ ईस्वी का संस्कृत का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख लाल किले के संग्रहालय में उपस्थित है। इस अभिलेख में इस गांव के इंद्रप्रस्थ जिले में स्थित होने का उल्लेख है।

वहीं महाभारत के अनुसार कुरु देश की राजधानी गंगा के किनारे हस्तिनापुर में स्थित थी। जब पांडवों और उनके चचेरे भाई कौरवों के बीच संबंध बिगड़ गए तो कौरवों के पिता धृतराष्ट्र ने पांडवों को यमुना के किनारे खांडवप्रस्थ का क्षेत्र दे दिया। वहां उन्होंने समुद्र जैसे गड्ढों द्वारा घिरे हुए एक नगर को बनाया और उसकी रक्षात्मक प्राचीरें बनाई। विद्वानों का मत है कि पुराना किला की रूपरेखा भी इसी प्रकार की थी। इससे भी स्पष्ट होता है कि इंद्रप्रस्थ एक नगर का नाम था, जो पुराना किला के स्थान पर बसा था और जिस क्षेत्र में यह स्थित था, उस क्षेत्र का नाम खांडवप्रस्थ था। कहा जाता है कि कौरवों पर अपनी विजय के बाद पांडवों ने राजधानी इंद्रप्रस्थ को भगवान कृष्ण से संबंधित किसी यादव वंशज को सौंप दिया।

एक और प्रसंग है, जिसके अनुसार पांडवों ने कौरवों से पांच गांव मांगे थे। ये वे गाँव थे जिनके नामों के अंत में पत आता है। जो संस्कृत के प्रस्थ का हिंदी साम्य है। ये पत वाले गांव हैं इंदरपत, बागपत, तिलपत, सोनीपत और पानीपत हैं। यह परम्परा महाभारत पर आधारित है। जिन स्थानों के नाम दिए गए हैं। उनमें ओखला नहर के पूर्वी किनारे पर दिल्ली के दक्षिण में लगभग २२ किलोमीटर दूरी पर तिलपत गांव स्थित है। इन सभी स्थलों से महाभारत कालीन भूरे रंग के बर्तन मिले हैं।

Bond007
14-02-2011, 04:13 AM
जंतर मंतर
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/d/d0/Samrat_Yantra_New_Delhi.jpg

जंतर मंतर, में सम्राट यंत्र
यह सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है।



इसका निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। जय सिंह ने ऐसी वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी किया था। दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद की वेधशाला से प्रेरित है। मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थित को लेकिर बहस छिड़ गई थी। इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया। ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं। सम्राट यंत्र सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है। मिस्र यंत्र वर्ष के सबसे छोटे ओर सबसे बड़े दिन को नाप सकता है। राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताता है।

Bond007
14-02-2011, 04:14 AM
राजा जयसिंह द्वितीय बहुत छोटी आयु से गणित में बहुत ही अधिक रूचि रखते थे। उनकी औपचारिक पढ़ाई ११ वर्ष की आयु में छूट गयी क्योंकि उनकी पिताजी की मृत्यु के बाद उन्हें ही राजगद्दी संभालनी पड़ी थी। २५जनवरी, १७०० में गद्दी संभालने के बाद भी उन्होंने अपना अध्ययन नहीं छोडा। उन्होंने बहुत खगोल विज्ञानं और ज्योतिष का भी गहरा अध्ययन किया। उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत से खगोल विज्ञान से सम्बंधित यंत्र एवम पुस्तकें भी एकत्र कीं। उन्होंने प्रमुख खगोलशास्त्रियों को विचार हेतु एक जगह एकत्र भी किया। हिन्दू ,इस्लामिक और यूरोपीय खगोलशास्त्री सभी ने उनके इस महान कार्य में अपना बराबर योगदान दिया। अपने शासन काल में सन् १७२७ में,उन्होंने एक दल खगोलशास्त्र से सम्बंधित और जानकारियां और तथ्य तलाशने के लिए भारत से यूरोप भेजा था। वह दल कुछ किताबें,दस्तावेज,और यंत्र ही ले कर लौटा। न्यूटन,गालीलेओ,कोपरनिकस,और केप्लेर के कार्यों के बारे में और उनकी किताबें लाने में यह दल असमर्थ रहा।

Bond007
14-02-2011, 04:15 AM
जंतर-मंतर के प्रमुख यंत्रों में सम्राट यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र, दिगंश यंत्र, भित्ति यंत्र,मिस्र यंत्र, आदि प्रमुख हैं, जिनका प्रयोग सूर्य तथा अन्य खगोलीय पिंडों की स्थिति तथा गति के अध्ययन में किया जाता है। जंतर-मंतर के प्रमुख यंत्रों में सम्राट यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र, दिगंश यंत्र, भित्ति यंत्र,मिस्र यंत्र, आदि प्रमुख हैं, जिनका प्रयोग सूर्य तथा अन्य खगोलीय पिंडों की स्थिति तथा गति के अध्ययन में किया जाता है। जो खगोल यंत्र राजा जयसिंह द्वारा बनवाये गए थ, उनकी सूची इस प्रकार से है:

1.सम्राट यन्त्र
2.सस्थाम्सा
3.दक्सिनोत्तारा भित्ति यंत्र
4.जय प्रकासा और कपाला
5.नदिवालय
6.दिगाम्सा यंत्र
7.राम यंत्र
8.रसिवालाया
राजा जय सिंह तथा उनके राजज्योतिषी पं। जगन्नाथ ने इसी विषय पर 'यंत्र प्रकार' तथा 'सम्राट सिद्धांत' नामक ग्रंथ लिखे।

५४ वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु के बाद देश में यह वेधशालाएं बाद में बनने वाले तारामंडलों के लिए प्रेरणा और जानकारी का स्त्रोत रही हैं। हाल ही में दिल्ली के जंतर-मंतर में स्थापित रामयंत्र के जरिए प्रमुख खगोलविद द्वारा शनिवार को विज्ञान दिवस पर आसमान के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र की स्थिति नापी गयी थी। इस अध्ययन में नेहरू तारामंडल के खगोलविदों के अलावा एमेच्योर एस्ट्रोनामर्स एसोसिएशन और गैर सरकारी संगठन स्पेस के सदस्य भी शामिल थे।

Bond007
14-02-2011, 04:16 AM
कनॉट प्लेस में स्थित स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना 'जंतर मंतर 'दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है । यह एक वेधशाला है। जिसमें १३ खगोलीय यंत्र लगे हुए हैं। यह राजा जयसिंह द्वारा डिजाईन की गयी थी। एक फ्रेंच लेखक 'दे बोइस' के अनुसार राजा जयसिंह खुद अपने हाथों से इस यंत्रों के मोम के मोडल तैयार करते थे।

जयपुर की बसावट के साथ ही तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह [द्वितीय] ने जंतर-मंतर का निर्माण कार्य शुरू करवाया, महाराजा ज्योतिष शास्त्र में दिलचस्पी रखते थे और इसके ज्ञाता थे। जंतर-मंतर को बनने में करीब 6 साल लगे और 1734 में यह बनकर तैयार हुआ। इसमें ग्रहों की चाल का अध्ययन करने के लिए तमाम यंत्र बने हैं। यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है।दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद [उज्बेकिस्तान] की वेधशाला से प्रेरित है। मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थित को लेकिर बहस छिड़ गई थी। इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया। राजा जयसिंह ने भारतीय खगोलविज्ञान को यूरोपीय खगोलशास्त्रियों के विचारों से से भी जोड़ा । उनके अपने छोटे से शासन काल में उन्होंने खगोल विज्ञानमें अपना जो अमूल्य योगदान दिया है उस के लिए इतिहास सदा उनका ऋणी रहेगा।

Bond007
14-02-2011, 04:20 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/a/aa/Jantar_Mantar_Delhi_27-05-2005.jpg

यह एक वृहत आकार की सौर घड़ी है

Bond007
14-02-2011, 04:21 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/f/f7/Jantar_Delhi.jpg

वेधशाला का राम यंत्र

Bond007
14-02-2011, 04:22 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/2/23/Various_astrological_structures_at_Jantar_Mantar%2 C_Delhi.jpg

जंतर मंतर

Bond007
14-02-2011, 04:24 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/a/a9/1857_ruins_jantar_mantar_observatory2.jpg

जंतर मंतर, दिल्ली, 1858

Bond007
14-02-2011, 04:25 AM
बड़ी बड़ी इमारतों से घिर जाने के कारण आज इन के अध्ययन सटीक नतीजे नहीं दे पाते हैं। दिल्ली सहित देशभर में कुल पांच वेधशालाएं हैं- (बनारस, जयपुर , मथुरा और उज्जैन) में मौजूद हैं, जिनमें जयपुर जंतर-मंतर के यंत्र ही पूरी तरह से सही स्थिति में हैं।

मथुरा की वेधशाला १८५० के आसपास ही नष्ट हो चुकी थी। यह दिल्ली में जन आंदोलनों /प्रदर्शनों/धरनों की एक जानी मानी जगह भी है ।

Bond007
14-02-2011, 04:29 AM
क़ुतुब मीनार

http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/e/eb/Qutub_minar.JPG
कुतुब मीनार भारत में दक्षिण दिल्ली शहर के महरौली भाग में स्थित, ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। इसकी ऊँचाई ७२.५ मीटर (२३७.८६ फीट) और व्यास १४.३ मीटर है, जो ऊपर जाकर शिखर पर २.७५ मीटर (९.०२ फीट) हो जाता है। क़ुतुबमीनार मूल रूप से सात मंजिल का था लेकिन अब यह पाँच मंजिल का ही रह गया है। इसमें ३७९ सीढियाँ हैं। मीनार के चारों ओर बने आहाते में भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने हैं, जिनमें से अनेक इसके निर्माण काल सन ११९३ या पूर्व के हैं। यह परिसर युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में स्वीकृत किया गया है।

Bond007
14-02-2011, 04:31 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/2/27/Qminar.jpg

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार, इसके निर्माण पूर्व यहाँ सुन्दर २० जैन मन्दिर बने थे। उन्हें ध्वस्त करके उसी सामग्री से वर्तमान इमारतें बनीं। अफ़गानिस्तान में स्थित, जाम की मीनार से प्रेरित एवं उससे आगे निकलने की इच्छा से, दिल्ली के प्रथम मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक, ने कुतुब मीनार का निर्माण सन ११९३ में आरम्भ करवाया, परन्तु केवल इसका आधार ही बनवा पाया। उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिलों को बढ़ाया, और सन १३६८ में फीरोजशाह तुगलक ने पाँचवीं और अन्तिम मंजिल बनवाई। ऐबक से तुगलक तक स्थापत्य एवं वास्तु शैली में बदलाव, यहाँ स्पष्ट देखा जा सकता है। मीनार को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है, जिस पर कुरान की आयतों की एवं फूल बेलों की महीन नक्काशी की गई है। कुतुब मीनार पुरातन दिल्ली शहर, ढिल्लिका के प्राचीन किले लालकोट के अवशेषों पर बनी है। ढिल्लिका अन्तिम हिन्दू राजाओं तोमर और चौहान की राजधानी थी।


इस मीनार के निर्माण उद्देश्य के बारे में कहा जाता है कि यह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद से अजान देने, निरीक्षण एवं सुरक्षा करने या इस्लाम की दिल्ली पर विजय के प्रतीक रूप में बनी। इसके नाम के विषय में भी विवाद हैं। कुछ पुरातत्व शास्त्रियों का मत है कि इसका नाम प्रथम तुर्की सुल्तान कुतुबुद्दीन एबक के नाम पर पडा, वहीं कुछ यह मानते हैं कि इसका नाम बग़दाद के प्रसिद्ध सन्त कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर है, जो भारत में वास करने आये थे। इल्तुतमिश उनका बहुत आदर करता था, इसलिये कुतुब मीनार को यह नाम दिया गया। इसके शिलालेख के अनुसार, इसकी मरम्मत तो फ़िरोज शाह तुगलक ने (१३५१–८८) और सिकंदर लोधी ने (१४८९–१५१७) करवाई। मेजर आर.स्मिथ ने इसका जीर्णोद्धार १८२९ में करवाया था।

Bond007
14-02-2011, 04:32 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/9/9b/Qutb_Minar_Minaret_Delhi_India.jpg

कुतुब मीनार पर की गयी महीन नक्काशी

Bond007
14-02-2011, 04:35 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/f/f3/Minar-height.jpg

मुख्य द्वार में से दृश्य

Bond007
14-02-2011, 04:36 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/5/5f/Qutb_Complex_Alai_Minar.JPG

अला-ई-मीनार

Bond007
14-02-2011, 04:39 AM
इण्डिया गेट
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/1/11/Indiagate.jpg

इण्डिया गेट (भारत द्वार) नई दिल्ली के राजपथ पर स्थित ४३ मीटर ऊँचा द्वार है। इस द्वार का निर्माण प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्धों में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में किया गया था। सैनिकों की स्मृति में यहाँ एक राइफ़ल के ऊपर सैनिक की टोपी सजाई गई है जिसके चार कोनों पर सदैव अमर जवान ज्योति जलती रहती है। इसकी दीवारों पर हजारों शहीद सैनिकों के नाम खुदे हैं।

दिल्ली की कई महत्वपूर्ण सड़कें इण्डिया गेट के कोनों से निकलती हैं। रात के समय यहाँ मेले जैसा माहौल होता है।

Bond007
14-02-2011, 04:50 AM
http://mod.nic.in/samachar/sep1-06/image_n%5C2a.gif

अमर जवान ज्योति पर पुष्प चढाते पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलम


इसके सबसे ऊपर अंग्रेजी में लिखा हैः

To the dead of the Indian armies who fell honoured in France and Flanders Mesopotamia and Persia East Africa Gallipoli and elsewhere in the near and the far-east and in sacred memory also of those whose names are recorded and who fell in India or the north-west frontier and during the Third Afgan War.

हिंदी अनुवाद:
भारतीय सेनाओं के शहीदों के लिए, जो फ्रांस और फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया फारस पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली और निकटपूर्व एवं सुदूरपूर्व की अन्य जगहों पर शहीद हुए, और उनकी पवित्र स्मृति में भी जिनके नाम दर्ज़ हैं और जो तीसरे अफ़ग़ान युद्ध में भारत में या उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मृतक हुए।

Bond007
14-02-2011, 04:51 AM
http://www.long-associates.biz/India%20Gate%20Delhi%20web.jpg

Bond007
14-02-2011, 04:56 AM
राजघाट समाधि परिसर
http://www.healthbase.com/resources/images/destinations/India/Delhi/healthbase_delhi_raj_ghat_gandhi_memorial_medical_ tourism_india.jpg
यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर महात्मा गांधी की समाधि स्थित है। काले संगमरमर से बनी इस समाधि पर उनके अंतिम शब्द हे राम उद्धृत हैं। अब यह एक खूबसूरत बाग का रूप ले चुका है। यहां पर खूबसूरत फव्वारे और अनेक प्रकार के पेड़ लगे हुए हैं। यहां पास ही शांति वन में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की समाधि भी है। भारत आने वाले विदेशी उच्चाधिकारी महात्मा गांधी को श्रद्धांजली देने के लिए राजघाट अवश्य आते हैं।

Bond007
14-02-2011, 04:59 AM
http://www.tropicalisland.de/india/delhi/images/DEL%20Delhi%20-%20Raj%20Ghat%20memorial%20with%20black%20marble%2 0marking%20the%20spot%20where%20Mahatma%20Gandhi%2 0was%20cremated%203008x2000.jpg

Bond007
14-02-2011, 05:00 AM
http://www.windhorsetours.com/wind/images/gallery/india/delhi/large/rajghat1.jpg

Bond007
14-02-2011, 05:08 AM
मुगल उद्यान (मुगल गार्डन)

http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/b/bb/Mughal_garden2.jpg
भारत की राजधानी नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के पीछे के भाग में स्थित मुगल उद्यान अपने किस्म का अकेला ऐसा उद्यान है, जहां विश्वभर के रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखने को मिलती है। यहां विविध प्रकार के फूलों और फलों के पेड़ों का संग्रह है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने इस उद्यान को जन साधारण के दर्शन हेतु खुलवाया था। इस उद्यान को देखने वालों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। २३ जनवरी,०९ को यहां ९५,५३७ दर्शक आए थे। इसकी अभिकल्पना ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने लेडी हार्डिग के आदेश पर की थी। १३ एकड़ में फैले इस उद्यान में ब्रिटिश शैली के संग-संग औपचारिक मुगल शैली का मिश्रण दिखाई देता है। यह उद्यान चार भागों में बंटा हुआ है, और चारों एक दूसरे से भिन्न एवं अनुपम हैं। यहां कई छोटे-बड़े बगीचे हैं जैसे पर्ल गार्डन, बटरफ्लाई गार्डन और सकरुलर गार्डन, आदि। बटरफ्लाई गार्डन में फूलों के पौधों की बहुत सी पंक्तियां लगी हुई हैं। यह माना जाता है कि तितलियों को देखने के लिए यह जगह सर्वोत्तम है। मुगल उद्यान में अनेक प्रकार के फूल देखे जा सकते हैं जिसमें गुलाब, गेंदा, स्वीट विलियम आदि शामिल हैं। इस बाग में फूलों के साथ-साथ जड़ी-बूटियां और औषधियां भी उगाई जाती हैं। इनके लिये एक अलग भाग बना हुआ है, जिसे औषधि उद्यान कहते हैं। मुगल उद्यान वसंत ऋतु में एक माह के लिये पर्यटकों के लिए खुलता है।

Bond007
14-02-2011, 05:15 AM
मुख्य उद्यान मुगल गार्डन का समसे बड़ा भाग है, जिसे पीस द रेज़िस्टेन्स कहते हैं। यह २०० मी. लंबा व १७५ मी.चौड़ा है। इसके उत्तर और दक्षिण में टेरेस गार्डन हैं और इसके पश्चिम में एक टेनिस कोर्ट तथा लॉन्ग गार्डन हैं। यहां से दो नहरें उत्तर से दक्षिण व दो नहरें पूर्व से पश्चिम को बहती हैं, जिनके बीच में संगम पर ६ फव्वारे कमल के आकार के बने हुए हैं। ये नहरें बाग को चार भागों में विभाजित करती हैं। यहीं मुगल वास्तु की चार बाग शैली का आभास होता है। इन कमल फव्वारों से १२ फीट की ऊंचाई तक पानी की धार उठती है। नहर के केन्द्र में एक लकड़ी की ट्रे में चिड़ियों के लिये दाने भी डाले जाते हैं।

बनावट के आधार पर मुगल गार्डन के चार भाग हैं-


चतुर्भुज आकार: यह उद्यान मुख्य भवन से सटा हुआ है। इसे चार भागों में बांटा गया है। उद्यान के मध्य भाग में राष्ट्रपति द्वारा स्वागत समारोहों और प्रीति भोजों का आयोजन किया जाता है। यह कुछ कुछ मुगल स्थापत्य के चार बाग शैली का आभास देता है।
लम्बा उद्यान: यहां से होकर वृत्ताकार उद्यान के लिए रास्ता जाता है। लम्बे उद्यान में गुलाबों के लम्बे-लम्बे गलियारे हैं जिनमें तराशी गई छोटी-छोटी छतरीनुमा झाड़ियाँ हैं, जो देखने में ऐसी प्रतीत होती है, जैसे एक खूबसूरत रंगीन विशाल गलीचा बिछा हो। वृत्ताकार उद्यान को पर्ल गार्डन या बटरफ्लाई गार्डन भी कहा जाता है। रंगों की छटा बिखेरते इस उद्यान में बीच-बीच में हरित पट्टियां हैं और इसके मध्य में एक फव्वारा भी है।
पर्दा गार्डन : ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा मुख्य उद्यान के पश्चिम में है। इसमें छोटी-छोटी तराशी गई झाड़ियों से घिरे गुलाबों के वर्गाकार उद्यान हैं। इसके दीवारों के किनारे-किनारे खूबसूरत चाइना ऑरेंज के वृक्ष है। फलों के मौसम में इन वृक्षों पर आभूषणों जैसे नजर आते फलों की संख्या पत्तियों से कहीं ज्यादा हो जाती है।
वृत्ताकार उद्यान: यह पश्चिमी किनारे पर स्थित है। इस में साल भर खिलते रहने वाले अनेक प्रजाति के फूलदार पौधे हैं। इस उद्यान के मध्य में स्थित फव्वारा इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है। यहां लगे संगीतमय फव्वरों में रोमांचक फव्वारों के ऐसे जोड़े हैं, जिनसे शहनाई का संगीत और वन्दे मातरम की घुन निकलती है। साथ ही ये फव्बारे संगीत के साथ उतरते और चढ़ते हैं।

मुगल शैली विकसित किया गया यह उद्यान छ: हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। उद्यान को राष्ट्रपति भवन के पिछवाड़े इसलिए रखा गया है, क्योंकि मुगलों के बाग-बगीचे महल के पीछे ही हुआ करते थे। इसलिए एडवर्ड लुटियन्स ने केवल इसका रूपांकन ही नहीं किया, बल्कि मुगलों की सोच को भी उसी तरह बनाये रखा।

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14-02-2011, 05:18 AM
http://topnews.in/law/files/Mughal-Garden.jpg

१९११ में जब अंग्रेजों ने तय किया कि राजधानी कलकत्ता से दिल्ली ले आएं तो उन्होंने दिल्ली डिजाइन करने के लिए प्रसिध्द अंग्रेज वास्तुकार एडवर्ड लुटियन्स को इंग्लैंड से भारत बुलाया। उन्होंने दिल्ली आकार वायसराय हाउस के लिए रायसीना की पहाड़ी का चयन किया। उसे काटकर वायसराय हाउस (जिसे अब राष्ट्रपति भवन कहते हैं), का जो नक्शा तैयार किया उसमें भवन के साथ-साथ बाग-बगीचा तो था, लेकिन वह ब्रिटिश शैली के थे। तत्कालीन वाइररॉय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग ने तब यहां भारतीय शैली के उद्यानों का प्रस्ताव दिया और फिर मुगल उद्यान की परिकल्पना भी की। उन्होंने श्रीनगर में निशात बाग और शालीमार बाग देखे थे, जो उन्हें बहुत भाये। बस तभी से मुगल उद्यान शैली उनके मन में बैठ गयी थी। वह इन बागों से इस तरह रोमांचित हो उठी थीं कि वायसराय हाउस में मुगल गार्डन को साकार होते देखना चाहती थीं। उन्होंने लुटियन्स के सामने अपनी बात रखी। वास्तुकार लुटियन्स लेडी हार्डिंग का बह्तु सम्मान करते थे। इसलिए वायसराय हाउस में मुगल उद्यान की उनकी परिकल्पना को साकार रूप देने को मना नहीं कर सके। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत उद्यानों, ताजमहल के उद्यान तथा पारसी और भारतीय चित्रकारियों से प्रेरित होकर इन उद्यानों का खाका तैयार किया। सन १९२८ में लॉर्ड इर्विन ने इस वायसराय हाउस में शानोशौकत के साथ कदम रखा। उन्हें लुटियन्स द्वारा डिजाइन किया गया भवन और परिकल्पित मुगल उद्यान बहुत भाया। तभी से इस उद्यान को मुगल उद्यान नाम मिला।

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14-02-2011, 05:22 AM
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सन १९४७ में भारत की स्वतंत्रता उपरांत वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया। कुछ नामों को बदल देने के सिवाय लुटियन्स द्वारा रूपांकित किया गया यह भवन जैसा था, वैसा ही आज भी है। मुगल उद्यान में भी कोई खास बदलाव नहीं आया, सिवाय कुछ बागवानी संबंधित सुधारों के। भारत के अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं, उनके मुताबिक इसमें कुछ न कुछ बदलाव अवश्य हुए हैं। प्रथम राष्ट्रपति, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने इस गार्डन में कोई बदलाव नहीं कराया लेकिन उन्होंने इस खास बाग को जनता के लिए खोलने की बात की। उन्हीं की वजह से प्रति वर्ष मध्य-फरवरी से मध्य-मार्च तक यह आकर्षक गार्डन आम जनता के लिए खोला जाता है।डॉ0 जाकिर हुसैन गुलाबों के अत्यंत शौकीन थे। उन्होंने देश-विदेश से गुलाब की कई किस्में मंगवाकर यहां लगवाई। डॉ. वी.वी.गिरी और श्री नीलम संजीव रेड्डी की बागों तथा बागवानी में खास दिलचस्पी नहीं थीं, फिर भी वे बाग कर्मचारियों की मेहनत से खिले फूलों को देखकर, उनकी सराहना करते रहते थे।

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14-02-2011, 05:23 AM
ज्ञानी जैल सिंह को मुगल गार्डन खूब भाया। वे सुबह ५ बजे ही नहा-धोकर इस बगीचे में सैर के लिए आ जाया करते थे। यहां पर उनके सचिव उन्हें गुरवाणी तथा रामायण का पाठ सुनाया करते थे। यहां पर जो डेलिया अपनी मनमोहन छटा बिखेर रहा है, वह उन्हीं के प्रयासों से कलकत्ता के राजभवन से यहां लाया गया।श्री आर वेंकटरामन ने भी अपनी पसंद के कुछ फूलों के पौधों को यहां लगाया था। वे यहां सुबह-शाम खाली समय में घूमा करते थे। श्री फखरूद्दीन अली अहमद को कोई खास दिलचस्पी इस बाग में नहीं थी, लेकिन बेगम आबिदा को यह गार्डन बहुत भाया। वे घंटों इस बाग में फूलों को निहारती, उनसे बातें किया करती और धूम-घूम कर प्रत्येक क्यारी में जाकर उनकी देखभाल करती थीं। इकेबाना उन्हीं की वजह से इस बाग की शोभा बढा रहा है। डॉ. शंकर दयाल शर्मा को फूलों से अधिक उनकी खुशबू से प्यार था। उन्होंने बाग में अनेक खुशबूदार फूलों को लगाने पर जोर दिया था। चम्पा, चमेली, हरसिंगार जैसे ठेठ भारतीय फूल इसी दौरान इस बाग में लगाए गए। श्री के.आर.नारायणन महोदय को भी फूलों से ज्यादा लगाव नहीं था, फिर भी वे कभी-कभार बाग में टहलने जरूर जाते थे और फूलों को बड़े गौर से निहारते थे। उन्हे फूलों की खुशबू बहुत अच्छी लगती थी।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी रहे हैं। उन्हें इस बाग के बोन्साई पेड़ बहुत अच्छे लगते थे। वे लगभग प्रतिदिन इस बाग में सैर करने आते थे। उन्हें फूलों से भी बहुत लगाव रहा। वे चाहते थे कि इस उद्यान का कोना-कोना ऐसा हो जहां कोई न कोई फूल महक रहा हो।

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14-02-2011, 05:28 AM
http://cdn.wn.com/pd/d6/59/899c9185cf638f6e0edfdaa2640c_grande.jpg

यहां बोने नट व ओकलाहोमा सहित अकेले गुलाब की ही २५० से भी अधिक किस्में हैं। ओकलाहोमा गुलाब के फूल का रंग लगभग काला है। नीले गुलाब की प्रजातियों में पैराडाइज, ब्ल्यूमून और लेडी एक्स शामिल हैं। यहां हरे रंग के गुलाब की भी किस्में है। मॉलश्री, पुत्रंजीव, सरू, जुनिपर, चाइना औरेंज जैसे वृक्षों से हमेशा हरा-भरा रहने वाला इस उद्यान में कई प्रकार के दुर्लभ फूलों की बहार देखने को मिलती हैं। गुलदाउदी की १२५, बॉगनविलिया की ५० से अधिक किस्मों को यहां देखा का सकता है। गेंदे की जितनी किस्में यहां हैं शायद ही और कहीं देखने को मिलती हों। डहेलिया के पेड़ों की भी अलग ही छटा है। इनके अलावा यहां बोनसाई का भी प्रयोग किया गया है। कुछ तो ऐसे भी हैं, जिनकी आयु ५०-६० वर्ष से भी अधिक है।यहां कैलेन्डुला एन्टिरहिनम, एलिसम, डिमोरफोथेका, एसोलझिया, लार्क्सपर, गजेनियां, गेरबेरा, गोडेतिया, लाइनेरिया, मेसमब्राइन्थेमम, ब्रासिकम, मेतुसेरिया, वेरबेना, विओला, पैन्सी, स्टॉक तथा डहलिया, कारनेशन और स्वीटपी जैसे सर्दियों में खिलने वाले फूलों की भी बहुतायत है।

मुगल उद्यान हर वर्ष फरवरी-मार्च के महीने में वसंत ऋतु में आम जनता के लिए खोला जाता है। यहां सोमवार के अलावा सभी दिनों पर सुबह ९:३० बजे से दोपहर २:३० बजे तक दर्शक आ सकते हैं। इस उद्यान में आने और जाने के रास्*तों को राष्*ट्रपति आवास के गेट नंबर ३५ से विनियमित किया जाता है, जो चर्च रोड के पश्चिमी सिरे पर नॉर्थ एवेन्*यू के पास स्थित है।

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14-02-2011, 05:34 AM
पंच इंद्रीय उद्यान
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/3/3e/Example_of_night_photography_at_The_Garden_of_Five _Senses%2C_New_Delhi.JPG

पंच इंद्रीय उद्यान या गार्डन ऑफ़ फ़ाइव सेन्सेज़ नामक उद्यान दिल्ली के दक्षिणी क्षेत्र में सैद-उल-अजाब गांव के पास स्थित है। यह महरौली और साकेत के बीच में पड़ता है। यह उद्यान दिल्ली पर्यटन विकास निगम द्वारा विकसित किया गया है।

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14-02-2011, 05:36 AM
http://www.photography-edu.com/wp-content/uploads/2009/06/garden-of-five-senses.jpg

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14-02-2011, 05:38 AM
http://travel247.tv/india/wp-content/uploads/2010/04/Garden-of-Five-Senses-Delhi.jpg

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14-02-2011, 05:39 AM
http://delhionclick.com/Images/delFiveSenses.jpg

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14-02-2011, 05:43 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/a/a1/The_Garden_of_Five_Senses_%285%29.JPG

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14-02-2011, 05:47 AM
8816
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Bond007
14-02-2011, 05:49 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8816&stc=1&d=1297647944

Bond007
14-02-2011, 05:49 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8817&stc=1&d=1297647944

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14-02-2011, 05:50 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8818&stc=1&d=1297647944

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14-02-2011, 05:57 AM
तालकटोरा उद्यान

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8819&stc=1&d=1297648625

तालकटोरा उद्यान एक ऐतिहासिक जगह है। यहीं पर 1738 में मुगलों ने मराठों को हराया था। पुराने समय में यहां एक कुंड और स्वीमिंगपूल था। इसलिए इस जगह का नाम तालकटोरा रखा गया। यह गार्डन बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशेष रूप से वसंत ऋतु में यहां पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। विभिन्न प्रकार के फूलों के अलावा यहां स्टेडियम भी है जहां खेलों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। निश्चित समयावधि के लिए यहां बच्चों के लिए कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं ताकि उनमें बागवानी के प्रति रुचि बढ़े। यह सभी दिन खुला रहता है।

Bond007
14-02-2011, 05:58 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8820&stc=1&d=1297648625

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14-02-2011, 06:01 AM
http://www.delhihelp.com/UserFiles/Image/R%288%29.jpg http://2.bp.blogspot.com/_HEAMt3UrjSQ/SR0EDi7EISI/AAAAAAAAIp4/EIINkIZWt9A/s400/20102008%28014%29.jpg

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14-02-2011, 06:02 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/4/43/Talkatora_garden_new_delhi_17.jpg

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14-02-2011, 06:11 AM
लोधी उद्यान
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8821&stc=1&d=1297649456

लोधी उद्यान (पूर्व नाम:विलिंग्डन गार्डन) दिल्ली शहर के दक्षिणी मध्य इलाके में बना सुंदर उद्यान है। इसे लोदी गार्डन भि कहते हैं, और यह सफदरजंग के मकबरे से १ किमी. पूर्व में स्थित है। पहले इस बाग का नाम लेडी विलिंगटन पार्क था। यहां के खूबसूरत फव्वारे, तालाब, फूल और जॉगिंग ट्रैक सभी उम्र के लोगों को लुभाते हैं। लोदी गार्डन मूल रूप से गांव था जिसके आस-पास १५वीं-१६वीं शताब्दी के सैय्यद और लोदी वंश के स्मारक थे। अंग्रेजों ने १९३६ में इस गांव को दुबारा बसाया। यहां नेशनल बोंजाई पार्क भी है जहां बोजाई का अच्छा संग्रह है।


यहां पेड़ों की विभिन्न प्रजातियां, रोज गार्डन और ग्रीन हाउस है जहां पौधों का रखा जाता है। पूरे वर्ष यहां अनेक प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं। बगीचे के बीच में बड़ा गुंबद नामक मकबरा है, जिसके पीछे एक मस्जिद है जो १४९४ में बनाई गई थी। इस उद्यान में शीश गुंबद, मोहम्मद शाह का मकबरा और सिकंदर लोदी का मकबरा भी हैं। सर्दियों के दिनों में यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। यह ९० एकड़ में फैला हुआ है।

भारतीय इस्पात प्राधिकरण ने राष्ट्रीय स्मारकों के जीर्णोद्धार व संरक्षण के लिए राशि उपलब्ध कराई है। इसके तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इंटैक को लोधी गार्डन स्थित राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।

Bond007
14-02-2011, 06:15 AM
मुहम्मद शाह का मकबरा

http://www.yogeshsarkar.com/delhi/lodhi_garden/tomb-of-Mohammed-Shah.jpg

http://blog.mawi.co.uk/wp-content/uploads/2010/11/Lodhi_Gardens.jpg
सैयद वंश के तीसरे शासक मुहम्मद शाह थे। जिनका शासन १४३४-४४ तक रहा। इनका शासन काल इसलिए भी जाना जाता है कि उस दौरान सरहिंद के अफगान सूबेदार बहलोल लोधी ने पंजाब के बाहर अपने प्रभाव को बढ़ा लिया था। वह लगभग स्वतंत्र हो गया था। इसी दौरान मुहम्मद शाह का पुत्र और उनका उत्तराधिकारी अलाउद्दीन आलम शाह दिल्ली के शासन का भार अपने एक साले और शहर पुलिस अधीक्षक का भार दूसरे साले पर छोड़कर बदायूं चला गया था। उसके जाने के बाद दोनों ही अलग-थलग पड़ गए और १४५१ में बहलोल लोधी ने सिंहासन पर कब्जा कर लिया।

Bond007
14-02-2011, 06:18 AM
बड़ा गुम्बद
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8822&stc=1&d=1297649456
मुहम्मद शाह के मकबरे से ३०० मीटर पर यह मकबरा स्थित है। इसमें जिसका शव दफन है, उसकी पहचान नहीं हो पाई है। परन्तु यह स्पष्ट है कि वह सिकंदर लोधी के शासन काल में कोई उच्च पदाधिकारी था।

Bond007
14-02-2011, 06:20 AM
शीश गुम्बद

http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/a/a3/Sheesh_Gumbad%2C_Lodhi_Gardens%2C_Delhi%2C_India.j pg
वास्तुकला की दृष्टि से इसमें दो मंजिला इमारत की आकृति झलकती है। इसके अंदर कई कब्र हैं। इनके बारे में इतिहास में जानकारी उपलब्ध नहीं है। मगर माना जाता है कि इन्हें भी सिकंदर लोधी के शासन काल में बनाया गया था।

Bond007
14-02-2011, 06:27 AM
अठपुला
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8823&stc=1&d=1297650389

सिकंदर लोधी के मकबरे से थोड़ी दूर पूर्व में सात मेहरावों वाला एक पुल है जिसे नाले पर बनाया गया है। इसके ऊपर बीच के मेहरावों का फैलाव अधिक है। इस पुल में आठ खंभे हैं। इसे मुगल काल के दौरान बनाया गया था। इस पुल का निर्माण बादशाह अकबर के शासन काल (१५५६-१६०५) के दौरान नवाब बहादुर नामक व्यक्ति ने करवाया था।

Bond007
14-02-2011, 06:29 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8824&stc=1&d=1297650389

Bond007
14-02-2011, 06:37 AM
सिकंदर लोधी का मकबरा

http://karuneshjohri.com/wp-content/uploads/2010/04/sikandar-lodhi-tomb-1.jpg
बहलूल खान लोधी के शासन काल में ही राज्य में कई विद्रोही ताकतवर होने लगे थे। जिसके चलते उसके उत्तराधिकारी सिकंदर लोधी (१४८७-१५१७) का अधिकांश समय जौनपुर के प्रांतीय शासक और अन्य सरदारों को दबाने में ही लगा रहा।

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14-02-2011, 06:49 AM
वन्य प्राणी उद्यान

http://karuneshjohri.com/wp-content/uploads/2009/12/national-zoological-park.jpg
वन्य प्राणी उद्यान को चिड़ियाघर भी कहा जाता है। दिल्ली का चिड़ियाघर एशिया के सबसे अच्छे चिड़ियाघरों में एक है। यह पुराने किले के पास ही स्थित है। 1959 में बने इस चिड़ियाघर का डिजाइन श्रीलंका के मेजर वाइनमेन और पश्चिम जर्मनी के कार्ल हेगलबेक ने बनाया था। 214 एकड़ में फैले इस जैविक उद्यान में जानवरों और पक्षियों की 22000 प्रजातियां और 200 प्रकार के पेड़ हैं। यहां पर ऑस्टेलिया, अफ्रीका, अमेरिका और एशिया से लाए गए पशु-पक्षी भी देखे जा सकते हैं। चिड़ियाघर में एक पुस्तकालय भी है जहां से पेड़, पौधों, पशु-पक्षियों के बारे में जानकारी ली जा सकती है। समय: गर्मियां में सुबह 8-शाम 6 बजे तक, सर्दियों में सुबह 9-शाम 5 बजे तक शुक्रवार को बंद रहता है और खाने पीने की चीजें लाना मना है|

Bond007
14-02-2011, 06:51 AM
National Zoological Park Delhi से प्राप्त कुछ तस्वीरें

http://www.chandnichowk.info/images/national%20zoological.jpg

Bond007
14-02-2011, 06:52 AM
http://media-cdn.tripadvisor.com/media/photo-s/01/1d/4a/be/crocodiles.jpg

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14-02-2011, 06:53 AM
http://www.delhihelp.com/UserFiles/Image/healthbase_laxminarayan_temple_birla_mandir_delhi_ travel_medical_tourism_india%282%29.jpg

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14-02-2011, 06:55 AM
http://www.travel247.tv/india/wp-content/uploads/2010/08/National-Zoological-Park-Delhi.jpg

Bond007
14-02-2011, 06:57 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8825&stc=1&d=1297652180

Bond007
14-02-2011, 06:58 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8826&stc=1&d=1297652180

Bond007
14-02-2011, 07:03 AM
http://www.tamarindtours.in/view/destinationImages/Delhi%20-%20National%20Zoological%20Park.jpg

Bond007
14-02-2011, 07:04 AM
http://www.thehindu.com/multimedia/dynamic/00265/DEL_1_265519f.jpg

Bond007
14-02-2011, 07:07 AM
http://tripsguru.com/files/zoos/images/The%20National%20Zoological%20Park%20of%20Delhi%20 3.jpg http://tripsguru.com/files/zoos/images/The%20National%20Zoological%20Park%20of%20Delhi.jp g

abhisays
14-02-2011, 07:16 AM
इन्हें चित्रों को देख कर ऐसा मन कर रहा है, फिर से delhi घुमने चला जाये. बहुत ही अच्छा थ्रेड बनाया है बोंड जी आपने.


:clappinghands::clappinghands::clappinghands:

Bond007
14-02-2011, 07:25 AM
इन्हें चित्रों को देख कर ऐसा मन कर रहा है, फिर से delhi घुमने चला जाये. बहुत ही अच्छा थ्रेड बनाया है बोंड जी आपने.


:clappinghands::clappinghands::clappinghands:


:thank-you::thank-you:
धन्यवाद सर जी! बड़े से फोरम में छोटी सी आहुति, बस और कुछ नहीं| :D

Bond007
15-02-2011, 07:15 AM
क्राफ्ट संग्रहालय, दिल्ली

क्राफ्ट म्यूजियम प्रगति मैदान में स्थित दिल्ली का प्रमुख पर्यटक स्थल है। इस संग्रहालय में भारत की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रदर्शित किया गया है। देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झलक यहाँ देखी जा सकती है। इस जगह देश के विभिन्न भागों से आए शिल्पकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। इस संग्रहालय में देशभर से लाए गए दुर्लभ कला और हस्त शिल्प का विस्तृत संग्रह है। यहाँ आदिवासी और ग्रामीण शिल्प,कपड़ों आदि से संबंधित अलग-अलग दीर्घाएँ हैं। क्राफ्ट म्यूजियम में क्राफ्ट म्यूजियम शॉप भी है। संग्रहालय और शिल्पकारों से पूजा का सामान, गहने, शॉल और किताबें खरीदी जा सकती हैं।


समय


जुलाई से सितंबर सुबह 9.30-शाम 5 बजे तक
अक्टूबर से जून सुबह 9.30-शाम 6 बजे तक,
अवकाश - सोमवार और राष्ट्रीय अवकाश के दिन बंद

Bond007
15-02-2011, 07:25 AM
क्राफ्ट संग्रहालय के कुछ चित्र


http://www.arunlalsharma.com/images/craftmuseum2.jpg

Bond007
15-02-2011, 07:26 AM
http://www.karol-bagh.com/Museum%20Gallery/craft%20museum.jpg

Bond007
15-02-2011, 07:27 AM
http://2.bp.blogspot.com/_2Oe8R5bXqeU/TPAiUVGifgI/AAAAAAAABjM/nwFOzd_Sbr4/s1600/140%2B%257E%2B%255Bshopping%255D%2Bshopping%2Bplac es%2Bin%2Bdelhi.jpg

Bond007
15-02-2011, 07:40 AM
राष्ट्रीय पुरातात्विक संग्रहालय
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8876&stc=1&d=1297741062
नई दिल्ली का राष्ट्रीय संग्रहालय भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है। यह जनपथ मार्ग पर मौलाना आजाद मार्ग के चौराहे के निकट स्थित है। यहां अनेक प्रकार के संग्रह हैं, जो प्राग-ऐतिहासिक काल से लेकर आधुनिक काल के कलात्मक कार्य हैं। यह संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित है।

संग्रहालय में लगभग 200,000 कला के संग्रह हैं, जो कि भारतीय व विदेशी , दोनों ही मूल के हैं, जो भारत के पिछले ५००० वर्षों के इतिहास व सांस्कृतिक धरोहर पर प्रकाश डालते हैं।

Bond007
15-02-2011, 07:48 AM
राष्ट्रीय पुरातात्विक संग्रहालय के कुछ चित्र

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8877&stc=1&d=1297741451

Bond007
15-02-2011, 07:51 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/9/99/Mohenjodaro_toy_001.jpg

मोहन जोदड़ो की खुदाई से प्राप्त खिलौना

Bond007
15-02-2011, 07:52 AM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/3/34/Schlacht_von_Panipat.jpg

मुग़ल कालीन पेंटिंग

Bond007
15-02-2011, 07:53 AM
http://www.theindianpictures.com/media/309-great-renunciation-buddha.jpg

राजकुमार सिद्धार्थ नगर भ्रमण पर

Bond007
15-02-2011, 07:54 AM
http://images.travelpod.com/tw_slides/ta00/a0a/912/new-delhi-national-museum-national-museum-new-delhi-new-delhi.jpg

Bond007
15-02-2011, 08:04 AM
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय
http://www.arunlalsharma.com/images/nationalrailmuseum2.JPG
राष्ट्रीय रेल परिवहन संग्रहालय नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित एक संग्रहालय है, जो भारत की रेल धरोहर पर ध्यानाकर्षण करता है और 140 साल के इतिहास की झलक प्रस्तुत करता है। इसकी स्थापना १ फरवरी, १९७७ को की गई थी। यह लगभग १० एकड़ (४०,००० m²) के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें भवन के अंदर और बहार, दोनो ही प्रकार की रेल धरोहरें सुरक्षित हैं। विभिन्न प्रकार के रेल इंजनों को देखने के लिए देश भर से लाखों पर्यटक यहां आते हैं। यहां पर रेल इंजनों के अनेक मॉडल और कोच हैं जिसमें भारत की पहली रेल का मॉडल और इंजन भी शामिल हैं। इसका निर्माण ब्रिटिश वास्तुकार एम जी सेटो ने 1957 में किया था। यहां एक छोटी रेलगाड़ी भी चलती है, जो कि संग्रहालय में पूरा चक्कर लगवाती है। इस संग्रहालय में विश्व की प्राचीनतम चालू हालत की रेलगाड़ी भी है, जिसका इंजन सन १८५५ में निर्मित हुआ था। ये फ़ेयरी क्वीन गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स से प्रमाणित है। इसके अलावा यहां रेस्टोरेंट और बुक स्टॉल है। तिब्बती हस्तशिल्प का प्रदर्शन भी यहां किया गया है।

भ्रमण समय


गर्मियों में सुबह 9.30-शाम 7 बजे तक, सर्दियों में सुबह 9.30-शाम 5 बजे तक

Bond007
15-02-2011, 08:09 AM
शंकर अन्तर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=8878&stc=1&d=1297742921
शंकर अन्तर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय नई दिल्ली में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना मशहूर कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लई-(१९०२-१९८९) ने की थी। यहाँ विभिन्न परिधानों में सजी गुड़ियों का संग्रह विश्व के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है। यह संग्रहालय बहादुर शाह जफर मार्ग पर चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के भवन में स्थित है। इस गुड़िया घर के निर्माण के पीछे एक रोचक घटना है। जवाहरलाल नेहरू जब देश के प्रधानमंत्री थे तो देश के प्रसिद्ध कार्टूनिष्ट के० शंकर पिल्लै उनके साथ जाने वाले पत्रकारों के दल के सदस्य थे। वे हर विदेश यात्रा में नेहरू जी के साथ जाया करते थे। कार्टूनिष्ट के० शंकर पिल्लै की रुचि गुड़ियों में थी। वे प्रत्येक देश की तरह-तरह की गुड़ियाँ एकत्र किया करते थे। धीरे-धीरे उनके पास ५०० तरह की गुड़ियाँ इकट्ठी हो गईं। वे चाहते थे कि इन गुड़ियों को देश भर के बच्चे देखें। उन्होंने जगह-जगह अपने कार्टूनों की प्रदर्शनी के साथ-साथ इन गुड़ियों की भी प्रदर्शनी लगाई। बार-बार गुड़ियों को लाने ले जाने में कई गुड़ियाँ टूट फूट जाती थीं। एक बार पं० नेहरू अपनी बेटी इन्दिरा गाँधी के साथ प्रदर्शनी देखने गए। गुड़ियों को देखकर वे बहुत खुश हुए। उसी समय शंकर ने गुड़ियों को लाने ले जाने में होने वाली परेशानी की ओर नेहरू जी का ध्यान खींचा। चाचा नेहरू ने गुड़ियों के लिए एक स्थाई घर का सुझाव दिया।

Bond007
15-02-2011, 08:11 AM
http://www.travel247.tv/india/wp-content/uploads/2010/08/Dolls-Museum-Delhi.jpg

दिल्ली में जब चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट के भवन का निर्माण हुआ तो उसके एक भाग में गुड़ियों के लिए उनका घर बनाया गया। इस तरह दुनिया भर की गुड़ियों को रहने के लिए एक अनोखा घर मिल गया। दिल्ली में बहादुरशाह जफर मार्ग पर बने इस संग्रहालय का नाम "गुड़िया घर" है। यहाँ विभिन्न परिधानों में सजी गुडि़यों का संग्रह विश्व के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है। ५१८४.५ वर्ग फुट आकार वाले इस संग्रहालय में १००० फीट की लम्बाई में दीवारों पर १६० से अधिक काँच के केस बने हुए हैं। यह संग्रहालय दो हिस्सों में बँटा है। एक हिस्से में यूरोपियन देशों, इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, राष्ट्र मंडल देशों की गुडि़याँ रखी गई हैं। दूसरे भाग में एशियाई देशों, मध्यपूर्व, अफ्रीका और भारत की गुडि़याँ प्रदर्शित की गई हैं। इन गुड़ियों को खूब सजाकर रखा गया है। इस गुड़िया घर का प्रारम्भ १००० गुड़ियों से हुआ था। वर्तमान समय में यहाँ ८५ देशों की करीब ६५०० गुडि़यों का संग्रह देखा जा सकता है।

यह संग्रहालय सुबह १० बजे से शाम ६ बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहता है। प्रवेश शुल्क बड़ों के लिए १५ रुपए प्रति व्यक्ति तथा बच्चों के लिए ५ रुपए है। बच्चे यदि २० के समूह में गुड़िया घर देखने आयें तो प्रति बच्चे के लिए टिकिट का मूल्य मात्र ३ रुपए है। सोमवार को गुड़िया घर बंद रहता है।

Bond007
15-02-2011, 08:24 AM
राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय
http://images.cdn.fotopedia.com/rlalwani23-ssnMlE7fgGY-hd.jpg

राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय नई दिल्ली के बाराखंभा मार्ग पर स्थित है। यह ५ जून, १९७२ में स्थापित किया गया संग्रहालय है, जो कि प्राकृतिक इतिहास पर केन्द्रित है। यह भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के अधीन आता है।

Sikandar_Khan
15-02-2011, 09:08 AM
बोंड भाई जी
आपको सूत्र के लिए हार्दिक बधाई
आपने घर बैठे बैठे दिल्ली की शैर करवा दी :fantastic::fantastic::fantastic:

Bond007
15-02-2011, 10:15 AM
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय
http://www.fullstopindia.com/wp-content/uploads/2010/01/National-Gallery-of-Modern-Art-Delhi-India.jpg
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, या नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थित है। इसकी आवश्यकता सन 1949 में कोलकाता के कला-सम्मेलन में महसूस की गई, जिसके परिणामस्वरूप 29 मार्च,1954 में इसकी स्थापना जयपुर हाउस में, की गई। यह कला दीर्घा भारत में अपने आप में ऐसा अद्भुत संग्रहालय है, जिसमें सोलह हज़ार से भि अधिक कलाकृतियों का संग्रह है, तथा इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। यह संग्रहालय संस्कृति मंत्रालय द्वारा अधीनस्थ संस्था रूप में प्रशासित एवं संचालित है। इस संग्रहालय की दो और शाखाएं हैं: -एक मुंबई में व –एक बंगलौर में । देश का यह संग्रहालय पिछले 150 वर्षों की सांस्कृतिक व समकालीन ललितकला का भंडार समेटे हुए है। इसमें सन 1857 से आरंभ करते हुए दृश्य एवं शिल्पकला को समय के साथ बदलते हुए स्वरूपों में दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

Bond007
15-02-2011, 10:19 AM
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के प्रमुख लक्ष्य एवं उद्देश्य हैं:


1850 से अब तक की आधुनिक कलाकृतियों को प्राप्त कर उनका परिरक्षण करना;
स्थायी प्रदर्शनी हेतु गैलरी का विकास एवं संपोषण करना;
विशिष्ट प्रदर्शनियों को अपने संग्रहालय के अतिरिक्त देश एवं विदेश में आयोजित करना;
आधुनिक कलाकृतियों से संबंधित प्रलेखों को प्राप्त एवं अनुरक्षण करके शिक्षा व प्रलेखीकरण केन्द्र का विकास करना;
पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, छायाचित्रों एवं दृश्य-श्रव्य सामग्रियों हेतु एक विशिष्ट पुस्तकालय का विकास करना।
कला-इतिहास, कला-समीक्षा, कला-प्रोत्साहन, संग्रह विज्ञान तथा दृश्य एवं अभिनीत कलाओं को प्रोत्साहन देने हेतु, व्याख्यानों, गोष्ठियों, सम्मेलनों एवं कार्यशालाओं का आयोजन करना।


संग्रह
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के संग्रह में प्रमुख रूप से भारतीय व कुछ हद तक अन्तर्राष्ट्रीय कलाकारों की कलाकृतियां शामिल हैं। भारतीय आधुनिक कला के ऐतिहासिक विकास को महत्व देते हुए यहां का संग्रह पंजाब, पटना, लखनऊ, मैसूर और तंजौर जैसी विभिन्न शैलियों तथा उन्नीसवीं शताब्दी की कुछ विशिष्ट शैलियों, लघुचित्रों, राजा रविवर्मा की कलाकृतियों व शैक्षिक यथार्थवाद, बंगाल शैली तथा अन्तर्राष्ट्रीय आधुनिक कला पर केन्द्रित है।

संग्रह में जैकब एपस्टीन, ज्यॉर्जियो द किरिको, सोनिया डिलौने, ए तपिए, रॉबर्ट राउजवर्ग, से.डुक ली, डि.सी. दाजा, पीटर लुबार्दा, कोज़ो मियो, जॉर्ज कीट, तथा फ़्रड थीलर जैसे अन्तर्राष्ट्रीय कलाकारों के मूर्तिशिल्प तथा ग्राफ़िक्स भी शामिल हैं।

यहां का संग्रह थॉमस डैनियल, अवनीन्द्रनाथ टैगोर, रविंद्र नाथ टैगोर, गगनेंद्र नाथ टैगोर, नंदलाल बोस, यामिनी रॉय , अमृता शेरगिल के साथ साथ देश के अन्य प्रमुख समकालीन कलाकारों के कार्यों का भली-भांति निरुपण करता है। मूर्ति-शिल्पों का प्रदर्शन संग्रहालय से सटे हुए लॉन में किया गया है। इसे शिल्प उद्यान के रूप में जाना जाता है। कलाकृतियों का अधिग्रहण क्रय, उपहारस्वरूप तथा स्थायी ऋण के द्वारा समृद्ध किया गया है।

Bond007
15-02-2011, 10:21 AM
शैक्षिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम
http://farm4.static.flickr.com/3009/2994033369_c947b6b495.jpg
शैक्षिक दायित्व राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। संस्थान की सफलता के लिए इस पर पूर्ण रूप से विचार किया गया है, कि यह संग्रहालय विद्यार्थियों सहित सामान्य दर्शकों को शिक्षित करने के साथ-साथ विशिष्ट एवं कला-कार्य में साधनारत कलाकारों की कला संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति भी कर सके। इसके लिए अनिवार्य रूप से निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं:


विभिन्न विद्यालयों से विद्यार्थियों के संग्रहालय भ्रमण की व्यवस्था करना।
सामान्य दर्शकों में कला के प्रति रुचि जागृत करने हेतु सार्वजनिक दौरे करना व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करना।
कलाकारों को प्रलेखन सुविधाओं, शैक्षिक प्रदर्शनियों व कार्यक्रमों द्वारा सेवा प्रदान करना।
व्यावसायिक व विशिष्ट कलाकारों के विशेष अध्ययन हेतु व्याख्यानों व गोष्ठियों का आयोजन करना।


इन शैक्षिक कार्यक्रमों का उद्देश्य प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत एवं सृजनात्मक योग्यताओं का विकास करना व क्षमताओं को बढ़ावा देना है। कला-मूल्यांकन, कला-समीक्षा व कला –इतिहास पर प्रारंभिक व विशेष अध्ययन के लिए व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं, तथा उन्हें दृश्यों व श्रव्य माध्यमों से जोड़ा जाता है। जनसाधारण को दृश्य एवं अभिनय कला के अन्तर्संबंधों को बुनियादी रूप से समझाने हेतु फिल्म –शो और टेप –रिकॉर्डॆड संगीत की भी व्यवस्था है।

राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय का प्रमुख दायित्व ललित कला के क्षेत्र में गुणवत्ता और उत्कृष्टता का निर्धारण कर उसके संपोषण करना, तथा श्रेष्ठता की मान्यताएं निर्धारित कर उसे कायम रखना है। सौंदर्य परख और शैक्षिक प्रयोजनों को राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों में ना केवल परिभाषित किया गया है, अपितु सतत प्रयास भि किए जा रहे हैं, जिससे ये विशिष्टताएं संस्थान में अन्तर्निहित होकर व्याप्त हो सकें। इन सबसे अधिक राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालयकलाकृतियों को अति प्रसन्नचित्त एवं आनंदित होकर दर्शकों के दैनिक जीवन के साथ जोड़कर देखने में उनकी सहायता करता है, जिससे वे मानवीय मनोभावों की विशिष्टताओं का साक्षात रसास्वादन कर सकें।

Bond007
15-02-2011, 10:23 AM
अन्य सूचना

* प्रवेश शुल्क:-

प्रत्येक भारतीय नागरिक रु० 10/-
प्रत्येक विदेशी नागरिक रु० 150/-
प्रत्येक विद्यार्थी रु० 1/-

समय
प्रातः 10:00 बजे से
सांय: 05:00 बजे तक
अवकाश
साप्ताहिक: सोमवार
राष्ट्रीय अवकाश

संपर्क
दूरभाष: +91-11-23384560, 23386111, 23386208
ईपीबी ए एक्स
23384640, 23382835
ई –मेल :ngma@del3.vsnl.net.in

शाखाएं

इस संग्रहालय की भारत में दो शाखाएं और हैं, जो मुंबई एवं बेंगलुरु में हैं।

* मुंबई शाखा:

सर कोवासजी जहांगीर पब्लिक हॉल, महात्मा गाँधी मार्ग, फ़ोर्ट, मुंबई -400 032 दूरभाष: +91-22-22881969, 22852457 ई –मेल: ngma_mumbai@vsnl.net.in

* बेंगलुरु शाखा:

मणिक्यवेलु मैन्शन, 49, पैलेस रोड, बेंगलुरु – 560 052 टेलीफैक्स: +91-80-22201027

Bond007
15-02-2011, 10:31 AM
इनके अलावा भी कुछ निम्न संग्रहालय हैं:

वायु सेना संग्रहालय

वायु सेना संग्रहालय दिल्ली में स्थित वायु सेना का संग्रहालय है।

गालिब संग्रहालय

गालिब संग्रहालय दिल्ली में मुगल कालीन शायर मिर्ज़ा गालिब का संग्रहालय है।

राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय

राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय दिल्ली में स्थित है। यहां विश्व भर के डाक टिकटों का अनूठा संग्रह है।यह संग्रहालय डाक भवन, सरदार पटेल चौक, नई दिल्ली में स्थित है। यहां डाक टिकटों के अलावा प्रथम दिवस आवरण, खास रद्द किए टिकट, इत्यादि भी हैं। यहां विश्व भर के टिकट क्रय करने का भी पटल है।

इसके खुलने का समय है:


प्रातः ०९००
सांय: ०४००
अवकाश: शनि एवं रवि


राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय

राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय दिल्ली में स्थित है। इसमें पुलिस सेवा का इतिहास संग्रहीत है|

Bond007
15-02-2011, 10:35 AM
बोंड भाई जी
आपको सूत्र के लिए हार्दिक बधाई
आपने घर बैठे बैठे दिल्ली की शैर करवा दी :fantastic::fantastic::fantastic:

सूत्र भ्रमण और होंसला अफजाई के लिए धन्यवाद सिकंदर साब!:thank-you::thank-you:

Bond007
27-02-2011, 03:58 PM
दिल्ली के बाजार

यह दिल्ली के बाजारों की सूची है:


चाँदनी चौक
चावला
कनॉट प्लेस
जनपथ
करोल बाग
कमला नगर
खान मार्केट
लाजपत नगर सेन्ट्रल मार्केट
लाजपत नगर
नजफ़गढ़
पालिका बाज़ार
साउथ एक्स्टेन्शन
वसन्त विहार
सरोजिनी नगर
द्वारका
तिलक नगर
राजोरी गार्डन

Bond007
27-02-2011, 04:03 PM
चांदनी चौक

http://www.tropicalisland.de/india/delhi/images/DEL%20Delhi%20-%20Chandni%20Chowk%20street%20shopping%20bazaar%20 busy%20intersection%203008x2000.jpg
दिल्ली आने वाले किसी भी व्यक्ति की यात्रा तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक वह चांदनी चौक न जाए। यह दिल्ली के थोक व्यापार का प्रमुख केंद्र है। पुराने समय में तुर्की, चीन और हॉलैंड के व्यापारी यहां व्यापार करने आते थे। यह मुगल काल में प्रमुख व्यवसायिक केंद्र था। इसका डिजाइन शाहजहां की पुत्री जहांआरा बेगम ने बनाया था। यहां की गलियां संकरी हैं। इसलिए यहां गा*ड़ी लेकर न आने की सलाह दी जाती है।

Bholu
27-02-2011, 04:03 PM
दिल्ली के बाजार

यह दिल्ली के बाजारों की सूची है:


चाँदनी चौक
चावला
कनॉट प्लेस
जनपथ
करोल बाग
कमला नगर
खान मार्केट
लाजपत नगर सेन्ट्रल मार्केट
लाजपत नगर
नजफ़गढ़
पालिका बाज़ार
साउथ एक्स्टेन्शन
वसन्त विहार
सरोजिनी नगर
द्वारका
तिलक नगर
राजोरी गार्डन


बहुत बढिया 007 जी

Bond007
27-02-2011, 04:04 PM
http://theviewspaper.net/wp-content/uploads/2008/02/chandni.jpg

Bond007
27-02-2011, 04:07 PM
http://sphotos.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-snc4/hs062.snc4/34468_130947220273325_100000741439420_201895_78242 55_n.jpg

Bond007
27-02-2011, 04:08 PM
http://lh5.ggpht.com/_kFDlaobWFvg/R6DU5tleScI/AAAAAAAAApo/V3DtdspsBQI/09+Delhi+%281723%29+Ride+through++Chandni+Chowk.JP G

Bond007
27-02-2011, 04:11 PM
मशहूर, परांठे वाली गली की दुकानें.......

http://farm4.static.flickr.com/3548/3433659225_22198c0627.jpg

Bond007
27-02-2011, 04:12 PM
http://www.davidboyk.com/pix/d/3843-2/IMG_0007.JPG

Bond007
27-02-2011, 04:15 PM
http://delhi-ncr.metromela.com/image/delhi/paranthewaligali/DSCN0310%20-%20resized.jpg

Bond007
27-02-2011, 04:16 PM
http://farm3.static.flickr.com/2666/3692649555_74039db924.jpg

Bond007
27-02-2011, 04:20 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9088&stc=1&d=1298809155

टाउन हॉल, चांदनी चौक, दिल्ली

Bond007
27-02-2011, 04:22 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9090&stc=1&d=1298809155

गुरुद्वारा शीशगंज साहिब का रसोईघर

Bond007
27-02-2011, 04:23 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9089&stc=1&d=1298809155

चावड़ी बाज़ार का दृश्य

bhoomi ji
27-02-2011, 04:29 PM
बहुत अच्छे जेम्स जी
आपने तो दिल्ली के दर्शन करवा दिए
आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Bond007
27-02-2011, 05:13 PM
कनॉट प्लेस

http://2.bp.blogspot.com/_M_hQgmdMc4U/SWsJubxzIWI/AAAAAAAACnU/nJP_Lfe7gT8/s400/Connaught+Place.jpg
कनॉट प्लेस (आधिकारिक रूप से राजीव चौक) दिल्ली का प्रमुख व्यवसायिक केंद्र है। इसका नाम ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया था। इस मार्केट का डिजाइन डब्यू एच निकोल और टॉर रसेल ने बनाया था। यह मार्केट अपने समय की भारत की सबसे बड़ी मार्केट थी। अपनी स्थापना के 65 साल बाद भी यह दिल्ली में खरीदारी का प्रमुख केंद्र है। यहां के इनर सर्किल में लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय ब्रैंड के कपड़ों के शोरूम, रेस्टोररेंट और बार हैं। यहां किताबों की दुकानें भी हैं जहां आपको भारत के बारे में जानकारी देने वाली बहुत अच्छी किताबें मिल जाएंगी।

Bond007
27-02-2011, 05:14 PM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/6/66/Connaught_place_delhi1.jpg

Bond007
27-02-2011, 05:15 PM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/1/1e/Connaught_Place_%2815%29_small.JPG

Bond007
27-02-2011, 05:15 PM
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/a/a3/Connaught_Place_%2818%29_small.JPG

Bond007
27-02-2011, 05:18 PM
http://www.narulainn.com/images/gallery/06.JPG

Sikandar_Khan
27-02-2011, 05:19 PM
बंधू
यहीँ से पूरी सैर करवाओगे या साथ मे लेकर भी चलोगे

Bond007
27-02-2011, 05:20 PM
http://www.team-bhp.com/forum/attachments/travelogues/7825d1207887812-yetiholiday-theone-visits-india-first-time-dsc_0115_thumb.jpg

Bond007
27-02-2011, 05:21 PM
http://i1.trekearth.com/photos/5264/connaught-place-at-night.jpg

Bond007
27-02-2011, 08:22 PM
जनपथ और पालिका बाजार
http://farm3.static.flickr.com/2106/1578939153_4c44631907.jpg

बंटवारे के बाद यहां आए शरणार्थियों और तिब्बंती शरणार्थियों ने यहां अपनी दुकानें बनाकर इस मार्केट को बसाया। यहां आपको सस्ते कपड़े मिल जाएंगे लेकिन इसके लिए मोल भाव करना आना चाहिए। जनपथ में सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज एंपोरियम है। इसके पास ही जवाहर व्यापार भवन है जहां भारतीय हस्तशिल्प का सामान देखा और खरीदा जा सकता है। पालिका बाजार भूमिगत बाजार है। यहां करीब 400 दुकानें हैं जहां कम कीमत पर कपड़े और बिजली का सामान मिल जाता है लेकिन यहां भी बहुत मोल भाव करना पड़ता है।

Bond007
27-02-2011, 08:23 PM
http://delhionclick.com/Images/delPalika.jpg

Bond007
27-02-2011, 08:27 PM
दिल्ली हाट
http://www.indiamike.com/photopost/data/509/Dilli_Haat.jpg


नई दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल व आई एन ए कालोनी के पास स्थित एक प्रमुख पर्यटन क्षेत्र, जहां बुनकर एवं काश्तकार लोग, बिचोलियों के बिना सीधे ही ग्राहकों को अपनें हस्तशिल्प बेचते हें । दिल्ली हाट एम्स से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यहां पर आकर संपूर्ण भारत के एक साथ दर्शन हो जाते हैं। यहां पर भारत के विभिन्नप प्रांतों के हस्तपशिल्प् को प्रदर्शित करती दुकानें हैं। दक्षिण भारतीय व्यं।जन से लेकर सुदूर उत्तर पूर्व के खाने के स्टॉल भी यहां मिल जाते हैं। यहां समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। यहां आप नृत्यि और संगीत का भी आनंद उठा सकते हैं।

Bond007
27-02-2011, 08:28 PM
http://apnidilli.com/wordpress/darshan/files/2008/05/dilli-haat.gif

Bond007
27-02-2011, 08:29 PM
http://farm4.static.flickr.com/3231/2519688771_afe8be3dfa.jpg

Bond007
27-02-2011, 08:34 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9135&stc=1&d=1298824462

Bond007
27-02-2011, 08:38 PM
दिल्लीं के आस पास दर्शनीय स्थल
आगरा
http://www.touristplacesrajasthan.com/indiajetways/india-travel-guide/gifs/agra-tourism3.jpg

आगरा दिल्ली से 200 किमी. दूर है। यमुना नदी के किनारे बसा यह शहर ताजमहल के लिए विश्वर भर में प्रसिद्ध है। विश्वय के सात अजूबों में शामिल ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने 1631 से 1648 के बीच करवाया था। उन्हों ने इसे अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। वर्ष भर लाखों देशी विदेशी पर्यटक यहां आते हैं। दिल्लीह के साथ-साथ यहां भी आना अच्छा रहेगा।

Bond007
27-02-2011, 08:41 PM
फतेहपुर सीकरी

http://www.indiatravelnext.com/images/fatehpur-sikri.jpg

लाल पत्थरों से बना यह शहर आगरा से 37 किमी. दूर है। इसका निर्माण अकबर ने 1571 से 1585 के बीच करवाया था। फतेहपुर सीकरी मुगल स्थात्य कला का अच्छा। उदाहरण है। यहां की इमारतें हिन्दू और मुस्लिम वास्तु्कला का अनूठा मिश्रण हैं। कहा जाता है कि फतेहपुर सीकरी की मस्जिद मक्का की मस्जिद की नकल है और यह फारसी व हिंदू शैली में बनी है। ऐतिहासिक इमारतों में रुचि रखने वालों के लिए यह सही जगह है।

Bond007
27-02-2011, 08:43 PM
जयपुर
http://hotelsneardelhi.com/img/jaipur.jpg

जयपुर जिसे गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान प्रान्त की राजधानी है। यह प्राचीन रजवाड़ा जिसे जयपुर नाम से जाना जाता था उसकी भी राजधानी थी। इस शहर की स्थापना 1728 में जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा की गयी थी। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खासियत है।

Bond007
27-02-2011, 08:45 PM
चंडीगढ़
http://www.joy-travels.com/images1/india_guide/chandigarh.jpg

पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ भारत के सबसे खूबसूरत और नियोजित शहरों में एक है। इस केन्द्र शासित प्रदेश को प्रसिद्ध फ्रेंच वास्तुकार ली कोर बुसियर ने डिजाइन किया था। इस शहर का नाम एक दूसरे के निकट स्थित चंडी मंदिर और गढ़ किले के कारण पड़ा जिसे चंडीगढ़ के नाम से जाना जाता है। शहर में बड़ी संख्या में पार्क हैं जिनमें लेसर वैली, राजेन्द्र पार्क, बॉटोनिकल गार्डन, स्मृति उपवन, तोपियारी उपवन, टेरस्ड गार्डन और शांति कुंज प्रमुख हैं। चंडीगढ़ में ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी, प्राचीन कला केन्द्र और कल्चरल कॉम्प्लेक्स को भी देखा जा सकता है।

Bond007
27-02-2011, 08:47 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9136&stc=1&d=1298825454
चंडीगढ़

Bond007
27-02-2011, 08:55 PM
मथुरा
http://www.bvml.org/SRG/mathura.jpg
दिल्ली से दक्षिण भारत या मुम्बई जाने वाली सभी ट्रेने मथुरा होकर गुजरती हैं। सडक द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। आगरा से मात्र 55 किलोमीटर दूर है। वृन्दावन पहुचने के लिये यह वृन्दावन की वेबसाईटकाफी सूचना देती हे| स्टेशन के आसपास कई होटल हैं और विश्राम घाट के आसपास कई कमखर्च वाली धर्मशालाएं रूकने के लिए उपलब्ध हैं। घूमने के लिए टेक्सी कर सकते हैं, जिससे मथुरा, वृन्दावन एक दिन में घूमा जा सकता है। अधिकतर मंदिरों में दर्शन सुबह १२ बजे तक और सांय ४ से ६-७ बजे तक खुलते हैं, दर्शनार्थियों को इसी हिसाब से अपना कार्यक्रम बनाना चाहिए। आटो और तांगे भी उपलब्ध है। यमुना में नौका विहार और प्रातःकाल और सांयकाल में विश्राम घाट पर होने वाली यमुना जी की आरती दर्शनीय है।

Bond007
27-02-2011, 08:56 PM
http://www.pilgrimageinindia.com/Mathura.jpg

मथुरा

Bond007
27-02-2011, 09:00 PM
बहुत बढिया 007 जी

धन्यवाद भोलू जी|

Bond007
27-02-2011, 09:05 PM
बहुत अच्छे जेम्स जी
आपने तो दिल्ली के दर्शन करवा दिए
आपका बहुत बहुत धन्यवाद

तो क्या आप दिल्ली नहीं घूमी........???

बंधू
यहीँ से पूरी सैर करवाओगे या साथ मे लेकर भी चलोगे

आ जाओ मियां, और भूमि जी को भी साथ में ही बुला लो|

pankaj bedrdi
27-02-2011, 09:34 PM
दिल्ली तो राजधानी हि है

Bhuwan
01-03-2011, 11:00 AM
बोंड जी, दिल्ली घुमाने का बहुत-बहुत शुक्रिया.:cheers:
और आपके उपलब्ध करे गए चित्र तो बहुत ही शानदार हैं.:bravo:

झटका
08-05-2011, 11:41 PM
दिल्ली के आस पास चण्डीगढ़ ..आगरा ..मथुरा ....????:crazyeyes:

Bond007
09-05-2011, 04:52 AM
दिल्ली के आस पास चण्डीगढ़ ..आगरा ..मथुरा ....????:crazyeyes:

श्रीमान चंडीगढ़ हम कभी गए नहीं, मथुरा में ज्यादा घूमा नहीं तो इसके बारे में ज्यादा नहीं जानता, आगरा के बारे में बता देंगे| :cheers:

amit_tiwari
09-05-2011, 04:55 AM
श्रीमान चंडीगढ़ हम कभी गए नहीं, मथुरा में ज्यादा घूमा नहीं तो इसके बारे में ज्यादा नहीं जानता, आगरा के बारे में बता देंगे| :cheers:

हां वही तो हमें पहले से शक था तोहरे आगरा के कनेक्शन का |:lol::lol::giggle:

झटका
09-05-2011, 07:45 AM
ताजमहल के बाद आगरे में देखने लायक वही तो है ..........

Bond007
11-05-2011, 11:17 AM
हां वही तो हमें पहले से शक था तोहरे आगरा के कनेक्शन का |:lol::lol::giggle:

हे....हे....हे.....

अच्छा उस कनेक्शन की बात कर रहे थे, फिर तो और भी बहुत सारे हैं| :p http://myhindiforum.com/vmoods/shelley_93x30/Drunk.gif

paulsmithpaul
07-05-2013, 03:51 PM
Sansad Bhavan, Red Fort, Lotus Temple, India Gate, Akshar Dham Temple, etc are the best places in Delhi to visit. All these are seems to be more beautiful during the winter seasons. So it is said to be the best time to visit Delhi (http://besttimetovisitdelhi.wordpress.com/) is during the months of October to December.

bindujain
07-05-2013, 05:34 PM
http://t0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcT8_fcn1SRDEDn8OKwuyo4Hl1G3kkCXf MrzVL6RNh6r24axpBN3

Sansad Bhavan

bindujain
07-05-2013, 05:35 PM
http://t0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQQ5gTJ9MdsY21g61EyCi4fKeYIQ-kVcbTHJqLPb-1cfZK_773KBA
Red Fort

sarahl
12-07-2013, 03:14 PM
Many tourists choose to visit Agra on a whistle-stop day trip – made possible by the excellent train services from Delhi. However, Agra’s attractions are much more than can be seen in a day, and if you have the time you can enjoy several days’ sightseeing with side trips to Fatehpur Sikri and Mathura. The best time to visit Agra (http://besttimetovisitagra.wordpress.com/) is during the winter season between November and March when the weather is at its best. The city has a lively but chaotic chowk and plenty of places to stay and eat.

internetpremi
04-08-2013, 12:16 PM
आज ही इस सूत्र को पहली बार देखा।
देर से सही, पर दिल्ली की मुफ़्त में सैर कर सका।
सभी contributors (खासकर Bond007जी) को धन्यवाद

Dr.Shree Vijay
13-08-2013, 10:11 PM
बेहतरीन सूत्र.............................