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View Full Version : मियां बीवी live


ndhebar
04-03-2011, 01:30 PM
पेश है एक मजेदार सूत्र

ndhebar
04-03-2011, 01:35 PM
"ओफ्फो! पता नहीं कब अकल आएगी तुम्हें? चलते वक्त देख तो लिया करो कम से कम
कि पैर कहाँ पड़ रहे हैँ और नज़रें कहाँ घूम रही हैँ" बीवी चिल्लाई

"क्यों? क्या हुआ?"

"कुछ तो शर्म किया करो, तुम्हारी बच्ची की उम्र की है"

"तो?"

"किसी को तो बक्श दिया करो कम से कम"

"अरे! सिर्फ देख ही तो रहा था. कोई सच में थोड़े ही और वैसे भी कौन सा
तुम्हारी सगे वाली थी जो मैं अपनी उफनती भावनाओं पर संयम रख अपने मचलते
अरमानों को काबू में रखने का ढोंग भरा प्रयास करता?”

"अरे! अगर मेरी सगे वाली हो तो मैँ कभी परवाह भी ना करूँ लेकिन ये जो तुम बिना अपना आगा-पीछा सोचे हुए हर किसी ऐरी-गैरी…नत्थू-खैरी के पीछे लाईन लगाना शुरू कर देते हो ये मुझे मंज़ूर
नहीं"

"अरे! ऐरी-गैरी हो या कोई नत्थू-खैरी हो क्या फर्क पड़ता है? बस सामान पूरा
होना चाहिए":crazyeyes:

क्रमशः

khalid
04-03-2011, 01:49 PM
हा हा हा
मजेदार हैँ आपके अपने अनुभव हैँ:think:

ndhebar
04-03-2011, 02:04 PM
हा हा हा
मजेदार हैँ आपके अपने अनुभव हैँ:think:

अभी मेरे ऐसे दिन नहीं आये हैं :banalema::banalema::banalema:

pankaj bedrdi
04-03-2011, 03:53 PM
बहुत अच्छा हा हा हा हा

senior
04-03-2011, 07:13 PM
"अरे! ऐरी-गैरी हो या कोई नत्थू-खैरी हो क्या फर्क पड़ता है? बस सामान पूरा
होना चाहिए"
vah - vah ----

Bholu
05-03-2011, 06:56 AM
मि॰ देबर आप सूत्र बडा मनोरंजक लगा ऐसा सूत्र पेश करने के लिये बहुत शुक्रिया
अन्शू

jitendragarg
05-03-2011, 07:47 AM
:tomato: :tomato: :tomato::tomato:

ndhebar
05-03-2011, 08:49 AM
:tomato: :tomato: :tomato::tomato:
आपके दिमाग का बती क्यों गुल हो रहा है बंधू ?

ndhebar
05-03-2011, 06:22 PM
आगे :-

"हाँ-हाँ! तुम्हें क्या फर्क पड़ता है? फर्क तो मुझे पड़ता है पर्सनैलिटी तो
मेरी ही डाउन होती है ना सोसाईटी में? तुम्हें भला क्यों फर्क पड़ने
लगा? तुम्हें तो बस लड़की दिखनी चाहिए भले ही जैसी भी हो
ऐंगी-बैंगी, आडी-तिरछी, कोई भी चलेगी, क्यों? है कि नहीं?"

"हाँ-हाँ बिलकुल, बस सामान पूरा…

“सामान पूरा, सामान पूरा, आखिर क्या होता है सामान पूरा?”

“अरे! वही, नख से शिखर तक सब कुछ एक जैसा याने के मैचिंग होना चाहिए"

“सब कुछ?”

“नहीं सब कुछ नहीं, कुछ-कुछ"

“मैं कुछ समझी नहीं"

“अरे! अगर सब कुछ सेम टू सेम हो गया तो सामने वाली या तो टीन का कनस्तर लगेगी
या फिर खम्बा"

“बिजली का?”

“नहीं! टेलीफोन का"

ndhebar
10-03-2011, 11:58 AM
“बिजली का क्यों नहीं?”

“बिजली का इसलिए नहीं कि वो ज्यादा लंबा होता है और अपने देश की लड़कियों का तो
तुम्हें पता है ही शुरू बाद में होती हैं और खत्म पहले होती हैं"

“ओह! तो फिर तुम्हारे ऐसा कहने का मतलब क्या था?”

“यही कि पैर के नाखूनों की नेल पोलिश से लेकर होंठों की लिपस्टिक तक और यहाँ तक
कि जूड़े में लगे हेयर पिन क्लिप या रबर बैण्ड तक का रंग भी एकदम सेम टू सेम
याने के मैचिंग होना चाहिए"

“ओह!…

“तुम कुछ और समझी थी क्या?”:crazyeyes:

“नहीं तो”
“वैसे! दाद देनी पड़ेगी तुम्हारे दोगलेपन की":tomato:

“क्या मतलब?”

“बातें करते हो ये लंबी-चौड़ी पसन्द-नापसन्द की और जहाँ कहीं भी किसी लड़की को
देखते हो बस मुँह उठाते हो और चल देते हो सीधा नाक की सीध में. कितनी बार समझा
चुकी हूँ कि आजकल की लड़कियाँ एकदम चालू होती हैँ, इनके चक्कर में ना पड़ा करो
लेकिन तुम्हें अक्ल आए तब ना…उसने दो पल मुस्कुरा के क्या देख लिया हो गए एक
ही झटके में शैंटी फ्लैट"

sagar -
10-03-2011, 01:03 PM
http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/0002064B.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/000203FC.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/0002076E.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/000205A7.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)



वाह मजा आया निसंत भाई ......http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/000201F9.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)


(http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=12)







(http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=12)

ndhebar
13-03-2011, 09:21 PM
"अर्र….अरे! क्या कर रहे हो. ध्यान से तो चलो कम से कम”.

“क्क्या? क्या कर रहे हो?”

“उफ्फ! मेरा पल्लू तो छोड़ो, पागल हो गए हो क्या?”

*ध…ध…धड़ाम *
:tomato::tomato:

"ओह!…शि….शि…शिट….वही हुआ ना जिसका मुझे डर था? आ गए मज़े? गिर पड़े ना धड़ाम?”

“अब उठाओगी भी या ऐसे ही"

“हुँह! उठाओगी भी पहले तो सिर्फ नज़र फिसला करती थी जनाब की अब तो खुद भी फिसलने लग गए हैँ. वाह! क्या तरक्की की जा रही है? "वाह-वाह".

“अरे! ज्यादा बातें मत बनाओ और उठाओ मुझे फटाफट शुक्र है कि कोई जान-पहचान वाला नहीं है आस-पास में"
मैं इधर-उधर देखता हुआ बोला

ndhebar
17-03-2011, 03:29 PM
अब बात बात में अपनी समस्या कैसे सारे देश कि समस्या बनने लगती है वो देखिये

“मैं तो नहीं उठाने वाली, पड़े रहो यहीं पे चारों खाने चित और हाँ...उसी ऊँचे सैंडिल वाली कलमुँही को ही बुला लेना ये गोबर से लिपे-पुते जूते साफ करने के लिए. मैँ तो चली अपने मायके, मेरी दयनीय हालत पे तरस खाने के बजाय बीवी बिना रुके लगातार बोले चली जा रही थी.

अब मैँ क्या इन गाय-भैंसो को जा-जा के इनवीटेशन देता फिरता हूँ कि यूं बीच सड़क पर गोबर और लीद करती फिरें? मैं गुस्से से खड़ा हो अपने हाथ झाड़ता हुआ बोला.
अच्छी भली डेयरियाँ बसा कर दी हैँ कोने-कोने में अपनी सरकार ने कि अपना आराम से दुहो और लोड कर ले आओ दूध शहर में लेकिन नहीं, लोगों को कीड़ा जो काटता है कि 'प्योर' माल होना चाहिए.

माँ दा सिर मिलता है प्योर, अभी कल ही तो हज़ारों लीटर नकली दूध पकड़ा गया है पता नहीं कास्टिक सोडे से लेकर टिटेनियम तक क्या-क्या उल्टी-सीधी चीज़ें मिलाते हैँ दूध का रंग और झाग बनाने के लिए और मैँने तो यहाँ तक सुना है कि दूध को गाढा करने के लिए यूरिया और ब्लाटिंग पेपर का इस्तेमाल किया जाता है

sagar -
17-03-2011, 06:45 PM
मजा आ रहा हे निशांत भाई http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/000203FA.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)






(http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=12)

Bholu
23-03-2011, 03:30 PM
मजा आ रहा हे निशांत भाई http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/000203fa.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)






(http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=12)

मजा तो आना ही था
पति पत्नि का मामला है

ndhebar
25-03-2011, 12:03 PM
"बिलकुल, पैसे के लालच में इनसान इतना अँधा हो चुका है कि वो किस हद तक नीचे गिर जाए, कुछ पता नहीं. पता नहीं क्या-क्या 'स्टेरायड' मिलाते हैँ स्साले चारे
में दूध बढाने के वास्ते"

"लेकिन ऐसे सभी को एक सिरे से बदनाम करने से क्या फायदा? सभी थोड़े ही नकली दूध बेचते हैँ. अपने मोहल्ले का रामगोपाल तो सबकी आँखों के सामने ही दूध दुह के देता है"

"मानी तुम्हारी बात कि सामने दुह के देता है लेकिन वो भी दूध का धुला नहीं है".

"वो कैसे?"

"वो ऐसे कि बेशक वो पब्लिक के आँखों के सामने अपनी गाय-भैंस से दूध
निकालने का स्वांग करें लेकिन सच यही है कि थोड़ा-बहुत पानी तो उसके डोल्लू में
पहले से मौजूद रहता है लेकिन पब्लिक को तो बस थन से धार निकलती दिखाई देनी
चाहिए. "डाईरैक्ट फ्राम दा सोर्स" भले ही सुबह शाम इंजैक्शन ठुकवा ठुकवा के
भैंस बेचारी का पिछवाड़ा क्यों ना सूजा पड़ा हो, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता"

"हम्म! ऐसे मौकों पर अपनी मेनका पता नहीं कहाँ गायब हो जाती है?"

ndhebar
26-03-2011, 06:55 PM
"अरे! वो तो अपने बेटे को दुनिया-जहाँ की बुरी नज़रों से बचाने की जुगत में
मारी-मारी फिर रही है आजकल"

"या फिर कहीं उसे भी शायद डाईरैक्ट फ्राम दा सोर्स की आदत पड़ी हो"बीवी भद्द पीटती हुई बोली

"हा...हा...हा"

"अरे! दूध तो बच्चों ने पीना होता है. उनके भविष्य के साथ तो खिलवाड़ ना करो कम से कम" बीवी तमक के हिस्टीरियाई अन्दाज़ में चिल्लाती हुई बोली

"तुम्हें तो बस कोई टॉपिक मिलना चाहिए. हो जाती हो तुरंत शुरू, अब गाय भैंस को
क्या पता कि कहाँ गोबर करना है और कहाँ नहीं. उन्हें बस हूक उठनी है और
उन्होंने बिना कुछ आगा-पीछा सोचे झट से पूंछ उठा देनी है"

ndhebar
13-04-2011, 10:18 PM
"तुम गाय भैंस का रोना रो रहे हो...सामने देखो दिवार कैसी सनी पडी है"बीवी बुरा
सा मुँह बना इशारा करती हुई बोली...

"स्साले!...न दिन देखते हैँ ना रात देखते हैँ…खाली दिवार दिखी नहीं कि बेशर्मों
की तरह सीधा पैंट की ज़िप पे हाथ गया"मैँने हाँ में हाँ मिलाई...

"कोई कंट्रोल-शंट्रोल भी होता है कि नहीं?"बीवी खुन्दक भरे स्वर में बोली...

"लाख लिखवा दो कि "यहाँ मूतना मना है" लेकिन स्साले!...वहीं खडे होकर धार
मारेंगे" मैँ भी शुरू हो गया...

"औरत-मर्द में कोई फर्क ही नहीं करते...ना देखते हैँ कि कौन गुज़र रहा है पास से
और कौन नहीं…शरम-वरम तो जैसे बेच खाई है सबने "भद्दा सा मुँह बनाते हुए बीवी
बोली...

ndhebar
16-04-2011, 12:37 PM
"स्सालों ने पूरे देश को खुले शौचालय में तब्दील कर रखा है…किसी और देश में कर के दिखाएँ ऐसा तो पता चले" मैँ भी भडकता हुआ बोला....

"काट के ना रख देगा वहाँ का कानून" बीवी हँसते हुए बोली...

"बिना डण्डे के कोई नहीं सुधरता है... इन्हें तो बस डंडॆ का डर दिखे...तभी सीधे
होंगे सब के सब" मेरा पारा भी हाई हो चला था....

"तुम भी कौन सा कम हो?...तुम भी तो कई बार.....:crazyeyes:

"अरे!...उस दिन की बात कर रही हो ना तुम?...उस दिन तो मेरी तबियत ठीक नहीं थी" मैँ झेंपता हुआ बोला.....:tomato::tomato:

"हाँ!...उस दिन तुम्हारी तबियत ठीक नहीं थी..आज इन सब की तबियत ठीक नहीं है"...बीवी दिवार के साथ सट कर खड़े लोगों की तरफ कनखी से इशारा करती हुई बोली....:think::think:

ndhebar
16-04-2011, 12:39 PM
.................समाप्त................