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jitendragarg
30-03-2011, 01:04 AM
भाइयों, जैसा की आप पहले भी सुन और देख चुके है, की कुछ नियामक पड़ छोड़ कर और ये फोरम छोड़ कर चले गए, जैसे अक्ष जी, गुना जी आदि! लगता है, अब समय आ गया है, मैं भी फोरम छोड़ दूं! जानता हूँ, अचानक से खबर सुनकर धक्का जरूर लगेगा आप लोगो को! इसलिए पुराने किस्सों के बारे में, और प्रबंधन सदस्यों के मतभेद के बारे में बताना चाहूँगा.

फोरम जैसे की आप जानते है, की मेरे और अभिषेक जी के दिमाग की उपज थी, पर सम्पूर्ण धनराशि उनकी ही जेब से निकली थी. मेरे पास था तो सिर्फ नया जोश, थोडा सा अनुभव, और हिंदी के प्रति प्रेम. पर आप लोगो ने ये बात हमेशा ही गौर की होगी, की फोरम पर हमेशा से ही अभिषेक जी की ही चलती आई है! मैं तो सारे अधिकार भी नहीं रखता हूँ, अधिकतर कामों के लिए मुझे अभिषेक को ही बोलना पड़ता है! ऐसे में कई बार हमारी इस बात पर बहस होती रहती है, और हर बार मैं एक दो दिन के लिए गुस्सा होकर चला जाता हूँ.! पर हर बार, मैं चुप चाप फोरम पर वापिस आप लोगो से जुड़ने आ जाता हूँ! लेकिन इस तरह अपने आत्म सम्मान को ठेस पहुँचाना मुझे अच्छा नहीं लगता!

पुराने नियामकों को हटाने के पीछे भी यही कारण था, की वो मेरे सुझाये हुए हर नए तरीके को मान रहे थे, और अभिषेक अपने आप को प्रबंधन से हटा हुआ महसूस कर रहे थे! इसलिए प्रबंधन का निर्माण नए सिरे से किया गया था. लेकिन वो समस्या का हल नहीं है! इसलिए इस हफ्ते मैं अभिषेक से मिलकर इस बारे में काफी चर्चा किया. मैं सिर्फ इतना सुझाव दिया की लोगो से अभिसय्स.कॉम का नाम हटा दिया जाये, क्यूंकि वो अभिषेक का खुद का ब्लॉग है. और इस तरह से मेरे द्वारा किये गए सारे कार्य कहीं नज़र ही नहीं आते. मैं अन्य प्रबंधन के सदस्यों के बराबर ही अहमियत रखता हूँ.

आप लोग ही बताइए, ये कहाँ तक सही है, की अभिषेक ने शुरुआत में पैसा खर्चा कर अपने आप को इस फोरम का इकलौता मालिक बना लिया है. अब मेरे कहने पर की मैं बराबर काम किया हूँ, और पैसा भी आधा आधा बाँट रहा हूँ, तो इस फोरम को एक अलग साईट का दर्जा मिलना चाहिए न की अभिषेक की साईट का एक हिस्सा बने रहने देना चाहिए! इस बात पर प्रबंधन के सदस्यों से भी राय ली हम लोगों ने, लेकिन कुछ नए कारणों से सभी प्रबंधन सदस्य आपस में बंट गए है!

मैं पिछले जून से ये ही सब देख रहा हूँ, और मुझे लगता है, की फोरम आज इस स्तर पर है, की मैं भी अपना नाम फोरम के लोगो में देख सकूं. जब मेहनत बराबर तो प्रतिष्ठा भी बराबर होनी चाहिए न! इसलिए आज बड़े भारी मन से ये ९ महीने से प्रबंधन के गर्भ में पल रहा अवैध बच्चा, आज पुरे फोरम के सामने आ रहा है. मैं चाहता हूँ, की मुझे पूरा समर्थन मिले ताकि इस फोरम को abhisays.com के जाल से मुक्त करा सके और इसे वाहन पहुंचा सके जहाँ का सपना हम लोगो ने भी नहीं देखा है!

अभी तो आज अभिषेक इस बात को मैं पूरी दुनिया के सामने न उछलूँ, इसलीये मेरी मेहनत उपयोगी है बोल रहे है. पर अपना नाम तो वो शायद ही हटाये. आखिर इसमें उनका ही फायदा है. कैसे, ये थोड़े समय बाद विस्तार से लिखूंगा, अगर अभिषेक ने और बाकी नियामकों ने जल्द ही कोई नतीजा नहीं निकला तो! तब तक आप लोग से समर्थन की मांग कर रहा हूँ.


:cheers:

Sikandar_Khan
30-03-2011, 01:15 AM
भाइयों, जैसा की आप पहले भी सुन और देख चुके है, की कुछ नियामक पड़ छोड़ कर और ये फोरम छोड़ कर चले गए, जैसे अक्ष जी, गुना जी आदि! लगता है, अब समय आ गया है, मैं भी फोरम छोड़ दूं! जानता हूँ, अचानक से खबर सुनकर धक्का जरूर लगेगा आप लोगो को! इसलिए पुराने किस्सों के बारे में, और प्रबंधन सदस्यों के मतभेद के बारे में बताना चाहूँगा.

फोरम जैसे की आप जानते है, की मेरे और अभिषेक जी के दिमाग की उपज थी, पर सम्पूर्ण धनराशि उनकी ही जेब से निकली थी. मेरे पास था तो सिर्फ नया जोश, थोडा सा अनुभव, और हिंदी के प्रति प्रेम. पर आप लोगो ने ये बात हमेशा ही गौर की होगी, की फोरम पर हमेशा से ही अभिषेक जी की ही चलती आई है! मैं तो सारे अधिकार भी नहीं रखता हूँ, अधिकतर कामों के लिए मुझे अभिषेक को ही बोलना पड़ता है! ऐसे में कई बार हमारी इस बात पर बहस होती रहती है, और हर बार मैं एक दो दिन के लिए गुस्सा होकर चला जाता हूँ.! पर हर बार, मैं चुप चाप फोरम पर वापिस आप लोगो से जुड़ने आ जाता हूँ! लेकिन इस तरह अपने आत्म सम्मान को ठेस पहुँचाना मुझे अच्छा नहीं लगता!

पुराने नियामकों को हटाने के पीछे भी यही कारण था, की वो मेरे सुझाये हुए हर नए तरीके को मान रहे थे, और अभिषेक अपने आप को प्रबंधन से हटा हुआ महसूस कर रहे थे! इसलिए प्रबंधन का निर्माण नए सिरे से किया गया था. लेकिन वो समस्या का हल नहीं है! इसलिए इस हफ्ते मैं अभिषेक से मिलकर इस बारे में काफी चर्चा किया. मैं सिर्फ इतना सुझाव दिया की लोगो से अभिसय्स.कॉम का नाम हटा दिया जाये, क्यूंकि वो अभिषेक का खुद का ब्लॉग है. और इस तरह से मेरे द्वारा किये गए सारे कार्य कहीं नज़र ही नहीं आते. मैं अन्य प्रबंधन के सदस्यों के बराबर ही अहमियत रखता हूँ.

आप लोग ही बताइए, ये कहाँ तक सही है, की अभिषेक ने शुरुआत में पैसा खर्चा कर अपने आप को इस फोरम का इकलौता मालिक बना लिया है. अब मेरे कहने पर की मैं बराबर काम किया हूँ, और पैसा भी आधा आधा बाँट रहा हूँ, तो इस फोरम को एक अलग साईट का दर्जा मिलना चाहिए न की अभिषेक की साईट का एक हिस्सा बने रहने देना चाहिए! इस बात पर प्रबंधन के सदस्यों से भी राय ली हम लोगों ने, लेकिन कुछ नए कारणों से सभी प्रबंधन सदस्य आपस में बंट गए है!

मैं पिछले जून से ये ही सब देख रहा हूँ, और मुझे लगता है, की फोरम आज इस स्तर पर है, की मैं भी अपना नाम फोरम के लोगो में देख सकूं. जब मेहनत बराबर तो प्रतिष्ठा भी बराबर होनी चाहिए न! इसलिए आज बड़े भारी मन से ये ९ महीने से प्रबंधन के गर्भ में पल रहा अवैध बच्चा, आज पुरे फोरम के सामने आ रहा है. मैं चाहता हूँ, की मुझे पूरा समर्थन मिले ताकि इस फोरम को abhisays.com के जाल से मुक्त करा सके और इसे वहां पहुंचा सके जहाँ का सपना हम लोगो ने भी नहीं देखा है!

अभी तो आज अभिषेक इस बात को मैं पूरी दुनिया के सामने न उछलूँ, इसलीये मेरी मेहनत उपयोगी है बोल रहे है. पर अपना नाम तो वो शायद ही हटाये. आखिर इसमें उनका ही फायदा है. कैसे, ये थोड़े समय बाद विस्तार से लिखूंगा, अगर अभिषेक ने और बाकी नियामकों ने जल्द ही कोई नतीजा नहीं निकला तो! तब तक आप लोग से समर्थन की मांग कर रहा हूँ.


:cheers:

जितेन्द्र जी मेरा सर्मथन आपकी ओर है
जब आपने अभिषेक जी के साथ फोरम को बराबर की ऊर्जा दी है तो दर्जा भी बराबर होना चाहिए
फिर अभिषेक जी की ओर से ऐसा सौतेला व्यवहार क्योँ है

jitendragarg
30-03-2011, 01:30 AM
जितेन्द्र जी मेरा सर्मथन आपकी ओर है
जब आपने अभिषेक जी के साथ फोरम को बराबर की ऊर्जा दी है तो दर्जा भी बराबर होना चाहिए
फिर अभिषेक जी की ओर से ऐसा सौतेला व्यवहार क्योँ है

ये तो अभिषेक या उनके समर्थक अरविन्द और भूमि ही बताएँगे. मैं कभी नहीं चाहता था, की हम लोगो की आपस की बातें सब को पता चले पर इतिहास वाले सूत्र में जब वो खुले आप मेरी योग्यता अपने से कम बताएगा, तो मैं कैसे बर्दाश्त करू.

:chee.... अरे भाड में गया चीर्स भी! जब अपने ही फोरम पर ये हाल है, तो सदस्यों से क्या जाम टकराए. :bang-head:

VIDROHI NAYAK
30-03-2011, 01:32 AM
भाइयों, जैसा की आप पहले भी सुन और देख चुके है, की कुछ नियामक पड़ छोड़ कर और ये फोरम छोड़ कर चले गए, जैसे अक्ष जी, गुना जी आदि! लगता है, अब समय आ गया है, मैं भी फोरम छोड़ दूं! जानता हूँ, अचानक से खबर सुनकर धक्का जरूर लगेगा आप लोगो को! इसलिए पुराने किस्सों के बारे में, और प्रबंधन सदस्यों के मतभेद के बारे में बताना चाहूँगा.

फोरम जैसे की आप जानते है, की मेरे और अभिषेक जी के दिमाग की उपज थी, पर सम्पूर्ण धनराशि उनकी ही जेब से निकली थी. मेरे पास था तो सिर्फ नया जोश, थोडा सा अनुभव, और हिंदी के प्रति प्रेम. पर आप लोगो ने ये बात हमेशा ही गौर की होगी, की फोरम पर हमेशा से ही अभिषेक जी की ही चलती आई है! मैं तो सारे अधिकार भी नहीं रखता हूँ, अधिकतर कामों के लिए मुझे अभिषेक को ही बोलना पड़ता है! ऐसे में कई बार हमारी इस बात पर बहस होती रहती है, और हर बार मैं एक दो दिन के लिए गुस्सा होकर चला जाता हूँ.! पर हर बार, मैं चुप चाप फोरम पर वापिस आप लोगो से जुड़ने आ जाता हूँ! लेकिन इस तरह अपने आत्म सम्मान को ठेस पहुँचाना मुझे अच्छा नहीं लगता!

पुराने नियामकों को हटाने के पीछे भी यही कारण था, की वो मेरे सुझाये हुए हर नए तरीके को मान रहे थे, और अभिषेक अपने आप को प्रबंधन से हटा हुआ महसूस कर रहे थे! इसलिए प्रबंधन का निर्माण नए सिरे से किया गया था. लेकिन वो समस्या का हल नहीं है! इसलिए इस हफ्ते मैं अभिषेक से मिलकर इस बारे में काफी चर्चा किया. मैं सिर्फ इतना सुझाव दिया की लोगो से अभिसय्स.कॉम का नाम हटा दिया जाये, क्यूंकि वो अभिषेक का खुद का ब्लॉग है. और इस तरह से मेरे द्वारा किये गए सारे कार्य कहीं नज़र ही नहीं आते. मैं अन्य प्रबंधन के सदस्यों के बराबर ही अहमियत रखता हूँ.

आप लोग ही बताइए, ये कहाँ तक सही है, की अभिषेक ने शुरुआत में पैसा खर्चा कर अपने आप को इस फोरम का इकलौता मालिक बना लिया है. अब मेरे कहने पर की मैं बराबर काम किया हूँ, और पैसा भी आधा आधा बाँट रहा हूँ, तो इस फोरम को एक अलग साईट का दर्जा मिलना चाहिए न की अभिषेक की साईट का एक हिस्सा बने रहने देना चाहिए! इस बात पर प्रबंधन के सदस्यों से भी राय ली हम लोगों ने, लेकिन कुछ नए कारणों से सभी प्रबंधन सदस्य आपस में बंट गए है!

मैं पिछले जून से ये ही सब देख रहा हूँ, और मुझे लगता है, की फोरम आज इस स्तर पर है, की मैं भी अपना नाम फोरम के लोगो में देख सकूं. जब मेहनत बराबर तो प्रतिष्ठा भी बराबर होनी चाहिए न! इसलिए आज बड़े भारी मन से ये ९ महीने से प्रबंधन के गर्भ में पल रहा अवैध बच्चा, आज पुरे फोरम के सामने आ रहा है. मैं चाहता हूँ, की मुझे पूरा समर्थन मिले ताकि इस फोरम को abhisays.com के जाल से मुक्त करा सके और इसे वाहन पहुंचा सके जहाँ का सपना हम लोगो ने भी नहीं देखा है!

अभी तो आज अभिषेक इस बात को मैं पूरी दुनिया के सामने न उछलूँ, इसलीये मेरी मेहनत उपयोगी है बोल रहे है. पर अपना नाम तो वो शायद ही हटाये. आखिर इसमें उनका ही फायदा है. कैसे, ये थोड़े समय बाद विस्तार से लिखूंगा, अगर अभिषेक ने और बाकी नियामकों ने जल्द ही कोई नतीजा नहीं निकला तो! तब तक आप लोग से समर्थन की मांग कर रहा हूँ.


:cheers:
अब अवश्य आपके समर्थन में हम हैं ! और अभिषेक जी से निवेदन है की कुछ परिश्रम को भी महत्व दिया जाए ! कोई भी कार्य सिर्फ पैसे की दम पर नहीं हो सकता, मैन पॉवर की आव्यशकता तो पड़ती ही है अतः जितेन्द्र जी को भी उनका हक मिलना चाहिए ! अगर ऐसा नहीं होता है तो जितेन्द्र जी के साथ मै भी इस फोरम से विदा ले लूँगा ! हो सकता हो की इस बात से फोरम पर कोई असर ना पड़े परन्तु ऐसे संप्रभुता के माहोल में मुझ पे फरक जरुर पड़ सकता है !और मै ऐसे माहोल में नहीं रहना चाहूँगा !

Sikandar_Khan
30-03-2011, 01:40 AM
ये तो अभिषेक या उनके समर्थक अरविन्द और भूमि ही बताएँगे. मैं कभी नहीं चाहता था, की हम लोगो की आपस की बातें सब को पता चले पर इतिहास वाले सूत्र में जब वो खुले आप मेरी योग्यता अपने से कम बताएगा, तो मैं कैसे बर्दाश्त करू.

:chee.... अरे भाड में गया चीर्स भी! जब अपने ही फोरम पर ये हाल है, तो सदस्यों से क्या जाम टकराए. :bang-head:

इतना नाराज मत हो भाई
कोई न कोई समाधान तो जरूर निकलेगा
इस समस्या का
अब देखते हैँ अभिषेक महाराज क्या कहते हैँ |

Sikandar_Khan
30-03-2011, 01:43 AM
अब अवश्य आपके समर्थन में हम हैं ! और अभिषेक जी से निवेदन है की कुछ परिश्रम को भी महत्व दिया जाए ! कोई भी कार्य सिर्फ पैसे की दम पर नहीं हो सकता, मैन पॉवर की आव्यशकता तो पड़ती ही है अतः जितेन्द्र जी को भी उनका हक मिलना चाहिए ! अगर ऐसा नहीं होता है तो जितेन्द्र जी के साथ मै भी इस फोरम से विदा ले लूँगा ! हो सकता हो की इस बात से फोरम पर कोई असर ना पड़े परन्तु ऐसे संप्रभुता के माहोल में मुझ पे फरक जरुर पड़ सकता है !और मै ऐसे माहोल में नहीं रहना चाहूँगा !

मित्र रातुल जी
जानकर अच्छा लगा कि आपने जितेन्द्र जी की भावनाओँ को समझा
और आप उनके सर्मथन
मे हैँ |

amit_tiwari
30-03-2011, 01:50 AM
भाइयों, जैसा की आप पहले भी सुन और देख चुके है, की कुछ नियामक पड़ छोड़ कर और ये फोरम छोड़ कर चले गए,

आखिर इसमें उनका ही फायदा है. कैसे, ये थोड़े समय बाद विस्तार से लिखूंगा, अगर अभिषेक ने और बाकी नियामकों ने जल्द ही कोई नतीजा नहीं निकला तो! तब तक आप लोग से समर्थन की मांग कर रहा हूँ.


:cheers:

बहुत सही समय पर आपने सदस्यों के सामने यह बात राखी है जीतू भाई |

सभी सदस्यों को लग रहा होगा की हम झगडा कर रहे हैं किन्तु ऐसा नहीं है, हम सिर्फ चाहते हैं की जीतेन्द्र भाई को उनका सही सम्मान मिले और हिंदी का फोरम एक व्यक्ति की छवि से बाहर निकले |


अब ये तो सामने वाली पार्टी पर है की वो हमारी वाजिब बात को सपोर्ट करते हैं या नहीं |

abhisays
30-03-2011, 07:36 AM
जीतेन्द्र गर्ग जी यानी प्रशाशक बनाना चाहते हैं. सही है. लेकिन क्यों?

अचानक क्या हो गया भाई.


फोरम पर तुमारे दर्शन तो होते नहीं हैं?
vbulletin , php , mysql , आदि पर तुमने कुछ खास काम किया है नहीं.
ना तो फोरम के सदस्यों के बीच तुम लोकप्रिय हो.
चौपाल पर आज तक तुमने ६-७ प्रविस्तिया की है.
तुमारे अधिकतर बनाये हुए सूत्र फ्लॉप ही हुए हैं.

सवाल है क्यों बनाया जाये तुम्हे प्रशाशक????????????

abhisays
30-03-2011, 07:43 AM
बात निकल ही आई है तो चलिए कुछ बातें हो जाये..

१. फोरम पर सबसे ज्यादा पोस्ट करने वाले हमसफ़र यानी संतोष जी से पंगा इन्ही ने किया था.
२. युवराज जी भी काफी अच्छा चल रहे थे, जितेंद्रगार्ग के कारण ही वो विवाद में पड़े और उन्हें हमें ना चाहते हुए भी बैन करना पड़ा.

और भी कई कहानिया है, जल्द ही सब सबूत समेत यहाँ पर होंगी.

sagar -
30-03-2011, 07:59 AM
बात निकल ही आई है तो चलिए कुछ बातें हो जाये..

१. फोरम पर सबसे ज्यादा पोस्ट करने वाले हमसफ़र यानी संतोष जी से पंगा इन्ही ने किया था.
२. युवराज जी भी काफी अच्छा चल रहे थे, जितेंद्रगार्ग के कारण ही वो विवाद में पड़े और उन्हें हमें ना चाहते हुए भी बैन करना पड़ा.

और भी कई कहानिया है, जल्द ही सब सबूत समेत यहाँ पर होंगी.
अभिजी जारी रखो.... ताकि दोनों पक्ष का सही -२ पता चल सके

khalid
30-03-2011, 08:59 AM
अभिजी जारी रखो.... ताकि दोनों पक्ष का सही -२ पता चल सके

वैसे सागर भाई फोरम हित कहे या हिन्दी प्रेम के लिए अभिषेक जी और जितेन्द्र जी दोनो दोस्त हैँ बगैर विवाद करे एक बार फिर मिलकर आपस मेँ बैठ कर मामले को यही खत्म कर ले तो बेहतर हैँ अगर दोनो ऐसा नहीँ कर सकते हैँ तो मुझे हैरत होगा दोनो इतने साल तक कैसे एक दुसरे के दोस्त रहे या दोस्त होने का स्वाँग रचाते रहे हमलोग एक अच्छे माहौल के वजह से फोरम पर आते हैँ ताकी देश दुनिया के अलग अलग क्षेत्रो के सदस्यो के साथ स्वस्थ बाते कर सके अगर ऐसे ही विवाद चलता रहा तो जैसे एक एक कर के बहुत गुणी सदस्य निकल गए वैसे एक दिन बाकी बाकी सदस्य भी निकल जाएंगे जरुरी नहीँ हैँ की हम सैनिक के रुप मेँ हीँ देश सेवा कर सकते हैँ देश की सेवा के लिए किसी भुमिका की जरुरत नहीँ हैँ क्योँ की हम अपने देश से प्रेम करते हैँ वैसे अगर फोरम से प्यार करते हैँ तो बगैर पद के भी हम सभी एक दुसरे के मदत से और अच्छा कर सकते हैँ

sagar -
30-03-2011, 09:15 AM
वैसे सागर भाई फोरम हित कहे या हिन्दी प्रेम के लिए अभिषेक जी और जितेन्द्र जी दोनो दोस्त हैँ बगैर विवाद करे एक बार फिर मिलकर आपस मेँ बैठ कर मामले को यही खत्म कर ले तो बेहतर हैँ अगर दोनो ऐसा नहीँ कर सकते हैँ तो मुझे हैरत होगा दोनो इतने साल तक कैसे एक दुसरे के दोस्त रहे या दोस्त होने का स्वाँग रचाते रहे हमलोग एक अच्छे माहौल के वजह से फोरम पर आते हैँ ताकी देश दुनिया के अलग अलग क्षेत्रो के सदस्यो के साथ स्वस्थ बाते कर सके अगर ऐसे ही विवाद चलता रहा तो जैसे एक एक कर के बहुत गुणी सदस्य निकल गए वैसे एक दिन बाकी बाकी सदस्य भी निकल जाएंगे जरुरी नहीँ हैँ की हम सैनिक के रुप मेँ हीँ देश सेवा कर सकते हैँ देश की सेवा के लिए किसी भुमिका की जरुरत नहीँ हैँ क्योँ की हम अपने देश से प्रेम करते हैँ वैसे अगर फोरम से प्यार करते हैँ तो बगैर पद के भी हम सभी एक दुसरे के मदत से और अच्छा कर सकते हैँ
सच पूछे तो मुझे काफी दुःख हुआ ये विवाद देख कर मन करता हे की फोरम पर आना ही बंद कर दू क्या हम यहा पर लड़ने आते हे ! क्यू लड़ते हे हम वो भी पद पाने के लिए
मेरी नजरो में जितेन्द्र भाई का दर्जा और उचा हो जाता अगर वो इस पद पाने की दोड का परित्याग करते !
वो भी इतने एक अच्छे दोस्त होते हुए क्या यही दोस्ती होती हे दोस्ती का नाम होता एक दूसरे पर जान दे देना ना की एक पद पाने के लिए लडना !
:cryingbaby::cryingbaby: ये केसी दोस्त ये केसा प्यार

Sikandar_Khan
30-03-2011, 09:20 AM
जीतेन्द्र गर्ग जी यानी प्रशाशक बनाना चाहते हैं. सही है. लेकिन क्यों?

अचानक क्या हो गया भाई.


फोरम पर तुमारे दर्शन तो होते नहीं हैं?
vbulletin , php , mysql , आदि पर तुमने कुछ खास काम किया है नहीं.
ना तो फोरम के सदस्यों के बीच तुम लोकप्रिय हो.
चौपाल पर आज तक तुमने ६-७ प्रविस्तिया की है.
तुमारे अधिकतर बनाये हुए सूत्र फ्लॉप ही हुए हैं.

सवाल है क्यों बनाया जाये तुम्हे प्रशाशक????????????

अभिषेक जी
इतनी खामियां गिनाकर आप इनके अच्छे काम को नही भूल सकते हैँ |
फोरम के गेम जोन मे इनका ही हाथ है |
जो कि काफी सराहनीय कार्य है |भविष्य मे इस गेम के कारण अधिक से अधिक सदस्य जोडे जा सकते है |

abhisays
30-03-2011, 09:27 AM
दोस्तों जल्द ही फैसला होगा, पर्दा जल्द ही उठेगा. कौन सही है कौन गलत इसका फैसला जनमत से होगा.

अब यह फोरम किसी एक व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं है,

सभी सदस्य यहाँ महत्वपूर्ण हैं.

अगर जीतेन्द्र गर्ग अपना पॉइंट prove कर दे तो मैं इस्तीफा देने के लिए तयार हूँ.

Sikandar_Khan
30-03-2011, 09:31 AM
बात निकल ही आई है तो चलिए कुछ बातें हो जाये..

१. फोरम पर सबसे ज्यादा पोस्ट करने वाले हमसफ़र यानी संतोष जी से पंगा इन्ही ने किया था.
२. युवराज जी भी काफी अच्छा चल रहे थे, जितेंद्रगार्ग के कारण ही वो विवाद में पड़े और उन्हें हमें ना चाहते हुए भी बैन करना पड़ा.

और भी कई कहानिया है, जल्द ही सब सबूत समेत यहाँ पर होंगी.

इसका मतलब आप सदस्योँ के द्वारा किए गए अनैतिक कार्योँ को सही करार देते हैँ अगर कोई भी सदस्य फोरम के नियम भंग करता है
वो चाहे हमसफर , युवराज या मै खुद तो मेरे लिए भी कोई अलग नियम नही है |
नियामानुशार मुझ पर भी कार्यवाही होगी |
हमसफर या युवराज को छोड़कर किसी अन्य सदस्य से जितेन्द्र जी का कोई पंगा नही हुआ है |मै भी पिछले पांच महीनोँ से फोरम पर हूं लेकिन आजतक मेरा जितेन्द्र जी के साथ कोई भी पंगा नही हुआ है |

abhisays
30-03-2011, 09:32 AM
इसका मतलब आप सदस्योँ के द्वारा किए गए अनैतिक कार्योँ को सही करार देते हैँ अगर कोई भी सदस्य फोरम के नियम भंग करता है
वो चाहे हमसफर , युवराज या मै खुद तो मेरे लिए भी कोई अलग नियम नही है |
नियामानुशार मुझ पर भी कार्यवाही होगी |
हमसफर या युवराज को छोड़कर किसी अन्य सदस्य से जितेन्द्र जी का कोई पंगा नही हुआ है |मै भी पिछले पांच महीनोँ से फोरम पर हूं लेकिन आजतक मेरा जितेन्द्र जी के साथ कोई भी पंगा नही हुआ है |

पंगा क्यों हो.

प्रबंधन के सदस्यों को पंगो से बचना चाहिए. और जीतेन्द्र भाई इस क्षेत्र में बिलकुल ही नाकाम रहे हैं.

abhisays
30-03-2011, 09:33 AM
अभिषेक जी
इतनी खामियां गिनाकर आप इनके अच्छे काम को नही भूल सकते हैँ |
फोरम के गेम जोन मे इनका ही हाथ है |
जो कि काफी सराहनीय कार्य है |भविष्य मे इस गेम के कारण अधिक से अधिक सदस्य जोडे जा सकते है |

बिलकुल गेम खेलने में इनका ही हाथ है. दिन भर जो गेम खेलते रहते हैं.

Sikandar_Khan
30-03-2011, 09:35 AM
वैसे सागर भाई फोरम हित कहे या हिन्दी प्रेम के लिए अभिषेक जी और जितेन्द्र जी दोनो दोस्त हैँ बगैर विवाद करे एक बार फिर मिलकर आपस मेँ बैठ कर मामले को यही खत्म कर ले तो बेहतर हैँ अगर दोनो ऐसा नहीँ कर सकते हैँ तो मुझे हैरत होगा दोनो इतने साल तक कैसे एक दुसरे के दोस्त रहे या दोस्त होने का स्वाँग रचाते रहे हमलोग एक अच्छे माहौल के वजह से फोरम पर आते हैँ ताकी देश दुनिया के अलग अलग क्षेत्रो के सदस्यो के साथ स्वस्थ बाते कर सके अगर ऐसे ही विवाद चलता रहा तो जैसे एक एक कर के बहुत गुणी सदस्य निकल गए वैसे एक दिन बाकी बाकी सदस्य भी निकल जाएंगे जरुरी नहीँ हैँ की हम सैनिक के रुप मेँ हीँ देश सेवा कर सकते हैँ देश की सेवा के लिए किसी भुमिका की जरुरत नहीँ हैँ क्योँ की हम अपने देश से प्रेम करते हैँ वैसे अगर फोरम से प्यार करते हैँ तो बगैर पद के भी हम सभी एक दुसरे के मदत से और अच्छा कर सकते हैँ

मै आपके विचारोँ से पूर्णता सहमत हूँ |
अब जो भी फैसला हो जनमत का हो |
क्योँ कि जनता जर्नादन होती है |

khalid
30-03-2011, 10:01 AM
सच पूछे तो मुझे काफी दुःख हुआ ये विवाद देख कर मन करता हे की फोरम पर आना ही बंद कर दू क्या हम यहा पर लड़ने आते हे ! क्यू लड़ते हे हम वो भी पद पाने के लिए
मेरी नजरो में जितेन्द्र भाई का दर्जा और उचा हो जाता अगर वो इस पद पाने की दोड का परित्याग करते !
वो भी इतने एक अच्छे दोस्त होते हुए क्या यही दोस्ती होती हे दोस्ती का नाम होता एक दूसरे पर जान दे देना ना की एक पद पाने के लिए लडना !
:cryingbaby::cryingbaby: ये केसी दोस्त ये केसा प्यार
अभी तो फोरम पर पैसा नहीँ हैँ तो यह हाल हैँ अगर विज्ञापन से धडाडर अगर रुपया आने लगे तो हाथोँ मेँ टीपु सुल्तान की तलवार आजाऐँगे एक दुसरे के खिलाफ आप फोरम पर आना क्योँ बंद करेँगे सागर भाई और नायक भाई पहले अगर दोनो मेँ दोस्ती थी या हैँ तो जितेन्द्र जी ने कितने सदस्य से कहा हैँ की हमारी दोस्ती जय वीरु जैसी हैँ अब दोस्ती दुश्मनी होने जा रहा हैँ तो सब बाते बाहर आरही हैँ आपलोग बिंदास रहे

bhoomi ji
30-03-2011, 10:19 AM
जितेन्द्र जी
जैसा कि अभिषेक जी ने कहा है कि ये फोरम पर प्रशाशक बनना चाहते हैं...और इनके द्वारा बनाये गए इस सूत्र से तो यही लगता है लेकिन हम कहते हैं क्यों??
....ये हमेशा ऑनलाइन रहते हुए भी पता नहीं कहाँ खोये रहते हैं...?
...क्या प्रबधन के सदस्य से यही उम्मीद की जाती है कि वो ऑनलाइन रहे और गेम खेलने में व्यस्त रहे..उनकी जिम्मेदारी कौन देखेगा?
...फोरम के किसी सदस्य से इनका कोई मेल जोल नहीं है...ऐसे में कैसे को सदस्य फोरम पर बना रहना चाहेगा जहाँ के प्रबंधन के सदस्यों से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिलता...
..सूत्रों पर विवादस्पद प्रविष्टि करना तो जैसे इनकी आदत सी हो गयी है...लाख समझाया कि अपनी गलती मानकर माफ़ी मांगो...लेकिन नहीं ये जिद पर अड़े रह कि में तो सही हूँ दुनिया चाहे जो कहे....
...क्या इनका कोई ऐसा सूत्र है जो फोरम पर काफी लोकप्रिय ना हो,,,जबकि ये तो फोरम पर शुरुआत से हैं...चलो लोकप्रिय ना सही....इन्होने जितने भी सूत्र बनाये हैं क्या ये उन पर अब भी प्रविष्टियाँ करते हैं???
...सूत्र बनाकर और उस पर एक दो प्रविष्टि करना...क्या यही एक फोरम के प्रबधन सदस्य की पहचान है...
ऐसे में कैसे ये कह सकते हैं कि इन्हें प्रशाशक बनाया जाय??

abhisays
30-03-2011, 11:15 AM
और अभी भी देखिये, पोस्ट कर दिया और जनाब गायब हो gaye है, इनका कोई अता पता नहीं है. फिर भी प्रशाशक बनना चाहते हैं.

arvind
30-03-2011, 11:32 AM
जितेन्द्र जी
जैसा कि अभिषेक जी ने कहा है कि ये फोरम पर प्रशाशक बनना चाहते हैं...और इनके द्वारा बनाये गए इस सूत्र से तो यही लगता है लेकिन हम कहते हैं क्यों??
....ये हमेशा ऑनलाइन रहते हुए भी पता नहीं कहाँ खोये रहते हैं...?
...क्या प्रबधन के सदस्य से यही उम्मीद की जाती है कि वो ऑनलाइन रहे और गेम खेलने में व्यस्त रहे..उनकी जिम्मेदारी कौन देखेगा?
...फोरम के किसी सदस्य से इनका कोई मेल जोल नहीं है...ऐसे में कैसे को सदस्य फोरम पर बना रहना चाहेगा जहाँ के प्रबंधन के सदस्यों से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिलता...
..सूत्रों पर विवादस्पद प्रविष्टि करना तो जैसे इनकी आदत सी हो गयी है...लाख समझाया कि अपनी गलती मानकर माफ़ी मांगो...लेकिन नहीं ये जिद पर अड़े रह कि में तो सही हूँ दुनिया चाहे जो कहे....
...क्या इनका कोई ऐसा सूत्र है जो फोरम पर काफी लोकप्रिय ना हो,,,जबकि ये तो फोरम पर शुरुआत से हैं...चलो लोकप्रिय ना सही....इन्होने जितने भी सूत्र बनाये हैं क्या ये उन पर अब भी प्रविष्टियाँ करते हैं???
...सूत्र बनाकर और उस पर एक दो प्रविष्टि करना...क्या यही एक फोरम के प्रबधन सदस्य की पहचान है...
ऐसे में कैसे ये कह सकते हैं कि इन्हें प्रशाशक बनाया जाय??

जितेंद्र जी की पद-लोलुपता से मै बिल्कुल हतप्रभ रह गया। इनकी जुर्रत तो देखिये, बाकायदा तो इन्होने इसके लिए फोरम-प्रबंधन विभाग मे एक सूत्र बनाकर अपनी महत्वाकांक्षा भी जाहिर कर दिया। जहा तक मेरी जानकारी है - इस फोरम पर कभी भी किसी सदस्य ने पद के लिए कोई विवाद खड़ा नहीं किया। सभी लोग ये भी जानते है की अभिषेक जी के बाद अगर कोई है तो वो जितेंद्र जी है - भले ही पद का उल्लेख ना किया गया हो। किसी भी संस्था मे अगर एक ही प्रशासक होता है तो संस्था सुचारु रूप से चलती है, अन्यथा टकराव की स्थिति हमेशा बनी रहती है।

जहा तक जितेंद्र जी "प्रशासक" बनना चाहते है तो मै यही कहूँगा की इनसे भी ज्यादा कर्मठ लोग इस फोरम पर मौजूद है जो फोरम को नई उचाई तक ले जाने मे सक्षम है।

bhoomi ji
30-03-2011, 11:55 AM
जितेंद्र जी की पद-लोलुपता से मै बिल्कुल हतप्रभ रह गया। इनकी जुर्रत तो देखिये, बाकायदा तो इन्होने इसके लिए फोरम-प्रबंधन विभाग मे एक सूत्र बनाकर अपनी महत्वाकांक्षा भी जाहिर कर दिया। जहा तक मेरी जानकारी है - इस फोरम पर कभी भी किसी सदस्य ने पद के लिए कोई विवाद खड़ा नहीं किया। सभी लोग ये भी जानते है की अभिषेक जी के बाद अगर कोई है तो वो जितेंद्र जी है - भले ही पद का उल्लेख ना किया गया हो। किसी भी संस्था मे अगर एक ही प्रशासक होता है तो संस्था सुचारु रूप से चलती है, अन्यथा टकराव की स्थिति हमेशा बनी रहती है।

जहा तक जितेंद्र जी "प्रशासक" बनना चाहते है तो मै यही कहूँगा की इनसे भी ज्यादा कर्मठ लोग इस फोरम पर मौजूद है जो फोरम को नई उचाई तक ले जाने मे सक्षम है।


उनकी बातों से तो लगता है कि किसी भी संस्था में अगर कोई कर्मचारी बहुत बढ़िया काम करता है तो उसे सीधे मालिक बना दिया जाय या फिर उस संस्था की आधी हिस्सेदारी दे दी जाय......

कल को अगर टाटा या अम्बानी ग्रुप के g.m. ये कह दे कि मेने कम्पनी को इतना बढ़ा बिजिनिस दिया है या फिर मेने कंपनी को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया है मुझे कंपनी में आधी हिस्सेदारी चाहिए,,,,या फिर ये कह दे कि मुझे कंपनी का वारिस बना दिया जाय ......तो क्या ये जायज मांग हैं??
ठीक है आपने इतना काम किया लेकिन जिसने पैंसे लगाये हैं आखिर कंपनी तो उसी की है ना.....

abhisays
30-03-2011, 12:03 PM
पद के लिए इतनी भयंकर लालसा मैंने आज तक नहीं देखी

saajid
30-03-2011, 12:16 PM
जीतेन्द्र गर्ग जी यानी प्रशाशक बनाना चाहते हैं. सही है. लेकिन क्यों?

अचानक क्या हो गया भाई.


फोरम पर तुमारे दर्शन तो होते नहीं हैं?
vbulletin , php , mysql , आदि पर तुमने कुछ खास काम किया है नहीं.
ना तो फोरम के सदस्यों के बीच तुम लोकप्रिय हो.
चौपाल पर आज तक तुमने ६-७ प्रविस्तिया की है.
तुमारे अधिकतर बनाये हुए सूत्र फ्लॉप ही हुए हैं.

सवाल है क्यों बनाया जाये तुम्हे प्रशाशक????????????


अच्छा तो क्या प्रशासक बन ने के लिए यही योग्यताएं हैं :bang-head:

saajid
30-03-2011, 12:21 PM
भाइयों, जैसा की आप पहले भी सुन और देख चुके है, की कुछ नियामक पड़ छोड़ कर और ये फोरम छोड़ कर चले गए, जैसे अक्ष जी, गुना जी आदि! लगता है, अब समय आ गया है, मैं भी फोरम छोड़ दूं! जानता हूँ, अचानक से खबर सुनकर धक्का जरूर लगेगा आप लोगो को! इसलिए पुराने किस्सों के बारे में, और प्रबंधन सदस्यों के मतभेद के बारे में बताना चाहूँगा.

फोरम जैसे की आप जानते है, की मेरे और अभिषेक जी के दिमाग की उपज थी, पर सम्पूर्ण धनराशि उनकी ही जेब से निकली थी. मेरे पास था तो सिर्फ नया जोश, थोडा सा अनुभव, और हिंदी के प्रति प्रेम. पर आप लोगो ने ये बात हमेशा ही गौर की होगी, की फोरम पर हमेशा से ही अभिषेक जी की ही चलती आई है! मैं तो सारे अधिकार भी नहीं रखता हूँ, अधिकतर कामों के लिए मुझे अभिषेक को ही बोलना पड़ता है! ऐसे में कई बार हमारी इस बात पर बहस होती रहती है, और हर बार मैं एक दो दिन के लिए गुस्सा होकर चला जाता हूँ.! पर हर बार, मैं चुप चाप फोरम पर वापिस आप लोगो से जुड़ने आ जाता हूँ! लेकिन इस तरह अपने आत्म सम्मान को ठेस पहुँचाना मुझे अच्छा नहीं लगता!

पुराने नियामकों को हटाने के पीछे भी यही कारण था, की वो मेरे सुझाये हुए हर नए तरीके को मान रहे थे, और अभिषेक अपने आप को प्रबंधन से हटा हुआ महसूस कर रहे थे!इसलिए प्रबंधन का निर्माण नए सिरे से किया गया था. लेकिन वो समस्या का हल नहीं है! इसलि ए इस हफ्ते मैं अभिषेक से मिलकर इस बारे में काफी चर्चा किया. मैं सिर्फ इतना सुझाव दिया की लोगो से अभिसय्स.कॉम का नाम हटा दिया जाये, क्यूंकि वो अभिषेक का खुद का ब्लॉग है. और इस तरह से मेरे द्वारा किये गए सारे कार्य कहीं नज़र ही नहीं आते. मैं अन्य प्रबंधन के सदस्यों के बराबर ही अहमियत रखता हूँ.

आप लोग ही बताइए, ये कहाँ तक सही है, की अभिषेक ने शुरुआत में पैसा खर्चा कर अपने आप को इस फोरम का इकलौता मालिक बना लिया है. अब मेरे कहने पर की मैं बराबर काम किया हूँ, और पैसा भी आधा आधा बाँट रहा हूँ, तो इस फोरम को एक अलग साईट का दर्जा मिलना चाहिए न की अभिषेक की साईट का एक हिस्सा बने रहने देना चाहिए! इस बात पर प्रबंधन के सदस्यों से भी राय ली हम लोगों ने, लेकिन कुछ नए कारणों से सभी प्रबंधन सदस्य आपस में बंट गए है!

मैं पिछले जून से ये ही सब देख रहा हूँ, और मुझे लगता है, की फोरम आज इस स्तर पर है, की मैं भी अपना नाम फोरम के लोगो में देख सकूं. जब मेहनत बराबर तो प्रतिष्ठा भी बराबर होनी चाहिए न! इसलिए आज बड़े भारी मन से ये ९ महीने से प्रबंधन के गर्भ में पल रहा अवैध बच्चा, आज पुरे फोरम के सामने आ रहा है. मैं चाहता हूँ, की मुझे पूरा समर्थन मिले ताकि इस फोरम को abhisays.com के जाल से मुक्त करा सके और इसे वाहन पहुंचा सके जहाँ का सपना हम लोगो ने भी नहीं देखा है!

अभी तो आज अभिषेक इस बात को मैं पूरी दुनिया के सामने न उछलूँ, इसलीये मेरी मेहनत उपयोगी है बोल रहे है. पर अपना नाम तो वो शायद ही हटाये. आखिर इसमें उनका ही फायदा है. कैसे, ये थोड़े समय बाद विस्तार से लिखूंगा, अगर अभिषेक ने और बाकी नियामकों ने जल्द ही कोई नतीजा नहीं निकला तो! तब तक आप लोग से समर्थन की मांग कर रहा हूँ.


:cheers:


आप अपना नजरिया तो साफ़ करें

abhisays
30-03-2011, 12:22 PM
अच्छा तो क्या प्रशासक बन ने के लिए यही योग्यताएं हैं :bang-head:


हां यह कुछ बातें तो होनी ही चाहिए. खासकर पहली दो, बाकी से कोई खास फर्क नहीं पड़ता

Hamsafar+
30-03-2011, 12:22 PM
मुझे आमंत्रित करने के लिए शुक्रिया !

यहाँ पर विषय जीतेंद्र गर्ग ने उठाया है. जिसमे प्रसासक बनाने के लिए , फोरम छोड़ने के लिए . समर्थन इत्यादि की मांग.
पर सिर्फ एक सवाल ??? की इस तरह के सूत्र बनाना. खुद के विषय में ??
सूत्रधार से भी एक सबाल की यही सूत्र किसी और सदस्य ने बनाया होता तो क्या वो सूत्र आज जीवित होता ??
आपको अभिषेक जी का शुक्रिया अदा करना चाहिए की आपका ये सूत्र जीवंत है !
धन्यवाद !

saajid
30-03-2011, 12:24 PM
बहुत सही समय पर आपने सदस्यों के सामने यह बात राखी है जीतू भाई |

सभी सदस्यों को लग रहा होगा की हम झगडा कर रहे हैं किन्तु ऐसा नहीं है, हम सिर्फ चाहते हैं की जीतेन्द्र भाई को उनका सही सम्मान मिले और हिंदी का फोरम एक व्यक्ति की छवि से बाहर निकले |


अब ये तो सामने वाली पार्टी पर है की वो हमारी वाजिब बात को सपोर्ट करते हैं या नहीं |
मेरे हिसाब से ये झगडा नहीं बात चित है खुले आम
एक वयक्ती की छवी वाली बात का तो मैं भी समर्थन करता हूँ
नाम सुन ने में लगता है के किसी खास व्यक्ति का फोरम है

abhisays
30-03-2011, 12:28 PM
मेरे हिसाब से ये झगडा नहीं बात चित है खुले आम
एक वयक्ती की छवी वाली बात का तो मैं भी समर्थन करता हूँ
नाम सुन ने में लगता है के किसी खास व्यक्ति का फोरम है


फोरम का नाम है My Hindi Forum
इन्टरनेट पर एड्रेस है http://myhindiforum.com

अभी कुछ तकनिकी कारणों से इसे हम लोग अभिसय्स.कॉम के सर्वर पर होस्ट किये हुए हैं, जून या जुलाई से हम लोग MyHindiForum को नए सर्वर पर ट्रान्सफर कर देंगे.

saajid
30-03-2011, 12:28 PM
बिलकुल गेम खेलने में इनका ही हाथ है. दिन भर जो गेम खेलते रहते हैं.
व्यक्तिगत बातों को सार्वजानिक करने से क्या फायदा

sagar -
30-03-2011, 12:29 PM
मुझे आमंत्रित करने के लिए शुक्रिया !

यहाँ पर विषय जीतेंद्र गर्ग ने उठाया है. जिसमे प्रसासक बनाने के लिए , फोरम छोड़ने के लिए . समर्थन इत्यादि की मांग.
पर सिर्फ एक सवाल ??? की इस तरह के सूत्र बनाना. खुद के विषय में ??
सूत्रधार से भी एक सबाल की यही सूत्र किसी और सदस्य ने बनाया होता तो क्या वो सूत्र आज जीवित होता ??
आपको अभिषेक जी का शुक्रिया अदा करना चाहिए की आपका ये सूत्र जीवंत है !
धन्यवाद !
बिकुल सही कहा हमसफर भाई और फोरम पर तो फोरन सूत्र मिटा दिया गया होता वहा पर बोलते ही फन कुचल दिया जाता हे !
अभी जी का सही फेसला हे पर्द्र्सिता के लिए ! सबकुछ सबके सामने रखा हे

jitendragarg
30-03-2011, 12:32 PM
उनकी बातों से तो लगता है कि किसी भी संस्था में अगर कोई कर्मचारी बहुत बढ़िया काम करता है तो उसे सीधे मालिक बना दिया जाय या फिर उस संस्था की आधी हिस्सेदारी दे दी जाय......

कल को अगर टाटा या अम्बानी ग्रुप के g.m. ये कह दे कि मेने कम्पनी को इतना बढ़ा बिजिनिस दिया है या फिर मेने कंपनी को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया है मुझे कंपनी में आधी हिस्सेदारी चाहिए,,,,या फिर ये कह दे कि मुझे कंपनी का वारिस बना दिया जाय ......तो क्या ये जायज मांग हैं??
ठीक है आपने इतना काम किया लेकिन जिसने पैंसे लगाये हैं आखिर कंपनी तो उसी की है ना.....


सोना भी होता है, इसलिए इतनी देर से आपकी बात का जवाब नहीं दिया. और ये संस्था का मालिक की बात तो तब की जाये जब मैं यहाँ का नौकर हूँ. मैं और अभिषेक दोनों फोरम के मालिक ही थे. अब लेकिन सिर्फ एक सदस्य और नियामक की हेसियत रह गयी. याद है, कांटेस्ट वाला आईडिया.. एक भी बात को मैं खुद अमल में नहीं ला सकता, हर एक के लिए मुझे अभिषेक को ही बोलना पड़ता. कुछ भी करने के लिए, अभिषेक ही नियम बनाता है. मेरा कांटेस्ट का आईडिया, की काफी बड़ा कांटेस्ट करते, गेम जोन, फोरम वगेरह सब के सदस्यों को मिलकर, भी इसीलिए डूब गया.

और जहाँ तक पैसे की बात है, अभिषेक ने सिर्फ शुरुआत में खर्चा किया था, उस वक्त मेरे पास पैसे नहीं थे. बात हुई थी, की आगे सारा खर्चा बराबर बटेंगा. और अगर कुछ प्रोफिट हुआ तो सबसे पहले अभिषेक की शुरूआती लागत उसमे से निकलेंगे. अब इसके अलावा आप्शन था, की फोरम और चार महीने बाद शुरू करते. उसके बाद कौन कहाँ होता, किसे पता!
वैसे भी मैं सिर्फ अभिषेक के बराबर का पड़ मांग रहा हूँ, जो सबसे पहले फोरम पर मेरा था भी! अकेले मालिक बनने का शौक नहीं है मुझे!

जितेन्द्र जी
जैसा कि अभिषेक जी ने कहा है कि ये फोरम पर प्रशाशक बनना चाहते हैं...और इनके द्वारा बनाये गए इस सूत्र से तो यही लगता है लेकिन हम कहते हैं क्यों??


....ये हमेशा ऑनलाइन रहते हुए भी पता नहीं कहाँ खोये रहते हैं...? ---- सिर्फ नए पोस्ट को देखता रहता हूँ, की कहीं लोग कुछ गलत तो नहीं कर रहे. आप खुद जानते है, सबसे ज्यादा सूत्रों को सही दिशा में कौन पहुंचाता है. उसके अलावा फोरम में कुछ नया करने के लिए तरीके ढूंढता रहता हूँ. और क्या चाहिए? अब दिन भर बस चौपाल में ही बैठे रहूँगा, तो कैसा प्रशाशक? कम से कम बाकी सूत्रों का भी तो ध्यान रखना होगा. वो तो अभिषेक जी करते नहीं, बस चौपाल पर गप्पे लगते रहते.


...क्या प्रबधन के सदस्य से यही उम्मीद की जाती है कि वो ऑनलाइन रहे और गेम खेलने में व्यस्त रहे..उनकी जिम्मेदारी कौन देखेगा? आपको क्या लगता है, की मैं सिर्फ गेम ही खेलता. और वैसे भी मुझे गेम खेलना हो तो मेरे पास ५० हज़ार का इन्वेस्टमेंट कर रखा है. फ्लश गेम तो इसलिए है, की अगर लोग बोर हो गए पोस्ट करते करते, तो कुछ टाइम पास का जरिया रहे, और लोग दिन भर यही बने रहे.


...फोरम के किसी सदस्य से इनका कोई मेल जोल नहीं है...ऐसे में कैसे को सदस्य फोरम पर बना रहना चाहेगा जहाँ के प्रबंधन के सदस्यों से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिलता... बिलकुल सही कहा. मैं अपनी पर्सोनल जानकारी फोरम पर नहीं दे सकता. लोगो से जान पहचान के लिए चौपाल पर बैठना जरूरी है. वो फोरम का सबसे अच्छे सूत्र है, लेकिन इकलौता सूत्र नहीं. मैं तो हर बार सदस्यों को यही कहता हूँ, की जिस टोपिक पर चर्चा करनी उस के लिए जो विभाग है वहाँ करो. चौपाल को नए लोग नहीं पढते. नया सदस्य बाकी सूत्रों की हलचल को देखता है. और अभिषेक की माने तो दुसरे सूत्र तो पानी में डूब जायेंगे. मैं अकेले कितनी कोशिश करून, पुराने सूत्रों को वापिस आगे बढ़ाने की, जब सब लोग सिर्फ चौपाल पर ही बैठेंगे.


..सूत्रों पर विवादस्पद प्रविष्टि करना तो जैसे इनकी आदत सी हो गयी है...लाख समझाया कि अपनी गलती मानकर माफ़ी मांगो...लेकिन नहीं ये जिद पर अड़े रह कि में तो सही हूँ दुनिया चाहे जो कहे.... आपको कोई समस्या है, तो आपके पास तो अधिकार थे पोस्ट को डिलीट करने के. वैसे भी जब मजाक समझ नहीं आता तो स्ट्रिक्ट होकर काम करो. छोटा सा मजाक की अकिय, उस दिन भी ४ घंटे तक आपको जवाब देता रहा. कभी कभी मजाक करना जरूरी है. और उसके अलावा जितनी विवादस्पद प्रविष्टिय हुई है, सब हमसफ़र वाले किस्से पर हुई है. और उस किस्से के बारे में पहले ही बता चूका हूँ, की वो व्यक्ति मुझे फोन पर धमकाया था. फोन नंबर उसको अभिषेक ने दिया. उसका मानना था, की उसके सूत्रों को सही जगह पहुँचाने से पहले भी मैं उसको फोन करके पूछूं. अगर अभिषेक या तुम कह रहे हो, की मैंने उसको मना करके गलत किया तो समझ आता है, की कितनी अक्ल है तुम लोगो को फोरम चलने की. मैं किसी सदस्य को इतना स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दे सकता, सिर्फ इसलिए की वो एक पोस्ट को दस पोस्ट में तोड़ कर पोस्ट करता था, और इसलिए सबसे ज्यादा उसके पोस्ट थे. ५ फोटो पोस्ट करने के लिए ५ बार रेप्ली बटन दबाना स्पम्मिंग है, और ये कोई भी फोरम के लिए ठीक नहीं!मैं जो भी किया था, और कर रहा हूँ, उसका मुझे कहीं ज्यादा अनुभव है. इससे पहले भी मैं कई फोरम का हिस्सा हूँ.


...क्या इनका कोई ऐसा सूत्र है जो फोरम पर काफी लोकप्रिय ना हो,,,जबकि ये तो फोरम पर शुरुआत से हैं...चलो लोकप्रिय ना सही....इन्होने जितने भी सूत्र बनाये हैं क्या ये उन पर अब भी प्रविष्टियाँ करते हैं??? मैं इन्टरनेट पर जो भी करता हूँ, दिन भर.. अगर कुछ भी ऐसा मिला जो लोगो से बाटना चाहिए तो तुरंत पोस्ट करता हूँ. उसके अलावा तेच्निकल विभाग में हर समस्या का समाधान तो कर ही रहा हूँ. वो विभाग में जो भी व्यक्ति अपनी समस्या पोस्ट करता है, उसको पूछो! चौपाल के अलावा जितने सूत्र है, उनमे जो लोग आते है, उनसे पूछो. और लोकप्रिय की बात ये है, की मैं सूत्र बनाना ज्यादा पसंद नहीं करता, अधिकतर समय नए तरीके सोचने में लगा रहता हूँ. अगर मेरा काम भी सिर्फ सूत्र बनाना है, तो बाकी काम कौन संभालेगा.


...सूत्र बनाकर और उस पर एक दो प्रविष्टि करना...क्या यही एक फोरम के प्रबधन सदस्य की पहचान है... ऐसा कब हुआ जरा बताये. अगर कोई सूत्र बनाया है, तो सिर्फ इसलिए की लोग उस पर इधर उधर चर्चा कर रहे है, तो ऐसे में एक जैसी पोस्ट को एक तरफ रख सके. अभी तो चौपाल में ही सब होली से लेकर दिवाली तक सबकी बातें होती है. अभिषेक खुद चौपाल में सुझाव मांग रहे थे. मैं तब भी बोला की जब सुझाव का सूत्र है, तो फिर क्यूँ. अब खुद ही वो एक सूत्र को अहमियत दे रहे है, तो मैं नए सूत्र बनाऊं भी तो क्यूँ?



ऐसे में कैसे ये कह सकते हैं कि इन्हें प्रशाशक बनाया जाय??



उम्मीद है, आपको और सभी को जवाब मिल गए है. खैर अभी ऑफिस जाना है, तो बाकी सभी बातों पर बाद में बहस करेंगे.

:cheers:

saajid
30-03-2011, 12:33 PM
उनकी बातों से तो लगता है कि किसी भी संस्था में अगर कोई कर्मचारी बहुत बढ़िया काम करता है तो उसे सीधे मालिक बना दिया जाय या फिर उस संस्था की आधी हिस्सेदारी दे दी जाय......

कल को अगर टाटा या अम्बानी ग्रुप के g.m. ये कह दे कि मेने कम्पनी को इतना बढ़ा बिजिनिस दिया है या फिर मेने कंपनी को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया है मुझे कंपनी में आधी हिस्सेदारी चाहिए,,,,या फिर ये कह दे कि मुझे कंपनी का वारिस बना दिया जाय ......तो क्या ये जायज मांग हैं??
ठीक है आपने इतना काम किया लेकिन जिसने पैंसे लगाये हैं आखिर कंपनी तो उसी की है ना.....

मैं किसी की हिमायत या आलोचना नहीं कर रहा
पर माते आप एक बात जान ले कोई भी व्यक्ती अपने कर्मों से महान बनता है
यदी व्यक्ती में सामर्थ्य हो तो ये भी कोई बरी बात नहीं
ये कंपनिया कोई ऊपर से लिखा कर नहीं आयीं
ये भी फर्श से अर्श ही पर पहुँची है

Sikandar_Khan
30-03-2011, 12:35 PM
उनकी बातों से तो लगता है कि किसी भी संस्था में अगर कोई कर्मचारी बहुत बढ़िया काम करता है तो उसे सीधे मालिक बना दिया जाय या फिर उस संस्था की आधी हिस्सेदारी दे दी जाय......

कल को अगर टाटा या अम्बानी ग्रुप के g.m. ये कह दे कि मेने कम्पनी को इतना बढ़ा बिजिनिस दिया है या फिर मेने कंपनी को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया है मुझे कंपनी में आधी हिस्सेदारी चाहिए,,,,या फिर ये कह दे कि मुझे कंपनी का वारिस बना दिया जाय ......तो क्या ये जायज मांग हैं??
ठीक है आपने इतना काम किया लेकिन जिसने पैंसे लगाये हैं आखिर कंपनी तो उसी की है ना.....
अगर दो व्यक्ति मिल कर एक कम्पनी चालू करेँ
जिसमे एक मालिक बना रहे जिसके पास सारे अधिकार होँ और दूसरा मनेजर जिसको सीमित अधिकार दिए जाएं तो आप क्या कहेँगी ?

saajid
30-03-2011, 12:36 PM
जितेंद्र जी की पद-लोलुपता से मै बिल्कुल हतप्रभ रह गया। इनकी जुर्रत तो देखिये, बाकायदा तो इन्होने इसके लिए फोरम-प्रबंधन विभाग मे एक सूत्र बनाकर अपनी महत्वाकांक्षा भी जाहिर कर दिया। जहा तक मेरी जानकारी है - इस फोरम पर कभी भी किसी सदस्य ने पद के लिए कोई विवाद खड़ा नहीं किया। सभी लोग ये भी जानते है की अभिषेक जी के बाद अगर कोई है तो वो जितेंद्र जी है - भले ही पद का उल्लेख ना किया गया हो। किसी भी संस्था मे अगर एक ही प्रशासक होता है तो संस्था सुचारु रूप से चलती है, अन्यथा टकराव की स्थिति हमेशा बनी रहती है।

जहा तक जितेंद्र जी "प्रशासक" बनना चाहते है तो मै यही कहूँगा की इनसे भी ज्यादा कर्मठ लोग इस फोरम पर मौजूद है जो फोरम को नई उचाई तक ले जाने मे सक्षम है।
इन्होने कहाँ कुछ किया
ज़रा इतिहास वाले सूत्र पर भी नज़र मरे
इतना ऐतराज़ था तो ये बात जब आरंभिक चरण में थी तब ही क्यूँ न खत्म की गयी
अभिषेक भई ने खुद कहा के मैं चाहता हूँ के ये बातें यहाँ निर्णित की जाएँ
आप लोग जीतेन्द्र जी को उकसा रहे हैं के वे फोरम छोर दें और ये और ये सोची समझी साजिश है

saajid
30-03-2011, 12:41 PM
मुझे आमंत्रित करने के लिए शुक्रिया !

यहाँ पर विषय जीतेंद्र गर्ग ने उठाया है. जिसमे प्रसासक बनाने के लिए , फोरम छोड़ने के लिए . समर्थन इत्यादि की मांग.
पर सिर्फ एक सवाल ??? की इस तरह के सूत्र बनाना. खुद के विषय में ??
सूत्रधार से भी एक सबाल की यही सूत्र किसी और सदस्य ने बनाया होता तो क्या वो सूत्र आज जीवित होता ??
आपको अभिषेक जी का शुक्रिया अदा करना चाहिए की आपका ये सूत्र जीवंत है !
धन्यवाद !
कहे का शुक्रिया बंधू अभिषेक भाई खुद चाहते हैं के ये बातें साफ़ हों यहाँ पर

Hamsafar+
30-03-2011, 12:44 PM
ये आपस का वार्तालाप है . जिसे हर कोई देख सकता है , इस पर गौर करे ...



http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9640&stc=1&d=1301471251

abhisays
30-03-2011, 12:48 PM
ये आपस का वार्तालाप है . जिसे हर कोई देख सकता है , इस पर गौर करे ...



http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9640&stc=1&d=1301471251



हमसफ़र जी आपकी पैनी नज़र की दाद देनी होगी, कहा कहा से दूंड कर निकाल लाते हैं तथ्य.

Hamsafar+
30-03-2011, 12:55 PM
बिकुल सही कहा हमसफर भाई और फोरम पर तो फोरन सूत्र मिटा दिया गया होता वहा पर बोलते ही फन कुचल दिया जाता हे !
अभी जी का सही फेसला हे पर्द्र्सिता के लिए ! सबकुछ सबके सामने रखा हे
बात आपकी उचित है. पर क्या जीतेंद्र गर्ग स्वयं सोच विचार के फैसला करें की यदि किसी सदस्य ने इस प्रकार की वार्तालाप की होती तो ये खुद उसे आजीवन बैन करार देते और सूत्र ही मिटा देते. पर अब ये सूत्र का निर्माण इनके द्वारा किया गया हे और जिस तरह से वार्तालाप हो रहे हे वो अशोभनीय है . प्रबंधन समिति के लिए जब सभी बराबर है तो इनपर भी उचित कार्यवाही तुरंत कीजये .

Hamsafar+
30-03-2011, 12:58 PM
हमसफ़र जी आपकी पैनी नज़र की दाद देनी होगी, कहा कहा से दूंड कर निकाल लाते हैं तथ्य.

Thanks Abhi


जिन्होंने फोरम का निर्माण में सहयोग किया है और आज पद की डिमांड (वो भी लड़कर )कर रहे है . उनकी ऐसी भाषा ?????? ये घोर शर्मनाक वाकया हे !

abhisays
30-03-2011, 01:01 PM
Thanks Abhi


जिन्होंने फोरम का निर्माण में सहयोग किया है और आज पद की डिमांड कर रहे है . उनकी ऐसी भाषा ?????? ये घोर शर्मनाक वाकया हे !


आपकी बात सही है संतोष जी, क्योकि जीतेन्द्र ने फोरम के लिए काफी कुछ किया है, inhe अपना पॉइंट रखने का हम लोग पुडा मौके देंगे. और अगर वो अपनी बात शाबित कर देते हैं तो मैं inko प्रशासक बना दूंगा.

arvind
30-03-2011, 01:03 PM
इन्होने कहाँ कुछ किया
ज़रा इतिहास वाले सूत्र पर भी नज़र मरे
इतना ऐतराज़ था तो ये बात जब आरंभिक चरण में थी तब ही क्यूँ न खत्म की गयी
अभिषेक भई ने खुद कहा के मैं चाहता हूँ के ये बातें यहाँ निर्णित की जाएँ
आप लोग जीतेन्द्र जी को उकसा रहे हैं के वे फोरम छोर दें और ये और ये सोची समझी साजिश है
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, जितेंद्र जी ने खुद ये फसाद खड़ा किया है, तो आप जितेंद्र जी को सलाह क्यों नहीं देते।

Hamsafar+
30-03-2011, 01:05 PM
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, जितेंद्र जी ने खुद ये फसाद खड़ा किया है, तो आप जितेंद्र जी को सलाह क्यों नहीं देते।
हां अरविन्द भाई , आपकी बात से में सहमत हूँ !

saajid
30-03-2011, 01:14 PM
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, जितेंद्र जी ने खुद ये फसाद खड़ा किया है, तो आप जितेंद्र जी को सलाह क्यों नहीं देते।

हां अरविन्द भाई , आपकी बात से में सहमत हूँ !
जीतेन्द्र जी अमित तिवारी जी के नाम से कब से पोस्ट करने लगे
http://myhindiforum.com/showpost.php?p=65754&postcount=39

abhisays
30-03-2011, 01:16 PM
जीतेन्द्र जी अमित तिवारी जी के नाम से कब से पोस्ट करने लगे
http://myhindiforum.com/showpost.php?p=65754&postcount=39

रहस्य काफी गहरा हो रहा है, अमित तिवारी जी कहा हैं.

sagar -
30-03-2011, 01:22 PM
रहस्य काफी गहरा हो रहा है, अमित तिवारी जी कहा हैं.
कहानी में नया टूविस्ट ....:banalema::banalema:

khalid
30-03-2011, 01:22 PM
रहस्य काफी गहरा हो रहा है, अमित तिवारी जी कहा हैं.

वो काम धंधा वाला आदमी हैँ फुरसत मिलने पर आएंगे

sagar -
30-03-2011, 01:24 PM
जीतेन्द्र जी अमित तिवारी जी के नाम से कब से पोस्ट करने लगे
http://myhindiforum.com/showpost.php?p=65754&postcount=39
आप भी कुछ जाने पहचाने से लगे

वन्दे मातरम भाई

arvind
30-03-2011, 01:26 PM
वो काम धंधा वाला आदमी हैँ फुरसत मिलने पर आएंगे
मै तो जितेंद्र जी यही कहूँगा कि इंसान से गलतियाँ हो जाती है, अत: sorry बोलकर मामले को यही पटाक्षेप करे।

Kumar Anil
30-03-2011, 01:27 PM
एक बात तो तय है कि इससे बेहतर हमारा पूर्व प्रबन्धन था । मुन्नेराजा , अनिल शर्मा , जय भाई , गुल्लू जी अपनी उपस्थिति हर जगह दर्ज़ कराते थे । हमेशा चौकस रहकर आम सदस्योँ का उत्साहवर्धन करते थे । कुछ रचनात्मक कार्य करते हुये फोरम के व्यवसायिक हितोँ की कमान भली भाँति सम्हालते थे । जितेन्द्र जी , अभिषेक जी की परछाई माने जाते थे और फोरम की आम गतिविधियोँ से कम सरोकार रखते थे । बेवमास्टर के कूटनीतिज्ञ सलाहकार हुआ करते थे । अभिषेक जी का happy birthday सूत्र बनाकर व्यक्तित्व पूजा का प्रयास करते थे । आज अचानक क्या हो गया जो पदलोलुपता का नंगा नाच हो रहा है , बरसोँ पुरानी मित्रता कहाँ खाक़ हो गयी , परछायी अचानक अपना वज़ूद क्योँ चाहने लगी ? मुझे पूर्व नियामक एक मित्र ने अवगत कराया था कि एक लाख प्रविष्टि पूर्ण होने के उपरान्त मिलने वाले विज्ञापनोँ की आय से उन्हे लाभांश दिये जाने का प्रस्ताव दिया गया है । पर हाय री क़िस्मत फोरम पर आये झंझावात ने उन्हेँ पदच्युत कर डाला । क्या जितेन्द्र जी उसी के वशीभूत जनसमर्थन तो नहीँ जुटा रहे हैँ , हालाँकि जनसामान्य से उनका कोई ख़ास लेना देना नहीँ परन्तु फिर भी वह दबाब की राजनीति कर ही रहे हैँ । जिन्होने कभी हमसे संवाद स्थापित करने मेँ रुचि न ली हो , हम उनके पचड़े मेँ क्योँ पड़ेँ ?

saajid
30-03-2011, 01:29 PM
प्रशासक = एडमिनिस्ट्रेटर = पावर में फोरम का स्वयम्भू करताधर्ता = फोरम सोफ्टवेयर में बहुत कुछ बदलाव कर सकते हैं.
१. व्यवहार में अभिजित स्वयंभू हिटलर हैं
२. इनको फोरम के आगे बढाने में उपयोगी व्यक्तियों की पहचान नहीं है.
३. फोरम पर पिछले छः सालों में कुल जमा लगभग १८०० सदस्य जुड़ पाए हैं जबकि एवी फोरम के खराब होने पर ही वहां ७०० से अधिक सदस्य जुड़े थे, क्योंकि एवी के नियामक भी वहां थे, उनपर विश्वास नहीं होने से सभी रुखसत हो गए और फोरम पर फिर से विराना छाने लगा है. शरू के पांच सालों में कुल ५५० सदस्य थे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि फोरम प्रबन्धन नाकारा और असहयोगात्मक है.
सदस्यों की रूचि का ख़याल नहीं रखता है.
४. कुछ विवादित सदस्यों को फोरम पर मुख्य रूप से कार्य करने दिया गया जिस से कई सदस्यों ने आना बंद कर दिया.
५. यदि फोरम पर अभी भी उचित बदलाव नहीं किये गए तो फोरम का खाई में जाना निश्चित है.

amit_tiwari
30-03-2011, 01:36 PM
जीतेन्द्र जी अमित तिवारी जी के नाम से कब से पोस्ट करने लगे
http://myhindiforum.com/showpost.php?p=65754&postcount=39

पेप्सी चढ़ गयी क्या?

abhisays
30-03-2011, 01:37 PM
प्रशासक = एडमिनिस्ट्रेटर = पावर में फोरम का स्वयम्भू करताधर्ता = फोरम सोफ्टवेयर में बहुत कुछ बदलाव कर सकते हैं.
१. व्यवहार में अभिजित स्वयंभू हिटलर हैं
२. इनको फोरम के आगे बढाने में उपयोगी व्यक्तियों की पहचान नहीं है.
३. फोरम पर पिछले छः सालों में कुल जमा लगभग १८०० सदस्य जुड़ पाए हैं जबकि एवी फोरम के खराब होने पर ही वहां ७०० से अधिक सदस्य जुड़े थे, क्योंकि एवी के नियामक भी वहां थे, उनपर विश्वास नहीं होने से सभी रुखसत हो गए और फोरम पर फिर से विराना छाने लगा है. शरू के पांच सालों में कुल ५५० सदस्य थे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि फोरम प्रबन्धन नाकारा और असहयोगात्मक है.
सदस्यों की रूचि का ख़याल नहीं रखता है.
४. कुछ विवादित सदस्यों को फोरम पर मुख्य रूप से कार्य करने दिया गया जिस से कई सदस्यों ने आना बंद कर दिया.
५. यदि फोरम पर अभी भी उचित बदलाव नहीं किये गए तो फोरम का खाई में जाना निश्चित है.



फैज़ जी, यह माय हिंदी फोरम नवम्बर २०१० से चालू हुआ है. अभी केवल ५ महीने ही हुए है, १८०० में से १३००+ सदस्य इन ५ महीनो में बने हैं. 500 सदस्य पुरानी वाली अंग्रेजी फोरम से हैं.

महोदय आप आग लगी देख कर तेल के कुएं क्यों खोद रहे हैं.

arvind
30-03-2011, 01:37 PM
प्रशासक = एडमिनिस्ट्रेटर = पावर में फोरम का स्वयम्भू करताधर्ता = फोरम सोफ्टवेयर में बहुत कुछ बदलाव कर सकते हैं.
१. व्यवहार में अभिजित स्वयंभू हिटलर हैं
२. इनको फोरम के आगे बढाने में उपयोगी व्यक्तियों की पहचान नहीं है.
३. फोरम पर पिछले छः सालों में कुल जमा लगभग १८०० सदस्य जुड़ पाए हैं जबकि एवी फोरम के खराब होने पर ही वहां ७०० से अधिक सदस्य जुड़े थे, क्योंकि एवी के नियामक भी वहां थे, उनपर विश्वास नहीं होने से सभी रुखसत हो गए और फोरम पर फिर से विराना छाने लगा है. शरू के पांच सालों में कुल ५५० सदस्य थे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि फोरम प्रबन्धन नाकारा और असहयोगात्मक है.
सदस्यों की रूचि का ख़याल नहीं रखता है.
४. कुछ विवादित सदस्यों को फोरम पर मुख्य रूप से कार्य करने दिया गया जिस से कई सदस्यों ने आना बंद कर दिया.
५. यदि फोरम पर अभी भी उचित बदलाव नहीं किये गए तो फोरम का खाई में जाना निश्चित है.
कृपया अन्य किसी फोरम या साईट का जिक्र यहा ना करे।

khalid
30-03-2011, 01:38 PM
मै तो जितेंद्र जी यही कहूँगा कि इंसान से गलतियाँ हो जाती है, अत: Sorry बोलकर मामले को यही पटाक्षेप करे।

हा हा हा
क्या हिरो भाई आपको ऐसा लगता हैँ हो जाएगा
जो कुछ हो रहा हैँ पुरे सोच समझ कर हो रहा हैँ
पढा लिखा आदमी हैँ जितेन्द्र जी हाँ मुझ जैसा होता अनपढ तब बात दुसरा था

saajid
30-03-2011, 01:40 PM
पेप्सी चढ़ गयी क्या?
नहीं तो मैंने तो सिर्फ जवाब दिया था
आपको बुरा लगा हो तो माफी चाहता हूँ

Hamsafar+
30-03-2011, 01:40 PM
जीतेन्द्र जी अमित तिवारी जी के नाम से कब से पोस्ट करने लगे
http://myhindiforum.com/showpost.php?p=65754&postcount=39
भाई आपने यहाँ एषा क्या देखा ?????? :elephant:

saajid
30-03-2011, 01:45 PM
भाई आपने यहाँ एषा क्या देखा ?????? :elephant:

यही की पद लेने की बात की शुरुआत किसने की :bang-head:
अभी जीतेन्द्र जी के ऊपर आरोप लगाया गया के क्यूँ जीतेन्द्र जी ने पद की मांग की
तो मैंने यी बताया के जीतेन्द्र जी ने इस बात की शुरुआत नहीं की

Hamsafar+
30-03-2011, 01:51 PM
यही की पद लेने की बात की शुरुआत किसने की :bang-head:
अभी जीतेन्द्र जी के ऊपर आरोप लगाया गया के क्यूँ जीतेन्द्र जी ने पद की मांग की
तो मैंने यी बताया के जीतेन्द्र जी ने इस बात की शुरुआत नहीं की
भाई इसीलिए तो हाथी पर बैठ गया था. की कोई अटेक न करदे ! भाई स्पस्तीकरण हेतु शुक्रिया !

abhisays
30-03-2011, 01:53 PM
१. व्यवहार में अभिजित (जनाब मुझे याद आ गया मुझे अभिजीत कौन बुलाता था. ) स्वयंभू हिटलर हैं
२. इनको फोरम के आगे बढाने में उपयोगी व्यक्तियों की पहचान नहीं है. (
उपयोगी सदस्य की परिभाषा kya होती है, जरा विस्तार से बताये.
)
३. *** के नियामक भी वहां थे, उनपर विश्वास नहीं होने से सभी रुखसत हो गए और फोरम पर फिर से विराना छाने लगा है. शरू के पांच सालों में कुल ५५० सदस्य थे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि फोरम प्रबन्धन नाकारा और असहयोगात्मक है. (वो गर्म मसालों के व्यापारी थे, इस फोरम में वो लोग वही कुछ करता चाहते थें. )
सदस्यों की रूचि का ख़याल नहीं रखता है.
४. कुछ विवादित सदस्यों (kya सही बात लिखना विवाद होता है तो हैं हमारे कुछ सदस्य विवादित) को फोरम पर मुख्य रूप से कार्य करने दिया गया जिस से कई सदस्यों ने आना बंद कर दिया.
५. यदि फोरम पर अभी भी उचित बदलाव नहीं किये गए तो फोरम का खाई (ऐसा कभी नहीं होगा.) में जाना निश्चित है.


Clarifications from my side.

khalid
30-03-2011, 01:55 PM
यही की पद लेने की बात की शुरुआत किसने की :bang-head:
अभी जीतेन्द्र जी के ऊपर आरोप लगाया गया के क्यूँ जीतेन्द्र जी ने पद की मांग की
तो मैंने यी बताया के जीतेन्द्र जी ने इस बात की शुरुआत नहीं की

तो किसने कीया फैज भाई यह सब नियामक क्षेत्र मेँ उपजा बीज हैँ जो सभी सदस्य के बीच फुटा और पता लगा

saajid
30-03-2011, 02:00 PM
फैज़ जी, यह माय हिंदी फोरम नवम्बर २०१० से चालू हुआ है. अभी केवल ५ महीने ही हुए है, १८०० में से १३००+ सदस्य इन ५ महीनो में बने हैं. 500 सदस्य पुरानी वाली अंग्रेजी फोरम से हैं.

महोदय आप आग लगी देख कर तेल के कुएं क्यों खोद रहे हैं.

सिर्फ नाम ही बदला गया है, फोरम तो वाही है, प्रविष्टियाँ और प्रशासक भी वाही हैं, फोरम पर पिछले पांच महीनो में जो सदस्यता बढ़ी वो किसी और फोरम के सदस्यों के आने के कारण बढ़ी थी, जो आपके असहयोग के कारण यहाँ से वापस चले गए.
यह तो आप भी अच्छी तरह से जानते हैं. अब पिछले दो मान की तरक्की के बारे में भी तो बताइए कि इन दो महीनो में फोरम ने अपने दम पर क्या चिराग जलाए हैं ?

मैं एक सच्चे हितैषी के नाते आपसे कह रहा हूँ कि यदि आप वास्तव में अपने फोरम को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं तो फोरम पर विध्वंसक रवैया छोड़ कर सही तरीके अपनाइए. सही और गलत की पहचान सही रूप से कीजिये.

saajid
30-03-2011, 02:03 PM
तो किसने कीया फैज भाई यह सब नियामक क्षेत्र मेँ उपजा बीज हैँ जो सभी सदस्य के बीच फुटा और पता लगा
सभी सदस्यों नहीं भैया सिर्फ कुछ सदस्य
हमें तो किसी भी पद की लालसा आज तक नहीं हुयी वो भी इस मायाजाल में

khalid
30-03-2011, 02:13 PM
सिर्फ नाम ही बदला गया है, फोरम तो वाही है, प्रविष्टियाँ और प्रशासक भी वाही हैं, फोरम पर पिछले पांच महीनो में जो सदस्यता बढ़ी वो किसी और फोरम के सदस्यों के आने के कारण बढ़ी थी, जो आपके असहयोग के कारण यहाँ से वापस चले गए.
यह तो आप भी अच्छी तरह से जानते हैं. अब पिछले दो मान की तरक्की के बारे में भी तो बताइए कि इन दो महीनो में फोरम ने अपने दम पर क्या चिराग जलाए हैं ?

मैं एक सच्चे हितैषी के नाते आपसे कह रहा हूँ कि यदि आप वास्तव में अपने फोरम को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं तो फोरम पर विध्वंसक रवैया छोड़ कर सही तरीके अपनाइए. सही और गलत की पहचान सही रूप से कीजिये.

बिल्कुल सत्यवचन मैँ आपकी बातोँ से पुर्णयातः सहमत हुँ

saajid
30-03-2011, 02:14 PM
clarifications from my side.

आप अपने फोरम के स्वयम्भू हैं
मैं अपनी अंतिम प्रविष्टि कर रहा हूँ.
जो फैसला लेंगे आप ही लेंगे. यदि मुझे अच्छा लगता रहा तो मैं यहाँ आता रहूँगा.
विवादित सदस्य वे होते हैं जो बिना किसी बात के छोटी सी बात को बतंगड़ बना देते हैं.
आप भी जानते ही होंगे.
यह फैसला भी आप ही लेंगे कि इस प्रकार के सदस्यों पर आप अच्छी प्रविष्टियाँ करने वालों की बलि चढ़ाना पसंद करेंगे या नहीं.
यदि गलत लगी हों तो क्षमा ....

arvind
30-03-2011, 02:14 PM
सिर्फ नाम ही बदला गया है, फोरम तो वाही है, प्रविष्टियाँ और प्रशासक भी वाही हैं, फोरम पर पिछले पांच महीनो में जो सदस्यता बढ़ी वो किसी और फोरम के सदस्यों के आने के कारण बढ़ी थी, जो आपके असहयोग के कारण यहाँ से वापस चले गए.
यह तो आप भी अच्छी तरह से जानते हैं. अब पिछले दो मान की तरक्की के बारे में भी तो बताइए कि इन दो महीनो में फोरम ने अपने दम पर क्या चिराग जलाए हैं ?

मैं एक सच्चे हितैषी के नाते आपसे कह रहा हूँ कि यदि आप वास्तव में अपने फोरम को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं तो फोरम पर विध्वंसक रवैया छोड़ कर सही तरीके अपनाइए. सही और गलत की पहचान सही रूप से कीजिये.
जनाब फैज साहब....
जिसको शराब का चस्का लग चुका है, उन्हे दूध गटकने मे कोई रुचि नहीं रहता। आप जिस तथाकथित फोरम के सदस्यो का जिक्र कर रहे है - उन्हे पॉर्न का चस्का लग चुका है, उन्हे आप कितनी भी कोशिश करे, अच्छे फोरम पर उन्हे टिकने मे काफी परेशानी होगी। वो तो जबतक वो फोरम डाउन था, उन बेचारों को मजबूरन दूध गटकना पड़ा फिर जैसे शराबखाना खुला, चल दिये अपने रास्ते।

khalid
30-03-2011, 02:19 PM
सभी सदस्यों नहीं भैया सिर्फ कुछ सदस्य
हमें तो किसी भी पद की लालसा आज तक नहीं हुयी वो भी इस मायाजाल में

और मैँ काबिल नहीँ हुँ किसी पद का
हा हा हा
वैसे करना किया हैँ पद का

saajid
30-03-2011, 02:32 PM
जनाब फैज साहब....
जिसको शराब का चस्का लग चुका है, उन्हे दूध गटकने मे कोई रुचि नहीं रहता। आप जिस तथाकथित फोरम के सदस्यो का जिक्र कर रहे है - उन्हे पॉर्न का चस्का लग चुका है, उन्हे आप कितनी भी कोशिश करे, अच्छे फोरम पर उन्हे टिकने मे काफी परेशानी होगी। वो तो जबतक वो फोरम डाउन था, उन बेचारों को मजबूरन दूध गटकना पड़ा फिर जैसे शराबखाना खुला, चल दिये अपने रास्ते।
वाह...... यह एक सुशासक की प्रविष्टि है
आप ही कहते हैं कि बातों से गढ़ जीते जाते हैं और आप ही अपने फोरम के बेशकीमती सदस्यों के लिए इस प्रकार की टिपण्णी करते हैं.
आप उन्हें दूध पेश तो करते फिर देखते कि वो लोग यहाँ रुकना पसंद करते भी हैं या नहीं. यदि आप उनके लिए जहर परोसेंगे तो कोई यहाँ क्यों रुकना पसंद करेगा जनाब मोड़रेटर साहब ? पूर्वाग्रह त्याग कर इस फोरम की उन्नति में सहयोग कीजिये तो ज्यादा अच्छा होगा.

आत्म सम्मान के लिए लिखना परा

saajid
30-03-2011, 02:34 PM
जीतेन्द्र भाई माफ कीजियेगा हमें
यहाँ निष्पक्ष फैसले होने ना मुमकिन लगते हैं मुझे

Sikandar_Khan
30-03-2011, 02:41 PM
वाह...... यह एक सुशासक की प्रविष्टि है
आप ही कहते हैं कि बातों से गढ़ जीते जाते हैं और आप ही अपने फोरम के बेशकीमती सदस्यों के लिए इस प्रकार की टिपण्णी करते हैं.
आप उन्हें दूध पेश तो करते फिर देखते कि वो लोग यहाँ रुकना पसंद करते भी हैं या नहीं. यदि आप उनके लिए जहर परोसेंगे तो कोई यहाँ क्यों रुकना पसंद करेगा जनाब मोड़रेटर साहब ? पूर्वाग्रह त्याग कर इस फोरम की उन्नति में सहयोग कीजिये तो ज्यादा अच्छा होगा.

आत्म सम्मान के लिए लिखना परा

फैज भाई
क्या उन्हे यहां नियामक नही बनाया गया था ?
लेकिन हम चाह कर भी किसी की मानसिकता नही बदल सकते हैँ |
अगर उन्हे ये फोरम पसन्द नही था तो दो महीनो का इंतेजार क्योँ किया ?
ए वी एफ के चालू होते ही सबने अपना पुराना चोला क्योँ पहन लिया ?

Sikandar_Khan
30-03-2011, 02:44 PM
जीतेन्द्र भाई माफ कीजियेगा हमें
यहाँ निष्पक्ष फैसले होने ना मुमकिन लगते हैं मुझे

फैज भाई
इस सूत्र का ऐसा रिजल्ट आएगा विरोधी दांतो तले उंगलियां दबा लेँगे |

arvind
30-03-2011, 02:46 PM
वाह...... यह एक सुशासक की प्रविष्टि है
आप ही कहते हैं कि बातों से गढ़ जीते जाते हैं और आप ही अपने फोरम के बेशकीमती सदस्यों के लिए इस प्रकार की टिपण्णी करते हैं.
आप उन्हें दूध पेश तो करते फिर देखते कि वो लोग यहाँ रुकना पसंद करते भी हैं या नहीं. यदि आप उनके लिए जहर परोसेंगे तो कोई यहाँ क्यों रुकना पसंद करेगा जनाब मोड़रेटर साहब ? पूर्वाग्रह त्याग कर इस फोरम की उन्नति में सहयोग कीजिये तो ज्यादा अच्छा होगा.

आत्म सम्मान के लिए लिखना परा
जनाब फैज साहब....
आपकी जानकारी के लिए बता दु कि आप जिन लोगो कि हिमायत कर रहे है - वो लोग यहा पर विभिन्न पदो पर थे और अभिषेक जी पर शराब (पॉर्न) के लिए बहुत बुरी तरह से दबाव बनाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन अभिषेक जी ने स्पष्ट मना कर दिया था। एक तो यहा पर उन्हे पद देकर इज्ज़त और सम्मान दिया गया, वही लोग इसे फिर से शराबखाने मे तब्दील करने के लिए एड़ी-चोटी एक करने लगे, अब आप ही बताईए कि उन्हे रोकने का प्रयास कैसे करना चाहिए था।

आत्म-सम्मान...... ये बात कुछ समझ मे नहीं आया।

abhisays
30-03-2011, 03:23 PM
सिर्फ नाम ही बदला गया है, फोरम तो वाही है, प्रविष्टियाँ और प्रशासक भी वाही हैं, फोरम पर पिछले पांच महीनो में जो सदस्यता बढ़ी वो किसी और फोरम के सदस्यों के आने के कारण बढ़ी थी, जो आपके असहयोग के कारण यहाँ से वापस चले गए.
यह तो आप भी अच्छी तरह से जानते हैं. अब पिछले दो मान की तरक्की के बारे में भी तो बताइए कि इन दो महीनो में फोरम ने अपने दम पर क्या चिराग जलाए हैं ?

मैं एक सच्चे हितैषी के नाते आपसे कह रहा हूँ कि यदि आप वास्तव में अपने फोरम को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं तो फोरम पर विध्वंसक रवैया छोड़ कर सही तरीके अपनाइए. सही और गलत की पहचान सही रूप से कीजिये.


http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9642&stc=1&d=1301480607



http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9641&stc=1&d=1301480550

ramya
30-03-2011, 03:38 PM
वाह...... यह एक सुशासक की प्रविष्टि है
आप ही कहते हैं कि बातों से गढ़ जीते जाते हैं और आप ही अपने फोरम के बेशकीमती सदस्यों के लिए इस प्रकार की टिपण्णी करते हैं.
आप उन्हें दूध पेश तो करते फिर देखते कि वो लोग यहाँ रुकना पसंद करते भी हैं या नहीं. यदि आप उनके लिए जहर परोसेंगे तो कोई यहाँ क्यों रुकना पसंद करेगा जनाब मोड़रेटर साहब ? पूर्वाग्रह त्याग कर इस फोरम की उन्नति में सहयोग कीजिये तो ज्यादा अच्छा होगा.

आत्म सम्मान के लिए लिखना परा

शाकिर भाई आपसे २ सवाल करने की जुर्रत कर रही हूँ ::


किन बेशकीमती सदस्यों की बात कर रहे हैं आप? जो वृधावस्था में भी वासना का त्याग नहीं कर पाए हैं?
चलिए अगर मान लिया जाये जो हुआ सो हुआ, अब इस फोरम को क्या करना चाहिए?

Sikandar_Khan
30-03-2011, 03:46 PM
सिर्फ नाम ही बदला गया है, फोरम तो वाही है, प्रविष्टियाँ और प्रशासक भी वाही हैं, फोरम पर पिछले पांच महीनो में जो सदस्यता बढ़ी वो किसी और फोरम के सदस्यों के आने के कारण बढ़ी थी, जो आपके असहयोग के कारण यहाँ से वापस चले गए.
यह तो आप भी अच्छी तरह से जानते हैं. अब पिछले दो मान की तरक्की के बारे में भी तो बताइए कि इन दो महीनो में फोरम ने अपने दम पर क्या चिराग जलाए हैं ?

मैं एक सच्चे हितैषी के नाते आपसे कह रहा हूँ कि यदि आप वास्तव में अपने फोरम को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं तो फोरम पर विध्वंसक रवैया छोड़ कर ही तरीके अपनाइए. सही और गलत की पहचान सही रूप से कीजिये.

फैज भाई
जो भी सदस्य या नियामक यहां से चले गए हैँ उससे उनकी मानसिकता का पता चलता है | एक उदहारण के रूप मे ये कहानी पढ़िए |
एक राजा था जिसके कोई संतान नही थी सारे प्रयास करने के बाद उसने एक संतान को गोद लेने का फैसला लिया |लेकिन कोई भी अपना बच्चा देने को तैयार न था अतः एक ढोमार (सुअर पालने वाला) ने अपना बच्चा राजा को दे दिया जिसका पालन पोषण राज महल मे होने लगा परन्तु वो जैसे जैसे बड़ा होने लगा तो वो अस्वस्थ्य रहने लगा | राजा ने सारे प्रयत्न किये हर सम्भव उपचार करवाए लेकिन उसके स्वास्थ्य मे कोई सुधार नही हुआ |
स्थिति और भी खराब
होती जा रही थी
अंत मे राजा ने एक बहुत बड़े जानकार वैद्य को बुलाया पूरा निरक्षण करने के बाद राजा से पूछा क्या ये आपका खुद का बेटा है
राजा ने बताया कि इसे
मैने गोद लिया था एक ढोमार से | तब वैद्य ने उसे उपाय बताया कि इसे आप सुअर के बाड़े मे बंद कर दो ये एकदम स्वस्थ्य हो जाएगा |राजा ने ऐसा ही किया और उसका बेटा स्वास्थ्य हो गया |राजा ने वैद्य को बुलाकर उससे पूंछा आपने ये चमत्कार कैसे किया ? तब वैद्य ने बताया ये एक ढोमार का बच्चा है जब तक इसे आपने इसे राजमहल मे ले तो आए लेकिन इसे इसकी खुराक (गन्दगी) नही मिल रही थी इसलिए ये बीमार रहने लगा |आपने वापस इसको वापस सुअर के बाड़े मे डालकर इसकी खुराक दे दिया जिससे ये स्वस्थ्य हो गया |

jitendragarg
30-03-2011, 06:12 PM
सबसे पहले तो ये बताये की फोरम से प्रतिबंधित सदस्य को वापिस क्यूँ बुलाया गया! उसको हटाया गया था क्यूंकि वो इतनी पोस्ट करने के बदले पैसे की मांग कर बैठा था. जिस पर मैं उसो बन किया था, और उसके बाद उसने फोन पर धमकाया तब सब लोग उसको बन करने के पक्ष में थे. फिर अभिषेक को आज अचानक क्या हुआ, जो उसको वापिस बुलाया गया. क्या ये इस बात का सबूत है, की वोह कुछ बोलने के काबिल नहीं रहे, इसलिए कुछ भी बात कर रहे है.

और जहाँ तक दारू वाली जो विसिटर मेसेज है, वो मजाक था, वो खुद जानते है! चार लाइन में से आधी लाइन उठा कर क्या दर्शाना चाहता है, की मैं दारूबाज हूँ. ये खुद जो दिन भर पीता रहता है, उसका क्या? और पीने से इस बात का क्या लेना की मैंने म्हणत नहीं की!

jitendragarg
30-03-2011, 06:18 PM
मैं क्यूँ माफ़ी मांगू! अभिषेक पिछले ९ महीने से ऐसी ही बातें कर रहा. ये आज अचानक से नहीं हुआ, सब पुराना हिसाब है. हमसफ़र के समय का किस्सा है ये.

jitendragarg
30-03-2011, 06:23 PM
पेप्सी चढ़ गयी क्या?

ये सब के सब पगला रहे है अचानक से इतनी बड़ी खबर सुन्नी पड़ी! इनको लगता सब ऐसे ही कर रहा हूँ मैं, पर इनको असली कारण तो अभी तक बताया ही नहीं! अभिषेक का ये ही रुख रहा तो असली कारण बताऊँगा, फिर देखेंगे, कौन कितने पानी में है!

Bholu
30-03-2011, 06:24 PM
फैज भाई
जो भी सदस्य या नियामक यहां से चले गए हैँ उससे उनकी मानसिकता का पता चलता है | एक उदहारण के रूप मे ये कहानी पढ़िए |
एक राजा था जिसके कोई संतान नही थी सारे प्रयास करने के बाद उसने एक संतान को गोद लेने का फैसला लिया |लेकिन कोई भी अपना बच्चा देने को तैयार न था अतः एक ढोमार (सुअर पालने वाला) ने अपना बच्चा राजा को दे दिया जिसका पालन पोषण राज महल मे होने लगा परन्तु वो जैसे जैसे बड़ा होने लगा तो वो अस्वस्थ्य रहने लगा | राजा ने सारे प्रयत्न किये हर सम्भव उपचार करवाए लेकिन उसके स्वास्थ्य मे कोई सुधार नही हुआ |
स्थिति और भी खराब
होती जा रही थी
अंत मे राजा ने एक बहुत बड़े जानकार वैद्य को बुलाया पूरा निरक्षण करने के बाद राजा से पूछा क्या ये आपका खुद का बेटा है
राजा ने बताया कि इसे
मैने गोद लिया था एक ढोमार से | तब वैद्य ने उसे उपाय बताया कि इसे आप सुअर के बाड़े मे बंद कर दो ये एकदम स्वस्थ्य हो जाएगा |राजा ने ऐसा ही किया और उसका बेटा स्वास्थ्य हो गया |राजा ने वैद्य को बुलाकर उससे पूंछा आपने ये चमत्कार कैसे किया ? तब वैद्य ने बताया ये एक ढोमार का बच्चा है जब तक इसे आपने इसे राजमहल मे ले तो आए लेकिन इसे इसकी खुराक (गन्दगी) नही मिल रही थी इसलिए ये बीमार रहने लगा |आपने वापस इसको वापस सुअर के बाड़े मे डालकर इसकी खुराक दे दिया जिससे ये स्वस्थ्य हो गया |

अच्छा कहानी थी राजा की भी
और सदस्यो के व्यवहार की भी

jitendragarg
30-03-2011, 06:30 PM
पोल जोड़ रह हूँ. देखे कितने लोग वास्तव में मेरे समर्थन में है. ये बात का रायता फेलने का कारण फिर बताऊँगा.

Bholu
30-03-2011, 06:34 PM
पोल जोड़ रह हूँ. देखे कितने लोग वास्तव में मेरे समर्थन में है. ये बात का रायता फेलने का कारण फिर बताऊँगा.

ठीक है जीतू जी

jitendragarg
30-03-2011, 06:44 PM
जीतेन्द्र भाई माफ कीजियेगा हमें
यहाँ निष्पक्ष फैसले होने ना मुमकिन लगते हैं मुझे

जब अभिषेक पूरी तरह खाई में उतरने को तैयार है, तो फिर क्या निष्पक्ष! अब तो सिर्फ आर पार की लड़ाई है! ९ महीने से एक ही बकवास सुन सुन कर पाक गया हूँ. हर बार, मैं कुछ आईडिया देता हूँ, तो अभिषेक का जवाब होता है, की तुम सिर्फ पोस्ट करो. नहीं तो आईडिया तो इतने है मेरे पास, की पूछो मत!

जैसे ही मुझे मेरे अधिकार मिले, सबसे पहले तो फोरम का कचरा साफ़ करूँगा, और इससे सुपरफास्ट बनूंगा. उसके बाद सदस्यों को यहाँ रुके रहने के इतने कारण दूंगा, की वो चाह कर भी फोरम से दूर नहीं रह पायेंगे. कांतेस्ट्स, नए नए अतिथि लेखक, आदि सब शुरू होगा, बस मुझे उन पर अमल करने लायक अधिकार मिले. नहीं तो, समझ लो, की फोरम की नईया तो डूबेगी ही. अकेले पोस्ट संख्या के बल पर कितना चलेगा फोरम. सदस्य एक हफ्ते नहीं आते फोरम पर, तो भी उन्हें कुछ फरक महसूस नहीं होता. जबकि हर दिन वापिस आने का बहाना ढूँढना चाहिए सदस्यों को! पर ऐसा जब होगा न, जब पोस्ट संख्या छोड़ कर कुछ और सोचा जायेगा.

आज भी अगर आप १००० पोस्ट कर रहे है हफ्ते भर में, तो कितनी भी गलती माफ है आपकी. चाहे फिर आप सभी नियामकों को गाली दे. अक्ष, गुना सब लोग फोरम इसलिए ही छोड़े थे, की हमसफ़र को वापिस अभिषेक ने बुला लिया था, सिर्फ पोस्ट संख्या देख कर! मैं सिर्फ फोरम छोडूंगा नहीं, अपने पुरे अधिकार लूँगा. या फिर एक साल की पूरी तनखा लेकर जाऊँगा. वैसे भी ऑफिस से ज्यादा मेहनत फोरम पर की है, तो तनखा दो, या पूरी इज्ज़त दो.

और वैसे अभिषेक को बता दूं, की मुझे प्रशाशक नहीं बनना है, मुझे सिर्फ लोगो से और बाकी सब जगह से अभिसय्स.कॉम का नाम हटवाना है. जब मैं भी मालिक हूँ, तो फोरम की url myhindiforum.com क्यूँ रहे?

jitendragarg
30-03-2011, 06:50 PM
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, जितेंद्र जी ने खुद ये फसाद खड़ा किया है, तो आप जितेंद्र जी को सलाह क्यों नहीं देते।

कब ठीक था सब कुछ! हमसफ़र को मैंने दो id उपयोग करने के कारण बन किया, तो अभिषेक ने उसका बन हटा दिया. जब बात हुई तो वो बोला, की उसके पोस्ट ज्यादा है, और तुझे कुछ समझ नहीं फोरम कैसे चलान है. ये शब्द उस व्यक्ति के, जो पहले मेरी ही सलाह पर फोरम में गेम का विभाग जोड़ रहा था.
और उसके बाद, हमसफ़र फोन पर बोला की वो सीर्फ अभिषेक की ही सुनेगा, क्यूंकि उसके अनुसार सिर्फ अभिषेक ही मालिक है यहाँ का. इस बात का खुद अभिषेक ने समर्थन किया था. इतना बड़ा बदलाव एक दिन में अचानक से आया! उससे पहले अभिषेक मुझे दोस्त बोलता था, और एक दिन में ही , वो अकेला अपने आप को शहंशाह मानने लगे.

Hamsafar+
30-03-2011, 06:51 PM
पोल जोड़ रह हूँ. देखे कितने लोग वास्तव में मेरे समर्थन में है. ये बात का रायता फेलने का कारण फिर बताऊँगा.
जनाब आप पता नहीं क्या साबित करना कहते हैं ???
अपना मसला खुद सुलझाओ , इस तरह नेता बनकर वोट क्यों मांगे जा रहे है ?????? हा हा हा ....
यदि माना भी जाये की फोरम की सुरुवात अभी और जीतू ने मिल कर की और म्हणत ..., पर आज जो भी आपके द्वारा ये सूत्र बनाकर किया जा रहा हे, उससे तो यही सवित हो रहा हे की खुद का मसला आपस में नहीं सुलझा , (या यूँ भी कहा जा सकता हे की पार्टनरशिप की डिमांड या शर्तें ????) तो बाकि लोगों के सामने ये सब बातें रखने का क्या मतलब ?

jitendragarg
30-03-2011, 06:53 PM
और ये अमित भिया किधर गए! तब तो बड़ा बोल रहे थे की मेरा समर्थन करेंगे! यहाँ अभिषेक आरोप पर आरोप लगा रहे और मेरा समर्थन कोई नहीं कर रहा! :bang-head: :bang-head:

Hamsafar+
30-03-2011, 06:54 PM
कब ठीक था सब कुछ! हमसफ़र को मैंने दो id उपयोग करने के कारण बन किया, तो अभिषेक ने उसका बन हटा दिया. जब बात हुई तो वो बोला, की उसके पोस्ट ज्यादा है, और तुझे कुछ समझ नहीं फोरम कैसे चलान है. ये शब्द उस व्यक्ति के, जो पहले मेरी ही सलाह पर फोरम में गेम का विभाग जोड़ रहा था.
और उसके बाद, हमसफ़र फोन पर बोला की वो सीर्फ अभिषेक की ही सुनेगा, क्यूंकि उसके अनुसार सिर्फ अभिषेक ही मालिक है यहाँ का. इस बात का खुद अभिषेक ने समर्थन किया था. इतना बड़ा बदलाव एक दिन में अचानक से आया! उससे पहले अभिषेक मुझे दोस्त बोलता था, और एक दिन में ही , वो अकेला अपने आप को शहंशाह मानने लगे.


हमसफ़र फोन पर बोला पर उसे फोन किसने किया. हमसफ़र ने तो किसी जीतेंद्र को फोन नहीं किया . अलबत्ता इनका ही फोन मेरे नंबर पे आया था !

Hamsafar+
30-03-2011, 06:57 PM
और ये अमित भिया किधर गए! तब तो बड़ा बोल रहे थे की मेरा समर्थन करेंगे! यहाँ अभिषेक आरोप पर आरोप लगा रहे और मेरा समर्थन कोई नहीं कर रहा! :bang-head: :bang-head:
bhai बन्दूक खुद के कंधे पे रख कर चलाओ :help:

jitendragarg
30-03-2011, 06:58 PM
हमसफ़र फोन पर बोला पर उसे फोन किसने किया. हमसफ़र ने तो किसी जीतेंद्र को फोन नहीं किया . अलबत्ता इनका ही फोन मेरे नंबर पे आया था !


मेरी याददास्त धोका दे रही है. ऐसा ही हुआ था क्या? जहाँ तक मुझे याद है, तुम अभिषेक के पीछे लगे हुए थे मेरे नंबर के लिए!

jitendragarg
30-03-2011, 07:00 PM
जनाब आप पता नहीं क्या साबित करना कहते हैं ???
अपना मसला खुद सुलझाओ , इस तरह नेता बनकर वोट क्यों मांगे जा रहे है ?????? हा हा हा ....
यदि माना भी जाये की फोरम की सुरुवात अभी और जीतू ने मिल कर की और म्हणत ..., पर आज जो भी आपके द्वारा ये सूत्र बनाकर किया जा रहा हे, उससे तो यही सवित हो रहा हे की खुद का मसला आपस में नहीं सुलझा , (या यूँ भी कहा जा सकता हे की पार्टनरशिप की डिमांड या शर्तें ????) तो बाकि लोगों के सामने ये सब बातें रखने का क्या मतलब ?

ये बात ९ महीने बाद सामने आ रही है! खुद का मसला खुद सोल्व होता तो फोरम की व्यवस्था को ऐसे ही भंग करते क्या? अब मुझे सदस्यों के समर्थन की जरूरत है. मैं जानता हूँ, अभिषेक ने तुम्हे पैसे देने का लालच देकर यहाँ वापिस बुलाया है पोस्ट बढ़ाने के लिए! पर जब ये झगडा खतम होगा तो उसके पास पैसे बचेंगे ही नहीं तुम्हे देने के लिए!

Hamsafar+
30-03-2011, 07:02 PM
मेरी याददास्त धोका दे रही है. ऐसा ही हुआ था क्या? जहाँ तक मुझे याद है, तुम अभिषेक के पीछे लगे हुए थे मेरे नंबर के लिए!
अभिषेक के पीछे मतलब क्या हे भैया या फिर से चढ़ा लियों हो ??:crazyeyes:

Hamsafar+
30-03-2011, 07:24 PM
ये बात ९ महीने बाद सामने आ रही है! खुद का मसला खुद सोल्व होता तो फोरम की व्यवस्था को ऐसे ही भंग करते क्या? अब मुझे सदस्यों के समर्थन की जरूरत है. मैं जानता हूँ, अभिषेक ने तुम्हे पैसे देने का लालच देकर यहाँ वापिस बुलाया है पोस्ट बढ़ाने के लिए! पर जब ये झगडा खतम होगा तो उसके पास पैसे बचेंगे ही नहीं तुम्हे देने के लिए!
अभिषेक ने मुझे पैसे देने के लिए ????
अभिषेक जी इसका जवाब दो जरा ....
वैसे फोरम के सदस्यों के लिए इतना ही कहूँगा जो व्यक्ति अपने बनाये हुए फोरम का नहीं हुआ (अभिषेक जी का ) वह वाकी सदस्यों से क्या घनिष्टता रखेगा , :think:सोच समझ के जवाब रखे मित्रों ...

Kumar Anil
30-03-2011, 07:30 PM
जब अभिषेक पूरी तरह खाई में उतरने को तैयार है, तो फिर क्या निष्पक्ष! अब तो सिर्फ आर पार की लड़ाई है! ९ महीने से एक ही बकवास सुन सुन कर पाक गया हूँ. हर बार, मैं कुछ आईडिया देता हूँ, तो अभिषेक का जवाब होता है, की तुम सिर्फ पोस्ट करो. नहीं तो आईडिया तो इतने है मेरे पास, की पूछो मत!

जैसे ही मुझे मेरे अधिकार मिले, सबसे पहले तो फोरम का कचरा साफ़ करूँगा, और इससे सुपरफास्ट बनूंगा. उसके बाद सदस्यों को यहाँ रुके रहने के इतने कारण दूंगा, की वो चाह कर भी फोरम से दूर नहीं रह पायेंगे. कांतेस्ट्स, नए नए अतिथि लेखक, आदि सब शुरू होगा, बस मुझे उन पर अमल करने लायक अधिकार मिले. नहीं तो, समझ लो, की फोरम की नईया तो डूबेगी ही. अकेले पोस्ट संख्या के बल पर कितना चलेगा फोरम. सदस्य एक हफ्ते नहीं आते फोरम पर, तो भी उन्हें कुछ फरक महसूस नहीं होता. जबकि हर दिन वापिस आने का बहाना ढूँढना चाहिए सदस्यों को! पर ऐसा जब होगा न, जब पोस्ट संख्या छोड़ कर कुछ और सोचा जायेगा.

आज भी अगर आप १००० पोस्ट कर रहे है हफ्ते भर में, तो कितनी भी गलती माफ है आपकी. चाहे फिर आप सभी नियामकों को गाली दे. अक्ष, गुना सब लोग फोरम इसलिए ही छोड़े थे, की हमसफ़र को वापिस अभिषेक ने बुला लिया था, सिर्फ पोस्ट संख्या देख कर! मैं सिर्फ फोरम छोडूंगा नहीं, अपने पुरे अधिकार लूँगा. या फिर एक साल की पूरी तनखा लेकर जाऊँगा. वैसे भी ऑफिस से ज्यादा मेहनत फोरम पर की है, तो तनखा दो, या पूरी इज्ज़त दो.

और वैसे अभिषेक को बता दूं, की मुझे प्रशाशक नहीं बनना है, मुझे सिर्फ लोगो से और बाकी सब जगह से अभिसय्स.कॉम का नाम हटवाना है. जब मैं भी मालिक हूँ, तो फोरम की url myhindiforum.com क्यूँ रहे?

जितेन्द्र जी ,
अगर आपको अपने मालिक से एक साल की तनख़्वाह नहीँ मिली है तो इसके लिये कोर्ट मेँ जायेँ । यहाँ क्योँ अखाड़ा बनाकर नूराकुश्ती लड़ रहे हैँ ।
जब आप अधिकार संपन्न थे तब आपने सदस्योँ के रुके रहने के लिये कौन से तीर मारे थे ?
आज आपको अचानक कौन सी संजीवनी बूटी मिल गयी है जो इस फोरम को सुपरफास्ट बना देँगे ।
नियमित प्रबन्धन ही सदस्योँ की उपस्थिति का बहाना होता है ।
अक्ष और गुना ने हमसफ़र जी के कारण फोरम नहीँ छोड़ा बल्कि प्रबन्धन के ऊपर नैतिक दबाब बनने पर जब उनका तमगा हटाया गया तभी उन्होँने फोरम छोड़ा और कहीँ न कहीँ वो पुराने संजाली है जो बिना तमगे के फोरम पर रहना अपनी शान के ख़िलाफ समझते हैँ । हमसफ़र जी पर आरोप निराधार हैँ ।
फोरम का नामकरण करते समय आप वयस्क हो चुके होँगे तब आपने इस नाम को क्योँ क़ुबूल किया था ?

Bholu
30-03-2011, 07:31 PM
जीतू जी अगर आप मेरी बात को गलत न समझ तो मै आप से कुछ पूछ सकता हूँ

abhisays
30-03-2011, 07:36 PM
अभिषेक ने मुझे पैसे देने के लिए ????
अभिषेक जी इसका जवाब दो जरा ....
वैसे फोरम के सदस्यों के लिए इतना ही कहूँगा जो व्यक्ति अपने बनाये हुए फोरम का नहीं हुआ (अभिषेक जी का ) वह वाकी सदस्यों से क्या घनिष्टता रखेगा , :think:सोच समझ के जवाब रखे मित्रों ...


अरे हुजुर, इस फोरम का कभी भी पैसे कमाना मकसद नहीं रहा है, मैं जो ९-६ नौकरी से जो पैसे बचाता हूँ, उससे यह फोरम चलता है, बंगलोर में किराये के मकान में रहता हूँ, सरकारी बसों में सफ़र करता हूँ. ऐसे में मैं कैसे किसी को पैसे ऑफर कर सकता हूँ.

jitendragarg
30-03-2011, 07:49 PM
जितेन्द्र जी ,
अगर आपको अपने मालिक से एक साल की तनख़्वाह नहीँ मिली है तो इसके लिये कोर्ट मेँ जायेँ । यहाँ क्योँ अखाड़ा बनाकर नूराकुश्ती लड़ रहे हैँ ।
जब आप अधिकार संपन्न थे तब आपने सदस्योँ के रुके रहने के लिये कौन से तीर मारे थे ?
आज आपको अचानक कौन सी संजीवनी बूटी मिल गयी है जो इस फोरम को सुपरफास्ट बना देँगे ।
नियमित प्रबन्धन ही सदस्योँ की उपस्थिति का बहाना होता है ।
अक्ष और गुना ने हमसफ़र जी के कारण फोरम नहीँ छोड़ा बल्कि प्रबन्धन के ऊपर नैतिक दबाब बनने पर जब उनका तमगा हटाया गया तभी उन्होँने फोरम छोड़ा और कहीँ न कहीँ वो पुराने संजाली है जो बिना तमगे के फोरम पर रहना अपनी शान के ख़िलाफ समझते हैँ । हमसफ़र जी पर आरोप निराधार हैँ ।
फोरम का नामकरण करते समय आप वयस्क हो चुके होँगे तब आपने इस नाम को क्योँ क़ुबूल किया था ?


मेरे पास हमेशा ही अधिकार नहीं रहे. शुरुआत से ही मैं सब चीज़ के लिए अभिषेक को बोलता रहा. प्रबंधन में होने के कारण सिर्फ पोस्ट को हटाने या इधर उधर करने के ही अधिकार है. उसके ज्यादा अधिकार होते तो मैं कुछ कहता क्या? हमसफ़र के समय से पहले कम से कम अभिषेक बात सुनते थे, अब तो सुनना ही बंद हो चूका है! कुछ महीने पहले में प्रतियोगिता शुरू कर रहा था, जिसमे जीतने वाले को हजारों का इनाम भी रखने की बात हुई थी. पर उसको अभिषेक ने मना किया जबकि मैं खुद पुरे पैसे खर्च करने को तैयार था. सोचो जब सामने वाले की ऐसी सोच हो, तो मेरी बातें क्या चलती. गेम का विभाग बनाने के लिए भी मुझे कितनी मेहनत करनी पड़ी थी समझाने में, मैं ही जनता हूँ.

फोरम का नाम, myhindiforum ही तय किया था. अभिसय्स.कॉम का तुर्रा तो उसमे बाद में जोड़ा गया था. वो सिर्फ इसलिए ताकि फोरम को शुरुआत में कुछ सदस्य मिल सके. पर उससे तो कुछ हुआ नहीं! बस मेरे नाम की कीमत ही खतम हुई! उसके ब्लॉग के हजारों अदास्यों में से कोई आज तक फोरम पर नहीं आया. अगर २% लोग भी उसमे से इधर जुड जाये तो अभिसय्स.कॉम का जो टुकड़ा लोगो में है, उसकी कीमत वसूल हो जायेगी. फिर अभी हर जगह mba interview के लिए भी जाते वक्त वो सिर्फ अपने आप को ही फोरम का मालिक बताता है. खैर मुझे कुछ समय तक इससे ज्यादा समस्या नहीं थी, क्यूंकि लोगो से जुड़ने का मौका तो मुझे मिल ही रहा था.

पर पिछले दो हफ्ते में जो नियामक छेत्र में बातें हो रही है, उनको सुनने के बाद मेरी मजबूरी है, की मुझे ये बात सब के सामने लानी पड़ी. और फिर नियामकों का जो चयन हुआ है, वो भी इसीलिए हुआ की सब के सब अभिषेक की बात मने. पर कम से कम कुछ लोग तो मेरी बात का फिर भी समर्थन कर रहे है, क्यूंकि वो जानते है, की अभिषेक कुछ जरूरत से ज्यादा ही सर चड गए है.

हमसफ़र पर कोई आरोप नहीं लगा रहा. उसने फोरम के नियम तोड़े, और मैंने उसे फोरम से प्रतिबंधित किया, पर अभिषेक बार बार उसको वापिस खीच कर लाता है. जब नियमों का पालन ही नहीं करना है, तो नियम क्यूँ बनाये, प्रबंधक की टीम क्यूँ तैयार की! सब भगवान भरोसे ही छोड़ देते!

jitendragarg
30-03-2011, 07:52 PM
अरे हुजुर, इस फोरम का कभी भी पैसे कमाना मकसद नहीं रहा है, मैं जो ९-६ नौकरी से जो पैसे बचाता हूँ, उससे यह फोरम चलता है, बंगलोर में किराये के मकान में रहता हूँ, सरकारी बसों में सफ़र करता हूँ. ऐसे में मैं कैसे किसी को पैसे ऑफर कर सकता हूँ.

इंडिका में सफर करते हो, जो कंपनी से मिली है, और बातें ऐसी! किराये के मकान का तो ऐसा है, की करोडो में मकान बिकेंगे, तो आधी से ज्यादा जनता किराये के मकान में ही रहेगी. वैसे भी मैं तुमसे बेकार हालत में हूँ, पर फिर भी तुम इस तरह की बातें कर रहे हो!

Bholu
30-03-2011, 07:55 PM
अभिषेक ने मुझे पैसे देने के लिए ????
अभिषेक जी इसका जवाब दो जरा ....
वैसे फोरम के सदस्यों के लिए इतना ही कहूँगा जो व्यक्ति अपने बनाये हुए फोरम का नहीं हुआ (अभिषेक जी का ) वह वाकी सदस्यों से क्या घनिष्टता रखेगा , :think:सोच समझ के जवाब रखे मित्रों ...

सत्य है भाई यहाँ मतलब की बात सुनने की तमन्ना होती है

jitendragarg
30-03-2011, 07:55 PM
अभिषेक के पीछे मतलब क्या हे भैया या फिर से चढ़ा लियों हो ??:crazyeyes:

५० बार उसको फोन किये थे. मेरे सामने की बात है, मुझे याद है! मैं मना किया उसको फोन नंबर देने लेने से! पर वो मेरा फोन नंबर भी बांटा. और अंत में मुझे तुम्हारी बातें सुन्नी पड़ी! फोरम पर पोस्ट के बदले तुम मुझसे पैसे मांगे थे, मुझे याद है. क्या कहा था, की "लाखों कमा के दिए है तुम लोगो को, १०००र्स भी मुझे नहीं दिए तुमने"! कौन से लाखों की बात कर रहे थे? आज तक फोरम पर सिर्फ पैसे लगाये थे हमने, उस पर आपका ऐसा रवैया!

sagar -
30-03-2011, 07:55 PM
जब अभिषेक पूरी तरह खाई में उतरने को तैयार है, तो फिर क्या निष्पक्ष! अब तो सिर्फ आर पार की लड़ाई है! ९ महीने से एक ही बकवास सुन सुन कर पाक गया हूँ. हर बार, मैं कुछ आईडिया देता हूँ, तो अभिषेक का जवाब होता है, की तुम सिर्फ पोस्ट करो. नहीं तो आईडिया तो इतने है मेरे पास, की पूछो मत!

जैसे ही मुझे मेरे अधिकार मिले, सबसे पहले तो फोरम का कचरा साफ़ करूँगा, और इससे सुपरफास्ट बनूंगा. उसके बाद सदस्यों को यहाँ रुके रहने के इतने कारण दूंगा, की वो चाह कर भी फोरम से दूर नहीं रह पायेंगे. कांतेस्ट्स, नए नए अतिथि लेखक, आदि सब शुरू होगा, बस मुझे उन पर अमल करने लायक अधिकार मिले. नहीं तो, समझ लो, की फोरम की नईया तो डूबेगी ही. अकेले पोस्ट संख्या के बल पर कितना चलेगा फोरम. सदस्य एक हफ्ते नहीं आते फोरम पर, तो भी उन्हें कुछ फरक महसूस नहीं होता. जबकि हर दिन वापिस आने का बहाना ढूँढना चाहिए सदस्यों को! पर ऐसा जब होगा न, जब पोस्ट संख्या छोड़ कर कुछ और सोचा जायेगा.

आज भी अगर आप १००० पोस्ट कर रहे है हफ्ते भर में, तो कितनी भी गलती माफ है आपकी. चाहे फिर आप सभी नियामकों को गाली दे. अक्ष, गुना सब लोग फोरम इसलिए ही छोड़े थे, की हमसफ़र को वापिस अभिषेक ने बुला लिया था, सिर्फ पोस्ट संख्या देख कर! मैं सिर्फ फोरम छोडूंगा नहीं, अपने पुरे अधिकार लूँगा. या फिर एक साल की पूरी तनखा लेकर जाऊँगा. वैसे भी ऑफिस से ज्यादा मेहनत फोरम पर की है, तो तनखा दो, या पूरी इज्ज़त दो.

और वैसे अभिषेक को बता दूं, की मुझे प्रशाशक नहीं बनना है, मुझे सिर्फ लोगो से और बाकी सब जगह से अभिसय्स.कॉम का नाम हटवाना है. जब मैं भी मालिक हूँ, तो फोरम की url myhindiforum.com क्यूँ रहे?
जितेन्द्र भाई अगर आप को प्रशासक नही बनना हे तो ये इतना ड्रामा क्यू कर रहे हो
फोरम का नाम ही चेज करना था तो उसके लिए आप सब को कह सकते थे

jitendragarg
30-03-2011, 07:57 PM
सत्य है भाई यहाँ मतलब की बात सुनने की तमन्ना होती है

भाई, फोरम का अपना नहीं होता, तो ९ महीने से ये बकवास नियामक छेत्र में नहीं हो रही होती. ये सब बात हो ही इसीलिए रही है, की फोरम के सदस्यों की सोच रहा हूँ! अगर अभिषेक का असली प्लान पता चलेगा, तो आप लोग खुद उनके खिलाफ बोलने लगोगे.

Bholu
30-03-2011, 07:59 PM
जितेन्द्र भाई अगर आप को प्रशासक नही बनना हे तो ये इतना ड्रामा क्यू कर रहे हो
फोरम का नाम ही चेज करना था तो उसके लिए आप सब को कह सकते थे

मोटा भाई बात और कुछ है

jitendragarg
30-03-2011, 08:01 PM
जितेन्द्र भाई अगर आप को प्रशासक नही बनना हे तो ये इतना ड्रामा क्यू कर रहे हो
फोरम का नाम ही चेज करना था तो उसके लिए आप सब को कह सकते थे

आप जब फोरम का url देखो एड्रेस बार में! सब जगह myhindiforum.com hi dikhta hai. फोरम का नाम myhindiforum है, तो वो नाम क्यूँ नहीं आता! कभी सोचा है आपने! क्यूंकि, ये फोरम सिर्फ अभिषेक के ब्लॉग की रंक बनाये रखने का काम करता है. अगर फोरम को अलग करेंगे तो उसका ब्लॉग डूबेगा, जिसको वो खुद चलने में सक्षम नहीं है! पर उस के कारण फोरम अभिसय्स.कॉम का एक हिस्सा ही है! और मेरी पहचान कहाँ है पुरे फोरम में! जरा आप धुंध कर बताये! सिवाए मोदेराटर की लिस्ट में एक नाम है, उसके अलावा कुछ नहीं!

jitendragarg
30-03-2011, 08:03 PM
मोटा भाई बात और कुछ है

बिलकुल सही सोचा आपने! बात कुछ और है, इसलिए ये सब हो रहा है! लेकिन मैं ये बात इसलिए नहीं रखना चाहता की फोरम के सदस्यों का जो विश्वास अभिषेक पर बचा है वो बचा रहे और इसका हल निकल लिया जाये. अगर जरूरत पड़ी तो आज रात को सारा काला चिट्टा खोलूँगा अभिषेक का. जब ये पर्सोनल मेसेज खुले आम पोस्ट करना शुरू कर रहा है, तो मैं क्यूँ रुकू!

और ये कुमार अनिल, और न्धेबर जी को वास्तव में कोई फरक नहीं पड़ता क्या की फोरम के कितने टुकड़े हो रहे है! फोरम को अपना मानने वाले लोग ऐसी सोच कबसे रखने लगे.

Bholu
30-03-2011, 08:04 PM
भाई, फोरम का अपना नहीं होता, तो ९ महीने से ये बकवास नियामक छेत्र में नहीं हो रही होती. ये सब बात हो ही इसीलिए रही है, की फोरम के सदस्यों की सोच रहा हूँ! अगर अभिषेक का असली प्लान पता चलेगा, तो आप लोग खुद उनके खिलाफ बोलने लगोगे.

तो आप हमारे होकर हमे धोखा क्यो दे रहे हो आगर आप सही हो तो उने गलत मन्शूबे के बारे मे बताओ या फिर इस सूत्र मे ताला मार दो

jitendragarg
30-03-2011, 08:09 PM
तो आप हमारे होकर हमे धोखा क्यो दे रहे हो आगर आप सही हो तो उने गलत मन्शूबे के बारे मे बताओ या फिर इस सूत्र मे ताला मार दो

जल्दी ही बताता हूँ! जब लोग अभिषेक को ही इस फोरम का इकलौता मालिक मानते है, तो उसका असली रूप आपके सामने रखना ही पड़ेगा!

Bholu
30-03-2011, 08:12 PM
जल्दी ही बताता हूँ! जब लोग अभिषेक को ही इस फोरम का इकलौता मालिक मानते है, तो उसका असली रूप आपके सामने रखना ही पड़ेगा!

क्या आप बताने मे कुछ सोच रहे है

jitendragarg
30-03-2011, 08:18 PM
क्या आप बताने मे कुछ सोच रहे है

लंबी बात है! फिर अगर वो खुल गयी तो फोरम के टुकड़े तो निश्चित है. इसलिए अभिषेक कको थोडा और मौका दे रहा हूँ, ये सब किस्से को जल्दी खतम करने का!

sagar -
30-03-2011, 08:22 PM
लंबी बात है! फिर अगर वो खुल गयी तो फोरम के टुकड़े तो निश्चित है. इसलिए अभिषेक कको थोडा और मौका दे रहा हूँ, ये सब किस्से को जल्दी खतम करने का!
किस्सा तो खत्म हो गया भाई अगर आप नाम ही चेज करना चाहते हो तो

और कोई डिमांड हे तो वो भी बता दो अभी

Bholu
30-03-2011, 08:25 PM
लंबी बात है! फिर अगर वो खुल गयी तो फोरम के टुकड़े तो निश्चित है. इसलिए अभिषेक कको थोडा और मौका दे रहा हूँ, ये सब किस्से को जल्दी खतम करने का!

आपकी बाते समझ मे नही आती
अगर अभि जी को मौका देना ही था तो उनी से pm या
vs पर बात कर लेते इतना बडा मुददा क्यो बनाया

jitendragarg
30-03-2011, 08:26 PM
किस्सा तो खत्म हो गया भाई अगर आप नाम ही चेज करना चाहते हो तो

और कोई डिमांड हे तो वो भी बता दो अभी

किस्सा कहाँ खतम हुआ! नाम अभी भी वही है! जरा ध्यान से देखो! जब तक फोरम अभिसय्स.कॉम से जुड़ा हुआ है, इसका कुछ भला नहीं होगा.

khalid
30-03-2011, 08:28 PM
जल्दी ही बताता हूँ! जब लोग अभिषेक को ही इस फोरम का इकलौता मालिक मानते है, तो उसका असली रूप आपके सामने रखना ही पड़ेगा!

जरुर रखो और जल्दी रखो इन्तेजार किस बात का हैँ क्या आपस मेँ सुलह होने का कर रहे हो

Bholu
30-03-2011, 08:30 PM
किस्सा तो खत्म हो गया भाई अगर आप नाम ही चेज करना चाहते हो तो

और कोई डिमांड हे तो वो भी बता दो अभी

मोटा भाई अब फोरम पर बेबजह बहस का माहौल बनता जा रहा है

sagar -
30-03-2011, 08:30 PM
किस्सा कहाँ खतम हुआ! नाम अभी भी वही है! जरा ध्यान से देखो! जब तक फोरम अभिसय्स.कॉम से जुड़ा हुआ है, इसका कुछ भला नहीं होगा.
मेरा कहने का मतलब ये हे की नाम चेज करवाना चाहते हो या कोई और भी माग हे आपकी

jitendragarg
30-03-2011, 08:30 PM
आपकी बाते समझ मे नही आती
अगर अभि जी को मौका देना ही था तो उनी से pm या
vs पर बात कर लेते इतना बडा मुददा क्यो बनाया

मौका सिर्फ फोरम बचने के लिए दे रहा हूँ. शांति तो बहुत समय से भंग थी. सदस्यों को नहीं पता तो क्या, नियामक जानते है, की कितने ही महीने से हालात कितने खराब है! और pm क्या, मेरे पास उसका फोन नंबर भी है. हम लोग बाहर अच्छे दोस्त हुआ करते थे. अभी भी 5km दूर रहते है. उससे ये बात सीधे भी की है, पर जब कोई हल नहीं, और नियामक भी आपस में बंट रहे, तो सदस्यों को बीच में लाना पड़ा! मुद्दा सिर्फ ये है, की वो मुझे बराबर का हक़दार माने. उससे ज्यादा कुछ नहीं! बाकी मुद्दे तो अपने आप सुलझ जायेंगे. पर अगर ये मुद्दा नहीं सुलझा तो बाकी बातें भी खुल कर आएँगी, और फिर तलवार खिचेंगी सरे आम!

jitendragarg
30-03-2011, 08:33 PM
जरुर रखो और जल्दी रखो इन्तेजार किस बात का हैँ क्या आपस मेँ सुलह होने का कर रहे हो

चाहत तो वही है. अगर मुझे फोरम का बराबर हक़दार बनाये, और फोरम को नए सर्वर पर डाले, तो अभिसय्स.कॉम से अलग इसकी पहचान बनायीं जा सकेगी. उसके बिना आगे जो भी भविष्य सोचा है, वो संभव नहीं! ये पक्का है, की अभिषेक का रुख ये ही रहा, और आप लोग इस मुद्दे पर पूरी तरह खुल कर बात करना चाहते हो, तो कल सुबह होने से पहले सब पता चल जायेगा!

Bholu
30-03-2011, 08:36 PM
मौका सिर्फ फोरम बचने के लिए दे रहा हूँ. शांति तो बहुत समय से भंग थी. सदस्यों को नहीं पता तो क्या, नियामक जानते है, की कितने ही महीने से हालात कितने खराब है! और pm क्या, मेरे पास उसका फोन नंबर भी है. हम लोग बाहर अच्छे दोस्त हुआ करते थे. अभी भी 5km दूर रहते है. उससे ये बात सीधे भी की है, पर जब कोई हल नहीं, और नियामक भी आपस में बंट रहे, तो सदस्यों को बीच में लाना पड़ा! मुद्दा सिर्फ ये है, की वो मुझे बराबर का हक़दार माने. उससे ज्यादा कुछ नहीं! बाकी मुद्दे तो अपने आप सुलझ जायेंगे. पर अगर ये मुद्दा नहीं सुलझा तो बाकी बातें भी खुल कर आएँगी, और फिर तलवार खिचेंगी सरे आम!

आप पहले अभि जी से बात करे और सबके सामने बताये क्या बात है क्योकि आपकी बातो के बाद दिमाग मे कीडा पैदा हो गया है

khalid
30-03-2011, 08:37 PM
किस्सा कहाँ खतम हुआ! नाम अभी भी वही है! जरा ध्यान से देखो! जब तक फोरम अभिसय्स.कॉम से जुड़ा हुआ है, इसका कुछ भला नहीं होगा.

क्या भला करना चाहते हैँ आप और अगर भला होगा तो किन लोगो का होग जरा खुल कर बताऐ

jitendragarg
30-03-2011, 08:38 PM
आप पहले अभि जी से बात करे और सबके सामने बताये क्या बात है क्योकि आपकी बातो के बाद दिमाग मे कीडा पैदा हो गया है

अभिषेक जब से ये बात मैंने खुले में राखी है, तब से फोन नहीं उठा रहा. पता नहीं क्या क्या हथकंडे अपना रहा है घर में छुपा हुआ!

khalid
30-03-2011, 08:42 PM
चाहत तो वही है. अगर मुझे फोरम का बराबर हक़दार बनाये, और फोरम को नए सर्वर पर डाले, तो अभिसय्स.कॉम से अलग इसकी पहचान बनायीं जा सकेगी. उसके बिना आगे जो भी भविष्य सोचा है, वो संभव नहीं! ये पक्का है, की अभिषेक का रुख ये ही रहा, और आप लोग इस मुद्दे पर पूरी तरह खुल कर बात करना चाहते हो, तो कल सुबह होने से पहले सब पता चल जायेगा!

ठिक हैँ अगर मौत नहीँ आई तो कल सुबह हीँ सही

Sikandar_Khan
30-03-2011, 08:45 PM
अभिषेक जब से ये बात मैंने खुले में राखी है, तब से फोन नहीं उठा रहा. पता नहीं क्या क्या हथकंडे अपना रहा है घर में छुपा हुआ!

गलत है तो फोन क्योँ उठाएंगे महाशय
अभी तो चौपाल पर थे

Bholu
30-03-2011, 08:48 PM
अभिषेक जब से ये बात मैंने खुले में राखी है, तब से फोन नहीं उठा रहा. पता नहीं क्या क्या हथकंडे अपना रहा है घर में छुपा हुआ!

हा हा हा
अरे भाई छुपा है
गर्ग जी आप ने तो आज मजा बान्ध दिया
लगता है आप लगा के बैठे है

saajid
30-03-2011, 09:11 PM
जनाब फैज साहब....
आपकी जानकारी के लिए बता दु कि आप जिन लोगो कि हिमायत कर रहे है - वो लोग यहा पर विभिन्न पदो पर थे और अभिषेक जी पर शराब (पॉर्न) के लिए बहुत बुरी तरह से दबाव बनाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन अभिषेक जी ने स्पष्ट मना कर दिया था। एक तो यहा पर उन्हे पद देकर इज्ज़त और सम्मान दिया गया, वही लोग इसे फिर से शराबखाने मे तब्दील करने के लिए एड़ी-चोटी एक करने लगे, अब आप ही बताईए कि उन्हे रोकने का प्रयास कैसे करना चाहिए था।

आत्म-सम्मान...... ये बात कुछ समझ मे नहीं आया।

जनाब ये सब मनगढ़ंत बातें हैं, जो आप लोगों को २-३ लोगों ने बताया,
क्या आपसे उनकी खुद की बात हुई ? सच सच बताना.
क्या आपने उन लोगों से पूछा कि उनके साथ क्या हुआ ?
मैंने पूछा है इसीलिए कह रहा हूँ

saajid
30-03-2011, 09:12 PM
फैज भाई
क्या उन्हे यहां नियामक नही बनाया गया था ?
लेकिन हम चाह कर भी किसी की मानसिकता नही बदल सकते हैँ |
अगर उन्हे ये फोरम पसन्द नही था तो दो महीनो का इंतेजार क्योँ किया ?
ए वी एफ के चालू होते ही सबने अपना पुराना चोला क्योँ पहन लिया ?
सिकन्दर भाई आप तो कई बातों से वाकिफ होने चाहियें, आप कि तो उनसे बात भी होती थी फिर भी आप ऐसी बात लिखते हैं, जरा दिल पर हाथ तो रखिये.

khalid
30-03-2011, 09:20 PM
सिकन्दर भाई आप तो कई बातों से वाकिफ होने चाहियें, आप कि तो उनसे बात भी होती थी फिर भी आप ऐसी बात लिखते हैं, जरा दिल पर हाथ तो रखिये.

भाई मैँ आपकी बातोँ से सहमत हुँ कई बाते वाकई मुझे और सिकन्दर भाई को पता हैँ हाँ सिकन्दर भाई कुछ ज्यादा पता होगा

Bholu
30-03-2011, 09:22 PM
मेरे कम लवजो कुछ कह रहा हूँ
अभि जी आप सही है तो मै आपके साथ है
बात खतम
दुकान बन्द

VIDROHI NAYAK
30-03-2011, 09:37 PM
साफ़ सी बात है ! अगर फोरम निर्माण के वक्त जितेन्द्र जी का भी सहयोग था तो उन्हें इसका हक मिलना चाहिए ! इस बात को अब अभिषेक जी भी क़ुबूल करते हैं ! अब फोरम के चल निकलने पर किसी को मक्खी की तरह निकल देन बिलकुल गलत है ! दूसरी बात क्या व्यक्तिगत समर्थन के लिए क्या फोरम नियमों में छणिक तब्दीली संभव है ? क्योंकि मैंने देखा है की एक शख्स कभी प्रतिषिद्ध दीखते हैं तो कभी अति विशिष्ट सदस्य ! यह मात्र एक प्रश्न है और अगर ऐसा संभव है तो यह तो सरासर मनमानी है ! इससे तो यही ज़ाहिर होता है की इस फोरम से बढ़कर भी कोई है जिसको सर्वाधिकार है नियमों में तब्दीली का ! यह तो संप्रभु वाली बात ही हुई न की अगर रियासत में रहना है तो संप्रभु की सहना है ! जहाँ तक हक मिलने या न मिलने का सवाल है तो प्रविष्टियाँ अभिषेक जी की भी कुछ खास नहीं होती ! ऐसे में ये प्रविष्टी या सूत्र का मुद्दा क्यों ? अभिषेक जी एक बात और ध्यान रखियेगा , मित्रता से बढ़कर कुछ नहीं होता ...कुछ भी नहीं ! और मित्रता में पूर्णतः ईमानदारी की अत्यंत आव्यशकता होती है !

saajid
30-03-2011, 09:42 PM
और ये अमित भिया किधर गए! तब तो बड़ा बोल रहे थे की मेरा समर्थन करेंगे! यहाँ अभिषेक आरोप पर आरोप लगा रहे और मेरा समर्थन कोई नहीं कर रहा! :bang-head: :bang-head:
जायज़ मांगो के लिए मैं खुले आम आपका समर्थन करता हूँ
और कितने समर्थन चाहिए आपको बताएं ढेर लगा देंगे

saajid
30-03-2011, 09:44 PM
साफ़ सी बात है ! अगर फोरम निर्माण के वक्त जितेन्द्र जी का भी सहयोग था तो उन्हें इसका हक मिलना चाहिए ! इस बात को अब अभिषेक जी भी क़ुबूल करते हैं ! अब फोरम के चल निकलने पर किसी को मक्खी की तरह निकल देन बिलकुल गलत है ! दूसरी बात क्या व्यक्तिगत समर्थन के लिए क्या फोरम नियमों में छणिक तब्दीली संभव है ? क्योंकि मैंने देखा है की एक शख्स कभी प्रतिषिद्ध दीखते हैं तो कभी अति विशिष्ट सदस्य ! यह मात्र एक प्रश्न है और अगर ऐसा संभव है तो यह तो सरासर मनमानी है ! इससे तो यही ज़ाहिर होता है की इस फोरम से बढ़कर भी कोई है जिसको सर्वाधिकार है नियमों में तब्दीली का ! यह तो संप्रभु वाली बात ही हुई न की अगर रियासत में रहना है तो संप्रभु की सहना है ! जहाँ तक हक मिलने या न मिलने का सवाल है तो प्रविष्टियाँ अभिषेक जी की भी कुछ खास नहीं होती ! ऐसे में ये प्रविष्टी या सूत्र का मुद्दा क्यों ? अभिषेक जी एक बात और ध्यान रखियेगा , मित्रता से बढ़कर कुछ नहीं होता ...कुछ भी नहीं ! और मित्रता में पूर्णतः ईमानदारी की अत्यंत आव्यशकता होती है !


सही कहा तांत्या एक सदस्य गलत हो सकता है एक नियामक गलत हो सकता है एक फोरम गलत हो सकता है पर इन्ही का उदाहरण देख लो क्या कहें अब

Sikandar_Khan
30-03-2011, 09:46 PM
सिकन्दर भाई आप तो कई बातों से वाकिफ होने चाहियें, आप कि तो उनसे बात भी होती थी फिर भी आप ऐसी बात लिखते हैं, जरा दिल पर हाथ तो रखिये.

फैज भाई
मैने क्या गलत लिखा है ? जो सच है वो सबको पता है मेरे कहने या ना कहने से कोई फर्क नही पड़ता है |

Sikandar_Khan
30-03-2011, 09:50 PM
जनाब ये सब मनगढ़ंत बातें हैं, जो आप लोगों को २-३ लोगों ने बताया,
क्या आपसे उनकी खुद की बात हुई ? सच सच बताना.
क्या आपने उन लोगों से पूछा कि उनके साथ क्या हुआ ?
मैंने पूछा है इसीलिए कह रहा हूँ

फैज भाई
सत्य यही है कि उनकी अश्लीलता मे रुचि है
इसीलिए उन्हे ये मंच पसन्द नही आया |
सिर्फ टाईमपास करने
आए थे

abhisays
30-03-2011, 09:52 PM
अगर सदस्य समझते है की मैं गलत हूँ, और जीतेन्द्र जी सही हैं, तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तयार हूँ.

मेरे इस्तीफे का क्या अर्थ होगा.

१. जीतेन्द्र गर्ग फोरम का प्रशासक हो जायेंगे.
२. अभिसय्स.कॉम इस फोरम से अलग हो जायेगा.
३. Url में अभिसय्स.कॉम आना बंद हो जायेगा.
४. फोरम पर मैं एक सामान्य सदस्य रह जाऊँगा.

saajid
30-03-2011, 09:53 PM
फैज भाई
मैने क्या गलत लिखा है ? जो सच है वो सबको पता है मेरे कहने या ना कहने से कोई फर्क नही पड़ता है |
नहीं भाईजान सब को नहीं पता है अगर प्रबंधन में पारदर्शिता होती आज जीतेन्दर भाई को शिकायत न होती और ये बात आपने सही कहा के आप के कहने से यहाँ कोई फरक नहीं परता

saajid
30-03-2011, 09:57 PM
फैज भाई
सत्य यही है कि उनकी अश्लीलता मे रुचि है
इसीलिए उन्हे ये मंच पसन्द नही आया |
सिर्फ टाईमपास करने
आए थे
आप ये किस आधार पर कह रहें हैं जब सारी बातें खुल ही रही हैं तो ये भी बता ही दें
व्यवहार भी मायने रखता है और मैं यहाँ केवल आपके कारण आया था

VIDROHI NAYAK
30-03-2011, 09:57 PM
अगर सदस्य समझते है की मैं गलत हूँ, और जीतेन्द्र जी सही हैं, तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तयार हूँ.

मेरे इस्तीफे का क्या अर्थ होगा.

१. जीतेन्द्र गर्ग फोरम का प्रशासक हो जायेंगे.
२. अभिसय्स.कॉम इस फोरम से अलग हो जायेगा.
३. Url में अभिसय्स.कॉम आना बंद हो जायेगा.
४. फोरम पर मैं एक सामान्य सदस्य रह जाऊँगा.
नहीं आपकी भी ज़रूरत है हमें ! हम यह कभी नहीं कहते की आप इस फोरम के मात्र एक सदस्य रह जाएँ ! क्या ऐसा नहीं हो सकता की दोनों अपने कार्यछेत्र बाँट लें और आपस में दखलंदाजी न करें? क्या ऐसा नही हो सकता की फोरम का नाम से किसी एक व्यक्ति की छवि से बाहर निकले ? क्या यह सब संभव नहीं है ? हम तो बस इस फोरम को ऊँचाइयों पर देखना चाहते है ! बस और बस !

saajid
30-03-2011, 09:58 PM
अगर सदस्य समझते है की मैं गलत हूँ, और जीतेन्द्र जी सही हैं, तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तयार हूँ.

मेरे इस्तीफे का क्या अर्थ होगा.

१. जीतेन्द्र गर्ग फोरम का प्रशासक हो जायेंगे.
२. अभिसय्स.कॉम इस फोरम से अलग हो जायेगा.
३. Url में अभिसय्स.कॉम आना बंद हो जायेगा.
४. फोरम पर मैं एक सामान्य सदस्य रह जाऊँगा.

देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है

saajid
30-03-2011, 09:59 PM
नहीं आपकी भी ज़रूरत है हमें ! हम यह कभी नहीं कहते की आप इस फोरम के मात्र एक सदस्य रह जाएँ ! क्या ऐसा नहीं हो सकता की दोनों अपने कार्यछेत्र बाँट लें और आपस में दखलंदाजी न करें? क्या ऐसा नही हो सकता की फोरम का नाम से किसी एक व्यक्ति की छवि से बाहर निकले ? क्या यह सब संभव नहीं है ? हम तो बस इस फोरम को ऊँचाइयों पर देखना चाहते है ! बस और बस !
इत्मीनान रखो तांत्या ऐसा कुछ नहीं होने वाला

Bholu
30-03-2011, 10:05 PM
अगर सदस्य समझते है की मैं गलत हूँ, और जीतेन्द्र जी सही हैं, तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तयार हूँ.

मेरे इस्तीफे का क्या अर्थ होगा.

१. जीतेन्द्र गर्ग फोरम का प्रशासक हो जायेंगे.
२. अभिसय्स.कॉम इस फोरम से अलग हो जायेगा.
३. Url में अभिसय्स.कॉम आना बंद हो जायेगा.
४. फोरम पर मैं एक सामान्य सदस्य रह जाऊँगा.

आप चलो मै आपके साथ हूँ यहाँ मे my hindi forum मे नही आया था
आया था तो अभिसेस के नाम से आया था

abhisays
30-03-2011, 10:24 PM
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है

बस आपको जल्द ही पता चल जायेगा, किसकी बाजुओ में कितना दम है.

abhisays
30-03-2011, 10:29 PM
नहीं भाईजान सब को नहीं पता है अगर प्रबंधन में पारदर्शिता होती आज जीतेन्दर भाई को शिकायत न होती और ये बात आपने सही कहा के आप के कहने से यहाँ कोई फरक नहीं परता


इसका फैसला जल्द ही हो जायेगा बंधू, बस कुछ ही घंटो की बात है. भारत मैच जीत चूका है हम भी विजयी होकर ही आयेगे. :banalama:

Sikandar_Khan
30-03-2011, 10:29 PM
आप ये किस आधार पर कह रहें हैं जब सारी बातें खुल ही रही हैं तो ये भी बता ही दें
व्यवहार भी मायने रखता है और मैं यहाँ केवल आपके कारण आया था
फैज भाई
अगर ऐसा नही था तो इस फोरम को छोड़कर जाने कि क्या जरूरत थी ?
मै खालिद भाई और भी सदस्य जो इसी फोरम पर
बने हुवे हैँ उस फोरम के चालू होने पर भी हमने इस फोरम को नही छोड़ा
और न ही हमे फोरम के किसी सदस्य से
शिकायत है |न ही हमारा आज तक किसी से विवाद हुआ जिस कारण मुझे ये फोरम छोड़ना पड़े |
जानकर अच्छा लगा कि आप हमसे प्रेरित होकर इस फोरम पर आए थेँ
हमारी ओर से आपको कभी कोई शिकायत न होगी |
ये मेरा प्रयास रहेगा

Bholu
30-03-2011, 10:32 PM
बस आपको जल्द ही पता चल जायेगा, किसकी बाजुओ में कितना दम है.

लगता है आप मुझे याद रखना नही चाहते कोई गलती हुई क्या

abhisays
30-03-2011, 10:34 PM
लगता है आप मुझे याद रखना नही चाहते कोई गलती हुई क्या


आप तो मायहिंदी फोरम के मजबूत स्तम्भ हैं, आपको कौन भूल सकता है.

hindireporter
30-03-2011, 10:36 PM
बोलना तो में भी बहुत कुछ चाहता हूँ लेकिन सिर्फ यही कहना चाहूँगा की मुझे सिकंदर जी से ये उम्मीद नहीं थी जैसी बाते वो कर रहे हैं .
दोस्तों जो भी बातें करें तथ्यों के आधार पर करें और किसी की बुराई करने से पहले अच्छी तरह सोच लें .

Sikandar_Khan
30-03-2011, 10:37 PM
नहीं भाईजान सब को नहीं पता है अगर प्रबंधन में पारदर्शिता होती आज जीतेन्दर भाई को शिकायत न होती और ये बात आपने सही कहा के आप के कहने से यहाँ कोई फरक नहीं पडता
प्रबंधन की पारदर्शिता का भी आपको एक दो दिन मे पता चल जाएगा |
मुश्किल मौकोँ पर हम सदस्योँ की राय लेना
जरूरी समझते हैँ
जिससे हम एक अच्छा फैसला कर सकेँ |
अगर पारदर्शिता न होती तो ये सूत्र नियामक क्षेत्र मे होता आपको कुछ भी पता न चलता लेकिन हम प्रबंधन भी सदस्योँ की राय से चलाना चाहते हैँ |

Bholu
30-03-2011, 10:39 PM
आप तो मायहिंदी फोरम के मजबूत स्तम्भ हैं, आपको कौन भूल सकता है.

लेकिन आपके साथ अभि जी

abhisays
30-03-2011, 10:41 PM
बोलना तो में भी बहुत कुछ चाहता हूँ लेकिन सिर्फ यही कहना चाहूँगा की मुझे सिकंदर जी से ये उम्मीद नहीं थी जैसी बाते वो कर रहे हैं .
दोस्तों जो भी बातें करें तथ्यों के आधार पर करें और किसी की बुराई करने से पहले अच्छी तरह सोच लें .

रिपोर्टर साहब आपके बारे में हमें पूरी जानकारी है, आप तो खैर तथ्यों की बात ना ही करे तो अच्छा हो, आप यहाँ नियामक थे फिर भी आपको यहाँ कोई interest नहीं था, दिन भर गेम खेलते रहते थे.

जल्द ही पर्दा उठेगा आप सभी लोग भौचक्के रह जायेंगे.

hindireporter
30-03-2011, 10:41 PM
फैज भाई
अगर ऐसा नही था तो इस फोरम को छोड़कर जाने कि क्या जरूरत थी ?
मै खालिद भाई और भी सदस्य जो इसी फोरम पर
बने हुवे हैँ उस फोरम के चालू होने पर भी हमने इस फोरम को नही छोड़ा
और न ही हमे फोरम के किसी सदस्य से
शिकायत है |न ही हमारा आज तक किसी से विवाद हुआ जिस कारण मुझे ये फोरम छोड़ना पड़े |
जानकर अच्छा लगा कि आप हमसे प्रेरित होकर इस फोरम पर आए थेँ
हमारी ओर से आपको कभी कोई शिकायत न होगी |
ये मेरा प्रयास रहेगा
आपके कहने का अर्थ है की जो सदस्य आपकी तरह दोनों फोरम में जाते हैं जैसे खालिद जी ,कुमार अनिल जी , विद्रोही नायक जी आदि वो सब ठीक हैं लेकिन जो सदस्य ने यहाँ आना बंद कर दिया है वो सब गलत हैं ?
दोस्त कोई भी व्यक्ति क्या करता है नेट पर ,कहाँ जाता है ,कहाँ नहीं जाता इसके आधार पर किसी की बुराई करना सर्वथा अनुचित है , क्या सबूत है की यहाँ पर उपस्थित सभी सदस्य किसी भी ऐसी वैसी साईट पर कभी नहीं जाते या जायेंगे फिर इस प्रकार से दूसरों को केरेक्टर सर्टिफिकेट बांटने का क्या फायदा .

Sikandar_Khan
30-03-2011, 10:41 PM
बोलना तो में भी बहुत कुछ चाहता हूँ लेकिन सिर्फ यही कहना चाहूँगा की मुझे सिकंदर जी से ये उम्मीद नहीं थी जैसी बाते वो कर रहे हैं .
दोस्तों जो भी बातें करें तथ्यों के आधार पर करें और किसी की बुराई करने से पहले अच्छी तरह सोच लें .

आप पहले तो अपना परिचय देँ
मुखौटा लगाकर वार्तालाप मे मजा नही आएगी
अगर कुछ गलत कहा है
तो आप सच सामने लाएं

hindireporter
30-03-2011, 10:46 PM
रिपोर्टर साहब आपके बारे में हमें पूरी जानकारी है, आप तो खैर तथ्यों की बात ना ही करे तो अच्छा हो, आप यहाँ नियामक थे फिर भी आपको यहाँ कोई interest नहीं था, दिन भर गेम खेलते रहते थे.

जल्द ही पर्दा उठेगा आप सभी लोग भौचक्के रह जायेंगे.
हमें इन्तजार है .

Sikandar_Khan
30-03-2011, 10:47 PM
आपके कहने का अर्थ है की जो सदस्य आपकी तरह दोनों फोरम में जाते हैं जैसे खालिद जी ,कुमार अनिल जी , विद्रोही नायक जी आदि वो सब ठीक हैं लेकिन जो सदस्य ने यहाँ आना बंद कर दिया है वो सब गलत हैं ?
दोस्त कोई भी व्यक्ति क्या करता है नेट पर ,कहाँ जाता है ,कहाँ नहीं जाता इसके आधार पर किसी की बुराई करना सर्वथा अनुचित है , क्या सबूत है की यहाँ पर उपस्थित सभी सदस्य किसी भी ऐसी वैसी साईट पर कभी नहीं जाते या जायेंगे फिर इस प्रकार से दूसरों को केरेक्टर सर्टिफिकेट बांटने का क्या फायदा .
आपने जितने भी नाम गिनाए वो कहीँ भी जाते हो इससे हमे कोई फर्क नही पड़ता है
अच्छी बात तो ये है कि उनका महत्वपूर्ण योगदान यहां भी जारी है
मुंह चुराकर भागने से क्या होगा सच्चाई का डट कर सामना करो
तभी आपकी सच्चाई सामने आएगी

abhisays
30-03-2011, 10:49 PM
reporter ji अपनी असली ID से आइये... तब बातचीत में मज़ा आये..... हम लोग मुखौटा लगा कर बात करने में यकीन नहीं रखते..

Sikandar_Khan
30-03-2011, 10:51 PM
हमें इन्तजार है .

बस थोड़ा इंतेजार और

hindireporter
30-03-2011, 10:52 PM
आप पहले तो अपना परिचय देँ
मुखौटा लगाकर वार्तालाप मे मजा नही आएगी
अगर कुछ गलत कहा है
तो आप सच सामने लाएं
में आपका एक पुराना दोस्त गुल्लू हूँ, कहने तो जा रहा था बहुत कुछ लेकिन अभिषेक जी की अभिव्यक्ति देख कर रुक गया हूँ ,इनकी एक ही पोस्ट से इनकी मानसिकता व्यक्त हो गई है और यहाँ पर कुछ भी कहना बेकार समझता हूँ .
नमस्कार करता हूँ और अनुरोध करता हूँ की ये मानकर की में यहाँ पर नहीं आया था , आप अपना वार्तालाप जारी रखें .
धन्यवाद
इस फोरम पर अंतिम पोस्ट करने से पहले भी कुछ कहना चाहता था लेकिन ...................

......
अलविदा .
(जो भी आप हमारे बारे में कहें स्वीकार्य है ,सच्चाई का फैसला आप और हम नहीं कर सकते )

abhisays
30-03-2011, 10:55 PM
में आपका एक पुराना दोस्त गुल्लू हूँ, कहने तो जा रहा था बहुत कुछ लेकिन अभिषेक जी की अभिव्यक्ति देख कर रुक गया हूँ ,इनकी एक ही पोस्ट से इनकी मानसिकता व्यक्त हो गई है और यहाँ पर कुछ भी कहना बेकार समझता हूँ .
नमस्कार करता हूँ और अनुरोध करता हूँ की ये मानकर की में यहाँ पर नहीं आया था , आप अपना वार्तालाप जारी रखें .
धन्यवाद
इस फोरम पर अंतिम पोस्ट करने से पहले भी कुछ कहना चाहता था लेकिन ...................

......
अलविदा .
(जो भी आप हमारे बारे में कहें स्वीकार्य है ,सच्चाई का फैसला आप और हम नहीं कर सकते )



मित्र आप अभी भी हम सभी के उतने ही अच्छे दोस्त है, हमारे विचार अलग है, वैचारिक मतभेद है.. लेकिंग मन भेद नहीं है.

आपके लिए हम लोग हमेशा स्वागत के लिए खड़े हैं.

aapki nazar mein sacchai kuch aur है to jarur bataye.

sagar -
30-03-2011, 10:57 PM
में आपका एक पुराना दोस्त गुल्लू हूँ, कहने तो जा रहा था बहुत कुछ लेकिन अभिषेक जी की अभिव्यक्ति देख कर रुक गया हूँ ,इनकी एक ही पोस्ट से इनकी मानसिकता व्यक्त हो गई है और यहाँ पर कुछ भी कहना बेकार समझता हूँ .
नमस्कार करता हूँ और अनुरोध करता हूँ की ये मानकर की में यहाँ पर नहीं आया था , आप अपना वार्तालाप जारी रखें .
धन्यवाद
इस फोरम पर अंतिम पोस्ट करने से पहले भी कुछ कहना चाहता था लेकिन ...................

......
अलविदा .
(जो भी आप हमारे बारे में कहें स्वीकार्य है ,सच्चाई का फैसला आप और हम नहीं कर सकते )गुलू भाई आप तो सच्चाई की बात ना ही करे तो अच्छा होगा आपकी सचाई देखि मेने सच को दबाने वाला आज सच की बात कर रहा हे ....???

amit_tiwari
30-03-2011, 11:03 PM
जनाब ये सब मनगढ़ंत बातें हैं, जो आप लोगों को २-३ लोगों ने बताया,
क्या आपसे उनकी खुद की बात हुई ? सच सच बताना.
क्या आपने उन लोगों से पूछा कि उनके साथ क्या हुआ ?
मैंने पूछा है इसीलिए कह रहा हूँ

यार उन कुंठितों की वकालत का मौका ना धुन्धो, ये बात जीतू भाई की हो रही है |

और अगर आपकी उनसे बात हुई है तो फिर गुस्सा मेरे ऊपर निकालिए सिकंदर भाई पे नहीं |

भाई, फोरम का अपना नहीं होता, तो ९ महीने से ये बकवास नियामक छेत्र में नहीं हो रही होती. ये सब बात हो ही इसीलिए रही है, की फोरम के सदस्यों की सोच रहा हूँ! अगर अभिषेक का असली प्लान पता चलेगा, तो आप लोग खुद उनके खिलाफ बोलने लगोगे.

कोई बीच की बात नहीं करनी जितेन्द्र भाई | अब बस पोल होगा और हमें पूरा विश्वास है की आप ही जीतेंगे

amit_tiwari
30-03-2011, 11:05 PM
में आपका एक पुराना दोस्त गुल्लू हूँ, कहने तो जा रहा था बहुत कुछ लेकिन अभिषेक जी की अभिव्यक्ति देख कर रुक गया हूँ ,इनकी एक ही पोस्ट से इनकी मानसिकता व्यक्त हो गई है और यहाँ पर कुछ भी कहना बेकार समझता हूँ .
नमस्कार करता हूँ और अनुरोध करता हूँ की ये मानकर की में यहाँ पर नहीं आया था , आप अपना वार्तालाप जारी रखें .
धन्यवाद
इस फोरम पर अंतिम पोस्ट करने से पहले भी कुछ कहना चाहता था लेकिन ...................

......
अलविदा .
(जो भी आप हमारे बारे में कहें स्वीकार्य है ,सच्चाई का फैसला आप और हम नहीं कर सकते )

THANK YOU AND PLEASE KEEP YOUR FRIENDS OFF TOO :clappinghands::clappinghands::clappinghands::clap pinghands:

amit_tiwari
30-03-2011, 11:12 PM
सबसे पहले एक बात मैं कुछ अदृश्य बेतालों को बता दूँ की हम फोरम की बेहतरी के लिए बेहतर विकल्प खोज रहे हैं बस !!! इससे उन्हें कोई मौका नहीं मिलने वाला इसलिए अपना बेकार वक्त और बेकार ना करें |

Sikandar_Khan
30-03-2011, 11:13 PM
में आपका एक पुराना दोस्त गुल्लू हूँ, कहने तो जा रहा था बहुत कुछ लेकिन अभिषेक जी की अभिव्यक्ति देख कर रुक गया हूँ ,इनकी एक ही पोस्ट से इनकी मानसिकता व्यक्त हो गई है और यहाँ पर कुछ भी कहना बेकार समझता हूँ .
नमस्कार करता हूँ और अनुरोध करता हूँ की ये मानकर की में यहाँ पर नहीं आया था , आप अपना वार्तालाप जारी रखें .
धन्यवाद
इस फोरम पर अंतिम पोस्ट करने से पहले भी कुछ कहना चाहता था लेकिन ...................

......
अलविदा .
(जो भी आप हमारे बारे में कहें स्वीकार्य है ,सच्चाई का फैसला आप और हम नहीं कर सकते )

गुल्लू भाई
नमस्कार
आपको इस प्रकार मुंह चुराने की क्या जरूरत थी अगर आप सही थे तो आपको सच्चाई का डाटकर सामना करना था
सच्चा आदमी अगर मुंह छुपाकर भाग जाता है
तो उसे गलत ही समझा जाता है
आप मे अगर सच्चाई है तो अपने बात यहां रखेँ
तो सभी को आपके बारे मे पता चलेगा

jitendragarg
30-03-2011, 11:38 PM
अभिषेक भाई, बात ऐसी है, की यहाँ डिप्लोमसी बहुत दिखा रहे हो. सच का सामना तो कर नहीं सके, वरना मुझे कोई शौक नहीं था खुले आम कपडे फाड़ने का. सीधे सीधे सब को बता भी दो, की सही कारण क्या है, या फिर मुझे ही मुह खोलना पड़ेगा उस बारे में भी!

और भाई लोग, ये जो पुराने नियामकों की बात हो रही है, तो बता दूं, की कारण बहुत से थे जिनके वजह से वो यहाँ से गए. उस बारे में बात करना बेफिजूल है. लेकिन उसके बाद नए नियामक चुनते वक्त किसी ने मेरी सलाह भी नहीं मांगी. भूमीजी को सिर्फ महिला होने के कारण नियामक बना दिया. :gimmebreak: आज भी वो सिर्फ चौपाल पर आती है, उसके अलावा फोरम के लिए नए नए रास्ते ढूँढना उन्हें आता ही नहीं. अगर प्रबंधन दिन भर चौपाल पर बैठा रहेगा, तो नया काम कैसे होगा! और तो और, जहाँ हम ये बातें कर रहे है, अभिषेक चौपाल पर गुप्शुप कर रहे है या मैच देख रहे थे. उसके बाद ये अपने आपको बहुत ज्यादा महान समझ रहे है. :furious::chair: अगर इतना ही फोरम का हित सोचना है, तो ऐसे समय पर चौपाल की जगह यहाँ उत्तर देना चाहिए न! :violent::quarrel:

amit_tiwari
31-03-2011, 12:06 AM
अभिषेक भाई, बात ऐसी है, की यहाँ डिप्लोमसी बहुत दिखा रहे हो. सच का सामना तो कर नहीं सके, वरना मुझे कोई शौक नहीं था खुले आम कपडे फाड़ने का. सीधे सीधे सब को बता भी दो, की सही कारण क्या है, या फिर मुझे ही मुह खोलना पड़ेगा उस बारे में भी!

और भाई लोग, ये जो पुराने नियामकों की बात हो रही है, तो बता दूं, की कारण बहुत से थे जिनके वजह से वो यहाँ से गए. उस बारे में बात करना बेफिजूल है. लेकिन उसके बाद नए नियामक चुनते वक्त किसी ने मेरी सलाह भी नहीं मांगी. भूमीजी को सिर्फ महिला होने के कारण नियामक बना दिया. :gimmebreak: आज भी वो सिर्फ चौपाल पर आती है, उसके अलावा फोरम के लिए नए नए रास्ते ढूँढना उन्हें आता ही नहीं. अगर प्रबंधन दिन भर चौपाल पर बैठा रहेगा, तो नया काम कैसे होगा! और तो और, जहाँ हम ये बातें कर रहे है, अभिषेक चौपाल पर गुप्शुप कर रहे है या मैच देख रहे थे. उसके बाद ये अपने आपको बहुत ज्यादा महान समझ रहे है. :furious::chair: अगर इतना ही फोरम का हित सोचना है, तो ऐसे समय पर चौपाल की जगह यहाँ उत्तर देना चाहिए न! :violent::quarrel:

अरे बस ऐसे ही है सब नियामकों की कहानी |

जीतू भाई आप तो बस सभी मेम्बरान को वो अपना प्लान बताइए की अगर आप एडमिन बने तो क्या क्या सुविधाएं मिलेंगी उन्हें | मुझे विश्वास है की उसके बाद कोई अभी क्या कभी भी अभी नाम नहीं लेगा |

jitendragarg
31-03-2011, 12:09 AM
अगर सदस्य समझते है की मैं गलत हूँ, और जीतेन्द्र जी सही हैं, तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तयार हूँ.

मेरे इस्तीफे का क्या अर्थ होगा.

१. जीतेन्द्र गर्ग फोरम का प्रशासक हो जायेंगे.
२. अभिसय्स.कॉम इस फोरम से अलग हो जायेगा.
३. Url में अभिसय्स.कॉम आना बंद हो जायेगा.
४. फोरम पर मैं एक सामान्य सदस्य रह जाऊँगा.


तुम्हारे इस्तीफे से क्या होगा! मुझे सिर्फ एक ही चीज़ चाहिए. myhindiforum अलग से एक साईट हो, अभिसय्स.कॉम का पार्ट नहीं! नया सर्वर, दो एडमिन, और बराबर बटा हुआ काम! जब तक, अभिसय्स.कॉम और myhindiforum एक साथ रहेंगे, तब तक ये बात घूम फिर कर वापिस आएगी. इसलीये सब कुछ अलग करते है, ताकि इस फोरम पर भी तुम्हारी दिलचस्पी उतनी ही रहे जितनी ब्लॉग पर रहती है.


वैसे भी बार बार इस्तीफ़ा देने की बात वो ही नेता करता है, जो खुद को गलत मानता है. अगर तुम खुद को सही मानते हो तो डर क्यूँ रहे हो.


इस्तीफ़ा देने की बात तो ऐसे कर रहे हो, जैसे सिर्फ मेरी ही मेहनत है. जब दोनों की बराबर मेहनत तो सब कुछ बराबर होना चाहिए. इस्तीफ़ा देने के बाद तुम नाटक न करो, ऐसा हो सकता है भला! उसके बाद तो तुम्हे फोरम पर मनमर्जी हरकत करने का लिसेंस मिल जायेगा. :gun::bash::argue::quarrel::boxing::ranting::viole nt:

amit_tiwari
31-03-2011, 12:18 AM
:quarrel::ranting:

इन दोनों के वार्तालाप को हिंदी में लिखिए ज़रा |

jitendragarg
31-03-2011, 12:47 AM
अरे बस ऐसे ही है सब नियामकों की कहानी |

जीतू भाई आप तो बस सभी मेम्बरान को वो अपना प्लान बताइए की अगर आप एडमिन बने तो क्या क्या सुविधाएं मिलेंगी उन्हें | मुझे विश्वास है की उसके बाद कोई अभी क्या कभी भी अभी नाम नहीं लेगा |

उससे पहले अभिषेक की सारी पोल खोलूँगा. ऐसे ही पापड़ नहीं बेले मैंने फोरम को नाम दिलाने में! दुनिया को उसका असली चेहरा दिखाना है. ये जो मबा कॉलेज की पढाई से सीख लेकर दोनों तरफ की बाते सिर्फ इस बात को कुछ दिन और टालने के लिए है. ताकि ये बात टलती रहे, और वो मेरी वाली डील हाथ से निकल जाये. फिर जब उसकी पसंद की डील ही बचेगी तो मेरे पास ज्यादा मौका नहीं रह जायेगा. लेकिन ये होने से पहले मुझे सभी का समर्थन जुटाना है. अगर अधिकतर सदस्य की हाँ है, तो दूसरी डील से भी फोरम का भला ही होना है. खैर छोडो, अभी ये डील वाली बात को आगे नही बढ़ाते. वैसे भी मुझे मेरे समर्थक कम ही लग रहे. चौपाल पर बैठ बैठ के अभिषेक ने सिर्फ लोगो का समर्थन ही हासिल किया है,. फोरम में जितने भी नए सुझाव है, मैं ही लेकर आया हूँ.

फिर भी लोगो को याद नहीं, तो कुछ अपने आईडिया याद दिलाता हूँ, जो जैसे तैसे करके मैंने अमल करवाए थे.

१) गेम विभाग! ताकि सदस्यों को यहाँ आते रहने का बहाना मिले.
२) हर त्यौहार, पर्व पर नया लोगो.
३) हर वक्त बढते इस्माइली!
४) ट्विट्टर और फसबूक
५) प्रोफाइल का ऊपर की जगह पोस्ट के लेफ्ट में दिखना.
६) फोरम सदस्यों के कुछ लेख का ब्लॉग पर प्रकाशन और ब्लॉग के सभी लेख का फोरम पर प्रकाशन, ताकि ब्लॉग के हजारो लोग भी आकार फोरम से जुड़े.

.....
और जब ये सारे आईडिया में ला रहा था, तब अभिषेक चौपाल पर बैठ कर दोस्त बना रहा था, ताकि जब वो मुझे यहाँ से भगाए तो उसको पूरा समर्थन मिले.


कई नए आईडिया है मेरे पास. पर अब जब अभिषेक पूरी तरह से मुझे इग्नोर करेगा तो उन पर कैसे अमल करू. कुछ आईडिया जो अमल करने है:

१) हर तीन महीने कांटेस्ट पुरे एक हफ्ते का. कम से कम २०००रु. का इनाम हर बार.
२) विश्वविद्यालयों से हिंदी, संस्कृत के प्रोफेस्सर द्वारा नए नए लेख
३) हिंदी व्याकरण की कक्षा, ऑडियो में, और लिखित में भी!
४) बड़ी बड़ी फिल्मो के रिलीस के वक्त उनसे सम्बंधित कांटेस्ट, और इनाम में फिल्म के टिकेट, आपके घर के सबसे पास के सिनेमा हॉल में पहले दिन के पहले शो के!
५) हिंदी अखबारों में रविवार को छापने वाले बड़े बड़े लेख, जस के तस! ताकि जो अखबार नहीं खरीदते या खरीद सकते, वो भी ऐसे शानदार लेख को पढ़ सके.
६) सभी स्मिले का एक समान साइज!
७) youtube जैसे, फसबूक, और अन्य विडियो साईट से विडियो लिंक देने का आप्शन.
८) हर हफ्ते एक सदस्य का प्रोफाइल फसबूक पेज पर "featured member" के नाम से! जिनसे न सिर्फ आप यहाँ सदस्यों से जुडेंगे, बल्कि फसबूक फेंस से भी!
९) कर्मठ सदस्यों को अलग अलग कैटेगोरी में पुरुष्कार, जैसे सबसे अच्छा सूत्र, सबसे मजेदार सदस्य, सबसे सहायक सदस्य.
१०) फोरम के नाम और डिफॉल्ट लोगो वाली टी-शर्ट, सभी नियामकों के लिए. बाकी सदस्यों को इनाम में जीत सकने का आप्शन!
११) हर हफ्ते नए नए गेम, और हर हफ्ते एक टूर्नामेंट, एक ओपन challenge, किसी नियामक और सभी सदस्यों के बीच (टूर्नामेंट और challenge का गेम हर हफ्ते अलग अलग, ताकि आप को हर हफ्ते एक नया गेम का प्रक्टिस करना पड़े).
१२) हर गेम (जो गेम विभाग में है) के लिए एक सूत्र, जहाँ आप अपने स्कोर का स्क्रीनशॉट, या चीट कोड, ट्रिक वगेरह बाँट सके, और एक दुसरे से उस गेम के बारे में चर्चा कर सके.
१३) फोरम का अपना खुद का ब्लॉग, जिस पर सरे लेख हिंदी में. फोरम का हर कांटेस्ट के विन्नर का नाम, फसबूक में फीचर्ड सदस्य का नाम, इस हफ्ते का सर्वश्रेष्ठ सूत्र, जैसी चीज़े फोरम के ब्लॉग पर भी.
१४) फोरम का नया नाम merahindiforum.com. माय अंग्रेजी का शब्द है, हिंदी नहीं!
.... उसके अलावा कुछ १० -१२ छोटे छोटे बदलाव!


ये सारे बदलाव करने के लिए मैं जो पैसा लगेगा, अकेले लगाने को तैयार हूँ, पर उसके लिए बराबर अधिकार तो होने चाहिए. जब में फोरम का लोगो बदलने का भी अधिकार नहीं रखता तो इतने सारे नए बदलाव कैसे करूँगा.

jitendragarg
31-03-2011, 12:52 AM
इन दोनों के वार्तालाप को हिंदी में लिखिए ज़रा |

छोडो यार.. तुम जानते ही हो, की कैसा वार्तालाप हो रहा है उनके बीच! :censored:

वैसे, मैं चला सोने. अब इस बात पर कल ही चर्चा करेंगे. शुभ रात्री! :sleep::sleep:

झटका
31-03-2011, 12:55 AM
इस तरह सार्वजानिक रूप से प्रदर्शन कर हित अहित की बात करने का एक ही मतलब है की इसमें हम भी शामिल हो सकतें है ...
क्या किसी को इससे कोई समस्या है हमारे शामिल होने से ?

Sikandar_Khan
31-03-2011, 05:35 AM
इस तरह सार्वजानिक रूप से प्रदर्शन कर हित अहित की बात करने का एक ही मतलब है की इसमें हम भी शामिल हो सकतें है ...
क्या किसी को इससे कोई समस्या है हमारे शामिल होने से ?

झटका जी
आपका स्वागत है
आप भी अपने अमूल्य विचार रखेँ |

jitendragarg
31-03-2011, 09:43 AM
सब के सब किधर! ऐसे ही समर्थन मिलेगा तो हो गया कल्याण फोरम का! :bang-head:

saajid
31-03-2011, 09:48 AM
फैज भाई
अगर ऐसा नही था तो इस फोरम को छोड़कर जाने कि क्या जरूरत थी ?
मै खालिद भाई और भी सदस्य जो इसी फोरम पर
बने हुवे हैँ उस फोरम के चालू होने पर भी हमने इस फोरम को नही छोड़ा
और न ही हमे फोरम के किसी सदस्य से
शिकायत है |न ही हमारा आज तक किसी से विवाद हुआ जिस कारण मुझे ये फोरम छोड़ना पड़े |
जानकर अच्छा लगा कि आप हमसे प्रेरित होकर इस फोरम पर आए थेँ
हमारी ओर से आपको कभी कोई शिकायत न होगी |
ये मेरा प्रयास रहेगा

मैं एक फोरम के सफल प्रशासक को शीशा दिखा रहा हूँ. जिन्होंने सिर्फ २ या ३ सदस्यों के कहने पर ३०० सदस्यों से हाथ धोया.
आपकी ही यह भाषा उनके लिए है जो यहाँ सिर्फ आपके विश्वास पर कुछ करने आये थे.

३. (वो गर्म मसालों के व्यापारी थे, इस फोरम में वो लोग वही कुछ करता चाहते थें. )

क्या यह शब्द किसी अच्छे प्रशासक के अपने सदस्यों के लिए हो सकते हैं ? जरा सोचिये और कहिये कि कौन गलत है ?

saajid
31-03-2011, 09:50 AM
प्रबंधन की पारदर्शिता का भी आपको एक दो दिन मे पता चल जाएगा |
मुश्किल मौकोँ पर हम सदस्योँ की राय लेना
जरूरी समझते हैँ
जिससे हम एक अच्छा फैसला कर सकेँ |
अगर पारदर्शिता न होती तो ये सूत्र नियामक क्षेत्र मे होता आपको कुछ भी पता न चलता लेकिन हम प्रबंधन भी सदस्योँ की राय से चलाना चाहते हैँ |
क्या बात है ऐसा लगता है के मैं सूरज को दिया दिखा रहा हूँ :bang-head:

saajid
31-03-2011, 09:54 AM
यार उन कुंठितों की वकालत का मौका ना धुन्धो, ये बात जीतू भाई की हो रही है |

और अगर आपकी उनसे बात हुई है तो फिर गुस्सा मेरे ऊपर निकालिए सिकंदर भाई पे नहीं |





अमित भैया मैं किसी की वकालत नहीं कर रहा किसी की भी नहीं ये बात सिर्फ और सिर्फ सही गलत की हो रही है
सिकंदर भाई से इस लिए कहा क्यूँकी वो सच जानते हुए भी अनजान बन रहे हैं

saajid
31-03-2011, 09:57 AM
अरे बस ऐसे ही है सब नियामकों की कहानी |

जीतू भाई आप तो बस सभी मेम्बरान को वो अपना प्लान बताइए की अगर आप एडमिन बने तो क्या क्या सुविधाएं मिलेंगी उन्हें | मुझे विश्वास है की उसके बाद कोई अभी क्या कभी भी अभी नाम नहीं लेगा |
हाँ और हमें इनसब से क्या लेना देना
हम लोग तो सिर्फ विशुद्ध मनोरंजन चाहते हैं

Sikandar_Khan
31-03-2011, 10:15 AM
मैं एक फोरम के सफल प्रशासक को शीशा दिखा रहा हूँ. जिन्होंने सिर्फ २ या ३ सदस्यों के कहने पर ३०० सदस्यों से हाथ धोया.
आपकी ही यह भाषा उनके लिए है जो यहाँ सिर्फ आपके विश्वास पर कुछ करने आये थे.

३. (वो गर्म मसालों के व्यापारी थे, इस फोरम में वो लोग वही कुछ करता चाहते थें. )

क्या यह शब्द किसी अच्छे प्रशासक के अपने सदस्यों के लिए हो सकते हैं ? जरा सोचिये और कहिये कि कौन गलत है ?

फैज भाई
हम चाह कर भी उनको बांधकर नही रख सकते थे इस फोरम के पुराने नियामकोँ को छोड़कर शायद ही कुछ सदस्य वहां गए हैँ |मै कुछ नाम लिखता हूँ ये क्योँ छोड़कर नही गए
1.भूमि जी
2.अरविन्द जी
3.खालिद जी
4.पंकज जी
5.बोन्ड जी
7.अभय जी
8.अमित जी
9.अनिल जी
10.हमसफर जी
11.भोलू जी
12.सागर जी
13.कल्याण जी
14. कुरम जी
15.नमन जी
16.निशांत जी
17.सिकन्दर
18.विद्रोही नायक
अगर यहां के प्रशासक गलत थे तो इन सदस्योँ को भी चले जाना चाहिए था |

Sikandar_Khan
31-03-2011, 10:19 AM
क्या बात है ऐसा लगता है के मैं सूरज को दिया दिखा रहा हूँ :bang-head:

आप भी इस फोरम परिवार का हिस्सा हो फोरम की भलाई ही चाहते होगे |

saajid
31-03-2011, 10:22 AM
इतना मैं टेंशन नहीं लेता
सीधा सदा सच्चा आदमी हूँ झूट बर्दाश्त नहीं करता जिसकी बात उसी के मुंह पर कहने की आदत है मुझे
मेरे लिए फोरम हित सर्वोपरी है और जीतेन्द्र जी का नजरिया काफी आशाजनक है

saajid
31-03-2011, 10:40 AM
आप भी कुछ जाने पहचाने से लगे

वन्दे मातरम भाई
अरे वाह आप यहाँ हैं मेरा अभी ध्यान गया क्या समाचार है उत्तर के

Sikandar_Khan
31-03-2011, 10:44 AM
इतना मैं टेंशन नहीं लेता
सीधा सदा सच्चा आदमी हूँ झूट बर्दाश्त नहीं करता जिसकी बात उसी के मुंह पर कहने की आदत है मुझे
मेरे लिए फोरम हित सर्वोपरी है और जीतेन्द्र जी का नजरिया काफी आशाजनक है
फैज भाई
आप ही बताईए आपको क्या खामी नजर आती है इस फोरम प्रबंधन मे ?

Sikandar_Khan
31-03-2011, 10:55 AM
अमित भैया मैं किसी की वकालत नहीं कर रहा किसी की भी नहीं ये बात सिर्फ और सिर्फ सही गलत की हो रही है
सिकंदर भाई से इस लिए कहा क्यूँकी वो सच जानते हुए भी अनजान बन रहे हैं

फैज भाई
शायद उस सच से हम अंजान होँ
आप ही बताएं ऐसा कौन सा सच है जरा हमे भी
तो पता चले ?
आप हमेँ कब से जानते है ?

khalid
31-03-2011, 11:16 AM
मैं एक फोरम के सफल प्रशासक को शीशा दिखा रहा हूँ. जिन्होंने सिर्फ २ या ३ सदस्यों के कहने पर ३०० सदस्यों से हाथ धोया.
आपकी ही यह भाषा उनके लिए है जो यहाँ सिर्फ आपके विश्वास पर कुछ करने आये थे.


फैज भाई आप की बात मेँ दम हैँ और ऐसा ही हुवा हैँ

saajid
31-03-2011, 11:22 AM
फैज भाई आप की बात मेँ दम हैँ और ऐसा ही हुवा हैँ
मैं सत्य कहने में कभी नहीं हिचकता खालिद भाई :bang-head:
शायद केमिकल लोचा है

Sikandar_Khan
31-03-2011, 11:49 AM
फैज भाई आप की बात मेँ दम हैँ और ऐसा ही हुवा हैँ

अगर ऐसा हुआ है
तो उसका डटकर सामना करना चाहिए न कि मुंह छुपाकर भागना कायरता कहलाता है
हमारे साथ भी युवराज का ऐसा ही कुछ हुआ था
लेकिन हमने मैदान नही छोड़ा और डटकर सामना किया परिणाम आपके सामने है |

abhisays
31-03-2011, 11:50 AM
मैं सत्य कहने में कभी नहीं हिचकता खालिद भाई :bang-head:
शायद केमिकल लोचा है

सत्य का पता सबको जल्द ही चल जायेगा.

arvind
31-03-2011, 11:56 AM
उससे पहले अभिषेक की सारी पोल खोलूँगा. ऐसे ही पापड़ नहीं बेले मैंने फोरम को नाम दिलाने में! दुनिया को उसका असली चेहरा दिखाना है. ये जो मबा कॉलेज की पढाई से सीख लेकर दोनों तरफ की बाते सिर्फ इस बात को कुछ दिन और टालने के लिए है. ताकि ये बात टलती रहे, और वो मेरी वाली डील हाथ से निकल जाये. फिर जब उसकी पसंद की डील ही बचेगी तो मेरे पास ज्यादा मौका नहीं रह जायेगा. लेकिन ये होने से पहले मुझे सभी का समर्थन जुटाना है. अगर अधिकतर सदस्य की हाँ है, तो दूसरी डील से भी फोरम का भला ही होना है. खैर छोडो, अभी ये डील वाली बात को आगे नही बढ़ाते. वैसे भी मुझे मेरे समर्थक कम ही लग रहे. चौपाल पर बैठ बैठ के अभिषेक ने सिर्फ लोगो का समर्थन ही हासिल किया है,. फोरम में जितने भी नए सुझाव है, मैं ही लेकर आया हूँ.

फिर भी लोगो को याद नहीं, तो कुछ अपने आईडिया याद दिलाता हूँ, जो जैसे तैसे करके मैंने अमल करवाए थे.

१) गेम विभाग! ताकि सदस्यों को यहाँ आते रहने का बहाना मिले.
२) हर त्यौहार, पर्व पर नया लोगो.
३) हर वक्त बढते इस्माइली!
४) ट्विट्टर और फसबूक
५) प्रोफाइल का ऊपर की जगह पोस्ट के लेफ्ट में दिखना.
६) फोरम सदस्यों के कुछ लेख का ब्लॉग पर प्रकाशन और ब्लॉग के सभी लेख का फोरम पर प्रकाशन, ताकि ब्लॉग के हजारो लोग भी आकार फोरम से जुड़े.

.....
और जब ये सारे आईडिया में ला रहा था, तब अभिषेक चौपाल पर बैठ कर दोस्त बना रहा था, ताकि जब वो मुझे यहाँ से भगाए तो उसको पूरा समर्थन मिले.


कई नए आईडिया है मेरे पास. पर अब जब अभिषेक पूरी तरह से मुझे इग्नोर करेगा तो उन पर कैसे अमल करू. कुछ आईडिया जो अमल करने है:

१) हर तीन महीने कांटेस्ट पुरे एक हफ्ते का. कम से कम २०००रु. का इनाम हर बार.
२) विश्वविद्यालयों से हिंदी, संस्कृत के प्रोफेस्सर द्वारा नए नए लेख
३) हिंदी व्याकरण की कक्षा, ऑडियो में, और लिखित में भी!
४) बड़ी बड़ी फिल्मो के रिलीस के वक्त उनसे सम्बंधित कांटेस्ट, और इनाम में फिल्म के टिकेट, आपके घर के सबसे पास के सिनेमा हॉल में पहले दिन के पहले शो के!
५) हिंदी अखबारों में रविवार को छापने वाले बड़े बड़े लेख, जस के तस! ताकि जो अखबार नहीं खरीदते या खरीद सकते, वो भी ऐसे शानदार लेख को पढ़ सके.
६) सभी स्मिले का एक समान साइज!
७) youtube जैसे, फसबूक, और अन्य विडियो साईट से विडियो लिंक देने का आप्शन.
८) हर हफ्ते एक सदस्य का प्रोफाइल फसबूक पेज पर "featured member" के नाम से! जिनसे न सिर्फ आप यहाँ सदस्यों से जुडेंगे, बल्कि फसबूक फेंस से भी!
९) कर्मठ सदस्यों को अलग अलग कैटेगोरी में पुरुष्कार, जैसे सबसे अच्छा सूत्र, सबसे मजेदार सदस्य, सबसे सहायक सदस्य.
१०) फोरम के नाम और डिफॉल्ट लोगो वाली टी-शर्ट, सभी नियामकों के लिए. बाकी सदस्यों को इनाम में जीत सकने का आप्शन!
११) हर हफ्ते नए नए गेम, और हर हफ्ते एक टूर्नामेंट, एक ओपन challenge, किसी नियामक और सभी सदस्यों के बीच (टूर्नामेंट और challenge का गेम हर हफ्ते अलग अलग, ताकि आप को हर हफ्ते एक नया गेम का प्रक्टिस करना पड़े).
१२) हर गेम (जो गेम विभाग में है) के लिए एक सूत्र, जहाँ आप अपने स्कोर का स्क्रीनशॉट, या चीट कोड, ट्रिक वगेरह बाँट सके, और एक दुसरे से उस गेम के बारे में चर्चा कर सके.
१३) फोरम का अपना खुद का ब्लॉग, जिस पर सरे लेख हिंदी में. फोरम का हर कांटेस्ट के विन्नर का नाम, फसबूक में फीचर्ड सदस्य का नाम, इस हफ्ते का सर्वश्रेष्ठ सूत्र, जैसी चीज़े फोरम के ब्लॉग पर भी.
१४) फोरम का नया नाम merahindiforum.com. माय अंग्रेजी का शब्द है, हिंदी नहीं!
.... उसके अलावा कुछ १० -१२ छोटे छोटे बदलाव!


ये सारे बदलाव करने के लिए मैं जो पैसा लगेगा, अकेले लगाने को तैयार हूँ, पर उसके लिए बराबर अधिकार तो होने चाहिए. जब में फोरम का लोगो बदलने का भी अधिकार नहीं रखता तो इतने सारे नए बदलाव कैसे करूँगा.
अरे वाह, तो जितेंद्र जी ने चुनावी घोषणा पत्र भी तैयार कर लिया.... धन्य है।

khalid
31-03-2011, 12:02 PM
मैं सत्य कहने में कभी नहीं हिचकता खालिद भाई :bang-head:
शायद केमिकल लोचा है

हिचकना भी नहीँ चाहिए लेकिन सुनने वाला हो तभी ना अगर कोई ना सुने तो बोलकर फायदा क्या हैँ आज अगर जितेन्द्र जी और सदस्य जोर शोर से उठा रहे हैँ अभिषेक जी ने गलत कर रहे हैँ उस वक्त क्योँ नहीँ बोले जब फोरम प्रबंधन एक के बाद एक अपना फैसला बदल रहे थे जो नायक भाई ने उठाया हैँ एक वक्त कोई प्रतिशिध्द हैँ थोडी देर बाद वही सदस्य मजे से फोरम पर शिष्ट या कर्मठ सदस्य बन कर घुमते थे लेकिन तब जलन का एहशाश किसी को नहीँ होता था आज पता लग रहा हैँ जलन क्या होती हैँ
एक बात याद आरहा हैँ हमसफर भाई और युवराज भाई मेँ मजाक हो रहा था vm पर और युवराज भाई सब मैसेज को डिलीट मार दिया था तो गर्ग जी ने युवी भाई को मैसेज करके पुछा था अगर हमसफर जी आपको परेशान कर रहा हैँ तो आप शिकायत किजीए मतलब यह था की उन्हेँ बैन क्या जा सके ऐसे और पता नहीँ कितनी कहानियाँ जुडा हुवा हैँ फोरम प्रबंधन मेँ

jitendragarg
31-03-2011, 12:55 PM
हिचकना भी नहीँ चाहिए लेकिन सुनने वाला हो तभी ना अगर कोई ना सुने तो बोलकर फायदा क्या हैँ आज अगर जितेन्द्र जी और सदस्य जोर शोर से उठा रहे हैँ अभिषेक जी ने गलत कर रहे हैँ उस वक्त क्योँ नहीँ बोले जब फोरम प्रबंधन एक के बाद एक अपना फैसला बदल रहे थे जो नायक भाई ने उठाया हैँ एक वक्त कोई प्रतिशिध्द हैँ थोडी देर बाद वही सदस्य मजे से फोरम पर शिष्ट या कर्मठ सदस्य बन कर घुमते थे लेकिन तब जलन का एहशाश किसी को नहीँ होता था आज पता लग रहा हैँ जलन क्या होती हैँ
एक बात याद आरहा हैँ हमसफर भाई और युवराज भाई मेँ मजाक हो रहा था vm पर और युवराज भाई सब मैसेज को डिलीट मार दिया था तो गर्ग जी ने युवी भाई को मैसेज करके पुछा था अगर हमसफर जी आपको परेशान कर रहा हैँ तो आप शिकायत किजीए मतलब यह था की उन्हेँ बैन क्या जा सके ऐसे और पता नहीँ कितनी कहानियाँ जुडा हुवा हैँ फोरम प्रबंधन मेँ

भाई, इन बातों पर नियामक छेत्र में महीनो से बहस चल रही है, इसलिए फोरम पर कुछ भी नया नहीं हुआ. वरना लोगो बदलने जैसे छोटे छोटे रिवाज़ कई सारे शुरू कर चुके होते. इस बात को सभी सदस्यों के बीच इसलिए लाया जा रहा है, की अब प्रबंधन के सदस्य आपस में सुलह नहीं कर पा रहे. और अगर ४ तारिख तक ये सब फैसला नहीं हुआ, तो भोपाल के rgpv संस्थान से जो ग्रांट मिलने की डील चल रही है, वो टूट जायेगी. फिर अभिषेक अपनी मन मर्जी के मुताबिक इसको जहाँ चाहे बेच देंगे.

दरअसल उन्हें mba की तय्यारी के लिए जाना है, तो वो इस फोरम को २ लाख रुपये में बेच कर जाना चाहता है. जबकि मैं चाहता हूँ, की rgpv संस्थान का हिंदी विभाग जो ग्रांट दे रहा है, उससे फोरम चलने का खर्चा निकाला जाये, और फोरम को अपने हाथ में ही रखा जाये. अब बताओ, अगर अभिषेक इसको बेच कर चले जायेगा, और अपने ब्लॉग से उसके तो पैसे बनते रहेंगे, पर मेरी तो लुटिया डूब जायेगी. जिस किसी को भी फोरम का अधिकार बेचा जायेगा, वो मुझे यहाँ क्यूँ रहने देगा. और मेरे पास इतना पैसा नहीं, की मैं अभिषेक से अधिकार खरीद लूं. अभी सिर्फ उसका नाम फोरम में आता है, इसलिए उसकी मन मर्जी चलेगी. अगर हम दोनों का नाम रहेगा तो बेचने के लिए उसे मुझसे भी परमीसन लेनी पड़ेगी. फिर हम फोरम को संस्थानों की मदद से चलते रहेंगे, और फोरम की बागडोर भी अपने हाथ में ही रखेंगे.
इसलिए इस बात को जल्दी से जल्दी खतम करना है, ताकि ५ तारिख को rgpv संस्थान को ग्रांट लेना है या नहीं, का जवाब दे सके. सदस्यों की राय भी इसलिए ही मांगी जा रही है. मैं सोच रहा था, की अभिषेक ये डील वाली बात उठने से पहले ही समझ जायेगा. पर अब मजबूरी है, की सभी सदस्यों को सच से वाकिफ कराया जाये. अभिषेक का कहना है, की अपना काम हो गया, फोरम को एक नीव मिल गयी, अब इसको किसी को बेच देते है, सदस्य तो फिर भी रहेंगे. और मैं कह रहा हूँ, की हर साल १० हज़ार रुपये की ग्रांट बहुत है, फोरम चलने के लिए. बाकी कांटेस्ट वगेरह के तो स्पोंसर रहेंगे, तो अपना पैसा नहीं लगेगा, पर फोरम अपने हाथों में ही रखेंगे.

अब सब सदस्यों को मिल कर निर्णय लेना है, की अभिषेक mba की पढाई का बहाना बना कर फोरम को बेचने की जो बात कर रहा है, वो सही है, या की मैं!



अरे वाह, तो जितेंद्र जी ने चुनावी घोषणा पत्र भी तैयार कर लिया.... धन्य है।

कहे का चुनाव? मैं और अभिषेक प्रधानमंत्री थोड़े ही बन्ने वाले है! मुझे अभिषेक को फोरम से हटाने का नहीं सोचना. उसको काफी आईडिया है, इन्टरनेट के व्यापर का, तो ऐसे में अकेले मैं फोरम को ज्यादा ऊपर नहीं पहुंचा सकता. वहीँ फोरम चलने का आईडिया मुझे उससे कहीं ज्यादा है, ये बात मेरे द्वारा किये बदलाव देख कर ही आप समझ सकते हो. ऐसे में उसका अभी का रवैया, की "जो भी बदलाव करने है मैं सोचूंगा, तुम सिर्फ पोस्ट करो" ये गलत है, और फोरम को पीछे ले जा रहा है. इतने महीनो के बाद भी हर वक्त १५ सदस्य से ज्यादा ऑनलाइन नहीं रहते. अगर फोरम पर हर वक्त ५० सदस्य भी रहेंगे, तो एक साल में फोरम दुनिया का सबसे बड़ा हिंदी फोरम बन जायेगा. फिर जो ग्रांट मिलेगी, उसके बदले हिंदी के प्रोफेस्सर लोग यहाँ पर अपने लेख छाप सकेंगे, ताकि उनको भी नाम और प्रतिष्ठा मिले. मतलब मेरी वाली डील में दोनों को फायदा, बस फोरम फिर भी अपने हाथ में रहेग, तो अभिषेक को mba की पढाई में भी रोज २ घंटे निकलने पड़ेंगे. अभी उसका सोचना है, की फोरम से हाथ धो लो. बस हो गया, हिंदी की भलाई! वो ये मान कर चल रहा, की जो नए फोरम के मालिक बनेंगे वो भी हिंदी प्रेमी होंगे, ये नहीं समझ रहे, की वो लोग सिर्फ पैसा बनायेंगे. फोरम से उनका कोई लेना देना नहीं!

jitendragarg
31-03-2011, 01:04 PM
एक बात और, पुराने जो भी सदस्य यहाँ से भाग कर गए है, उनसे हमे कोई लेना देना नहीं! अगर वो इतने ही ढूढ़ के धुले थे तो सच का सामना करते. वैसे भी उन लोगो को इस फोरम में सिर्फ इसलीये दिलचस्पी थी की उनका पसंदीदा फोरम बंद था. जिस दिन से वो शुरू हुआ, वो लोगो ने आना ही बंद कर दिया. उनको कितनी बार पुछा, पर वो वाहन दिन भर बने रहते और यहाँ दर्शन भी नहीं देते थे. ६ नियामकों के वाबजूद, जो भी समस्या होती उसको सिर्फ मैं और अभिषेक संभाल रहे थे.
उनको प्रबंधन से भगाने से पहले कई बार कहा गया की आप लोग यहाँ के नियामक हो, कम से दिन में दो घंटे तो दो. पर जब कुछ बात नहीं बनी, तो उन लोगो को हटाना पड़ा. दुसरे किसी फोरम के सदस्य है, उससे हमे कोई परेशानी नहीं, पर यहाँ के नियामक होकर भी यहाँ नहीं आते थे. अभी, मैं, अमित अभिषेक, वगेरह सब कुछ भी हो थोड़े समय के लिए जरूर आते हो, फिर चाहे घर पर नेट नहीं चल रहा हो, या पुरे दिन ऑफिस में रहे. वो लोग दिन भर फ़ालतू रहते थे, पर फिर भी यहाँ नहीं आते थे. ऐसे लोगो के बारे में इसलिए ज्यादा बात करने का फायदा ही नहीं! वो सब भाड में जाये. अगर उन्हें इस फोरम से, या यहाँ के सदस्यों से लगाव होता तो वो खुद ही यहाँ आते. सिर्फ अपने फोरम की बधाई करने और यहाँ के सदस्यों की बुराई करने ही वो अभी नए नए नाम से आते रहते है. उनको इग्नोर करने से अच्छा कोई काम नहीं. आये तो ध्यान मत दो, अपने आप भाग जायेंगे.

kuram
31-03-2011, 01:49 PM
दोस्तों ये क्या खिचड़ी पका रहे हो. मजाक है या पब्लिसिटी के लिए राखी सावंत डोली बिंद्रा छाप आईडिया ??
इन बीन साढ़े तीन तो सदस्य है. और आप इस तरह झगडा कर रहे हो.

arvind
31-03-2011, 02:00 PM
एक बात और, पुराने जो भी सदस्य यहाँ से भाग कर गए है, उनसे हमे कोई लेना देना नहीं! अगर वो इतने ही ढूढ़ के धुले थे तो सच का सामना करते. वैसे भी उन लोगो को इस फोरम में सिर्फ इसलीये दिलचस्पी थी की उनका पसंदीदा फोरम बंद था. जिस दिन से वो शुरू हुआ, वो लोगो ने आना ही बंद कर दिया. उनको कितनी बार पुछा, पर वो वाहन दिन भर बने रहते और यहाँ दर्शन भी नहीं देते थे. ६ नियामकों के वाबजूद, जो भी समस्या होती उसको सिर्फ मैं और अभिषेक संभाल रहे थे.
उनको प्रबंधन से भगाने से पहले कई बार कहा गया की आप लोग यहाँ के नियामक हो, कम से दिन में दो घंटे तो दो. पर जब कुछ बात नहीं बनी, तो उन लोगो को हटाना पड़ा. दुसरे किसी फोरम के सदस्य है, उससे हमे कोई परेशानी नहीं, पर यहाँ के नियामक होकर भी यहाँ नहीं आते थे. अभी, मैं, अमित अभिषेक, वगेरह सब कुछ भी हो थोड़े समय के लिए जरूर आते हो, फिर चाहे घर पर नेट नहीं चल रहा हो, या पुरे दिन ऑफिस में रहे. वो लोग दिन भर फ़ालतू रहते थे, पर फिर भी यहाँ नहीं आते थे. ऐसे लोगो के बारे में इसलिए ज्यादा बात करने का फायदा ही नहीं! वो सब भाड में जाये. अगर उन्हें इस फोरम से, या यहाँ के सदस्यों से लगाव होता तो वो खुद ही यहाँ आते. सिर्फ अपने फोरम की बधाई करने और यहाँ के सदस्यों की बुराई करने ही वो अभी नए नए नाम से आते रहते है. उनको इग्नोर करने से अच्छा कोई काम नहीं. आये तो ध्यान मत दो, अपने आप भाग जायेंगे.
जितेंद्र जी, आप जिन लोगो की चर्चा कर रहे है - ये लोग तो आपके सपोर्ट मे ही है।

Kumar Anil
31-03-2011, 03:22 PM
क़ाश ऐसी टी . आर . पी . हर सूत्र की हो जाये ।

bhoomi ji
31-03-2011, 03:33 PM
सोना भी होता है, इसलिए इतनी देर से आपकी बात का जवाब नहीं दिया. और ये संस्था का मालिक की बात तो तब की जाये जब मैं यहाँ का नौकर हूँ. मैं और अभिषेक दोनों फोरम के मालिक ही थे [आप इतने समझदार और बुद्धिमान और तकनीकी समझ रखने वाले इंसान हैं अगर आप पहले भी मालिक थे तो क्या कारन था कि आपको सिर्फ नियामक बनाया गया? आपने पहले ही अपना विरोध क्यों नहीं जताया? अब काहे का ड्रामा कि फोरम का नाम बदल दो...मुझे प्रशाशक बना दो..] अब लेकिन सिर्फ एक सदस्य और नियामक की हेसियत रह गयी. याद है, कांटेस्ट वाला आईडिया.. एक भी बात को मैं खुद अमल में नहीं ला सकता, हर एक के लिए मुझे अभिषेक को ही बोलना पड़ता. कुछ भी करने के लिए, अभिषेक ही नियम बनाता है. मेरा कांटेस्ट का आईडिया, की काफी बड़ा कांटेस्ट करते, गेम जोन, फोरम वगेरह सब के सदस्यों को मिलकर, भी इसीलिए डूब गया.

और जहाँ तक पैसे की बात है, अभिषेक ने सिर्फ शुरुआत में खर्चा किया था, उस वक्त मेरे पास पैसे नहीं थे. बात हुई थी, की आगे सारा खर्चा बराबर बटेंगा. और अगर कुछ प्रोफिट हुआ तो सबसे पहले अभिषेक की शुरूआती लागत उसमे से निकलेंगे. अब इसके अलावा आप्शन था, की फोरम और चार महीने बाद शुरू करते. उसके बाद कौन कहाँ होता, किसे पता!
वैसे भी मैं सिर्फ अभिषेक के बराबर का पड़ मांग रहा हूँ, जो सबसे पहले फोरम पर मेरा था भी! अकेले मालिक बनने का शौक नहीं है मुझे!




उम्मीद है, आपको और सभी को जवाब मिल गए है. खैर अभी ऑफिस जाना है, तो बाकी सभी बातों पर बाद में बहस करेंगे.








सिर्फ नए पोस्ट को देखता रहता हूँ, की कहीं लोग कुछ गलत तो नहीं कर रहे. आप खुद जानते है, सबसे ज्यादा सूत्रों को सही दिशा में कौन पहुंचाता है. उसके अलावा फोरम में कुछ नया करने के लिए तरीके ढूंढता रहता हूँ. और क्या चाहिए? अब दिन भर बस चौपाल में ही बैठे रहूँगा, तो कैसा प्रशाशक? कम से कम बाकी सूत्रों का भी तो ध्यान रखना होगा. वो तो अभिषेक जी करते नहीं, बस चौपाल पर गप्पे लगते रहते.

सिर्फ नए पोस्ट देखने का क्या मतलब? ठीक है नयी पोस्ट देखने सभी नियामकों का कर्तब्य है लेकिन उसके बाद कुछ काम करना या फिर सदस्यों की हौसला अफजाई करना ये कौन करेगा?

आपको क्या लगता है, की मैं सिर्फ गेम ही खेलता. और वैसे भी मुझे गेम खेलना हो तो मेरे पास ५० हज़ार का इन्वेस्टमेंट कर रखा है. फ्लश गेम तो इसलिए है, की अगर लोग बोर हो गए पोस्ट करते करते, तो कुछ टाइम पास का जरिया रहे, और लोग दिन भर यही बने रहे.

ठीक है माना कि आप गेम नहीं खेलते हो...लेकिन आप पोस्ट भी नहीं करते हो...किसी सदस्य कि हौसला अफजाई भी नहीं..नए सूत्रों का निर्माण भी नहीं......
तो हम पूछते हैं कि आप फोरम पर करते क्या हो?



बिलकुल सही कहा. मैं अपनी पर्सोनल जानकारी फोरम पर नहीं दे सकता. लोगो से जान पहचान के लिए चौपाल पर बैठना जरूरी है. वो फोरम का सबसे अच्छे सूत्र है, लेकिन इकलौता सूत्र नहीं.
कौन कहता है कि अपनी पर्सनल जानकारी अन्य सदस्यों को दो ...ठीक है आप रिजर्व रहना चाहते हो,,, अच्छी बात है लेकिन नियामक होने के बावजूद भी सदस्यों से बात नहीं करोगे तो फिर सदस्यों का फोरम में क्या विश्वाश रह जाएगा??
क्या इसी नीति से आप फोरम को आगे ली जाने का ख़्वाब देख रहे हो?

मैं तो हर बार सदस्यों को यही कहता हूँ, की जिस टोपिक पर चर्चा करनी उस के लिए जो विभाग है वहाँ करो. चौपाल को नए लोग नहीं पढते. नया सदस्य बाकी सूत्रों की हलचल को देखता है. और अभिषेक की माने तो दुसरे सूत्र तो पानी में डूब जायेंगे. मैं अकेले कितनी कोशिश करून, पुराने सूत्रों को वापिस आगे बढ़ाने की, जब सब लोग सिर्फ चौपाल पर ही बैठेंगे.

चौपाल आपसी बातचीत के लिए है सभी सदस्य सारे सूत्रों का भ्रमण करके थोड़ी देर चौपाल पर बतियाने आते हैं ..अगर हर सूत्र पर ही बातचीत होने लगे तो भला चौपाल का क्या महत्त्व है फिर तो छुपाल को बंद कर देना चाहिए....और सभी सदस्य किसी भी सूत्र पर आपसी बात करते रहें.



आपको कोई समस्या है, तो आपके पास तो अधिकार थे पोस्ट को डिलीट करने के. वैसे भी जब मजाक समझ नहीं आता तो स्ट्रिक्ट होकर काम करो. छोटा सा मजाक की अकिय, उस दिन भी ४ घंटे तक आपको जवाब देता रहा. कभी कभी मजाक करना जरूरी है.


हमें क्या समस्या है अगर आप जैसे "प्रशाशक" फोरम पर बखेडा करना ठीक समझते हैं तो हमें क्या दिक्कत है जब आपको ही अपने फोरम की चिंता नहीं है तो औरों को क्या पढ़ी है..हम तो ठहरे बिन वेतन के नौकर:tomato:....
माना कि आपने मजाक किया था ये हम भी समझते हैं और प्रबंधन भी लेकिन किसी अन्य सदस्य को इसका बुरा लगता है तो इसकी जवाबदेही किसकी बनती है? मजाक तब तक ही ठीक लगता है जब तक कि आप दूसरों को दुखी ना कर रहे हों..
पोस्ट को डिलीट करने का अधिकार तो है हमारे पास....पर क्या ये सही है कि एक नियामक दूसरे नियामक (प्रशाशक) की पोस्ट को डिलीट करे?? कोई ऐसी पोस्ट करो ही क्यों जिसे डिलीट करना पड़े?? वो भी फोरम के नियामक होने के नाते?
क्या ये एक अच्छे फोरम संचालक के गुण हैं? क्या ऐसे में फोरम नयी ऊँचाइयों पर पहुचेगा?

और उसके अलावा जितनी विवादस्पद प्रविष्टिय हुई है, सब हमसफ़र वाले किस्से पर हुई है. और उस किस्से के बारे में पहले ही बता चूका हूँ, की वो व्यक्ति मुझे फोन पर धमकाया था. फोन नंबर उसको अभिषेक ने दिया. उसका मानना था, की उसके सूत्रों को सही जगह पहुँचाने से पहले भी मैं उसको फोन करके पूछूं. अगर अभिषेक या "तुम"

पहले ये बताइए जबसे हमने फोरम ज्वाइन किया है तबसे हमने हमसफ़र जी को कल पहली बार देखा है फोरम पर ऐसे में ऐसे में उनकी प्रविष्टि या सूत्र को हटाने के लिए भला हम क्यों कहने लगे ?? आपकी और हमसफ़र जी का जो भी मामला है वो हमारे फोरम ज्वाइन करने से पहले का है तब तक तो हम यहाँ के सदस्य भी नहीं थे नियामक तो दूर की बात है..ऐसे में क्या किसी "भूमि ना के भूत" ने आपसे ये कहा ?? या फिर आप नींद में ये पोस्ट कर रहे हो?:bang-head:
कह रहे हो, की मैंने उसको मना करके गलत किया तो समझ आता है, की कितनी अक्ल है तुम लोगो को फोरम चलने की. मैं किसी सदस्य को इतना स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दे सकता, सिर्फ इसलिए की वो एक पोस्ट को दस पोस्ट में तोड़ कर पोस्ट करता था, और इसलिए सबसे ज्यादा उसके पोस्ट थे. ५ फोटो पोस्ट करने के लिए ५ बार रेप्ली बटन दबाना स्पम्मिंग है, और ये कोई भी फोरम के लिए ठीक नहीं!मैं जो भी किया था, और कर रहा हूँ, उसका मुझे कहीं ज्यादा अनुभव है. इससे पहले भी मैं कई फोरम का हिस्सा हूँ.

आपको कितना अनुभव है और आपकी याददास्त कितनी मजबूत है ये तो दिख ही रहा है.......:tomato:




मैं इन्टरनेट पर जो भी करता हूँ, दिन भर.. अगर कुछ भी ऐसा मिला जो लोगो से बाटना चाहिए तो तुरंत पोस्ट करता हूँ. उसके अलावा तेच्निकल विभाग में हर समस्या का समाधान तो कर ही रहा हूँ. वो विभाग में जो भी व्यक्ति अपनी समस्या पोस्ट करता है, उसको पूछो! चौपाल के अलावा जितने सूत्र है, उनमे जो लोग आते है, उनसे पूछो.

चौपाल के अलावा जहाँ भी सदस्य जाते हैं वो पहले चौपाल पर ही आते हैं और सारा फोरम घूमने के बाद फिर से चौपाल पर ही आते हैं

और लोकप्रिय की बात ये है, की मैं सूत्र बनाना ज्यादा पसंद नहीं करता, अधिकतर समय नए तरीके सोचने में लगा रहता हूँ. अगर मेरा काम भी सिर्फ सूत्र बनाना है, तो बाकी काम कौन संभालेगा.

अगर सूत्र नहीं बनाओगे तो भला फोरम को आगे कैसे ले जाओगे?
अगर अधिकतर समय नए तरीके ससोचने में ही बिताओगे तो फिर उस पर अमल कब करोगे ?
खाली सोचने से ही फोरम आगे बढ़ जाता तो फिर आज फोरम पर एक भी प्रविष्टि ना होती,,,
सभी सदस्य सोच सोच के पागल हो जाते...और फोरम हर दिन नयी ऊँचाइयों को छू रहा होता:bang-head:
क्या फोरम प्रबंधन के सदस्यों से सूत्र बनने की मनाही है?


ऐसा कब हुआ जरा बताये. अगर कोई सूत्र बनाया है, तो सिर्फ इसलिए की लोग उस पर इधर उधर चर्चा कर रहे है, तो ऐसे में एक जैसी पोस्ट को एक तरफ रख सके. अभी तो चौपाल में ही सब होली से लेकर दिवाली तक सबकी बातें होती है. अभिषेक खुद चौपाल में सुझाव मांग रहे थे. मैं तब भी बोला की जब सुझाव का सूत्र है, तो फिर क्यूँ. अब खुद ही वो एक सूत्र को अहमियत दे रहे है, तो मैं नए सूत्र बनाऊं भी तो क्यूँ?

आप ये क्यों सारी पोस्ट में चौपाल चौपाल की रट क्यों लगा रहे हो?

क्या आपको इससे कोई व्यक्तिगत समस्या है?
क्या आप चाहते हैं कि फोरम पर सभी सदस्य आयें अपना काम करें और मौन दर्शक बनकर वापस चले जाएँ?
फोरम (चौपाल ) पर बात बिलकुल ना करें?

ऐसे में कैसे सभी सदस्यों के बीच सौहार्द बना रहेगा?
क्या ऐसे में कोई भी इस फोरम पर आना चाहेगा? जहाँ कि बात करने की मनाही है?

कभी कभी ऐसा होता कि कई सदस्य चौपाल पर इक्कठे हो जाते हैं और वहां बात करते करते नए आइडिया आ जाते हैं जिसे कि उसी समय क्लिक करना पड़ता है ताकि उस सदस्य के अंदर का आर्ट निकल कर बाहर आये,,,इसीलिए वहीँ पर उस सदस्य से सुझाव मांगे जाते हैं..
फिर कभी कभी कोई नया सदस्य फोरम अपने विचार देने में हिचकिचा जाता कि अन्य सदस्य उस पर क्या कहेंगे या फिर उसको अमल नहीं किया तो बेजत्ती हो जायेगी
इसलिए वो सुझाव नामक सूत्र पर प्रविष्टि नहीं करते हैं

अब दिन भर बस चौपाल में ही बैठे रहूँगा, तो कैसा प्रशाशक?

आपने ये चौपाल चौपाल की रट लगा रखी है जो कुछ कहना है खुल के कहो
लगता है आपको हमारा चौपाल पर ज्यादा समय बिताना पसंद नहीं है
अगर आपको लगता है कि किसी भी नियामक को चौपाल पर नहीं जाना चाहिए और वहां किसी सदस्य से बात नहीं करनी चाहिए तो ठीक है हम अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं..
ऐसे पद का क्या फायदा जब किसी और सदस्य से उसका हाल चाल ना पूछ सको..
हम अभिषेक जी को और आपको कह रहे हैं कि हमें नियामक पद से हटा लिया जाय...और सारे अधिकार वापस ले लिए जाएँ....हम सदस्य बनकर खुश हैं...नहीं चाहिए ऐसा पद जिसमे कई सारी बंदिशे हों

bhoomi ji
31-03-2011, 03:40 PM
कोई भी व्यक्ती अपने कर्मों से महान बनता है


तो कोई इन्हें समझो कि इनको पद की इतनी लालसा क्यों जाग रही है
आप इतना अच्छा काम करो कि लोग अभिषेक जी को भूल कर इन्हें ही प्रशाशक समझ लें...

फोरम पर अपने महान कर्म तो दिखाओ पहले:bang-head:

bhoomi ji
31-03-2011, 03:46 PM
अगर दो व्यक्ति मिल कर एक कम्पनी चालू करेँ
जिसमे एक मालिक बना रहे जिसके पास सारे अधिकार होँ और दूसरा मनेजर जिसको सीमित अधिकार दिए जाएं तो आप क्या कहेँगी ?
मिलकर शुरू तो किया है लेकिन ये तो देखिये कि उसमे किसका कितना पैंसा लगा है?
फिर ये देखिये उस मैनेजर ने वो पद लिया ही क्यों ? क्या उस टाइम उसका बुद्धि विवेक काम नहीं कर रहा था?
अब लगभग एक साल बाद कौन सा भूंचाल आ गया?:bang-head:

abhisays
31-03-2011, 03:47 PM
जीतू भाई अब तो तुमने हद कर दिया है. तुम अपने आप को समझते क्या हो, फोरम तुमारे बिना भी चल सकता है.
फोरम चलाने के लिए दो तरह के skills की जरुरत होती है.
1. technical skills.
2. people skills.

पहले में to तुम २ आउट ऑफ़ १० हो लेकिन दुसरे में शुन्य हो,
तुम्हे लोगो से बात करने का तरीका और तमीज नहीं मालुम है, वर्ना ऐसा सूत्र तुम नहीं बनाते.

sahiba
31-03-2011, 03:57 PM
एक बात और, पुराने जो भी सदस्य यहाँ से भाग कर गए है, उनसे हमे कोई लेना देना नहीं! अगर वो इतने ही ढूढ़ के धुले थे तो सच का सामना करते. वैसे भी उन लोगो को इस फोरम में सिर्फ इसलीये दिलचस्पी थी की उनका पसंदीदा फोरम बंद था. जिस दिन से वो शुरू हुआ, वो लोगो ने आना ही बंद कर दिया. उनको कितनी बार पुछा, पर वो वाहन दिन भर बने रहते और यहाँ दर्शन भी नहीं देते थे. ६ नियामकों के वाबजूद, जो भी समस्या होती उसको सिर्फ मैं और अभिषेक संभाल रहे थे.
उनको प्रबंधन से भगाने से पहले कई बार कहा गया की आप लोग यहाँ के नियामक हो, कम से दिन में दो घंटे तो दो. पर जब कुछ बात नहीं बनी, तो उन लोगो को हटाना पड़ा. दुसरे किसी फोरम के सदस्य है, उससे हमे कोई परेशानी नहीं, पर यहाँ के नियामक होकर भी यहाँ नहीं आते थे. अभी, मैं, अमित अभिषेक, वगेरह सब कुछ भी हो थोड़े समय के लिए जरूर आते हो, फिर चाहे घर पर नेट नहीं चल रहा हो, या पुरे दिन ऑफिस में रहे. वो लोग दिन भर फ़ालतू रहते थे, पर फिर भी यहाँ नहीं आते थे. ऐसे लोगो के बारे में इसलिए ज्यादा बात करने का फायदा ही नहीं! वो सब भाड में जाये. अगर उन्हें इस फोरम से, या यहाँ के सदस्यों से लगाव होता तो वो खुद ही यहाँ आते. सिर्फ अपने फोरम की बधाई करने और यहाँ के सदस्यों की बुराई करने ही वो अभी नए नए नाम से आते रहते है. उनको इग्नोर करने से अच्छा कोई काम नहीं. आये तो ध्यान मत दो, अपने आप भाग जायेंगे.




अरे जगडा तो बटवारे का हे न तो फिर दुसरे फॉर्म को बिच मैं क्यों लाया जाये अगर रही बात आने और जाने की तो किसी का भी हक़ नहीं बनता की उसके आने जाने पर रोक लगाया जाये या टिपणी की जाये अगर आपने ये फॉर्म मनोरंजन के लिए खोला हे तो लोग मनोरंजन करने के लिए आते हे और अगर आना भी बंध कर दे तो दोस उनका नहीं हे दोस आप सबका हे क्यूंकि *** मैं सब मिल जुलकर रहते हे और वहा के नियामक और प्रशंशक और सदस्य कभी आपकी तरह लड़ते नहीं हे जेसे आप सब लड़ रहे हे और वहा के नियम सबको लागु पड़ते हे चाहे वो नियामक हो या सदस्य और आप उस फॉर्म को दोस दे रहे हो वेसे मेने एक प्रिविस्थी पर पढ़ा था की यहाँ दुसरे फॉर्म का जिक्र करना मना हे लेकिन यहाँ तो आपने ही जिक्र किया हे इसलिए मैं कहेती हु की आप दुसरे फॉर्म को और उनके सदस्यों को दोसी न ठेहराए

वेसे मेने इस फॉर्म को ज्वाइन किये हुए ३ वीक हो गए लेकिन यहाँ नियमत रूप से आना जाना कल से हुआ हे कल से देख रही हु की फॉर्म का माहोल बहुत ही ख़राब हे, और आपने ये फॉर्म मनोरंजन के लिए खोला हे तो क्या हमें यहाँ मनोरंजन मिल रहा हे

और कुदरत का नियम ही हे की एक न एक दिन तो बटवारा होता ही हे अगर उसको रोकना हे तो आप सब को मिलजुलकर शांति से इस मामले को हल करना चाहिए न की ऐसे सूत्र बनाकर और दुसरे फॉर्म को निचा दिखाकर

इनमे कुछ लोग ऐसे हे जो ये मामला शांत करने की कोसिस करते हे तो दुसरे लोग इस मामले को और भड़का देते हे जब फॉर्म पर ऐकता ही नहीं हे तो फॉर्म खाख प्रचलित होगा , वेसे ये फॉर्म अब खाई मैं जाने वाला हे

एक बार और अगर आप लोग ये फॉर्म का माहोल ऐसे ही ख़राब करना चाहते हो तो ठीक हे हम कुछ नहीं कहेंगे लेकिन दुसरे फॉर्म की बात मत करो यहाँ

Sikandar_Khan
31-03-2011, 03:59 PM
मिलकर शुरू तो किया है लेकिन ये तो देखिये कि उसमे किसका कितना पैंसा लगा है?
फिर ये देखिये उस मैनेजर ने वो पद लिया ही क्यों ? क्या उस टाइम उसका बुद्धि विवेक काम नहीं कर रहा था?
अब लगभग एक साल बाद कौन सा भूंचाल आ गया?:bang-head:

किसी का पैसा किसी की मेहनत बात तो पार्टनर बराबर के हुवे |
फिर सम्मान भी एक जैसा होना चाहिए |

khalid
31-03-2011, 04:06 PM
भुमि जी आप अपने पद क्योँ छोड रहीँ हैँ आप अपने पद पर बने रहे जब आपको हटाया जाएगा तब देखेँगे रही बात अभिषेक जी फोरम को बेच रहे हैँ तो बेच दे हमे क्या फर्क पडता हैँ प्रशाशक अभि जी रहे या गर्ग जी कौन सा कोई प्रशाशक किसी के घर का चुल्हा जला देता फोरम मेँ अगर गर्ग जी आपका हिस्सा हैँ फोरम मेँ और आप खरीदना चाहते हैँ तो थोडे थोडे रुपया देकर अभि जी से खरीद लिजीए फिर आप किसी को पद दे या ना दे किसी को कोई फर्क नहीँ पडेगा
और एक बात बता दुँ फोरम पर हम सभी दोस्तोँ के वजह से आते हैँ अगर हमारे सभी दोस्त निकल गए तो हम मेँ से कोई झाँकने भी नहीँ आएगा मेरा हिन्दी फोरम मेँ

bhoomi ji
31-03-2011, 04:06 PM
और भाई लोग, ये जो पुराने नियामकों की बात हो रही है, तो बता दूं, की कारण बहुत से थे जिनके वजह से वो यहाँ से गए. उस बारे में बात करना बेफिजूल है. लेकिन उसके बाद नए नियामक चुनते वक्त किसी ने मेरी सलाह भी नहीं मांगी. भूमीजी को सिर्फ महिला होने के कारण नियामक बना दिया-- अगर ऐसा था तो तब आप कहाँ थे जब नए नियामकों का चयन हो रहा था? अगर इतने हितैषी बने फिरते हो तो फिर उसी समय प्रबंधन को रोका क्यों नहीं ये कहकर कि इनमे ऐसा क्या है जो इन्हें नियामक बना रहे हो? अगर आप सच्चे हितैषी होते तो फिर उसी समय प्रबंधन को रोकते चाहे वो आपको पद से ही निकाल लेते..अब अचानक ये सब बातें क्यों सामने ला रहे हो ? क्या इसी नीति के तहत आप फोरम को ऊँचाइयों पर पहुँचाना चाहते हो? क्या यही एक कुशल प्रशाशक के गुण हैं कि कि वो काम बिगड़ने की बाद उस पर माथा पीटते फिर?
आज भी वो सिर्फ चौपाल पर आती है,
क्या ये सही कह रहे हैं ?? सभी सदस्य अपना विचार दें?

हाँ हम मानते हैं कि पहले पहल हम चौपाल पर ज्यादा आते थे क्योंकि तब हम नवागत थे और नया नया फोरम ज्वाइन किया था...पर इसका मतलब ये नहीं कि हम और सूत्रों पर जाते ही नहीं थे....
उसके अलावा फोरम के लिए नए नए रास्ते ढूँढना उन्हें आता ही नहीं. अगर प्रबंधन दिन भर चौपाल पर बैठा रहेगा, तो नया काम कैसे होगा!
ठीक है हमने मान लिया कि हमें नहीं आता नए सदस्यों को यहाँ पर लाना
लेकिन आप एक बात बताइए और अन्य सदस्य भी बताइए कि कितने ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने जितेन्द्र जी से प्रेरणा लेकर यहाँ कदम रखा हो? या फिर कितने ऐसे हैं जिन्होंने इनसे अभी तक खूब बात की हो?
या फिर जो सिर्फ जीतेन्द्र जी की ही वजह से यहाँ हैं?

क्या इंसान को दूसरों पर आरोप लगाने से पहले ये नहीं जांचना चाहिए कि में खुद में क्या हूँ?
अपने अंदर झाँक के नहीं देखना चाहिए?

और तो और, जहाँ हम ये बातें कर रहे है, अभिषेक चौपाल पर गुप्शुप कर रहे है या मैच देख रहे थे.
मैच देखना या ना देखना सबकी अपनी अपनी मर्जी है वो हरेक सदस्य का अपना प्राइवेट मामला है
आपको क्रिकेट नहीं पसंद तो क्या सभी लोगों से ये कहाँ शुरू करोगे क्रिकेट देखना बंद कर दें..?
सभी आपकी तरह तो "महान"नहीं हो सकते हैं ना?
उसके बाद ये अपने आपको बहुत ज्यादा महान समझ रहे है. :furious::chair: अगर इतना ही फोरम का हित सोचना है, तो ऐसे समय पर चौपाल की जगह यहाँ उत्तर देना चाहिए न!
फोरम का हित सोचने वाले को ये नहीं कहा गया है कि आप अन्य कोई काम नहीं करोगे?
उनको जब फुर्सत मिलेगी वो तब अपना जवाब देंगे.....
जरुरी तो नहीं कि हर कोई आपके समयानुसार ही जवाब दे?

.................................................. ..........................................

sahiba
31-03-2011, 04:09 PM
एक बात और, पुराने जो भी सदस्य यहाँ से भाग कर गए है, उनसे हमे कोई लेना देना नहीं! अगर वो इतने ही ढूढ़ के धुले थे तो सच का सामना करते. वैसे भी उन लोगो को इस फोरम में सिर्फ इसलीये दिलचस्पी थी की उनका पसंदीदा फोरम बंद था. जिस दिन से वो शुरू हुआ, वो लोगो ने आना ही बंद कर दिया. उनको कितनी बार पुछा, पर वो वाहन दिन भर बने रहते और यहाँ दर्शन भी नहीं देते थे. ६ नियामकों के वाबजूद, जो भी समस्या होती उसको सिर्फ मैं और अभिषेक संभाल रहे थे.
उनको प्रबंधन से भगाने से पहले कई बार कहा गया की आप लोग यहाँ के नियामक हो, कम से दिन में दो घंटे तो दो. पर जब कुछ बात नहीं बनी, तो उन लोगो को हटाना पड़ा. दुसरे किसी फोरम के सदस्य है, उससे हमे कोई परेशानी नहीं, पर यहाँ के नियामक होकर भी यहाँ नहीं आते थे. अभी, मैं, अमित अभिषेक, वगेरह सब कुछ भी हो थोड़े समय के लिए जरूर आते हो, फिर चाहे घर पर नेट नहीं चल रहा हो, या पुरे दिन ऑफिस में रहे. वो लोग दिन भर फ़ालतू रहते थे, पर फिर भी यहाँ नहीं आते थे. ऐसे लोगो के बारे में इसलिए ज्यादा बात करने का फायदा ही नहीं! वो सब भाड में जाये. अगर उन्हें इस फोरम से, या यहाँ के सदस्यों से लगाव होता तो वो खुद ही यहाँ आते. सिर्फ अपने फोरम की बधाई करने और यहाँ के सदस्यों की बुराई करने ही वो अभी नए नए नाम से आते रहते है. उनको इग्नोर करने से अच्छा कोई काम नहीं. आये तो ध्यान मत दो, अपने आप भाग जायेंगे.

और रही बात इस सदस्यों के वहा जाने की तो उस फॉर्म के सदस्यों ने भी वो फॉर्म छोड़ कर यहाँ आ गए तो आपने उन सदस्यों का जिक्र क्यों नहीं किया तो *** मैं ये कभी नहीं कहा गया की यहाँ के सदस्यों abhisys मैं चले गये हे तो फिर आप सबको उस फॉर्म से जलन क्यों हो रही हे ?????????

bhoomi ji
31-03-2011, 04:16 PM
किसी का पैसा किसी की मेहनत बात तो पार्टनर बराबर के हुवे |
फिर सम्मान भी एक जैसा होना चाहिए |
पर ये पार्टनर बनने की लालसा अभी ही क्यों जागी जबसे नयी नियामक मंडली बनी है
क्या ये पहले सो रहे थे?
लगता है नए नियामक बनने से ये कुछ असहज महसूस कर रहे हैं...
या फिर यूँ कहें कि इन्हें हमारा (लड़की) नियामक बनना रास नहीं आया है.....क्या एक लड़की लड़कों की बराबरी नहीं कर सकती है ? क्या वो किसी भी कम्पनी कि मैनेजर नहीं बन सकती है?

अगर ऐसी बात है तो ऐसे फोरम पे आके क्या फायदा जहाँ सभी (लड़की-लड़का) बराबर सम्मान ना मिलता हो?
ऐसे में तो हमारा नियामक पद और साथ साथ फोरम छोड देना उचित रहेगा.........

Sikandar_Khan
31-03-2011, 04:17 PM
अरे जगडा तो बटवारे का हे न तो फिर दुसरे फॉर्म को बिच मैं क्यों लाया जाये अगर रही बात आने और जाने की तो किसी का भी हक़ नहीं बनता की उसके आने जाने पर रोक लगाया जाये या टिपणी की जाये अगर आपने ये फॉर्म मनोरंजन के लिए खोला हे तो लोग मनोरंजन करने के लिए आते हे और अगर आना भी बंध कर दे तो दोस उनका नहीं हे दोस आप सबका हे क्यूंकि *** मैं सब मिल जुलकर रहते हे और वहा के नियामक और प्रशंशक और सदस्य कभी आपकी तरह लड़ते नहीं हे जेसे आप सब लड़ रहे हे और वहा के नियम सबको लागु पड़ते हे चाहे वो नियामक हो या सदस्य और आप उस फॉर्म को दोस दे रहे हो वेसे मेने एक प्रिविस्थी पर पढ़ा था की यहाँ दुसरे फॉर्म का जिक्र करना मना हे लेकिन यहाँ तो आपने ही जिक्र किया हे इसलिए मैं कहेती हु की आप दुसरे फॉर्म को और उनके सदस्यों को दोसी न ठेहराए

वेसे मेने इस फॉर्म को ज्वाइन किये हुए ३ वीक हो गए लेकिन यहाँ नियमत रूप से आना जाना कल से हुआ हे कल से देख रही हु की फॉर्म का माहोल बहुत ही ख़राब हे, और आपने ये फॉर्म मनोरंजन के लिए खोला हे तो क्या हमें यहाँ मनोरंजन मिल रहा हे

और कुदरत का नियम ही हे की एक न एक दिन तो बटवारा होता ही हे अगर उसको रोकना हे तो आप सब को मिलजुलकर शांति से इस मामले को हल करना चाहिए न की ऐसे सूत्र बनाकर और दुसरे फॉर्म को निचा दिखाकर

इनमे कुछ लोग ऐसे हे जो ये मामला शांत करने की कोसिस करते हे तो दुसरे लोग इस मामले को और भड़का देते हे जब फॉर्म पर ऐकता ही नहीं हे तो फॉर्म खाख प्रचलित होगा , वेसे ये फॉर्म अब खाई मैं जाने वाला हे

एक बार और अगर आप लोग ये फॉर्म का माहोल ऐसे ही ख़राब करना चाहते हो तो ठीक हे हम कुछ नहीं कहेंगे लेकिन दुसरे फॉर्म की बात मत करो यहाँ

निशा जी जैसा की पहले बता चुका हूँ कि हम फैसला सदस्योँ के मत से लेना चाहते है इसीलिए ये सूत्र यहां बनाया गया है
जिससे फोरम के सदस्योँ के भी विचार पता चल सकेँ
क्यो की फोरम सदस्योँ से चलता है किसी नियामक या प्रशासक से नही
हम अपना फैसला जबरजस्ती सदस्योँ पर थोपना नही चाहते हैँ |

झटका
31-03-2011, 04:20 PM
मै चाहूँ तो इस फोरम को अकेले बूते पर अव्वल दर्जे पर स्थापित कर दूँ
ये मेरा अहम् नहीं ..अपनी योग्यता ...क्षमता ...लगन ...ज्ञान ..मेहनत ...के बल पर कह रहां हूँ
मगर मै पहले शायद कुछ अपरिपक्व लोगों को बहार का रास्ता दिखा दूँ
किसी सिस्टम को केवल खड़ा करना कोई बहादुरी नहीं है
बहादुर तो वो है जो उसे सफलता से शिखर पर कायम कर दे
मै भी एक दुसरे फोरम के अपरिपक्व नियामको और प्रशासकों को देख रहां हूँ
जहां चापलूसी एक चलन बन चुका है
मगर आपलोगों से अंतर इस बात का है की वहाँ शक्ति एक हाथ में ही केन्द्रित है
जो भी असंतुष्ट हैं उन्हें ये समझना चाहिए ..

amit_tiwari
31-03-2011, 04:25 PM
ऐसे में तो हमारा नियामक पद और साथ साथ फोरम छोड देना उचित रहेगा.........

:fantastic::fantastic::clappinghands::clappinghand s::feelingbetter::hurray:

bhoomi ji
31-03-2011, 04:26 PM
भुमि जी आप अपने पद क्योँ छोड रहीँ हैँ आप ही बताइए कि ऐसे अगर आरोप लागाये जाते रहे तो कौन नियामक पद पर बने रहना चाहेगा?
ऐसे माहोल में कोई कैसे कुछ काम करेगा?

आप अपने पद पर बने रहे जब आपको हटाया जाएगा तब देखेँगे
अगर "प्रशाशक " हमारा पद पर बने रहना पसंद नहीं तो काहे को फोरम पे बोझ बनना है?
इससे अच्छा तो एक सदस्य की पदवी सही है...इतना टेंशन कौन पाले? और फिर धक्के मारकर बाहर हों उससे अच्छा है कि चुपचाप संन्यास ले लिया जाय....

रही बात अभिषेक जी फोरम को बेच रहे हैँ तो बेच दे हमे क्या फर्क पडता हैँ प्रशाशक अभि जी रहे या गर्ग जी कौन सा कोई प्रशाशक किसी के घर का चुल्हा जला देता फोरम मेँ अगर गर्ग जी आपका हिस्सा हैँ फोरम मेँ और आप खरीदना चाहते हैँ तो थोडे थोडे रुपया देकर अभि जी से खरीद लिजीए फिर आप किसी को पद दे या ना दे किसी को कोई फर्क नहीँ पडेगा
और एक बात बता दुँ फोरम पर हम सभी दोस्तोँ के वजह से आते हैँ अगर हमारे सभी दोस्त निकल गए तो हम मेँ से कोई झाँकने भी नहीँ आएगा मेरा हिन्दी फोरम मेँ
................................................

amit_tiwari
31-03-2011, 04:29 PM
मै चाहूँ तो इस फोरम को अकेले बूते पर अव्वल दर्जे पर स्थापित कर दूँ
ये मेरा अहम् नहीं ..अपनी योग्यता ...क्षमता ...लगन ...ज्ञान ..मेहनत ...के बल पर कह रहां हूँ
मगर मै पहले शायद कुछ अपरिपक्व लोगों को बहार का रास्ता दिखा दूँ
किसी सिस्टम को केवल खड़ा करना कोई बहादुरी नहीं है
बहादुर तो वो है जो उसे सफलता से शिखर पर कायम कर दे
मै भी एक दुसरे फोरम के अपरिपक्व नियामको और प्रशासकों को देख रहां हूँ
जहां चापलूसी एक चलन बन चुका है
मगर आपलोगों से अंतर इस बात का है की वहाँ शक्ति एक हाथ में ही केन्द्रित है
जो भी असंतुष्ट हैं उन्हें ये समझना चाहिए ..

ओये तेरी !
टैलेंट की खान हिम्सेल्फ़ आ गयी |

प्रभु कब कोचिंग शुरू कर रहे हैं !!!

sahiba
31-03-2011, 04:31 PM
निशा जी जैसा की पहले बता चुका हूँ कि हम फैसला सदस्योँ के मत से लेना चाहते है इसीलिए ये सूत्र यहां बनाया गया है
जिससे फोरम के सदस्योँ के भी विचार पता चल सकेँ
क्यो की फोरम सदस्योँ से चलता है किसी नियामक या प्रशासक से नही
हम अपना फैसला जबरजस्ती सदस्योँ पर थोपना नही चाहते हैँ |
हां तो इसमें दुसरे फॉर्म को बिच मैं लेन की क्या जरुरत आन पड़ी

Sikandar_Khan
31-03-2011, 04:31 PM
पर ये पार्टनर बनने की लालसा अभी ही क्यों जागी जबसे नयी नियामक मंडली बनी है
क्या ये पहले सो रहे थे?
लगता है नए नियामक बनने से ये कुछ असहज महसूस कर रहे हैं...
या फिर यूँ कहें कि इन्हें हमारा (लड़की) नियामक बनना रास नहीं आया है.....क्या एक लड़की लड़कों की बराबरी नहीं कर सकती है ? क्या वो किसी भी कम्पनी कि मैनेजर नहीं बन सकती है?

अगर ऐसी बात है तो ऐसे फोरम पे आके क्या फायदा जहाँ सभी (लड़की-लड़का) बराबर सम्मान ना मिलता हो?
ऐसे में तो हमारा नियामक पद और साथ साथ फोरम छोड देना उचित रहेगा.........

भूमि जी
आपके नियामक बनने से किसी कोई दिक्कत नही है जितेन्द्र जी ने सिर्फ उदहारण दिया है
आप खुद जानती है कि आपको नियामक बनाने मे किस किस सहमति थी
लड़की लड़को की बराबरी क्यो नही कर सकती
इसका भी उदहारण भी आप ही हो उन पुरुष नियामकोँ से कही ज्यादा बेहतर काम किया है
फोरम पर

arvind
31-03-2011, 04:32 PM
पर ये पार्टनर बनने की लालसा अभी ही क्यों जागी जबसे नयी नियामक मंडली बनी है
क्या ये पहले सो रहे थे?
लगता है नए नियामक बनने से ये कुछ असहज महसूस कर रहे हैं...
या फिर यूँ कहें कि इन्हें हमारा (लड़की) नियामक बनना रास नहीं आया है.....क्या एक लड़की लड़कों की बराबरी नहीं कर सकती है ? क्या वो किसी भी कम्पनी कि मैनेजर नहीं बन सकती है?

अगर ऐसी बात है तो ऐसे फोरम पे आके क्या फायदा जहाँ सभी (लड़की-लड़का) बराबर सम्मान ना मिलता हो?
ऐसे में तो हमारा नियामक पद और साथ साथ फोरम छोड देना उचित रहेगा.........
एकदम सही कहा.... कौन यहा smart package मिल रहा है, फोकटिया सेवा मे इतना झमेला, जिस चलाना है - चलाये। मै तो अभिषेक जी के आग्रह पर नियामक बना था।

Kumar Anil
31-03-2011, 04:33 PM
अरे जगडा तो बटवारे का हे न तो फिर दुसरे फॉर्म को बिच मैं क्यों लाया जाये अगर रही बात आने और जाने की तो किसी का भी हक़ नहीं बनता की उसके आने जाने पर रोक लगाया जाये या टिपणी की जाये अगर आपने ये फॉर्म मनोरंजन के लिए खोला हे तो लोग मनोरंजन करने के लिए आते हे और अगर आना भी बंध कर दे तो दोस उनका नहीं हे दोस आप सबका हे क्यूंकि *** मैं सब मिल जुलकर रहते हे और वहा के नियामक और प्रशंशक और सदस्य कभी आपकी तरह लड़ते नहीं हे जेसे आप सब लड़ रहे हे और वहा के नियम सबको लागु पड़ते हे चाहे वो नियामक हो या सदस्य और आप उस फॉर्म को दोस दे रहे हो वेसे मेने एक प्रिविस्थी पर पढ़ा था की यहाँ दुसरे फॉर्म का जिक्र करना मना हे लेकिन यहाँ तो आपने ही जिक्र किया हे इसलिए मैं कहेती हु की आप दुसरे फॉर्म को और उनके सदस्यों को दोसी न ठेहराए

वेसे मेने इस फॉर्म को ज्वाइन किये हुए ३ वीक हो गए लेकिन यहाँ नियमत रूप से आना जाना कल से हुआ हे कल से देख रही हु की फॉर्म का माहोल बहुत ही ख़राब हे, और आपने ये फॉर्म मनोरंजन के लिए खोला हे तो क्या हमें यहाँ मनोरंजन मिल रहा हे

और कुदरत का नियम ही हे की एक न एक दिन तो बटवारा होता ही हे अगर उसको रोकना हे तो आप सब को मिलजुलकर शांति से इस मामले को हल करना चाहिए न की ऐसे सूत्र बनाकर और दुसरे फॉर्म को निचा दिखाकर

इनमे कुछ लोग ऐसे हे जो ये मामला शांत करने की कोसिस करते हे तो दुसरे लोग इस मामले को और भड़का देते हे जब फॉर्म पर ऐकता ही नहीं हे तो फॉर्म खाख प्रचलित होगा , वेसे ये फॉर्म अब खाई मैं जाने वाला हे

एक बार और अगर आप लोग ये फॉर्म का माहोल ऐसे ही ख़राब करना चाहते हो तो ठीक हे हम कुछ नहीं कहेंगे लेकिन दुसरे फॉर्म की बात मत करो यहाँ

मोहतरमा या मोहतरम , आप जो कोई भी होँ , यह झगड़ा हम लोगोँ के बीच हो रहा है और घर के झगड़े मेँ पड़ोसी टाँग नहीँ अड़ाया करते । आपसे किसी सदस्य या प्रबन्धन ने मदद की दरियाफ़्त नहीँ की है । जहाँ तक आपके फोरम के सभ्य , शील नियामकोँ के शांतिप्रिय होने की बात है तो अफ़ीम का इंजेक्शन लेने और लगाने वाले नशे मेँ धुत्त रहते हैँ , झगड़ा क्या ख़ाक करेँगे । आपके लिये मनोरंजन के तमाम सूत्र बनाये गये हैँ , जाकर मनोरंजन कीजिये ।

bhoomi ji
31-03-2011, 04:36 PM
मै चाहूँ तो इस फोरम को अकेले बूते पर अव्वल दर्जे पर स्थापित कर दूँ
ये मेरा अहम् नहीं ..अपनी योग्यता ...क्षमता ...लगन ...ज्ञान ..मेहनत ...के बल पर कह रहां हूँ
मगर मै पहले शायद कुछ अपरिपक्व लोगों को बहार का रास्ता दिखा दूँ
किसी सिस्टम को केवल खड़ा करना कोई बहादुरी नहीं है
बहादुर तो वो है जो उसे सफलता से शिखर पर कायम कर दे
मै भी एक दुसरे फोरम के अपरिपक्व नियामको और प्रशासकों को देख रहां हूँ
जहां चापलूसी एक चलन बन चुका है
मगर आपलोगों से अंतर इस बात का है की वहाँ शक्ति एक हाथ में ही केन्द्रित है
जो भी असंतुष्ट हैं उन्हें ये समझना चाहिए ..


जल्दी जल्दी २-४ अच्छे सूत्र बना डालो ताकि आपका टेलेंट सभी को दिख जाए
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए
आप पर फिकरा कसने वालों को मुहतोड़ जावाब दे दो:cheers:

bhoomi ji
31-03-2011, 04:38 PM
:fantastic::fantastic::clappinghands::clappinghand s::feelingbetter::hurray:


ये आप हमें फोरम छोड़ने के लिए उकसा रहे हो या फिर...............:tomato::tomato:

arvind
31-03-2011, 04:40 PM
हां तो इसमें दुसरे फॉर्म को बिच मैं लेन की क्या जरुरत आन पड़ी
साहिबा जी, जब झगड़ा होता है तो दिमाग पर एक पट्टी चढ़ जाती है, जितेंद्र जी, अभी गुस्से मे अंधे हो गए है..... समझा कीजिये। वैसे भी ये जितेंद्र जी और अभिषेक जी का झगड़ा है, इन्हे ही निपटने दीजिये। मै तो नियामक हूँ और अपनी तरफ से जितेंद्र जी को सही बात समझाने की कोशिश कर रहा हूँ। आप उस पॉर्न साईट के पक्ष मे इतना क्यों रिएक्ट कर रही है?

bhoomi ji
31-03-2011, 04:41 PM
भूमि जी
आपके नियामक बनने से किसी कोई दिक्कत नही है जितेन्द्र जी ने सिर्फ उदहारण दिया है
आप खुद जानती है कि आपको नियामक बनाने मे किस किस सहमति थी
लड़की लड़को की बराबरी क्यो नही कर सकती
इसका भी उदहारण भी आप ही हो उन पुरुष नियामकोँ से कही ज्यादा बेहतर काम किया है
फोरम पर
पर उनकी प्रविष्टि से तो ऐसा ही लगता है
कि "नियामकों का चुनाव करते समय उन्हें नहीं पूछा गया...."
और फिर हमारा नाम क्यों लिया गया कि "वो सिर्फ एक लड़की हैं इसलिए उन्हें नियामक बनाया गया"
क्या आपको नहीं लगता हमारे नियामक बनने के पीछे कहीं ना कहीं वो कुंठित हैं...और आज उनके मुह से सच निकल ही गया है

Kumar Anil
31-03-2011, 04:42 PM
मै चाहूँ तो इस फोरम को अकेले बूते पर अव्वल दर्जे पर स्थापित कर दूँ
ये मेरा अहम् नहीं ..अपनी योग्यता ...क्षमता ...लगन ...ज्ञान ..मेहनत ...के बल पर कह रहां हूँ
मगर मै पहले शायद कुछ अपरिपक्व लोगों को बहार का रास्ता दिखा दूँ
किसी सिस्टम को केवल खड़ा करना कोई बहादुरी नहीं है
बहादुर तो वो है जो उसे सफलता से शिखर पर कायम कर दे
मै भी एक दुसरे फोरम के अपरिपक्व नियामको और प्रशासकों को देख रहां हूँ
जहां चापलूसी एक चलन बन चुका है
मगर आपलोगों से अंतर इस बात का है की वहाँ शक्ति एक हाथ में ही केन्द्रित है
जो भी असंतुष्ट हैं उन्हें ये समझना चाहिए ..

हे ज्ञान के असीम भण्डार ! झटका गुरु , पहले अपना नाम स्थापित कर लो , तब हमारे फोरम को स्थापित करो ।

khalid
31-03-2011, 04:42 PM
................................................

भुमि जी यह तो अपने आप से या सिस्टम से भागने वाली बात हो गई आप अपने आप पद ना छोडे आप को सिर्फ लडकी की वजह से पद नहीँ दिया गया हैँ आप इस पद के लायक हैँ इसलिए हैँ किसी को आप मौका मत दो कहने का कि पद छोडा हैँ निकाला नहीँ किसी से

sahiba
31-03-2011, 04:44 PM
मोहतरमा या मोहतरम , आप जो कोई भी होँ , यह झगड़ा हम लोगोँ के बीच हो रहा है और घर के झगड़े मेँ पड़ोसी टाँग नहीँ अड़ाया करते । आपसे किसी सदस्य या प्रबन्धन ने मदद की दरियाफ़्त नहीँ की है । जहाँ तक आपके फोरम के सभ्य , शील नियामकोँ के शांतिप्रिय होने की बात है तो अफ़ीम का इंजेक्शन लेने और लगाने वाले नशे मेँ धुत्त रहते हैँ , झगड़ा क्या ख़ाक करेँगे । आपके लिये मनोरंजन के तमाम सूत्र बनाये गये हैँ , जाकर मनोरंजन कीजिये ।
जब तक जगडा आप लोगो के बिच था तभी तक मेने कुछ नहीं कहा लेकिन जब *** फॉर्म को बिच मैं लाया जा रहा हे तो हम क्यों चुप बेठे अगर मेने एक बात इस फॉर्म के बारे मैं क्या बोल दी तो आप भी जलने लगे तो जीतेन्द्र जी को *** फॉर्म के बारे मैं लिखा तो हमारा भी खून नहीं खोलेगा रही बात मनोरंजन की तो सबसे जायद मनोरंजन इस सूत्र पर ही मिल रहा हे देखो केसे दो मित्र एक फॉर्म के लिए जगड रहे हे और ये मनोरंजन से कम नहीं हे और इससे अच्छी बात तो ये हे की आप जेसे भी ज्ञानी हमें ज्ञान की बाते बता रहे हो

http://www.grinshare.com/img/NHUTQ4.jpg

bhoomi ji
31-03-2011, 04:46 PM
साहिबा जी, जब झगड़ा होता है तो दिमाग पर एक पट्टी चढ़ जाती है, जितेंद्र जी, अभी गुस्से मे अंधे हो गए है..... समझा कीजिये। वैसे भी ये जितेंद्र जी और अभिषेक जी का झगड़ा है, इन्हे ही निपटने दीजिये। मै तो नियामक हूँ और अपनी तरफ से जितेंद्र जी को सही बात समझाने की कोशिश कर रहा हूँ। आप उस पॉर्न साईट के पक्ष मे इतना क्यों रिएक्ट कर रही है?

हम भी देख रहे हैं जब से ये सूत्र बना है तब से नयी नयी आई डी बन रही हैं
नवागत अपने नए नए धांसू टाइप के सुझाव दे रहे हैं
लगता ही नहीं कि वो नवागत हैं ऐसे लगता है जैसे वो फोरम के सबसे बरिष्ठ सदस्य हों

और फिर बात बात पर किसी अन्य फोरम का जिक्र करते हैं और उसकी बढ़ाई और यहाँ की बुराई करने से नहीं चूक रहे हैं
:elephant::elephant:

sahiba
31-03-2011, 04:47 PM
साहिबा जी, जब झगड़ा होता है तो दिमाग पर एक पट्टी चढ़ जाती है, जितेंद्र जी, अभी गुस्से मे अंधे हो गए है..... समझा कीजिये। वैसे भी ये जितेंद्र जी और अभिषेक जी का झगड़ा है, इन्हे ही निपटने दीजिये। मै तो नियामक हूँ और अपनी तरफ से जितेंद्र जी को सही बात समझाने की कोशिश कर रहा हूँ। आप उस पॉर्न साईट के पक्ष मे इतना क्यों रिएक्ट कर रही है?
अच्छा पोर्न साईट हे मैं नहीं मानती की वो पोर्न साईट हे और इसी तरह वहा ज्ग्दते नहीं हे जेसा यह हो रहा हे
और ये भी बता दू की वो एक वयसय्क साईट हे पोर्न साईट नहीं

arvind
31-03-2011, 04:49 PM
मै चाहूँ तो इस फोरम को अकेले बूते पर अव्वल दर्जे पर स्थापित कर दूँ
ये मेरा अहम् नहीं ..अपनी योग्यता ...क्षमता ...लगन ...ज्ञान ..मेहनत ...के बल पर कह रहां हूँ
मगर मै पहले शायद कुछ अपरिपक्व लोगों को बहार का रास्ता दिखा दूँ
किसी सिस्टम को केवल खड़ा करना कोई बहादुरी नहीं है
बहादुर तो वो है जो उसे सफलता से शिखर पर कायम कर दे
मै भी एक दुसरे फोरम के अपरिपक्व नियामको और प्रशासकों को देख रहां हूँ
जहां चापलूसी एक चलन बन चुका है
मगर आपलोगों से अंतर इस बात का है की वहाँ शक्ति एक हाथ में ही केन्द्रित है
जो भी असंतुष्ट हैं उन्हें ये समझना चाहिए ..
क्या बात है - एच0 डी0 देवगोड़ा जी आपका स्वागत है - मै आपका नाम का प्रस्ताव रखता हूँ।

arvind
31-03-2011, 04:51 PM
अच्छा पोर्न साईट हे मैं नहीं मानती की वो पोर्न साईट हे और इसी तरह वहा ज्ग्दते नहीं हे जेसा यह हो रहा हे
और ये भी बता दू की वो एक वयसय्क साईट हे पोर्न साईट नहीं
दिल बहलाने के लिए गालिब ख्याल अच्छा है। अगर उसे "वयस्क" कहते है तो "पॉर्न" किसे कहते है?

sahiba
31-03-2011, 04:54 PM
दिल बहलाने के लिए गालिब ख्याल अच्छा है। अगर उसे "वयस्क" कहते है तो "पॉर्न" किसे कहते है?
जिस साईट मैं पूरा पोर्न ही भरा हो लेकिन उसमे समान्य मंच भी हे और इस साईट का हाल तो कोई पोर्न साईट से भी बदतर हे और कृपया उस साईट को पोर्न साईट न कहे

bhoomi ji
31-03-2011, 04:54 PM
भुमि जी यह तो अपने आप से या सिस्टम से भागने वाली बात हो गई आप अपने आप पद ना छोडे आप को सिर्फ लडकी की वजह से पद नहीँ दिया गया हैँ आप इस पद के लायक हैँ इसलिए हैँ किसी को आप मौका मत दो कहने का कि पद छोडा हैँ निकाला नहीँ किसी से

पर ऐसे देश में रहने से क्या फायदा जहाँ आपके और आपके कार्य की कोई वैल्यू ही ना हो?
एक तो फ़ोकट में फोरम का कार्य करो दूसरा कभी किसी के तो कभी किसी के ताने सुनो..
हम पूछते हैं आखिर क्यों सुने किसी के ताने? नहीं करनी हमें ऐसे फोरम की नौकरी...जहाँ इज्जत ना दी जाती हो....


पर हम आपसे सहमत नहीं हैं कि "पद छोड़ा है निकाला नहीं है"
हमारी सोच तो ये है कि समय रहते इज्जत से संन्यास ले लो वर्ना खामखाँ गांगुली की तरह बोलते फिरोगे कि "मुझमे अभी बहुत क्रिकेट बची है,, और मुझे लगता है कि में कोलकाता नाईट राइडर्स को कुछ क्रिकेट दे सकता हूँ"...जबकि वो आपको टीम में ही नहीं ले रहे हैं........
इससे अच्छा तो संन्यास ले के कमेट्री कर लो,,,मैच रेफरी बन जाओ....:crazyeyes::crazyeyes:

sahiba
31-03-2011, 04:56 PM
दिल बहलाने के लिए गालिब ख्याल अच्छा है। अगर उसे "वयस्क" कहते है तो "पॉर्न" किसे कहते है?
वेसे आप भी यहाँ बता रहे हे की ये एक हिंदी साईट हे लेकिन यहाँ तो दूसरी साईट की खिचाई और जगड़े हो रहे हे तो आप इस साईट का नाम बदल के ये रख दे की खिचाई और जगड़े की हिंदी साईट

arvind
31-03-2011, 04:59 PM
हम भी देख रहे हैं जब से ये सूत्र बना है तब से नयी नयी आई डी बन रही हैं
नवागत अपने नए नए धांसू टाइप के सुझाव दे रहे हैं
लगता ही नहीं कि वो नवागत हैं ऐसे लगता है जैसे वो फोरम के सबसे बरिष्ठ सदस्य हों

और फिर बात बात पर किसी अन्य फोरम का जिक्र करते हैं और उसकी बढ़ाई और यहाँ की बुराई करने से नहीं चूक रहे हैं
:elephant::elephant:
जब किसी के घर मे झगड़ा होता है तो मुहल्ले वाले सबसे ज्यादा मजा लेते है, और ऐसे समय मे सबसे ज्यादा आनंद की प्राप्ति तो उन लोगो को होती है, सो आपसे सबसे ज्यादा जलते है। ऐसे लोग झगड़ा और भड़का कर खूब मजा लेना जानते है। जबकि आपके मोहल्ले के अच्छे लोग कोशिश करते है की कैसे झगड़ा शांत हो। देख लीजिये जिन लोगो को पॉर्न साईट पर मजा आ रहा था - यहा पर नए-नए id बनाकर कैसे - कैसे कोमेंट्स कर मजा ले रहे है।

saajid
31-03-2011, 05:01 PM
दिल बहलाने के लिए गालिब ख्याल अच्छा है। अगर उसे "वयस्क" कहते है तो "पॉर्न" किसे कहते है?
अनिल जी
आपने जिस साईट की बात की है तो आपको बता दूं के यहाँ के अधिकतर सदस्य वहां भी नियमित सदस्य हैं, आप चाहें तो बाकायदा वहां और यहाँ की आईडी के नाम आपको बता दिए जाएँ.
लेकिन आप उन बाकी के ८०० सदस्यों के नाम भी तो बताइये जो आज इस फोरम पर मुंह दिखने भी नहीं आते हैं. ८०० और १८ में बहुत बड़ा अंतर है.
आपने जो कहानी लिखी है वो बहुत हद तक सही है.
राजा (किंग...) आज भी उसी बाड़े के मेहमान हैं.

arvind
31-03-2011, 05:04 PM
जिस साईट मैं पूरा पोर्न ही भरा हो लेकिन उसमे समान्य मंच भी हे और इस साईट का हाल तो कोई पोर्न साईट से भी बदतर हे और कृपया उस साईट को पोर्न साईट न कहे

मतलब रेड लाईट एरिया मे एक मंदिर है - तो भी रेड लाईट एरिया ही होगा।

sahiba
31-03-2011, 05:04 PM
जब किसी के घर मे झगड़ा होता है तो मुहल्ले वाले सबसे ज्यादा मजा लेते है, और ऐसे समय मे सबसे ज्यादा आनंद की प्राप्ति तो उन लोगो को होती है, सो आपसे सबसे ज्यादा जलते है। ऐसे लोग झगड़ा और भड़का कर खूब मजा लेना जानते है। जबकि आपके मोहल्ले के अच्छे लोग कोशिश करते है की कैसे झगड़ा शांत हो। देख लीजिये जिन लोगो को पॉर्न साईट पर मजा आ रहा था - यहा पर नए-नए id बनाकर कैसे - कैसे कोमेंट्स कर मजा ले रहे है।
अगर आपने उस साईट जिक्र यहाँ किया न होता तो हम चुप बैठते और मेने आप लोगो के जगड़े मैं कोई दखलअंदाजी नहीं की बल्कि आपकी साईट वाले ही इस सूत्र को और बढ़ावा दे रहे हे और रही बात दूसरी id बना ने की दूसरी id तो कायर बनाते हे जो यहाँ भी उपलब्ध हे और मेरी ये एक ही id हे और रही बात *** साईट की तो वह इस तरह फॉर्म बेचने का जगडा नहीं होता जेसा आप लोग करते हो

arvind
31-03-2011, 05:08 PM
वेसे आप भी यहाँ बता रहे हे की ये एक हिंदी साईट हे लेकिन यहाँ तो दूसरी साईट की खिचाई और जगड़े हो रहे हे तो आप इस साईट का नाम बदल के ये रख दे की खिचाई और जगड़े की हिंदी साईट
आपका सुझाव अच्छा है - मै बहुत जल्दी ये साईट शुरू करने जा रहा हूँ और आप उस फोरम कि "प्रशासक" होंगी।

sahiba
31-03-2011, 05:08 PM
मतलब रेड लाईट एरिया मे एक मंदिर है - तो भी रेड लाईट एरिया ही होगा।
हाँ तो आपको किसने कहा वहा आने के लिए अगर आप किसीका भला न कर सकते हो तो कोई बात नहीं लेकिन किसीका बुरा रो मत करो इस सूत्र की हालत तो रेड लाईट एरया से भी बदतर हे इसका मतलब तो ये हुआ न की बहार बहार से जानत और अन्दर से जहनुम

saajid
31-03-2011, 05:09 PM
एक बात और, पुराने जो भी सदस्य यहाँ से भाग कर गए है, उनसे हमे कोई लेना देना नहीं! अगर वो इतने ही ढूढ़ के धुले थे तो सच का सामना करते. वैसे भी उन लोगो को इस फोरम में सिर्फ इसलीये दिलचस्पी थी की उनका पसंदीदा फोरम बंद था. जिस दिन से वो शुरू हुआ, वो लोगो ने आना ही बंद कर दिया. उनको कितनी बार पुछा, पर वो वाहन दिन भर बने रहते और यहाँ दर्शन भी नहीं देते थे. ६ नियामकों के वाबजूद, जो भी समस्या होती उसको सिर्फ मैं और अभिषेक संभाल रहे थे.
उनको प्रबंधन से भगाने से पहले कई बार कहा गया की आप लोग यहाँ के नियामक हो, कम से दिन में दो घंटे तो दो. पर जब कुछ बात नहीं बनी, तो उन लोगो को हटाना पड़ा. दुसरे किसी फोरम के सदस्य है, उससे हमे कोई परेशानी नहीं, पर यहाँ के नियामक होकर भी यहाँ नहीं आते थे. अभी, मैं, अमित अभिषेक, वगेरह सब कुछ भी हो थोड़े समय के लिए जरूर आते हो, फिर चाहे घर पर नेट नहीं चल रहा हो, या पुरे दिन ऑफिस में रहे. वो लोग दिन भर फ़ालतू रहते थे, पर फिर भी यहाँ नहीं आते थे. ऐसे लोगो के बारे में इसलिए ज्यादा बात करने का फायदा ही नहीं! वो सब भाड में जाये. अगर उन्हें इस फोरम से, या यहाँ के सदस्यों से लगाव होता तो वो खुद ही यहाँ आते. सिर्फ अपने फोरम की बधाई करने और यहाँ के सदस्यों की बुराई करने ही वो अभी नए नए नाम से आते रहते है. उनको इग्नोर करने से अच्छा कोई काम नहीं. आये तो ध्यान मत दो, अपने आप भाग जायेंगे.
जीतेन्द्र जी
मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या यह सही नहीं है कि पहले के नियामक, जो दूसरे फोरम से आये थे, अपमान से आहत नहीं हुए ?
इसका कारण
१. अभिषेक जी अपनी मनमानी करते थे, किसी की चलने नहीं देते थे, क्या इन्होने यह नहीं कह दिया था कि होगा वो जो मैं चाहूँगा. इसके बाद सभी नियामकों के अधिकार कम कर दिए गए.
२. क्या यह सही नहीं है इसके बाद एक नए नियामक ने बाकायदा घोषणा कर दी कि सभी मेरे कहने में चलेंगे और अभिषेक जी ने इस पर भी उनपर कोई रोकथाम नहीं की, जिस पर नियामक क्षेत्र में झगड़ा हुआ और सभी पुराने नियामक फोरम छोड़ कर चले गए.
३. एक उग्र सदस्य को पहले तो बैन किया गया फिर फोन पर बात होने के बाद उनका बैन खोल दिया गया और उन्होंने सभी उस फोरम के सदस्यों को धमकाना शुरू कर दिया.
४. कभी भी नियामक क्षेत्र में फोरम पर वयस्क सामग्री डालने के लेकर ना तो चर्चा ही हुई और ना ही कोई जोर जबरदस्ती. वर्तमान नियामक नियामक क्षेत्र में खुद देख कर तफ्तीश कर सकते हैं.
५. सभी मेहमान सदस्यों को वहाँ के सदस्य होने के कारण अपमानित भाषा से संबोधित किया गया जैसा कि एक सदस्या ने यहाँ एक प्रविष्टि में भी किया है.

मैं अभिषेक जी को चैलेन्ज करता हूँ कि वे कि मेरी एक एक बात असत्य सिद्ध करें.
ऐसे कौन सदस्य हैं जो अपमान सह कर भी फोरम पर बने रहेंगे. यदि आप ही अपने सदस्यों के मान-सम्मान का ख्याल नहीं रखते हैं तो खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी तो आप ही मार रहे हैं. मैं पहले ही कह चुका हूँ कि फोरम आपका है और आगे बढाने के लिए उचित मार्ग भी आप को ही चुनना है.


जीतेन्द्र जी क्या उपरोक्त बातें पूर्ण सत्य नहीं हैं ?
सच्चाई ये है. अपनी आँखें और दिमाग खुले रखिये ताकि सही और गलत का फैसला कर सको ना कि सुनी सुनाई पर विश्वास करके दूसरों को गलत समझो. मैं आपको एक सही व्यक्ति समझता हूँ इसलिए यह बात आपसे कह रहा हूँ.
एक बार अभिषेक जी से कठोरता से पूछिए कि मेरी बातों में असत्य क्या है. इस प्रविष्टि में नहीं, किसी भी प्रविष्टि में.
यदि आपको यकीन नहीं है तो दूसरे सदस्यों को फोन करके पूछिए कि उनके साथ क्या हुआ था. यदि आपसही हैं तो पूरी तहकीकात करके सही का साथ दीजिये.


और हाँ भाग कर जाने से क्या मतलब है आपका
सदस्यों ने क्या आपसे उधार ले रखा है जो भाग गए

Sikandar_Khan
31-03-2011, 05:09 PM
हम भी देख रहे हैं जब से ये सूत्र बना है तब से नयी नयी आई डी बन रही हैं
नवागत अपने नए नए धांसू टाइप के सुझाव दे रहे हैं
लगता ही नहीं कि वो नवागत हैं ऐसे लगता है जैसे वो फोरम के सबसे बरिष्ठ सदस्य हों

और फिर बात बात पर किसी अन्य फोरम का जिक्र करते हैं और उसकी बढ़ाई और यहाँ की बुराई करने से नहीं चूक रहे हैं
:elephant::elephant:

देशप्रेमी जो ठहरे
हिँदी के नाम पर झंडा जो फहरा रहे हैँ |

sahiba
31-03-2011, 05:11 PM
आपका सुझाव अच्छा है - मै बहुत जल्दी ये साईट शुरू करने जा रहा हूँ और आप उस फोरम कि "प्रशासक" होंगी।
इससे अच्छा तो आप *** मैं चले आईये और वहा आके अच्छे से काम करे तो आप वहा के प्रशासक होंगे

saajid
31-03-2011, 05:11 PM
जब किसी के घर मे झगड़ा होता है तो मुहल्ले वाले सबसे ज्यादा मजा लेते है, और ऐसे समय मे सबसे ज्यादा आनंद की प्राप्ति तो उन लोगो को होती है, सो आपसे सबसे ज्यादा जलते है। ऐसे लोग झगड़ा और भड़का कर खूब मजा लेना जानते है। जबकि आपके मोहल्ले के अच्छे लोग कोशिश करते है की कैसे झगड़ा शांत हो। देख लीजिये जिन लोगो को पॉर्न साईट पर मजा आ रहा था - यहा पर नए-नए id बनाकर कैसे - कैसे कोमेंट्स कर मजा ले रहे है।
सुबूत है कि दूसरे फोरम के सदस्यों के लिए किन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. इन्हें पहले यह सीखना चाहिए कि किसी सदस्य के लिए किस प्रकार की भाषा का इस्तेमान करना चाहिए. बिना वजह ऐसे शब्दों का प्रयोग करके ये खुद अपनी मानसिकता बता रहे हैं.
किसी के माथे पर लिखा है क्या के उसे क्या पसंद है

arvind
31-03-2011, 05:14 PM
इससे अच्छा तो आप *** मैं चले आईये और वहा आके अच्छे से काम करे तो आप वहा के प्रशासक होंगे


जरूर, आप जरा गुरु जी से मेरी पैरवी कर दीजिये ना, वैसे भी अब तो मै भी यहा नहीं रहने वाला.... वहा मेरा id है herornc। प्लीज.......

मेरे साथ अभिषेक जी और भूमि जी भी आ रहे है।

sahiba
31-03-2011, 05:16 PM
जीतेन्द्र जी
मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या यह सही नहीं है कि पहले के नियामक, जो दूसरे फोरम से आये थे, अपमान से आहत नहीं हुए ?
इसका कारण
१. अभिषेक जी अपनी मनमानी करते थे, किसी की चलने नहीं देते थे, क्या इन्होने यह नहीं कह दिया था कि होगा वो जो मैं चाहूँगा. इसके बाद सभी नियामकों के अधिकार कम कर दिए गए.
२. क्या यह सही नहीं है इसके बाद एक नए नियामक ने बाकायदा घोषणा कर दी कि सभी मेरे कहने में चलेंगे और अभिषेक जी ने इस पर भी उनपर कोई रोकथाम नहीं की, जिस पर नियामक क्षेत्र में झगड़ा हुआ और सभी पुराने नियामक फोरम छोड़ कर चले गए.
३. एक उग्र सदस्य को पहले तो बैन किया गया फिर फोन पर बात होने के बाद उनका बैन खोल दिया गया और उन्होंने सभी उस फोरम के सदस्यों को धमकाना शुरू कर दिया.
४. कभी भी नियामक क्षेत्र में फोरम पर वयस्क सामग्री डालने के लेकर ना तो चर्चा ही हुई और ना ही कोई जोर जबरदस्ती. वर्तमान नियामक नियामक क्षेत्र में खुद देख कर तफ्तीश कर सकते हैं.
५. सभी मेहमान सदस्यों को वहाँ के सदस्य होने के कारण अपमानित भाषा से संबोधित किया गया जैसा कि एक सदस्या ने यहाँ एक प्रविष्टि में भी किया है.

मैं अभिषेक जी को चैलेन्ज करता हूँ कि वे कि मेरी एक एक बात असत्य सिद्ध करें.
ऐसे कौन सदस्य हैं जो अपमान सह कर भी फोरम पर बने रहेंगे. यदि आप ही अपने सदस्यों के मान-सम्मान का ख्याल नहीं रखते हैं तो खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी तो आप ही मार रहे हैं. मैं पहले ही कह चुका हूँ कि फोरम आपका है और आगे बढाने के लिए उचित मार्ग भी आप को ही चुनना है.


जीतेन्द्र जी क्या उपरोक्त बातें पूर्ण सत्य नहीं हैं ?
सच्चाई ये है. अपनी आँखें और दिमाग खुले रखिये ताकि सही और गलत का फैसला कर सको ना कि सुनी सुनाई पर विश्वास करके दूसरों को गलत समझो. मैं आपको एक सही व्यक्ति समझता हूँ इसलिए यह बात आपसे कह रहा हूँ.
एक बार अभिषेक जी से कठोरता से पूछिए कि मेरी बातों में असत्य क्या है. इस प्रविष्टि में नहीं, किसी भी प्रविष्टि में.
यदि आपको यकीन नहीं है तो दूसरे सदस्यों को फोन करके पूछिए कि उनके साथ क्या हुआ था. यदि आपसही हैं तो पूरी तहकीकात करके सही का साथ दीजिये.


और हाँ भाग कर जाने से क्या मतलब है आपका
सदस्यों ने क्या आपसे उधार ले रखा है जो भाग गए
सही बात हे एक दम सही
पहले खुद की तो देखते नहीं हे और दुसरो पे दोस दे देते हे

arvind
31-03-2011, 05:17 PM
सुबूत है कि दूसरे फोरम के सदस्यों के लिए किन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. इन्हें पहले यह सीखना चाहिए कि किसी सदस्य के लिए किस प्रकार की भाषा का इस्तेमान करना चाहिए. बिना वजह ऐसे शब्दों का प्रयोग करके ये खुद अपनी मानसिकता बता रहे हैं.
किसी के माथे पर लिखा है क्या के उसे क्या पसंद है
जियो मेरे शेर.... क्या बात कही है आपने....
मेरा तो धज्जी उड़ा दिया। :banalama:

saajid
31-03-2011, 05:18 PM
जरूर, आप जरा गुरु जी से मेरी पैरवी कर दीजिये ना, वैसे भी अब तो मै भी यहा नहीं रहने वाला.... वहा मेरा id है herornc। प्लीज.......

मेरे साथ अभिषेक जी और भूमि जी भी आ रहे है।
"मुह में राम बगल में छुरी"
ये सूत्र शायद एक उद्द्येश्य था कि पिछले नियामक और सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया जाये.
अब जल्दी ही जीतेन्द्रजी खुश नजर आएंगे कि सब ठीक हो गया है और मनमुटाव भी खत्म हो गए है

bhoomi ji
31-03-2011, 05:20 PM
जीतेन्द्र जी
मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या यह सही नहीं है कि पहले के नियामक, जो दूसरे फोरम से आये थे, अपमान से आहत नहीं हुए ?
इसका कारण
१. अभिषेक जी अपनी मनमानी करते थे, किसी की चलने नहीं देते थे, क्या इन्होने यह नहीं कह दिया था कि होगा वो जो मैं चाहूँगा. इसके बाद सभी नियामकों के अधिकार कम कर दिए गए.
२. क्या यह सही नहीं है इसके बाद एक नए नियामक ने बाकायदा घोषणा कर दी कि सभी मेरे कहने में चलेंगे और अभिषेक जी ने इस पर भी उनपर कोई रोकथाम नहीं की, जिस पर नियामक क्षेत्र में झगड़ा हुआ और सभी पुराने नियामक फोरम छोड़ कर चले गए.
३. एक उग्र सदस्य को पहले तो बैन किया गया फिर फोन पर बात होने के बाद उनका बैन खोल दिया गया और उन्होंने सभी उस फोरम के सदस्यों को धमकाना शुरू कर दिया.
४. कभी भी नियामक क्षेत्र में फोरम पर वयस्क सामग्री डालने के लेकर ना तो चर्चा ही हुई और ना ही कोई जोर जबरदस्ती. वर्तमान नियामक नियामक क्षेत्र में खुद देख कर तफ्तीश कर सकते हैं.
५. सभी मेहमान सदस्यों को वहाँ के सदस्य होने के कारण अपमानित भाषा से संबोधित किया गया जैसा कि एक सदस्या ने यहाँ एक प्रविष्टि में भी किया है.

मैं अभिषेक जी को चैलेन्ज करता हूँ कि वे कि मेरी एक एक बात असत्य सिद्ध करें.
ऐसे कौन सदस्य हैं जो अपमान सह कर भी फोरम पर बने रहेंगे. यदि आप ही अपने सदस्यों के मान-सम्मान का ख्याल नहीं रखते हैं तो खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी तो आप ही मार रहे हैं. मैं पहले ही कह चुका हूँ कि फोरम आपका है और आगे बढाने के लिए उचित मार्ग भी आप को ही चुनना है.


जीतेन्द्र जी क्या उपरोक्त बातें पूर्ण सत्य नहीं हैं ?
सच्चाई ये है. अपनी आँखें और दिमाग खुले रखिये ताकि सही और गलत का फैसला कर सको ना कि सुनी सुनाई पर विश्वास करके दूसरों को गलत समझो. मैं आपको एक सही व्यक्ति समझता हूँ इसलिए यह बात आपसे कह रहा हूँ.
एक बार अभिषेक जी से कठोरता से पूछिए कि मेरी बातों में असत्य क्या है. इस प्रविष्टि में नहीं, किसी भी प्रविष्टि में.
यदि आपको यकीन नहीं है तो दूसरे सदस्यों को फोन करके पूछिए कि उनके साथ क्या हुआ था. यदि आपसही हैं तो पूरी तहकीकात करके सही का साथ दीजिये.


और हाँ भाग कर जाने से क्या मतलब है आपका
सदस्यों ने क्या आपसे उधार ले रखा है जो भाग गए


एक सदस्य होते हुए भी इतना ज्ञान?
हम तो धन्य हुए.......हमें तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं था....शुक्रिया जो आपने बता दिया........
:crazyeyes:

sahiba
31-03-2011, 05:21 PM
जरूर, आप जरा गुरु जी से मेरी पैरवी कर दीजिये ना, वैसे भी अब तो मै भी यहा नहीं रहने वाला.... वहा मेरा id है herornc। प्लीज.......

मेरे साथ अभिषेक जी और भूमि जी भी आ रहे है।
हा लेकिन बता बता दू की वहा नियम सब पर लागु पड़ते हे यहाँ की तरह वहा नहीं चलता अगर आपको उस साईट से नफरत हे तो वहा id ही क्यों बना बेठे ये तो इसी बात हुयी न की नोसो चूहे खाकर बिली चली हजको

bhoomi ji
31-03-2011, 05:22 PM
जरूर, आप जरा गुरु जी से मेरी पैरवी कर दीजिये ना, वैसे भी अब तो मै भी यहा नहीं रहने वाला.... वहा मेरा id है herornc। प्लीज.......

मेरे साथ अभिषेक जी और भूमि जी भी आ रहे है।
अरविन्द जी
आप तो "प्रशाशक" बन गए
पर हमारा क्या होगा?:tomato::tomato:
हमें भी कोई छोटा मोटा पद दे देना आप........:cryingbaby:

saajid
31-03-2011, 05:23 PM
एक सदस्य होते हुए भी इतना ज्ञान?
हम तो धन्य हुए.......हमें तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं था....शुक्रिया जो आपने बता दिया........
:crazyeyes:
जी हाँ आप दिमाग खोल के सोचेंगी तो याद भी आ जायेगा के कौन क्या है
हम तो यहाँ अच्छे दोस्त बनाने आये थे पर यहाँ तो इस तरह से सदस्यों के साथ वर्ताव किया जा रहा है के जैसे हम ने कोई बहुत बरा अपराध कर दिया है

arvind
31-03-2011, 05:25 PM
हा लेकिन बता बता दू की वहा नियम सब पर लागु पड़ते हे यहाँ की तरह वहा नहीं चलता अगर आपको उस साईट से नफरत हे तो वहा id ही क्यों बना बेठे ये तो इसी बात हुयी न की नोसो चूहे खाकर बिली चली हजको

नहीं, नहीं आप गलत समझ रही है..... अब मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है, मुझे वो साईट नहीं छोड़नी चाहिए थी, मेरे ही दिमाग पर पत्थर पड़ा हुआ था। चलो जो हुआ सो हुआ..... अगर सुबह का भुला शाम को वापस घर आए तो क्या आपलोग उसे घर मे नहीं घुसने दोगे, ऐसा तो वहा नहीं है।

bhoomi ji
31-03-2011, 05:25 PM
"मुह में राम बगल में छुरी"
ये सूत्र शायद एक उद्द्येश्य था कि पिछले नियामक और सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया जाये.
अब जल्दी ही जीतेन्द्रजी खुश नजर आएंगे कि सब ठीक हो गया है और मनमुटाव भी खत्म हो गए है
आपको कैसे पता?

ओह हम तो भूल ही गए...आखिर इस फिल्म के डाइरेक्टर तो आप ही हो
अब फिल्म में आगे क्या होगा? ये डाइरेक्टर को नहीं पता होगा तो किसे पता होगा?
इसका क्लाइमेक्स तो बता दीजिए .............:crazyeyes::crazyeyes:

bhoomi ji
31-03-2011, 05:28 PM
जी हाँ आप दिमाग खोल के सोचेंगी तो याद भी आ जायेगा के कौन क्या है
हम तो यहाँ अच्छे दोस्त बनाने आये थे पर यहाँ तो इस तरह से सदस्यों के साथ वर्ताव किया जा रहा है के जैसे हम ने कोई बहुत बरा अपराध कर दिया है
आप धन्य हैं जो दिमाग "खोल" के सोचते हैं......
आपसे मिलकर हम धन्य हुए...
क्या कोई ट्रिक है जिससे दिमाग "खोला" जा सके?

arvind
31-03-2011, 05:29 PM
"मुह में राम बगल में छुरी"
ये सूत्र शायद एक उद्द्येश्य था कि पिछले नियामक और सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया जाये.
अब जल्दी ही जीतेन्द्रजी खुश नजर आएंगे कि सब ठीक हो गया है और मनमुटाव भी खत्म हो गए है
सारे फसाद कि जड़ तो जितेंद्र जी है - पता नहीं आग लगाकर कहा गायब है..... भाड़ मे जाये जितेंद्र जी और ये फोरम..... मै अपना इस्तीफा देता हूँ।

sahiba
31-03-2011, 05:29 PM
जी हाँ आप दिमाग खोल के सोचेंगी तो याद भी आ जायेगा के कौन क्या है
हम तो यहाँ अच्छे दोस्त बनाने आये थे पर यहाँ तो इस तरह से सदस्यों के साथ वर्ताव किया जा रहा है के जैसे हम ने कोई बहुत बरा अपराध कर दिया है
ऐसे वर्ताव करते हे करते हे जेसे हम कोई दुसमन देस के हो और भूमि जी भी वहा की सम्मानित सदस्य हे इनको भी पता होगा न की वहा का वर्ताव और यहाँ के वर्ताव मैं कितना फर्क हे और यहाँ अभी ही इन्होने पद छोड़ने की बात क्या की थी कोने कोने से तालिया बज रही थी

bhoomi ji
31-03-2011, 05:31 PM
सारे फसाद कि जड़ तो जितेंद्र जी है - पता नहीं आग लगाकर कहा गायब है..... भाड़ मे जाये जितेंद्र जी और ये फोरम..... मै अपना इस्तीफा देता हूँ।
हम आपके साथ हैं
फ़ोकट में यहाँ अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं......
जबकि सदस्य हमें दिमाग "खोल" कर सोचने के लिए कह रहे हैं
हम भी अपना पद त्याग रहे हैं.....
वंदे मातरम

bhoomi ji
31-03-2011, 05:34 PM
ऐसे वर्ताव करते हे करते हे जेसे हम कोई दुसमन देस के हो और भूमि जी भी वहा की सम्मानित सदस्य हे इनको भी पता होगा न की वहा का वर्ताव और यहाँ के वर्ताव मैं कितना फर्क हे और यहाँ अभी ही इन्होने पद छोड़ने की बात क्या की थी कोने कोने से तालिया बज रही थी



हम वहां सम्मानित सदस्य हैं या नहीं ये आपको कैसे पता?
जबकि आप और हम तो कभी मिले ही नहीं फोरम पर....
आपको तो पहली बार देखा है.......:help:


और ये मुआं फोरम का कोना कहाँ है जहाँ से ये तालियाँ बज रही है:bang-head:
और कौन वो सदस्य है जो ताली बजा रहा है.......
जरा हम भी तो देखें :elephant::elephant:

saajid
31-03-2011, 05:36 PM
आप धन्य हैं जो दिमाग "खोल" के सोचते हैं......
आपसे मिलकर हम धन्य हुए...
क्या कोई ट्रिक है जिससे दिमाग "खोला" जा सके?
नहीं बेच रहे कुछ भी ये लोग

चर्चा चली थी कि अभिषेक जी एमबीए करने के लिए फोरम कुछ दिनों के लिए किसी को सौंपना चाहते हैं ताकी निश्चिन्त होकर पढाई कर सकें .
अब मुझे इस नाटक का सारा मतलब समझ आ गया
जीतेन्द्र जी की पोस्ट पढ़कर.
वास्तविकता ये है कि अटल के टकराव से ही सारे नियामक नाराज होकर वहाँ से रुखसत हुए थे. युवराज ने बाकायदा धमाल मचाया और अभिषेक जी का हाथ युवराज और हमसफर पर रहा. इसलिए इस फोरम पर रचनात्मक करने को कुछ बाकी नहीं बचा.
हमारे फोरम पर हमारे काम से आपको क्या लगता है कि हमने किसी सदस्य की मानसिकता को खराब किया है ?
क्या हम यहाँ मस्तियाँ करने आते हैं ?
सबसे पहले फोरम के नियमित काम करने के बाद फिर कभी चौपाल पर आते होंगे या कहीं किसी सूत्र में जवाब देते होंगे.
कभी आपने कभी हमारे नियामको को ऐसी फ़ालतू के सूत्र बनाते देखा या फिर इस प्रकार की बातचीत करते देखा ?
यहाँ १-२ सदस्यों को छोर कर सबकी आँखों पर पट्टी बंधी हुई है और किसी भी प्रकार की चर्चा से कोई लाभ नहीं है.
गिनती के कुल ५-७ सदस्य यहाँ प्रविष्टियाँ करते रहते हैं
इसलिए ये नया फंडा निकला ताकि यहाँ के सदस्य वहाँ आकर्षित हो.

आगे की चर्चा से कोई लाभ नहीं
क्यूँ की मैंने सारे बातें स्पष्ट कर दी हैं जिसे जो करना है करे

saajid
31-03-2011, 05:38 PM
सारे फसाद कि जड़ तो जितेंद्र जी है - पता नहीं आग लगाकर कहा गायब है..... भाड़ मे जाये जितेंद्र जी और ये फोरम..... मै अपना इस्तीफा देता हूँ।

हम आपके साथ हैं
फ़ोकट में यहाँ अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं......
जबकि सदस्य हमें दिमाग "खोल" कर सोचने के लिए कह रहे हैं
हम भी अपना पद त्याग रहे हैं.....
वंदे मातरम
हा हा हा
हा हा हा
हा हा हा
क्या जोक मारा है
हँसते हँसते पेट दर्द कर गया हा हा हा :think: