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View Full Version : भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )


sagar -
02-04-2011, 06:37 PM
इस सूत्र में भुत सम्बन्धी किस्से कहानी बताई जायेगी

sagar -
02-04-2011, 06:44 PM
नोट:- ये नेट से ली हुई कहानी हे इसमें कितनी सचाई हे कहना मुश्किल होगा

रात के लगभग १२ बज रहे थे. जनवरी का महिना, दिनांक: २७, वर्ष: २००९, स्थान: दिल्ली के साकेत में मेरा किराये पर लिया गया फ्लैट. मेरे फ्लैट में दो कमरे है, एक अन्दर की ओर और बाहर की ओर. बाहर वाले कमरे से घर के अन्दर आने का रास्ता और एक छोटा सा बालकोनी भी है. बाहर के कमरे में मैं और अन्दर के कमरे में मेरा भाई सोते थे. जनवरी का महिना… दिल्ली की कड़ाके की ठण्ड. भाई भी नहीं था तो उस रात मैं अन्दर वाले कमरे में सो गया. रजाई की गर्मी में चैन की नींद सो रहा था.


अचानक एक आवाज से मेरी नींद टूटी. छत से लटका पंखा पुरे वेग से जोरों से आवाज करता घूम रहा था. पंखे से ज्यादा तेज मेरा दिमाग घूम गया ये सोंच कर कि पंखा आखिर चला कैसे. स्विच बोर्ड पर हाथ डाला तो पंखे का स्विच ओन था. अकेले फ्लैट में सिर्फ मैं था, चारों ओर से खिड़कियाँ और दरवाजे बंद थे, फिर पंखे का स्विच किसने ओन कर दिया. खैर पंखे को बंद किया और फिर आराम से रजाई में दुबक गया. सुबह लेट से आँख खुली. रात की बात याद थी. एक बार फिर स्विर्च को ओन-ऑफ करके चेक किया कि कहीं स्विच तो ढीला नहीं हो गया. पर स्विच एक दम नया मालूम पड़ रहा था. खैर संयोग सोंच कर बात को भूल गया.


कुछ दिनों बाद मेरा भाई वापस आ गया. फिर हम अपने अपने कमरे में सोने लगे. मेरे भाई को देर रात तक पढने की आदत है. फरवरी का महिना (इस महीने में भी दिल्ली में इतनी ठण्ड तो जरूर होती है कि कोई भी पंखा नहीं चलाता) रात के करीब करीब १२ बजे पंखा फिर घुमने लगा. इस बार उस कमरे में मैं नहीं मेरा भाई था. बाहर के कमरे में मैं चैन की नींद सो रहा था. भाई थोडा घबरा गया अचानक पंखा चलने से… उसने डरते हुए स्विच ऑफ किया (इस बार भी स्विच ओन हो गया था खुद-ब-खुद) और दोबारा पढने बैठ गया. सुबह इस बात को उसने मुझे बताई. मैं सोंच में पड़ गया कि एक ही सप्ताह के अन्दर दो बार एक ही घटना… माजरा तो जानना ही पड़ेगा. पकड़ लाया मैंने एक मेकेनिक को स्विच और पंखे की जांच के लिए. पर सब कुछ ठीक मिला. मेकेनिक के अनुसार कोई गड़बड़ी नहीं थी. फिर संयोग मान कर बात को भूल गया.


कुछ दिनों के बाद भाई अचानक रात में मेरे पास आकर सो गया. सुबह पूछने पर बताया कि रात उसे डर लग रहा था. मैंने पूछा डर किस बात का तो जवाब से उसके मेरे भी सर में दर्द हो गया. उसने बताया कि उसे लगा कि उसके बिस्तर पर पैर के पास कोई बैठ उसे घुर रहा है. मैंने उसे प्यार से समझाया कि उसका वहम होगा, सपना देखा होगा कोई. भुत-प्रेत जैसी बातें नहीं होती है. बात उसके समझ में आ गयी. कुछ दिनों बाद उसकी तबियत अचानक खराब हो गयी और उसे घर (पूर्णिया, बिहार) जाना पड़ गया. एक बार फिर मैं अकेला था. महिना फरवरी का ही था… हाँ दो दिनों के बाद ही फरवरी २००९ ख़त्म होने वाला था. दिन शनिवार. उस दिन मेरा एक मित्र मेरे घर आया हुआ था. रात काफी देर तक बात करने के बाद हमने सोने का मूड बनाया और मित्र को मैंने अन्दर वाले कमरे में सोने को भेज दिया और खुद बाहर वाले कमरे में सो गया (मुझे अपने कमरे में ही अच्छी नींद आती है). बीच रात अचानक वो भी घबरा कर मेरे पास आ कर सो गया. सुबह उसने भी वही कहा जो मेरे भाई ने बताया था. मेरे मित्र को भी बिस्तर पर किसी के होने का अहसास हुआ था… इस बार बात सोंचने वाली थी…. संयोग एक बार हो सकते है पर बार बार नहीं… वहम एक को हो सकता है… पर एक ही वहम तीन लोगों को…. ये सोंचने वाली बात है…


अगली रात रविवार मैं अपने फ्लैट में अकेला था. अन्दर वाले कमरे की बत्ती बुझी हुई थी और मैं अपने कमरे में बिस्तर पर अधलेटा, दीवाल से सिर टिकाये कुछ पढ़ रहा था. अचानक मुझे लगा कि अन्दर वाले कमरे में कोई है. मैंने अपनी नजरें उठाई और अन्दर वाले कमरे की तरफ देखा… एक साया नजर आया… साए को देख कर इतना तो कह सकता हूँ कि वो साया किसी लड़की का था. पल भर को तो शरीर अकड़ सा गया. वो साया मेरी ही ओर देख रहा.. सॉरी देख रही थी… और मैं एक तक उस साए को… लगभग २०-२५ सेकेंड के बाद मैंने अपने शरीर को बुरी तरह झिंझोड़ा और बिस्तर से उठ कर अन्दर वाले कमरे की ओर बढा… पर दरवाजे तक पहुँचते-पहुँचते वो साया मेरी ही आँखों के सामने गायब हो गयी… तेजी से अन्दर वाले कमरे में दाखिल हुआ. बल्ब जलाया और चारों ओर देखा परन्तु कोई नहीं था. बिस्तर के निचे, दरवाजे के पीछे, अलमारी के पीछे सब जगह चेक किया पर कोई न था. तुरंत बाहर वाले कमरे में आया. और मैं दरवाजे को खोलकर बाहर आया, छत पर गया, बालकोनी भी चेक की पर नतीजा कुछ नहीं निकला.


वापस अपने कमरे में आ गया. डर, बेचैनी, घबराहट और सोंच के कारण फिर रात भर नहीं सो पाया. अगले दिन सोमवार करीब रात के ९ बजे ऑफिस से घर वापस आ रहा था. अपने घर की गली में पहुँच कर बस ऐसे ही (रोज की तरह) अपने फ्लैट की ओर निचे से देखा (ये जानने के लिए की खाना बनाने वाली आई है या नहीं, अगर वो आती है तो कमरे की बत्ती जली रहती है)… पर अंधेरी बालकोनी में मैंने साफ़ साफ़ किसी लड़की को खड़े देखा. सामने वाले घर से इतनी रौशनी तो आ रही थी कि मैं अपनी बालकोनी में कड़ी किसी लड़की को देख सकूँ… मैं भागता हुआ अपने फ्लैट तक पहुंचा, ताला खोला और अन्दर दाखिल हुआ, सबसे पहले कमरे की बत्ती जलाई फिर बालकोनी की ओर भागा. पर वहां कोई नहीं मिला. फिर से पूरा घर छान मारा यहाँ तक की छत भी… पर नतीजा वही ढाक के तीन पात.. मेरे घर की बालकोनी के ही सामने वाले घर की छत है जिस पर एक तथा-कथित आंटी कड़ी थी. मैंने आंटी से पूछ कि क्या उसने मेरी बालकोनी में किसी को खड़े देखा था अभी अभी. पर जवाब नकारात्मक मिला. उन्होंने बताया कि वो वहां पर लगभग एक घंटे से है और उन्होंने मेरी बलोकोन्य में किसी को भी नहीं देखा, हाँ वरण काम वाली आधे घंटे पहले तक थी.


मेरे लिए ये घटना डर, बेचैन करने वाली, और सोंचने पर मजबूर करने वाली थी. उस रात के बाद मैंने कई रात उसे तलासने की कोशिश की, उसे फिर से देखने की कोशिश की. पर ढूंढ़ नहीं पाया. हाँ कुछ कुछ दिनों के अंतराल पर वो साया अपने होने का अहसास जरूर अभी भी करवाती रहती है.


मैं आज तक इसी उधेड़बुन में हूँ कि वो मेरा वहम था या मेरी सोंच से भी बढ़कर कोई सत्य….

VIDROHI NAYAK
02-04-2011, 07:30 PM
एक वाकया मेरे पास भी है ! मेरे निवास से कुछ किलोमीटर दूर एक बालाजी का मंदिर है ! विगत वर्ष मै वहां पर एक शूट के लिए गया था ! बातो ही बातो में वहां भूत उतारने वाली क्रियाओं के शूट का प्लान बना ! हमने अविश्वासी होकर अपना कार्य चालू किया ! वहां पर कई औरते कुछ अजीब सी क्रियाकालापे कर रही थी ! हम सब उन्हें देखकर हंस रहे थे और उनका मजाक उड़ा रहे थे ! मंदिर के पुजारी ने हमें समझाया भी पर विज्ञान का भूत सवार था हमारे ऊपर ! हमने वहाँ शूट किया और वापस अपने निवास की और चल पड़े ! शाम हो गई थी और हल्का अँधेरा भी हो गया था !अब उन सब बातो का ख्याल आते ही हम सब को हल्का हल्का डर लगने लग गया था ! कुछ ही देर में हामरी एक महिला सहयोगी भी कुछ वैसी ही हरकते करने लगी ! पहले तो ये मजाक लगा परन्तु उसका चेहरा लाल पड़ने लगा था ! बहुत प्यास भी उसे लगने लगी थी ! और तो और आवाज़ भी कुछ बदली बदली हो गई थी ! मैंने कभी भी इन चीजों पे यकीं नहीं किया पर सच पूछो तो उस दिन मेरी घिग्घी बंध गई थी ! सुनसान रास्ता था और कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करें ! हमने वापस उसी मंदिर में जाने का निर्णय लिया और वहां जाकर पुजारी जी की कुछ पूजा पाठ के बाद वह ठीक हुई ! बाद में पूछने पर कुछ याद ना होने की बात बताई ! पुजारी जी ने वो टेप भी मांग लिए ! अब तो कुछ कुछ यकीं हमें होने लगा था ! अब एक बात तो समझ आती है , ये कुछ चीजे ऐसी हैं जिनके बारे में कोई एक मत नहीं दिया जा सकता !
__________________

sagar -
02-04-2011, 07:34 PM
एक वाकया मेरे पास भी है ! मेरे निवास से कुछ किलोमीटर दूर एक बालाजी का मंदिर है ! विगत वर्ष मै वहां पर एक शूट के लिए गया था ! बातो ही बातो में वहां भूत उतारने वाली क्रियाओं के शूट का प्लान बना ! हमने अविश्वासी होकर अपना कार्य चालू किया ! वहां पर कई औरते कुछ अजीब सी क्रियाकालापे कर रही थी ! हम सब उन्हें देखकर हंस रहे थे और उनका मजाक उड़ा रहे थे ! मंदिर के पुजारी ने हमें समझाया भी पर विज्ञान का भूत सवार था हमारे ऊपर ! हमने वहाँ शूट किया और वापस अपने निवास की और चल पड़े ! शाम हो गई थी और हल्का अँधेरा भी हो गया था !अब उन सब बातो का ख्याल आते ही हम सब को हल्का हल्का डर लगने लग गया था ! कुछ ही देर में हामरी एक महिला सहयोगी भी कुछ वैसी ही हरकते करने लगी ! पहले तो ये मजाक लगा परन्तु उसका चेहरा लाल पड़ने लगा था ! बहुत प्यास भी उसे लगने लगी थी ! और तो और आवाज़ भी कुछ बदली बदली हो गई थी ! मैंने कभी भी इन चीजों पे यकीं नहीं किया पर सच पूछो तो उस दिन मेरी घिग्घी बंध गई थी ! सुनसान रास्ता था और कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करें ! हमने वापस उसी मंदिर में जाने का निर्णय लिया और वहां जाकर पुजारी जी की कुछ पूजा पाठ के बाद वह ठीक हुई ! बाद में पूछने पर कुछ याद ना होने की बात बताई ! पुजारी जी ने वो टेप भी मांग लिए ! अब तो कुछ कुछ यकीं हमें होने लगा था ! अब एक बात तो समझ आती है , ये कुछ चीजे ऐसी हैं जिनके बारे में कोई एक मत नहीं दिया जा सकता !
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भाई कोई माने या ना माने में मानता हू की भुत होते हे

Bholu
02-04-2011, 08:14 PM
आज आपके सामते एक मुस्लिम परिवार के बारे मै बताने जा रहूँ के कैसे पूरा परिवार खत्म हो गया
ये लोग मेरे मोहल्लो से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर रहते थे

sagar -
02-04-2011, 08:25 PM
बताओ भोलू ...केसे क्या हुआ

ndhebar
02-04-2011, 08:29 PM
मैं इन बातों को नहीं मानता

(ये बात मैं अपने दिल को हिम्मत देने के लिए कह रहा हूँ वर्ना रात को नींद नहीं भूत के सपने आयेंगे):gm::gm:

Bholu
02-04-2011, 08:32 PM
मैं इन बातों को नहीं मानता

(ये बात मैं अपने दिल को हिम्मत देने के लिए कह रहा हूँ वर्ना रात को नींद नहीं भूत के सपने आयेंगे):gm::gm:

आप मैच खतम होने के बाद आपकी मुलाकाल कुछ ऐसे बाक्य से कराऊगाँ

VIDROHI NAYAK
02-04-2011, 08:32 PM
मैं इन बातों को नहीं मानता

(ये बात मैं अपने दिल को हिम्मत देने के लिए कह रहा हूँ वर्ना रात को नींद नहीं भूत के सपने आयेंगे):gm::gm:
चाकू अपने पास रख के सोना !

Bholu
02-04-2011, 08:34 PM
बताओ भोलू ...केसे क्या हुआ

मैच खतम होने तक का समय दे

Bholu
02-04-2011, 08:36 PM
चाकू अपने पास रख के सोना !

रख कर दे लो कुछ नही होना आपकी सुरक्षा आपकी हिम्मत करती है

sagar -
02-04-2011, 08:42 PM
रख कर दे लो कुछ नही होना आपकी सुरक्षा आपकी हिम्मत करती है
मेने सुना हे की कुछ लोहे की वस्तु साथ हो तो भुत कुछ नही करते

sagar -
04-04-2011, 01:45 PM
नेट से की हुई कहानी


मैं मिला हूँ भुत से!!! (http://gogasar.blogspot.com/2009/07/blog-post_23.html)


बात राजस्थान के खाजुवाले शहर की है जो पकिस्तान के बॉर्डर के थोडा नजदीक है ! सन १९९५ की बात है जब में प्राइवेट राशन दूकान में प्रशिक्षण ले रहा था | आटा चावल नापने का, मघराज जो की दूकान का मालिक था, बहुत नेक और सीधा इंसान है, हम दोनों बड़े प्रेम से रहते थे |एक दिन जब हम दूकान से शाम के वक़्त घर गए तो मघराज की बीवी जो अजीब अजीब हरकतें कर रही थी, जैसे खिल खिला के हँसाना, कभी रोना कभी गुस्सा, और बारबार ये ही दोहरा रही थी "हलुवा खाऊँगी" "हलुवा खाऊँगी"| मघराज की दोनों बहने काफी डरी हुई थी |
मघराज जो की भुत प्रेत पे विस्वास नहीं करता था| अपनी बीवी को झापड़ रसीद करते हुए बोला : ज्यादा जी में आ रही है क्या हलुवा खाने की ? लेकिन उसे थप्पड़ से कोई फर्क नहीं पडा निरंतर हलुवा खाने की रट लगाए रखी | मैं बोला मघराज भाभी जी में कोई हलुवे की भूखी आत्मा ने प्रवेश किया है |
मघराज बोला : अबे तेरे को भी हलुवा खाने की जी में है क्या ?
मैं बोला : देखो अगर भुत के लिए बनाओगे तो दो गासिये में भी ले ही लूंगा |
मघराज बोला : यार मुरारी ये भुत वुत कुछ नहीं होता, दरअसल औरतें जब काम करने का मन नहीं होता तो इस प्रकार के अड़ंगेबाजी करतीं हैं |
मैंने उसे समझाया : भाई मघु भाभी जी ऐसी नहीं है तुम क्यूँ नहीं किसी मौलवी या झाड़ फूंक वाले को बुला लाते | मेरे बार बार जोर देने पे मघराज एक मौलवी के पास गया| पर मौलवी के पास हमसे बड़ा कलाइंट बैठा था |
मोलवी ने मघराज को उपाय बता के टरका दिया | मघराज ने आकर बताया : मौलवी ने कहा है छोटी अंगुली के पौर को पकड़ कर जोर से भींचना (दबाना) |
मैं बोला: जल्दी करो इससे पहले की हलुवे का भूखा भुत कुछ अनिष्ट करे भाभी जी की छोटी अंगुली का पौर पकडो और जल्दी से भिन्चो |
अब मघराज अपनी बीबी के पास बैठ कर बोला : रे भुत इब तेरा देख में के करूँ हूँ ! कहने के साथ ही छोटी अंगुली के सिरे को जोर से दबाया |
मारे दर्द के भाभी जी के अन्दर बैठा भुत बोल पडा: जा रहा हूँ!!! जा रहा हूँ !! और भाभी जी शांत | पर अचानक मघराज की बहन जोर जोर से रोने लगी, और डरने लगी|
मघराज बोला : तुझे क्या हो गया ? इस पर मघराज की बहन बोली : देखो ये काली साडी में एक औरत यहाँ बैठी है | मौलवी जी ने मघराज को सुखी मिर्च का धुंवा करने के लिए भी बोला था | हाथो हाथ मिर्च का धुंवा किया और उस भुत को भगाया गया | अब सब कुछ सामान्य था |


घर के पिछवाडे में मघराज की बीबी और बहन बर्तन साफ़ कर रही थी और मुझे उनके पास खडा किया गया रात के लगभग ११:३० बज चुके थे | घर के पिछवाडे में boundry waal बनाई हुई थी जो लगभग तीन फीट ऊँची थी |
मेरी नजर अचानक उस baondry wall की तरफ गयी | आज भी सिहरन दौड़ जाती है जब वो वाकया करता हूँ तो |मैंने उस bouandry wall पे देखा एक विशालकाय काला शाया जिसका उपरतक कोई अंत नहीं था | मुझे डर तो बहुत लगा, पर मैंने भाभी जी को और मघराज की बहन को कुछ नहीं बताया |
मन ही मन सोच रहा था भूतों के बारे में लोगों से सूना है | किताबों में पढा है, आज साक्षात्कार भी हो गया | पर ज़रा पास में जाकर देखना होगा |
स:अक्षर सही बता रहा हूँ, में धीरेधीरे baoundry की तरफ बढ़ रहा था | पता नहीं कहाँ से हिम्मत आई कैसे बढ़ता गया, जैसे जैसे आगे बढ़ रहा हूँ उस लम्बे काले साए का आकार घटता चला जा रहा है| में और करीब गया अब उस शाये के और मेरे बिच की दुरी थी लगभग १५ फुट | शाये का आकार अब भी लगभग २५ फुट | मैंने निश्चय किया की और आगे बढा जाए कुछ हेल्लो हाय करके तो आएँ | शाये का आकार घटते घटते १० फुट हो गया | मुझे भी तसल्ली हो रही थी की ये भी मुझसे मिलना चाह रहा है, इसे पता है उतनी ऊंचाई पे मेरा हाथ पहुँच नहीं पाएगा तो हाथ मिलाएगा कैसे | उसका दोस्ताना रवैया देख कर हौशला और बढा, तो मैं भी बढा|


अब शाये का कद ५ फुट के आस पास आ गया | और हमारे बिच की दुरी लगभग ६ फुट अब तो मेने निश्चय किया की आज तो मुलाक़ात करनी ही है, बढ़ता रहा अब उसका कद हो गया था लगभग ३ फुट और एक आश्चर्य जनक बात ये हुई की उसके सर पे सिंग निकल आये थे | मैं एक दम करीब पहुँच गया | जनाब सर हिलाने लगे मैंने सर पे हाथ लगाया पता चला दीवार की उस तरफ पास में बंधी भैंस जो दीवार के ऊपर से इस तरफ झांक रही थी | मैंने उसे सहलाया |भुत से मुलाक़ात हो चुकी थी |


अगर मैं उस दिन उसके पास ना जाता, चुप चाप अन्दर आ के सो जाता तो मेरे लिए वो भुत ही रहता, और मन के अन्दर घुसे उस भुत को निकलाना शायद नामुमकिन हो जता | कुछ भूत ऐसे होते हैं इस बात का प्रत्यक्ष पता चला | इसीलिए कहते हैं डर के पास जाओ तो डर मिट जाता है !!!!

sagar -
04-04-2011, 01:48 PM
बॉलीवुड ख़ौफ के साये में है। बॉलीवुड के सितारे इन दिनों जमकर रूहानी ताकतों का शिकार हो रहे है।फ़िल्मी परदे पर तो ख़ौफनाक कहानियां खूब सुनने को मिलती है लेकिन सितारों के आम जिंदगी में शूटिंग के दौरान हो रही घटना चौंकाने वाली है।
दरअसल मुंबई के स्टूडियो रूहानी ताकत की कहानी बयां कर रहे है। कमलिस्तान स्टूडियो,चांदीवली स्टूडियो,मुकेश मिल्स और फिल्म सिटी ये वो नाम है जिसे सुनकर बॉलीवुड सितारों के रूह कांप जाते है।मुंबई के कमलिस्तान स्टूडियो में फिल्म 'रजिया सुलतान', 'अमर अकबर एन्थोनी' और हाल में आई 'फिल्म जव वी मेट' जैसे चुनिन्दा फिल्मों की शुटिंग हो चुकी है।लेकिन भुत-प्रेत के साये की वजह से इस स्टूडियो को बंद करना पड़ा है।आज इस स्टूडियो में दिन के उजाले में ही सन्नाटा पसरा है।खबरों की माने तो 15 एकड़ में बसे इस स्टूडियो को तोड़कर कुछ अलग बनाने का प्रस्ताव है।
कोलावा में स्थित एक और स्टूडियो 'मुकेश मिल्स' का जिक्र होते ही पूरा बॉलीवुड थर्रा उठता है। इस स्टूडियो में दिन में ही खौफ का साया मंडराने लगता है।हाल ही में आई फिल्म राज़ २,ट्राफिक सिग्नल और भूतनाथ जैसी दर्जनों फिल्मों की शुटिंग इस स्टूडियो में दिन में हो चुकी है।इस स्टूडियो के बारे में ऐसा कहा जाता कि सालो पहले यहाँ एक आग लगी थी जिसमे कई लोग जलकर मर गए थे।
उनकी आत्मा आज भी भटक यहा भटक रही है।मुकेश मिल्स में फिल्म भूतनाथ की शूटिंग कर चुकी प्रसिद्ध अदाकारा जूही चावला भी इस खौफनाक स्टूडियो का नाम सुनकर सहम जाती है ।इतना ही नहीं फिल्म की शूटिंग भूतनाथ के वक्त जूही को ऐसा लगता था कि उनके आस पास ख़ौफ का साया मंडरा रहा है। मुकेश मिल्स में फिल्म 'ट्राफिक सिग्नल' की शुटिंग कर चुकी नीतू चंद्रा (http://bollywood.bhaskar.com/content-linking/neetu-chandra/) भी यहाँ की रूहानी ताकत के नाम से थर्रा उठती है।
बॉलीवुड में भूत प्रेत का साया मंडराने लगा है।एकता कपूर की आने वाली फिल्म रागिनी एमएमएस की शूटिंग में में 3 बड़े खौफनाक मंजर हुए है।इस फिल्म की शुटिंग मुंबई के दहानु में चल रही थी।सबसे पहले शुटिंग लोकेशन का चौकीदार खुद फांसी के फंदे पर लटक गया और उसकी मौत हो गयी।
इसके बाद फिल्म के मुख्य एक्टर राजकुमार यादव फिल्म की शूटिंग के दौरान बुरी तरह घायल हो गये।इतना ही नहीं कुछ दिन बाद रागिनी एमएमएस के एक्टर के साथ एक बड़ी कार दुर्घटना भी हुई।एकता इन दिनों पूजा पाठ और हवन करवा रही है।क्योंकि फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है और तरह-तरह की ताकते फिल्म पर हावी हो रही है।
बॉलीवुड के सितारे बड़े परदे पर भले ही बहादुरी दिखाए लेकिन इन स्टूडियो का नाम आते ही इनका पसीना छूट जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल की क्या भूत प्रेत होता है?आपको क्या लगता है बॉलीवुड के इन सितारों को रूहानी ताकत से बचने एक लिए क्या करना चाहिये?

Bholu
04-04-2011, 02:50 PM
मेने सुना हे की कुछ लोहे की वस्तु साथ हो तो भुत कुछ नही करते

कही न कही सुना है पर पूरा सत्य नही आप आज रात के इस सूत्र पर नजर रखियेगा मे जरा एक सचा बाक्य प्रस्तुत करूँगा

sagar -
04-04-2011, 03:14 PM
कही न कही सुना है पर पूरा सत्य नही आप आज रात के इस सूत्र पर नजर रखियेगा मे जरा एक सचा बाक्य प्रस्तुत करूँगा
में तो कल से इंतजार कर रहा हू :cryingbaby:

Hamsafar+
04-04-2011, 04:45 PM
वहम के बारे में :
एक बार की बात है की जंगल में एक पीपल के पेड़ पर भूतनी अपने २ बच्चो के साथ रहती थी, दोपहर का समय था , गर्म हवाएं चल रही थी, तभी अचानक भूत नी के बच्चे को कुछ दिखा वह बोला मम्मी मम्मी वो देखो आदमी !
भूतनी की मम्मी बोली बेटा ये आदमी वादमी कुछ नहीं होता है ये तुम्हारा वहम है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

sagar -
04-04-2011, 04:53 PM
वहम के बारे में :
एक बार की बात है की जंगल में एक पीपल के पेड़ पर भूतनी अपने २ बच्चो के साथ रहती थी, दोपहर का समय था , गर्म हवाएं चल रही थी, तभी अचानक भूत नी के बच्चे को कुछ दिखा वह बोला मम्मी मम्मी वो देखो आदमी !
भूतनी की मम्मी बोली बेटा ये आदमी वादमी कुछ नहीं होता है ये तुम्हारा वहम है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
भुत आदमी से डरते हे ....हा हा

sagar -
08-04-2011, 11:39 AM
कही न कही सुना है पर पूरा सत्य नही आप आज रात के इस सूत्र पर नजर रखियेगा मे जरा एक सचा बाक्य प्रस्तुत करूँगा
भोलू कुछ लिखा नही अपने अभी तक

pooja 1990 QUEEN
10-04-2011, 06:35 PM
किसको देखना है भूत

sagar -
10-04-2011, 06:51 PM
किसको देखना है भूत
मुझे देखना हे

pooja 1990 QUEEN
10-04-2011, 07:11 PM
मुझे देखना हे

कोई बजह है

sagar -
10-04-2011, 07:19 PM
कोई बजह है
अभी तक देखा नही हे मेने

sagar -
11-04-2011, 08:21 PM
एक नवविवाहित युवक अपनी पत्नी को अपनी पसंदीदा जगहों की सैर करा रहा था, सो, वह पत्नी को उस स्टेडियम में भी ले गया, जहां वह क्रिकेट खेला करता था...

अचानक वह पत्नी से बोला, "क्यों न तुम भी बल्ले पर अपना हाथ आज़माकर देखो... हो सकता है, तुम अच्छा खेल पाओ, और मुझे अभ्यास के लिए एक साथी घर पर ही मिल जाए..."

पत्नी भी मूड में थी, सो, तुरंत हामी भर दी और बल्ला हाथ में थामकर तैयार हो गई...

पति ने गेंद फेंकी, और पत्नी ने बल्ला घुमा दिया...

इत्तफाक से गेंद बल्ले के बीचोंबीच टकराई, और स्टेडियम के बाहर पहुंच गई...

पति-पत्नी गेंद तलाशने बाहर की तरफ आए तो देखा, गेंद ने करीब ही बने एक सुनसान-से घर की पहली मंज़िल पर बने कमरे की खिड़की का कांच तोड़ दिया है...

अब पति-पत्नी मकान-मालिक की गालियां सुनने के लिए खुद को तैयार करने के बाद सीढ़ियों की तरफ बढ़े, और पहली मंज़िल पर बने एकमात्र कमरे तक पहुंच गए...

दरवाजा खटखटाया, तो भीतर से आवाज़ आई, "अंदर आ जाओ..."

जब दोनों दरवाजा खोलकर भीतर घुसे तो हर तरफ कांच ही कांच फैला दिखाई दिया, और उसके अलावा कांच ही की एक टूटी बोतल भी नज़र आई...

वहीं सोफे पर हट्टा-कट्टा आदमी बैठा था, जिसने उन्हें देखते ही पूछा, "क्या तुम्हीं लोगों ने मेरी खिड़की तोड़ी है...?"

पति ने तुरंत माफी मांगना शुरू किया, परंतु उस हट्टे-कट्टे आदमी ने उसकी बात काटते हुए कहा, "दरअसल, मैं आप लोगों को धन्यवाद कहना चाहता हूं, क्योंकि मैं एक जिन्न हूं, जो एक श्राप के कारण, उस बोतल में बंद था... अब आपकी गेंद ने इस बोतल को तोड़कर मुझे आज़ाद किया है... मेरे लिए तय किए गए नियमों के अनुसार मुझे खुद को आज़ाद करवाने वाले को आका मानना होता है, और उसकी तीन इच्छाएं पूरी करनी होती हैं... लेकिन चूंकि आप दोनों से यह काम अनजाने में हुआ है, इसलिए मैं आप दोनों की एक-एक इच्छा पूरी करूंगा, और एक इच्छा अपने लिए रख लूंगा..."

"बहुत बढ़िया..." पति लगभग चिल्ला उठता है, और बोलता है, "मैं तो सारी उम्र बिना काम किए हर महीने 10 करोड़ रुपये की आमदनी चाहता हूं..."

"कतई मुश्किल नहीं..." जिन्न ने कहा, "यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है..."

इतना कहकर उसने हवा में हाथ उठाया, और उसे घुमाते हुए बोला, "शूं... शूं... लीजिए आका, आपकी 10 करोड़ की आमदनी आज ही से शुरू..."

फिर वह पत्नी की तरफ घूमा, और शिष्ट स्वर में पूछा, "और आप क्या चाहती हैं, मैडम...?"

पत्नी ने भी तपाक से इच्छा बताई, "मैं दुनिया के हर देश में एक खूबसूरत बंगला और शानदार कार चाहती हूं..."

जिन्न ने फिर हवा में हाथ उठाया, और उसे घुमाते हुए बोला, "शूं... शूं... लीजिए मैडम, कागज़ात कल सुबह तक आपके घर पहुंच जाएंगे..."

...और अब जिन्न फिर पति की तरफ घूमा और बोला, "अब मेरी इच्छा... चूंकि मैं लगभग 200 साल से इस बोतल में बंद था, सो, मुझे किसी औरत के साथ सोना नसीब नहीं हुआ... अगर अब आप दोनों अनुमति दें, तो मैं आपकी पत्नी के साथ सोना चाहता हूं..."

पति ने तुरंत पत्नी के चेहरे की ओर देखा, और बोला, "अब हमें ढेरों दौलत और बहुत सारे घर मिल गए हैं, और यह सब तुम्हारी वजह से ही मुमकिन हुआ है, सो, यदि मेरी पत्नी को आपत्ति न हो, तो मुझे इसे तुम्हारे साथ बिस्तर में भेजने में कोई आपत्ति नहीं है..."

जिन्न ने मुस्कुराते हुए पत्नी की ओर नज़र घुमाई तो वह बोली, "तुम्हारे लिए मुझे भी कोई आपत्ति नहीं है..."

पत्नी का इतना कहना था कि जिन्न ने तुरंत उसे कंधे पर उठाया, और दूसरी मंज़िल पर एक बंद कमरे में ले गया, जहां पांच-छह घंटे तक पत्नी के साथ धुआंधार मौज की...

सब तूफान शांत हो जाने के बाद जिन्न बिस्तर से निकलता है, और कपड़े पहनता हुआ पत्नी से पूछता है, "तुम्हारी और तुम्हारे पति की उम्र क्या है...?"

पत्नी मुस्कुराते हुए बोली, "वह 28 साल के हैं, और मैं 25 की..."

जिन्न भी मुस्कुराते हुए तपाक से बोला, "इतने बड़े-बड़े हो गए, अब तक जिन्न-भूतों में यकीन करते हो, बेवकूफों..."

sagar -
11-04-2011, 08:33 PM
एक युवती को एक बोतल में जिन्न मिला और उसने कहा

जिन्न - यदि तुम मुझे आज़ाद कर दो तो में तुम्हारी तीन इच्छाए पूरी कर सकता हूँ |

युवती ने उसको स्वतंत्र कर दिया

जिन्न बोला - में तुम्हे एक बात बताना तो भूल ही गया, कि जो कुछ भी तुम मांगोगी उसका दस गुना तुम्हारे पति को मिलेगा |

युवती - कोई बात नही ,मेरी पहली इच्छा हे कि मुझे संसार में सबसे सुंदर और जवान बना दो |

जिन्न - सोच लो तुम्हारा पति भी संसार के सब मर्दों में सबसे अधिक सुंदर और जवान बन जायेगा |

युवती - कोई बात भी ,रहेंगे तो मेरे पति ही |

जिन्न - ठीक हे, हो गया |

युवती - मुझे संसार में सबसे धनवान बना दो |

जिन्न - इससे तो तुम्हारा पति तुमसे दस गुना धनवान बन जायेगा |

युवती - कोई बात नही ,पति,पत्नी का धन अलग अलग थोड़े ही होता हे |

जिन्न - ठीक हे हो गया |

युवती - मेरी तीसरी और अंतिम इच्छा हे कि मुझे एक हल्का सा दिल का दौरा पड जाये

Bond007
13-04-2011, 04:57 PM
मैं कक्षा नौ में था, सितम्बर का महिना| मैंने और मेरे एक सहपाठी ने रोजाना सुबह उठकर जोगिंग करने का प्लान बनाया| मुझे स्वस्थ रहने का बहुत शौक था लेकिन अधिकतर अकेले ही भाग-दौड़ किया करता था| एक दिन जब सुबह मेरे साथ चलने के लिए तैयार हुआ तो अगले दिन सुबह लगभग साढ़े चार बजे उसके घर पहले उसे लेने पहुंच गया| मैंने अपनी साइकिल बाहर सड़क पर खड़ी की और उसके घर की गली में चला गया| मैंने उसे दो-तीन आवाजें लगाईं, दरवाजा खटखटाया (डोर बेल नहीं थी), लेकिन कोई जवाब नहीं मिला| गली में थोड़ा अंधेरा था इसलिए मैं वापस सड़क पर आ गया| फिर दोबारा जगाने की कोशिश करने फिर दरवाजे पर गया| मुझे लगा सुबह-सुबह की शान्ति में थोड़ा ज्यादा शोर हो रहा है| मैं हारकर वापस सड़क पर आ गया| और साइकिल उठाकर अकेले वापसी करने लगा| साईकिल उठाई ही थी कि मेरी नजर अपने से करीब दो सौ मीटर की दूरी पर एक बहुत लम्बे (लगभग दो मंजिला उंचा) आदमी पर पड़ी| जो सड़क के किनारे से होता हुआ मेरी और आते हुए प्रतीत हो रहा था|


उस इलाके में पहले से भूत-प्रेत के किस्से मशहूर थे| डाक-बंगले का भूत, स्टेशन के पीपल का भूत, निकट के डैम पर बोरा बंद लाश का भूत, सुबह ट्यूशन पढ़ने जाने वालों बच्चों को परेशान करने वाले लम्बे आदमी का भूत आदि आदि, जो शायद सिर्फ मनोरंजन के लिए बनाए गए थे| लेकिन इन सबको याद करके मेरा डर के मारे बुरा हाल था| शरीर में करंट नुमा गर्मी दौड़ गई| ऐसा लगा जैसे अब बुखार आ चुका है|


मैं वहीँ जमा हुआ लगभग दस मिनट उसे मेरी और आते देखता रहा| लेकिन वो मुझ तक अभी भी नहीं पहुंच पाया था|मैंने मन में ही सोचा 'बहुत अजीब बात है'| वापसी का रास्ता तो वही था तो हिम्मत करके धीरे-धीरे उस और चलना शुरू किया| जैसे-जैसे नजदीक पहुंचता, उसके साइज में तो कोई परिवर्तन नहीं था लेकिन वो अभी भी मेरी और आता हुआ लग रहा था| जब मैं उससे सिर्फ पचास मीटर की दूरी पर रह गया और गौर से देखा, तब जाकर पूरा माजरा समझ आया| और ये सिर्फ एक बहम के अलावा और कुछ नहीं निकला|


क्या था? वो बाद में बताऊंगा| :cheers:

Nitikesh
13-04-2011, 05:14 PM
अब मैं भुत पर विश्वास नहीं करता हूँ.शायद पांचवी क्लास तक मुझे डर लगता था.लेकिन बाद मैं वो भी डर चला गया/मैं जिस स्कूल के हॉस्टल में रहता था/कहा जाता था की वहाँ पर कभी स्मसान घाट या कब्रिस्तान था और २०० फूट की दुरी पर एक नीम का पेड़ था/उसके बारे में कहा जाता था की वहाँ पर चुदैल तांत्रिक क्रियाएँ कराती थी.लेकिन हॉस्टल में रहने की वजह से मैं थोड़ा हिम्मत वाला हो गया.क्यूंकि रात में कभी १ नंबर के लिए जाना होता था तो अपने आप को हौसला देना होता था.क्यूंकि सुनसान रास्ते में जाने पर यदि कोई आवाज होती थी तो दिल में डर सा बैठ जाता था.फिर एक बार गाँधी जी की वो कहानी सुनी जिसमे उनकी दाई डर भगाने के लिए राम नाम का जाप करने को कहती थी.पहले तो मैंने यही तरीका अपनाया/तो थोड़ी राहत मिलती थी.
जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया/थोड़ा होशियार हो गया तो डर से पंगा लेने लगा.मैं हर उस वस्तु और जगह को देखने लगा जिससे मुझे डर लगता था और मैं यह जानने की कोशीश करता था की अजीब सी आवाज या परछाई कैसे बन रही है.जब मैं कारन तक पहुच जाता था तो डर अपने आप निकल जाता था.अब तो ऐसा हो गया है की भुत का विचार ही नहीं आता है/
इस बात पर बहुत बार मेरे दोस्तों में बहस हुई है की भुत है या नहीं.बहुत से मित्र कहते हैं की यदि भगवान है तो भुत भी है.लेकिन मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं हूँ.मैंने बहुत बार भुत के बारे में सोच कर डरने की कोशीश की है लेकिन मुझे डर नहीं लगता है.लेकिन जब भगवान के बारे में सोचता हूँ.तो मुझे उसके उपस्थिति का एहसास भी होता है.डर को भगाने का एक तरीका यह है की यदि कोई भी आवाज हो तो उस आवाज का पीछा करें या कोई साया बन रहां हो तो उसके बनाने की वजह ठन्डे दिमाग से जाने की कोशीश करने/फिर देखिये आप का डर दूर हो जायेगा/

sagar -
13-04-2011, 05:50 PM
क्या था? वो बाद में बताऊंगा| :cheers:
परछाई थी क्या ...??

sagar -
13-04-2011, 05:55 PM
जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया/थोड़ा होशियार हो गया तो डर से पंगा लेने लगा.मैं हर उस वस्तु और जगह को देखने लगा जिससे मुझे डर लगता था और मैं यह जानने की कोशीश करता था की अजीब सी आवाज या परछाई कैसे बन रही है.जब मैं कारन तक पहुच जाता था तो डर अपने आप निकल जाता था.अब तो ऐसा हो गया है की भुत का विचार ही नहीं आता है/
इस बात पर बहुत बार मेरे दोस्तों में बहस हुई है की भुत है या नहीं.बहुत से मित्र कहते हैं की यदि भगवान है तो भुत भी है.लेकिन मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं हूँ.मैंने बहुत बार भुत के बारे में सोच कर डरने की कोशीश की है लेकिन मुझे डर नहीं लगता है.लेकिन जब भगवान के बारे में सोचता हूँ.तो मुझे उसके उपस्थिति का एहसास भी होता है.डर को भगाने का एक तरीका यह है की यदि कोई भी आवाज हो तो उस आवाज का पीछा करें या कोई साया बन रहां हो तो उसके बनाने की वजह ठन्डे दिमाग से जाने की कोशीश करने/फिर देखिये आप का डर दूर हो जायेगा/
बहुत अच्छे भाई लेकिन एक दो कारण भी बता देते सबको तो हो सकता हे सबका डर ही भाग जाये ! जो आपने देखा वो बताये !

Nitikesh
13-04-2011, 06:15 PM
बहुत अच्छे भाई लेकिन एक दो कारण भी बता देते सबको तो हो सकता हे सबका डर ही भाग जाये ! जो आपने देखा वो बताये !



जैसे कभी कभी ऐसा लगता है की कोई बगल से गुजर गया है/तो मैं शांत मन से अगल बगल की परिस्थिति को देखता हूँ/
जब अँधेरी रात में कोई आवाज होती है तो मैंने यह देखने की कोशिश करता हूँ की वह आवाज क्यूँ आ रही है/

सिम्पल सी बात है की जब भी डर महसूस होता है तो मैं उस डर के जड़ तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ/
जिससे मेरा डर भाग जाता है/

sagar -
13-04-2011, 06:22 PM
जैसे कभी कभी ऐसा लगता है की कोई बगल से गुजर गया है/तो मैं शांत मन से अगल बगल की परिस्थिति को देखता हूँ/
जब अँधेरी रात में कोई आवाज होती है तो मैंने यह देखने की कोशिश करता हूँ की वह आवाज क्यूँ आ रही है/

सिम्पल सी बात है की जब भी डर महसूस होता है तो मैं उस डर के जड़ तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ/
जिससे मेरा डर भाग जाता है/
जायदातर तो आवाज से या परछाई देखते ही भाग जाते हे जानने की कोसिस ही नही करते वहा पर हे क्या चीज !और उनका डर यकीन में बदल जाता हे की भुत होते हे !

Nitikesh
13-04-2011, 06:26 PM
जायदातर तो आवाज से या परछाई देखते ही भाग जाते हे जानने की कोसिस ही नही करते वहा पर हे क्या चीज !और उनका डर यकीन में बदल जाता हे की भुत होते हे !

बस यही कारण है की आदमी का वहम जब उसके दिमाग पर हावी हो जाता है तो ऐसी घटना जन्म लेती है/
जिसे हम केमिकल लोचा कह सकते हैं/
हा हा हा हा
डर से आगे बढ़ो क्यूँ की डर के आगे जीत है/
:)

sagar -
22-04-2011, 09:12 PM
किसी के साथ कोई घटना हुई हे तो शेयर करे हम सब से !http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/000204F6.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/000204F8.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)






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