PDA

View Full Version : क्रिकेट : खेल या व्यवसाय


ndhebar
06-04-2011, 01:16 PM
क्रिकेट : खेल या व्यवसाय

आज जिस तरह से लगातार खेल हो रहा है, ये किस हद तक जायज है.
अभी तो हम विश्व विजेता होने के एहसास को ठीक से महसूस भी नहीं कर पाए हैं और ये आई पि एल शुरू होने वाला है.
एक कहावत है "अति सर्वत्र वर्जयते" , पर इस खेल के सम्बन्ध में तो कहावत उलटी नजर आती है

आप लोगों के विचारों के इंतज़ार में

sagar -
06-04-2011, 01:39 PM
निशांत भाई अब खेल बिजनेस बन गया हे खेल -२ नही रहा अब

jaara hayaat khaan
06-04-2011, 01:57 PM
बहुत अच्छा सूत्र है
आपने सभी को चर्चा के लिए बुलाया है
इस सूत्र को युवा मंच पर पहुँचना सही रहेगा..........

माफ करना छोटी मुह बड़ी बात

ndhebar
06-04-2011, 02:23 PM
बहुत अच्छा सूत्र है
आपने सभी को चर्चा के लिए बुलाया है
इस सूत्र को युवा मंच पर पहुँचना सही रहेगा..........

माफ करना छोटी मुह बड़ी बात
खेल से सम्बंधित चर्चा है इसीलिए सूत्र यहाँ बनाया
बाकि जैसा सभी चाहेंगे

आपके विचारों के इंतज़ार में

khalid
07-04-2011, 10:54 AM
अंग्रेजो ने क्रिकेट को खेल बनाया था
और हम हिन्दुस्तानी ने व्यसाय बनाकर रख दिया हैँ
आज क्रिकेट मेँ 80 % रुपया हिन्दुस्तानी कम्पनी खर्च करती हैँ
और खिलाडी भी यह जानते हैँ आज कैरियर हैँ कल किसने देखा हैँ जमकर नोट पीट लो
अगर खिलाडी सिर्फ खेल को देख कर चलता तो प्रेक्टीस करना छोडकर किसी कम्पनी के लिए प्रचार करने कभी नहीँ जाता

arvind
07-04-2011, 12:11 PM
क्रिकेट : खेल या व्यवसाय

आज जिस तरह से लगातार खेल हो रहा है, ये किस हद तक जायज है.
अभी तो हम विश्व विजेता होने के एहसास को ठीक से महसूस भी नहीं कर पाए हैं और ये आई पि एल शुरू होने वाला है.
एक कहावत है "अति सर्वत्र वर्जयते" , पर इस खेल के सम्बन्ध में तो कहावत उलटी नजर आती है

आप लोगों के विचारों के इंतज़ार मेंसोलह आने विशुद्ध प्रायोजित व्यवसाय है। जैसे फिल्म व्यवसाय को उद्योग घोषित कर दिया गया है वैसे ही क्रिकेट को भी उद्योग घोषित करने की औपचारिकता भर बाकी रह गया है, कॉर्पोरेट जगत तो यहा पहले से शामिल है ही।

Kumar Anil
07-04-2011, 12:52 PM
क्रिकेट : खेल या व्यवसाय

आज जिस तरह से लगातार खेल हो रहा है, ये किस हद तक जायज है.
अभी तो हम विश्व विजेता होने के एहसास को ठीक से महसूस भी नहीं कर पाए हैं और ये आई पि एल शुरू होने वाला है.
एक कहावत है "अति सर्वत्र वर्जयते" , पर इस खेल के सम्बन्ध में तो कहावत उलटी नजर आती है

आप लोगों के विचारों के इंतज़ार में

निशांत जी , शायद ही कोई व्यक्ति आपसे असहमत होगा । क्रिकेट व्यवसाय के रूप मेँ परिणत हो चुका है जिसमेँ महती भूमिका हमारे द्वारा ही अदा की गयी । हमने अपने राष्ट्रीय खेल को दरक़िनार कर बल्ले से उगलते रनोँ पर ध्यान केन्द्रित किया । शायद यह अपेक्षाकृत अधिक मनोरंजक और रोमांचपूर्ण होगा । जिसके फलस्वरूप समस्त खेल हाशिये पर डाले जा चुके हैँ । हमारे ही उन्माद का दोहन किया गया और व्यवसायीकरण कर दिया गया । माँग और पूर्ति का आंशिक फार्मूला लगा और व्यवसाय से जुड़े लोग धनकुबेर बनने लगे ।
गुस्ताख़ी माफ करेँ तो आपकी बहस को नया आयाम देना चाहूँगा । हम नौकरीपेशा और व्यवसायी अपने जीवन के प्रायः तीस पैँतीस वर्ष कार्य करके अपने व परिवार के लिये धन एकत्र करते हैँ । परन्तु हमारे खिलाड़ियोँ के लिये सम्पूर्ण जीवन मेँ मात्र 5 से 10 वर्ष ही खेलने को मिलते हैँ और जिसमेँ भी कई बार उन्हेँ टीम मेँ खेलने के अवसर प्राप्त ही नहीँ होते जिसके कारण सर्वविदित हैँ । अब ऐसे अनिश्चित , जोखिम पूर्ण जीवन मेँ यदि लक्ष्य साधकर वे फटाफट पैसा अर्जित कर रहे हैँ तो शायद औचित्यपूर्ण है ।

ndhebar
07-04-2011, 02:57 PM
खेल-भावना

क्रिकेट को जनमानस के दिलो-दिमाग पर हावी बनाने में बाजार की अहम भूमिका रही है। बाजार को जहां अपना फायदा नजर आता है, उसे वो कैसे भी लपक लेना चाहता है। हमारे यहां खिलाड़ी खेल से कहीं ज्यादा दिमाग और समय विज्ञापनों में खपाना जरूरी समझते हैं। क्योंकि यहां अथाह पैसा है। पैसे के साथ ग्लैमर का नशा भी है। गाहे-बगाहे रैंप पर चहल-कदमी करते ये खिलाड़ी खिलाड़ी कम हीरो ज्यादा नजर आते हैं। एक सवाल यहां खड़ा होता है कि क्रिकेट के खिलाड़ियों की जितनी नौटंकियां हमें यहां देखने को मिलती हैं, क्या अन्य देशों में भी ऐसा ही होता है? क्या वहां की जनता भी खिलाड़ियों के प्रति ऐसे ही पगलाए रहती है? क्या वहां भी क्रिकेट धर्म और खिलाड़ी भगवान हैं? दरअसल, जब हम खेल और खिलाड़ियों को ही धर्म, आस्था, बाजार, विज्ञापन और पैसे से जोड़ देंगे, फिर उसमें खेल-भावना रहेगी कब?

bhoomi ji
07-04-2011, 09:30 PM
निशांत जी आपकी बात बिलकुल सत्य है
आज का दौर ऐसा आ गया है जहाँ पैंसों के लिए क्रिकेटर कुछ भी करने से नहीं चूकते हैं
कहीं रैम्प पर चलना कहीं रियल्टी शो में डांस करना, इसके उदाहरण हैं
आज का क्रिकेटर उतना पैंसा मैच से नहीं कमा रहा है जितना कि विज्ञापनों से कमा रहा है

लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि अगर वो लोग पैंसा ना कमाए तो क्या करें?
क्रिकेट खेलने के लिए फिटनेस जरुरी है और अच्छी फिटनेस केवल जवानी में ही मिल सकती है
तो फिर वो दो चार साल खेलकर अगर अपना भविष्य सुरक्षित कर लेते हैं तो क्या बुरा है?
फिर उन क्रिकेटरों की मेहनत भी देखिये हमेशा खुद को फिट बनाए रखने के लिए वो कितना कुछ करते हैं जिम जाना, नेट पर प्रेक्टिस, और खिलाड़ियों के साथ व्यायाम...और अन्य कई गतिविधियां..........
फिर जब मैच खेलने एक देश से दूसरे देश जाते हैं तो हर जगह का क्लाइमेट अलग अलग....जहाँ इंग्लैण्ड और आयरलैंड जैसे देशों में अधिकतम तापमान १५ से २० डिग्री के बीच रहता है..
वहीँ एशिया और वेस्ट इंडीज जैसे जगह जहाँ पर सामान्य तापमान भी ३० के उंपर रहता है और अधिकतम लगभग ४५ से ५० के आसपास
इमेजिन करिये इतनी चिलचिलाती गर्मी में पूरे दिन खेलना कितना टफ होता होगा?
वहीँ कोरी ठण्ड में अपने आप को बचाते हुए खेलना कितना मुश्किल है?
क्या ये उनकी मेहनत नहीं है?
तो अगर वो मेहनत करके पैंसा कमा लेते हैं तो क्या बुरा है?

pankaj bedrdi
08-04-2011, 06:10 AM
आप लोगो के बात से सहमत हु आज कल खेल को व्यवसाय बाना दिया गया है

ndhebar
10-04-2011, 11:06 AM
अगर वो मेहनत करके पैंसा कमा लेते हैं तो क्या बुरा है?

कोई बुराई नहीं है बस आपको अपने प्रारंभिक का ख्याल रखना चाहिए
एक उदहारण देता हूँ "युवराज सिंह"
जब आई पि एल में पहली बार खिलाडियों कि नीलामी हुई थी युवराज सबसे मंहगे बिकने वाले खिलाड़ियों में से एक थे
कारन टी २० विश्वकप के उन छः छक्कों कि याद अभी लोगों के जहाँ में ताजा थी
इस बार कि हालिया नीलामी में कई ऐसे खिलाड़ियों को युवराज से ज्यादा पैसा मिला जो क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में उनसे अच्छे खिलाडी नहीं हैं
कारन उनका हालिया प्रदर्शन
अब युवराज सोच रहे होंगे कि काश ये नीलामी इस विश्वकप के बाद होती
मेरा कहना बस इतना है कि आपको किसी भी तरीके से ज्यादा पैसे तभी मिलते हैं जब आप देश के लिए अच्छा खेलते हैं

bhoomi ji
10-04-2011, 06:33 PM
कोई बुराई नहीं है बस आपको अपने प्रारंभिक का ख्याल रखना चाहिए
एक उदहारण देता हूँ "युवराज सिंह"
जब आई पि एल में पहली बार खिलाडियों कि नीलामी हुई थी युवराज सबसे मंहगे बिकने वाले खिलाड़ियों में से एक थे
कारन टी २० विश्वकप के उन छः छक्कों कि याद अभी लोगों के जहाँ में ताजा थी
इस बार कि हालिया नीलामी में कई ऐसे खिलाड़ियों को युवराज से ज्यादा पैसा मिला जो क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में उनसे अच्छे खिलाडी नहीं हैं
कारन उनका हालिया प्रदर्शन
अब युवराज सोच रहे होंगे कि काश ये नीलामी इस विश्वकप के बाद होती
मेरा कहना बस इतना है कि आपको किसी भी तरीके से ज्यादा पैसे तभी मिलते हैं जब आप देश के लिए अच्छा खेलते हैं


जी बिलकुल पैंसे तभी मिलते हैं जब वो अच्छा खेलते हैं
और अगर कोई पैंसे कमा रहा है इसका मतलब कि वो अच्छा खेल रहा है......
अब जब आप अच्छा खेलोगे ही नहीं तो आप को पैंसे देगा ही कौन?
तो अगर मेहनत करते हो तो ही पैंसा मिलता है.......
अभी गौतम गंभी का ही उदाहर लीजिए
आज से ४ साल पहले तक उनकी भारतीय टीम में क्या हैसियत थी कुछ भी नहीं
उन्हें तो गली में खेलने वाले से भी बदतर बता दिया गया था
लेकिन उसने कम बैक किया अपना खेल सुधरा खुद पर और खेल पर मेहनत की और आज वो भारतीय टीम का वो सितारा है जिसके बगैर खेलना, भारतीय टीम कभी नहीं चाहेगी...
और इसी का नतीजा है कि वो इस आई पी एल. का सबसे महंगा खिलाड़ी है और के.के.आर का कप्तान भी.....बेशुमार दौलत आज उसके कदम चूमती है........

bhoomi ji
10-04-2011, 06:52 PM
इसी बात पे एक लेख याद आ रहा है जो हमने आज से ५-६ साल पहले पढ़ा था..
जिसमे एक रिपोर्टर ने अपनी जिम्बाबे भ्रमण का जिक्र किया था
और लिखा था कि
"जब में जिम्बाबे की सड़कों पर घूम रहा था तो मुझे वहां एक ऐसा वाकिया देखने को मिला जिसने मुझे अंदर तक हिला कर रखा दिया...
में वहां सड़क पर घूम रहा था एक अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए.....तभी मुझे वहां सड़क पर एक व्यक्ति जिसने कि अपना आधा चेहरा ढका था, भीख मांगते हुए दिखा..... मेने जेब में हाथ डाल और उस व्यक्ति को देखने लगा....
मन में कुछ आशंका सी उठने लगी लेकिन फिर लगा कि हो ना हो मुझे कोई गलत फहमी हो.....
फिर भी में उसे भीख देने के बहाने से जेब टटोलने जैसी हरकत करने लगा और साथ ही साथ उस व्यक्ति को पहचानने की कोशिश करने लगा....
काफी देर तक जब ये क्रम चलने लगा तो उसे एहसास हो गया कि ये मेरा भेद जानना चाहता है....
वो वहां से चलने लगा......
जैसे ही वो वहां से मुड़ा मेने पीछे से आवाज दी और विश्वाश कीजिए मेरी आवाज सुनकर वो फफक कर रोने लगा.....
और मैंने आवाज मारी "क्या तुम जिम्बाबे की राष्ट्रीय टीम से खेलने वाले क्रिकेटर नहीं हो?"
मेरा ऐसा कहना था कि वो मेरा पास आकर रोने लगा......
मेने उसे खाना खिलाया......

फिर पूछा कि ऐसा क्या हुआ जो तुम्हें भीख मांगने की नौबत आ गयी.. तो वो कहने लगा कि जिम्बाबे बोर्ड की क्या दशा है ये किसी से छिपी हुई नहीं है
और ऐसे में केवल क्रिकेट खेलने से जिदंगी का गुजार करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता....
और मेने यही गलती कर दी.....क्योंकि बोर्ड के पास इतना पैंसा तो है नहीं जो क्रिकेटर को मैच फीस भी दे...उनको रहने की सुविधा भी दे....और पेंशन भी.....
जिस कारण मेरी ऐसी दशा हुई है....."


वो खिलाड़ी अपने देश से टेस्ट और वन डे मैच खेल चुका है....

कहने का मतलब ये है कि अगर खिलाड़ी अगर अपने अच्छे खेल को कैश करवाता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है...
आखिर वो उसकी मेहनत है

bhoomi ji
10-04-2011, 06:53 PM
अभी इसका संपूर्ण विवरण हमारे पास नहीं है जैसे ही हमें मिलता है हम यहाँ उसका सोर्स बता देंगे.......कि ये लेख कहाँ छपा था........