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View Full Version : "अन्ना हजारे" आप संघर्ष करो.. हम आपके साथ है


ishu
08-04-2011, 10:47 PM
दोस्तों, यह सूत्र समर्पित है उस शख्सियत को जो एक आम भारतीय के लिए अपने जीवन को संकट में दाल कर सरकार से लड़ रहा है. गांधी की विरासत उनकी थाथी है। कद-काठी में वह साधारण ही हैं। सिर पर गांधी टोपी और बदन पर खादी है। आंखों पर मोटा चश्मा है, लेकिन उनको दूर तक दिखता है। इरादे फौलादी और अटल हैं। भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने मौत को भी धता दे दी थी। उनकी प्लाटून के सारे सदस्य मारे गए थे। ऐसी शख्सियत है किसन बाबूराव हजारे की। प्यार से लोग उन्हें "अन्ना हजारे" बुलाते हैं। उन्हें छोटा गांधी भी कहा जा सकता है।

ishu
08-04-2011, 10:48 PM
अन्ना आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। वह गुस्से में हैं। उनकी चेतावनी से फिलहाल केंद्र सरकार हिल गई है। पहले भी वह महाराष्ट्र सरकार के पांच मंत्रियों की बलि ले चुके हैं। प्रधानमंत्री ने अन्ना से इस बारे में बातचीत की है। आश्वासन भी दिया है, लेकिन अन्ना तो अन्ना हैं। कहा है कि ठोस कुछ नहीं हुआ तो वह दिल्ली को हिला देंगे। अन्ना ने आज तक जो सोचा है, उसे कर दिखाया है। उन्होंने शराब में डूबे अपने पथरीले गांव रालेगन सिद्धि को दुनिया के सामने एक मॉडल बनाकर पेश किया। रामराज के दर्शन करने हैं तो उसे देखा जा सकता है। इस काम के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया। सूचना के अधिकार की लड़ाई में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ishu
08-04-2011, 10:51 PM
पारिवारिक जिंदगी
अन्ना की शख्सियत बडे़ अनगढ़ तरीके से गढ़ी हुई है। 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे। दादा फौज में। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। वैसे अन्ना के पुरखों का गांव अहमद नगर जिले में ही स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के छह भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया।

ishu
08-04-2011, 10:52 PM
छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गए। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई। यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थे। इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक बुकलेट 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा। 1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया। मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। चट्टान पर बैठकर गांव को सुधारने की बात सोचते रहते।

ishu
08-04-2011, 10:53 PM
जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने वीआरएस ले लिया और गांव में आकर डट गए। उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी। उन्होंने अपनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी। आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है। आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है। गांव में एक तरह का रामराज है। गांव में तो उन्होंने रामराज स्थापित कर दिया है। अब वह अपने दल-बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं :

ishu
08-04-2011, 10:56 PM
आमरण अनशन पर बैठे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि केंद्र सरकार में बैठे उन सभी मंत्रियों को हटा दिया जाना चाहिए, जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा लोकपाल विधेयक के लिए बनाए गए मंत्रियों के समूह के सदस्य पद से इस्तीफा देने को नाकाफी बताते हुए अन्ना हजारे ने गुरुवार को अपने समर्थकों को सम्बोधित करते हुए कहा, ' यह शरद पवार का सवाल नहीं है। उन सभी मंत्रियों को जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, हटा दिया जाना चाहिए। '

उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांग मान नहीं ली जाती है तब तक उनका अनशन जारी रहेगा। अन्ना ने कहा, ' जब तक मेरे शरीर में जीवन रहेगा, तब तक मेरा अनशन जारी रहेगा। उन्होंने कहा, ' मैं (अन्ना हजारे) ही लोकपाल विधेयक की मांग नहीं कर रहा, बल्कि यह देश की मांग है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि आखिरकार सरकार इसे क्यों नहीं समझ रही है। '

उल्लेखनीय है कि अनशन खत्म करने के लिए गुरुवार को सरकार और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई, लेकिन बेनतीजा रही।

ishu
08-04-2011, 10:58 PM
देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को मिल रहे समर्थन के बीच जाने-माने गांधीवादी हजारे ने कहा है कि सरकार भ्रष्टाचार रोकने को लेकर गम्भीर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता।


http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=10150&stc=1&d=1302285523

ishu
08-04-2011, 11:02 PM
दोस्तों, देश भर की जनता का "हजारे जी" को भारी समर्थन प्राप्त हो रहा है. आज उनकी भूख हड़ताल को पांचवां दिन लग चुका है. आप सभी से मैं इस सूत्र के माध्यम से अपील करता हूँ की देश के सुधार के लिए आवश्यक इस कानून के लागू करवाने के लिए इनकी लड़ाई में सहयोग दें. और ईश्वर से इनके स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें.
दोस्तों, यदि संविधान में यह "लोकपाल विधेयक" लागू किया जाए तो भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है.

ishu
08-04-2011, 11:05 PM
लोकपाल विधेयक पिछले 40 साल से संसद में पारित नहीं हो सका है और राजनीतिक पार्टियां इसके लिए एक दूसरे पर दोषारोपण कर रही हैं। कर्नाटक के मशहूर लोकायुक्त एन संतोष हेगडे द्वारा वहां की सरकार पर भ्रष्टाचार से लड़ाई के लिए बनी संस्था के साथ सहयोग नहीं करने के मुद्दे पर इस्तीफा देने से एक बार फिर यह विधेयक सुर्खियों में आ गया है। लोकसभा में आठ बार के प्रयास के बावजूद लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो सका है। देश के 17 राज्यों में लोकायुक्त हैं, लेकिन उनके अधिकार, कामकाज और अधिकार क्षेत्र एक समान नहीं हैं। अक्सर विधायिका को जानबूझ कर लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखा जाता है जो इस तरह की संस्थाएं बनाने के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। जांच के लिए लोकायुक्त का अन्य सरकारी एजेंसियों पर निर्भर होना उनके कामकाज को तो प्रभावित करता ही है, मामलों के निपटान में भी विलंब होता है। भाजपा प्रवक्ता तरुण विजय ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि पार्टी ने इस विधेयक को लाने का ईमानदारी से प्रयास किया था। वाजपेयी कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी और 2001 में लोकसभा में पेश किया गया, लेकिन यह पारित नहीं हो सका। उस विधेयक में प्रधानमंत्री के पद को लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया था। कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी दावा किया कि संप्रग सरकार लोकपाल विधेयक के प्रति गंभीर है और इस पर सर्वानुमति कायम होते ही विधेयक को संसद में पारित कराने का प्रयास किया जाएगा। यह विधेयक भ्रष्टाचार निरोधक संथानम समिति के निष्कर्षो का नतीजा था। प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी 1966 में अपनी एक रिपोर्ट में लोकपाल गठित करने की सिफारिश की थी। लोकपाल विधेयक सांसदों के भ्रष्ट आचरण के मामलों में मुकदमे की कार्यवाही तेजी से संचालित करने का अधिकार देता है। लोकपाल विधेयक हर प्रमुख राजनीतिक पार्टी के चुनावी एजेंडे में रहने के बावजूद 40 साल से यह संसद में पारित नहीं हो सका। 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वयं स्वीकार किया था कि आज के समय में लोकपाल की आवश्यकता पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा है। उन्होंने वायदा किया था कि वह बिना देरी किए इस संबंध में कार्रवाई आगे बढाएंगे। सिंह ने एक कदम आगे बढते हुए इस बात पर भी जोर दिया था कि प्रधानमंत्री के पद को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाए, लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह प्रस्ताव नामंजूर कर दिया। दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने सिफारिश की थी कि लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिया जाए और इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय लोकायुक्त किया जाए। हालांकि आयोग ने भी प्रधानमंत्री को इसके दायरे से बाहर रखने का सुझाव दिया था। इसी आयोग ने सांसद निधि जैसी स्कीमों को समाप्त करने की भी सिफारिश की थी। गृह मंत्रालय से संबद्ध संसद की एक समिति ने लोकपाल विधेयक को आधा अधूरा बताते हुए कहा था कि इसमें कई गंभीर खामियां और असमानताएं हैं। प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा कि यह विधेयक केवल उच्च पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार और रिश्वत पर केंद्रित है न कि सार्वजनिक शिकायत पर। समिति ने कहा कि लोकपाल द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत जांच का प्रावधान करने वाले इस विधेयक से ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है, जब एक ही अपराध की जांच के लिए दो समानान्तर एजेंसियां होंगी क्योंकि मजिस्ट्रेट और पुलिस शिकायत को तब तक लंबित नहीं रख सकते, जब तक लोकपाल मामले पर अंतिम निर्णय न दे दे। समिति के मुताबिक लोकपाल ऐसे किसी व्यक्ति पर दबाव नहीं डाल सकता, जो उसके समक्ष पेश होने का इच्छुक न हो लेकिन अदालत के समक्ष साक्ष्य देने को राजी हो।

ishu
08-04-2011, 11:10 PM
आइये भारी से भारी संख्या में जंतर मंतर पर चलें ,
दोस्तों, मेरी आप सभी से विनम्र अपील है की जब तक श्री अन्ना हजारे जी की मांगों को मान कर सरकार यह लोकपाल विधेयक लागू नहीं कर देती तब तक हम उनकी शक्ति बन कर उन्हें समर्थन देने हेतु उनके संघर्ष स्थल "जंतर मंतर" कनाट प्लेस, नई दिल्ली. पर भारी से भारी संख्या में पहुँच कर उनके संघर्ष में अपनी तरफ से मामूली सा योगदान दें. अगर आप वहां तक नहीं आ सकते तो कृपया इस सूत्र में अपने विचार रख कर उन्हें शक्ति प्रदान करें.

abhisays
08-04-2011, 11:22 PM
वर्षों बाद अन्ना हजारे ने देश में भ्रष्टाचार से आजादी का बिगुल बजाया है। अन्ना की कामयाबी के लिए दुआएँ.

Nitikesh
09-04-2011, 07:12 AM
वाह इशु जी ऐसे चुम्बकीय व्यक्तित्व से परिचय करवाने के आपका धन्यवाद
वाकई में इस घटना से पहले अन्ना जी को नहीं जनता था/

Nitikesh
09-04-2011, 07:14 AM
सरकार ने अन्ना जी की बात मानाने को तैयार है/
इसीलिए वे आज अपना अनसन खत्म कर देंगें/
इस यह तो साबित हो जाता है की हर लड़ाई जंग से नहीं जीती जाती कुछ लड़ाई के लिए बस ऊँची आवाज ही काफी है/
अन्ना हजारे जी को मेरा सलाम

ndhebar
09-04-2011, 07:32 AM
पर असली जंग तो अब शुरू होगा

ishu
09-04-2011, 10:29 PM
दोस्तों,
जन लोकपाल बिल के मुद्दे पर आमरण अनशन पर बैठे अन्ना हजारे और उनके दर्जनों सहयोगियों ने आज केंद्र सरकार के साथ समझौता हो जाने के बाद अपना अनशन खत्म कर दिया। अन्ना हजारे ने एक बच्ची के हाथ से नींबू का रस लेकर अनशन तोडा। अपने बाकी साथियों का अनशन उन्होंने खुद अपने हाथों से तुडवाया। स्वामी अग्निवेश, अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी और उनके जैसे ही सिविल सोसायटी से जुडी अनेक हस्तियों की मौजूदगी में अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना की प्रति मिलने के बाद अपना अनशन समाप्त किया।

ishu
09-04-2011, 10:30 PM
इससे पहले वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि जनता की शक्ति की वजह से ही लोगों को यह जीत हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि यह मेरे जीवन का सबसे बडा दिन है। हजारे ने केंद्र सरकार को जन लोकपाल बिल को संसद में पास करवाने के लिए 15 अगस्त तक की मोहलत दी। उन्होंने कहा कि हमारी लडाई अभी खत्म नहीं हुई है बल्कि यह तो उसकी शुरूआत भर है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार 15 अगस्त तक विधेयक पास नहीं करवाती तो आंदोलन का दूसरा चरण फिर शुरू होगा।
अन्ना हजारे ने इस आंदोलन को दुनिया भर में पहुंचाने के लिए युवकों का खास तौर पर धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल का मसौदा बनाया जाना है जिसके लिए जहां जरूरत पडेगी, संघर्ष किया जाएगा। उन्होने कहा कि पहले संघर्ष है मसौदा बनने तक। दूसरा संघर्ष होगा मसौदा बनने के बाद। अगर मंत्र्मिंडल उसे स्वीकार नहीं करता तो हम फिर आंदोलन की राह पर चल निकलेंगे। अगर मंत्र्मिंडल ने मसौदे को पास कर दिया और लोकसभा में कोई अडंगा आ गया तब हम लोकसभा पर जाएंगे।
उन्होंने कहा कि देश में प्रश्न बहुत हैं। किसानों, शिक्षा, मजदूरों आदि से जुडे अनेक ज्वलंत सवाल देश में मौजूद हैं जिन्हें एक साथ हल नहीं किया जा सकता। लेकिन लोकपाल बिल पास होने के बाद हमें भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार पर और दबाव डालना पडेगा। जब तक आम आदमी के हाथ में सत्ता नहीं जाएगी तब तक भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म नहीं हो सकता। अन्ना हजारे ने संकेत दिया कि उनके संघर्ष का अगला पडाव चुनाव सुधारों से जुडा हो सकता है।

ishu
09-04-2011, 10:34 PM
आपने बिलकुल सही कहा है मित्र, "अभी तो ये अंगडाई है, बाकी अभी लड़ाई है"
पर असली जंग तो अब शुरू होगा

ishu
09-04-2011, 10:34 PM
माई हिंदी फोरम के सभी साथियों को इस विजय की बधाई,
साथियों, यह जीत वास्तव में लोकतंत्र की जीत है.

bhoomi ji
09-04-2011, 10:38 PM
ये तो होना ही था
आखिर जनता से झूट और फरेब कब तक चल सकता था
एक दिन तो इस पाप के घड़े को फूटना ही था....

आपको भी इस विजय की शुभकामना