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View Full Version : बेवफाई आदत नहीं, मजबूरी हैं!!


saajid
09-04-2011, 02:38 PM
हम बेवफा हरगिज़ न थे, पर हम वफ़ा कर न सके
हमको मिली उसकी सज़ा, हम जो खता कर ना सके
हम बेवफा हरगिज़ न थे, पर हम वफ़ा कर न सके




फ़िल्म शालीमार का यह प्रसिद्ध किशोर दा का गीत किसे याद न होगा। कुछ दिनों पूर्व दैनिक जागरण का एक लेख पढ़ रहा था कि "क्यूँ सोचते हैं स्त्री पुरुष अलग अलग "। लेख पढ़कर मन ने इस गीत को गुनगुनाना शुरू कर दिया। इस लेख में तमाम कारणों में से जो मुझे सबसे विशिष्ट लगा था - वैज्ञानिक शोधों से यह साबित हुआ है पुरुषों के न्यूरोकेमिकल्स ही बताते हैं कि वे वफा करेंगे, निभाएंगे या बेवफा होंगे। अर्थात उनकी एक जीन (पित्रैक) तय करती है कि वो वफ़ा करेंगे या बेवफाई। यह जीन (पित्रक) जो १७ विभिन्न आकारों की होती है - अपनी लम्बाई के आधार पर तय करती हैं कि कौन -कितना भरोसेमंद और वफादार होगा। जितनी लम्बी जीन उतना वफादार साथी। अतः बेवफाई पुरुषों की आदत या फितरत नहीं वरन उन्हें अनुवांशिक रूप से मिली विरासत हैं -जिसे हम चाहकर भी नहीं छोड़ सकते।

saajid
09-04-2011, 03:13 PM
शाम आते आते मन में हलचल सी चलने लगी। अभी तक तो केवल विवाह पूर्व ही कुंडली के स्थान पर लोग रक्त समूह (ब्लड ग्रुप) के मेल कि बात करते थे। अब आने वाले समय तो पुरुषों के लिए और गंभीर चुनौतीपूर्ण होने वाला हैं। लड़कियां दोस्ती से पहले अनुवांशिक विवरण मांगेगी यह तय करने के लिए कि यह साथी उपयुक्त हैं कि नहीं।

saajid
09-04-2011, 03:22 PM
जैसा कि आधे से अधिक संगणकीय छात्रों के साथ होता हैं - हम भी विषय विश्लेषण के लिए गूगल बाबा की शरण में गए और झट से वैश्विक ज्ञान के सागर में गोते लगाने लगे। और पूछिये मत कौन कौन सी जीन का कौन सी पुरुषीय प्रणाली कि संचलित करती मिली। मन और भी अधिक व्यग्र हो गया। कोई तलाक तय करती हैं तो कोई रिश्तों की संतुष्टता और कोई प्यार की उन्मादकता। (कई तो सामाजिक लेख में लिखी भी नहीं जा सकती )। ऐसा लगा कि बिचारे पुरूष तो कुछ करते ही नहीं, जो भी करते हैं यह शरारती पित्रक ही करते हैं।

saajid
09-04-2011, 03:38 PM
जहाँ पहले लेख को पढ़कर हमे सोचा था कि चल आज सारी पुरूष जाति को बेवफाई के इल्जाम से मुक्त कर देंगे और सब कुछ इन पित्रको (जीन) के माथे मढ़ देंगे। पर अब सोचते हैं कि पित्रकों पर इल्जाम से तो हमे सारे के सारे पुरुषों को सगोत्र (खानदान सहित) इल्जामित कर दिया हैं। पर चलो, इसका मतलब यह भी हैं कि सम्पूर्ण गलती आदम जी से ही चली आ रहीं, हम लोग तो केवल वाहक मात्र हैं।

Kumar Anil
09-04-2011, 03:52 PM
वैज्ञानिक शोधों से यह साबित हुआ है पुरुषों के न्यूरोकेमिकल्स ही बताते हैं कि वे वफा करेंगे, निभाएंगे या बेवफा होंगे। अर्थात उनकी एक जीन (पित्रैक) तय करती है कि वो वफ़ा करेंगे या बेवफाई। यह जीन (पित्रक) जो १७ विभिन्न आकारों की होती है - अपनी लम्बाई के आधार पर तय करती हैं कि कौन -कितना भरोसेमंद और वफादार होगा। जितनी लम्बी जीन उतना वफादार साथी। अतः बेवफाई पुरुषों की आदत या फितरत नहीं वरन उन्हें अनुवांशिक रूप से मिली विरासत हैं -जिसे हम चाहकर भी नहीं छोड़ सकते।

इस शोध के आधार पर क्या यह मान लेना चाहिये कि बेवफ़ा पुरुष के पूर्वज भी इसी दोष के शिकार रहे होँगे और विरासत मेँ मिले ये जीन्स भविष्य मेँ भी उस कुनबे पर अपनी गाज़ गिराते रहेँगे ? क्या इन दोषोँ के लिये ये जीन्स ही एकमात्र कारक हैँ ?

saajid
09-04-2011, 03:57 PM
इस शोध के आधार पर क्या यह मान लेना चाहिये कि बेवफ़ा पुरुष के पूर्वज भी इसी दोष के शिकार रहे होँगे और विरासत मेँ मिले ये जीन्स भविष्य मेँ भी उस कुनबे पर अपनी गाज़ गिराते रहेँगे ? क्या इन दोषोँ के लिये ये जीन्स ही एकमात्र कारक हैँ ?
थोरा और रेप्लाई आने दें फिर सारे सवालों का :think:जवाब दूँगा

ndhebar
10-04-2011, 10:17 AM
थोरा और रेप्लाई आने दें फिर सारे सवालों का :think:जवाब दूँगा
अब जवाब दे भी दीजिये

Nitikesh
12-04-2011, 09:20 AM
बंधू सूत्र को आगे बढाओ और बता दो की ये बिना चिराग के जिन्न कैसे कार्य करता है?
सूत्र का समा तो खूब बांधा है/
अब जल्दी से सूत्र को स्पष्ट भी कर दो/
कहीं इस सूत्र को गति देना तो नहीं भूल गए?

saajid
12-04-2011, 09:42 AM
बंधू सूत्र को आगे बढाओ और बता दो की ये बिना चिराग के जिन्न कैसे कार्य करता है?
सूत्र का समा तो खूब बांधा है/
अब जल्दी से सूत्र को स्पष्ट भी कर दो/
कहीं इस सूत्र को गति देना तो नहीं भूल गए?
क्या स्पष्ट करून नियामक जी :think:

Nitikesh
12-04-2011, 09:47 AM
थोरा और रेप्लाई आने दें फिर सारे सवालों का :think:जवाब दूँगा

मैंने ये पोस्ट देख कर कमेन्ट किया/
मुझे लगा की इस बीना चिराग के जिन्न के बारे में और जानकारी दोगे/
इसीलिए पूछ लिया/

saajid
12-04-2011, 09:49 AM
मैंने ये पोस्ट देख कर कमेन्ट किया/
मुझे लगा की इस बीना चिराग के जिन्न के बारे में और जानकारी दोगे/
इसीलिए पूछ लिया/
आप को क्या लगता है :crazyeyes:

Nitikesh
12-04-2011, 09:50 AM
क्या स्पष्ट करून नियामक जी :think:
भाई मैं नियामक तो बन गया हूँ/
लेकिन हूँ मित्र ही/
पहले की तरह संबोधित करोगे तो अच्छा लगेगा/
नहीं तो ऐसा प्रतीत होता है की कोई अंजान शख्स मुझे तिरछी निगाहों से देख रहा है/

Nitikesh
12-04-2011, 09:55 AM
आप को क्या लगता है :crazyeyes:
एक कहावत है ठीक तरह से तो याद नहीं/
लेकिन फिर भी लिखता हूँ/
तुम्हे पूरा मालूम हो तो पूरा कर देना/
" बाप पर पुत ............... बहुत नही तो थोड़ा थोड़ा"
कुछ संस्कार तो हमें जन्मजात ही मिल जाते है/
इसमें कोई दो राय नहीं है/
जैसे किसी के परिवार में कोई केंसर से पडित होता है/
तो यह संभावना होती है की उसके आगे और पीछे के वंस में कोई जरुर इसी रोग के पीडत होगा/
एक और उधाहरण है ठेलिसिमिया का

saajid
12-04-2011, 09:56 AM
भाई मैं नियामक तो बन गया हूँ/
लेकिन हूँ मित्र ही/
पहले की तरह संबोधित करोगे तो अच्छा लगेगा/
नहीं तो ऐसा प्रतीत होता है की कोई अंजान शख्स मुझे तिरछी निगाहों से देख रहा है/
हा हा हा
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना :help:
ऐसे कोई बात नहीं :cryingbaby:
तुम प्रशासक भी बन जाओ तो भी कुछ फर्क नहीं परता :think:
कुछ कम नहीं मै भी तुमसे :crazyeyes:

saajid
12-04-2011, 09:58 AM
एक कहावत है ठीक तरह से तो याद नहीं/
लेकिन फिर भी लिखता हूँ/
तुम्हे पूरा मालूम हो तो पूरा कर देना/
" बाप पर पुत ............... बहुत नही तो थोड़ा थोड़ा"
कुछ संस्कार तो हमें जन्मजात ही मिल जाते है/
इसमें कोई दो राय नहीं है/
जैसे किसी के परिवार में कोई केंसर से पडित होता है/
तो यह संभावना होती है की उसके आगे और पीछे के वंस में कोई जरुर इसी रोग के पीडत होगा/
एक और उधाहरण है ठेलिसिमिया का
बस आपने तो जवाब ही दी दिया
धन्यवाद
एक बात जान ले के व्यक्ती के कर्म भी उसके परिणिति का कारन बनते हैं :banalama: