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View Full Version : आधुनिक समाज में बिखरते परिवार


dev b
18-04-2011, 02:22 PM
मित्रो इस भागम भाग की दुनिया में क्यों परिवार बिखर रहे है ....हम सभी मिल कर इस पर अपने विचार रखेंगे

dev b
18-04-2011, 02:27 PM
मित्रो इस भागम भाग की दुनिया में क्यों परिवार बिखर रहे है ....हम सभी मिल कर इस पर अपने विचार रखेंगे

मित्रो मेरे विचार से बिखराव के बहुत से कारण है ....परन्तु सब से बड़ा कारण जो मुझे लगता है वो ये है की ...पति और पत्नी का एक -दुसरे की भावनाओं का ध्यान ना रखना ..और इगो होना ,,,अगर पति पत्नी एक दुसरे की ख़ुशी का ध्यान रखे तो शायद परिवार बिखराव की और अग्रसर ना हो

dev b
18-04-2011, 03:43 PM
मित्रो इस भागम भाग की दुनिया में क्यों परिवार बिखर रहे है ....हम सभी मिल कर इस पर अपने विचार रखेंगे

पति और पत्नी यदि एक दुसरे किये समय निकाले तो शायद दोनो में प्यार बढेगा और परिवार टूटने से बचेंगे

dev b
18-04-2011, 03:47 PM
मित्रो इस भागम भाग की दुनिया में क्यों परिवार बिखर रहे है ....हम सभी मिल कर इस पर अपने विचार रखेंगे

शायद एक कारण बिखराव का ये भी है की लड़की शादी के बाद अपने ससुराल की हर छोटी बड़ी चीज मायके में बताती है ...जिस से मायके वालो का परिवार में हस्तक्षेप होता है

dev b
18-04-2011, 03:51 PM
मित्रो इस भागम भाग की दुनिया में क्यों परिवार बिखर रहे है ....हम सभी मिल कर इस पर अपने विचार रखेंगे

कभी कभी मित्रो गलत फहमी से भी परिवार बिखर जाते है ...पति पत्नी दोनो में से यदि किसी को गलत फहमी हो तो उसे क्लियर कर लेना चाहिए

dev b
18-04-2011, 03:54 PM
मित्रो अब कृपया आप अपने विचार रखे उस के बाद ही मै कुछ कहूंगा

abhisays
18-04-2011, 04:02 PM
आज चारो और लोग पैसो के पीछे भाग रहे हैं, किसी को और किसी भी चीज़ की सुध नहीं है, रिश्ते नाते पुराने ज़माने की बातें होते जा रहे हैं. पूरा समाज भौतिकता के अंधे कुए में डूबकी मार रहा है. टीवी और मीडिया भोग विलास की वस्तुओ का जम कर प्रचार प्रसार कर रहे है जिससे लोगो को अधिक से अधिक पाने की ईक्षा बलवती होती जा रही है. लोग अब शादी के बाद अलग घर बसाने lage हैं.

dev b
18-04-2011, 04:04 PM
आज चारो और लोग पैसो के पीछे भाग रहे हैं, किसी को और किसी भी चीज़ की सुध नहीं है, रिश्ते नाते पुराने ज़माने की बातें होते जा रहे हैं. पूरा समाज भौतिकता के अंधे कुए में डूबकी मार रहा है. टीवी और मीडिया भोग विलास की वस्तुओ का जम कर प्रचार प्रसार कर रहे है जिससे लोगो को अधिक से अधिक पाने की ईक्षा बलवती होती जा रही है. लोग अब शादी के बाद अलग घर बसाने lage हैं.

आप ने बिलकुल ठीक कहा मित्र

dev b
18-04-2011, 04:07 PM
मित्रो इस भागम भाग की दुनिया में क्यों परिवार बिखर रहे है ....हम सभी मिल कर इस पर अपने विचार रखेंगे

मित्रो बिखराव का एक बड़ा कारण सयुक्त परिवार का ना होना भी है ...पहले सयुक्त परिवार होते थे तो रिश्ते ज्यादा सुद्रढ़ होते थे

abhisays
18-04-2011, 04:10 PM
मित्रो बिखराव का एक बड़ा कारण सयुक्त परिवार का ना होना भी है ...पहले सयुक्त परिवार होते थे तो रिश्ते ज्यादा सुद्रढ़ होते थे


पहले भारत में कृषि सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय रोज़गार का साधन था, फिर अँगरेज़ आये, आज़ादी मिली, लोग नौकरिया करने लगे, जिसके लिए एक जगह से दुसरे जगह जाने पड़ा, इसके कारण परिवार में बिखराव आये.

dev b
18-04-2011, 04:11 PM
मेरे विचार से सेपरेट फॅमिली अगर है भी तो भी कोशिश करनी चाहिए की माँ बाप साथ रहे इस से मोरल support मिलता है ..और नाजुक क्षड़ो में उन की सलाह काम आती है ...माँ -बाप का आशीर्वाद मिलता है सो अलग

Bond007
18-04-2011, 04:13 PM
ये तो ज्यादातर बातें शादी से बाद की हैं| शादी से पहले ही लड़के जब थोड़ा कमाने लगते हैं तो अलग आशियाना बना लेते हैं| यहां उस परिस्थिति की बात नहीं करूंगा जो दुसरे शहर में या दूर रहते हैं| वरन एक ही शहर में रहकर भी संताने अपने माता-पिता से दूर रहने लगती हैं| क्या उन माता-पिता का दिल छोटा हो जाता है? या उस घर में जगह नहीं बचती? या उनकी प्राइवेसी उनके पारिवारिक सदस्यों से ज्यादा महत्व पूर्ण हो जाती है? जो इनको अपनों से दूर ले जाती है???

माना कि नया घर, ज्यादा सुख-सुविधा, इस सब को खोजने निकले हैं, लेकिन इस नए घर में ही अपनों को साथ भी रख सकते हैं|

शादी तो बाद में होती है, आजकल बच्चे उनसे दूर पहले हो जाते हैं|

dev b
18-04-2011, 04:16 PM
पहले भारत में कृषि सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय रोज़गार का साधन था, फिर अँगरेज़ आये, आज़ादी मिली, लोग नौकरिया करने लगे, जिसके लिए एक जगह से दुसरे जगह जाने पड़ा, इसके कारण परिवार में बिखराव आये.

आप का कहना बिलकुल ठीक है मित्र ...परन्तु यंहा हम को , वो विचार रखने है ---की पति और पत्नी में सम्बन्ध अच्छे ना होने की वजह से परिवार बिखर रहे है ...और पति पत्नी के सम्बन्ध खराब होने पीछे क्या कारण हो सकते है ...जिस से की बिखरते परिवार को बचाया जा सके और पति - पत्नी के सम्बन्ध अच्छे रहे ...

dev b
18-04-2011, 04:18 PM
ये तो ज्यादातर बातें शादी से बाद की हैं| शादी से पहले ही लड़के जब थोड़ा कमाने लगते हैं तो अलग आशियाना बना लेते हैं| यहां उस परिस्थिति की बात नहीं करूंगा जो दुसरे शहर में या दूर रहते हैं| वरन एक ही शहर में रहकर भी संताने अपने माता-पिता से दूर रहने लगती हैं| क्या उन माता-पिता का दिल छोटा हो जाता है? या उस घर में जगह नहीं बचती? या उनकी प्राइवेसी उनके पारिवारिक सदस्यों से ज्यादा महत्व पूर्ण हो जाती है? जो इनको अपनों से दूर ले जाती है???

माना कि नया घर, ज्यादा सुख-सुविधा, इस सब को खोजने निकले हैं, लेकिन इस नए घर में ही अपनों को साथ भी रख सकते हैं|

शादी तो बाद में होती है, आजकल बच्चे उनसे दूर पहले हो जाते हैं|


आप ने बिलकुल ठीक कहा मित्र

bhoomi ji
18-04-2011, 04:19 PM
परिवारों के बिखरने में हमेशा एक ही चीज कॉमन होती है और वो होती है
पति पत्नी में आपसी मतभेद......
जब कभी दोनों के बीच में किसी बात को लेकर मिसअंडरस्टैंडिंग होती है तभी परिवार का बिखराव शुरू ही जाता है.....
ये मतभेद कभी सास ससुर को लेकर होती है या फिर कभी कोई जरुरत पूरी ना होने के कारण....


ऐसे में पति पत्नी को चाहिए कि वे दोनों कम्प्रोमाइज करना सीखें.....अगर पति कोई जरुरत पूरी ना कर सके तो उसे इतना उलाहना मत दो कि वो फ्रस्टेट होकर कुछ गलत कदम उठा ले....
अगर पति को पत्नी से कोई शिकायत है तो वो उसे प्यार से समझाए....कि उसे उसके व्यवहार से कहाँ दिक्कत हो रही है...
और उसे सुधारने में उसकी मदद करे......

दोनों को ये सोच कर एक दूसरे का साथ देना चाहिए कि संसार में कोई भी इंसान सर्व गुण संपन्न नहीं हो सकता है....कुछ ना कुछ कमियां सभी में होती है....
अगर कमी मेजर है तो दोनों को उसे कम करने के उपाय ढूंढने चाहिए और एक दूसरे की मदद करनी चाहिए
और अगर कमी माइनर है तो उसे इग्नोर करना सीखना चाहिए


आखिरी में एक बात दोनों को हर चीज पे संतोष होना सीखना पड़ेगा........तभी गाडी आगे बढ़ेगी
"संतोषं परम सुखम"

Bond007
18-04-2011, 04:24 PM
देव जी! पहले इतना स्पष्ट करो कि यहां पति-पत्नी के कारन टूटने वाले परिवारों की बात हो रही है या सभी तरह से टूटने वाले परिवारों की| :help:

dev b
18-04-2011, 04:25 PM
बिलकुल मित्र मै आप से सहमत हु परिवारों के बिखरने में हमेशा एक ही चीज कॉमन होती है और वो होती है
पति पत्नी में आपसी मतभेद......
जब कभी दोनों के बीच में किसी बात को लेकर मिसअंडरस्टैंडिंग होती है तभी परिवार का बिखराव शुरू ही जाता है.....
ये मतभेद कभी सास ससुर को लेकर होती है या फिर कभी कोई जरुरत पूरी ना होने के कारण....


ऐसे में पति पत्नी को चाहिए कि वे दोनों कम्प्रोमाइज करना सीखें.....अगर पति कोई जरुरत पूरी ना कर सके तो उसे इतना उलाहना मत दो कि वो फ्रस्टेट होकर कुछ गलत कदम उठा ले....
अगर पति को पत्नी से कोई शिकायत है तो वो उसे प्यार से समझाए....कि उसे उसके व्यवहार से कहाँ दिक्कत हो रही है...
और उसे सुधारने में उसकी मदद करे......

दोनों को ये सोच कर एक दूसरे का साथ देना चाहिए कि संसार में कोई भी इंसान सर्व गुण संपन्न नहीं हो सकता है....कुछ ना कुछ कमियां सभी में होती है....
अगर कमी मेजर है तो दोनों को उसे कम करने के उपाय ढूंढने चाहिए और एक दूसरे की मदद करनी चाहिए
और अगर कमी माइनर है तो उसे इग्नोर करना सीखना चाहिए


आखिरी में एक बात दोनों को हर चीज पे संतोष होना सीखना पड़ेगा........तभी गाडी आगे बढ़ेगी
"संतोषं परम सुखम"

bhoomi ji
18-04-2011, 04:28 PM
देव जी! पहले इतना स्पष्ट करो कि यहां पति-पत्नी के कारन टूटने वाले परिवारों की बात हो रही है या सभी तरह से टूटने वाले परिवारों की| :help:


वैसे तो पति पत्नी के कारन परिवार टूटने पर चर्चा है लेकिन आप सभी तरह के परिवार का उल्लेख भी कर सकते हो?:cheers:

dev b
18-04-2011, 04:30 PM
देव जी! पहले इतना स्पष्ट करो कि यहां पति-पत्नी के कारन टूटने वाले परिवारों की बात हो रही है या सभी तरह से टूटने वाले परिवारों की| :help:


प्रिय मित्र रोजगार के लिए अगर किसी परिवार को बाहर जाना पड़ता है तो वो तो अलग बात है ...परन्तु बहुत से ऐसे कारण होते है जिन से पति -पत्नी के सम्बन्ध खराव होते है और परिवार टूट जाते है ...इस के लिए कोई भी कारण हो ...उस के बारे में हम सभी मित्रो को चर्चा करनी है

dev b
18-04-2011, 04:33 PM
वैसे तो पति पत्नी के कारन परिवार टूटने पर चर्चा है लेकिन आप सभी तरह के परिवार का उल्लेख भी कर सकते हो?:cheers:

जी मित्र परिवार कैसा भी हो चाहे सयुक्त या सेपरेट ...परन्तु जव वो टूटेगा तभी जव पति पत्नी के सम्बन्ध किसी कारण बस खराब हो जायेंगे ,,,कारण चाहे कोई भी हो

MissK
18-04-2011, 04:34 PM
मेरे विचार में तो परिवार टूटने का एक कारन आजकल कि स्त्रियों में बढ़ी जागरूकता और शिक्षा भी है. पहले स्त्रियों का पालन पोषण इस हिसाब से होता था कि उसे अपने ससुराल जाना है एक दिन और परिवार के लिए अपनी व्यक्तिगत खुशियों का बलिदान देना सर्वोपरि होता था. आजकल के समाज में जहाँ स्त्रियों में आर्थिक निर्भरता पहले के मुकाबले बढ़ी है वही उनकी खुद को लेकर सोच में भी एक अलग दृष्टिकोण आया है..जिसमें आत्म त्याग ही सबकुछ नहीं और व्यक्तिगत हित उतना ही महत्त्व रखते है. जहाँ तक में देखती हूँ हमारा भारतीय समाज अभी एक ट्रांजिशन फेज में है.

Bond007
18-04-2011, 04:35 PM
...
...
अगर पति को पत्नी से कोई शिकायत है तो वो उसे प्यार से समझाए....कि उसे उसके व्यवहार से कहाँ दिक्कत हो रही है...
...
...
...
आखिरी में एक बात दोनों को हर चीज पे संतोष होना सीखना पड़ेगा........तभी गाडी आगे बढ़ेगी
"संतोषं परम सुखम"

संयम, संतोष, समझदारी, प्यार से बात करना.............,

अब लड़कों में ये बात है कहां.....................!!!
शादी होने के कुछ समय तक तो रोमांस रहता है, फिर सारी समझदारी काफूर हो जाती है| और वो रोमांस भी किस तरह का होता है, ये भी आप जानते हैं, सिर्फ बेडरूम की भावनाएं| प्यार से समझाना बुझाना अपनों को साथ लेकर चलना, ये बात कैसे और कौन समझाएगा?


और जहाँ तक मैं मानता हूं, हम लोग भी (विशेषकर लड़के) इस तरह के विचार सिर्फ किताबों, ब्लॉग्स, फोरम्स तक सीमित रखते हैं| जब सामने आकर पड़ती है तो सब भूल जाते हैं| वही पुराना रवैय्या| :bang-head:

dev b
18-04-2011, 04:39 PM
कई बार मित्रो ,पति और पत्नी के बीच सम्बन्ध खराव धन की कमी से भी होते है ..पैसा कमाना १ अच्छी बात है परन्तु उस पैसे की वजह से शान्ति भंग हो ये ठीक नहीं है

bhoomi ji
18-04-2011, 04:43 PM
संयम, संतोष, समझदारी, प्यार से बात करना.............,

अब लड़कों में ये बात है कहां.....................!!!
शादी होने के कुछ समय तक तो रोमांस रहता है, फिर सारी समझदारी काफूर हो जाती है| और वो रोमांस भी किस तरह का होता है, ये भी आप जानते हैं, सिर्फ बेडरूम की भावनाएं| प्यार से समझाना बुझाना अपनों को साथ लेकर चलना, ये बात कैसे और कौन समझाएगा?


और जहाँ तक मैं मानता हूं, हम लोग भी (विशेषकर लड़के) इस तरह के विचार सिर्फ किताबों, ब्लॉग्स, फोरम्स तक सीमित रखते हैं| जब सामने आकर पड़ती है तो सब भूल जाते हैं| वही पुराना रवैय्या| :bang-head:


इसमें दोष उन लड़कों का नहीं है दोष है उनके माँ बापों का जिन्होंने उन्हें ऐसी संस्कार दिए हैं....
ऐसे संस्कार जो ये नहीं समझाते कि बड़ों की इज्जत कैसे की जाती है?
बड़ों की सलाह पर एक बार जरूरू अमल करो?
आपस में सहयोग की भावना रखो?
अब जब बचपन से माँ बाप अपने लड़के को ये सिखाएंगे कि बेटा घर का काम तो लड़कियों को ही करना है....तू रहने दे ये काम तेरी बहन कर लेगी
तो क्या वो शादी के बाद ख़ाक अपनी पत्नी के साथ सहयोग करेगा?
उसे तो आदत है घर में निठ्ठल्ले बैठने की......
ऐसे में कहाँ कोई परिवार सही ढंग से चल पायेगा?

आज जहाँ लड़कियां ऑफिस या अपनी नौकरी पार जाती हैं और घर आके उसे ही सब कुछ करना पड़े...तो भला किस परिवार में झगडा नहीं होगा?
वो भी चाहेगी कि जब दोनों काम करने वाले हैं तो उसका पति भी घर के कामों में उसका साथ दे...
लेकिन पति तो ऐसा मिला हुआ है कि जिसे बचपन से काम ना करने की ट्रेनिंग मिली हुई है

जाहिर है ऐसी स्थिति में बिखराव के परसेंट बड जायेंगे

dev b
18-04-2011, 04:48 PM
संयम, संतोष, समझदारी, प्यार से बात करना.............,

अब लड़कों में ये बात है कहां.....................!!!
शादी होने के कुछ समय तक तो रोमांस रहता है, फिर सारी समझदारी काफूर हो जाती है| और वो रोमांस भी किस तरह का होता है, ये भी आप जानते हैं, सिर्फ बेडरूम की भावनाएं| प्यार से समझाना बुझाना अपनों को साथ लेकर चलना, ये बात कैसे और कौन समझाएगा?


और जहाँ तक मैं मानता हूं, हम लोग भी (विशेषकर लड़के) इस तरह के विचार सिर्फ किताबों, ब्लॉग्स, फोरम्स तक सीमित रखते हैं| जब सामने आकर पड़ती है तो सब भूल जाते हैं| वही पुराना रवैय्या| :bang-head:


मित्र ..आप से मै सहमत हु ,...जब इंसान ,नमक तेल लकड़ी के जंजाल में फसता है ...तभी तो उस की समझदारी का पता चलता है की वो घर -परिवार और बाहर की दुनिया में कैसे ताल मेल बनाए ...रोमांस अपनी जगह अलग है
वास्तविकता की दुनिया से दो चार हो कर समजदारी से अपने परिवार को सँभालते हुए आगे बढना ही तो जिंदगी है मित्र

dev b
18-04-2011, 04:52 PM
मेरे विचार में तो परिवार टूटने का एक कारन आजकल कि स्त्रियों में बढ़ी जागरूकता और शिक्षा भी है. पहले स्त्रियों का पालन पोषण इस हिसाब से होता था कि उसे अपने ससुराल जाना है एक दिन और परिवार के लिए अपनी व्यक्तिगत खुशियों का बलिदान देना सर्वोपरि होता था. आजकल के समाज में जहाँ स्त्रियों में आर्थिक निर्भरता पहले के मुकाबले बढ़ी है वही उनकी खुद को लेकर सोच में भी एक अलग दृष्टिकोण आया है..जिसमें आत्म त्याग ही सबकुछ नहीं और व्यक्तिगत हित उतना ही महत्त्व रखते है. जहाँ तक में देखती हूँ हमारा भारतीय समाज अभी एक ट्रांजिशन फेज में है.

मित्र ...मेरे विचार से तो व्यक्तिगत हित होने ही नहीं चाहिए बल्कि पति और पत्नी को एक दुसरे की हितो की चिंता करनी चाहिए ....यही तो प्यार है , यही तो भावनाए है , यही जिंदगी है प्रिय मित्र

Bond007
18-04-2011, 04:56 PM
इसमें दोष उन लड़कों का नहीं है दोष है उनके माँ बापों का जिन्होंने उन्हें ऐसी संस्कार दिए हैं....
....
...
...

एक बात कहना चाहूंगा कि हर परिस्थिति में माँ-बाप जिम्मेदार नहीं होते| कौन से ऐसे माँ-बाप होंगे जो अपने बच्चों का बिगड़ जाना पसंद करेंगे? शायद कुछ कमी रह जाती हो लेकिन ज्यादातर माँ-बाप अपने बच्चों को उचित शिक्षा-संसकार देने की पूरी कोशिश करते हैं| हाँ बेटा-बेटी के बीच भेद अभी भी है|

dev b
18-04-2011, 04:59 PM
मित्र , मै आप की बात से सहमत हु ,,,मेरी जानकारी में एक ऐसा परिवार है ..जिस में पति और पत्नी दोनो ही काम काजी है .,,,,......पति के पास टाइम नहीं है , परन्तु पति चाहता है की काम नौकरानी करे , पत्नी नहीं .....परन्तु पत्नी को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं ...वो सारा काम स्वयं करती है ...अब ऐसी परिथिति में आप क्या कहेंगी ??????????इसमें दोष उन लड़कों का नहीं है दोष है उनके माँ बापों का जिन्होंने उन्हें ऐसी संस्कार दिए हैं....
ऐसे संस्कार जो ये नहीं समझाते कि बड़ों की इज्जत कैसे की जाती है?
बड़ों की सलाह पर एक बार जरूरू अमल करो?
आपस में सहयोग की भावना रखो?
अब जब बचपन से माँ बाप अपने लड़के को ये सिखाएंगे कि बेटा घर का काम तो लड़कियों को ही करना है....तू रहने दे ये काम तेरी बहन कर लेगी
तो क्या वो शादी के बाद ख़ाक अपनी पत्नी के साथ सहयोग करेगा?
उसे तो आदत है घर में निठ्ठल्ले बैठने की......
ऐसे में कहाँ कोई परिवार सही ढंग से चल पायेगा?

आज जहाँ लड़कियां ऑफिस या अपनी नौकरी पार जाती हैं और घर आके उसे ही सब कुछ करना पड़े...तो भला किस परिवार में झगडा नहीं होगा?
वो भी चाहेगी कि जब दोनों काम करने वाले हैं तो उसका पति भी घर के कामों में उसका साथ दे...
लेकिन पति तो ऐसा मिला हुआ है कि जिसे बचपन से काम ना करने की ट्रेनिंग मिली हुई है

जाहिर है ऐसी स्थिति में बिखराव के परसेंट बड जायेंगे

dev b
18-04-2011, 05:01 PM
एक बात कहना चाहूंगा कि हर परिस्थिति में माँ-बाप जिम्मेदार नहीं होते| कौन से ऐसे माँ-बाप होंगे जो अपने बच्चों का बिगड़ जाना पसंद करेंगे? शायद कुछ कमी रह जाती हो लेकिन ज्यादातर माँ-बाप अपने बच्चों को उचित शिक्षा-संसकार देने की पूरी कोशिश करते हैं| हाँ बेटा-बेटी के बीच भेद अभी भी है|

बिलकुल मित्र ,,,और बेटा -बेटी की परवरिश का भेद ख़तम होना चाहिए

MissK
18-04-2011, 05:02 PM
मित्र ...मेरे विचार से तो व्यक्तिगत हित होने ही नहीं चाहिए बल्कि पति और पत्नी को एक दुसरे की हितो की चिंता करनी चाहिए ....यही तो प्यार है , यही तो भावनाए है , यही जिंदगी है प्रिय मित्र

ये तो आदर्शों वाली बात हुयी. सवाल यहाँ यह है की इस आदर्श को आप अरेंज मेरिज में कैसे निभाएंगे खास कर जब आजकल दोनों पक्ष पढ़े लिखे, आत्मनिर्भर और ज्यादा जागरूक होते हैं? यह बात तो मैं भी मानती हूँ कि किसी भी रिश्ते में आपसी समझ और एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना महत्वपूर्ण होता है परन्तु उस understanding को विकसित होने में समय लगता है. जिसकी हो गयी उसके लिए अच्छा जिस की नहीं हो पायी उसके लिए तो साथ न ही रहना बेहतर है.

Bond007
18-04-2011, 05:03 PM
मेरे विचार में तो परिवार टूटने का एक कारन आजकल कि स्त्रियों में बढ़ी जागरूकता और शिक्षा भी है. पहले स्त्रियों का पालन पोषण इस हिसाब से होता था कि उसे अपने ससुराल जाना है एक दिन और परिवार के लिए अपनी व्यक्तिगत खुशियों का बलिदान देना सर्वोपरि होता था. आजकल के समाज में जहाँ स्त्रियों में आर्थिक निर्भरता पहले के मुकाबले बढ़ी है वही उनकी खुद को लेकर सोच में भी एक अलग दृष्टिकोण आया है..जिसमें आत्म त्याग ही सबकुछ नहीं और व्यक्तिगत हित उतना ही महत्त्व रखते है. जहाँ तक में देखती हूँ हमारा भारतीय समाज अभी एक ट्रांजिशन फेज में है.

हर जगह लडकियां ही क्यों बलिदान दें???
जागरूकता और शिक्षा तो अत्यंत आवश्यक चीज है| हां इससे शायद इतना जरूर हुआ हो कि लड़कियों में धैर्य भावना की कुछ कमी आ गई हो| लेकिन अभी भी लड़कों से कहीं ज्यादा है|

bhoomi ji
18-04-2011, 05:05 PM
एक बात कहना चाहूंगा कि हर परिस्थिति में माँ-बाप जिम्मेदार नहीं होते| कौन से ऐसे माँ-बाप होंगे जो अपने बच्चों का बिगड़ जाना पसंद करेंगे? शायद कुछ कमी रह जाती हो लेकिन ज्यादातर माँ-बाप अपने बच्चों को उचित शिक्षा-संसकार देने की पूरी कोशिश करते हैं| हाँ बेटा-बेटी के बीच भेद अभी भी है|
कोई भी माँ बाप अपने बच्चे को बिगड़ा हुआ नहीं चाहते हैं ये हम भी जानते हैं
लेकिन एक बात गौर करने लायक है
बच्चा जब छोटा होता है और कुछ गलत काम करता है या फिर घर के काम में हाथ नहीं बांटता है
तो यदि कोई इसकी शिकायत कर दे तो वो इसे यह कहकर टाल देते हैं कि "अभी बच्चा है जब बड़ा हो जाएगा तो खुद समझ जाएगा...."
अब भला माँ बाप को कभी अपना बच्चा बड़ा होता भी दीखता है? उन के लिए तो वो हमेशा एक बच्चा ही रहता है
यही कह कर वो सबसे पहले उस बच्चे के पैर पर कुल्हाड़ी मार देते हैं....
वो प्यार में इतने अंधे होते हैं कि उन्हें उसके भले और बुरे का ज्ञान नहीं रह जाता है..
अगर उस बच्चे को उसी टाइम सही राह दिखाई जायेगी तो क्या वो जिंदगी भर उस बात को भूल पायेगा?


माँ बाप नहीं चाहते कि उनका बच्चा बिगड़े लेकिन वे उसे इतनी अच्छी शिक्षा भी नहीं दे पाते हैं कि वो एक सभ्य इंसान बन पाए.....यही उसके जीवन में आगे चलकर उसके लिए घातक सिद्ध होता है

dev b
18-04-2011, 05:06 PM
बिलकुल मित्र ..,मै आप से सहमत हु ...संबंधो को ढोने से कोई फायदा नहीं है ये तो आदर्शों वाली बात हुयी. सवाल यहाँ यह है की इस आदर्श को आप अरेंज मेरिज में कैसे निभाएंगे खास कर जब आजकल दोनों पक्ष पढ़े लिखे, आत्मनिर्भर और ज्यादा जागरूक होते हैं? यह बात तो मैं भी मानती हूँ कि किसी भी रिश्ते में आपसी समझ और एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना महत्वपूर्ण होता है परन्तु उस understanding को विकसित होने में समय लगता है. जिसकी हो गयी उसके लिए अच्छा जिस की नहीं हो पायी उसके लिए तो साथ न ही रहना बेहतर है.

jitendragarg
18-04-2011, 05:09 PM
आज कोई भी समझोता करना नहीं चाहता. अंतत होता ये है, की हर कोई अपने परिवार से किसी न किसी बात पर खफा रहता है. अगर आप सुलह करने को तैयार है, तो किसी भी परिवार में कभी समस्या नहीं आ सकती.

:cheers:

Bond007
18-04-2011, 05:09 PM
जिसकी हो गयी उसके लिए अच्छा जिस की नहीं हो पायी उसके लिए तो साथ न ही रहना बेहतर है.

यही तो हो गया न परिवार का बिखराव|
अपने विचारों को शादी से पहले ही एक-दुसरे से साझा कर लें तो शायद इसमें कुछ कमी आ सकती है|

dev b
18-04-2011, 05:11 PM
जी हां मित्र ...माँ -बाप तो एक कुम्हार की तरह है जैसे कुम्हार थपकी दे कर पीट कर बर्तन को सही शेप देता है ..उसी प्रकार सभी माँ-बाप चाहते है की उबचे को उचित संस्कार मिले कोई भी माँ बाप अपने बच्चे को बिगड़ा हुआ नहीं चाहते हैं ये हम भी जानते हैं
लेकिन एक बात गौर करने लायक है
बच्चा जब छोटा होता है और कुछ गलत काम करता है या फिर घर के काम में हाथ नहीं बांटता है
तो यदि कोई इसकी शिकायत कर दे तो वो इसे यह कहकर टाल देते हैं कि "अभी बच्चा है जब बड़ा हो जाएगा तो खुद समझ जाएगा...."
अब भला माँ बाप को कभी अपना बच्चा बड़ा होता भी दीखता है? उन के लिए तो वो हमेशा एक बच्चा ही रहता है
यही कह कर वो सबसे पहले उस बच्चे के पैर पर कुल्हाड़ी मार देते हैं....
वो प्यार में इतने अंधे होते हैं कि उन्हें उसके भले और बुरे का ज्ञान नहीं रह जाता है..
अगर उस बच्चे को उसी टाइम सही राह दिखाई जायेगी तो क्या वो जिंदगी भर उस बात को भूल पायेगा?


माँ बाप नहीं चाहते कि उनका बच्चा बिगड़े लेकिन वे उसे इतनी अच्छी शिक्षा भी नहीं दे पाते हैं कि वो एक सभ्य इंसान बन पाए.....यही उसके जीवन में आगे चलकर उसके लिए घातक सिद्ध होता है

bhoomi ji
18-04-2011, 05:13 PM
[size="5"]मित्र , मै आप की बात से सहमत हु ,,,मेरी जानकारी में एक ऐसा परिवार है ..जिस में पति और पत्नी दोनो ही काम काजी है .,,,,......पति के पास टाइम नहीं है , परन्तु पति चाहता है की काम नौकरानी करे , पत्नी नहीं .....परन्तु पत्नी को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं ...वो सारा काम स्वयं करती है ...अब ऐसी परिथिति में आप क्या कहेंगी ??????????

[color=darkgreen]ऐसे में हम कहना चाहेंगे कि सबसे पहले तो लड़के को लड़की को समझाना चाहिए कि जरुरी नहीं है कि हर नौकरानी खराब काम करे..हम अच्छी नौकरानी रखेंगे ताकि तुम्हें कोई परेशानी ना हो"

अगर तब भी बात नहीं बनती है और पत्नी चाहती है कि वे ही काम करें
तो यहाँ लड़के को थोडा कम्प्रोमाइज करके यह कहना चहिये कि
ठीक है हम दोनों मिलकर घर का काम करेंगे....मुझसे जितना हो सकेगा में अपना १००% देने की कोशिश करूँगा"

हम शर्त के साथ कह सकते हैं कि दोनों की इतनी अच्छी केमेस्ट्री बन जायेगी कि दोनों का काम एक दम चुटकियों में हल हो जाएगा
और संभव है कि कुछ समय बाद पत्नी नौकरानी रखने पर राजी हो जाए

dev b
18-04-2011, 05:14 PM
आज कोई भी समझोता करना नहीं चाहता. अंतत होता ये है, की हर कोई अपने परिवार से किसी न किसी बात पर खफा रहता है. अगर आप सुलह करने को तैयार है, तो किसी भी परिवार में कभी समस्या नहीं आ सकती.

:cheers:

बिकुल ठीक कहा मित्र ......एक हाथ से ताली नहीं बजती

MissK
18-04-2011, 05:14 PM
हर जगह लडकियां ही क्यों बलिदान दें???
जागरूकता और शिक्षा तो अत्यंत आवश्यक चीज है| हां इससे शायद इतना जरूर हुआ हो कि लड़कियों में धैर्य भावना की कुछ कमी आ गई हो| लेकिन अभी भी लड़कों से कहीं ज्यादा है|

यहाँ मैं लड़कियों पर दोष नहीं मढ़ रही परन्तु बस एक पॉइंट उठा रही हूँ. कहने का यह तात्पर्य नहीं है कि लड़कियों को शिक्षा न मिले और वो जागरूक न बने. बस यह कहना चाह रही हूँ कि हमारा समाज आज कल की स्त्री के साथ तालमेल बैठाने में उतना सक्षम नहीं हुआ है अभी तक. एक और तो उसकी उपलब्धियों कि प्रशंसा की जाती है दूसरी तरफ जब परिवार की बात आती है तो उसे धैर्य और त्याग के पाठ पढाये जाते है. और चूँकि शिक्षा और आत्मनिर्भरता सकारात्मक चीजें है इसलिए उनके पीछे जाने की बातें नहीं होनी चाहिए बल्कि औरों को भी अपने माइंड सेट में बदलाव लाना चाहिए जैसा कि भूमि जी ने भी कहा है.

MissK
18-04-2011, 05:17 PM
यही तो हो गया न परिवार का बिखराव|
अपने विचारों को शादी से पहले ही एक-दुसरे से साझा कर लें तो शायद इसमें कुछ कमी आ सकती है|


वही तो शादी से पूर्व विचारों को साझा करने का मौका तो मिलना चाहिए न :)

dev b
18-04-2011, 05:17 PM
मित्र उस परिवार में चेमिस्ट्री तो अच्छी अभी भी है परन्तु पति नहीं चाहता की पत्नी हर दम काम में पिली रहे परन्तु पत्नी को इस में ही मजा आता है ...ये है एक दुसरे के लिए भावनाए ऐसे में हम कहना चाहेंगे कि सबसे पहले तो लड़के को लड़की को समझाना चाहिए कि जरुरी नहीं है कि हर नौकरानी खराब काम करे..हम अच्छी नौकरानी रखेंगे ताकि तुम्हें कोई परेशानी ना हो"

अगर तब भी बात नहीं बनती है और पत्नी चाहती है कि वे ही काम करें
तो यहाँ लड़के को थोडा कम्प्रोमाइज करके यह कहना चहिये कि
ठीक है हम दोनों मिलकर घर का काम करेंगे....मुझसे जितना हो सकेगा में अपना १००% देने की कोशिश करूँगा"

हम शर्त के साथ कह सकते हैं कि दोनों की इतनी अच्छी केमेस्ट्री बन जायेगी कि दोनों का काम एक दम चुटकियों में हल हो जाएगा
और संभव है कि कुछ समय बाद पत्नी नौकरानी रखने पर राजी हो जाए

saajid
18-04-2011, 05:17 PM
चल रही थी बहस
नारी या पुरुष??
एक सुदर्शना नारी
जो थी बड़ी प्यारी
लरजते हुए बोली
सज्जनों!
माटी की बनी मैं
पर माटी में ही सिमट कर रह गयी मैं

कभी बेटी का फर्ज निभाया
कभी बहन के रूप में घर को चहकाया
कभी अर्धांगिनी बन कर निभाया
या माँ की ममता का नेह बरसाया
कर दिया अपने को अर्पित
जीवन समर्पित
पर न बन पाई पहचान
क्यूंकि इन पुरुषो के आगे
बिखर गये हमारे अरमान!!!

तभी पीछे की पंक्ति से
आई एक कड़कती आवाज
हमारी भी सुनो
बेशक हम कहलाते हों जंवाज
हमने शिद्दत से छिपा रखा है दर्द
वो अब हो गयी है सर्द
ये दुनिया है बेदर्द
बहुत हो गयी पौरुष की बात
अब नही हो पाता दर्द आत्मसात

हे नारी!! जब तुम थी बेटी!
पापा ने तुम्हें जिंदगी के पथ पर चलना सिखाया
जब तुम थी बहन
हर पल राखी के बंधन
की रक्षा, तेरे भाई के मन में रहा
जैसे ही तू बन के आयी अर्धांगिनी
ता-जिंदगी तुझे खुश रखने का
सातो वचन तेरे पति ने निभाया
फिर माँ की अनमोल ममता
और दूध के कर्ज में
जीवन-पर्यंत बेटे ने बिना कुछ कहे
अपना जीवन लुटाया!!!

सच तो ये है
जिंदगी है एक तराजू
जिसमे एक के साथ करो न्याय
तो दुसरे के साथ दिखता है अन्याय
और इस तराजू के दोनों पलडो
से कर सकते हो तुलना
नारी और पुरुष की.................!

अब बोलो
नारी या पुरुष?
नारी या पुरुष?
नारी या पुरुष ???????:think:

:badcomputer:

dev b
18-04-2011, 05:20 PM
यहाँ मैं लड़कियों पर दोष नहीं मढ़ रही परन्तु बस एक पॉइंट उठा रही हूँ. कहने का यह तात्पर्य नहीं है कि लड़कियों को शिक्षा न मिले और वो जागरूक न बने. बस यह कहना चाह रही हूँ कि हमारा समाज आज कल की स्त्री के साथ तालमेल बैठाने में उतना सक्षम नहीं हुआ है अभी तक. एक और तो उसकी उपलब्धियों कि प्रशंसा की जाती है दूसरी तरफ जब परिवार की बात आती है तो उसे धैर्य और त्याग के पाठ पढाये जाते है. और चूँकि शिक्षा और आत्मनिर्भरता सकारात्मक चीजें है इसलिए उनके पीछे जाने की बातें नहीं होनी चाहिए बल्कि औरों को भी अपने माइंड सेट में बदलाव लाना चाहिए जैसा कि भूमि जी ने भी कहा है.

मै आप से सहमत हु मित्र

bhoomi ji
18-04-2011, 05:22 PM
यहाँ मैं लड़कियों पर दोष नहीं मढ़ रही परन्तु बस एक पॉइंट उठा रही हूँ. कहने का यह तात्पर्य नहीं है कि लड़कियों को शिक्षा न मिले और वो जागरूक न बने. बस यह कहना चाह रही हूँ कि हमारा समाज आज कल की स्त्री के साथ तालमेल बैठाने में उतना सक्षम नहीं हुआ है अभी तक. एक और तो उसकी उपलब्धियों कि प्रशंसा की जाती है दूसरी तरफ जब परिवार की बात आती है तो उसे धैर्य और त्याग के पाठ पढाये जाते है. और चूँकि शिक्षा और आत्मनिर्भरता सकारात्मक चीजें है इसलिए उनके पीछे जाने की बातें नहीं होनी चाहिए बल्कि औरों को भी अपने माइंड सेट में बदलाव लाना चाहिए जैसा कि भूमि जी ने भी कहा है.

जी बिलकुल एक और तो पति चाहता है कि उसकी पत्नी भी नौकरी करे..और दूसरी और वो उसके साथ घर के काम में हाथ भी नहीं बंटाना चाहता है??
ऐसे में कैसे कोई परिवार सही ढंग से चल सकता है?
त्याग और धैर्य का ठेका सिर्फ लड़कियों ने ही नहीं ले रखा है अगर थोडा त्याग पति भी कर ले तो कोई
भूकंप नहीं आ जाएगा?


अगर पति पत्नी दोनों काम काजी हैं तो दोनों को ही घर के काम करने पड़ेंगे
और अगर कोई एक काम काजी है तो अगले को पूरी तरह से अपने आप को घर के कामों के लिए समर्पित कर देना चाहिए
तभी घर की गाडी ट्रैक पर दौडेगी वरना एक्सीडेंट के चांस शत प्रतिशत बड जायेंगे

dev b
18-04-2011, 05:23 PM
वाह मित्र वाह .................................चल रही थी बहस
नारी या पुरुष??
एक सुदर्शना नारी
जो थी बड़ी प्यारी
लरजते हुए बोली
सज्जनों!
माटी की बनी मैं
पर माटी में ही सिमट कर रह गयी मैं

कभी बेटी का फर्ज निभाया
कभी बहन के रूप में घर को चहकाया
कभी अर्धांगिनी बन कर निभाया
या माँ की ममता का नेह बरसाया
कर दिया अपने को अर्पित
जीवन समर्पित
पर न बन पाई पहचान
क्यूंकि इन पुरुषो के आगे
बिखर गये हमारे अरमान!!!

तभी पीछे की पंक्ति से
आई एक कड़कती आवाज
हमारी भी सुनो
बेशक हम कहलाते हों जंवाज
हमने शिद्दत से छिपा रखा है दर्द
वो अब हो गयी है सर्द
ये दुनिया है बेदर्द
बहुत हो गयी पौरुष की बात
अब नही हो पाता दर्द आत्मसात

हे नारी!! जब तुम थी बेटी!
पापा ने तुम्हें जिंदगी के पथ पर चलना सिखाया
जब तुम थी बहन
हर पल राखी के बंधन
की रक्षा, तेरे भाई के मन में रहा
जैसे ही तू बन के आयी अर्धांगिनी
ता-जिंदगी तुझे खुश रखने का
सातो वचन तेरे पति ने निभाया
फिर माँ की अनमोल ममता
और दूध के कर्ज में
जीवन-पर्यंत बेटे ने बिना कुछ कहे
अपना जीवन लुटाया!!!

सच तो ये है
जिंदगी है एक तराजू
जिसमे एक के साथ करो न्याय
तो दुसरे के साथ दिखता है अन्याय
और इस तराजू के दोनों पलडो
से कर सकते हो तुलना
नारी और पुरुष की.................!

अब बोलो
नारी या पुरुष?
नारी या पुरुष?
नारी या पुरुष ???????:think:

:badcomputer:

dev b
18-04-2011, 05:28 PM
बिलकुल मित्र आप ने ठीक कहा ........उस परिवार में पति नहीं चाहता की पत्नी नौकरी करे ......पति की अच्छी आय है सवाल ये है मित्र की पत्नी नौकरी भी नहीं छोड़ना चाहती और ना ही नौकरानी रखना चाहती
पति चाहता है पत्नी आराम से रहे घर के काम संभाले ...पति के पास समय नहीं .वो अच्छा कमाता है . कृपया विचार दे ????????????????
जी बिलकुल एक और तो पति चाहता है कि उसकी पत्नी भी नौकरी करे..और दूसरी और वो उसके साथ घर के काम में हाथ भी नहीं बंटाना चाहता है??
ऐसे में कैसे कोई परिवार सही ढंग से चल सकता है?
त्याग और धैर्य का ठेका सिर्फ लड़कियों ने ही नहीं ले रखा है अगर थोडा त्याग पति भी कर ले तो कोई
भूकंप नहीं आ जाएगा?


अगर पति पत्नी दोनों काम काजी हैं तो दोनों को ही घर के काम करने पड़ेंगे
और अगर कोई एक काम काजी है तो अगले को पूरी तरह से अपने आप को घर के कामों के लिए समर्पित कर देना चाहिए
तभी घर की गाडी ट्रैक पर दौडेगी वरना एक्सीडेंट के चांस शत प्रतिशत बड जायेंगे

saajid
18-04-2011, 05:30 PM
ये सब बातें अपनी जगह हैं
सधी सी बात है परिवार को बनाये रखने के लिए आपको
अपने आप में लचीलापन लाना होगा और ये बात परिवार के हर सदस्य पे लागू होती है
बस

bhoomi ji
18-04-2011, 05:40 PM
बिलकुल मित्र आप ने ठीक कहा ........उस परिवार में पति नहीं चाहता की पत्नी नौकरी करे ......पति की अच्छी आय है सवाल ये है मित्र की पत्नी नौकरी भी नहीं छोड़ना चाहती और ना ही नौकरानी रखना चाहती
पति चाहता है पत्नी आराम से रहे घर के काम संभाले ...पति के पास समय नहीं .वो अच्छा कमाता है . कृपया विचार दे ????????????????



अब अगर पति के पास समय नहीं है और पत्नी भी अपनी नौकरी नहीं छोडना चाहती है तो इसमें क्या दिक्कत है?
जैसा चल रहा है चलने दें.....इतना तो सभी को ही दिख रहा है ना कि पति पे समय नहीं है तो निश्चित ही वो पत्नी भी कोई शिकायत नहीं करती होगी ?
हाँ थोडा पति को अपने घर के लिए भी टाइम देना चाहिए पैंसा ही सब कुछ नहीं है

MissK
18-04-2011, 05:45 PM
बिलकुल मित्र आप ने ठीक कहा ........उस परिवार में पति नहीं चाहता की पत्नी नौकरी करे ......पति की अच्छी आय है सवाल ये है मित्र की पत्नी नौकरी भी नहीं छोड़ना चाहती और ना ही नौकरानी रखना चाहती
पति चाहता है पत्नी आराम से रहे घर के काम संभाले ...पति के पास समय नहीं .वो अच्छा कमाता है . कृपया विचार दे ????????????????



egi.

देव जी इस स्थिति में तो दोष पति का भी हो सकता है और पत्नी का भी. पति के मामले में यह कि उसकी पत्नी उसके साथ quality time बिताना चाहती होगी घर के काम काज करने के माध्यम से और वो यह नहीं कर रहा, पत्नी के मामले में ये दोष कि वह उतना लचीला रवेय्या नहीं अपना रही और क्वालिटी टाइम बिताने के अन्य साधन नहीं खोज पा रही. तो यहाँ पर फिर से misunderstanding वाली बात ही उभर कर आएगी..

dev b
18-04-2011, 05:50 PM
egi.

देव जी इस स्थिति में तो दोष पति का भी हो सकता है और पत्नी का भी. पति के मामले में यह कि उसकी पत्नी उसके साथ quality time बिताना चाहती होगी घर के काम काज करने के माध्यम से और वो यह नहीं कर रहा, पत्नी के मामले में ये दोष कि वह उतना लचीला रवेय्या नहीं अपना रही और क्वालिटी टाइम बिताने के अन्य साधन नहीं खोज पा रही. तो यहाँ पर फिर से misunderstanding वाली बात ही उभर कर आएगी..

वो ही तो मित्र ...पति चाहता है की पत्नी उस को समय दे और काम नौकरानी से करवाए ..........पत्नी इतनी ज्यादा सफाई पसंद है की उस को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं

dev b
18-04-2011, 05:51 PM
वो ही तो मित्र ...पति चाहता है की पत्नी उस को समय दे और काम नौकरानी से करवाए ..........पत्नी इतनी ज्यादा सफाई पसंद है की उस को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं अब अगर पति के पास समय नहीं है और पत्नी भी अपनी नौकरी नहीं छोडना चाहती है तो इसमें क्या दिक्कत है?
जैसा चल रहा है चलने दें.....इतना तो सभी को ही दिख रहा है ना कि पति पे समय नहीं है तो निश्चित ही वो पत्नी भी कोई शिकायत नहीं करती होगी ?
हाँ थोडा पति को अपने घर के लिए भी टाइम देना चाहिए पैंसा ही सब कुछ नहीं है

Bond007
18-04-2011, 05:51 PM
आज कोई भी समझोता करना नहीं चाहता. अंतत होता ये है, की हर कोई अपने परिवार से किसी न किसी बात पर खफा रहता है. अगर आप सुलह करने को तैयार है, तो किसी भी परिवार में कभी समस्या नहीं आ सकती.

:cheers:
जितेन्द्र जी! कृपया इस प्रविष्टी पर ध्यान दें|

विवाह कैसा भी हो, बस दोनों लोगों के बीच प्रेम होना चाहिए. आखिर शादी दो लोगो का संगम है, उनके परिवार का नहीं!


:cheers:


जब आप शादी को दो परिवारों का मिलन मानते ही नहीं तो परिवार में आने वाली समस्या की बात कैसे करते हैं!!!

कोई क्यों समझौता करेगा और किससे करेगा?

bhoomi ji
18-04-2011, 05:56 PM
वो ही तो मित्र ...पति चाहता है की पत्नी उस को समय दे और काम नौकरानी से करवाए ..........पत्नी इतनी ज्यादा सफाई पसंद है की उस को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं
आप उस फेमिली में इतना इंटरेस्ट ले रहो ऐसा लगता है जैसे कि आपकी ही वो फेमिली हो :giggle::giggle:

dev b
18-04-2011, 05:58 PM
आप उस फेमिली में इतना इंटरेस्ट ले रहो ऐसा लगता है जैसे कि आपकी ही वो फेमिली हो :giggle::giggle:

प्रिय मित्र ये फेमिली मेरे दोस्त की है

Nitikesh
18-04-2011, 06:01 PM
इसमें दोष उन लड़कों का नहीं है दोष है उनके माँ बापों का जिन्होंने उन्हें ऐसी संस्कार दिए हैं....
ऐसे संस्कार जो ये नहीं समझाते कि बड़ों की इज्जत कैसे की जाती है?
बड़ों की सलाह पर एक बार जरूरू अमल करो?
आपस में सहयोग की भावना रखो?
अब जब बचपन से माँ बाप अपने लड़के को ये सिखाएंगे कि बेटा घर का काम तो लड़कियों को ही करना है....तू रहने दे ये काम तेरी बहन कर लेगी
तो क्या वो शादी के बाद ख़ाक अपनी पत्नी के साथ सहयोग करेगा?
उसे तो आदत है घर में निठ्ठल्ले बैठने की......
ऐसे में कहाँ कोई परिवार सही ढंग से चल पायेगा?

आज जहाँ लड़कियां ऑफिस या अपनी नौकरी पार जाती हैं और घर आके उसे ही सब कुछ करना पड़े...तो भला किस परिवार में झगडा नहीं होगा?
वो भी चाहेगी कि जब दोनों काम करने वाले हैं तो उसका पति भी घर के कामों में उसका साथ दे...
लेकिन पति तो ऐसा मिला हुआ है कि जिसे बचपन से काम ना करने की ट्रेनिंग मिली हुई है

जाहिर है ऐसी स्थिति में बिखराव के परसेंट बड जायेंगे

बहुत ही अच्छी चर्चा चल रही है/
लेकिन भूमि जी आपसे एक निवेदन है की सीधे माता पिता पर इस तरह से आरोप ना लगाये/
इसे आप इस तरह से भी कह सकती थी की "जिनके घर का माहौल अच्छा नहीं होता वहाँ पर ऐसे बिखराव और झगड़े होते है/"
मुझे ये शब्द थोड़ा Rude लगता है/
आशा है की आप समझ गयी होंगी/


हमारे समाज का वर्षों से ऐसा ढांचा है जहाँ पर लड़कियों को घर की आम जिम्मेदारी और लड़कों को बाहर का काम सँभालने के लिए तैयार किया गया है/
लेकिन समय के साथ हमारे समाज में बहुत सारे बदलाव आये/जिससे कुछ अच्छा भी हुआ और बुरा प्रभाव भी पड़ा/
आज हमारी ज्यातर मानसिकता यह होती है की कैसे हम किसी झंझट में से बाहर निकले चाहे उसके लिए कोई भी रास्ता क्यूँ न अपनाया जाये/
मैंने तो यही मनाता हूँ की कोई भी झगड़ा किसी पर बेवजह आरोप डालने या फिर किसी को नीचा दिखने की प्रवृति के करना होता है/
क्यूँ को सभी को अपना आत्म सम्मान प्रिय होता है/जिससे घर में इस तरह की अप्रिय घटना होती है/

Bond007
18-04-2011, 06:01 PM
वो ही तो मित्र ...पति चाहता है की पत्नी उस को समय दे और काम नौकरानी से करवाए ..........पत्नी इतनी ज्यादा सफाई पसंद है की उस को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं


एक बात ये भी हो सकती है की पत्नी को पति पर पूरा भरोसा न हो, कहीं नौकरानी के साथ पति कुछ............................ :harhar:

ये बात मैं एक आम रुढ़िवादी पुरुष के दिमाग से कह रहा हूं|

bhoomi ji
18-04-2011, 06:02 PM
आप उस फेमिली में इतना इंटरेस्ट ले रहो ऐसा लगता है जैसे कि आपकी ही वो फेमिली हो :giggle::giggle:

प्रिय मित्र ये फेमिली मेरे दोस्त की है
तभी आप इतने चिंतित दिखाई दे रहे हैं

चलो जानकार खुशी हुई कि आज के जमाने में भी कोई अपने दोस्तों के लिए इतना सोचता है और उसकी परेशानी पर सीदे एक सूत्र ही बना डाला
धन्य है आपकी दोस्ती :hi::hi::bravo:

Bond007
18-04-2011, 06:05 PM
...
...
...
... किसी को नीचा दिखने की प्रवृति के करना होता है/
क्यूँ को सभी को अपना आत्म सम्मान प्रिय होता है/जिससे घर में इस तरह की अप्रिय घटना होती है/
ऐसा भी क्या ईगो, जो दुसरे के सम्मान का ख़याल न रखा जाए| :bang-head:

Nitikesh
18-04-2011, 06:07 PM
बिलकुल मित्र ,,,और बेटा -बेटी की परवरिश का भेद ख़तम होना चाहिए

ये एक सब बड़ी समस्या मुझे लगती है/
क्या कोई माता पिता इस पक्षपात से अपने को दूर रख सकते है!
लड़की के बारे में यही सोच होती है की लड़की पराया धन है और पराये को कोई भी व्यक्ति अपना कोई चीज नहीं देना चाहेगा/
क्यूंकि हमारे समाज के ढांचे में बेटा ही माता पिता को जीवन के अंतिम छन तक देखभाल करता है और कर्मकांड के अनुसार पुत्र की माता पिता को मोक्ष दिलवा सकता है/जिससे लड़कियों को लड़के से हमेशा कमतर आँका गया है/
अत: पिता अपनी विरासत पुत्र को ही देते आया है/

dev b
18-04-2011, 06:08 PM
प्रिय मित्र ..ये सूत्र तो मैंने आज कल के समाज में टूटते परिवारों के बारे में बनाया है ....हां चर्चा जरुर की है सूत्र में उस परिवार की सचाई की एक उदाहरण के रूप में ...क्रप्या आप सूत्र के मूल को देखे मित्र

प्रिय मित्र ये फेमिली मेरे दोस्त की है
तभी आप इतने चिंतित दिखाई दे रहे हैं

चलो जानकार खुशी हुई कि आज के जमाने में भी कोई अपने दोस्तों के लिए इतना सोचता है और उसकी परेशानी पर सीदे एक सूत्र ही बना डाला
धन्य है आपकी दोस्ती :hi::hi::bravo:[/QUOTE]

Nitikesh
18-04-2011, 06:13 PM
जी बिलकुल एक और तो पति चाहता है कि उसकी पत्नी भी नौकरी करे..और दूसरी और वो उसके साथ घर के काम में हाथ भी नहीं बंटाना चाहता है??
ऐसे में कैसे कोई परिवार सही ढंग से चल सकता है?
त्याग और धैर्य का ठेका सिर्फ लड़कियों ने ही नहीं ले रखा है अगर थोडा त्याग पति भी कर ले तो कोई
भूकंप नहीं आ जाएगा?


अगर पति पत्नी दोनों काम काजी हैं तो दोनों को ही घर के काम करने पड़ेंगे
और अगर कोई एक काम काजी है तो अगले को पूरी तरह से अपने आप को घर के कामों के लिए समर्पित कर देना चाहिए
तभी घर की गाडी ट्रैक पर दौडेगी वरना एक्सीडेंट के चांस शत प्रतिशत बड जायेंगे

आप की इस बात से मैं पूरी तरह सहमत हूँ/

dev b
18-04-2011, 06:15 PM
ये एक सब बड़ी समस्या मुझे लगती है/
क्या कोई माता पिता इस पक्षपात से अपने को दूर रख सकते है!
लड़की के बारे में यही सोच होती है की लड़की पराया धन है और पराये को कोई भी व्यक्ति अपना कोई चीज नहीं देना चाहेगा/
क्यूंकि हमारे समाज के ढांचे में बेटा ही माता पिता को जीवन के अंतिम छन तक देखभाल करता है और कर्मकांड के अनुसार पुत्र की माता पिता को मोक्ष दिलवा सकता है/जिससे लड़कियों को लड़के से हमेशा कमतर आँका गया है/
अत: पिता अपनी विरासत पुत्र को ही देते आया है/

जी हां मित्र ...ये भी समाज का एक कड़वा सच है

bhoomi ji
18-04-2011, 06:15 PM
बहुत ही अच्छी चर्चा चल रही है/
लेकिन भूमि जी आपसे एक निवेदन है की सीधे माता पिता पर इस तरह से आरोप ना लगाये/
इसे आप इस तरह से भी कह सकती थी की "जिनके घर का माहौल अच्छा नहीं होता वहाँ पर ऐसे बिखराव और झगड़े होते है/"
मुझे ये शब्द थोड़ा rude लगता है/
आशा है की आप समझ गयी होंगी/



पर एक बच्चे को अच्छा संस्कार देने की जिम्मेदारी किसकी बनती है?
क्या माँ बाप कि नहीं?
आपने ये तो सुना ही होगा कि माँ बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है
उसके मुह से निकला हर एक शब्द उसके लिए पत्थर की लकीर बन जाता है जो जीवन पर्यंत उसे याद रहता है
ऐसे में अगर कोई बच्चा बिगड़ता है तो किसका दोष है?
एक वाकिया सुने
हमारे घर में एक महिला अपने ५ वर्षीय बच्चे के साथ आई थी
जब उस बच्चे से परिचय जानना चाहा तो हमने प्यार से उसे पुचकार कर उसका नाम पूछा....हम उसका जवाब सुनकर तो हतप्रभ रह गए///////
आप विश्वाश कीजिए वो ऐसे ऐसे शब्द कह रहा था जिसे कि कोई भी इस उम्र का बच्चा नहीं कहता होगा...और ऐसी ऐसी गालियाँ कि पूछो मत....सुनके तो रोंगटे खड़े हो गए
उसने हमें इतना बुरा भला कहा कि हमें तो ऐसा लगा कि हमने इसका नाम पूछ कर इतनी भारी गलती कर दी जैसे कि अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिरा दिया हो

उस समय तो मन किया कि इसे ऐसा सबक सिखा दें...फिर जैसे ही हमने उसे उसकी गलती के लिए कहाँ शुरू किया उसकी माँ बीच में पड़ गयी और अपने बेटे का पक्ष लेने लग गयी..........
हमें तो ये जानकार और भी आश्चर्य हुआ कि यह कैसी माँ है? जो अपने बेटे के प्यार में इतनी अंधी हैं कि इसे अब भले बुरे का ज्ञान भी जाता रहा...

अब आप बताइए वो बच्चा क्या सुखी जीवन जी पायेगा
और अब ये सुनिए आज उस बेटे ने अपनी माँ पर इतने अत्याचार कर दिए हैं कि माँ अब दर दर की ठोकरें खा रही है...बच्चा आज इतना बिगड चुका है कि अब वो जिन्दा भी है तो यही बहुत है..ऐसा कोई नशा नहीं है जो वो नहीं कर रहा है


ऐसे में भी आप कहेंगे कि माँ बाप को दोषी मत ठहराओ?
हम तो मानते हैं कि १०० प्रतिशत माँ बाप का हाथ होता है बच्चे का भविष्य बनाने और बिगाड़ने में

Nitikesh
18-04-2011, 06:16 PM
अब अगर पति के पास समय नहीं है और पत्नी भी अपनी नौकरी नहीं छोडना चाहती है तो इसमें क्या दिक्कत है?
जैसा चल रहा है चलने दें.....इतना तो सभी को ही दिख रहा है ना कि पति पे समय नहीं है तो निश्चित ही वो पत्नी भी कोई शिकायत नहीं करती होगी ?
हाँ थोडा पति को अपने घर के लिए भी टाइम देना चाहिए पैंसा ही सब कुछ नहीं है

जब दोनों में किसी के पास समय नहीं है तो उसे छोटे छोटे काम कसी दोनों में कोई भी नहीं करना चाहता हो तो इसके लिए नौकर ही रख लेना बेहतर होगा/
लेकिन कुछ पैसे बचाने के चक्कर में हम यह भी नहीं करते हैं/

Nitikesh
18-04-2011, 06:17 PM
वो ही तो मित्र ...पति चाहता है की पत्नी उस को समय दे और काम नौकरानी से करवाए ..........पत्नी इतनी ज्यादा सफाई पसंद है की उस को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं

यही मुझे सबसे बड़ी फसाद की जद लगती है/

Nitikesh
18-04-2011, 06:19 PM
आप उस फेमिली में इतना इंटरेस्ट ले रहो ऐसा लगता है जैसे कि आपकी ही वो फेमिली हो :giggle::giggle:

परिवार किसी का भी हो मुद्दा यह है की समस्या कहाँ है?

dev b
18-04-2011, 06:20 PM
आप ने बिलकुल ठीक कहा मित्र पर एक बच्चे को अच्छा संस्कार देने की जिम्मेदारी किसकी बनती है?
क्या माँ बाप कि नहीं?
आपने ये तो सुना ही होगा कि माँ बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है
उसके मुह से निकला हर एक शब्द उसके लिए पत्थर की लकीर बन जाता है जो जीवन पर्यंत उसे याद रहता है
ऐसे में अगर कोई बच्चा बिगड़ता है तो किसका दोष है?
एक वाकिया सुने
हमारे घर में एक महिला अपने ५ वर्षीय बच्चे के साथ आई थी
जब उस बच्चे से परिचय जानना चाहा तो हमने प्यार से उसे पुचकार कर उसका नाम पूछा....हम उसका जवाब सुनकर तो हतप्रभ रह गए///////
आप विश्वाश कीजिए वो ऐसे ऐसे शब्द कह रहा था जिसे कि कोई भी इस उम्र का बच्चा नहीं कहता होगा...और ऐसी ऐसी गालियाँ कि पूछो मत....सुनके तो रोंगटे खड़े हो गए
उसने हमें इतना बुरा भला कहा कि हमें तो ऐसा लगा कि हमने इसका नाम पूछ कर इतनी भारी गलती कर दी जैसे कि अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिरा दिया हो

उस समय तो मन किया कि इसे ऐसा सबक सिखा दें...फिर जैसे ही हमने उसे उसकी गलती के लिए कहाँ शुरू किया उसकी माँ बीच में पड़ गयी और अपने बेटे का पक्ष लेने लग गयी..........
हमें तो ये जानकार और भी आश्चर्य हुआ कि यह कैसी माँ है? जो अपने बेटे के प्यार में इतनी अंधी हैं कि इसे अब भले बुरे का ज्ञान भी जाता रहा...

अब आप बताइए वो बच्चा क्या सुखी जीवन जी पायेगा
और अब ये सुनिए आज उस बेटे ने अपनी माँ पर इतने अत्याचार कर दिए हैं कि माँ अब दर दर की ठोकरें खा रही है...बच्चा आज इतना बिगड चुका है कि अब वो जिन्दा भी है तो यही बहुत है..ऐसा कोई नशा नहीं है जो वो नहीं कर रहा है


ऐसे में भी आप कहेंगे कि माँ बाप को दोषी मत ठहराओ?
हम तो मानते हैं कि १०० प्रतिशत माँ बाप का हाथ होता है बच्चे का भविष्य बनाने और बिगाड़ने में

dev b
18-04-2011, 06:23 PM
यही मुझे सबसे बड़ी फसाद की जद लगती है/

बिलकुल मित्र ..आप ने ठीक कहा

Nitikesh
18-04-2011, 06:23 PM
ऐसा भी क्या ईगो, जो दुसरे के सम्मान का ख़याल न रखा जाए| :bang-head:


यहाँ मैं यह कहना चाहता हूँ की परिवार में कोई भी झगड़ा एक छोटी सी बात को लेकर होता है/
इगो तो होता ही है/चाहे कोई भी इस बात को माने या नहीं लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने इगो को एक दो बार ही छोड़ सकता है/हर बार नहीं/
मैं यह नहीं कहता की एक ही बार में झगड़ा होता है/
लेकिन एक ही घटना बार बार होती है तो झगड़ा का रूप ले लेती है/

bhoomi ji
18-04-2011, 06:27 PM
ये एक सब बड़ी समस्या मुझे लगती है/
क्या कोई माता पिता इस पक्षपात से अपने को दूर रख सकते है!
लड़की के बारे में यही सोच होती है की लड़की पराया धन है और पराये को कोई भी व्यक्ति अपना कोई चीज नहीं देना चाहेगा/
क्यूंकि हमारे समाज के ढांचे में बेटा ही माता पिता को जीवन के अंतिम छन तक देखभाल करता है और कर्मकांड के अनुसार पुत्र की माता पिता को मोक्ष दिलवा सकता है/जिससे लड़कियों को लड़के से हमेशा कमतर आँका गया है/
अत: पिता अपनी विरासत पुत्र को ही देते आया है/
दोस्त हमें नहीं लगता कि अब ऐसा कुछ है कि बेटा और बेटी में कोई भेद भाव रखा जाए
क्या आज के जमाने में बेटियां बेटों से कमतर हैं?
जहाँ हर साल लड़कियां पढाई में टॉप कर रही हैं वहीँ प्रशाशनिक सेवा में लड़कों को वो बहुत पीछे छोड चुकी हैं.....अगर किसी की बेटी एक अच्छे प्रशाशनिक पद पर पहुंचती है और बेटा नालायक निकल जाता है तो भी क्या कोई माँ बाप चाहेंगे कि वे बेटे को बेटी से ज्यादा तरहीज दें?
अगर ऐसा होता है तो हम समझते हैं कि उन माँ बाप से बढकर मुर्ख कोई नहीं है

बात जहाँ तक मोक्ष की है
तो क्या जिस भी इंसान को उसका बेटा मुखाग्नि देता है वो सीदा मोक्ष को प्राप्त हो जाता है?
अगर ऐसा है तो फिर ये इतने नए इंसान कैसे पैदा हो रहे हैं?
जबकि अभी तक तो सभी को मोक्ष (जीवन मरण से मुक्ति) प्राप्त हो जाना चाहिए था
फिर तो संसार की गति रुक जायेगी?
ऐसे में कैसे श्रृष्टि का नियम चलेगा?


और ऐसा कहीं नहीं है कि लड़का ही माँ बाप की देखभाल करता है
अभी अभी एक व्यक्ति की मौत हुई थी जिसमे कि उसकी बेटियों ने ही उसे मुखाग्नि दी थी....
क्या यह समाज में एक नया बदलाव नहीं है ?

Nitikesh
18-04-2011, 06:27 PM
पर एक बच्चे को अच्छा संस्कार देने की जिम्मेदारी किसकी बनती है?
क्या माँ बाप कि नहीं?
आपने ये तो सुना ही होगा कि माँ बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है
उसके मुह से निकला हर एक शब्द उसके लिए पत्थर की लकीर बन जाता है जो जीवन पर्यंत उसे याद रहता है
ऐसे में अगर कोई बच्चा बिगड़ता है तो किसका दोष है?
एक वाकिया सुने
हमारे घर में एक महिला अपने ५ वर्षीय बच्चे के साथ आई थी
जब उस बच्चे से परिचय जानना चाहा तो हमने प्यार से उसे पुचकार कर उसका नाम पूछा....हम उसका जवाब सुनकर तो हतप्रभ रह गए///////
आप विश्वाश कीजिए वो ऐसे ऐसे शब्द कह रहा था जिसे कि कोई भी इस उम्र का बच्चा नहीं कहता होगा...और ऐसी ऐसी गालियाँ कि पूछो मत....सुनके तो रोंगटे खड़े हो गए
उसने हमें इतना बुरा भला कहा कि हमें तो ऐसा लगा कि हमने इसका नाम पूछ कर इतनी भारी गलती कर दी जैसे कि अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिरा दिया हो

उस समय तो मन किया कि इसे ऐसा सबक सिखा दें...फिर जैसे ही हमने उसे उसकी गलती के लिए कहाँ शुरू किया उसकी माँ बीच में पड़ गयी और अपने बेटे का पक्ष लेने लग गयी..........
हमें तो ये जानकार और भी आश्चर्य हुआ कि यह कैसी माँ है? जो अपने बेटे के प्यार में इतनी अंधी हैं कि इसे अब भले बुरे का ज्ञान भी जाता रहा...

अब आप बताइए वो बच्चा क्या सुखी जीवन जी पायेगा
और अब ये सुनिए आज उस बेटे ने अपनी माँ पर इतने अत्याचार कर दिए हैं कि माँ अब दर दर की ठोकरें खा रही है...बच्चा आज इतना बिगड चुका है कि अब वो जिन्दा भी है तो यही बहुत है..ऐसा कोई नशा नहीं है जो वो नहीं कर रहा है


ऐसे में भी आप कहेंगे कि माँ बाप को दोषी मत ठहराओ?
हम तो मानते हैं कि १०० प्रतिशत माँ बाप का हाथ होता है बच्चे का भविष्य बनाने और बिगाड़ने में

मैंने यह नहीं कहा की माता पिता का बच्चे के बिगरने कोई कोई हाथ नहीं है/
मैंने यही बात थोड़े सोम्य तरीके से कहने के लिए कहा था/
धन्यवाद

dev b
18-04-2011, 06:27 PM
यहाँ मैं यह कहना चाहता हूँ की परिवार में कोई भी झगड़ा एक छोटी सी बात को लेकर होता है/
इगो तो होता ही है/चाहे कोई भी इस बात को माने या नहीं लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने इगो को एक दो बार ही छोड़ सकता है/हर बार नहीं/
मैं यह नहीं कहता की एक ही बार में झगड़ा होता है/
लेकिन एक ही घटना बार बार होती है तो झगड़ा का रूप ले लेती है/

अगर दोनो ही पक्ष ईगो छोड़ दे तो झगडा ही ना हो मित्र

Nitikesh
18-04-2011, 06:32 PM
अगर दोनो ही पक्ष ईगो छोड़ दे तो झगडा ही ना हो मित्र

यही तो समस्या है की घर में हर कोई अपने आप को बड़ा समझता है/
यदि औरत कमाती है तो वह अपना रौब जमाना चाहती है/
मर्द का जेनेटिक ढांचा ही ऐसा होता है की वह अपने आपको घर का सुप्रीम समझता है/
:think:

bhoomi ji
18-04-2011, 06:32 PM
प्रिय मित्र ..ये सूत्र तो मैंने आज कल के समाज में टूटते परिवारों के बारे में बनाया है ....हां चर्चा जरुर की है सूत्र में उस परिवार की सचाई की एक उदाहरण के रूप में ...क्रप्या आप सूत्र के मूल को देखे मित्र
तभी आप इतने चिंतित दिखाई दे रहे हैं

चलो जानकार खुशी हुई कि आज के जमाने में भी कोई अपने दोस्तों के लिए इतना सोचता है और उसकी परेशानी पर सीदे एक सूत्र ही बना डाला
धन्य है आपकी दोस्ती :hi::hi::bravo:

[/QUOTE]
दोस्त हम तो मजाक कर रहे थे
और खुश थे कि आज भी सच्ची दोस्ती कायम है :bravo::bravo:

MissK
18-04-2011, 06:34 PM
अगर दोनो ही पक्ष ईगो छोड़ दे तो झगडा ही ना हो मित्र

आजकल इगो का युग है. उसमें बिना इगो के आप शायद ही सर्वाइव कर पाए..

dev b
18-04-2011, 06:37 PM
यही तो समस्या है की घर में हर कोई अपने आप को बड़ा समझता है/
यदि औरत कमाती है तो वह अपना रौब जमाना चाहती है/
मर्द का जेनेटिक ढांचा ही ऐसा होता है की वह अपने आपको घर का सुप्रीम समझता है/
:think:

हा हा हा ...बिलकुल ठीक कहा मित्र

MissK
18-04-2011, 06:37 PM
यही तो समस्या है की घर में हर कोई अपने आप को बड़ा समझता है/
यदि औरत कमाती है तो वह अपना रौब जमाना चाहती है/
मर्द का जेनेटिक ढांचा ही ऐसा होता है की वह अपने आपको घर का सुप्रीम समझता है/
:think:

औरत तो रौब ये सोच के जमाती है कि उसी काम के लिए पति महोदय पहले रौब जमाया करते थे.. अब या तो वे उसके लिए रौब जमाना छोड़े या फिर पत्नी का रौब भी सहन करे जैसे पत्नी करती थी. पक्ष ये है कि चाहे जेनेटिक ढांचा जैसा भी हो उससे ऊपर उठने के लिए ही तो बुद्धि विवेक नाम की चीजें होती हैं इंसान के पास...

bhoomi ji
18-04-2011, 06:38 PM
मैंने यह नहीं कहा की माता पिता का बच्चे के बिगरने कोई कोई हाथ नहीं है/
मैंने यही बात थोड़े सोम्य तरीके से कहने के लिए कहा था/
धन्यवाद
पर हमें इसमे सोम्यता से ही तो कहा है
बस अपने अपने पशेप्सन हैं
देखने का अलग अलग नजरिया :cheers:

dev b
18-04-2011, 06:38 PM
दोस्त हम तो मजाक कर रहे थे
और खुश थे कि आज भी सच्ची दोस्ती कायम है :bravo::bravo:[/QUOTE]

आप का बहुत धन्यवाद मित्र

dev b
18-04-2011, 06:41 PM
औरत तो रौब ये सोच के जमाती है कि उसी काम के लिए पति महोदय पहले रौब जमाया करते थे.. अब या तो वे उसके लिए रौब जमाना छोड़े या फिर पत्नी का रौब भी सहन करे जैसे पत्नी करती थी. पक्ष ये है कि चाहे जेनेटिक ढांचा जैसा भी हो उससे ऊपर उठने के लिए ही तो बुद्धि विवेक नाम की चीजें होती हैं इंसान के पास...

आप ने ठीक कहा काम्या जी ...परन्तु मेरा मानना ये है की अगर स्त्री काम काजी है तो उस को घर का काम नौकरानी से करवाना चाहिए

chndrsekhar
18-04-2011, 07:49 PM
मित्रों आज के आधुनिक भारत मैं ये कहावत पुरे जोर से चल रही है " मियाँ बीबी और बच्चा , नींद आये अच्छा.
भारत मैं परिवार के बिखराव के कोई एक कारण नही है, बल्कि ये बहुत सारे कारणों का मिला जुला परिणाम है .
भारतीय समाज मैं भारतीय फिल्मो की समाज निर्माण ,या बदलाव मैं महतवपूर्ण भूमिका सुरु से आज तक रही है,भारतीय सिनेमा को भारत का आयेना कहा जाता है.
पहले इस आएने मैं भारतीय संस्किरिती, रीती रिवाज, घर मैं बुजुर्गो का सम्मान , भाई भाई का प्यार ,भाई बहन का प्यार , माँ के प्रति बच्चो की कर्तव निष्ठा , समाज के प्रति जिम्मेदारी इत्यादी दिखाई जाती थी.
रोमांटिक सिनेमा भी पारिवारिक पिरिस्ठ्भूमि पे आधारित रहता था. नायक नायिका को अपनी माँ ,भाभी से मिलवाता था.


मित्रों मेरी ये सोच काफी दूर तक जायेगी सेस कल ............

dev b
18-04-2011, 08:02 PM
बिलकुल मित्र आप ने ठीक कहा ये भी एक कारण है
मित्रों आज के आधुनिक भारत मैं ये कहावत पुरे जोर से चल रही है " मियाँ बीबी और बच्चा , नींद आये अच्छा.
भारत मैं परिवार के बिखराव के कोई एक कारण नही है, बल्कि ये बहुत सारे कारणों का मिला जुला परिणाम है .
भारतीय समाज मैं भारतीय फिल्मो की समाज निर्माण ,या बदलाव मैं महतवपूर्ण भूमिका सुरु से आज तक रही है,भारतीय सिनेमा को भारत का आयेना कहा जाता है.
पहले इस आएने मैं भारतीय संस्किरिती, रीती रिवाज, घर मैं बुजुर्गो का सम्मान , भाई भाई का प्यार ,भाई बहन का प्यार , माँ के प्रति बच्चो की कर्तव निष्ठा , समाज के प्रति जिम्मेदारी इत्यादी दिखाई जाती थी.
रोमांटिक सिनेमा भी पारिवारिक पिरिस्ठ्भूमि पे आधारित रहता था. नायक नायिका को अपनी माँ ,भाभी से मिलवाता था.


मित्रों मेरी ये सोच काफी दूर तक जायेगी सेस कल ............

Kumar Anil
19-04-2011, 07:56 AM
प्रिय मित्र ..ये सूत्र तो मैंने आज कल के समाज में टूटते परिवारों के बारे में बनाया है ....हां चर्चा जरुर की है सूत्र में उस परिवार की सचाई की एक उदाहरण के रूप में ...क्रप्या आप सूत्र के मूल को देखे मित्र

देव जी ,
किस टूटते परिवार की बात कर रहे हैँ हम , पति पत्नी और एक जोड़ी बच्चे वाले परिवार की । भारतीय परिवार मेँ ऐसे कई परिवार समाहित रहते थे । भारतीय परिवार के बरगदी आकार को जब हमने अपनी निजता की चाह मेँ छाँटकर बोनसाई कर डाला , तो भला उससे छाँव की उम्मीद कैसे करेँ । उस विशाल वृक्ष की शाखाओँ को तोड़कर रोपने की क़ोशिश भला कैसे फलीभूत होगी । हम जो बोयेँगे , वही तो काटेँगे न । शाखाओँ मेँ जब जड़े नहीँ तो वे कैसे पुष्पित पल्लवित होँगी । तथाकथित स्वातन्त्रय , प्राईवेसी , निजता की कसमसाहट जब हमेँ बाप , दादाओँ , भाई बन्धुओँ से दूर रखने के लिये विवश करती है तो पति पत्नी के आपसी सम्बन्धोँ मेँ स्पेस की तलाश बेमानी नहीँ , अत्यन्त सहज है । इन परिणामोँ के लिये तो हमेँ तैयार रहना ही होगा । आधुनिकता का वरण रिश्तोँ का तो क्षरण करेगा ही । जब हम संवेदनाओँ , भावनाओँ , प्यार की तिलाँजलि अपने क्षुद्र अहं के लिये देकर एकल परिवार की नीँव डाल रहे थे तो भला कैसे भूल गये कि एक दिन हमारी भी नीँव दरकेगी और उसे मरम्मत करने वाले हमारे माँ , बाप , भाई रिश्तेदार की हैसियत से दूर विवश खड़े होँगे ।
एक बात और है जब 24 घण्टे हम एक ही रिश्ता जीते हैँ तब वस्तुतः कुछ समय उपरान्त रिश्ता ढोने लगते है क्योँकि रिश्ते हमेशा एक ताव पर नहीँ रहते परन्तु संयुक्त परिवारोँ मेँ ऐसा नहीँ होता । वहाँ हम एक साथ कई रिश्ते जीते हैँ जिसके फलस्वरूप छिद्रान्वेषी बन केवल एक ही रिश्ते की सतही मीमांसा नहीँ करते अपितु टुकड़े टुकड़े समस्त रिश्तोँ का आनन्द लेते हैँ । पति पत्नी की कलुषता को दूर करने वाले , उन्हेँ उपचारित करने वाले कई हाथ होते हैँ ।

Ranveer
19-04-2011, 11:17 AM
देव जी ,
किस टूटते परिवार की बात कर रहे हैँ हम , पति पत्नी और एक जोड़ी बच्चे वाले परिवार की । भारतीय परिवार मेँ ऐसे कई परिवार समाहित रहते थे । भारतीय परिवार के बरगदी आकार को जब हमने अपनी निजता की चाह मेँ छाँटकर बोनसाई कर डाला , तो भला उससे छाँव की उम्मीद कैसे करेँ । उस विशाल वृक्ष की शाखाओँ को तोड़कर रोपने की क़ोशिश भला कैसे फलीभूत होगी । हम जो बोयेँगे , वही तो काटेँगे न । शाखाओँ मेँ जब जड़े नहीँ तो वे कैसे पुष्पित पल्लवित होँगी । तथाकथित स्वातन्त्रय , प्राईवेसी , निजता की कसमसाहट जब हमेँ बाप , दादाओँ , भाई बन्धुओँ से दूर रखने के लिये विवश करती है तो पति पत्नी के आपसी सम्बन्धोँ मेँ स्पेस की तलाश बेमानी नहीँ , अत्यन्त सहज है । इन परिणामोँ के लिये तो हमेँ तैयार रहना ही होगा । आधुनिकता का वरण रिश्तोँ का तो क्षरण करेगा ही । जब हम संवेदनाओँ , भावनाओँ , प्यार की तिलाँजलि अपने क्षुद्र अहं के लिये देकर एकल परिवार की नीँव डाल रहे थे तो भला कैसे भूल गये कि एक दिन हमारी भी नीँव दरकेगी और उसे मरम्मत करने वाले हमारे माँ , बाप , भाई रिश्तेदार की हैसियत से दूर विवश खड़े होँगे ।
एक बात और है जब 24 घण्टे हम एक ही रिश्ता जीते हैँ तब वस्तुतः कुछ समय उपरान्त रिश्ता ढोने लगते है क्योँकि रिश्ते हमेशा एक ताव पर नहीँ रहते परन्तु संयुक्त परिवारोँ मेँ ऐसा नहीँ होता । वहाँ हम एक साथ कई रिश्ते जीते हैँ जिसके फलस्वरूप छिद्रान्वेषी बन केवल एक ही रिश्ते की सतही मीमांसा नहीँ करते अपितु टुकड़े टुकड़े समस्त रिश्तोँ का आनन्द लेते हैँ । पति पत्नी की कलुषता को दूर करने वाले , उन्हेँ उपचारित करने वाले कई हाथ होते हैँ ।

बहुत सुन्दर बात लिखी है आपने
एक एक वाक्य सोचने पर मजबूर करता है

dev b
19-04-2011, 06:13 PM
देव जी ,
किस टूटते परिवार की बात कर रहे हैँ हम , पति पत्नी और एक जोड़ी बच्चे वाले परिवार की । भारतीय परिवार मेँ ऐसे कई परिवार समाहित रहते थे । भारतीय परिवार के बरगदी आकार को जब हमने अपनी निजता की चाह मेँ छाँटकर बोनसाई कर डाला , तो भला उससे छाँव की उम्मीद कैसे करेँ । उस विशाल वृक्ष की शाखाओँ को तोड़कर रोपने की क़ोशिश भला कैसे फलीभूत होगी । हम जो बोयेँगे , वही तो काटेँगे न । शाखाओँ मेँ जब जड़े नहीँ तो वे कैसे पुष्पित पल्लवित होँगी । तथाकथित स्वातन्त्रय , प्राईवेसी , निजता की कसमसाहट जब हमेँ बाप , दादाओँ , भाई बन्धुओँ से दूर रखने के लिये विवश करती है तो पति पत्नी के आपसी सम्बन्धोँ मेँ स्पेस की तलाश बेमानी नहीँ , अत्यन्त सहज है । इन परिणामोँ के लिये तो हमेँ तैयार रहना ही होगा । आधुनिकता का वरण रिश्तोँ का तो क्षरण करेगा ही । जब हम संवेदनाओँ , भावनाओँ , प्यार की तिलाँजलि अपने क्षुद्र अहं के लिये देकर एकल परिवार की नीँव डाल रहे थे तो भला कैसे भूल गये कि एक दिन हमारी भी नीँव दरकेगी और उसे मरम्मत करने वाले हमारे माँ , बाप , भाई रिश्तेदार की हैसियत से दूर विवश खड़े होँगे ।
एक बात और है जब 24 घण्टे हम एक ही रिश्ता जीते हैँ तब वस्तुतः कुछ समय उपरान्त रिश्ता ढोने लगते है क्योँकि रिश्ते हमेशा एक ताव पर नहीँ रहते परन्तु संयुक्त परिवारोँ मेँ ऐसा नहीँ होता । वहाँ हम एक साथ कई रिश्ते जीते हैँ जिसके फलस्वरूप छिद्रान्वेषी बन केवल एक ही रिश्ते की सतही मीमांसा नहीँ करते अपितु टुकड़े टुकड़े समस्त रिश्तोँ का आनन्द लेते हैँ । पति पत्नी की कलुषता को दूर करने वाले , उन्हेँ उपचारित करने वाले कई हाथ होते हैँ ।
बिलकुल सही बात कही आप ने मित्र

amit_tiwari
19-04-2011, 06:40 PM
देव जी ,
किस टूटते परिवार की बात कर रहे हैँ हम , पति पत्नी और एक जोड़ी बच्चे वाले परिवार की । भारतीय परिवार मेँ ऐसे कई परिवार समाहित रहते थे । भारतीय परिवार के बरगदी आकार को जब हमने अपनी निजता की चाह मेँ छाँटकर बोनसाई कर डाला , तो भला उससे छाँव की उम्मीद कैसे करेँ । उस विशाल वृक्ष की शाखाओँ को तोड़कर रोपने की क़ोशिश भला कैसे फलीभूत होगी । हम जो बोयेँगे , वही तो काटेँगे न । शाखाओँ मेँ जब जड़े नहीँ तो वे कैसे पुष्पित पल्लवित होँगी । तथाकथित स्वातन्त्रय , प्राईवेसी , निजता की कसमसाहट जब हमेँ बाप , दादाओँ , भाई बन्धुओँ से दूर रखने के लिये विवश करती है तो पति पत्नी के आपसी सम्बन्धोँ मेँ स्पेस की तलाश बेमानी नहीँ , अत्यन्त सहज है । इन परिणामोँ के लिये तो हमेँ तैयार रहना ही होगा । आधुनिकता का वरण रिश्तोँ का तो क्षरण करेगा ही । जब हम संवेदनाओँ , भावनाओँ , प्यार की तिलाँजलि अपने क्षुद्र अहं के लिये देकर एकल परिवार की नीँव डाल रहे थे तो भला कैसे भूल गये कि एक दिन हमारी भी नीँव दरकेगी और उसे मरम्मत करने वाले हमारे माँ , बाप , भाई रिश्तेदार की हैसियत से दूर विवश खड़े होँगे ।
एक बात और है जब 24 घण्टे हम एक ही रिश्ता जीते हैँ तब वस्तुतः कुछ समय उपरान्त रिश्ता ढोने लगते है क्योँकि रिश्ते हमेशा एक ताव पर नहीँ रहते परन्तु संयुक्त परिवारोँ मेँ ऐसा नहीँ होता । वहाँ हम एक साथ कई रिश्ते जीते हैँ जिसके फलस्वरूप छिद्रान्वेषी बन केवल एक ही रिश्ते की सतही मीमांसा नहीँ करते अपितु टुकड़े टुकड़े समस्त रिश्तोँ का आनन्द लेते हैँ । पति पत्नी की कलुषता को दूर करने वाले , उन्हेँ उपचारित करने वाले कई हाथ होते हैँ ।

सही कहा भाई |

निजता की चाह में घर से दूर भागे पंछी जब खोच्किलों में रहते हुए ऊबने लगते हैं तब पुराने टीले की कीमत समझ आती है |

dev b
19-04-2011, 06:42 PM
सही कहा भाई |

निजता की चाह में घर से दूर भागे पंछी जब खोच्किलों में रहते हुए ऊबने लगते हैं तब पुराने टीले की कीमत समझ आती है |

बिलकुल ठीक कहा मित्र आप ने

dev b
19-04-2011, 06:49 PM
मित्रो अभी हम ने बिखरते परिवारों के बारे में चर्चा की ....बहुत से कारण है इस के ....अब सवाल ये उठाता है मित्रो की सारी समस्याओं को झेलते हुए जिंदगी में आगे बढ़ते हुए क्या सावधानी बरती जाए की परिवार टूटे ना और जिंदगी खुशहाल हो ?????????????????????????????????????????????????? ?????????????????????????????????????????????????? ????????????????????????????

dev b
20-04-2011, 11:13 AM
प्रतिक्रया नहीं आ रही मित्रो??????????

Kumar Anil
26-04-2011, 08:41 AM
मित्रो अभी हम ने बिखरते परिवारों के बारे में चर्चा की ....बहुत से कारण है इस के ....अब सवाल ये उठाता है मित्रो की सारी समस्याओं को झेलते हुए जिंदगी में आगे बढ़ते हुए क्या सावधानी बरती जाए की परिवार टूटे ना और जिंदगी खुशहाल हो ?????????????????????????????????????????????????? ?????????????????????????????????????????????????? ????????????????????????????

आप तो सिविल इंजीनियर हैँ । आपका कार्य तो जोड़ने का है , चाहे सेतु हो , घर हो अथवा लोगोँ को जोड़ने के लिये सड़क । दो किनारोँ को मिलाने के लिये , बीच मेँ आ रहे अवरोध को दूर करने के लिये निर्मित पुल मेँ कितनी ख़ूबसूरती से सपोर्ट देकर अपने काम को अंजाम देते हैँ । बस ऐसे ही अभियन्त्रण की आवश्यकता हमारे परिवार को है । चूँकि आपका सूत्र एकल परिवारीय व्यवस्था यानि पति पत्नी तक सीमित है तो मैँ भी उसी संदर्भ मेँ निवेदन करूँगा । क्या हो रहा है आज आधुनिक शहरी परिवार मेँ ? हम परिवार रूपी रथ के दूसरे पहिये को साथ लेकर चल नहीँ पा रहे हैँ और यहाँ नेट पर कल्पित दोस्तोँ को काँधे पर लेकर घूम रहे हैँ । अमित तिवारी जी के यूजिँग , मिसयूजिँग और एडिक्शन के मध्य कटे कनकौव्वे की तरह दिशाहीन हो गये हैँ । बीबी के नौकरी करने से हमारा आर्थिक स्तर तो ऊँचा हो रहा है पर उसका हाथ बँटाने मेँ हमारे भीतर का मर्द घायल होने लगता है । न जाने हमारी सहयोग की भावना कहाँ घास चरने चली जाती है । दोस्तोँ के साथ अंडरस्टैँडिँग बनाने मेँ हमारा कोई सानी नहीँ पर जीवनसाथी को अंडरस्टैँड करने मेँ कोई दिलचस्पी ही नहीँ । एक बात और है कि मूल्योँ के क्षरण ने भी हमेँ बिखेरने मेँ कोई कोर कसर नहीँ छोड़ी । पति पत्नी को जोड़े रखने वाले एड्हेसिव मेँ अहं के क्रिस्टल भी गड़ रहे हैँ ।
भावनाओँ का सम्मान , अहं का त्याग , समर्पण , सहयोग ही इस गठबंधन को मजबूत कर सकता है ।

dev b
27-04-2011, 06:09 PM
आप ने बिलकुल थी कहा मित्र .....हम लोग उपदेश तो बहुत दे लेते है परन्तु जब परन्तु प्रश्न ये है की हम दिल से प्रयास कितना करते है ....एक हाथ से ताली नहीं बजती ...यदि हम समर्पण की भावना से रिश्ते निभाये ...तो परिवार के बिखरने की नौबत ही ना आये आप तो सिविल इंजीनियर हैँ । आपका कार्य तो जोड़ने का है , चाहे सेतु हो , घर हो अथवा लोगोँ को जोड़ने के लिये सड़क । दो किनारोँ को मिलाने के लिये , बीच मेँ आ रहे अवरोध को दूर करने के लिये निर्मित पुल मेँ कितनी ख़ूबसूरती से सपोर्ट देकर अपने काम को अंजाम देते हैँ । बस ऐसे ही अभियन्त्रण की आवश्यकता हमारे परिवार को है । चूँकि आपका सूत्र एकल परिवारीय व्यवस्था यानि पति पत्नी तक सीमित है तो मैँ भी उसी संदर्भ मेँ निवेदन करूँगा । क्या हो रहा है आज आधुनिक शहरी परिवार मेँ ? हम परिवार रूपी रथ के दूसरे पहिये को साथ लेकर चल नहीँ पा रहे हैँ और यहाँ नेट पर कल्पित दोस्तोँ को काँधे पर लेकर घूम रहे हैँ । अमित तिवारी जी के यूजिँग , मिसयूजिँग और एडिक्शन के मध्य कटे कनकौव्वे की तरह दिशाहीन हो गये हैँ । बीबी के नौकरी करने से हमारा आर्थिक स्तर तो ऊँचा हो रहा है पर उसका हाथ बँटाने मेँ हमारे भीतर का मर्द घायल होने लगता है । न जाने हमारी सहयोग की भावना कहाँ घास चरने चली जाती है । दोस्तोँ के साथ अंडरस्टैँडिँग बनाने मेँ हमारा कोई सानी नहीँ पर जीवनसाथी को अंडरस्टैँड करने मेँ कोई दिलचस्पी ही नहीँ । एक बात और है कि मूल्योँ के क्षरण ने भी हमेँ बिखेरने मेँ कोई कोर कसर नहीँ छोड़ी । पति पत्नी को जोड़े रखने वाले एड्हेसिव मेँ अहं के क्रिस्टल भी गड़ रहे हैँ ।
भावनाओँ का सम्मान , अहं का त्याग , समर्पण , सहयोग ही इस गठबंधन को मजबूत कर सकता है ।