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View Full Version : नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें


Leo_Kobb
28-04-2011, 05:27 PM
इस सूत्र में हिंदी में उपलब्ध किसी भी विषय से जुडी पुस्तकें एवं साहित्य के लिंक उपलब्ध कराएँ जायेंगे, जो पूरी तरह से नि:शुल्क हैं, ओनलाईन डाउनलोड की जा सकती हैं, पढ़ी जा सकती हों | अन्य भाषाओँ के नि:शुल्क पुस्तकों के लिंक पर भी कोई पाबन्दी नहीं है | उद्देश्य यही है कि ज्यादा से ज्यादा पुस्तकें ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुंचे |

Leo_Kobb
28-04-2011, 05:35 PM
शुरुआत करता हूँ, ओशो की ये पुस्तक दोस्तों को ओनलाईन भेंट करते हुए | पुस्तक है गहरे पानी पैठ | यह मुझे अत्यधिक प्रिय है और बहुत रोचक एवं ज्ञानवर्धक पुस्तक है, दर्शन से थोड़ी दूर और विज्ञान और तर्क के ज्यादा करीब है |

वर्तमान में तो यह इस रूप में बिकती है |
http://oshoonline.com/index.php?route=product/product&product_id=466

परन्तु पुस्तक का जो संस्करण मैं दे रहा हूँ, वह 1972 का है | 2003 में मैंने इसे खुद के हिंदी टंकण अभ्यास के दौरान महज शौकिया तौर पर अपने कंप्यूटर में टंकित किया था, लेकिन लगता है इसकी परिणति यहाँ होनी थी, अब यहाँ से ओशो प्रेमियों तक ये पहुंचे तो मुझे बहुत खुशी होगी |

डाऊनलोड लिंक,
http://gppleo.4shared.com/
या
http://www.4shared.com/document/BM5wfy94/Gahre_Pani_Paith.html

Leo_Kobb
28-04-2011, 05:40 PM
हिंदी की कई पुस्तकें यहाँ इस पोर्टल पर भी मिलती हैं, यहाँ अनेक नामी साहित्यकारों की पुस्तकें हम फ्री में डाऊनलोड कर सकते हैं | यह पोर्टल निरंतर नि:शुल्क साहित्य के अपने भण्डार को अपडेट कर रहा है | आप के पास भी अगर किसी पुस्तक की सोफ्ट कॉपी हो तो इन्हें भेज सकते हैं |

तो अभी के अभी यहाँ पधारें,
http://www.apnihindi.com/

golmaal
28-04-2011, 11:01 PM
बहुत ही बढ़िया जानकारी लाये हैं मित्र. आपका स्वागत है. बस इसी तरह अपने ज्ञान के मोती इस मंच पर बिखरते रहे. :cheers:

bhojpur
14-08-2011, 09:20 PM
धन्यवाद बहुत बहुत धन्यवाद

samir
11-09-2011, 12:04 AM
सुभद्रा कुमारी चौहान की कवितायेँ

भला कौनसा भारतवासी होगा जिसने झाँसी की रानी कविता नही सुनी होगी !
एक ऐसी कविता जिसे सुनकर एक सच्चे हिन्दुस्तानी का खून आज भी खौल उठता है। जो आज भी रगों में जोश भर देती है।
ये कविता सुभद्रा जी की कलम से ही निकल सकती थी।

ऐसी ही कई कविताओं का संग्रह है ये पुस्तिका।



Download Link:

Link (http://rapidshare.com/files/220515190/Hindi_poems_by_Subhadra_Kumari_Chauhan.pdf)

samir
11-09-2011, 12:04 AM
देवदास उपन्यास


1917 में लिखा गया यह उपन्यास शरत चंद्र की कलम से निकला हुआ एक महान उपन्यास है । प्रेम और त्याग की भावना के प्रतीक इस उपन्यास की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस उपन्यास पर अब तक तीन फिल्में बन चुकी है।

Download Link:

Link (http://rapidshare.com/files/220515191/Devdas.pdf)

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samir
11-09-2011, 12:04 AM
हरिवंश राय बच्चन की कवितायेँ

इस पुस्तक में हरिवंश राय बच्चन की चुनी हुई कवितायेँ दी गई है।





डाउनलोड लिंक:
Click here (http://rapidshare.com/files/220515188/Great_Hindi_poems_by_H_R_Bachan.pdf)
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samir
11-09-2011, 12:05 AM
महादेवी वर्मा की कवितायेँ

महादेवी वर्मा को छायावाद के चार सतम्भो में गिना जाता है । उनकी मशहूर रचनाओं में अतीत के चलचित्र , समृति की रेखाएं मुख्य है, वहीं काव्य संग्रहों में निहार, रश्मि, नीरजा एवं संध्या गीत मुख्य है।



Download Link:

Link: (http://rapidshare.com/files/220515189/Hindi_poems_by_Mahadevi_Verma_ji.pdf)

samir
11-09-2011, 12:05 AM
आनंदमठ उपन्यास:
सन १८८२ में प्रकाशित बंकिम चंद्र चटोपाध्याय द्वारा लिखित यह उपन्यास भारतीय इतिहास के उन दुर्लभ दस्तावेजोंमें से एक है जिन्होंने समाज को एक नई दिशा देने का काम किया। इस उपन्यास को सन्यासी आन्दोलन और बंगाल अकाल की छाया में लिखा गया है।

भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम इसी उपन्यास से लिया गया है।

यह पुस्तक हर भारतीय को जरूर पढ़नी चाहिए ।

लिंक:

Click here (http://rapidshare.com/files/233939827/Anandmath.zip)

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samir
11-09-2011, 12:05 AM
रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा




रामप्रसाद बिस्मिल भारत के महान सपूत थे जिन्होने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका जन्म सन १८९७ में उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में हुआ था। १९ दिसम्बर, सन १९२७ को ब्रिटिश शासन ने उनको गोरखपुर जेल में फांसी पर चढा दिया।

रामप्रसाद बिस्मिल ने यह आत्म-कथा अपनी फांसी से दो दिन पहले ही समाप्त की थी।

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम् के बाद अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' का 'सरफरोशी की तमन्ना' ही वह गीत है जिसे गाते हुए कितने ही देशभक्त फांसी के फन्दे को चूम लिये।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम् के बाद अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' का सरफरोशी की तमन्ना ही वह गीत है जिसे गाते हुए कितने ही देशभक्त फांसी के फन्दे को चूम लिये। यह गीत नीचे दिया जा रहा है :

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है


वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है


करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है


रहबरे राहे मुहब्बत, रह न जाना राह में
लज्जते-सेहरा न वर्दी दूरिए-मंजिल में है


अब न अगले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है ।


ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-कातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर,
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


हाथ जिन में हो जुनून कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम.
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें कोई रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है


डाऊनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें! (http://www.multiupload.com/OOGQHID91R)

samir
11-09-2011, 12:06 AM
सरल हसतरेखा शास्त्र (हिंदी)


मनुष्य में सदा से ही अपने भाग्य को जानने की इच्छा रही है और हसतरेखा इसका एक अच्छा माध्यम है । ह्सतरेखा विज्ञानं प्राचीन काल से ही भारत में लोकप्रिय है । भारत ही इसका जन्मदाता है । यहाँ तक कि विश्व प्रसिद हसतरेखा विशेषज्ञ कीरो ने भी इस ज्ञान को भारत में ही आकर सीखा था ।
किसी भी व्यक्ति के हाथ को देखकर उसके जीवन की कमियों का पता लगाया जा सकता है और उनको दूर भी किया जा सकता है। यदि समय रहते समस्या पता लग जाए तो उसका समाधान भी आसन हो जाता है।

अत्यन्त सरल भाषा में लिखी हुई २०० पन्नों की प्रस्तुत पुस्तक जिज्ञासु पाठको को अवश्य पसंद आयेगी ।



फाइल का आकार: 2.5 Mb



डाउनलोड लिंक :
कृपया यहाँ क्लिक करें (https://rs101tl.rapidshare.com/#%21download%7C101tl%7C357681828%7CKitabghar.tk_-_Hast-Rekha-Hindi.pdf%7C2706%7CR%7E11F4D368E582BC91AFBFF33F4A1 D1A29)

samir
11-09-2011, 12:06 AM
सरल अंक शास्त्र


संसार का प्रारम्भ अंक से ही हुआ है । इसलिए अंक का बड़ा महत्व है। अंक के बिना किसी भी कार्य का शुभारम्भ सम्भव नही है।
जो व्यक्ति अंको के रहस्य को जान लेता है, वो हमेशा सुखी जीवन बिताता है। ज्योतिष एवं अंक विज्ञानं में रूचि रखने वालो को ये पुस्तक अवश्य पसंद आयेगी।

http://www.multiupload.com/HTASMBUHQN (http://www.multiupload.com/HTASMBUHQN)

samir
11-09-2011, 12:06 AM
अंधायुग - धरमवीर भारती



अंधायुग धरमवीर भारती की एक प्रसिद रचना है। महाभारत की १८ वीं संध्या से लेकर कृष्ण की मृत्यु के समय तक की ये गाथा अपने आप में एक एतिहासिक धरोहर है।

http://www.multiupload.com/KXFCQ0GHH3 (http://www.multiupload.com/KXFCQ0GHH3)

samir
11-09-2011, 12:06 AM
कुरुक्षेत्र - रामधारी सिंह दिनकर


रामधारी सिंह दिनकर (२३ सितंबर १९०८- २४ अप्रैल १९७४) भारत में हिन्दी के एक प्रमुख लेखक. कवि, निबंधकार थे। कवि दिनकर आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रांत के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट कवि दिनकर की जन्मस्थली है। इन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। साहित्य के रूप में इन्होंने संस्कृत, बंग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता रामधारी सिंह दिनकर स्वतंत्रता पूर्व के विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने जाते रहे। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रांति की पुकार है, तो दूसरी ओर कोमल श्रृँगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें कुरूक्षेत्र और उवर्शी में मिलता है।


उनके साहित्य में वीर रस की प्रधानता है। आजादी से पहले उन्होंने देशभक्ति की भावनाओ से परिपूरन रचनायें लिखी। उनके प्रस्तुत महाकाव्य कुरुक्षेत्र में महाभारत के शान्ति पर्व का उल्लेख है।



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samir
11-09-2011, 12:07 AM
आधुनिक हिन्दी कविता में डाक्टर जगदीश गुप्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म १९२४ में शाहाबाद हरदोई में हुआ।आपने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम।ए।, डी।फिल। की उपाधि प्राप्त की। आपको मैथिली शरण गुप्त सम्मान तथा श्री नारायण चतुर्वेदी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। आपने पचास से अधिक पुस्तकों का लेखन-संपादन किया है।
आपका प्रबंध काव्य सांझ है ।

फाइल का आकार : 300 Kb


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samir
11-09-2011, 12:07 AM
है और भी दुनिया में सुखनवर बोहोत अच्छे ,
कहते है कि ग़ालिब का है अंदाज़-ऐ-ब्याँ और।

ग़ालिब उर्दू के महान शायरों में से एक है। इस किताब में उनके कुछ मशहूर चुनिन्दा शेर लिए गए है। उम्मीद है , आपको पसंद आएंगे ।



फाइल का आकार : 450 Kb




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samir
11-09-2011, 12:07 AM
ABCD उपन्यास रविंदर कालिया द्वारा लिखित एक बेहतरीन लघु उपन्यास है. इसमे पारिवारिक रिश्तों के ताने -बाने को ख़ूबसूरती से बुना गया है. एक बार पढ़कर अवश्य देखें.



फाइल का आकार: 1Mb



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samir
11-09-2011, 12:08 AM
गुलज़ार की त्रिवेणिया

गुलज़ार साहब को कौन नही जानता। उनका अपना ही एक अंदाज़ है। देखिये-

सामनेआएमेरे, देखामुझे, बातभीकी
मुस्कराएभी, पुरानीकिसीपहचानकीखातिर

कलकाअखबारथा, बसदेखभीलिया, रखभीदिया।


कुछ ऐसी ही त्रिवेणियों का संकलन है ये पुस्तक।


फाइल का आकार : 175 kb



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samir
11-09-2011, 12:08 AM
इस पुस्तक में हिन्दी के प्रसिद लेखकों की कहानियों का संग्रह है। कुल २७ कहानियाँ इस पुस्तक में है।

हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ कहानी माने जाने वाली कहानी चंद्रधर शर्मा गुलेरी की "उसने कहा था " से लेकर सहादत हसन मंटो की कहानी "टोबाटेक सिंह " तक और जयशंकर प्रसाद की " आकाशदीप" से लेकर इंशा अल्ला खां द्वारा रचित "रानी केतकी की कहानी " भी इस संग्रह में है।
उम्मीद है आपको ये संग्रह पसंद आयेगा।

साइज़: २.३ Mb


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samir
11-09-2011, 12:08 AM
महादेवी वर्मा हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। 1919 में इलाहाबाद में क्रास्थवेट कालेज से शिक्षा का प्रारंभ करते हुए उन्होंने 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम ए की उपाधि प्राप्त की।
1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिये 'पद्म भूषण' की उपाधि से अलंकृत किया। 'यामा' नामक काव्य संकलन के लिये उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त हुआ।


फाइल का आकार: 7 Mb



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samir
11-09-2011, 12:08 AM
भला ईश्वरचंद्र विद्यासागर को कौन नही जानता ? उनके बहुत सारे प्रेरक प्रसंग आपने भी पढ़े होंगे। वे सही मायने में एक महापुरुष थे। उनकी उदारता के किस्से बहुत मशहूर है। उन्होंने समाज हित में बहुत काम किए।
प्रख्यात शिक्षाविद्, समाज सुधारक युग पुरुष ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म पश्चिम बंगाल के एक कुलीन निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ। आर्थिक संकटों का सामना करते हुए भी उन्होंने अपनी उच्च पारिवारिक परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाए रखा। संकट के समय में भी वह कभी अपने सत्य के मार्ग से नहीं डिगे।

उनके जीवन की बहुत सी घटनाओ का रोचक वर्णन इस छोटी सी पुस्तक में किया गया है।

यहपुस्तकहरकिसीकेपढनेलायकहै। यहपुस्तकपढनेमेंइतनीरोचकहैकिआपएकबारशुरूकरनेकेब ाद इसेखत्मकरकेहीदमलेंगे ।


साइज़: 3.5 mb


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samir
11-09-2011, 12:08 AM
चेहरादेखकरभविष्यजानो (Face Reading Book in Hindi )

यह पुस्तक हमारी ज्योतिष सम्बन्धी पुस्तको की कड़ी में अगली पुस्तक है। इसे पढ़कर आप किसी भी व्यक्ति का चेहरा देखकर उसका भविष्य बता सकतें है । पुस्तक बहुत ही सरल भाषा में लिखी गई है। बहुत से चित्र भी दिए गए है। पढ़कर अवश्य लाभ उठाएं।


साइज़: 900 kb

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samir
11-09-2011, 12:09 AM
चंद्रकांता उपन्यास से देश-विदेश में प्रसिदी प्राप्त करने वाले देवकीनंदनखत्रीकाउपन्यासहै - कटोराभरखून।



कटोराभरखून -
जिसकेलिएएकबापअपनीबेटीकाकत्लकरनेकोतैयारहोगया।

कटोराभरखून -
जिसकेलिएजानेकितनेषडयंत्ररचेगए।

कटोराभरखून-
जिसनेकईजिंदगियांतबाहकरदी।



आख़िर क्या था इसका सच ?

जानने के लिए पढिये :

कटोराभरखून


फाइलकाआकार: 10 Mb
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samir
11-09-2011, 12:09 AM
जयशंकर प्रसाद के शिष्य रहे प्रसिद कहानी लेखक विनोदशंकर व्यास की लगभग सभी कहानिया इस संग्रह में शामिल है। ३०० पन्नो की इस पुस्तक में उनकी पचास कहानियाँ दी हुई है। सभी कहानियाँ पढने में रोचक है।
उम्मीद है इससे पाठकों का मनोरंजन होगा।




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samir
11-09-2011, 12:09 AM
आपने पुनजब की कुछ प्रसिद्ध प्रेम कहानियों के बारे में तो सुना ही होगा। इस पुस्तक में ऐसी ही कुछ कहानियां दी गयी है।

कहानियांइसप्रकारसेहै :

1. हीर-राँझा
2. सोहनी- महिवाल
3. मिर्जा- साहिबां
4. दुल्ला-भट्टी
5. ससि-पुन्नू


अवश्य पढ़ें ।


फाइल का आकार: 10 Mb



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samir
11-09-2011, 12:09 AM
बड़ी दीदी शरत चंद्र का एक महान और दुर्लभ उपन्यास है। इसे पढ़कर आपको बहुत आनंद आयेगा, ऐसी आशा है।

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश:

इस धरती पर एक विशेष प्रकार के प्राणी हैं जो मानो फूस की आग हैं। वे तत्काल जल उठते हैं और झटपट बुझ भी जाते हैं। उनके पीछे हमेशा एक आदमी रहना चाहिए, जो जरूरत के अनुसार उनके लिए फूस जुटा दिया करे।
जैसे गृहस्थ-घरों की कन्याएँ, मिट्टी के दीये जलाते समय उनमें तेल और बाती डालती हैं, उसी तरह वे उसमें एक सलाई भी रख देती हैं। जब दीपक की लौ कुछ कम होने लगती है, तब उस छोटी-सी सलाई की बहुत आवश्यकता पड़ती हैं। उसी से बत्ती उकसायी जाती हैं। यदि वह न हो, तो तेल और बाती के होते हुए भी, दीप का जलना नहीं हो सकता।

सुरेन्द्रनाथ की तबीयत भी बहुत कुछ इसी तरह की है। उसमें बुद्धि-बल और आत्मविश्वास सब कुछ है; लेकिन वह अकेला कोई भी काम नहीं कर सकता। जैसे थोड़ा-सा काम वह उत्साहपूर्वक कर सकता है, उसी तरह बाकी काम आलस्य में छोड़कर चुपचाप बैठा भी रह सकता है। इस, मौके पर एक आदमी की जरूरत होती है, जो उसे उकसा दे।
सुरेन्द्र के पिता पश्चिम में किसी जगह वकालत करते हैं। बंगाल से उनका अधिक सम्बन्ध नहीं है। वहीं सुरेन्द्र ने बीस वर्ष की उम्र में एम.ए. पास किया—कुछ तो अपने गुणों के कारण, कुछ अपनी विमाता के गुणों के कारण। उसकी विमाता ऐसी सतर्कता से उसके पीछे पड़ी रहती कि अक्सर वह नहीं समझ पाता कि उसकी खुद की भी कोई सत्ता है या नहीं। सुरेन्द्र नामधारी कोई स्वतन्त्र जीव इस संसार में नहीं—इस विमाता की इच्छा-आज्ञा ही, मनुष्य का रूप धारण करके, सब काम-धन्धे—सोना-जागना, पढ़ना-लिखना, पास होना आदि सब करा लेती है। यह विमाता अपनी खुद की सन्तान के प्रति लापरवाह रहकर भी, सुरेन्द्र की इतनी ज्यादा फिकर करती है, जिसकी कोई सीमा नहीं। उसका खाँसना-खखारना भी उसकी निगाहों से नहीं छूटता। इस विमाता की कठोर रखवारी में, सुरेन्द्र ने नाम करने की पढ़ना-लिखना तो सीख लिया, पर आत्मनिर्भरता कतई नहीं सीख सका। उसे अपने-आप पर थोड़ा भी विश्वास न था। उसे कभी भी यह भरोसा न हो सका कि वह कभी भी कोई काम पूरा कर सकता है। उसे कब किस चीज की जरूरत है, या कब उसे क्या करना है— इसके निर्णय के लिए भी वह पूरी तरह किसी भी एक व्यक्ति पर आश्रित रहता। अकसर तो वह ठीक से यह भी निश्चित न कर सकता था कि उसे नींद आ रही है या भूख लग रही है। जब से उसने होश सम्हाला है तब से आज तक पन्द्रह वर्ष उसने अपनी विमाता पर आश्रित होकर बिताये हैं।
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samir
11-09-2011, 12:10 AM
"यह कहानी समय की है. इस कहानी का हीरो भी समय है। समय के सिवा कोई इस लायक नही होता कि उसे किसी कहानी का हीरो बनाया जायें।

इस उपन्यास में एक भी गाली नही है। परन्तु शायद यह पूरा उपन्यास एक गाली है। और मैं यह गाली डंके की चोट बक रहा हूँ। यह उपन्यास अश्लील है - जीवन की तरह। "
- राहीमासूमरज़ा



राही मासूम रज़ा (१ सितंबर, १९२५-१५ मार्च 1992) का जन्म गाजीपुर जिले के गंगौली गांव में हुआ था और प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गंगा किनारे गाजीपुर शहर के एक मुहल्ले में हुई थी। बचपन में पैर में पोलियो हो जाने के कारण उनकी पढ़ाई कुछ सालों के लिए छूट गयी, लेकिन इंटरमीडियट करने के बाद वह अलीगढ़ आ गये और यहीं से एमए करने के बाद उर्दू में `तिलिस्म-ए-होशरुबा' पर पीएच।डी. की। पीएच.डी. करने के बाद राही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के उर्दू विभाग में प्राध्यापक हो गये और अलीगढ़ के ही एक मुहल्ले बदरबाग में रहने लगे।

अलीगढ़ में रहते हुए ही राही ने अपने भीतर साम्यवादी दृष्टिकोण का विकास कर लिया था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वे सदस्य भी हो गए थे। अपने व्यक्तित्व के इस निर्माण-काल में वे बड़े ही उत्साह से साम्यवादी सिद्धान्तों के द्वारा समाज के पिछड़ेपन को दूर करना चाहते थे और इसके लिए वे सक्रिय प्रयत्न भी करते रहे थे।

आधा गाँव, नीम का पेड़, कटरा बी आर्ज़ू, टोपी शुक्ला, ओस की बूंद और सीन ७५ उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं।




फाइलकाआकार: 10Mb


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samir
11-09-2011, 12:11 AM
मैंने कहा... (हास्य-व्यंग्य)


यह पुस्तक प्रसिद्ध लेखक श्री विनोदशंकर व्यास के चुने हुए हास्य-व्यंग्य लेखों का संग्रह है। पढने में बहुत ही मनोरंजक है। आशा है, आपको पसंद आयेगी।

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samir
11-09-2011, 12:11 AM
सेवासदन - उपन्यास (प्रेमचंद)




सेवासदन - उपन्यास (प्रेमचंद) Sevasadan - Novel by Premchand

यह प्रेमचंद का प्रसिद्ध उपन्यास है। पढने में रोचक और उच्चकोटि का उपन्यास है.

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samir
11-09-2011, 12:11 AM
खलील जिब्रान की श्रेष्ठ कहानियाँ (कहानी-संग्रह)




इस पुस्तक में प्रसिद लेखक खलील जिब्रान की श्रेष्ठ कहानियाँ दी हुई है । खलील जिब्रान की कहानियाँ पढने में बहुत ही मजेदार और भाषा बिल्कुल सरल होती है। सभी कहानियाँ दिल को छूने वाली है।

संसार के श्रेष्ठ चिंतक महाकवि के रूप में विश्व के हर कोने में ख्याति प्राप्त करने वाले, देश-विदेश भ्रमण करने वाले खलील जिब्रान अरबी, अंगरेजी फारसी के ज्ञाता, दार्शनिक और चित्रकार भी थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होने से जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। खलील जिब्रान 6 जनवरी 1883 को लेबनान के 'बथरी' नगर में एक संपन्ना परिवार में पैदा हुए। 12 वर्ष की आयु में ही माता-पिता के साथ बेल्जियम, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों में भ्रमण करते हुए 1912 मेंअमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थायी रूप से रहने लगे थे।
वे अपने विचार जो उच्च कोटि के सुभाषित या कहावत रूप में होते थे, उन्हें कागज के टुकड़ों, थिएटर के कार्यक्रम के कागजों, सिगरेट की डिब्बियों के गत्तों तथा फटे हुए लिफाफों पर लिखकर रख देते थे। उनकी सेक्रेटरी श्रीमती बारबरा यंग को उन्हें इकट्ठी कर प्रकाशित करवाने का श्रेय जाता है। उन्हें हर बात या कुछ कहने के पूर्व एक या दो वाक्य सूत्र रूप में सूक्ति कहने की आदत थी।
उनमें अद्भुत कल्पना शक्ति थी। वे अपने विचारों के कारण कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर के समकक्ष ही स्थापित होते थे। उनकी रचनाएं 22 से अधिक भाषाओं में देश-विदेश में तथा हिन्दी, गुजराती, मराठी, उर्दू में अनुवादित हो चुकी हैं। इनमें उर्दू तथा मराठी में सबसे अधिक अनुवाद प्राप्त होते हैं। उनके चित्रों की प्रदर्शनी भी कई देशों में लगाई गई, जिसकी सभी ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की। वे ईसा के अनुयायी होकर भी पादरियों और अंधविश्वास के कट्टर विरोधी रहे। देश से निष्कासन के बाद भी अपनी देशभक्ति के कारण अपने देश हेतु सतत लिखते रहे। 48 वर्ष की आयु में कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होकर 10 अप्रैल 1931 को उनका न्यूयॉर्क में ही देहांत हो गया। उनके निधन के बाद हजारों लोग उनके अंतिम दर्शनों को आते रहे। बाद में उन्हें अपनी जन्मभूमि के गिरजाघर में दफनाया गया।

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samir
11-09-2011, 12:11 AM
आग और धुआं - उपन्यास(आचार्य चतुरसेन)



आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिन्दी भाषा के एक महान उपन्यासकार थे । इनका अधिकतर लेखन ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित था । इनकी प्रमुख कृतियां सोमनाथ , वयं रक्षाम: और वैशाली की नगर वधू इत्यादि हैं ।

प्रस्तुत उपन्यास भी एक बहुत प्रसिद्ध उपन्यास है । एक बार अवश्य पढ़े।

उनके अन्य प्रसिद्ध उपन्यास है:

वैशाली की नगरवधू
गोली
सोना और ख़ून
धर्मपुत्र आदि


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samir
11-09-2011, 12:12 AM
आधा गाँव - उपन्यास(राही मासूम राजा)





राही मासूम राजा हिन्दी के जाने माने साहित्यकार है। उन्होंने बहुतसे उपन्यास और फिल्मों की पटकथाएं लिखी है। उनका एक चर्चित टीवी धारावाहिक 'नीम का पेड़' तो आपने देखा ही होगा।

आधा गाँव उनका एक चर्चित उपन्यास है।

राही मासूम रज़ा का बहुचर्चित उपन्यास “आधा गांव” १९६६ में प्रकाशित हुआ जिससे राही का नाम उच्चकोटि के उपन्यासकारों में लिया जाने लगा। यह उपन्यास उत्तर प्रदेश के एक नगर गाजीपुर से लगभग ग्यारह मील दूर बसे गांव गंगोली के शिक्षा समाज की कहानी कहता है। राही नें स्वयं अपने इस उपन्यास का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा है कि “वह उपन्यास वास्तव में मेरा एक सफर था। मैं गाजीपुर की तलाश में निकला हूं लेकिन पहले मैं अपनी गंगोली में ठहरूंगा। अगर गंगोली की हकीकत पकड़ में आ गयी तो मैं गाजीपुर का एपिक लिखने का साहस करूंगा”।


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samir
11-09-2011, 12:12 AM
लज्जा - हिन्दी उपन्यास (तसलीमा नसरीन)





पेश है आप सभी के लिए तसलीमा नसरीन का उपन्यास: लज्जा

१९९३ में लिखा गया यह उपन्यास कई देशो में प्रतिबंधित है।


तसलीमा नसरीन एक बांग्लादेशी लेखिका हैं जो नारीवाद से संबंधित विषयों पर अपनी प्रगतिशील विचारों के लिये चर्चित और विवादित रही हैं। बांग्लादेश में उनपर जारी फ़तवे की वजह से आजकल वे कोलकाता में निर्वासन की ज़िंदगी बिता रही हैं। हालांकि कोलकाता में विरोध के बाद उन्हें कुछ समय के लिये दिल्ली और उसके बाद फिर स्वीडन में भी समय बिताना पड़ा है लेकिन इसके बाद जनवरी २०१० में वे भारत लौट आईं।

उन्होंने भारत में स्थाई नागरिकता के लिये आवेदन किया है लेकिन भारत सरकार की ओर से उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।

स्त्री के स्वाभिमान और अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए तसलीमा नसरीन ने बहुत कुछ खोया। अपना भरापूरा परिवार, दाम्पत्य, नौकरी सब दांव पर लगा दिया। उसकी पराकाष्ठा थी देश निकाला।


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samir
11-09-2011, 12:13 AM
दुर्गेश-नंदिनी - उपन्यास (बंकिम चंद्र)




दुर्गेश-नंदिनी बंकिम चंद्र का एक रोमांटिक उपन्यास है। यह उनकी पहली प्रकाशित रचना भी मानी जाती है।
यह उपन्यास काफी प्रसिद्ध हुआ था।

प्रस्तुत है इस उपन्यास के कुछ अंश : बंगला सन् 997 की गर्मी के अन्त में एक दिन एक घुड़सवार पुरुष विष्णुपुर से मान्दारण की राह में अकेले जा रहा था। सूर्य को अस्ताचलगामी देख सवार ने तीव्रता से घोड़ा बढ़ाया, क्योंकि सामने ही बहुत बड़ा मैदान था न जाने कब सन्ध्या समय प्रबल आँधी पानी आरम्भ हो तो उस मैदान में निराश्रय को बहुत कुछ कष्ट हो सकता था। मैदान पार करते-करते सूर्यास्त हो गया; धीरे-धीरे सान्ध्य आकाश में नील नीरदमाला घिरने लगी। शाम ही से ऐसी गहरी अँधियारी छा गई कि घोड़े को आगे बढ़ाना कठिन हो गया। यात्री केवल बिजली की चमक पर किसी तरह राह चलने लगा।

थोड़ी ही देर में हाहाकार करती हुई आँधी चली और साथ ही साथ प्रबल वृष्टि भी होने लगी। घुड़सवार को अपनी राह चलने में कुछ भी स्थिरता न मिली। घोड़े की लगाम ढीली करके वह आप ही आप चलने लगा। इसी प्रकार कुछ दूर चलने पर सहसा घोड़े के पैर में किसी कड़ी वस्तु की ठोकर लगी। उसी समय एक बार बिजली चमकने पर सवार ने चकित होकर देखा कि सामने ही कोई बहुत बड़ी श्वेत वस्तु पड़ी है। उस श्वेत ढेक को कोई झोपड़ी समझसवार उछलकर जमीन पर उतर पड़ा। उतरते ही सवार ने देखाकि पत्थर की बनी सीढ़ियों से घोड़े को ठोकर लगी है, इसलिए पास ही कोई आश्रय स्थान समझकर उसने घोड़े को छोड़ दिया; स्वयं अन्धकार की वजह से सावधानी से सीढ़ियाँ तय करने लगा।

बिजली की चमक से मालूम हुआ कि सामने ही कोई अट्टालिका और एक देव मन्दिर है। कौशल से मन्दिर के छोटे द्वार पर पहुँचकर उसने देखा कि द्वार बन्द है; हाथ फेरने से जान पड़ा किद्वार बाहर की ओर से बन्द नहीं है। एक सुनसान मैदान में बने मन्दिर में इस समय किसने भीतर से द्वार बन्द कर लिया है, इस चिन्ता से यात्री कुछ विस्मित और कौतूहलाविष्ट हुआ। सिर पर प्रबल वेग से पानी पड़ रया था; इसलिए देवालय में कोई है, यह समझकर पथिक बार-बार द्वार खटखटाने लगा, किन्तु कोई भी दरवाजा खोलने न आया। इच्छा हुई कि लात मारकर दरवाजा खोल लें; किन्तु देवालय का अपमान होने की वजह से पथिक ने वैसा नहीं किया।

फिर भी वह द्वार पर जितनी जोर से हाथ पटक रहा था, उसे लकड़ी का द्वार अधिक देर तक बर्दाश्त न कर सका शीघ्र ही बाधा दूर हुई। द्वार खुल जाने पर युवक ने जैसे ही मन्दिर में प्रवेश किया; वैसे ही मन्दिर के भीतर से धीमी चीख की ध्वनि उसके कानों में सुनाई दी, और उस समय खुले मन्दिर की राह से तेज हवा आने से वहाँ जो टिमटिमाता चिराग जल रहा था, वह भी बुझ गया। युवक को कुछ भी दिखाई न दिया कि मन्दिर में कौन मनुष्य है, या देवमूर्ति ही कैसी है। अपनी ऐसी हालत देख निर्भीक युवक ने सिर्फ थोड़ा मुस्कराकर पहले भक्ति के आवेश में मन्दिर की अदृश्य मूर्ति की ओर प्रणाम किया, फिर उठकर अन्धकार में आवाज दी-मन्दिर में कौन है ?’’

किसी ने भी सवाल का जवाब न दिया, किन्तु कानों में जेवरों की झनकार की ध्वनि सुनाई दी। तब पथिक ने अधिक न कुछ कहकर वृष्टि धारा और हवा के आने की राह को बन्द किया और टूटी हुई अर्गला के बदले अपने शरीर को द्वार से लगाकर फिर कहा-‘‘मन्दिर में चाहे कोई भी हो, सुनो मैं द्वार पर सशस्त्र बैठा हूँ। मेरे विश्राम में विघ्न डालने वाला कोई पुरुष होगा तो उसे फल भोगना पडेगा; यदि स्त्री हो तो निश्चित होकर सो रहो। राजपूत के हाथ में तलवार और ढाल होने से तुम लोगों के पैर में कुश का अंकुर भी न लगेगा।’’

आप कौन हैं ?’’ स्त्री के स्वर ! में किसी ने यह प्रश्न किया।
प्रश्न सुनकर विस्मय के साथ पथिक ने कहा-स्वर से जान पड़ता है कि यह प्रश्न किसी सुन्दरी ने किया है। मेरे परिचय से आपको क्या ?’’
मन्दिर के भीतर से आवाज आई-हम लोग बहुत डर गई है।’’
युवक ने कहा-‘‘मैं चाहे जो होऊँ, मुझमें आप लोगों को अपना परिचय देने की शक्ति नहीं, किन्तु मेरे उपस्थित रहते अबलाओं के लिए किसी प्रकार के विध्न की आशंका नहीं है।’

रमणी ने जवाब दिया-‘‘आपकी बात सुनकर मुझे कुछ साहस हुआ, नहीं तो अब तक हम सब भय से अधमरी हो रही थीं। अब तक मेरी सहचरी आधी बेहोश है। हम सब सन्ध्या समय इन शैलेश्वर शिव की पूजा के लिए आई थी। इसके बाद आँधी-पानी आने पर हम लोगों के वाहक दास दासी हमें छोड़कर कहाँ चले गये, कुछ पता नहीं।’’
युवक ने कहा-चिन्ता न करिये, विश्राम कीजिए। कल सबेरे मैं आप लोगों को घर पहुँचा दूँगा।’’
रमणी ने कहा-‘‘शैलेश्वर आपका मंगल करें।’’

आधी रात को आँधी-पानी समाप्त होने पर युवक ने कहा-‘‘आप लोग यहाँ कुछ देर तक साहस कर ठहरें। मैं एक दीपक लाने के लिए पास के गाँव में जाता हूँ।’’
यह सुनकर जो स्त्री बात कर रही थी, उसने कहा-‘‘महाशय, गाँव तक जाने की जरूरत नहीं। इस मन्दिर का रक्षक एक नौकर समीप ही कहीं रहता है। चाँदनी निकल आई है, मन्दिर के बाहर ही आपको उसकी झोपड़ी दिखाई देगी। वह आदमी अकेला मैदान में रहता है, इसलिए वह घर में सदा आग जलाने की सामग्री रखता है।’’

युवक ने मन्दिर के बाहर आकर चाँदनी में मन्दिर रक्षक का घर देखा। उसने घर के द्वार पर जाकर उसे जगाया। मन्दिर रक्षक भयभीत हो, पहले द्वार न खोल एक ओर से झांककर देखने लगा। अच्छी तरह देखने पर उसे पथिक युवक में डाकू होने का कोई लक्षण दिखाई न दिया। विशेषतः उनके कहे अनुसार स्वर्णमुद्रा पाने का लोभ छोड़ना उसके लिए कष्टसाध्य हो गया। सात- पाँच का विचार कर मन्दिर रक्षक ने द्वार खोल प्रदीप जला दिया।

पथिक ने प्रदीप लाकर देखा कि मन्दिर में संगममर की शिवमूर्ति स्थापित है। उस मूर्ति के पिछले हिस्से में केवल दो स्त्रियाँ हैं। इनमें जो नवीना थी, वह प्रदीप देखते ही माथे का घूँघट खींच नीची निगाह कर बैठी, किन्तु उसके कपड़ों के भीतर से हीरा- जड़ा जूड़ा और विचित्र कारीगरी से बनी पोशाक और उस पर रत्नों के आभूषण की परिपाटी देख पथिक समझ गया कि यह नवीना किसी हीन वंश में उत्पन्न नहीं। दूसरी स्त्री के पहनावे में उसने कुछ कमी देख पथिक ने समझ लिया कि यह नवीना की सहचारिणी दासी होगी; फिर भी दासियों की अपेक्षा सम्पन्न है-उम्र पैंतीस वर्ष होगी।

सहज ही युवा पुरुष समझ गया कि उम्र में जो अधिक है, उसी के साथ इनकी बातचीत हो रही थी। उसने विस्मयपूर्वक यह भी देखाकि इन दोनों में किसी का भी पहनावा इस देशकी स्त्रियों जैसा नहीं, दोनों ही पश्चिम देशीय अर्थात् हिन्दुस्तानी औरतों जैसा कपडा पहने हैं। युवक मन्दिर के भीतर उपयुक्त स्थान में प्रदीप रख रमणियों के सामने खडा हो गया। तब उसके शरीर पर दीप की रोशनी पड़ने से रमणियों ने देखा कि पथिक उम्र में पचीस वर्ष से अधिक न होगा।

शरीर इतना लम्बा कि इतनी लम्बाई अशोभा का कारण होती, किन्तु युवक की छाती की चौड़ाई और सर्वाग के भरपूर भराव से वह लम्बाई शोभा सम्पन्न हो गई है। वर्षा से उत्पन्न नई दूब के समान अथवा उससे भी अधिक कान्ति थी; वसन्त प्रसूत नवीन पत्तों के समान वर्ण पर राजपूतों का पहनावा शोभा दे रहा था; कमर के कटिबन्ध में म्यान सहित तलवार और लम्बे हाथों में लम्बा शूल था; माथे पर साफा, उसपर हीरे का एक टुकड़ा, कान में मोतियों सहित कुण्डल गले में रत्नो का हार था।
एक-दूसरे को देख दोनों ही परस्पर परिचय जानने के लिए विशेष व्यग्र हुए किन्तु कोई भी परिचय पूछने की अभद्रता न कर सका।

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samir
11-09-2011, 12:13 AM
'पुलिस और हमारे अधिकार' एक बहुत ही उपयोगी पुस्तक है। इसमें बताया गया है कि अगर हमें कभी पुलिस से कोई काम पड़ जाये तो हमारे अधिकार क्या-क्या है और हम उन अधिकारों का किस तरह से इस्तेमाल कर सकते है।

यह पुस्तक सभी पाठकों के लिए उपयोगी है । हर पाठक को इसे अवश्य पढना चाहिए । यह हमारे जीवन में काम आने वाली पुस्तक है।

नोट: पुस्तक की स्केंनिंग उच्च स्तर की नहीं है, इसके लिए हमें खेद है।

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samir
11-09-2011, 12:13 AM
'मरणोत्तर जीवन ' स्वामी विवेकानंद की एक चर्चित पुस्तक है । इसमें स्वामी जी ने पुनर्जनम पर हिन्दू और पाश्चात्य मत की व्याख्या बड़े सुंदर ढंग से की है।

स्वामी विवेकानन्द (१२ जनवरी,१८६३- ४ जुलाई,१९०२) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक उन्राजनाम थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासम्मेलन में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का वेदान्त अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण हीपहुँचा।अत्यन्त गरीबी में भी नरेन्द्र बड़े अतिथि-सेवी थे। स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते ।उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। रामकृष्ण जी बचपन से ही एक पहुँचे हुए सिद्ध पुरुष थे। स्वामीजी ने कहा था की जो व्यक्ति पवित्र ढँग से जीवन निर्वाह करता है उसी के लिये अच्छी एकाग्रता प्राप्त करना सम्भव है!
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samir
11-09-2011, 12:14 AM
'जैसे चाहो, वैसे बन जाओ' जेम्स एलन की प्रसिद्ध अंग्रेजी पुस्तक 'As a Man Thinketh' का हिंदी अनुवाद है। इसकी रचना जेम्स एलन ने १९०२ में की थी लेकिन ये पुस्तक आज भी उतनी ही लोकप्रिय है। आज भी इसका महत्व उतना ही है।

यह पुस्तक प्रेरणा से भरपूर है और मनुष्य के व्यक्तित्व-विकास में सहायक है। हर मनुष्य को इसे अवश्य पढना चाहिए। आप भी इसे पढ़कर इससे लाभ उठाएं ।

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samir
11-09-2011, 12:14 AM
विज्ञान साहित्य की कड़ी में हमारी अगली प्रस्तुति है-सांप ।

सांप एक ऐसा जीव है जिसके बारे मैं बहुत सारी भ्रांतियां प्रचलित है । इस पुस्तक को पढ़ कर आपको सांपो के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

इस पुस्तक को हमें श्री राजेंद्र जांगिड ने भेजा है जिसके लिए उनका बहुत-बहुत धन्यवाद्।

पृष्ठ संख्या-110
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samir
11-09-2011, 12:15 AM
मनुष्य में सदा से ही अपने भाग्य को जानने की इच्छा रही है और हसतरेखा इसका एक अच्छा माध्यम है । ह्सतरेखा विज्ञानं प्राचीन काल से ही भारत में लोकप्रिय है । भारत ही इसका जन्मदाता है । यहाँ तक कि विश्व प्रसिद हसतरेखा विशेषज्ञ कीरो ने भी इस ज्ञान को भारत में ही आकर सीखा था ।
किसी भी व्यक्ति के हाथ को देखकर उसके जीवन की कमियों का पता लगाया जा सकता है और उनको दूर भी किया जा सकता है। यदि समय रहते समस्या पता लग जाए तो उसका समाधान भी आसन हो जाता है।

अत्यन्त सरल भाषा में लिखी हुई २०० पन्नों की प्रस्तुत पुस्तक जिज्ञासु पाठको को अवश्य पसंद आयेगी ।


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samir
11-09-2011, 12:15 AM
यह पुस्तक हमारी ज्योतिष सम्बन्धी पुस्तको की कड़ी में अगली पुस्तक है। इसे पढ़कर आप किसी भी व्यक्ति का चेहरा देखकर उसका भविष्य बता सकतें है । पुस्तक बहुत ही सरल भाषा में लिखी गई है। बहुत से चित्र भी दिए गए है। पढ़कर अवश्य लाभ उठाएं।


साइज़: 900 kb
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samir
11-09-2011, 12:15 AM
चाणक्य सूत्र (चाणक्य नीति)

आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता और क्षमताओं के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्*यात हुए। इतनी सदियाँ गुजरने के बाद आज भी यदि चाणक्य के द्वारा बताए गए सिद्धांत *और नीतियाँ प्रासंगिक हैं तो मात्र इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने गहन अध्*ययन, चिंतन और जीवानानुभवों से अर्जित अमूल्य ज्ञान को, पूरी तरह नि:स्वार्थ होकर मानवीय कल्याण के उद्*देश्य से अभिव्यक्त किया।

वर्तमान दौर की सामाजिक संरचना, भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था और शासन-प्रशासन को सुचारू ढंग से बताई गई *नीतियाँ और सूत्र अत्यधिक कारगर सिद्ध हो सकते हैं। चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय से यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ अंश -

1. जिस प्रकार सभी पर्वतों पर मणि नहीं मिलती, सभी हाथियों के मस्तक में मोती उत्पन्न नहीं होता, सभी वनों में चंदन का वृक्ष नहीं होता, उसी प्रकार सज्जन पुरुष सभी जगहों पर नहीं मिलते हैं।

2. झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, दुस्साहस करना, छल-कपट करना, मूर्खतापूर्ण कार्य करना, लोभ करना, अपवित्रता और निर्दयता - ये सभी स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं। चाणक्य उपर्युक्त दोषों को स्त्रियों का स्वाभाविक गुण मानते हैं। हालाँकि वर्तमान दौर की शिक्षित स्त्रियों में इन दोषों का होना सही नहीं कहा जा सकता है।

3. भोजन के लिए अच्छे पदार्थों का उपलब्ध होना, उन्हें पचाने की शक्ति का होना, सुंदर स्त्री के साथ संसर्ग के लिए कामशक्ति का होना, प्रचुर धन के साथ-साथ धन देने की इच्छा होना। ये सभी सुख मनुष्य को बहुत कठिनता से प्राप्त होते हैं।

4. चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति का पुत्र उसके नियंत्रण में रहता है, जिसकी पत्नी आज्ञा के अनुसार आचरण करती है और जो व्यक्ति अपने कमाए धन से पूरी तरह संतुष्ट रहता है। ऐसे मनुष्य के लिए यह संसार ही स्वर्ग के समान है।

5. चाणक्य का मानना है कि वही गृहस्थी सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है। पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करे। इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो।




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samir
11-09-2011, 12:15 AM
आरोग्य की कुंजी - महात्मा गाँधी

प्रस्तुत पुस्तक में महात्मा गाँधी ने सदा स्वस्थ रहने के उपाय लिखे है । महात्मा गाँधी प्राक्रतिक चिकित्सा में विश्वास रखते थे । केवल खान-पान और रहन-सहन के द्वारा बहुत से असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है . ऐसा ही कुछ इस पुस्तक में बताया गया है . इस दुर्लभ पुस्तक को अवश्य पढ़ें।

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11-09-2011, 12:15 AM
नाक-कान-गला रोग - कारण और उपचार

इस पुस्तक में नाक-कान और गले के रोग उतप्पन होने के कारणों और उनके उपचार पर प्रकाश डाला गया है। अवश्य पढ़ें।

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samir
11-09-2011, 12:16 AM
एक ही सुख निरोगी काया

प्रिय पाठकों,
आप सभी की मांग पर कुछ चिकित्सा सम्बन्धी पुस्तकें भी प्रकाशित की जा रही है जिनमे से पहली है - एक ही सुख निरोगी काया ।

इस पुस्तक में मनुष्य को सदा स्वस्थ रहने के उपाय बताएं गए है।

अवश्य पढ़ें।


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samir
11-09-2011, 12:16 AM
जानो और बूझो (खेल खेल में विज्ञान सीखें)

जानो और बूझो एक विज्ञान आधारित पुस्तक है। इसमें विज्ञान आधारित पहेलियाँ दी गयी है।

यह बच्चों के लिए एक अनुपम पुस्तक है जो खेल-खेल में उन्हें विज्ञान सिखाने में सहायक है ।

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samir
11-09-2011, 12:16 AM
गायें गाना, खेलें खेल (खेल-खेल में विज्ञान सीखें)

गायें गाना, खेलें खेल एक विज्ञान आधारित पुस्तक है। इसमें खेल-खेल में विज्ञान की बातें बताई गयी है। बच्चों के लिए जादू के खेल भी बताये गायें है।

अवश्य पढ़ें।



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samir
11-09-2011, 12:16 AM
100 श्रेष्ठ बाल गीत (सचित्र)

प्रस्तुत पुस्तक में 100 श्रेष्ठ बाल गीतों का संकलन है। ये सभी बाल गीत विभिन्न कवियों द्वारा लिखे गए है । सभी गीत रोचक और विविधतापूर्ण है। ये गीत मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों को नैतिक शिक्षा भी प्रदान करते है। देशप्रेम, साहस, प्रेमभाव जैसे गुण इन गीतों के द्वारा बच्चों में आसानी से डाले जा सकते है। सचित्र होने के कारण इनको समझना और भी आसान हो जाता है।

सभी गीत अत्यंत सरल भाषा में है। पुस्तक के अंत में सभी कवियों का परिचय भी दिया गया है।

बाल-गीत बच्चों के जीवन में एक अहम् स्थान रखते है। गीतों के द्वारा बच्चों को कही गयी बात जल्दी असर करती है । बचपन में पढ़े सुने गए गीतों का प्रभाव सारी उम्र बच्चों पर रहता है।

ये गीत अपने बच्चों को पढ़कर जरूर सुनाएं।



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samir
11-09-2011, 12:16 AM
बाईबल (Old Testament) - हिंदी में

किताबघर के पाठकों के लिए आज प्रस्तुत है - ईसाई धर्म की पवित्र धार्मिक पुस्तक - बाईबल का हिंदी संसकरण ।
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malethia
11-09-2011, 12:16 AM
धन्यवाद मित्र,
आपका सहयोग व ज्ञान हमारे लिए अविस्मर्णीय है .......

samir
11-09-2011, 12:17 AM
सरल अंक शास्त्र

संसार का प्रारम्भ अंक से ही हुआ है । इसलिए अंक का बड़ा महत्व है। अंक के बिना किसी भी कार्य का शुभारम्भ सम्भव नही है।
जो व्यक्ति अंको के रहस्य को जान लेता है, वो हमेशा सुखी जीवन बिताता है। ज्योतिष एवं अंक विज्ञानं में रूचि रखने वालो को ये पुस्तक अवश्य पसंद आयेगी।
Size: 700 kb



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samir
11-09-2011, 12:17 AM
जल द्वारा चिकित्सा

जल मनुष्य के लिए अमृत के समान है। अगर उचित विधि से प्रयोग किया जाए तो ये बहुत से रोगों को भी दूर करता है। जल के इन्ही रोगनाशक गुणों के बारे में प्रस्तुत है - जल द्वारा चिकित्सा ।

इस पुस्तक में जल के द्वारा बहुत से असाध्य रोगों का उपचार करने की विधि लिखी है। भाप स्नान, कटी स्नान आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। हर मनुष्य को ये पुस्तक पढनी चाहिए । अवश्य पढ़ें।

आकार: १० MB

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samir
11-09-2011, 12:17 AM
अपना पानी, अपना जीवन - विज्ञान साहित्य

'अपना पानी अपना जीवन ' पुस्तक में पानी के बारे में अच्छी जानकारी दी गयी है। पुस्तक में बताया गया है कि जल-चक्र क्या है, जल को सुरक्षित कैसे रखें, पानी को साफ़ कैसे रखें, पानी से कौनसे रोग होते है, जल-प्रबंधन क्या है । इत्यादि जानकारियां इस पुस्तक में दी गयी है।
अवश्य पढ़ें।
फाइल का आकार: 2 Mb



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samir
11-09-2011, 12:17 AM
कपालकुंडला - उपन्यास (बंकिम चंद्र)




येउपन्यासबंकिमचंद्रकादूसराप्रकाशितउपन्यासथा।

जब एक बड़े जमींदार के लड़के ने एक तांत्रिक की लड़की से प्रेम विवाह किया तो समाज में एक तूफ़ान उठ खड़ा हुआ। दुनिया से दूर रहकर जंगल में पली और बड़ी हुई वो लड़की क्या समाज में अपनी जगह बना सकी ? पढिये मन को झकझोर देने वाला ये उपन्यास जिसने बंकिम चंद्र को रातों-रात प्रसिद्ध कर दिया.









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samir
11-09-2011, 12:18 AM
गाँव - उपन्यास (मुल्कराज आनंद)




गाँव - उपन्यास (मुल्कराज आनंद)

मुल्कराज आनंद देश-विदेश में प्रसिद्ध उपन्यासकार है। वे अंग्रेजी में लिखते है। 'The Village' उनका बहुचर्चित उपन्यास है। उसी का हिन्दी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत किया गया है।





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samir
11-09-2011, 12:18 AM
मृणालिनी - उपन्यास (बंकिम चंद्र)




बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं। उनकी लेखनी से बंगाल साहित्य तो समृद्ध हुआ ही है, हिन्दी भी उपकृत हुई है। उनकी लोकप्रियता का यह आलम है कि पिछले डेढ़ सौ सालों से उनके उपन्यास विभिन्न भाषाओं में अनूदित हो रहे हैं और कई-कई संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं। उनके उपन्यासों में नारी की अन्तर्वेदना व उसकी शक्तिमत्ता बेहद प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त हुई है। उनके उपन्यासों में नारी की गरिमा को नयी पहचान मिली है और भारतीय इतिहास को समझने की नयी दृष्टि।
वे ऐतिहासिक उपन्यास लिखने में सिद्धहस्त थे। वे भारत के एलेक्जेंडर ड्यूमा माने जाते हैं।

यह उपन्यास बंकिम चंद्र का एक प्रसिद्ध रोमांटिक उपन्यास है।

उपन्यास का एक अंश : मुझे कुलटा जो बता रहे हो सब झूठ है। हृषिकेश क्रोधित होकर बोले, ‘‘पापिनी ! मेरे अन्न से पेट पालती है और मुझे ही दुर्वचन सुनाती है। जा, मेरे घर से इसी समय निकल जा, माधवाचार्य की खुशी की खातिर मैं अपने घर में काली नागिन नहीं पाल सकता हूं।’’
मृणालिनी बोली, ‘‘तुम्हारी आज्ञा के अनुसार ही तुम कल सवेरे मेरा मुंह नहीं देख पाओगे।
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samir
11-09-2011, 12:18 AM
राजमोहन की स्त्री - हिंदी उपन्यास (बंकिम चंद्र)




बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। कृष्णकांतेर विल में चटर्जी ने अंग्रेजी शासकों पर तीखा व्यंग्य किया है।

राजमोहन की स्त्री बंकिम चंद्र का लिखा हुआ पहला उपन्यास था।
हालाँकि इसे बाद में छापा गया।

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samir
11-09-2011, 12:18 AM
दायरे - उपन्यास (गुरुदत्त)




महान लेखक गुरुदत्त का यह एक महान उपन्यास है। अवश्य पढ़ें।






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samir
11-09-2011, 12:19 AM
विश्वासघात - उपन्यास (गुरुदत्त)




विश्वासघात गुरुदत्त का एक महान उपन्यास है।
युवावस्था से ही राजनीतिज्ञों से सम्पर्क, क्रान्तिकारियों से समीप का संबंध तथा इतिहास का गहन अध्ययन-इन सब की पृष्ठभूमि पर ‘‘सदा वत्सले मातृभूमे’’ श्रृंखला में चार राजनीतिक अत्यन्त रोमांचकारी एवं लोमहर्षक उपन्यास श्री गुरुदत्त ने हिन्दी जगत् को दिये है-
1.विश्वासघात
2.देश की हत्या
3.दासता के नये रूप
4. सदा वत्सले मातृभूमे !
समाचार पत्र, लेख, नेताओं के वक्तव्यों के आधार पर उपन्यास की रचना की गई है ! उपन्यासों के पात्र राजनीतिक नेता तथा घटनाएं वास्तविक हैं।

अवश्य पढ़ें।

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samir
11-09-2011, 12:19 AM
देवांगना - उपन्यास (आचार्य चतुरसेन)



आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिन्दी भाषा के एक महान उपन्यासकार थे । इनका अधिकतर लेखन ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित था । इनकी प्रमुख कृतियां सोमनाथ , वयं रक्षाम: और वैशाली की नगर वधू इत्यादि हैं ।

आचार्य चतुरसेन के उपन्यास रोचक एवं दिल को छूने वाले होते है।
देवांगना भी एक ऐसा ही उपन्यास है।





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samir
11-09-2011, 12:19 AM
'तब की बात और थी' में परसाई जी के चुने हुए दिल को गुदगुदाने वाले हास्य व्यंग्य लेख दिए हुए है।

हरिशंकर परसाई (२२ अगस्त, १९२२ - १० अगस्त, १९९५) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार थे। उनका जन्म जमानी, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के–फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने–सामने खड़ा करती है, जिनसे किसी भी व्यक्ति का अलग रह पाना लगभग असंभव है। लगातार खोखली होती जा रही हमारी सामाजिक और राजनॅतिक व्यवस्था में पिसते मध्यमवर्गीय मन की सच्चाइयों को उन्होंने बहुत ही निकटता से पकड़ा है। सामाजिक पाखंड और रूढ़िवादी जीवन–मूल्यों की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होंने सदैव विवेक और विज्ञान–सम्मत दृष्टि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा–शैली में खास किस्म का अपनापा है, जिससे पाठक यह महसूस करता है कि लेखक उसके सामने ही बैठा है।

अवश्य पढ़े।




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samir
11-09-2011, 12:19 AM
प्रेत की छाया - कहानी संग्रह (ज्योतिन्द्रनाथ)




प्रेत की छाया प्रसिद्ध लेखक ज्योतिन्द्रनाथ का कहानी संग्रह है। इनकी कहानियाँ पाठकों को कल्पना के अनोखे संसार में ले जाती है जहाँ उसका सामना रहस्य, रोमांच, डर, खुशी, उत्साह जैसे मानवीय संवेगों से होता है।




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samir
11-09-2011, 12:20 AM
चंद हसीनाओं के खतूत (रोमांटिक हास्य-व्यंग्य)




चंद हसीनाओं के खतूत एक रोमांस और हास्य-व्यंग्य से परिपूरन पुस्तक है। इसमे ख़त के रूप में रोमांटिक कहानियाँ दी गई है जो इसे पढने में रोचक और मजेदार बनती है। अवश्य पढ़ें।




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samir
11-09-2011, 12:20 AM
भूल - हास्य प्रधान सामाजिक नाटक (गुलाब खंडेलवाल)


(http://www.blogger.com/email-post.g?blogID=17254431&postID=3390974624062782508)

भूल एक हास्य प्रधान नाटक है। इसमे दो युवको की कहानी दी गई है।

एक युवक जिसकी शादी बचपन में हुई थी, पहली बार अपनी पत्नी को लाने ससुराल जाता है. स्टेशन पर उसे दूसरा युवक मिलता है जो बीमा एजेंट है और किसी का बीमा करने इस शहर में आया है। दोनों गलती से एक दुसरे की जगह पहुँच जाते है। फिर क्या होता है? पढिये इस किताब में......





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samir
11-09-2011, 12:20 AM
अलादीन का जादुई चिराग - उपन्यास




अलादीन का जादुई चिराग अंग्रेजी उपन्यास 'one thousand nights' का हिन्दी रूपांतर है। इसमे अलादीन की कहानी को नए ढंग से प्रस्तुत किया गया है। किताब पढने में दिलचस्प है।



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samir
11-09-2011, 12:21 AM
मगध



मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था । आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल।

मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्व वेद में मिलता है । अभियान चिन्तामणि के अनुसार मगध को कीकट कहा गया है ।


मगध बुद्धकालीन समय में एक शक्*तिशाली राजतन्त्रों में एक था । यह दक्षिणी बिहार में स्थित था जो कालान्तर में उत्तर भारत का सर्वाधिक शक्*तिशाली महाजनपद बन गया । यह गौरवमयी इतिहास और राजनीतिक एवं धार्मिकता का विश्*व केन्द्र बन गया ।


मगध महाजनपद की सीमा उत्तर में गंगा से दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक, पूर्व में चम्पा से पश्*चिम में सोन नदी तक विस्तृत थीं ।मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह थी । यह पाँच पहाड़ियों से घिरा नगर था । कालान्तर में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित हुई । मगध राज्य में तत्कालीन शक्*तिशाली राज्य कौशल, वत्स व अवन्ति को अपने जनपद में मिला लिया । इस प्रकार मगध का विस्तार अखण्ड भारत के रूप में हो गया और प्राचीन मगध का इतिहास ही भारत का इतिहास बना ।

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samir
11-09-2011, 12:21 AM
हिंदी साहित्य का संक्षिप्त सुगम इतिहास






'हिंदी साहित्य का संक्षिप्त सुगम इतिहास' एक उपयोगी पुस्तक है । इसको पढ़कर आपको हिंदी साहित्य के बारे में काफी कुछ जानने को मिलेगा।



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samir
11-09-2011, 12:21 AM
अयोध्या का इतिहास





पिछले कुछ समय से मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते अयोध्या लगातार सुर्ख़ियों में है। इसलिए अयोध्या के इतिहास से परिचित करवाने के लिए हम आपके लिए लेकर आये है पुस्तक - अयोध्याकाइतिहास। इसमें अयोध्या के प्राचीन समय के इतिहास से लेकर वर्तमान काल तक का इतिहास दिया गया है।

अयोध्या उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर हॅ। यह फैजाबाद जिला के अन्तर्गत आता है। रामजन्मभूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के दाएं तट पर बसा है। प्राचीन काल में इसे कौशल देश कहा जाता था।

अयोध्या हिन्दुओं का प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है।

रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। कई शताब्दियों तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा। अयोध्या मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहां आज भी हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम और जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच र्तीथकरों का जन्म हुआ था।


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samir
11-09-2011, 12:21 AM
ऐतिहासिक उपन्यास - वसंत सेना




आप सभी के लिए पेश है एक ऐतिहासिक उपन्यास -वसंतसेना ।


वसंतसेना राजा पलाका के दरबार में नर्तकी होती है। लेकिन राजा के साले संस्थानक की गंदी नज़र से अपने आप को बचते बचाते वो चित्रकार चारुदत्त के घर में आश्रय लेती है। यह जानते हुए भी कि चारुदत्त विवाहित हैं अदिती से और उनके पास कोई रोज़गार नहीं है, वसंतसेना उससे प्यार कर बैठती है, और उनका प्रेम संबंध शुरु हो जाता है। कहानी की नायिका वसंत सेना एक ऐतिहासिक चरित्र है


आगे क्या होता है, जानने के लिए पढ़िए - 'वसंतसेना'






फाइल का आकार: 700 Kb

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samir
11-09-2011, 12:22 AM
हमारे अमर नायक




हिंदी साहित्य में अनेक दुर्लभ ग्रंथो की रचना हुई है। इन पुस्तकों ने समाज को समय-समय पर राह दिखाई है। कुछ ऐसी ही महान पुस्तकों के नायकों का चरित्र चित्रण किया गया है पुस्तक 'हमारे अमर नायक' में।

पुस्तक में विभिन्न नायकों का चरित्र-चित्रण किया गया है जैसे रामायण में से राम , कादंबरी से चन्द्रपीड, रघुवंश से रघु इत्यादि।

पुस्तक पढने में रोचक और ज्ञानवर्धक है। अवश्य पढ़ें।



फाइलकाआकार: 4 Mb


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samir
11-09-2011, 12:24 AM
प्रेमचंद की मशहूर कहानियां

लिंक - http://ifile.it/1po2i69 (http://ifile.it/1po2i69)

samir
11-09-2011, 12:24 AM
मुंशी प्रेमचंद - निर्मला

लिंक - http://ifile.it/1aiusj0 (http://ifile.it/1aiusj0)

samir
11-09-2011, 12:25 AM
मुंशी प्रेमचंद - गोदान

लिंक - http://ifile.it/2rs9axd (http://ifile.it/2rs9axd)

मुंशी प्रेमचंद - पूस की रात

लिंक - http://ifile.it/xs3j6pk (http://ifile.it/xs3j6pk)

samir
11-09-2011, 12:25 AM
मुंशी प्रेमचंद - प्रेमचंद साहित्य

इस ज़िप फाइल में -

मानसरोवर
दो बैलों की कथा
लोटरी
सवा सेर गेहू
जुलूस
प्रेरणा
लाग डाट
और शतरंज के खिलाडी हैं

लिंक
http://ifile.it/5d426in (http://ifile.it/5d426in)

samir
11-09-2011, 12:25 AM
मुंशी प्रेमचंद - लैला

लिंक - http://ifile.it/cdtw1ho (http://ifile.it/cdtw1ho)

samir
11-09-2011, 12:26 AM
जयशंकर प्रसाद लिखित कामायनी

http://ifile.it/prtneb4 (http://ifile.it/prtneb4)

samir
11-09-2011, 12:26 AM
आजादी की लड़ाई और सुभाष बाबू (http://www.multiupload.com/DA3EH82VO5)
हिन्दू जाति का उत्थान और पतन (http://www.multiupload.com/RK28JG5D22)
हिंदी साहित्य का संक्षिप्त सुगम इतिहास (http://www.multiupload.com/R1IPYHVA39)
स्वामी विवेकानंद का मरणोत्तर जीवन (http://www.multiupload.com/3MIV9SFWL4)
छत्रपति शिवाजी (http://www.multiupload.com/6DXB38RPA6)
राजस्थान के वीर (http://www.multiupload.com/UA7NFYR9KX)
'खुदा की कसम' (भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय का चित्रण) (http://www.multiupload.com/RU5WZ6BHHL)
गोली (http://www.multiupload.com/LSDY9OR0X9)

samir
11-09-2011, 12:27 AM
'गीता-माता' महात्मा गाँधी की एक प्रसिद्ध पुस्तक है।

गांधी जी के अनुसार मानव जीवन ज्ञान, भक्ति और कर्म का समन्वय है और गीता इनसे संबंधित सभी समस्याओं का समाधान है। स्वाध्याय पूर्वक गीता का किया गया अध्ययन जीवन के गूढ़ रहस्य को उजागर करता है। गांधी जी ने गीता को शास्त्रों का दोहन माना। उन्होंने ‘गीता माता’ में श्लोकों की शब्दों के सरल अर्थ देते हुए टीका की है। गांधी जी का विश्वास था कि जो मनुष्य गीता का भक्त होता है, उसे कभी निराशा नहीं घेरती, वह हमेशा आनंद में रहता है।

भारत की धरती ने एक ऐसा महान मानव पैदा किया जिसने न केवल भारत की राजनीति का नक्शा बदल दिया अपितु विश्व को सत्य अहिंसा, शांति और प्रेम की उस अजेय शक्ति के दर्शन कराए जिसके लिए ईसा या गौतम बुद्ध का स्मरण किया जाता है। गाँधी जी का धर्म समूची मानव-जाती के लिए कल्याणकारी था। उन्होंने स्वयं को दरिद्र नारायण का प्रतिनिधि माना। गांधी जी का विश्वास था कि भारत का उत्थान गाँवों की उन्नति से ही होगा। उनके लिए सत्य से बढ़कर कोई धर्म और अहिंसा से बढ़कर कोई कर्त्तव्य नहीं था।



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samir
11-09-2011, 12:27 AM
'मेरे सपनो का भारत' महात्मा गाँधी की एक चर्चित पुस्तक है।

महात्मा गाँधी बीसवीं सदी के सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं; जिनकी अप्रत्यक्ष उपस्थिति उनकी मृत्यु के साठ वर्ष बाद भी पूरे देश पर देखी जा सकती है। उन्होंने भारत की कल्पना की और उसके लिए कठिन संघर्ष किया। स्वाधीनता से उनका अर्थ केवल ब्रिटिश राज से मुक्ति का नहीं था बल्कि वह गरीबी, निरक्षरता और अस्पृश्यता जैसी बुराइयों से मुक्ति का सपना देखते थे। वह चाहते थे कि देश के सारे नागरिक समान रूप से आज़ादी और समृद्धि का सुख पा सकें।

उनके बहुत-से परिवर्तनकारी विचार, जिन्हें उस समय, असंभव कह परे कर दिया गया था, आज न केवल स्वीकार किये जा रहे हैं बल्कि अपनाए भी जा रहे हैं। आज की पीढ़ी के सामने यह स्पष्ट हो रहा है कि गाँधीजी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उस समय थे। यह तथ्य है कि गाँधीगीरी आज के समय का मंत्र बन गया है। यह सिद्ध करता है कि गाँधीजी के विचार इक्कीसवीं सदी के लिए भी सार्थक और उपयोगी हैं। अवश्य पढ़ें।



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11-09-2011, 12:28 AM
'कबीर' आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की एक रचना है। इसमें कबीर के व्यक्तित्व, साहित्यिक और दार्शनिक विचारों का आलोचनात्मक अध्ययन किया गया है।

कबीर सन्त कवि और समाज सुधारक थे। ये सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर का अर्थ अरबी भाषा में महान होता है। कबीरदास भारत के भक्ति काव्य परंपरा के महानतम कवियों में से एक थे। भारत में धर्म, भाषा या संस्कृति किसी की भी चर्चा बिना कबीर की चर्चा के अधूरी ही रहेगी।



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11-09-2011, 12:28 AM
' मानवीय विद्युत के चमत्कार ' एक विज्ञान आधारित पुस्तक है। इसमें बताया गया है कि आदमी के शरीर में भी विद्युत धारा प्रवाहित रहती है लेकिन हम सही जानकारी और प्रशिक्षण के बिना इसका उपयोग नहीं कर पाते।

पुस्तक में अनेकों उदहारण दिए गए है। पुस्तक की भाषा सरल है। सभी पाठकों को ये पुस्तक अवश्य पढनी चाहिए। अत्यंत उपयोगी पुस्तक है।





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11-09-2011, 12:28 AM
राजस्थान के वीर




राजस्थान हमेशा से ही वीरों की करमभूमि रहा है। इस प्रदेश में एक से बढ़कर एक वीर पुरुष हुए है। इस पुस्तक में कुछ ऐसे ही वीरों की जीवन-गाथा दी गयी है जिनके शौर्य की कीर्ति आज भी अमर है।

पुस्तक में राणा संग, महाराणा प्रताप, गोरा-बादल, महाराणा कुम्भा, वीर दुर्गादास आदि की जीवन गाथा दी गयी है। जिन्हें पढ़कर आप रोमांचित हो उठेंगे।

अवश्य पढ़ें।


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samir
11-09-2011, 12:28 AM
पृथ्वी की अद्भुत रोग नाशक शक्तियां



'पृथ्वी की अद्भुत रोग नाशक शक्तियां' एक प्राकृतिक चिकित्सा पर आधारित पुस्तक है । इसमें लेखक ने वैज्ञानिक तर्कों के आधार पर ये बताया है कि मनुष्य अगर पृथ्वी के साथ ज्यादा से ज्यादा सम्पर्क में रहे तो उसकी स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी समस्याएं दूर हो सकती है।

अवश्य पढ़ें ।

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samir
11-09-2011, 12:29 AM
गुरु के १०८ नाम




गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपनै, गोबिंद दियो मिलाय।।
- कबीर

गुरु की महत्ता भला कौन नहीं जानता। 'गुरु के १०८ नाम' पुस्तक में गुरु के १०८ नाम हिंदी अर्थ सहित दिए गए है। छोटी सी लेकिन उपयोगी पुस्तक है।


अवश्य पढ़ें।


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samir
11-09-2011, 12:29 AM
अध्यात्म रामायण (हिंदी)




अध्यात्म रामायण को ही विश्व का प्रथम रामायण माना जाता है।भगवान श्री शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से विख्यात है।

सर्वप्रथम श्री राम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वती जी को सुनाया था। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ| कागभुशुण्डि को पूर्वजन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह राम कथा पूरी की पूरी याद थी। उन्होने यह कथा अपने शिष्यों सुनाया। इस प्रकार राम कथा का प्रचार प्रसार हुआ.

श्री वाल्मीकि महर्षि रचित गायत्री-रामायण, अद्भुत-रामायण, आनंद-रामायण आदि के समान अध्यात्म-रामायण किसी ऋषि द्वारा रची गई नहीं है, यही सब लोग कहते हैं। आध्यात्म रामायण अपनी काव्यशैली एवं अन्य विशेषताओं के कारण अन्य सभी रामायणों से भिन्न कोटि की मालूम पड़ती है। यद्यपि ऋषि-प्रोक्त रामायणों में श्रीराम को महाविष्णु का अवतार बताया गया है, पर उन्हें एक नीतिमान, धीरोदात्त राजा के रूप में ही चित्रित किया गया है। अध्यात्म-रामायण के रचयिता ने श्रीराम का ईश्वर के रूप में वर्णन करते हुए ही कथा आगे बढ़ाई है। इन भिन्नताओं को देखते हुए इस मत को स्वीकारना समीचीन लगता है कि अध्यात्म-रामायण ऋषि-प्रणीत नहीं है। पर इस ग्रंथ के रचयिता आखिर हैं कौन? इस संबंध में कोई भी विद्वान सूक्ष्मतापूर्ण मंतव्य व्यक्त नहीं करता।

अवश्य पढ़ें।


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samir
11-09-2011, 12:30 AM
श्री हरिनाम महामंत्र




'श्री हरिनाम महामंत्र' एक धार्मिक पुस्तक है । इसमें धार्मिक शिक्षा सारल भाषा में दी गयी है।



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samir
11-09-2011, 12:30 AM
आधुनिक हवाई अड्डे




'आधुनिक हवाई अड्डे' एक उपयोगी पुस्तक है । 240 पृष्ठों की इस पुस्तक में हवाई अड्डों के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गयी है तथा विश्व के आधुनिक हवाई अड्डों के बारे में भी बताया गया है ।


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11-09-2011, 12:30 AM
धरा पर जीवन - विज्ञान साहित्य




'धरा पर जीवन' पुस्तक में बताया गया है कि धरती पर जीवन का प्रारंभ कैसे हुआ। जीवन का वर्गीकरण कैसे हुआ। जैव विविधताएं, जैव श्रंखला क्या है इत्यादि ।
अवश्य पढ़ें

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samir
11-09-2011, 12:31 AM
'ध्यान से आत्म-चिकित्सा' पुस्तक में बताया गया है कि किस प्रकार ध्यान की सहायता से हम विभिन्न रोगों से छूटकारा पा सकते है .

महर्षि पतंजलि के योगसूत्र में ध्यान भी एक सोपान है।

चित्त को एकाग्र करके किसी एक वस्तु पर केन्द्रित कर देना ध्यान कहलाता है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि भगवान का ध्यान करते थे। ध्यान की अवस्था में ध्यान करने वाला अपने आसपास के वातावरण को तथा स्वयं को भी भूल जाता है। ध्यान करने से आत्मिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। जिस वस्तु को चित मे बांधा जाता है उस मे इस प्रकार से लगा दें कि बाह्य प्रभाव होने पर भी वह वहाँ से अन्यत्र न हट सके, उसे ध्यान कहते है।
ध्यान से लाभ
ऐसा पाया गया है कि ध्यान से बहुत से मेडिकल एवं मनोवैज्ञानिक लाभ होते हैं।
बेहतर स्वास्थ्य

शरीर की रोग-प्रतिरोधी शक्ति में वृद्धि
रक्तचाप में कमी
तनाव में कमी
स्मृति-क्षय में कमी (स्मरण शक्ति में वृद्धि)
वृद्ध होने की गति में कमी

उत्पादकता में वृद्धि

मन शान्त होने पर उत्पादक शक्ति बढती है; लेखन आदि रचनात्मक कार्यों में यह विशेष रूप से लागू होता है।

आत्मज्ञान की प्राप्ति

ध्यान से हमे अपने जीवन का उद्देश्य समझने में सहायता मिलती है। इसी तरह किसी कार्य का उद्देश्य एवं महत्ता का सही ज्ञान हो पाता है।

छोटी-छोटी बातें परेशान नहीं करतीं

मन की यही प्रकृति (आदत) है कि वह छोटी-छोटी अर्थहीन बातों को बडा करके गंभीर समस्यायों के रूप में बदल देता है। ध्यान से हम अर्थहीन बातों की समझ बढ जाती है; उनकी चिन्ता करना छोड देते हैं; सदा बडी तस्वीर देखने के अभ्यस्त हो जाते हैं।


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samir
11-09-2011, 12:32 AM
'उपनिषदों की भूमिका' पुस्तक में लेखक ने उपनिषदों के प्रभाव और आधार पर रोशनी डाली है .



उपनिषद: उपनिषद वेदों के अत्यन्त दार्शनिक भाग हैं।चूंकि ये वेदों के अंतिम भाग हैं इसीलि*ए इन्हे वेदों का सार भी कहा जा सकता है।
उपनिषद = उप + नि + षद ; जिसका अर्थ है पास बैठना ।
उपनिषदों को वेदान्त भी कहते हैं, जिसका अर्थ है वेदों का अंतिम भाग ।
दूसरा शब्द जो प्रयोग में आता है वह है - उत्तर मीमांसा, जिसका अर्थ है काल-क्रम में बाद की मीमांसा (इंक्*वायरी)
आज तक दो सौ से भी अधिक उपनिषद ज्ञात हैं। मुक्तिकोपनिषद में इनकी कुल संख्*या १०८ गि*नाई गई है। सभी उपनिषद किसी न किसी वेद से सम्बद्ध हैं। इनमें से १० ऋग्वेद से, १९ शुक्ल यजुर्वेद से, ३२ कृष्ण यजुर्वेद से, १६ सामवेद से और ३१ अथर्ववेद से सम्बद्ध हैं।
१०८ उपनिषदों में से प्रथम १० को मुख्य उपनिषद कहा जाता है; २१ उपनिषदों को सामान्य वेदांत , २३ उपनिषदों को सन्यास, ९ को शाक्त, १३ को वैष्णव , १४ को शैव तथा १७ उपनिषदों को योग उपनिषद की संज्ञा दी गयी है।
मुख्य उपनिषद निम्नलिखित हैं:

१. ईश - शुक्ल यजुर्वेद
२. केन - सामवेद
३. कथा - कृष्ण यजुर्वेद
४. प्रश्न - अथर्ववेद
५. मुण्डक - अथर्ववेद
६. मान्डूक्य - अथर्ववेद
७. तैत्रेय - कृष्ण यजुर्वेद
८. एत्रेय - ऋग्वेद
९. छान्दोग्य - सामवेद
१०. वृहदारण्यक - शुक्ल यजुर्वेद


उपनिषद को यह नाम इसलिए मिला है क्योंकि ये वेदों के ही हिस्से हैं। वेदों से ही प्रेरित इन उपनिषदों की रचना वेदव्यास के ही चार शिष्यों ने की है। मूलत: 108 उपनिषद माने जाते हैं। उपनिषद का अंग्रेजी में अर्थ है कॉलोनी। जैसे शहर के ही किसी एक हिस्से को कॉलोनी कहते हैं, वैसे ही उपनिषदों को भी वेदों का ही हिस्सा माना जाता है। वेदों के ही श्लोकों को कथानक के रूप में उपनिषदों में लिया जाता है।


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samir
11-09-2011, 12:32 AM
डाउनलोड करने के लिए बुक्स के नाम पर क्लिक कीजिये....

१- Feng Shui For Skeptics by Kartar Diamond (http://www.filestube.com/c113173108b6991c03ea/go.html)
२- Flying Star Feng Shui Made Easy Third Edition by David Twicken (http://www.filestube.com/f1069ae2e53ba62a03ea/go.html)
३- The Complete Idiot's Guide(R) to Feng Shui by Master Joseph Yu. (http://sapphirereiki.com/Downloads/thecompleteidiotsguidetofengshui.pdf)

samir
11-09-2011, 12:33 AM
क्वेटा का भूकंप




'क्वेटा का भूकंप' पुस्तक में लेखक ने सन १९३५ में क्वेटा शहर में आये भीषण भूकंप का वर्णन किया है.
क्वेटा आजकल बलोचिस्तान (पाकिस्तान) की राजधानी है।

सर्वाधिक सामान्य अर्थ में, किसी भी सीस्मिक घटना का वर्णन करने के लिए भूकंप शब्द का प्रयोग किया जाता है, एक प्राकृतिक घटना (phenomenon)या मनुष्यों के कारण हुई कोई घटना -जो सीस्मिक तरंगों (seismic wave) को उत्पन्न करती है.अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास , पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं.


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samir
11-09-2011, 12:33 AM
'अनामिका' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'




'अनामिका' 'निराला' जी का प्रतिनिधि काव्य-ग्रन्थ माना जाता है । हिन्दी साहित्य में 'सरोज स्मृति', 'राम की शक्ति पूजा' की टक्कर की कविताएँ अभी तक नहीं लिखी गई हैं ।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी १८९९ - १५ अक्तूबर १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। वे हिन्दी में मुक्तछंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं।


प्रमुख कृतियाँ
काव्यसंग्रह: अनामिका, परिमल, गीतिका, द्वितीय अनामिका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अणिमा, बेला, नये पत्ते, अर्चना, आराधना, गीत कुंज, सांध्य काकली, अपरा।
उपन्यास- अप्सरा, अलका, प्रभावती, निरुपमा, कुल्ली भाट, बिल्लेसुर बकरिहा।
कहानी संग्रह- लिली, चतुरी चमार, सुकुल की बीवी, सखी, देवी।
निबंध- रवीन्द्र कविता कानन, प्रबंध पद्म, प्रबंध प्रतिमा, चाबुक, चयन, संग्रह।
पुराण कथा- महाभारत
अनुवाद - आनंद मठ, विष वृक्ष, कृष्णकांत का वसीयतनामा, कपालकुंडला, दुर्गेश नन्दिनी, राज सिंह, राजरानी, देवी चौधरानी, युगलांगुल्य, चन्द्रशेखर, रजनी, श्री रामकृष्ण वचनामृत, भरत में विवेकानंद तथा राजयोग का बांग्ला से हिन्दी में अनुवाद .


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11-09-2011, 12:33 AM
'अक्षर-अक्षर' - पाश




'अक्षर-अक्षर' पुस्तक में पंजाबी के जनकवि अवतार सिंह 'पाश ' की सभी काव्य रचनाओं का संग्रह है.

जिंदगी भर इन्सानियत के कातिलो के विरुद्ध लड़ाई लड़ने वाले पंजाबी के जनकवि अवतार सिंह 'पाश ' को ३७ साल की उम्र में ही २३ मार्च १९८८ को धर्मांध दहशतों गर्दों ने गोलियां बरसाकर मार दिया था | शहीदे-आज़म भगत सिंह ने २३ मार्च १९३१ को फांसी चढ़कर इन्कलाब की जिस लौ को जलाया जनकवि अवतार सिंह 'पाश' उसे मशाल बनाकर जिये |

उनका जन्म ९ सितम्बर १९५० को ग्राम तलवंडी सलेम जिला जालंधर (पंजाब) में हुआ था | उन्होंने पहली कविता १५ वर्ष की आयु में लिखी | वे १९६७ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और १९६९ में नक्सलवादी आन्दोलन से जुड़े | १९८५ में वे अमेरिका चले गए वहाँ एंटी -४७(१९८६-८८) का संपादन करते हुए खालिस्तानी आन्दोलन के विरुद्ध सशक्त प्रचार किया |

अवतार सिंह 'पाश' द्वारा लिखित कुल १२५ कविताये उपलब्ध है | जो उनके चार कविता संग्रहों लौहकथा (१९७०), उडडदे बजान मगर (१९७४), साडे समियां विच (१९७८), लडांगे साथी(१९८८) में संगृहीत हैं |
पंजाबी भाषा के कवि 'पाश' को उनकी म्रत्यु के बाद अन्य भाषा भाषियों ने भी बखूबी पहचाना| 'पाश' की कविता की धार निराला, नागार्जुन और गोरख पाण्डेय की याद ताज़ा कर देती है | 'पाश' एक ऐसा जन कवि था जिसने केवल शब्दों का बडबोलापन ही नहीं दिखाया बल्कि व्यवस्था के खिलाफ लगातार लड़ाई भी लड़ी | वे कई बार जेल गए और पुलिस की यातना सही | उनका कहना था -
हम झूठ मूठ का कुछ भी नहीं चाहते
और हम सब कुछ सचमुच देखना चाहते है
जिन्दगी, समाजवाद या कुछ ओर |

जनकवि 'पाश' के लिए देशभक्ति अपने देश की जनता कि मोहब्बत में, उसके दुःखदर्द में बसती है |तभी तो वे कहते हैं -

मुझे देश द्रोही भी कहा जा सकता है
लेकिन मैं सच कहता हूँ यह देश अभी मेरा नहीं है
यहाँ के जवानों या किसानों का नहीं है
यह तो केवल कुछ 'आदमियों' का है
ओर हम अभी आदमी नहीं हैं ,बड़े निरीह पशु हैं |
हमारे जिस्म में जोंकों ने नहीं पालतू मगरमच्छों ने दांत गड़ाएं हैं
उठो,
अपने घरों के धुओं उठो |
उठो काम करने वाले मजदूरों उठो |
खेमो पर लाल झंडे लगाकर बैठने से कुछ न होगा
इन्हें अपने रक्त की रंगत दो |

बगावत की ऐसी आवाज शायद ही किसी कवि ने बुलंद की हो | 'पाश' के तेवर तानाशाही निजाम के साथ-साथ धर्मांध दहशतगर्दों के खिलाफ भी उसी हौसलें से लोहा लेते रहे | उन्होंने धर्मगुरुओं को चुनौती देते हुए कहा -
किसी भी धर्म का कोई ग्रन्थ
मेरे जख्मी होठों की चुप से अधिक पवित्र नहीं है |




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samir
11-09-2011, 12:33 AM
मेरा जीवन तथा ध्येय - स्वामी विवेकानंद




'मेरा जीवन तथा ध्येय' स्वामी विवेकानंद की लिखी हुई एक चर्चित पुस्तक है।

‘मेरा जीवन तथा ध्येय’ नामक यह भाषण स्वामी विवेकानन्द ने 27 जनवरी 1900 ई. में पासाडेना कैलिफोर्निया के सेक्सपियर क्लब के समक्ष दिया था। इसमें भारत के दुखी मानवों की वेदना विहृल उस महात्मा के हृदय का बोलता हुआ चित्र है। इसमें प्रस्तुत है उसका उपचार जिसके आधार पर वे मातृभूमि को पुनः अतीत यश पर ले जाना चाहते है। यही एकमात्र ऐसा अवसर था, जब उन्होंने जनता के समक्ष अपने जी की जलन रखी, अपने आन्तरिक संघर्ष और वेदना को उघाड़ा।

हमें आशा है, इस पुस्तक से जनता का अवश्य लाभ होगा।


स्वामी विवेकानन्द (१२ जनवरी,१८६३- ४ जुलाई,१९०२) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासम्मेलन में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का वेदान्त अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। रामकृष्ण जी बचपन से ही एक पहुँचे हुए सिद्ध पुरुष थे। स्वामीजी ने कहा था की जो व्यक्ति पवित्र ढँग से जीवन निर्वाह करता है उसी के लिये अच्छी एकाग्रता प्राप्त करना सम्भव है!



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samir
11-09-2011, 12:34 AM
सादत हसन मन्टो की पुस्तक " तोबा टेक सिंह "
http://www.ziddu.com/download/163319...a.com.rtf.html (http://www.ziddu.com/download/16331909/kSinghHindibySadatHasanMantowww.**********.com.rtf .html)

samir
11-09-2011, 12:34 AM
चैतन्य महाप्रभु की कहानी




हिंदी ई बुक्स में आज पेश है पुस्तक - चैतन्य महाप्रभु ।

इस पुस्तक में चैतन्य महाप्रभु के बारे में जानकारी दी गयी है तथा इनके जीवन की घटनाओं के बारे में भी बताया गया है तथा इनके भगवान का अवतार होने के प्रमाण भी दिए गए है ।

चैतन्य महाप्रभु {१८ फरवरी, १४८६-१५३४) वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी, भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनैतिक अस्थिरता के दिनों में हिंदू-मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊंच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त वृंदावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत तक में है। यह भी कहा जाता है, कि यदि गौरांग ना होते तो वृंदावन आज तक एक मिथक ही होता। वैष्णव लोग तो इन्हें श्रीकृष्ण का राधा रानी के संयोग का अवतार मानते हैं।



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abhisays
15-09-2011, 01:07 AM
बहुत ही बढ़िया collection है समीर जी.

sanjivkumar
20-10-2011, 11:26 PM
1. देवदास उपन्यास


1917 में लिखा गया यह उपन्यास शरत चंद्र की कलम से निकला हुआ एक महान उपन्यास है । प्रेम और त्याग की भावना के प्रतीक इस उपन्यास की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस उपन्यास पर अब तक तीन फिल्में बन चुकी है।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:26 PM
2. हरिवंश राय बच्चन की कवितायेँ

इस पुस्तक में हरिवंश राय बच्चन की चुनी हुई कवितायेँ दी गई है।





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sanjivkumar
20-10-2011, 11:27 PM
3. महादेवी वर्मा की कवितायेँ

महादेवी वर्मा को छायावाद के चार सतम्भो में गिना जाता है । उनकी मशहूर रचनाओं में अतीत के चलचित्र , समृति की रेखाएं मुख्य है, वहीं काव्य संग्रहों में निहार, रश्मि, नीरजा एवं संध्या गीत मुख्य है।



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sanjivkumar
20-10-2011, 11:27 PM
4. सुभद्रा कुमारी चौहान की कवितायेँ

भला कौनसा भारतवासी होगा जिसने झाँसी की रानी कविता नही सुनी होगी !
एक ऐसी कविता जिसे सुनकर एक सच्चे हिन्दुस्तानी का खून आज भी खौल उठता है। जो आज भी रगों में जोश भर देती है।
ये कविता सुभद्रा जी की कलम से ही निकल सकती थी।

ऐसी ही कई कविताओं का संग्रह है ये पुस्तिका।



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sanjivkumar
20-10-2011, 11:27 PM
5. आनंदमठ उपन्यास:
सन १८८२ में प्रकाशित बंकिम चंद्र चटोपाध्याय द्वारा लिखित यह उपन्यास भारतीय इतिहास के उन दुर्लभ दस्तावेजोंमें से एक है जिन्होंने समाज को एक नई दिशा देने का काम किया। इस उपन्यास को सन्यासी आन्दोलन और बंगाल अकाल की छाया में लिखा गया है।

भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम इसी उपन्यास से लिया गया है।

यह पुस्तक हर भारतीय को जरूर पढ़नी चाहिए ।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:27 PM
6. सचित्र हसतरेखा शास्त्र

मनुष्य में सदा से ही अपने भाग्य को जानने की इच्छा रही है और हसतरेखा इसका एक अच्छा माध्यम है । ह्सतरेखा विज्ञानं प्राचीन काल से ही भारत में लोकप्रिय है । भारत ही इसका जन्मदाता है । यहाँ तक कि विश्व प्रसिद हसतरेखा विशेषज्ञ कीरो ने भी इस ज्ञान को भारत में ही आकर सीखा था ।
किसी भी व्यक्ति के हाथ को देखकर उसके जीवन की कमियों का पता लगाया जा सकता है और उनको दूर भी किया जा सकता है। यदि समय रहते समस्या पता लग जाए तो उसका समाधान भी आसन हो जाता है।

अत्यन्त सरल भाषा में लिखी हुई २०० पन्नों की प्रस्तुत पुस्तक जिज्ञासु पाठको को अवश्य पसंद आयेगी ।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:27 PM
7. सरल अंक शास्त्र (Numerology Book in Hindi)

अंक विधा से अपना भविष्य जानिए।

संसार का प्रारम्भ अंक से ही हुआ है । इसलिए अंक का बड़ा महत्व है। अंक के बिना किसी भी कार्य का शुभारम्भ सम्भव नही है।
जो व्यक्ति अंको के रहस्य को जान लेता है, वो हमेशा सुखी जीवन बिताता है। ज्योतिष एवं अंक विज्ञानं में रूचि रखने वालो को ये पुस्तक अवश्य पसंद आयेगी।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:28 PM
8. अंधायुग - धरमवीर भारती

अंधायुग धरमवीर भारती की एक प्रसिद रचना है। महाभारत की १८ वीं संध्या से लेकर कृष्ण की मृत्यु के समय तक की ये गाथा अपने आप में एक एतिहासिक धरोहर है।

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20-10-2011, 11:28 PM
9. कनुप्रिया - धरमवीर भारती ( Kanupriya by Dharamveer Bharti )

कनुप्रिया भी धरमवीर भारती की एक अमर कृति है। इसे भी हर हिन्दी साहित्य प्रेमी को अवश्य पढ़ना चाहिए।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:28 PM
10. कुरुक्षेत्र - रामधारी सिंह दिनकर
(kurukshetra by ramdhari singh dinker)

साहित्य अकादमी पुरस्कार और पदम् भूषण से सम्मानित रामधारी सिंह दिनकर भारत के राष्ट्रकवि कहलाते थे ।
उनके साहित्य में वीर रस की प्रधानता है। आजादी से पहले उन्होंने देशभक्ति की भावनाओ से परिपूरन रचनायें लिखी। उनके प्रस्तुत महाकाव्य कुरुक्षेत्र में महाभारत के शान्ति पर्व का उल्लेख है।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:29 PM
11. सांझ - जगदीश गुप्त ( saanjh by jagdeesh gupt)
आधुनिक हिन्दी कविता में डाक्टर जगदीश गुप्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म १९२४ में शाहाबाद हरदोई में हुआ।आपने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम।ए।, डी।फिल। की उपाधि प्राप्त की। आपको मैथिली शरण गुप्त सम्मान तथा श्री नारायण चतुर्वेदी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। आपने पचास से अधिक पुस्तकों का लेखन-संपादन किया है।
आपका प्रबंध काव्य सांझ है ।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:29 PM
12. ABCD उपन्यास - रविंदर कालिया


ABCD उपन्यास रविंदर कालिया द्वारा लिखित एक बेहतरीन उपन्यास है. इसमे पारिवारिक रिश्तों के ताने -बाने को बुना गया है. एक बार पढ़कर अवश्य देखें.

size: 534 kb

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:29 PM
14. गुलज़ार की त्रिवेणिया (Gulzar ki Triveniyan)

गुलज़ार साहब को कौन नही जानता। उनका अपना ही एक अंदाज़ है। देखिये-

सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की
मुस्कराए भी, पुरानी किसी पहचान की खातिर

कल का अखबार था, बस देख भी लिया, रख भी दिया।


कुछ ऐसी ही त्रिवेणियों का संकलन है ये पुस्तक।


size: 175 kb

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:30 PM
15. नीहार (महादेवी वर्मा का प्रसिद काव्य संग्रह)
महादेवी वर्मा हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। 1919 में इलाहाबाद में क्रास्थवेट कालेज से शिक्षा का प्रारंभ करते हुए उन्होंने 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम ए की उपाधि प्राप्त की।
1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिये 'पद्म भूषण' की उपाधि से अलंकृत किया। 'यामा' नामक काव्य संकलन के लिये उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त हुआ।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:30 PM
16. प्रेरक जीवन : ईश्वरचंद्र विद्यासागर


भला ईश्वरचंद्र विद्यासागर को कौन नही जानता ? उनके बहुत सारे प्रेरक प्रसंग आपने भी पढ़े होंगे। वे सही मायने में एक महापुरुष थे। उनकी उदारता के किस्से बहुत मशहूर है। उन्होंने समाज हित में बहुत काम किए। उनके जीवन की बहुत सी घटनाओ का रोचक वर्णन इस छोटी सी पुस्तक में किया गया है।

यह पुस्तक हर किसी के पढने लायक है। यह पुस्तक पढने में इतनी रोचक हैकि आप एक बार शुरू करने के बाद इसे खत्म करके ही दम लेंगे ।


साइज़: 3.5 mb
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sanjivkumar
20-10-2011, 11:30 PM
17. कटोरा भर खून - देवकीनंदन खत्री (उपन्यास)
KatorabharKhoon (ANovelbyDevkinandankhatri )

चंद्रकांता उपन्यास से देश-विदेश में प्रसिदी प्राप्त करने वाले देवकीनंदन खत्री का उपन्यास है - कटोरा भर खून।
(कृपया चंद्रकांता डाउनलोड करने के लिए हमारी पिछली पोस्टें देखें)

कटोरा भर खून -
जिसके लिए एक बाप अपनी बेटी का कत्ल करने को तैयार हो गया।

कटोरा भर खून -
जिसके लिए जाने कितने षडयंत्र रचे गए।

कटोरा भर खून -
जिसने कई जिंदगियां तबाह कर दी।

आख़िर क्या था इसका सच ?

जानने के लिए पढिये :

कटोराभरखून


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:30 PM
18. 50 कहानियाँ (कहानी संग्रह ) - विनोद शंकर व्यास


जयशंकर प्रसाद के शिष्य रहे प्रसिद कहानी लेखक विनोदशंकर व्यास की लगभग सभी कहानिया इस संग्रह में शामिल है। ३०० पन्नो की इस पुस्तक में उनकी पचास कहानियाँ दी हुई है। सभी कहानियाँ पढने में रोचक है।
उम्मीद है इससे पाठकों का मनोरंजन होगा।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:31 PM
19. हिन्दी की आदर्श कहानियाँ (नया कहानी संग्रह ) संपादक - प्रेमचंद


इस कहानी संग्रह में हिन्दी भाषा की १२ महान कहानियों का संग्रह है . ये कहानियाँ विभिन्न प्रसिद्ध लेखकों की है जैसे कि - जयशंकर प्रसाद , जैनेन्द्र, चतुरसेन शास्त्री , विशम्भरनाथ शर्मा "कौशिक" इत्यादि। इन कहानियों में प्रमुख है-

राजपूतनी का प्रायश्चित
विद्रोही
ब्याह
पछतावा
फूटा शीशा इत्यादि

यह पुस्तक बार-बार पढने लायक है.

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:31 PM
20. पंजाब की प्रेम कहानियाँ (punjab ki prem kahaniyan)

1. हीर-राँझा
2. सोहनी- महिवाल
3. मिर्जा- साहिबां
4. दुल्ला-भट्टी
5. ससि-पुन्नू


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:32 PM
21. घाघ और भड्डरी की कहावतें

आपने चाणक्य नीति तो पढ़ी होगी। इस पुस्तक में उसी की तरह नीति सम्बन्धी कहावतें दी गई है। कुछ कहावतें कृषि से भी सम्बंधित है. सभी का हिन्दी में अनुवाद किया गया है।
ये सभी कहावतें उत्तर भारत में खूब प्रचलित है। ये कहावतें ज्ञान से भरपूर है। ये इंसान को जीवन में सफलता प्राप्त करने में बहुत सहयोग करती है।

उदहारणदेखिये:


जो उधार लेकर कर्ज देता है, जो छप्पर के घर में में ताला लगता है और जो साले के साथ बहिन को भेजता है , घाघ कहते है कि इन तीनो का मुंह काला होता है।

या

हंसकर बात करने वाला ठाकुर(कोतवाल) और खांसने वाला चोर, घाघ कहते है कि इन ससुरो को गहरे पानी में डुबो देना चाहिए।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:33 PM
प्रसिद हिन्दी कहानियाँ (best hindi stories of Various Writers )

इस पुस्तक में हिन्दी के प्रसिद लेखकों की कहानियों का संग्रह है। कुल २७ कहानियाँ इस पुस्तक में है।
हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ कहानी माने जाने वाली कहानी चंद्रधर शर्मा गुलेरी की "उसने कहा था " से लेकर सहादत हसन मंटो की कहानी "टोबाटेक सिंह " तक और जयशंकर प्रसाद की " आकाशदीप" से लेकर इंशा अल्ला खां द्वारा रचित "रानी केतकी की कहानी " भी इस संग्रह में है।
उम्मीद है आपको ये संग्रह पसंद आयेगा।

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ndhebar
20-10-2011, 11:34 PM
14. गुलज़ार की त्रिवेणिया (gulzar ki triveniyan)

गुलज़ार साहब को कौन नही जानता। उनका अपना ही एक अंदाज़ है। देखिये-

सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की
मुस्कराए भी, पुरानी किसी पहचान की खातिर

कल का अखबार था, बस देख भी लिया, रख भी दिया।


कुछ ऐसी ही त्रिवेणियों का संकलन है ये पुस्तक।


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गुलजार साहब की रचनाए मेरी पसंदीदा है
बहुत बहुत धन्यवाद संजीव जी

sanjivkumar
20-10-2011, 11:34 PM
टोपी शुक्ला - उपन्यास(राही मासूम रज़ा )

"यह कहानी समय की है. इस कहानी का हीरो भी समय है। समय के सिवा कोई इस लायक नही होता कि उसे किसी कहानी का हीरो बनाया जायें।

इस उपन्यास में एक भी गाली नही है। परन्तु शायद यह पूरा उपन्यास एक गाली है। और मैं यह गाली डंके की चोट बक रहा हूँ। यह उपन्यास अश्लील है - जीवन की तरह। "
- राही मासूम रज़ा



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sanjivkumar
20-10-2011, 11:34 PM
बड़ी दीदी - उपन्यास (शरत चंद्र)
BadiDidi - A Novel by Sharat Chandra Chattopadhyay


http://www.picscrazy.com/thumb/1596badididi.jpg (http://www.picscrazy.com/view/1596badididi)

ये शरत चंद्र का एक महान और दुर्लभ उपन्यास है।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:35 PM
बिराज बहू - उपन्यास (शरत चंद्र)
Biraaj bahu - A Novel By Sharat Chandra

बिराज बहू शरत चंद्र का एक बहुत ही मार्मिक उपन्यास है। इसमे मानवीय भावनाओ को बहुत ही प्रभावी ढंग से उकेरा गया है। अवश्य पढ़ें।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:35 PM
चेहरा देखकर भविष्य बताएं (Face Reading Book in Hindi )

इसे पढ़कर आप किसी भी व्यक्ति का चेहरा देखकर उसका भविष्य बता सकतें है । पुस्तक बहुत ही सरल भाषा में लिखी गई है। बहुत से चित्र भी दिए गए है। पढ़कर अवश्य लाभ उठाएं।

साइज़: 900 kb
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sanjivkumar
20-10-2011, 11:35 PM
चंद्रकांता उपन्यास (Chandrakanta Novel By Devki Nandan Khatri)

चंद्रकांता उपन्यास को पढने के लिए हजारों लोगो ने हिन्दी सीखी थी। इस पर एक लोकप्रिय टीवी सीरियल भी बना था। पेश है आप लोगो की सेवा में मेरी ये भेंट:


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:35 PM
खलील जिब्रान की श्रेष्ठ कहानियाँ (कहानी-संग्रह)

इस पुस्तक में प्रसिद लेखक खलील जिब्रान की श्रेष्ठ कहानियाँ दी हुई है । खलील जिब्रान की कहानियाँ पढने में बहुत ही मजेदार और भाषा बिल्कुल सरल होती है। सभी कहानियाँ दिल को छूने वाली है।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:36 PM
सेवासदन - उपन्यास (प्रेमचंद) Sevasadan - Novel by Premchand

यह प्रेमचंद का प्रसिद्ध उपन्यास है। पढने में रोचक और उच्चकोटि का उपन्यास है.

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:36 PM
मैंने कहा... (हास्य-व्यंग्य)

यह पुस्तक प्रसिद्ध लेखक श्री विनोदशंकर व्यास के चुने हुए हास्य-व्यंग्य लेखों का संग्रह है। पढने में बहुत ही मनोरंजक है। आशा है, आपको पसंद आयेगी।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:36 PM
12 घंटे - उपन्यास (यशपाल)

यशपाल हिन्दी साहित्य में एक जाना पहचाना नाम है। वे स्वतंत्रता सेनानी रहे। बहुत साल जेल में गुजारे . उनकी शादी भी जेल में हुई। शायद यह भारत की पहली शादी थी जो जेल में हुई।
जेल में ही उन्होंने अपना बहुत सा साहित्य रचा। जेल से बाहर आकर उन्होंने 'विप्लव' पत्रिका शुरू की।

१२ घंटे उनका एक यादगार उपन्यास है।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:37 PM
आग और धुआं - उपन्यास(आचार्य चतुरसेन)

आचार्य चतुरसेन हिन्दी के जाने-माने साहित्यकार रहे है। उन्होंने बहुत से ऐतिहासिक उपन्यास एवं कहानियाँ लिखी।
प्रस्तुत उपन्यास भी एक बहुत प्रसिद्ध उपन्यास है । एक बार अवश्य पढ़े।

उनके अन्य प्रसिद्ध उपन्यास है:

वैशाली की नगरवधू
गोली
सोना और ख़ून
धर्मपुत्र आदि


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:37 PM
लज्जा - उपन्यास (तसलीमा नसरीन)

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:37 PM
दुर्गेश-नंदिनी -उपन्यास ( बंकिम चंद्र )

दुर्गेश-नंदिनी बंकिम चंद्र का एक रोमांटिक उपन्यास है। यह उनकी पहली प्रकाशित रचना भी मानी जाती है।
यह उपन्यास काफी प्रसिद्ध हुआ था।



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sanjivkumar
20-10-2011, 11:38 PM
विश्वासघात - उपन्यास (गुरुदत्त)

यह गुरुदत्त का एक महान उपन्यास है।

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______________________________

sanjivkumar
20-10-2011, 11:39 PM
देवांगना - उपन्यास (आचार्य चतुरसेन)
आचार्य चतुरसेन के उपन्यास रोचक एवं दिल को छूने वाले होते है।
देवांगना भी एक ऐसा ही उपन्यास है।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:39 PM
संकल्प - उपन्यास (देवीदयाल चतुर्वेदी)

संकल्प देवीदयाल चतुर्वेदी का एक प्रसिद्ध उपन्यास है। अवश्य पढ़ें।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:39 PM
तब की बात और थी - हास्य व्यंग्य (हरिशंकर परसाई)


तब की बात और थी में परसाई जी के चुने हुए दिल को गुदगुदाने वाले हास्य व्यंग्य लेख दिए हुए है।
अवश्य पढ़े।


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sanjivkumar
20-10-2011, 11:40 PM
प्रेमकांता संतति - उपन्यास (शम्भूप्रसाद उपाध्याय)

चंद्रकांता उपन्यास की लोकप्रियता के बाद ऐयारी और तिलिस्म पर आधारित कई उपन्यास लिखे गए। इनमे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ था- शम्भूप्रसाद उपाध्याय द्वारा लिखित प्रेमकांता और प्रेमकांता संतति।
इस उपन्यास को कुल ५ भागों में बांटा गया है ।

डाउनलोडलिंक:

पहलाभाग
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दूसराभाग
http://rapidshare.com/files/267890744/premkanta2.pdf (http://rapidshare.com/files/267890744/premkanta2.pdf)

तीसराभाग
http://rapidshare.com/files/267894953/premkanta3.pdf (http://rapidshare.com/files/267894953/premkanta3.pdf)

चौथाभाग
http://rapidshare.com/files/267899922/premkanta4.pdf (http://rapidshare.com/files/267899922/premkanta4.pdf)

पांचवाभाग
http://rapidshare.com/files/267908807/premkanta5.pdf (http://rapidshare.com/files/267908807/premkanta5.pdf)

sanjivkumar
20-10-2011, 11:40 PM
परिणीता - उपन्यास (शरत चंद्र)

परिणीता शरत चंद्र का एक मशहूर उपन्यास है। इस पर हिन्दी फ़िल्म भी बन चुकी है। पुस्तक में भारतीय समाज में नारी की स्थिति का वर्णन किया गया है।अत्यन्त मार्मिक और रोचक उपन्यास है।



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sanjivkumar
20-10-2011, 11:40 PM
मंझली बहन - उपन्यास (शरत चंद्र)

मंझली बहन शरत चंद्र का एक रोचक और मार्मिक उपन्यास है। उपन्यास में बताया गया है कि एक नारी चाहे तो किसी गैर को भी अपना सकती है और चाहे तो किसी अपने को भी पराये जैसा बना सकती है,



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यहाँ क्लिक करें (http://rapidshare.com/files/268032646/Manjhli_Bahan.pdf)
______________________________

sanjivkumar
20-10-2011, 11:41 PM
दायरे - उपन्यास (गुरुदत्त)

महान लेखक गुरुदत्त का यह एक महान उपन्यास है। अवश्य पढ़ें।

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sanjivkumar
20-10-2011, 11:41 PM
उड़ते पत्ते - उपन्यास (देवीदयाल चतुर्वेदी)

उड़ते पत्ते उपन्यास श्री देवीदयाल चतुर्वेदी का ११ वां मौलिक उपन्यास है। इनके उपन्यास काफ़ी रोचक होते है।


(http://rapidshare.com/files/255210765/Udte_Patte.pdf)

Dark Saint Alaick
21-10-2011, 01:00 AM
वाह समीर भाई ! इसी को कहते हैं दूसरे के खेत में फसल लहलहा देना ! आपके परिश्रम के लिए भी यही- बन्धु संजीव ! :bravo:

madhav_man
19-05-2013, 08:39 AM
Please post more hindi books... very good effort...

chhotemia
20-12-2013, 05:39 PM
many of the hosts are gone. can posters please reupload the books on some other server?

prakash528500
15-02-2014, 05:54 PM
some books not found only listed

AKS_KU12
08-10-2018, 05:36 PM
विश्वासघात - उपन्यास (गुरुदत्त)




विश्वासघात गुरुदत्त का एक महान उपन्यास है।
युवावस्था से ही राजनीतिज्ञों से सम्पर्क, क्रान्तिकारियों से समीप का संबंध तथा इतिहास का गहन अध्ययन-इन सब की पृष्ठभूमि पर ‘‘सदा वत्सले मातृभूमे’’ श्रृंखला में चार राजनीतिक अत्यन्त रोमांचकारी एवं लोमहर्षक उपन्यास श्री गुरुदत्त ने हिन्दी जगत् को दिये है-
1.विश्वासघात
2.देश की हत्या
3.दासता के नये रूप
4. सदा वत्सले मातृभूमे !
समाचार पत्र, लेख, नेताओं के वक्तव्यों के आधार पर उपन्यास की रचना की गई है ! उपन्यासों के पात्र राजनीतिक नेता तथा घटनाएं वास्तविक हैं।

अवश्य पढ़ें।

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