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View Full Version : प्यारे नबी की प्यारी सुन्नतेँ और प्यारी बì


khalid
03-05-2011, 07:40 AM
मैँ नया सुत्र बना रहा हुँ प्यारे नबी की प्यारी सुन्नते दोस्तोँ सुन्नत वो होता हैँ जो हम सब के प्यारे नबी मुहम्मद साहब करते थे

नोट - कृप्या इस सुत्र मेँ सवाल जवाब ना करे

khalid
03-05-2011, 07:45 AM
सो कर उठने की सुन्नतेँ
सुबह जब आँख खुले तो तीन बार अलहम्दो लिल्लाह पढ़े फिर कलमा तय्यबा पढ़े

khalid
03-05-2011, 07:47 AM
सुबह उठ कर मिसवाक करेँ

khalid
03-05-2011, 07:53 AM
जब सुबह उठकर पहले कपड़े बदलेँ तो पहले सीधा पाँव ड़ाले फिर उल्टा पाँव ड़ाले इसी तरह कमीज पहनते वक्त पहले सीधा हाथ ड़ालेँ यह तरीका जुता पहनने का हैँ हाँ जब कपड़े उतारने हो तो पहले बायाँ हाथ बाहर निकालेँ यही तरीका जूते उतारते वक्त अपनाऐँ

amit_tiwari
03-05-2011, 07:56 AM
सुबह उठ कर मिसवाक करेँ

खालिद भाई मिस्वाक शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?? :help:

khalid
03-05-2011, 07:57 AM
बाहर से आने वाला शख्स जब घर आए और कुछ लोगोँ को सोता पाए तो इस तरह सलाम करे कि जागने वाला सुन ले और सोने वाले की नीन्द खराब न हो

khalid
03-05-2011, 07:58 AM
खालिद भाई मिस्वाक शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?? :help:

दातुन ....

khalid
03-05-2011, 08:01 AM
पानी पीने की सुन्नतेँ
दाऐँ हाथ से पीना क्योँ कि बाऐँ हाथ से शैतान पीता हैँ बैठ कर पीना

khalid
03-05-2011, 08:04 AM
बिस्मिल्लाह कह कर पानी पीना और पीने के बाद अलहमदो लिल्लाह पढ़ना

khalid
03-05-2011, 08:07 AM
तीन साँस मेँ पानी पीना हर साँस पर बर्तन मुँह से अलग करना

khalid
03-05-2011, 08:09 AM
पानी के बर्तन मेँ देख कर पीना

khalid
03-05-2011, 08:11 AM
पानी पीकर अगर दूसरोँ को देना हैँ तो पहले दाहिने वाले को देना

khalid
03-05-2011, 09:42 AM
सोते वक्त की सुन्नतेँ
बा वुजू होकर सोना सुन्नत हैँ

khalid
03-05-2011, 09:44 AM
बिस्तर पर लेटते वक्त उसे तीन बार झाड़ेँ

khalid
03-05-2011, 09:46 AM
सोने से पहले दूसरे कपड़े तब्दील करना

khalid
03-05-2011, 09:51 AM
सोने से पहले बिस्मिल्लाह कहते हुए यह काम करे
दरवाजा बंद करेँ
बत्ती बंद करे
बर्तन ढ़क देँ

khalid
03-05-2011, 09:55 AM
सोते वक्त हर आँख मेँ तीन तीन सलाई सुर्मा लगाना औरत मर्द के लिए मसनुन हैँ

khalid
03-05-2011, 09:58 AM
सोने का इरादा हो तो कुरआन शरीफ की आयतेँ और सूरते पढ़ना सुन्नत हैँ

khalid
03-05-2011, 10:01 AM
नाखुन काटने की सुन्नते
दाहिने हाथ की शहादत वाली उँगली से नाखुन काटना शुरु करेँ और छोटी उँगली तक जाऐँ आखिर मेँ दाऐँ हाथ के अँगुठे का नाखुन काटेँ

khalid
03-05-2011, 10:07 AM
लिबास की सुन्नतेँ
नबी करीम सल्लाह व सल्लम को सफेद रंग पसन्द था

khalid
03-05-2011, 10:08 AM
लिबास से बेहयाई न जाहिर होती हो

khalid
03-05-2011, 10:10 AM
औरत का तमाम जिस्म ढ़का होना चाहिए

khalid
03-05-2011, 10:12 AM
लिबास मोटे कपड़े का हो

khalid
03-05-2011, 10:14 AM
खाना खाने की सुन्नतेँ
दस्तर खान बिछाना

khalid
03-05-2011, 10:15 AM
दोनोँ हाथ गट्टोँ तक धोना

khalid
03-05-2011, 10:20 AM
बलन्द आवाज से बिस्मिल्लाह पढ़ना

sagar -
03-05-2011, 07:14 PM
बहुत ही ज्ञानवर्धक सूत्र बनाया हे खालिद भाई सोरी + रेप नही जा रहा आप को

khalid
04-05-2011, 01:32 AM
बहुत ही ज्ञानवर्धक सूत्र बनाया हे खालिद भाई सोरी + रेप नही जा रहा आप को

हार्दिक आभार सागर भाई
कोई बात नहीँ रेप से बढ़करा आप का प्यार हैँ मेरे लिए

khalid
06-05-2011, 01:46 PM
सीधे हाथ से खाना खाना

khalid
06-05-2011, 01:48 PM
खाने की मजलिस मेँ जो सब से बुजुर्ग हो उस से खाना शुरु कराना

khalid
06-05-2011, 01:50 PM
खाना अपने आगे से खाना

khalid
06-05-2011, 01:52 PM
टेक लगाकर न खाना

khalid
06-05-2011, 01:54 PM
खाने मेँ कोई ऐब न निकालना

khalid
06-05-2011, 01:56 PM
जूते उतार कर खाना

khalid
06-05-2011, 01:58 PM
खाने के वक्त एक घूटना खड़ा और दूसरा बिछाकर बैठना

khalid
06-05-2011, 02:01 PM
खाने के बाद बर्तन या प्याले वगैरह को साफ करने से बर्तन दुआ देता हैँ

khalid
06-05-2011, 02:02 PM
खाने के बाद अल्लाह का शुक्र अदा करना

khalid
06-05-2011, 02:04 PM
खाने के बाद कुल्ली करना

anoop
05-12-2011, 08:35 PM
सो कर उठने की सुन्नतेँ
सुबह जब आँख खुले तो तीन बार अलहम्दो लिल्लाह पढ़े फिर कलमा तय्यबा पढ़े

खालिद भाई, बहुत ही सही और जानकारी से भरा सुत्र है यह। ऐसा सुत्र बनाने के लिए आपका शुक्रिया। क्या आप मुझे बता सकते हैं कि "अलहम्दो लिल्लाह" और "कलमा तय्यबा" क्या है? अगर साथ में हिन्दी अनुवाद हो तो और भी अच्छा लगेगा। वैसे मैं अनुमान लगा सकता हूँ कि यह कोई प्रार्थना जैसी चीज है। क्या मैं ठीक अनुमान लगा रहा हूँ?

tanveerraja
18-12-2011, 03:12 PM
पैग़म्बर का तरीक़ा

इमाम मुस्लिम अपनी सहीह में कहते हैं कि मुझसे इब्ने अबी उमर ने कहा‚ उन से मर्वान फ़ज़ारी ने बयान किया‚ उनसे यज़ीद बिन कयसान ने‚ उनसे इब्ने अबी हाज़िम ने और उन से अबू हुरैरा ने कहा कि रसूलुल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा गया कि आप मुश्रिकों के ख़िलाफ़ बद्दुआ करें। आपने फ़रमाया कि मुझको ला‘नत करने वाला बना कर नहीं भेजा गया है‚ बल्कि मुझको रहमत बना कर भेजा गया है।

रसूलुल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर और आपके सहाबियों और साथियों पर उनके दुश्मनों ने जो मुसिबतें डालीं और ज़ुल्म किया वह आज के जुल्म और मुसिबत से बहुत ज्यादा था। यहां तक कि मुक़द्दस सहाबी इन ज़ुल्मों को देख कर कह उठे कि उनके ख़िलाफ़ बद्दुआ की जाए। मगर रसूलुल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनके ज़ेहन को सही किया। उन्होने फ़रमाया कि हमारा काम दुनिया को ख़ुदा की रहमतों के साये में दाख़िल करना है न कि उनकी हलाकत और बरबादी का सामान करना।

यह रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है। आपके ख़िलाफ़ लोगों ने ज़ुल्म किया‚ इसके बावजूद आपने उनके साथ ख़ैरख्वाही की। लोगों ने आपके ऊपर मुसिबतें डालीं‚ इसके बावजूद आप उनके लिए अल्लाह तआला से दुआ करते रहे। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इसी आला और बेहतर सुलूक का नतीजा था कि आपको दुनिया में आलातरीन कामयाबी हासिल हुई। क़ौमें आपके आगे झुक गई। ज़ुल्म और सरकशी करने वाले आपके हाथ पर बैअत करके यानी दीक्षा लेकर आपके साथी और सहयोगी बन गए।

मुसलमानों को भी अपने पैग़म्बर के इसी नमूने पर अमल करना है। हमको दुनिया की क़ौमों का ख़ैरख्वाह और उनकी भलाई चाहने वाला बनना है‚ चाहे वे हमारे साथ बदख्वाही और बुराई करें।
हमें लोगों के हक़ में हिदायत की दुआ करना है‚ चाहे वे हमारे साथ ज़ुल्म और ज्यादती का मामला करें। हमें दूसरों से मुहब्बत करना है‚ चाहे हमें दूसरों की तरफ़ से नफ़रत‚ घृणा और बैर मिले।

यही पैग़म्बर का तरीक़ा है। और पैग़म्बर का तरीक़ा इख्तियार करने के बाद ही मुसलमान ख़ुदा की उन नुसरतों और मदद के हक़दार बन सकते हैं जिन का वा‘दा ख़ुदा ने अपने पैग़म्बर के ज़रिए. उनके लिए किया है।
अल–रिसाला(हिन्दी)— जनवरी 1991
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tanveerraja
18-12-2011, 03:29 PM
मुजरिम कौन

एक आदमी को गुलाब का फूल तोड़ना था। वह शौक़ के तहत तेज़ी से लपक कर उसके पास पहुंचा और झटके के साथ एक फूल तोड़ लिया। फूल तो उसके हाथ में आ गया‚ लेकिन तेज़ी के नतीजे में कई कांटे उसके हाथ में चुभ गए। उसके साथी ने कहा कि तुमने बड़ी हिमाक़त की। तुमको चाहिए था कि कांटो से बचते हुए एहतियात के साथ फूल तोड़ो। तुमने एहतियात वाला काम बेएहतियाती से किया। इसी का नतीजा है कि तुम्हारा हाथ ज़ख्मी हो गया।
अब फूल तोड़ने वाला गुस्सा हो गया। उसने कहा कि सारा क़ुसूर तो इन कांटो का है। उन्होने मेरी हथेली और मेरी उंगलियों से खून निकाल दिया। और तुम उल्टा मुझको मुजरिम ठहरा रहे हो।
उसका साथी बोला— मेरे दोस्त‚ यह दरख्त के कांटो का मामला नहीं‚ यह क़ुदरत के निज़ाम का मामला है। क़ुदरत ने दुनिया का निज़ाम इसी तरह बनाया है कि यहां फूल के साथ कांटे हों। मेरी और तुम्हारी चीख़ और पुकार ऐसा नहीं कर सकती कि इस निज़ाम को बदल दे।

फूल के साथ कांटो का यह निज़ाम तो बहरहाल इसी तरह दुनिया में रहेगा। अब मेरी और तुम्हारी कामयाबी इसमें है कि हम सच्चाई को मानते हुए इससे बचने की तदबीर तलाश करें। और वह तदबीर यह है कि कांटो से बच कर फूल को हासिल करें। कांटो में न उलझते हुए फूल तक पहुंचने की कोशिश करें।

फूल के साथ कांटे का होना कोई सादा बात नहीं। यह फ़ितरत और क़ुदरत की जुबान में इन्सान के लिए सबक़ है। यह वनस्पति की जुबान में इन्सानी हक़ीक़त का एलान है। यह उस तख्लीक़ी और सृजानात्मक मन्सूबे का तआरूफ़ और परिचय है‚ जिसके मुताबिक़ मौजूदा दुनिया को बनाया गया है।

इसका मतलब यह है कि इस दुनिया में वही क़दम कामयाब होता है जो बच कर चलने के उसूलों के मुताबिक़ हो।
जहां बचने की ज़रूरत हो वहां उलझना‚ जहां तदबीर की ज़रूरत हो वहां एजीटेशन करना सिर्फ़ अपनी नालायक़ी का ऐलान करना है‚ ख़ुदा ने जिस मौक़े पर बच कर चलने का तरीक़ा इख्तियार करने का हुक्म दिया हो‚ वहां उलझने का तरीक़ा इख्तियार करना खुद अपने आपको मुजरिम बनाना है‚ चाहे आदमी ने दूसरों को मुजरिम साबित करने के लिए डिक्शनरी के तमाम अल्फ़ाज़ दुहरा डाले हों।
अल–रिसाला(हिन्दी)— जनवरी 1991
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tanveerraja
22-12-2011, 09:24 PM
मे‘यार को बुलन्द करना

पुराने ज़माने के अरब में बराबर की अख्लाक़ियात (नैतिकता) का रिवाज था उनकी ज़िन्दगी का उसूल यह था कि जो शख्स़ जैसा करे उसके साथ वैसा ही किया जाए। यानी अच्छा सुलूक करने वाले के साथ अच्छा सुलूक और बुरा सुलूक करने वाले के साथ बुरा सुलूक।

इस्लाम से पहले के ज़माने का एक शायर अपने मुक़ाबिले के क़बीले के बारे में कहता है कि ज़्यादती की कोई क़िस्म हमने बाक़ी नहीं छोड़ी। उन्होने हमारे साथ जैसा किया था वैसा ही हमने उनको बदला दिया।

रसूलुल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए तो आपने अख्लाक़ के इस उसूल को बदला। बराबरी के अख्लाक़ के बजाय आपने उनको बुलन्द–अख्लाक़ी की तालीम दी।

आपने फ़रमाया कि “जो शख्स तुम्हारे साथ बुरा सुलूक करे उसके साथ तुम अच्छा सुलूक करो।”
एक हदीस में है :
तुम लोग इम्मआ (मौक़ापरस्त–खुदगर्ज़) न बनो‚ कि यह कहने लगो कि अगर लोग हमारे साथ अच्छा करें तो हम भी उनके साथ अच्छा करेंगे। और अगर वे ज़्यादती करें तो हम भी ज़्यादती करेंगे। बल्कि अपने आपको इसके लिए तैयार करो कि लोग तुम्हारे साथ अच्छा करें तो तुम उनके साथ अच्छा करोगे और अगर लोग तुम्हारे साथ बुरा करें तब भी तुम उनके साथ ज़्यादती नहीं करोगे। (मिश्कातुल मसाबेह‚ तीसरा भाग)


आपकी एक सुन्नत यह भी है कि लोगों के शुऊर(चेतना) को बुलन्द किया जाए। उनके अख्लाक़ को ऊंचा किया जाए। उनकी हालत को हर लिहाज़ से ऊपर उठाने की कोशिश की जाए।

इन्सान के इन्सानी मे‘यार को बुलन्द करना‚ फिक्री‚ इल्मी‚ अख्लाक़ी हैसियत से उसको ऊपर उठाना अहमतरीन काम है। इसमें आदमी की भलाई है और इसी में पूरे समाज की भलाई भी। यह ठीक रसूल का तरीक़ा है यानी सुन्नते रसूल है और इसको ज़िन्दा करना सुन्नते–रसूल को ज़िन्दा करना है।

अल–रिसाला(हिन्दी) मार्च–1991
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tanveerraja
22-12-2011, 09:28 PM
पैग़म्बरकातरीक़ा

इमाममुस्लिमअपनीसहीहमेंकहतेहैंकिमुझसेइब्नेअबीउमरनेक हा‚उनसेमर्वानफ़ज़ारीनेबयानकिया‚उनसेयज़ीदबिनकयसानन े‚उनसेइब्नेअबीहाज़िमनेऔरउनसेअबूहुरैरानेकहाकिरसूलु ल्लाहमुहम्मदसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमसेकहागयाकिआपमुश्र िकोंकेख़िलाफ़बद्दुआकरें।आपनेफ़रमायाकिमुझकोला‘नतकरने वालाबनाकरनहींभेजागयाहै‚बल्किमुझकोरहमतबनाकरभेजागय ाहै।

रसूलुल्लाहमुहम्मदसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमपरऔरआपकेसहाब ियोंऔरसाथियोंपरउनकेदुश्मनोंनेजोमुसिबतेंडालींऔरज़ुल् मकियावहआजकेजुल्मऔरमुसिबतसेबहुतज्यादाथा।यहांतककिमुक़ द्दससहाबीइनज़ुल्मोंकोदेखकरकहउठेकिउनकेख़िलाफ़बद्दुआकीज ाए।मगररसूलुल्लाहमुहम्मदसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमनेउनके ज़ेहनकोसहीकिया।उन्होनेफ़रमायाकिहमाराकामदुनियाकोख़ुदाक ीरहमतोंकेसायेमेंदाख़िलकरनाहैनकिउनकीहलाकतऔरबरबादीकास ामानकरना।

यहरसूलुल्लाहसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमकीसुन्नतहै।आपकेख़ि लाफ़लोगोंनेज़ुल्मकिया‚इसकेबावजूदआपनेउनकेसाथख़ैरख्वा हीकी।लोगोंनेआपकेऊपरमुसिबतेंडालीं‚इसकेबावजूदआपउनक ेलिएअल्लाहतआलासेदुआकरतेरहे।रसूलुल्लाहसल्लल्लाहुअलै हिवसल्लमकेइसीआलाऔरबेहतरसुलूककानतीजाथाकिआपकोदुनियाम ेंआलातरीनकामयाबीहासिलहुई।क़ौमेंआपकेआगेझुकगई।ज़ुल्मऔर सरकशीकरनेवालेआपकेहाथपरबैअतकरकेयानीदीक्षालेकरआपकेसा थीऔरसहयोगीबनगए।

मुसलमानोंकोभीअपनेपैग़म्बरकेइसीनमूनेपरअमलकरनाहै।हमको दुनियाकीक़ौमोंकाख़ैरख्वाहऔरउनकीभलाईचाहनेवालाबननाहै चाहेवेहमारेसाथबदख्वाहीऔरबुराईकरें।
हमेंलोगोंकेहक़मेंहिदायतकीदुआकरनाहै‚चाहेवेहमारेसाथ ज़ुल्मऔरज्यादतीकामामलाकरें।हमेंदूसरोंसेमुहब्बतकरनाह ै‚चाहेहमेंदूसरोंकीतरफ़सेनफ़रत‚घृणाऔरबैरमिले ।

यहीपैग़म्बरकातरीक़ाहै।औरपैग़म्बरकातरीक़ाइख्तियारकरनेके बादहीमुसलमानख़ुदाकीउननुसरतोंऔरमददकेहक़दारबनसकतेहैंजि नकावा‘दाख़ुदानेअपनेपैग़म्बरकेज़रिए. उनकेलिएकियाहै।
अल–रिसाला(हिन्दी)—जनवरी 1991
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