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View Full Version : गुलामों की तरह खरीदे जाते हैं आईपीएल में क


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29-05-2011, 05:57 PM
कोलकाता नाइट राईडर्स के कप्तान गौतम गंभीर के भारतीय टीम से हटने और उसके बाद बीसीसीआई द्वारा टीम की घोषणा किए जाने के बाद ‘देश या क्लब, कौन पहले’ पर जोरदार बहस छिड़ गई है। कई पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों ने पूरे मामले के लिए बीसीसीआई जो जिम्मेदार माना है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने साफ कहा कि जब खिलाड़ी गुलामों की तरह खरीदे जाएंगे तो उनके अधिकार क्या होंगे? पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने भी खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए कहा है कि खेल से ब्रेक लेना खिलाड़ी का अधिकार है और बीसीसीआई का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

बेदी ने कोलकाता में कहा कि कोई खेल के बारे में नहीं सोच रहा है, बल्कि सभी पैसा बटोरने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक बीसीसीआई आईपीएल को नहीं रोकता, खिलाड़ी घायल होते रहेंगे और भारतीय टीम पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ता रहेगा। बेदी ने कहा कि वे वीरेंद्र सहवाग या फिर गौतम गंभीर को चोट के बाद भी खेलने के लिए दोषी नहीं मानते। उन्होंने कहा कि क्या उनके पास कोई विकल्प था। उन्होंने कहा कि आईपीएल के इन खिलाड़ियों ने अपने फ्रेंचाईजी मालिक के पास यह तो नहीं कहा होगा, कि वे आराम करना चाहते हैं। बल्कि फ्रेंचाइजी प्रबंधन ने उन्हें साफ बता दिया होगा कि उन्होंने उन्हें खरीदा है और उनका टीम के लिए खेलना निहायत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए पूरी तरह से बीसीसीआई दोषी है। बीसीसीआई आईपीएल को अपना खजाना भरने के लिए इस्तेमाल कर रही है न कि खेल को बढ़ावा देने के लिए। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई, फ्रेंचाइजी या फिर खिलाड़ी, कोई भी खेल को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं कर रहा है। सभी पैसे के पीछे भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि महेंद्र सिंह धोनी, भारतीय क्रिकेट टीम से आराम ले सकते हैं, लेकिन चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए हर हाल में खेलेंगे। उन्होंने कहा कि २००८ से पहले याने जब आईपीएल अस्तित्व में नहीं था, तब खिलाड़ी एक संस्था बीसीसीआई के ही प्रभाव में रहते थे, लेकिन अब उसे नियंत्रित करने वाली दो संस्थाएं हो गई हैं, बीसीसीआई और आईपीएल फ्रेंचाइजी।

बेदी ने बताया कि उन्हें क्रिकेट टेस्ट मैच खेलने के लिए (१९६६-६७) में केवल ७५० रुपए मिलते थे। और एक बार टीम चार दिनों में मैच जीत गई, तो बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के ५० रुपए काट लिए। उस समय खिलाड़ी पैसे के लिए नहीं खेलते थे, लेकिन अब सभी केवल धन के लिए क्रिकेट का इस्तेमाल कर रहे हैं।

पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने भी कहा कि यह खिलाड़ी के उपर निर्भर है कि वह कब खेल से ब्रेक ले। यदि एक खिलाड़ी आराम करना चाहता है को बीसीसीआई को कोई अधिकार नहीं है कि वह इस मुद्दे पर उससे प्रश्न करे। लेकिन भारतीय टीम के पूर्व विकेट कीपर किरण मोरे इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को राष्ट्र को महत्व देना चाहिए, बजाए क्लब के। यदि बेहतर खिलाड़ी उपलब्ध है तो बीसीसीआई निश्चित ही उसे चुनेगी।

पूर्व खिलाड़ी अंशुमान गायकवाड़ ने भी खिलाड़ियों के घायल होने और राष्ट्रीय टीम से बाहर होने पर चिंता जताई और कहा कि खिलाड़ियों पर खेल का दबाव काफी है और बीसीसीआई को उस पर विचार करना चाहिए।

आपका मत

क्या वाकई खिलाड़ी देश के बजाए क्लब को महत्व दे रहे हैं? क्या बीसीआई भी आईपीएल को ज्यादा तवज्जो दे रहा है? इन सभी मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपना मत। लेकिन किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पाठक स्वयं जिम्मेदार होगा।