dipu
31-05-2011, 08:41 PM
अमृतसर । दुबई में फांसी की सजा पाने वाले तीन पंजाबी युवक रिहा होकर मंगलवार को राजासांसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे तो वतन लौटने पर इनके परिवार वाले एक दूसरे से लिपट-लिपट कर रोए। मिलन का यह मौका सभी के लिए किसी सपने से कम नहीं था।
जिंदा देख रो पड़ी जिंदगी : एयरपोर्ट से बाहर जैसे ही यह युवक बाहर निकले उनके परिवार वाले एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े। आंसुओं से तरबतर चेहरा तथा धड़कते दिल से जब यह गले मिले तो सारा माहौल ही रो पड़ा। प्रदीप की बहन गीता भाई के गले से लग फफक-फफक कर रोई। उसका कहा वह सही सलामत अपने भाई को देख रही है। इसी तरह से कश्मीरी लाल के परिजनों ने तो उसे कंधे पर उठा और खुशी के मारे नाच उठे फिर उसका फूलों से स्वागत किया। इस दौरान उनकी आंखों से मिलन की खुशी के आंसू सभी को रुला गए।
और वह बन गया मसीहा : एसपी सिंह ओबराय के सहयोग से दुबई से फांसी की सजा पाए युवकों को ब्लड मनी अदा करके सही-सलामत लाने की पहली घटना है। तिरलोचन के पिता इंदर सिंह, प्रदीप के पिता जीत राम व कश्मीरी लाल के पिता गुरदास मल का कहना है कि वह लोग उम्मीद हार चुके थे मगर ओबराय साहिब ने उनके बच्चों की जिंदगी उन्हें लौटा दी है।
रिहा होकर आने वाले इन तीनों युवाओं में प्रदीप कुमार, गांव फतेहगढ़, जिला नवांशहर, तिरलोचन सिंह, गांव शुकरपुरा, जिला होशियारपुर तथा कश्मीरी लाल, गांव भाग सिंह पुरा, जिला जालंधर के नाम शामिल हैं। प्रदीप कुमार तथा कश्मीरी लाल ने बताया कि वह जिस कंपनी में काम करते थे, वहां से भुगतान नहीं मिल तो वह लोग शराब बेचने लगे ताकि भेजने के लिए लिया गया कर्ज अदा किया जा सके। इससे पहले बटाला के बिक्रमजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी और उन लोगों को पहले शराब के आरोप में पकड़ा गया फिर उनपर हत्या का मामला डाल दिया गया फिर अदालत ने उनको 2008 में फांसी की सजा सुना दी।‘
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जिंदा देख रो पड़ी जिंदगी : एयरपोर्ट से बाहर जैसे ही यह युवक बाहर निकले उनके परिवार वाले एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े। आंसुओं से तरबतर चेहरा तथा धड़कते दिल से जब यह गले मिले तो सारा माहौल ही रो पड़ा। प्रदीप की बहन गीता भाई के गले से लग फफक-फफक कर रोई। उसका कहा वह सही सलामत अपने भाई को देख रही है। इसी तरह से कश्मीरी लाल के परिजनों ने तो उसे कंधे पर उठा और खुशी के मारे नाच उठे फिर उसका फूलों से स्वागत किया। इस दौरान उनकी आंखों से मिलन की खुशी के आंसू सभी को रुला गए।
और वह बन गया मसीहा : एसपी सिंह ओबराय के सहयोग से दुबई से फांसी की सजा पाए युवकों को ब्लड मनी अदा करके सही-सलामत लाने की पहली घटना है। तिरलोचन के पिता इंदर सिंह, प्रदीप के पिता जीत राम व कश्मीरी लाल के पिता गुरदास मल का कहना है कि वह लोग उम्मीद हार चुके थे मगर ओबराय साहिब ने उनके बच्चों की जिंदगी उन्हें लौटा दी है।
रिहा होकर आने वाले इन तीनों युवाओं में प्रदीप कुमार, गांव फतेहगढ़, जिला नवांशहर, तिरलोचन सिंह, गांव शुकरपुरा, जिला होशियारपुर तथा कश्मीरी लाल, गांव भाग सिंह पुरा, जिला जालंधर के नाम शामिल हैं। प्रदीप कुमार तथा कश्मीरी लाल ने बताया कि वह जिस कंपनी में काम करते थे, वहां से भुगतान नहीं मिल तो वह लोग शराब बेचने लगे ताकि भेजने के लिए लिया गया कर्ज अदा किया जा सके। इससे पहले बटाला के बिक्रमजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी और उन लोगों को पहले शराब के आरोप में पकड़ा गया फिर उनपर हत्या का मामला डाल दिया गया फिर अदालत ने उनको 2008 में फांसी की सजा सुना दी।‘
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