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View Full Version : बाबा रामदेव का सत्ता ग्रहण आन्दोलन


pankaj bedrdi
04-06-2011, 06:25 AM
क्या बाबा देश के लिये लड़ रहे है या आपने लिये
क्या बाबा राम देव का राजनिति कितना सफल होगा आओ इसी बात पर चार्च करेँ

pankaj bedrdi
04-06-2011, 11:04 AM
महाअनशन पर बैठे बाबा

योग गूरु बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार और काला धन के मसले पर राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में योग गुरु बाबा रामदेव का अनशन शनिवार सुबह सात बजे से शुरू हो गया। बाबा के समर्थन में भारी संख्या में लोग मौजूद हैं।

pankaj bedrdi
04-06-2011, 11:05 AM
बाबा के समर्थकों से भरा रामलीला मैदान
बाबा रामदेव के अनशन शुरू होने के तीन घंटे के भीतर ही रामलीला मैदान में समर्थकों की भारी भीड़ जमा हो गई। समर्थकों से अब न आने की अपील.. की

pankaj bedrdi
04-06-2011, 11:08 AM
शाहरुख खान के बाद अब सलमान खान ने भी बाबा रामदेव पर निशाना साधा है। एक प्रेस कॉंन्फ्रेंस के दौरान जब उनसे पूछा गया कि वह बाबा रामदेव को भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में सपोर्ट करेंगे या नहीं। सलमान ने कहा कि बाबा रामदेव का काम योगा सिखाना है, उन्हें योगा सिखाना चाहिए। अनशन पर बैठने से भ्रष्टाचार की समस्या हल होने वाली नहीं है। इसकी जगह बाबा रामदेव अपने अनुयायियों से रिश्वत देने और लेने से मना कर सकते थे। इससे बड़ी प्रेरणा कुछ भी नहीं हो सकती है।

सलमान का मानना है कि बाबा रामदेव का उद्देश्य कहीं से भी गलत नहीं है लेकिन अनशन पर बैठना क्या भ्रष्टाचार की समस्या को हल कर देगा? उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि बाबा रामदेव अपने प्रयासों में सफल हों।

pankaj bedrdi
04-06-2011, 11:09 AM
बाबा रामदेव के आंदोलन को देश-विदेश से समर्थन मिल रहा है, तो उन पर सवाल उठाने वालों की भी कमी नहीं है। कोई उन्हें ब्लैकमेलर बता रहा है, तो कोई आंदोलन के तरीके को गलत ठहरा रहा है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अपने हमले जारी रखते हुए कहा है कि रामदेव के आंदोलन के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) है। बाबा के आंदोलन की रूपरेखा बनाने से लेकर उनका पंडाल सजाने और माहौल बनाने तक के काम में आरएएस के लोग लगे हुए हैं।

pankaj bedrdi
04-06-2011, 11:14 AM
दिग्विजय ने शुक्रवार को यहां कहा कि बाबा राजनीति कर रहे हैं। जब तक बाबा खुद को अपने को योगाभ्यास तक सीमित रखते हैं, किसी को कोई आपत्ति नहीं है, मगर जब वे राजनीति करेंगे तो उन्हें लोगों के सवालों का मुकाबला करना होगा। गौरतलब है कि कांग्रेस अपनी यूपीए सरकार के चार वरिष्ठ मंत्रियों के बाबा से बात करने के लिए एयरपोर्ट जाने से सख्त नाराज है।

पार्टी बाबा रामदेव को इतना महत्व दिए जाने और सरकार द्वारा उसे विश्वास में नहीं लेने से गुस्से में है। दिग्विजय ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता सरकार के इस कदम से आश्चर्यचकित हैं। सरकार के चार मंत्रियों का उनसे मिलने जाना उचित नहीं था। दिग्विजय गुरुवार को कह चुके हैं कि बाबा योग गुरु से ज्यादा व्यापारी हैं। वे अपने योग शिविरों में पैसे के हिसाब से श्रद्धालुओं को आगे और पीछे की पंक्तियों में स्थान देते हैं। कांग्रेस के कई बड़े नेता सरकार के बाबा से मिलने एयरपोर्ट जाने पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में भी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री और प्रणव मुखर्जी से इस बारे में बात की।

pankaj bedrdi
04-06-2011, 11:16 AM
संघ ने कहा है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव के आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देगा, लेकिन रामलीला मैदान में अनशन स्थल पर होने वाली व्यवस्था में उसकी कोई भूमिका नहीं है। संघ के प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जो भी लड़ेगा, उसका समर्थन किया जाएगा। बाबा रामदेव देशहित में यह लड़ाई लड़ रहे हैं, इसलिए इस लड़ाई में संघ उनके साथ है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं की कि रामलीला मैदान में जो व्यवस्थाएं की जा रही हैं, उसमें संघ जुटा हुआ है। इस व्यवस्था में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर संघ शामिल नहीं है। अलबत्ता संघ ने अपने स्वयंसेवकों से यह जरूर कहा है कि अगर उनके पास वक्त है तो वे अनशन स्थल पर जरूर जाएं।

ब्लैकमेल कर रहे हैं रामदेव : नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के महासचिव तारिक अनवर ने मेरठ में हुई पार्टी की सभा में कहा कि रामदेव और अन्ना हजारे , दोनों ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं। इससे पहले उन्हें अपने दिलों में झांकना चाहिए। उन्होंने बाबा रामदेव पर संन्यासी की बजाय व्यापारी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि 10 साल पहले वह साइकिल पर चलते थे और आज लग्जरी कारों में सफर करते हैं। बाबा ने करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी भी इकट्ठी कर ली है। अनवर ने अन्ना हजारे पर भी जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।

महंगा है आंदोलन : समाजसेवी मेधा पाटकर ने मुंबई में कहा कि बाबा का आंदोलन बहुत महंगा है , जिससे विरोध का दूसरा चेहरा सामने आता है। हम भी आंदोलन करते हैं , लेकिन इतने महंगे नहीं। हाल ही में मुंबई से झुग्गियां हटाने के मुद्दे पर भूख हड़ताल करने वाली मेधा ने कहा कि बाबा के आंदोलन से केवल भीड़ जमा होने का डर है। सरकार को भी आंदोलनों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए। केंद्रीय मंत्री बाबा को मनाने एयरपोर्ट गए थे , जिससे जनता तक अलग संदेश गया। काले धन के मुद्दे पर मेधा ने कहा कि आर्थिक नीतियों के कॉरपोरेट शक्ल ले लेने से काले धन को बढ़ावा मिल रहा है।:bravo::bravo:

Nitikesh
04-06-2011, 05:02 PM
दिग्विजय ने शुक्रवार को यहां कहा कि बाबा राजनीति कर रहे हैं। जब तक बाबा खुद को अपने को योगाभ्यास तक सीमित रखते हैं, किसी को कोई आपत्ति नहीं है, मगर जब वे राजनीति करेंगे तो उन्हें लोगों के सवालों का मुकाबला करना होगा। गौरतलब है कि कांग्रेस अपनी यूपीए सरकार के चार वरिष्ठ मंत्रियों के बाबा से बात करने के लिए एयरपोर्ट जाने से सख्त नाराज है।

पार्टी बाबा रामदेव को इतना महत्व दिए जाने और सरकार द्वारा उसे विश्वास में नहीं लेने से गुस्से में है। दिग्विजय ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता सरकार के इस कदम से आश्चर्यचकित हैं। सरकार के चार मंत्रियों का उनसे मिलने जाना उचित नहीं था। दिग्विजय गुरुवार को कह चुके हैं कि बाबा योग गुरु से ज्यादा व्यापारी हैं। वे अपने योग शिविरों में पैसे के हिसाब से श्रद्धालुओं को आगे और पीछे की पंक्तियों में स्थान देते हैं। कांग्रेस के कई बड़े नेता सरकार के बाबा से मिलने एयरपोर्ट जाने पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में भी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री और प्रणव मुखर्जी से इस बारे में बात की।

मेरा मानना हैं की रामदेव बाबा द्वारा,योग सिखाने के लिए लिया गया फ़ीस किसी भी तरह से अनुचित नहीं है/
ये साले नेता किस को मुफ्त में किसी को कुछ नहीं देता हैं और बाबा को मुफ्त में योग सिखाने के लिए बोल रहे हैं/
यदि इन लोगो ने अन्ना हजारे के समय ही सभी मांगों को अच्छा तरह से इम्लिमेंट किया होता तो बाबा को आज अनशन नहीं करना पड़ता और इस लोगों की इज्जत भी बची रह जाती/
लेकिन ये सभी कुत्ते की दम है/जिसे सौ साल तक नली में रखो फिर भी टेढ़ी की टेढ़ी ही रहेगी/
ये नेता इस बात पड़ नहीं परेशान है की ये अनशन कर रहे हैं/
ये इसीलिए बौराए हुए हैं की इनके चुनाव प्रचार में पैसे देने पर इतने लोग जमा नहीं होते हैं/जितना इन्होने बीना पैसे देये इतना बड़ा जन समुदाय जमा कर लिए है/
दिग्विजय को पहले अपनी आत्मा के अंदर झांकना चाहिए की वह क्या है?

pankaj bedrdi
04-06-2011, 07:58 PM
हमारा साथ बाबा के हाथ

YUVRAJ
04-06-2011, 09:55 PM
गुरू लोग... अभी तो शुरुआत है .... आगे-आगे देखें क्या होता है ....:)

The ROYAL "JAAT''
04-06-2011, 10:04 PM
पंकज भाई इस बारे में में ज्यादा कुछ नही जनता पर एक बात में जानना चाहता हूं की बाबा जो कभी राजनीती से खुद को बहुत दूर रखते थे राजनेताओ से नफरत करते थे वही बाबा राजनीती के गुणगान करने लगे है ये क्या चक्कर है यहाँ तक विदेशियों से नफरत करने वाले विदेशों के दोरे में ही व्यस्त रहते है

pankaj bedrdi
05-06-2011, 09:54 AM
रामलीला मैदान से बाबा रामदेव को उठाकर ले गई पुलिस | सूत्रों के मुताबिक, रामदेव को हरिद्वार ले जाया जा सकता है

pankaj bedrdi
05-06-2011, 10:03 AM
बाबा रामदेव को प्लेन से देहरादून भेजा गया
आधी रात में बाबा रामदेव का अनशन डंडे के जोर पर खत्म करवाने के बाद सरकार उन्हें देहरादून भेजने की तैयारी कर रही है....

pankaj bedrdi
05-06-2011, 10:03 AM
बाबा रामदेव को प्लेन से देहरादून भेजा गया
आधी रात में बाबा रामदेव का अनशन डंडे के जोर पर खत्म करवाने के बाद सरकार उन्हें देहरादून भेजने की तैयारी कर रही है....

YUVRAJ
05-06-2011, 10:06 AM
पालम से विमान में डाल कर देहरादून पहूँचा दिए गये .....:elephant:
गन्दी राजनीती का शिकार हो गये बाबा ...:bang-head:

pankaj bedrdi
05-06-2011, 10:07 AM
पुलिस ने रामदेव को उठाया, पंडाल खाली
बाबा रामदेव के अनशन को पुलिस ने आधी रात डंडे के जोर पर खत्म करवा दिया। बाबा को दिल्ली की सीमा से बाहर छोड़ दिया गया है...

YUVRAJ
05-06-2011, 10:56 AM
बेस्ट वक्तव्य ...:)
क्या पार्टी कौन सी पार्टी सब भूलो और इस तरह के दमन को निषिद्ध करें ... अन्ना हजारे ...:bravo::bravo::bravo::bravo:

khalid
05-06-2011, 12:54 PM
पालम से विमान में डाल कर देहरादून पहूँचा दिए गये .....:elephant:
गन्दी राजनीती का शिकार हो गये बाबा ...:bang-head:

हा हा हा
युवी भाई सब का फायदा हैँ अपनी अपनी जगह मेँ बाबा भी जानते हैँ कुछ नहीँ होगा और सरकार भी जानती हैँ यहाँ कुछ नहीँ होगा

Nitikesh
06-06-2011, 07:05 AM
हा हा हा
युवी भाई सब का फायदा हैँ अपनी अपनी जगह मेँ बाबा भी जानते हैँ कुछ नहीँ होगा और सरकार भी जानती हैँ यहाँ कुछ नहीँ होगा


यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है की क्या होगा क्या नहीं और साथ में बाबा के अनशन की तीव्रता पर भी/
लेकिन बीच रात में सभी को डंडे मारकर भागना सरकार द्वारा किया गया एक कायरता पूर्ण कायर था/थू..............

khalid
06-06-2011, 08:35 AM
यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है की क्या होगा क्या नहीं और साथ में बाबा के अनशन की तीव्रता पर भी/
लेकिन बीच रात में सभी को डंडे मारकर भागना सरकार द्वारा किया गया एक कायरता पूर्ण कायर था/थू..............

आप सत्य कह रहे हैँ मित्र रात के वक्त आम पब्लिक के साथ बहुत गलत हुआ हैँ बच्चे औरत तक को नहीँ बख्शा गया

deepkukna
06-06-2011, 12:51 PM
दोस्तो एक बात मेरी समझ मेँ नहीँ आ रही है कि भारत विशव का सबसे बडा लोकतांत्रिक देश है लेकिन क्या सरकार दवारा आधी रात को ऐसी कार्रवाई करना लोकतांत्रिक है ? अगर उसे कार्रवाई करनी ही थी तो ओपन चैँलेज करके दिन मे क्योँ नहीँ आई ? रात को आने का क्या मतलब था ?

MANISH KUMAR
06-06-2011, 01:10 PM
दोस्तो एक बात मेरी समझ मेँ नहीँ आ रही है कि भारत विशव का सबसे बडा लोकतांत्रिक देश है लेकिन क्या सरकार दवारा आधी रात को ऐसी कार्रवाई करना लोकतांत्रिक है ? अगर उसे कार्रवाई करनी ही थी तो ओपन चैँलेज करके दिन मे क्योँ नहीँ आई ? रात को आने का क्या मतलब था ?

केंद्र में she***e बैठे हैं.:ranting::ranting:
पुलिस वालों को जबरदस्ती ऑर्डर देकर ये करवाया और पुलिस वालों को दबाव में आकर बेमन से ये सब करना पड़ा.:beating::beating: :cryingbaby:

MANISH KUMAR
06-06-2011, 01:12 PM
दोस्तो एक बात मेरी समझ मेँ नहीँ आ रही है कि भारत विशव का सबसे बडा लोकतांत्रिक देश है लेकिन क्या सरकार दवारा आधी रात को ऐसी कार्रवाई करना लोकतांत्रिक है ? अगर उसे कार्रवाई करनी ही थी तो ओपन चैँलेज करके दिन मे क्योँ नहीँ आई ? रात को आने का क्या मतलब था ?

ये सबकी समझ में आ गया तो सबलोग अव्वल दर्जे के नेता ना बन जाएँगे. :bang-head::bang-head::horse:

kuram
06-06-2011, 04:21 PM
में नहीं जानता बाबा रामदेव सच्चे है या जूठे. लेकिन जो कुछ रामलीला मैदान में हुआ वो लोकतंत्र पे एक काला धब्बा है. पुलिस द्वारा आधी रात को कारवाई की गयी. निहत्थे बुजुर्गो और महिलाओं पर डंडे बरसाए आंसू गैस छोड़ी गयी. मेरे एक मित्र की माताजी उसी आन्दोलन में शरीक थी. आज पता चला है पुलिस ने उसका गले का लोकेट तौड़ लिया और मोबाईल भी छीन लिया. महिलाओं के बाल पकड़ कर पुलिस ने घसीटा है. सौ से ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी हुए है. आखिर पुलिस को अगर कारवाई करनी ही थी तो दिन में चेतावनी देकर करती. रात में डाकुओ की तरह हमला करने का और सामान लूटने का क्या तुक बनता है.

kuram
06-06-2011, 04:27 PM
दिग्विजय कांग्रेस के महासचीव है उनके अनर्गल बयान निरंतर आ रहे है. जो मुंह में आ रहा है वो एक गली के आवारा गुंडे की तरह बक रहे है. भट्टा पारसौल की घटना की निंदा करने वाले का दोगला रवैया सबके सामने है.

सनद रहे यह वाही दिग्विजय है जो ओसामा को "जी" का संबोधन दे रहा था. और अब इसकी भाषा भी किसी टपोरी की तरह बन गयी है. राहुल गांधी जो उतरप्रदेश मोटरसाईकिल पर बैठ कर गए थे अब उनका कही अता पता भी नहीं है. दिल्ली और केंद्र दोनों में कांग्रेस की सरकार है. अब तो उनको कोई नहीं रोक रहा क्यों नहीं सामने आ रहे वो. कहाँ गयी उनकी गरीबो और जुल्म के शिकार लोगो के प्रति सहानुभूति ?

Bhuwan
07-06-2011, 01:53 AM
भाई कुछ भी कह लो.
पहली बात तो रात के समय में ऐसा कदम उठाना बहुत गलत बात थी.
दूसरी बात अगर कोई नागरिक देश के धन को वापस लाने के लिए कुछ कदम उठता है तो तो इसमें क्या बुराई है? इसमें हम सबकी ही भलाई है. हर कोई हाथ पर हाथ धरे तो बैठा नहीं रह सकता, कुछ ऐसे हैं जिनके मन में हमसे भी ज्यादा टीस उठती है. और वो कुछ न कुछ अपनी तरफ से करते हैं.
मैं तो यही कहूँगा कि ऐसे किसी भी आन्दोलन का हमें समर्थन करना चाहिए चाहें वो किसी साधू द्वारा चलाया जा रहा हो या, किसी उद्योगपति द्वारा.

Bhuwan
07-06-2011, 01:54 AM
केंद्र में she***e बैठे हैं.:ranting::ranting:


भाई इन शब्दों का क्या मतलब है? कुछ खुलकर समझाएं.

Bhuwan
07-06-2011, 01:56 AM
रात में डाकुओ की तरह हमला करने का और सामान लूटने का क्या तुक बनता है.

भाई पूरी सरकार ही लुटेरी है तो उनके नौकर क्यों न ऐसे होंगे.

pankaj bedrdi
07-06-2011, 06:39 AM
भारत को दुसरी आजादी का लडाइ लडना होगा

pankaj bedrdi
07-06-2011, 06:40 AM
भाई इन शब्दों का क्या मतलब है? कुछ खुलकर समझाएं.

केन्द्र मै महिला के हाथ मै है

MANISH KUMAR
11-06-2011, 07:14 PM
भाई इन शब्दों का क्या मतलब है? कुछ खुलकर समझाएं.

केन्द्र मै महिला के हाथ मै है

केंद्र में she***e बैठे हैं.:ranting::ranting:
पुलिस वालों को जबरदस्ती ऑर्डर देकर ये करवाया और पुलिस वालों को दबाव में आकर बेमन से ये सब करना पड़ा.:beating::beating: :cryingbaby:

भाई साहब ये अंग्रेजी शब्द है हिंदी में आप इसे नपुंसक कह सकते ही. हालाँकि इसका असली मतलब आप समझ गए होंगे. ज्यादा विवादित नहीं बनाना चाहता इसलिए असली शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 10:54 PM
सही कहा इस सरकार में सब वही तो है अगर कोई सही मायनो में नेता होता तो कारनामे नही होते हर तरफ बस हर कोई अपना मतलब निकलने की फ़िराक में रहते है आम आदमी का क्या वो तो हर इलेक्सन पर बड़े बड़े वादों के पीछे दोड़ती हुई आ ही जाती है और हमारे पास नही तो उनके पास दोनों तरफ बस है तो वही लोग ना दोनों पाटों के बिच पीसना तो हमे ही हैं. भाई एक बात कहूँ मुझे तो अन्ना,बाबा ये नेता इनमे कोई फर्क नही है अपना मतलब निकलते ही सब भूल जाते है की जनता ने आपको इस ऊंचाई पर किस लिए बिठाया है

dipu
12-06-2011, 10:07 AM
नेता और बाबा में कुछ तो फर्क होता होगा

dipu
12-06-2011, 11:37 AM
बाबा रामदेव ने आज अपना नौ दिन से चल रहा अनशन तोड़ दिया है। आज उन्हें मनाने के लिए श्री श्री रविशंकर और मुरारी बापू अस्पताल गए। वहां उन्होंने बाबा से बात की, जिसके बाद से अनशन तोड़ने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने श्री श्री के हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा। आचार्य बालकृष्ण ने भी अपना आंदोलन तोड़ दिया है। लेकिन रविशंकर ने बताया कि बाबा की विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने के लिए आंदोलन जारी रहेगा। लेकिन बाबा अभी एक-दो दिन और अस्पताल में रहेंगे।

आंदोलन खत्म करने के बाद आचार्य बालकृष्ण ने अपने समर्थकों से भी अपील की कि वे अनशन खत्म कर दें।

बाबा के अनशन खत्म करने के वक्त जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी मौजूद थे। बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वे काला धन और भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में पूरी तरह बाबा रामदेव के साथ हैं।

उनके अनशन का आज नौवां दिन था। डॉक्टरों ने आज बाबा के हैल्थ बुलेटिन में कहा कि उनके शरीर में प्रोटीन की कमी आ गई है और अब उनका ठोस आहार लेना निहायत जरूरी है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर उन्हें जबरन नहीं खिला सकते, लेकिन इस बारे में विस्तार से एक रिपोर्ट प्रशासन को भेज दी गई है।

डॉक्टरों ने आज उनके स्वास्थ्य बुलेटिन में कहा था कि उनका ब्लड प्रेशर १०९/७१ है। यह अभी भी अस्थिर है और डॉक्टर इसे नियंत्रित करने के प्रयास में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि बाबा के खून में विटामिन की सख्त कमी है। उन्हें सलाइन के साथ, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स दिए जा रहे हैं।

इसके पहले आज सुबह पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी बाबा रामदेव से अनशन खत्म करने की अपील की थी। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और हरियाणा के नेता ओम प्रकाश चौटाला भी बाबा से मिले और उनसे अनशन खत्म करने की अपील की।
बाबा को शुक्रवार को देहरादून के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

Kumar Anil
12-06-2011, 02:42 PM
नेता और बाबा में कुछ तो फर्क होता होगा

फर्क तो होता ही है और वो हम सब भली भाँति जानते हैँ । अपनी लोकप्रियता को कैश करने के लिये जब बाबा राजनीति का दामन थामने लगते हैँ तो नेता और बाबा मेँ क्या फर्क है । इस पूरे मुद्दे पर दृष्टिपात करेँ तो सिवाए महत्वाकांक्षा के कुछ और नहीँ दिखेगा । बाबा करीबन डेढ़ साल से भ्रष्टाचार मिटाओ की अलख जगा रहे थे । पर अहं ब्रहमास्मि के मद मेँ चीजोँ का केन्द्रीयकरण करना चाह रहे थे । सत्ता केन्द्रीयकृत नहीँ विकेन्द्रीयकृत होनी चाहिये अन्यथा निरंकुशता तानाशाह बनाने लगेगी । राजनीति मेँ वन मैन शो हमेशा घातक होता है । शायद केजरीवाल , किरण बेदी जैसे लब्ध प्रतिष्ठित लोगोँ को ये मंजूर न था और उन्होँने टीम भावना के तहत अन्ना हजारे को झाड़ पोँछकर लोकपाल विधेयक के रूप मेँ लड़ाई आरंभ कर दी । बाबा जी जैसे अधीर राजनीतिज्ञ ने उनके मंच पर अन्यमनस्क उपस्थिति दर्ज कराते हुये सरकार से अपनी आवभगत करा खुद को पुष्ट किया और अलग थलग पड़ जाने या मुद्दा छिन जाने पर तुष्ट होने की कोशिश तो की परन्तु हजारे मुहिम फीँकी कर डाली , नतीजतन मुद्दोँ पर एकत्र भीड़ दोफाड़ हो गयी । दो मंच हो गये , ताकत कमजोर हो गयी । अन्ना हजारे फ्लॉप शो बन कर रह गये । विजयी मुद्रा मेँ बाबा का सरकार से हाथ मिलाकर रामलीला मैदान मेँ अवतरण हुआ । योग के लिये शरणागत जनता का राजनीतिक इस्तेमाल और कुटिल सरकार के मार्फत लीक हो गये पत्र से बौखलाये सेनापति रामदेव का जनता को असहाय अकेला छोड़ महिला वेश का स्वांग धर भागने की तैयारी मेँ आखिर जनता को क्या हासिल हुआ ? उसकी नियति तो वही रही , ठगे जाने की । राजबाला पर पड़ी लाठियोँ पर क्या अकेले सरकार जिम्मेदार है ? क्या अपनी महत्वाकांक्षाओँ के लिये उसे इस्तेमाल कर रहे सेनापति रामदेव पर प्रश्नचिन्ह नहीँ लगना चाहिये ? बाबा मेँ क्रान्ति की तासीर तो है मगर मदांध मेँ हड़बड़ाने और डंडोँ से खौफजदा होने का स्वभाव उन्हेँ पीछे ढकेल गया और नेपथ्य मेँ रह गया खिसियाया हुआ पिपहरी नाद । जनता का आर्तनाद न जाने कहाँ गुम हो गया । शायद यही उसकी नियति है , कल भी और आज भी ......

Bhuwan
12-06-2011, 09:48 PM
कुछ लोगों का कहना है कि बाबा रामदेव की नजर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है? :think:

Kumar Anil
12-06-2011, 10:07 PM
कुछ लोगों का कहना है कि बाबा रामदेव की नजर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है? :think:

दिल्ली बहुत दूर है ।

amit_tiwari
13-06-2011, 06:41 PM
फर्क तो होता ही है और वो हम सब भली भाँति जानते हैँ । अपनी लोकप्रियता को कैश करने के लिये जब बाबा राजनीति का दामन थामने लगते हैँ तो नेता और बाबा मेँ क्या फर्क है । इस पूरे मुद्दे पर दृष्टिपात करेँ तो सिवाए महत्वाकांक्षा के कुछ और नहीँ दिखेगा । बाबा करीबन डेढ़ साल से भ्रष्टाचार मिटाओ की अलख जगा रहे थे । पर अहं ब्रहमास्मि के मद मेँ चीजोँ का केन्द्रीयकरण करना चाह रहे थे । सत्ता केन्द्रीयकृत नहीँ विकेन्द्रीयकृत होनी चाहिये अन्यथा निरंकुशता तानाशाह बनाने लगेगी । राजनीति मेँ वन मैन शो हमेशा घातक होता है । शायद केजरीवाल , किरण बेदी जैसे लब्ध प्रतिष्ठित लोगोँ को ये मंजूर न था और उन्होँने टीम भावना के तहत अन्ना हजारे को झाड़ पोँछकर लोकपाल विधेयक के रूप मेँ लड़ाई आरंभ कर दी । बाबा जी जैसे अधीर राजनीतिज्ञ ने उनके मंच पर अन्यमनस्क उपस्थिति दर्ज कराते हुये सरकार से अपनी आवभगत करा खुद को पुष्ट किया और अलग थलग पड़ जाने या मुद्दा छिन जाने पर तुष्ट होने की कोशिश तो की परन्तु हजारे मुहिम फीँकी कर डाली , नतीजतन मुद्दोँ पर एकत्र भीड़ दोफाड़ हो गयी । दो मंच हो गये , ताकत कमजोर हो गयी । अन्ना हजारे फ्लॉप शो बन कर रह गये । विजयी मुद्रा मेँ बाबा का सरकार से हाथ मिलाकर रामलीला मैदान मेँ अवतरण हुआ । योग के लिये शरणागत जनता का राजनीतिक इस्तेमाल और कुटिल सरकार के मार्फत लीक हो गये पत्र से बौखलाये सेनापति रामदेव का जनता को असहाय अकेला छोड़ महिला वेश का स्वांग धर भागने की तैयारी मेँ आखिर जनता को क्या हासिल हुआ ? उसकी नियति तो वही रही , ठगे जाने की । राजबाला पर पड़ी लाठियोँ पर क्या अकेले सरकार जिम्मेदार है ? क्या अपनी महत्वाकांक्षाओँ के लिये उसे इस्तेमाल कर रहे सेनापति रामदेव पर प्रश्नचिन्ह नहीँ लगना चाहिये ? बाबा मेँ क्रान्ति की तासीर तो है मगर मदांध मेँ हड़बड़ाने और डंडोँ से खौफजदा होने का स्वभाव उन्हेँ पीछे ढकेल गया और नेपथ्य मेँ रह गया खिसियाया हुआ पिपहरी नाद । जनता का आर्तनाद न जाने कहाँ गुम हो गया । शायद यही उसकी नियति है , कल भी और आज भी ......

सत्य वचन भाई और mai इसमें जोड़ना चाहूँगा की जिस जनता को यही नहीं पता की उसके अधिकार क्या हैं, क्या उसके कर्त्तव्य हैं उसे सिर्फ ठगा ही जाना चाहिए |||
अगर साठ साल बाद भी सरकार सही नहीं चुनी गयी तो इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ वोट डालने और ना डालने वाले हैं |
किसी भी चुनाव में कोई सही मुद्दा होता ही नहीं है, कोई अपने सामने का नाला सही कराएगा, किसी को हैंडपंप लगवाने हैं | जब परीक्षा ही घटिया है तो उत्तीर्ण होने वाले भी घटिया ही होंगे !!!

Ranveer
13-06-2011, 10:58 PM
फर्क तो होता ही है और वो हम सब भली भाँति जानते हैँ । अपनी लोकप्रियता को कैश करने के लिये जब बाबा राजनीति का दामन थामने लगते हैँ तो नेता और बाबा मेँ क्या फर्क है । इस पूरे मुद्दे पर दृष्टिपात करेँ तो सिवाए महत्वाकांक्षा के कुछ और नहीँ दिखेगा । बाबा करीबन डेढ़ साल से भ्रष्टाचार मिटाओ की अलख जगा रहे थे । पर अहं ब्रहमास्मि के मद मेँ चीजोँ का केन्द्रीयकरण करना चाह रहे थे । सत्ता केन्द्रीयकृत नहीँ विकेन्द्रीयकृत होनी चाहिये अन्यथा निरंकुशता तानाशाह बनाने लगेगी । राजनीति मेँ वन मैन शो हमेशा घातक होता है । शायद केजरीवाल , किरण बेदी जैसे लब्ध प्रतिष्ठित लोगोँ को ये मंजूर न था और उन्होँने टीम भावना के तहत अन्ना हजारे को झाड़ पोँछकर लोकपाल विधेयक के रूप मेँ लड़ाई आरंभ कर दी । बाबा जी जैसे अधीर राजनीतिज्ञ ने उनके मंच पर अन्यमनस्क उपस्थिति दर्ज कराते हुये सरकार से अपनी आवभगत करा खुद को पुष्ट किया और अलग थलग पड़ जाने या मुद्दा छिन जाने पर तुष्ट होने की कोशिश तो की परन्तु हजारे मुहिम फीँकी कर डाली , नतीजतन मुद्दोँ पर एकत्र भीड़ दोफाड़ हो गयी । दो मंच हो गये , ताकत कमजोर हो गयी । अन्ना हजारे फ्लॉप शो बन कर रह गये । विजयी मुद्रा मेँ बाबा का सरकार से हाथ मिलाकर रामलीला मैदान मेँ अवतरण हुआ । योग के लिये शरणागत जनता का राजनीतिक इस्तेमाल और कुटिल सरकार के मार्फत लीक हो गये पत्र से बौखलाये सेनापति रामदेव का जनता को असहाय अकेला छोड़ महिला वेश का स्वांग धर भागने की तैयारी मेँ आखिर जनता को क्या हासिल हुआ ? उसकी नियति तो वही रही , ठगे जाने की । राजबाला पर पड़ी लाठियोँ पर क्या अकेले सरकार जिम्मेदार है ? क्या अपनी महत्वाकांक्षाओँ के लिये उसे इस्तेमाल कर रहे सेनापति रामदेव पर प्रश्नचिन्ह नहीँ लगना चाहिये ? बाबा मेँ क्रान्ति की तासीर तो है मगर मदांध मेँ हड़बड़ाने और डंडोँ से खौफजदा होने का स्वभाव उन्हेँ पीछे ढकेल गया और नेपथ्य मेँ रह गया खिसियाया हुआ पिपहरी नाद । जनता का आर्तनाद न जाने कहाँ गुम हो गया । शायद यही उसकी नियति है , कल भी और आज भी ......

सही कहा आपने !!
मुझे कई बार शंका हुई है की बाबा रामदेव के आन्दोलन को सत्याग्रह कहा जाए अथवा नहीं ...अंत में जवाब में न ही आया |
वो सत्याग्रह नहीं कहा जा सकता जिसमे नेतृत्व करने वाले को सर छुपाना पड़े | एक सत्याग्रही को हमेशा शुद्ध और निडर होना चाहिए |
क्या बाबा रामदेव कोरपोरेट बाबा नहीं जिन के निर्देशन में समाज सेवा के नाम पर ४५ कम्पनियां (अप्रत्यक्ष )चलतीं हैं ?
सवाल ये है कि आखिर एक योगी को ब्रॉडकास्ट, फूड और कपड़े की कंपनी खोलने की क्या जरूरत पड़ गई। ऐसी पैंतालीस कंपनियों को खोलने का मकसद क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि टैक्स चोरी के मकसद से इन कंपनियों को खोला गया है? कहीं इन कंपनियों की आड़ में काले धन को ठिकाने लगाने का काम तो नहीं किया जा रहा?
क्या उन्होंने खुद योग के नाम पर एक बड़ा व्यापारिक साम्राज्य नहीं खड़ा किया ?

एक दुसरा पक्ष ये है की काले धन के मामले में सरकार का रवैया इतना ढुलमुल क्यूँ है ?

सवाल ये भी है की किस देश की जनता को ये पता होता है की उसके देश से मिलने वाले अधिकार और कर्तव्य कितने हैं ? विकसित देशों में भी ये सब चीज़ें बहुत कम मायने रखती हैं सिवाय आर्थिक हित के |

हमारा देश एक संक्रमण काल से गुजर रहा है | ऐसी स्थिति में आम आदमी में इस प्रकार का विरोध और संघर्ष होना विचारों की परिपक्वता को दिखाता है | आज आवाजे उठ रहीं हैं कल इन पर कार्यवाही भी होगी | ये तो विकास के चरण हैं इसमें जो आगे आता है हम उनका समर्थन या विरोध कर देतें हैं | हम में से बहुत लोग भ्रष्टाचार के मामले में बाबा का साथ देना चाहेंगे पर व्यक्तिगत तौर पर उनका विरोध भी करेंगें |
अब सवाल है की हमें क्या करना है तो इतना तो स्पष्ट है की भ्रष्टाचार के मामले में एक जुट होकर कुछ तो बदलाव कर सकतें हैं |
आगे यदि ये साबित हो जाए की खुद रामदेव भी इस मामले में दोषी हैं तो उनका बहिष्कार भी किया जा सकता है |
फिलहाल तो हमें ये करना चाहिए की कोई यदि चाँद दिखा रहा है तो हम चाँद को देखें न की उंगली !!

jai_bhardwaj
13-06-2011, 11:07 PM
फर्क तो होता ही है और वो हम सब भली भाँति जानते हैँ । अपनी लोकप्रियता को कैश करने के लिये जब बाबा राजनीति का दामन थामने लगते हैँ तो नेता और बाबा मेँ क्या फर्क है । ------------ बाबा मेँ क्रान्ति की तासीर तो है मगर मदांध मेँ हड़बड़ाने और डंडोँ से खौफजदा होने का स्वभाव उन्हेँ पीछे ढकेल गया और नेपथ्य मेँ रह गया खिसियाया हुआ पिपहरी नाद । जनता का आर्तनाद न जाने कहाँ गुम हो गया । शायद यही उसकी नियति है , कल भी और आज भी ......

इस विषय में मेरे विचारों के एक एक शब्द इस वक्तव्य में सम्मिलित हैं / धन्यवाद अनिल भाई /
यदि अब भी स्वामी जी अपने खोल में नहीं लौटे तो निश्चित ही भविष्य में उन्हें पराभव और अपमान का सामना करना पड़ सकता है /
उनका यह दंभ कि 'लाखों की संख्या में उन्हें योग गुरु मानने वाले लोग उनकी महत्वाकांक्षा को फलीभूत करेंगे' गंगा में बह गया है /बाबा के लगातार बदलते वक्तव्य उनकी राजनैतिक अकुशलता और वैचारिक दोष को प्रकट करते हैं /बाबा एक अच्छे योग गुरु हैं / उन्हें योग सिखाते रहना और दवाएं बेचते रहना चाहिए /
निकट भविष्य में उनपर आने वाली जांचों में कुछ चौकाने वाले तथ्य उजागर हो सकते हैं / हमें सच की प्रतीक्षा है /
धन्यवाद /

Kumar Anil
15-06-2011, 09:35 AM
इस विषय में मेरे विचारों के एक एक शब्द इस वक्तव्य में सम्मिलित हैं / धन्यवाद अनिल भाई /
यदि अब भी स्वामी जी अपने खोल में नहीं लौटे तो निश्चित ही भविष्य में उन्हें पराभव और अपमान का सामना करना पड़ सकता है /
उनका यह दंभ कि 'लाखों की संख्या में उन्हें योग गुरु मानने वाले लोग उनकी महत्वाकांक्षा को फलीभूत करेंगे' गंगा में बह गया है /बाबा के लगातार बदलते वक्तव्य उनकी राजनैतिक अकुशलता और वैचारिक दोष को प्रकट करते हैं /बाबा एक अच्छे योग गुरु हैं / उन्हें योग सिखाते रहना और दवाएं बेचते रहना चाहिए /
निकट भविष्य में उनपर आने वाली जांचों में कुछ चौकाने वाले तथ्य उजागर हो सकते हैं / हमें सच की प्रतीक्षा है /
धन्यवाद /

शुक्रिया , जय भाई ! यह अद्भुत संयोग अत्यन्त सुखद है कि मै आपके विचारोँ को शब्दोँ का अमलीजामा पहना सका , उन्हेँ मूर्तता प्रदान करने मेँ कामयाब हो सका ।
खोल मेँ पड़े रहना तो उनकी तात्कालिक विवशता है । परिस्थितियाँ अनुकूल होते ही वे पुनः अपना रंग बदलते नजर आयेँगे और किँगमेकर का ख़्बाब पाले किसी कोटर मेँ अपना आशियाना बनाने की जद्दोजहद करेँगे । परिदृश्य से बाहर कर लतियाये जाने का यह सबक मिलना जरूरी भी था क्योँकि सत्ता को चुनौती दिया जाना , उससे सौदेबाजी किया जाना , उस पर दबाब बनाना किसी भी स्थिति मेँ देश के लिये हितकारी नहीँ है और न ही लोकतन्त्र के लिये । आखिर कुछ तो वज़ह है कि इस देश मेँ 63 वर्षोँ से जनता सरकारेँ चुन रही है । जनता का अप्रत्यक्ष दबाब सरकार पर रहता है बावज़ूद इसके कि अधिसँख्य गरीबी की मार से अशिक्षित हैँ और शेष प्रबुद्ध बिना मत का प्रयोग किये बैठकोँ के द्वारा परोक्ष नियन्त्रण अपने हाथोँ मेँ समेटे हैँ । शायद इसीलिये अपने पड़ोसियोँ की तुलना मेँ हम बेहतर हैँ । कम से कम कोई सशस्त्र सेना बनाने का मंसूबा तो नहीँ पालता । वो धैर्य रखता है अगले चुनाव मेँ विवेकानुसार सही पात्र का चयन करने का । उन्माद पैदा करने की क़ोशिश नहीँ करता जैसा कि भाजपा ने एक शार्टकट के जरिये सत्तानशीन होने के लिये किया था । सत्ता को चुनौती देना तो तानाशाही का द्योतक है और फैसला हमेँ करना है कि हमेँ कहाँ खड़े होना है ??????

YUVRAJ
21-06-2011, 11:33 AM
:clap:...:clap:...:clap:...:bravo:शुक्रिया , जय भाई ! यह अद्भुत संयोग अत्यन्त सुखद है कि मै आपके विचारोँ को शब्दोँ का अमलीजामा पहना सका , उन्हेँ मूर्तता प्रदान करने मेँ कामयाब हो सका ।
खोल मेँ पड़े रहना तो उनकी तात्कालिक विवशता है । परिस्थितियाँ अनुकूल होते ही वे पुनः अपना रंग बदलते नजर आयेँगे और किँगमेकर का ख़्बाब पाले किसी कोटर मेँ अपना आशियाना बनाने की जद्दोजहद करेँगे । परिदृश्य से बाहर कर लतियाये जाने का यह सबक मिलना जरूरी भी था क्योँकि सत्ता को चुनौती दिया जाना , उससे सौदेबाजी किया जाना , उस पर दबाब बनाना किसी भी स्थिति मेँ देश के लिये हितकारी नहीँ है और न ही लोकतन्त्र के लिये । आखिर कुछ तो वज़ह है कि इस देश मेँ 63 वर्षोँ से जनता सरकारेँ चुन रही है । जनता का अप्रत्यक्ष दबाब सरकार पर रहता है बावज़ूद इसके कि अधिसँख्य गरीबी की मार से अशिक्षित हैँ और शेष प्रबुद्ध बिना मत का प्रयोग किये बैठकोँ के द्वारा परोक्ष नियन्त्रण अपने हाथोँ मेँ समेटे हैँ । शायद इसीलिये अपने पड़ोसियोँ की तुलना मेँ हम बेहतर हैँ । कम से कम कोई सशस्त्र सेना बनाने का मंसूबा तो नहीँ पालता । वो धैर्य रखता है अगले चुनाव मेँ विवेकानुसार सही पात्र का चयन करने का । उन्माद पैदा करने की क़ोशिश नहीँ करता जैसा कि भाजपा ने एक शार्टकट के जरिये सत्तानशीन होने के लिये किया था । सत्ता को चुनौती देना तो तानाशाही का द्योतक है और फैसला हमेँ करना है कि हमेँ कहाँ खड़े होना है ??????