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View Full Version : ताऊ के किस्से


The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:29 PM
ताऊ लोग हर क्षेत्र में मिलेंगे कुछ ताऊ तेज तर्रार होते है कुछ बड़े भोले भाले | गांवों में अक्सर ऐसे भोले भाले ताऊ अपनी हरकतों व कार्यकलापों से गांव वासियों की ठिठोली व मजाक के पात्र बनते रहते है और इस हंसी ठिठोली का खुद भी और गांव वाले साथ भरपूर लुफ्त उठाते है |हँसते और हंसाते रहते है पेश है ऐसे ही कुछ ताऊओं के कुछ मनोरंजक और हास्य किस्से जो आपको खूब पसंद आयेंगे .......आपको सबको कितना पसंद आया इस बात का पता मुझे आपके पोस्ट और थैंक्स से चल जायेगा
दोस्तों सूत्र को जितना आप चाहेंगे उतना ही मनोरंजक बना दूँगा बस आप मेरे साथ रहे

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:33 PM
तो आपके सामने है पहला किस्सा
भूतों की भूतनी ...


एक गांव में एक ताऊ रहता था उसकी पत्नी ताई बहुत खुर्राट थी उसने नियम बना रखा था कि सुबह उठते ही घर के बाहर एक नियत जगह पर ताऊ को खड़ाकर रोज उसके बीस जूते जरुर मारने है | इस नियम का ताई कठोरता से पालन करती थी | ताऊ शादी के कई महीनों तक तो इस उम्मीद के साथ जूते खाता रहा कि कभी तो ताई को तरस आएगा और जूते मरने का नियम छोड़ देगी पर ताई कहाँ मानने वाली थी | आखिर एक दिन ताऊ काम के बहाने घर से निकला और गांव छोड़कर भाग गया |

arvind
08-06-2011, 11:34 PM
ताऊ लोग हर क्षेत्र में मिलेंगे कुछ ताऊ तेज तर्रार होते है कुछ बड़े भोले भाले | गांवों में अक्सर ऐसे भोले भाले ताऊ अपनी हरकतों व कार्यकलापों से गांव वासियों की ठिठोली व मजाक के पात्र बनते रहते है और इस हंसी ठिठोली का खुद भी और गांव वाले साथ भरपूर लुफ्त उठाते है |हँसते और हंसाते रहते है पेश है ऐसे ही कुछ ताऊओं के कुछ मनोरंजक और हास्य किस्से जो आपको खूब पसंद आयेंगे .......आपको सबको कितना पसंद आया इस बात का पता मुझे आपके पोस्ट और थैंक्स से चल जायेगा
दोस्तों सूत्र को जितना आप चाहेंगे उतना ही मनोरंजक बना दूँगा बस आप मेरे साथ रहे
हमे तो इसका बेसब्री से इंतजार है भाई।

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:35 PM
अपने गांव से दूर दुसरे गांव में जाकर ताऊ ने एक बणिये के यहाँ नौकरी कर ली | ताऊ के भागने के बाद भी ताई अपना नियम निभाने उस जगह बीस जूते रोज जमीन पर मारती जहाँ वह ताऊ को खड़ा किया करती थी | ताई द्वारा एक जगह रोज जूते मारने के चलते उस जगह एक गडडा हो गया और उसी गडडे के नीचे एक भूत रहता था जैसे जैसे गडडा गहरा होता गया ताई के जूते भूत के सिर में लगने लगे | बेचारा भूत रोज जूते खाकर बड़ा दुखी हुआ सोचता - " ताऊ ने भाग कर अपना पीछा छुड़ा लिया पर मैं कैसे भागूं ? काश मैं मन्त्रों से से बंधा नहीं होता तो अब तक ताऊ की तरह यहाँ से भाग लेता |

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:37 PM
हमे तो इसका बेसब्री से इंतजार है भाई।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद अरविन्द भाई

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:41 PM
काश ये तांत्रिक द्वारा गाड़ी हंडिया फूट जाये जिसमे मुझे बांधने के मन्त्र है और मैं यहाँ से भाग इस ताई से पीछा छुड़ाऊं |
कुछ वर्षों बाद ताई द्वारा लगातार उस जगह जूते मारने के चलते गडडा गहरा होता गया और हंडिया थोड़ी बाहर निकल गयी उसके ऊपर जूते पड़ते ही टूट गयी |
हंडिया टूटते ही भूत आजाद हो गया और उसने भी आव देखा न ताव उसी दिशा में दौड़ लगा दी जिधर ताऊ गया था | दौड़ते दौड़ते भूत भी उसी गांव में पहुँच गया जहाँ ताऊ बणिये के यहाँ मजदूरी किया करता था | भूत की नजर जब ताऊ पड़ी तो वह ताऊ के पास गया और ताऊ से कहने लगा - "तूं तो सात आठ महीने जूते खाकर भाग आया और यहाँ मौज कर रहा है पीछे से तेरी औरत ने जूते मार मारकर मेरी टाट का एक बाल भी नहीं छोड़ा बहुत

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:43 PM
मुश्किल से बचकर भागकर आया हूँ |"
ताऊ कहने लगा - " भूत भाई ताई के जूतों से बचा हुआ हूँ पर यार यहाँ भी कड़ी मेहनत करने के बाद भी सूखी रोटियां ही खाने को मिलती है बणिया बहुत शोषण करता है |"
भूत- " ताऊ तेरे लिए मैं इतना कर सकता हूँ कि मैं बणिये के बेटे के शरीर में घुस जवुंगा और किसी भी तांत्रिक आदि से नहीं निकलूंगा जब बणिया पूरा दुखी हो जाये तो तूं बणिये से जाकर बहुत सारे धन के बदले मुझे निकलने का सौदा कर लेना मैं तेरे कहने पर ही निकलूंगा | इस तरह तूं धन कमाकर आराम से रहना | पर एक बात ध्यान रखना बणिये के बेटे शरीर से निकलने के बाद मैं जिसके शरीर में घुसूं तूं वहां मत आना,आ गया तो तेरी गर्दन

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:44 PM
तौड़ डालूँगा |"
और भूत बणिये के बेटे के शरीर में घुस गया | बणिये ने कई जादू टोने वाले,कई तांत्रिक ,कई बाबाओं को ओझाओं को बुलाया पर उस भूत को उसके बेटे के शरीर से कोई नहीं निकाल सका | तब ताऊ ने बणिये को कहा कि इस भूत को निकालना तो उसके बाएं हाथ का खेल है बस थोडा धन देना पड़ेगा,बणिया तो अपने बेटे को बचाने कितना भी देना खर्चने हेतु तैयार था बोला - " ताऊ धन मुंह माँगा ले पर जल्द से जल्द इस भूत को मेरे बेटे के शरीर से निकाल |"
ताऊ बणिये के बेटे के पास गया और भूत को डांटते हुए बोला-" चल निकल बाहर नहीं तो तेरा सिर फोड़ दूंगा |"

ndhebar
08-06-2011, 11:45 PM
मजेदार सूत्र शुरू किया है पंकज जी
हमारी उत्सुकता को जागृत कर दिया है

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:46 PM
इतना कहते ही भूत निकल गया | बणिया का बेटा ठीक हो गया | बणिये ने ताऊ को बहुत सारा धन दे दिया | उधर ताऊ के इस कारनामे की आस-पास के गांवों में चर्चा होने लगी कि " ताऊ कैसा गुणी व्यक्ति है जो काम इतने बड़े बड़े तांत्रिक,ओझे व बाबाजी नहीं कर सके वो ताऊ ने इतनी सरलता से कर दिया | चारों और ताऊ के इस कारनामे की चर्चा होने लगी |
उधर भूत बणिये के बेटे के शरीर से निकल राजा के कुंवर के शरीर में घुस गया | राजा ने भी कई तांत्रिक,ओझे,बाबाओं को बुलाया पर कोई उस भूत को नहीं निकाल सका | किसी ने राजा तक ताऊ की बात पहुंचा दी कि -"ये काम तो ताऊ आसानी से कर सकता है |"

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:50 PM
मजेदार सूत्र शुरू किया है पंकज जी
हमारी उत्सुकता को जागृत कर दिया है
शुक्रिया भाई आप यूँ ही मेरा उत्साह बढ़ाते रहे

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:53 PM
राजा ने अपने आदमियों को ताऊ के पास भेजा | अब ताऊ फंस गया एक तरफ भूत की चेतावनी कि गर्दन तौड़ दूंगा और दूसरी तरफ राजा का खौफ | ताऊ ने राजा के लोगों को समझाया कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानता, वो बणिया का बेटा तो ऐसे ही तुक्के में ठीक हो गया |
राजा के आदमी बोले - " तो कोई बात नहीं कुंवर के पास भी जाकर तुक्का मार दे |"
और राजा के आदमी ताऊ को पकड़ राजमहल ले गए | अब बेचारा ताऊ बुरा फंस गया भूत के पास जाये तो गर्दन तौड़ दे और ना जाये तो राजा गर्दन काट दे |

ndhebar
08-06-2011, 11:54 PM
अब तो फंस गया ताऊ :lol::lol:

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:54 PM
ताऊ ने अपना दिमाग लगाया और बोला - " ठीक है पर मेरे कुंवर के पास जाने से पहले महल खाली कर दें कुंवर के अलावा महल में कोई नहीं रहे |"
जब सब लोग महल से निकल गए तो ताऊ ने महल में जाकर अपनी धोती के पायचे टांगे अपनी कमीज व बनियान फाड़कर चीथड़े चीथड़े कर लिए और अपनी जूतियाँ हाथ में ले कुंवर की तरफ बेतहासा भागते हुए कहने लगा - " अरे भूत ! भाग ,ताई आ गयी है |"
और कहते कहते ताऊ जोर से बाहर भागने लगा | ताऊ के पीछे भूत भी कुंवर के शरीर को छोड़कर ताई के डर से भागने लगा | भूत के शरीर से निकलते ही कुंवर ठीक हो गया और लोग फिर से ताऊ की जय जयकार करने लगे

ndhebar
08-06-2011, 11:56 PM
वाह, ताऊ तो दिमागदार निकला

The ROYAL "JAAT''
08-06-2011, 11:58 PM
अगर आपको सूत्र पसंद आये तो रेपोटेसन पॉइंट देकर मेरा होसला बढ़ाये .....

ndhebar
09-06-2011, 12:01 AM
अगर आपको सूत्र पसंद आये तो रेपोटेसन पॉइंट देकर मेरा होसला बढ़ाये .....
दिया जा चूका है बंधू

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 12:11 AM
अब घर में ही घोटो और पीवो


गांव के बाहर एक बाबा जी का आश्रम था बाबा जी भांग का नशा करते थे अतः आश्रम में नित्य भांग घोटने का कार्य होता रहता था | गांव के कुछ निट्ठले युवक भी भांग का स्वाद चखने के चलते रोज बाबा जी के पास चले आया करते थे | इनमे से कुछ युवक भांग का नित्य सेवन करने के कारण भांग के नशे के आदि हो चुके थे अतः वे रोज भांग पीने के चक्कर में बाबा जी के आश्रम पर पहुँच ही जाते फलस्वरूप बाबा जी का भांग का खर्च बढ़ गया जिसे

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 12:11 AM
कम करने के लिए बाबा जी ने निश्चय कर लिया था |
एक दिन उनका एक एसा चेला जीवा राम जो भांग के नशे का आदि हो चूका था हमेशा की तरह आश्रम पहुंचा | आश्रम का दरवाजा बंद देख जीवा ने बाबा जी को आवाज लगाई |
जीवा :- बाबा जी ! बाबा जी !! दरवाजा खोलिए |
बाबा जी :- अरे कौन ?
जीवा :- बाबा जी ! मै जीवो !
बाबाजी :- बेटा ! अब घर में ही घोटो और पीवो |

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 12:13 AM
ताऊ और समधन : नहले पर दहला.......

ताऊ रामजीलाल गन्ने के खेतों में काम करते करते उकता गया अतः ताऊ रामजीलाल ने कहीं घूम कर आने के उद्देश्य से अपने छोरे की ससुराल जाने का प्रोग्राम बना लिया | ताऊ ने सोचा एक घूमना हो जायेगा और दूसरा समधियों से मिलना भी | और आते वक्त कुछ न कुछ उपहार भी मिल जायेगा |अब छोरे की ससुराल जाना है तो साथ मिठाई आदि भी तो ले जानी पड़ती है अतः ताऊ रामजीलाल कौनसी मिठाई ले जानी चाहिए इस पर गहन विचार करने लगा ताऊ को कुछ समझ नहीं आ रहा था और फिर ताऊ सस्ते में भी निपटने के चक्कर में था |

MissK
09-06-2011, 12:20 AM
अगर आपको सूत्र पसंद आये तो रेपोटेसन पॉइंट देकर मेरा होसला बढ़ाये .....

वाह बहुत ही मनोरंजक कहानियों वाला सूत्र बनाया है.....:bravo::bravo:

jitendragarg
09-06-2011, 08:54 AM
good! :bravo:

khalid
09-06-2011, 09:20 AM
दिया जा चूका है बंधू

और मैँने भी दे दिया
( चलो जान छुटी .मजाक .)

YUVRAJ
09-06-2011, 10:16 AM
वाह पंकज भाई .....:bravo::bravo::bravo:
कमाल का रायल सूत्र दिया है आपने ...:)..कीप ईट अप..:hurray::hurray::hurray:

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:10 PM
दिया जा चूका है बंधू
बहुत बहुत धन्यवाद बंधू

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:15 PM
वाह बहुत ही मनोरंजक कहानियों वाला सूत्र बनाया है.....:bravo::bravo:
धन्यवाद कम्य जी आगे भी यहाँ आते रहे

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:20 PM
और मैँने भी दे दिया
( चलो जान छुटी .मजाक .)

अरे खालिद भाई अभी से जान छुडाने लगे हो पर में इतनी जल्दी जान छोड़ने वाला नही हूँ आगे भी यहाँ मेरी मदद करनी होगी में मजाक नही करता

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:23 PM
वाह पंकज भाई .....:bravo::bravo::bravo:
कमाल का रायल सूत्र दिया है आपने ...:)..कीप ईट अप..:hurray::hurray::hurray:
धन्यवाद मित्र आगे भी ऐसे ही सूत्र ओक्रने की कोशिस करूँगा

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:25 PM
आखिर ताऊ को एक आईडिया आया कि सभी मिठाइयाँ तो चीनी (मीठे) से बनती है और चीनी (मीठा) गन्ने से बनती है अतः क्यों ना छोरे की ससुराल वालों के लिए गन्ने का ही एक गट्ठर ले जाया जाय | गन्ना ताऊ के खेत में खूब था सो ताऊ गन्ने एक गट्ठर बाँध सिर पर रख पहुँच गया अपने छोरे की ससुराल | वहां पहुँच ताऊ गन्ने का गट्ठर समधन को देते हुए बोला -
ताऊ :- समधन जी ! जै राम जी की ! यह लीजिये यह गन्ने का गट्ठर | दरअसल में मिठाई की जगह ये ही ले आया हूँ अब आप देखिए ना गन्ने से ही चीनी बनती है और चीनी से ही मिठाई बनती है अतः जब सब कुछ बनना ही गन्ने से है तो मिठाई आदि लाने का क्या फायदा ?

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:31 PM
समधन भी किसी ताई से कम नहीं थी मिठाई की जगह गन्ने की गठरी देख मन ही मन सोचने लगी कि इस कंजूस ताऊ को तो इसका जबाब विदाई के समय दूंगी | आखिर दो दिन की मेहमानवाजी कराने के बाद जब ताऊ अपने गांव आने के लिए रवाना होने लगा तो समधन ताऊ को विदाई के साथ एक कपास(रुई) की गठरी थमा बोली -
समधन :- हे समधी ताऊ ! इसी कपास से धागे बनते है और धागों से ही कपडा बनता है अतः यह कपास की गठरी आपका विदाई उपहार है अपने लिए धोती कुरता बनवा लेना |

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:41 PM
दोस्तों आपके सहयोग के लिए में आपका शुक्रगुजार हूँ
और अब आपके सामने है ताऊ का न्य किस्सा
ताऊ और एक करोड़ की लाटरी


अनाज मण्डी में अनाज बेचकर ताऊ जैसे ही बाहर निकला एक लाटरी बेचने वाला लड़का लाटरी का टिकट बेचने को ताऊ के पीछे लग लिया | ताऊ की लाटरी खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन लड़का कहाँ मानने वाला था |
लाटरी वाला :- ताऊ ये सिर्फ दस रूपये की टिकट सै , खरीद ले इनाम निकल गया तो पुरे एक करोड़ मिलेंगे |
ताऊ :- मनै ना खरीदनी है | ऐसे ही कोई दस रूपये की टिकट के बदले एक करोड़ कैसे दे देगा |

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:44 PM
लाटरी वाला :- ताऊ दस रूपये में तेरा क्या ज्यारा सै , तू म्हनै घणा शरीफ आदमी लाग रह्या सै म्हनै तो लागरया सै के या लाटरी तो थारै ही निकलेगी | अब देर न कर और राम जी व बजरंग बलि का नाम ले खरीद ले |
लाटरी वाले लड़के द्वारा इस तरह आग्रह करने के बाद आखिर ताऊ ने लाटरी का टिकट खरीद लिया और अपने गांव की बस पकड़ गांव चला आया |
कुछ दिन बाद नियत समय पर लाटरी का ड्रा निकला और और पहला इनाम एक करोड़ ताऊ के नाम था | लाटरी विभाग के अफसरों ने ताऊ के बारे जानकारी जुटाने के बाद सोचा कि ये ताऊ गांव का रहने वाला भोला भाला बुजुर्ग किसान है जिसने अपनी पूरी जिन्दगी में कभी इतने घणे रूपये देखे तो होंगे नहीं सो इतनी बड़ी रकम एकदम मिलने पर या मिलने की

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:46 PM
सुनकर ही कहीं ताऊ को दिल आदि का दौरा ना पड़ जाए अतः ताऊ को एक करोड़ का इनाम जीतने की सुचना देने से पहले एक मनोचिकित्सक को ताऊ के पास भेजा जाए जो ताऊ से मिल उसकी पूरी जाँच करके आश्वस्त होने पर ताऊ को लाटरी विजेता बनने की खबर सुनाए | अतः इसी निमित लाटरी विभाग के अफसरों ने सरकारी अस्पताल के एक मनोचिकित्सक डाक्टर को यह जिम्मा दे ताऊ के गांव भेज दिया |

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:49 PM
डाक्टर गांव पहुँच ताऊ से मिला चाय नाश्ता करते हुए काफी देर तक डाक्टर ताऊ से इधर उधर की बात करने के बाद पूछा :
डाक्टर :- ताऊ यदि किसी लाटरी वाटरी में तेरे ५ लाख का इनाम निकल जाए तो ?
ताऊ : - डाकदर जी पिछली बार शहर गया था तब एक करोड़ की लाटरी वाली एक टिकट खरीदी थी वो लड़का भी पक्का कह रहा था कि ताऊ इनाम तेरा ही निकलेगा | तो डाकदर साहब निकलना तो पूरा एक करोड़ चाहिए पर चलो आप ५ लाख बता रहे हो तो वो भी ठीक है इन रुपयों से यह जो झोपडा आप देख रहे हो इसकी जगह पक्का घर बनवा लूँगा |
डाक्टर :- और ताऊ इनाम १० लाख निकले तो उसका क्या करोगे ?
ताऊ :- डाकदर जी दुसरे बेटे के लिए भी एक घर बनवा दूंगा |

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:56 PM
डाक्टर :- और ताऊ इनाम यदि १५ लाख निकले तब ?
ताऊ :- तब तीसरे बेटे के लिए भी एक अलग घर बनवा दूंगा |
डाक्टर :- और इनाम ३० लाख निकले तब क्या करोगे ?
ताऊ :- तीनो बेटों को टेक्टर दिलवा दूंगा |
डाक्टर :- और इनाम में चालीस लाख निकले तब ?
ताऊ :- तीनो बेटों को घर और टेक्टर दिलवाने के बाद बाकी वाले १० लाख अपने व ताई के बुढापे के लिए रख लूँगा |
डाक्टर :- और ताऊ जै लाटरी के इनाम में ५० लाख निकल जाए तब इतने रुपयों का क्या करेगा |
ताऊ :- ऐसा डाकदर जी ४० लाख में अपने सारे काम हो गए बाकि बचे १० लाख लेकर ताई के साथ तीर्थाटन पर निकल जाऊंगा | जब तक दस लाख रूपये खर्च नहीं होंगे ताई के साथ तीर्थाटन पर ही रहूँगा |

The ROYAL "JAAT''
09-06-2011, 09:57 PM
डाक्टर :- लेकिन ताऊ जैसे वो लड़का तुझे बता रहा कि इनाम में पुरे एक करोड़ तुम्हारे नाम निकलेगा यदि ऐसा हुआ तो फिर बाकी ५० लाख का क्या करोगे ?
ताऊ :- देखो जी डाकदर साहब बेटों के लिए घर ,टेक्टर अपने बुढापे के लिए जमा पूंजी और सारे तीर्थों का तीर्थाटन करने का खर्चा मिलने से अपना तो सारा काम हो गया | अब मुझे तो कोई जरुरत है नहीं सो बाकी के ५० लाख आपको दे दूंगा |
डाक्टर चूँकि सरकारी डाक्टर था उसकी भी कोई ज्यादा कमाई तो थी नहीं सो डाक्टर ने भी कभी सपने में भी ५० लाख रूपये मिलने की नहीं सोची थी | अतः जब ताऊ द्वारा ५० लाख देने की घोषणा सुनी तो डाक्टर अवाक् रह गया और इसी दौरान ज्यादा ख़ुशी ना झेल पाने की वजह से डाक्टर को दिल का दौरा पड़ गया |

The ROYAL "JAAT''
10-06-2011, 12:58 PM
ताऊ ने बनाया कुल्हाड़ी का हलवा..


ताऊ के पड़ोस के एक गांव में एक बहुत ही कंजूस बुढ़िया रहती थी | एक दिन ताऊ उसी गांव में अपने दोस्त जीवन खाती से मिलने गया | गांव के बहार बरगद के पेड़ के निचे उस गांव के कई लोगो की हथाई (आपसी बातचीत के लिए जुटी भीड़ )जुटी हुई थी और गांव के लोग उस आपसी बातचीत में उस कंजूस बुढ़िया की चर्चा कर रहे थे जीवन खाती भी वहां मौजूद था | जैसे ही ताऊ उन लोगो के पास पहुंचा, जीवन खाती ने ताऊ से राम-राम कर गांव वालों को ताऊ का परिचय कराया और कहा कि मेरा ये दोस्त ताऊ इतना तेज है कि कंजूस बुढ़िया जो किसी को खाना खिलाना तो दूर पानी तक नहीं पिलाती, से हलवा बनवा कर खा कर भी आ सकता है | ताऊ के इस तरह के कौशल की चर्चा सुन गांव वालों ने ताऊ से इस तरह का कौशल दिखाने का आग्रह किया |

The ROYAL "JAAT''
10-06-2011, 01:09 PM
अब ताऊ तो ठहरा आखिर ताऊ ! सो करली चुनौती स्वीकार कि ठीक है जो कंजूस बुढ़िया किसी को पानी तक नहीं पिलाती आज मै उसके घर देशी घी का हलवा बना कर खा कर आऊंगा | और ताऊ पहुँच गया बुढ़िया के घर |
ताऊ - राम-राम बुढ़िया दादी ! मै पडोसी गांव का ताऊ, दूर से पैदल चल कर आ रहा हूँ थकान के साथ भूख भी लगी है कुछ रुखी-सूखी रोटी रखी है रसोई में तो दे दे खाने को |
बुढ़िया -- अरे बेटा ! मै ठहरी एक बीमार बुढ़िया ! मेरे घर में खाना तो क्या ? पानी तक नहीं है और मैंने खुद पिछले एक हफ्ते से भूखी बैठी हूँ ( बुढ़िया ने बहाना बनाया ) |

The ROYAL "JAAT''
10-06-2011, 01:12 PM
ताऊ -- अरे बुढ़िया ! एक हफ्ते से भूखी बैठी है ? सत्यानाश हो इन गांव वालों का जो एक बीमार बुढ़िया तक को नहीं पूछ सकते | खैर .. अब मै आ गया हूँ तू चिंता मत कर | तू कई दिनों से भूखी है और तेरे मुंह में तो दांत भी नहीं है इसलिय मै तुझे अभी हलवा बना कर खिलाता हूँ |
बुढ़िया -- लेकिन बेटा रसोई में कुछ भी खाद्य सामग्री नहीं है , हलवा बनाएगा कैसे ? (बुढ़िया ने फिर ताऊ को टरकाने की कोशिश की )
ताऊ - अरी बुढ़िया ! तू आटे,घी,चीनी की क्यों चिंता करती है वो तो मुझे चाहिय चाहिय ही नहीं ! मुझे तो तू लकडी फाड़ने वाली कुल्हाड़ी दे दे आज मै तुझे कुल्हाड़ी का हलवा बना कर खिलाऊंगा और हाँ तेरी कुल्हाड़ी का भी कुछ नहीं बिगडेगा वैसी की वैसी ही रहेगी |

The ROYAL "JAAT''
10-06-2011, 01:33 PM
ताऊ की बात सुन बुढ़िया की भी फ्री का हलवा खाने को लार टपक गयी उसने सोचा बिना आटा,घी और चीनी के हलवा बन रहा है तो खाने में हर्ज ही क्या है | और बुढ़िया ने ताऊ को कुल्हाड़ी लाकर दे दी | ताऊ ने कुल्हाड़ी को साफ कर,चूल्हे पर कडाही चढा ,कुछ देर तक खाली गर्म कड़ाही में कुल्हाड़ी घुमाता रहा | थोड़ी देर में ........
ताऊ -- बुढ़िया ! हलवा तो अच्छा बन रहा है लेकिन कुल्हाड़ी की वजह से थोड़ा कड़क बन रहा है ,तुझे खाने में थोड़ी तकलीफ न हो इसके लिए हो सके तो थोड़ा आटा ले आ यदि है ठीक वरना मै तो ऐसे ही बना लूँगा |
(बुढ़िया ने सोचा थोड़ा सा आटा देने के बदले में ही हलवा खाने को मिल रहा है तो क्या हर्ज सो ले आई आटे का डिब्बा और दे दिया ताऊ को | ताऊ ने जरुरत का आटा निकाल कर फिर कुल्हाड़ी कड़ाही में घुमाता नाटक करता रहा | और थोड़ी देर फिर बोला ..)

The ROYAL "JAAT''
10-06-2011, 01:53 PM
ताऊ -- बुढ़िया ! और तो सब ठीक है हलवा बन भी बहुत बढ़िया रहा है बस थोड़े से घी की कमी पड़ रही है हालाँकि मुझे तो ज्यादा घी खाने की आदत भी नहीं है और ज्यादा घी खाना डाकदर ने भी मना कर रखा है लेकिन कम घी के हलवा तेरे गले से निचे नहीं उतरेगा अतः यदि घर में थोड़ा सा घी हो तो ला दे वरना कोई बात नहीं में तो बिना घी के हलवा बना ही रहा हूँ |
(अब बुढ़िया ने सोचा कि ये ताऊ तो बिना घी का हलवा बना कर ही खाकर चला जायेगा और बिना घी के मेरे गले में अटकने का पूरा डर है सो बुढ़िया उठी और ही का डिब्बा भी लाकर ताऊ को दे दिया | अब ताऊ को आटा और घी मिल चूका था सिर्फ चीनी की ही कमी रह गयी थी | ताऊ ने आटा घी में भूनने के बाद कुल्हाड़ी कड़ाही में घुमाते-घुमाते हलवा चखने का नाटक करते हुए फिर बुढ़िया से कहा )

The ROYAL "JAAT''
10-06-2011, 02:04 PM
ताऊ - बुढ़िया ! हलवा तो बहुत अच्छा बना है | बस थोड़ा सा मिठास कम है हालाँकि मुझे तो फीका हलवा खाना ही पसंद है क्योकि डाकदर साहब ने भी ज्यादा मीठा खाना मना किया हुआ है लेकिन यदि तुझे थोड़ा मिठास चाहिय तो यदि है तो थोडीसी चीनी ले आ वरना कोई बात नहीं |
अब बेचारी बुढ़िया क्या करती फीका हलवा तो खा नहीं सकती उसका आटा घी तो लग ही चूका था सो उठी और चीनी का डिब्बा लाकर भी ताऊ को दे दिया | अब ताऊ ने आराम से बढ़िया हलवा बनाया ,खुद भी खाया ओर कंजूस बुढ़िया को भी खिलाया |
जाते-जाते ताऊ ने कुल्हाड़ी को फिर साफकर बुढ़िया को वापस पकडाते हुए बोला ..
ताऊ -- ये ले बुढ़िया अपनी कुल्हाड़ी ! देख इसका कुछ भी नहीं घिसा ओर बन गया हलवा बिना कुछ खाद्य सामग्री लगे |

The ROYAL "JAAT''
10-06-2011, 05:54 PM
मैनेजर ताऊ और तीन लिफाफे.....

कई सालों से मैनेजर ताऊ अपनी कम्पनी को बढ़िया तरीके से लाभ में चला रहा था | कम्पनी में काम करने वाले कई सहकर्मी मैनेजर ताऊ की इस सफलता से मन ही मन बड़े जलते थे | लेकिन ताऊ के आगे उनकी एक न चलती थी लेकिन जब से सेठ के छोरे ने विदेश से प्रबंधन की पढाई कर लौटने के बाद कम्पनी का कार्यभार संभाला ताऊ विरोधियों ने उसे ताऊ के खिलाफ बहला फुसला दिया | चापलूसों से घिरा सेठ का छोरा उनके कहने पर कम्पनी कार्यों में कई उल्टे सीधे निर्णय लेने लगा जाहिर है ऐसे में कम्पनी का नुकसान होना तय था | मेनेजर ताऊ ने सेठ के छोरे को खूब समझाया कि ये हिंदुस्तान है यहाँ सफल होने के लिए सिर्फ पढाई से काम नहीं चलता

jai_bhardwaj
10-06-2011, 11:45 PM
बहुत ही चटखारेदार किस्से हैं बन्धु

धन्यवाद /

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:28 AM
बहुत ही चटखारेदार किस्से हैं बन्धु

धन्यवाद /


धन्यवाद भाद्वाज जी

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:29 AM
पढाई के साथ गुणाई भी चाहिए जो विदेशों में नहीं सिर्फ ताऊ प्रबंधन विश्वविद्यालय में ही मिलती है जिसका पास आउट मै हूँ इसलिए मेरा कहना मान वर्ना इन चमचो के कहने से चलेगा तो तेरी ये कम्पनी एक दिन बंद हो जायेगी | पर चमचों से घिरे सेठ के छोरे को ताऊ की बात कहाँ समझ आने वाली थी |बदली परिस्थितियां देखा मैनेजर ताऊ ने इस्तीफा देकर किसी अन्य कम्पनी की राह पकड़ी | पर ताऊ को पता था कि अब ये चापलूस मण्डली कोई भी आने वाले मैनेजर को ढंग से काम नहीं करने देगी और घाटे में जाने के कारण बेचारे

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:30 AM
की नौकरी ना चली जाए अतः ताऊ ने नए मैनेजर को कार्यभार सौंपते हुए तीन लिफाफे यह कहते हुए दिए कि जब भी तुम्हारी नौकरी के ऊपर कोई संकट आये तब इन लिफाफों में से लिखे नंबर के अनुसार बारी बारी से खोलना तुम्हे संकट से निकलने का रास्ता मिलेगा |
साल भर बाद जैसे ही कम्पनी का लाभ-हानि खाता बना कम्पनी घाटे में थी इस वजह से अपनी नौकरी पर लटकी तलवार का संकट देख नए मैनेजर को ताऊ के लिफाफे याद आये उसने तुंरत लिफाफा न. १ खोला जिसमे लिखा था -
" अपनी नाकामयाबियों का सारा दोष मेरे ऊपर डाल दो " |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:31 AM
मैनेजर ने यही किया सेठ को कह दिया कि " ताऊ के कार्यकाल में उसके द्वारा लिए गए गलत निर्णयों की वजह से कम्पनी में घाटा हुआ है यह तो मै था सो कम्पनी को कुछ संभाल लिया वरना ताऊ तो पूरी कम्पनी को ही डुबोने का काम कर गया था |
इस तरह मैनेजर ने अपनी नाकामयाबी का दोष ताऊ के सिर मढ़ अपनी नौकरी बचा ली | पर अगले साल फिर कम्पनी घाटे में | फिर मैनेजर ने ताऊ का लिफाफा खोला | लिखा था -" सारा दोष सरकारी नीतियों पर डाल दो " मैनेजर पढ़कर समझ गया और उसने यही किया सारा दोष सरकार की बदली नीतियों पर डाल कर फिर नौकरी बचा ले गया |
तीसरी साल कम्पनी फिर घाटे में | मैनेजर ने ताऊ द्वारा दिया तीसरा लिफाफा खोला जिसमे लिखा था|
"अब बहुत हो गया इसलिए अब इस्तीफा देकर नए मैनेजर के लिए तू भी ऐसे ही तीन लिफाफे तैयार करले "

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:35 AM
ताऊ ने खोली गांव में स्कूल....

ताऊ रामजीलाल के मन में समाज के भले के लिए कुछ करने की बड़ी तमन्ना थी लेकिन ताऊ किसी भी काम धंधे में कामयाब नहीं हो पा रहा था तो समाज सेवा कहाँ से करे फिर ताऊ कुछ पढ़ा लिखा भी बहुत कम था | किसी भी काम धंधे में कामयाब नहीं होने का कारण भी ताऊ अपनी शिक्षा की कमी को ही मानता था अतः ताऊ के मन में शिक्षा के लिए कुछ करने का जज्बा जागा उसने तय किया कि भले ही वह पढ़ लिख नहीं पाया लेकिन इस क्षेत्र में कुछ करके अपना रोजगार भी चलाया जा सकता है और समाज का भला भी |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:37 AM
इसी योजना के तहत ताऊ एक दूर दराज के गांव में पहुँच गया जहाँ स्कूल दूर दूर तक नहीं था वहां पहुँच ताऊ ने "ताऊ स्कूल " खोल दिया जिसमे गांव वालों ने अपने बच्चो को बड़े खुश होकर भरती भी करा दिया | चूँकि ताऊ खुद तो पढ़ा लिखा था नहीं जो बच्चो को कुछ पढ़ा पाता | लेकिन ताऊ भी तो आखिर ताऊ था सो उसने एक बच्चे को दुसरे को पढाने को कह दिया अब बच्चे आपस में ही एक दुसरे को पढाते रहे और ताऊ का स्कूल चलता रहा | गांव वाले भी खुश थे कि उनके बच्चों के लिए गांव में ही स्कूल खुल गया और बच्चे खुश कि मास्टर जी से डांट नहीं खानी पड़ती | ऐसे ही करके कोई चार छह महीने निकल गए |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:38 AM
एक दिन एक औरत के पति का जो फौज में था एक टेलीग्राम आया | अब गांव में कोई दूसरा इतना पढ़ा लिखा तो था नहीं इसलिए औरत टेलीग्राम पढ़वाने के लिए स्कूल में ताऊ मास्टर जी के पास चली आई | अब अंग्रेजी में टेलीग्राम देख ताऊ मास्टर जी के तो पसीने छुट गए और आखों के आगे अँधेरा छा गया | पढना आये तो टेलीग्राम पढ़े ना ! आखिर ताऊ को अपनी इस हालत पर रोना आ गया | ताऊ को रोता देख औरत ने सोचा शायद मेरा पति कही आतंकवादियों से लड़ता हुआ शहीद हो गया है और इसीलिए दुःख भरी खबर पढ़ कर मास्टर जी रो रहे है | सो उसने भी दहाड़े मार मार कर रोना शुरू कर दिया और थोडी देर में गांव में कोहराम मच

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:38 AM
गया हर कोई उस औरत के पति को मृत ही समझ रहा था | इसी बीच उसी गांव का एक पढ़ा लिखा नौजवान शहर से गांव पहुंचा और शोक प्रकट करने वह भी उस फौजी के घर चला आया वहां उसने जिज्ञासा वश उसने टेलीग्राम मांग लिया और पढने लगा | उस टेलीग्राम में उस फौजी की प्रमोशन होने व अगले हफ्ते छुट्टी आने की सुचना थी | ख़ुशी की खबर सुन उस औरत सहित सबकी जान में जान आई | और गांव के सरपंच सहित वह पढालिखा नौजवान टेलीग्राम ले मास्टर ताऊ के पास पहुंचे और ताऊ से झूंठ बोलने का कारण पूछा |
सरपंच - अरे ताऊ मास्टर जी ! इस टेलीग्राम में तो फौजी की तरक्की और छुट्टी आने की सुचना थी आपने उसके मरने की खबर क्यों सुना दी ?
ताऊ - सरपंच जी ! मैंने तो उस औरत को कुछ नहीं कहा | बस मुझे रोता देख वह यही समझी कि उसके पति के मरने की खबर होगी |
सरपंच - तो ताऊ मास्टर जी आप टेलीग्राम पढ़कर रोये क्यों ?

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:39 AM
ताऊ - सरपंच जी दरअसल बात यह है कि मुझे कुछ भी लिखना पढना नहीं आता इसलिए जब मै वह टेलीग्राम नहीं पढ़ पाया तो मुझे अपनी स्थिति पर रोना आ गया , में तो इसलिए रो रहा था कि काश आज में पढ़ा लिखा होता तो मुझे यह दिन नहीं देखना पड़ता |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:48 AM
सुधर जा वरना अठन्नी कर दूंगा....


एक बनिया अपने इकलौते पुत्र से बहुत दुखी था | लड़का न तो दुकान पर कार्य करता न पढाई बस सारा दिन फिल्मे,टी .वी देखने व अपने दोस्तों के साथ मटरगस्ती करने में ही समय जाया करता था | बनिए द्वारा धमकाने व समझाने का उस पर कोई असर नहीं होता था | एक दिन जब ताऊ बनिए की दुकान पर खरीददारी करने पहुंचा तो बनिए ने अपना दुखडा रोते हुए ताऊ से अपने लड़के को सही रास्ते पर ला सुधारने का उपाय बताने का आग्रह किया | अब ताऊ तो ठहरा ताऊ | अपना ताऊ तो अच्छो-अच्छो को सुधार दे यह तो सिर्फ बच्चा था | सो अपने कई आइडियों में से ताऊ ने एक आइडिया बनिए को कान में चुपचाप बता दिया | और अगले हफ्ते गांव से फिर आकर मिलने के वादे के साथ अपने गांव चला गया |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:49 AM
अब बनिया अपने पुत्र द्वारा कहा नहीं मानने पर पुत्र को धमकाने लगा कि " बेटे सुधर जा वरना अठन्नी कर दूंगा " | इस अपनी प्रकार की नई धमकी का मतलब बनिए पुत्र को समझ नहीं आ रहा था | अतः परेशान बनिए पुत्र ने इस धमकी का अर्थ अपने कई पडौसी दूकानदारों से भी पूछा लेकिन कोई नहीं बता सका कि नहीं सुधरने पर बनिया अठन्नी कैसे कर देगा और इसका पुत्र पर क्या असर पड़ेगा | और यही बात सोच लड़का भी परेशान कि बापू मेरे न सुधारने पर अठन्नी कैसे कर देगा और इसका मुझे क्या व कैसे नुकसान पहुंचेगा |
अगले हफ्ते ताऊ को दुकान की तरफ आते देख बनिया पुत्र दौड़ कर ताऊ के पास पहुंचा और पैर छूने के बाद बाप द्वारा दी गई धमकी " सुधर जा वरना अठन्नी कर दूंगा ' बता इसका मतलब समझाने का आग्रह किया |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:50 AM
ताऊ तो इसी बात के इंतजार में ही था और आज तो शहर आया भी इसी मकसद से था सो ताऊ ने बनिए पुत्र को अठन्नी करने का मतलब इस तरह समझाया |
ताऊ - अरे छोरे अभी तो तू अपने बाप का इकलौता पुत्र है और उसकी संपत्ति का इकलौता वारिश | यदि तू अपने बाप का कहा नहीं मानेगा व उसके कामो में हाथ नहीं बटाएगा तो वो एक और पुत्र पैदा कर लेगा जो तेरे बाप की उस सम्पत्ति का आधा हकदार होगा जिसका अभी तक तू अकेला वारिश है | यानि तुझे रुपए में से सिर्फ अठन्नी मिलेगी |
ताऊ की बताई परिभाषा अब बनिया पुत्र समझ चूका था और चुपचाप दुकान पर बाप की इच्छानुसार मन लगा कर काम करने लगा |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 12:52 AM
वीर बड़ा या जागीर , अक्ल बड़ी या धन


अक्ल बड़ी के सन्दर्भ में प्रस्तुत है एक एतिहासिक घटना जिसमे भी एक ताऊ ने अपनी अक्ल के बूते एक गांव के छोटे से जागीरदार को एक राज्य का राजा बनवा दिया | हालाँकि राजा बनने वाले की वीरता भी उसके काम आई लेकिन बिना उस ताऊ की अक्ल के अकेली वीरता भी कुछ नहीं कर पाती |
बात अकबर कालीन है शेखावाटी की राजधानी अमरसर के शासक राव लुनकरण जी अपने कुछ सहयोगियों के साथ चर्चा कर रहे थे कि अक्ल बड़ी या धन और वीर बड़ा या जागीर (राज्य)| राव लुनकरण जी अक्ल से बड़ा धन को मान रहे थे कि व्यक्ति के पास धन हो तो अक्ल तो अपने आप आ जाती है बिना धन अकेली अक्ल क्या कर सकती है और जागीर (राज्य) है तो वीर तो चाहे जितने नौकरी पर रखलो | वहां उनके सहयोगियों में कई ताऊ उनकी हाँ में हाँ मिला रहे थे लेकिन उनका

MANISH KUMAR
11-06-2011, 07:32 PM
ताऊ - सरपंच जी दरअसल बात यह है कि मुझे कुछ भी लिखना पढना नहीं आता इसलिए जब मै वह टेलीग्राम नहीं पढ़ पाया तो मुझे अपनी स्थिति पर रोना आ गया , में तो इसलिए रो रहा था कि काश आज में पढ़ा लिखा होता तो मुझे यह दिन नहीं देखना पड़ता |

वाह पंकज भाई बहुत मजेदार और रोचक सूत्र बनाया है. :bravo::bravo:

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 09:09 PM
वाह पंकज भाई बहुत मजेदार और रोचक सूत्र बनाया है. :bravo::bravo:

धन्यवाद मनीष भाई

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 09:37 PM
दीवान देविदास राव लुनकरण जी के विचारों से सहमत नहीं था उसका कहना था कि बुद्धिमान व्यक्ति चाहे जितना धन कमा सकता है लेकिन एक धनी बुद्धिहीन व्यक्ति धन को संभाल नहीं सकता व एक वीर पुरुष अपनी वीरता व पुरुषार्थ के बल पर कितना भी बड़ा राज्य खडा कर सकता है जबकि एक कायर राजा अपना राज्य कभी भी किसी वीर पुरुष के आगे खो सकता है |
दीवान देवीदास की बात राव लुनकरण जी को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने नाराज होते हुए दीवान देवीदास से कहा- मेरे पास राज्य है धन है लेकिन मेरा छोटा भाई रायसल बहुत बड़ा वीर योद्धा है उसके पास न जागीर है न धन अतः तू उसके पास चला जा और वही अपनी अक्ल दिखाना |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 09:44 PM
दीवान देवीदास भी किसी महताऊ से कम नहीं था उसे यह बात दिल तक चुभ गयी और वह वहां से चुपचाप रायसल के पास आ गया | देवीदास ने रायसल को समझाया कि आप बहुत अच्छे योद्धा है आपको यहाँ न रहकर सम्राट अकबर के पास चले जाना चाहिए सम्राट अकबर वीर पुरुषों की बहुत कद्र करता है | देवीदास की बात रायसल जी को भी जच गयी और वे अपने कुछ योद्धा साथियों के साथ देवीदास के संग अकबर से मिलने आगरा के लिए रवाना हो लिए | रास्ते में ही शाही सेना शहजादा सलीम के नेत्रित्व में कहीं युद्ध अभियान पर जाती उन्हें मिल गयी | देवीदास की सलाह पर रायसल अपने साथियों सहित शाही सेना सम्मिलित हो गए | देवीदास ने रायसल को समझा दिया था कि युद्ध के दौरान आप शहजादा सलीम के

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 09:45 PM
आस पास रहना आपको अपनी वीरता सलीम को दिखाकर उसे ही आकर्षित करना है | युद्ध के दौरान एक समय एसा आया कि शहजादा दुश्मन से घिर गया और घबराहट के मारे हाथी पर बैठे होने के बजाय हथियार तक नहीं चला सका | इसी मौके पर रायसल ने दुश्मन के घेरे में अपना घोड़ा कूदा सलीम को लताड़ा कि ऐ तुर्क हाथी पर बैठे होने के बावजूद तू हथियार नहीं चला पा रहा है और देखते ही देखते रायसल ने अपनी तलवार का जौहर दिखा शहजादा सलीम कि जान बचा वह युद्ध जीत लिया |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 09:46 PM
जब शहजादा ने अकबर को इस युद्ध में एक अनजान राजपूत सरदार की वीरता के बारे सुना इस युद्ध की जीत का श्रेय उस अनजान सरदार को दिया | तब अकबर ने उस वीर की तलाश की तब वहां कई ताऊ टायप सरदार श्रेय लेने आगे आगे कि हम थे हम थे | ऐसी दशा में अकबर ने सभी राजपूत सरदारों को युद्ध पौशाक में अपने व शहजादे के सामने से बारी-बारी गुजरने को कहा | बस ताऊ देवीदास तो इसी मौके के इंतजार में था उसने रायसल को उस परेड में शामिल कर दिया , रायसल के सामने आते ही शहजादा सलीम ने उन्हें पहचान लिया कि यही वह अनजान राजपूत सरदार है जिसकी वीरता व अदम्य साहस की वजह में आज जिन्दा हूँ और यह युद्ध हम जीत पाए |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 09:53 PM
बस फिर क्या था अकबर ने तुंरत रायसल को मनसब आदि देकर सम्मानित किया और अपनी सेना में महत्वपूर्ण पद दिया | आगे चलकर वही रायसल अकबर के खास चहेतों में शामिल हुए और खंडेला के राजा बने | उनके बड़े भाई लुनकरण जी को राव की उपाधि थी लेकिन रायसल को सम्राट अकबर ने राजा की उपाधि से विभूषित किया | इतिहास में रायसल "राजा रायसल दरबारी " के नाम से प्रसिद्ध हुए |
इस तरह उस ज़माने में भी उस ताऊ देवीदास ने साबित कर दिखाया कि धन से बड़ी अक्ल ही होती है और वीर पुरुष कितना भी बड़ा राज्य बना सकते है उसने अपनी बुद्धि बल से ही समय समय पर रायसल को सलाह दे उस मुकाम पर पहुंचा दिया |

The ROYAL "JAAT''
11-06-2011, 10:36 PM
आज शंख नहीं लट्ठ बजाओ बाबा ताऊआनंद.....


बाबा ताऊ आनंद के आश्रम में अक्सर भंडारे का आयोजन होता रहता है जिसका नियम यह है कि भंडारे में किसी को निमंत्रण नहीं दिया जाता , जो भी आस-पास के ग्रामीण आ जाते है उन्हें भंडारे का खाना खिला दिया जाता है और जब रसोई में भोजन सामग्री कम पड़ जाती है तब बाबा ताऊआनंद शंख बजा देते है जिसे सुनकर आने वाले लोग समझ जाते है कि भोजन सामग्री कम पड़ गयी है अतः जिसने जितना खा पाया उतना ही खाकर उठ जाता है | एक दिन आश्रम में पांच सौ

The ROYAL "JAAT''
12-06-2011, 03:32 PM
लोगो के खाने के इंतजाम के साथ भंडारा किया गया लेकिन खाने वाले पांच हजार लोग पहुँच गए जाहिर है भोजन सामग्री तो कम पड़ ही गयी अव्यवस्था और फ़ैल गयी |
अव्यवस्था फैलने पर बाबा के चेले तुंरत बाबा ताऊ आनंद को सुचना देने दौडे पड़े और बाबा से बोले |
चेला -- - बाबा जी पॉँच सौ की जगह पांच हजार आ गए ,खाना ख़त्म हो गया और अव्यवस्था फ़ैल रही है शंख बजाओ |
बाबा ताऊ आनंद :-- बेटा आज शंख बजाने से कुछ नहीं होगा ! आज तो लट्ठ बजाओ |

The ROYAL "JAAT''
12-06-2011, 10:10 PM
ताऊ का कप टेढा


दुनिया भर के उल्टे सीधे काम करने बाद भी ताऊ किसी काम में पुरी तरह कामयाब नही हो पाया, लूटपाट,डकेती,जालसाजी करने के बावजूद ताऊ रहा कड़का का कड़का | और अपने जी को कई लफडे भी पाल लिए उल्टे सीधे कारनामों की वजह से पुलिस का डर भी ताऊ को सता रहा था | इन सब से बचने को ताऊ ने अपने कुछ खास दोस्तों से सलाह मशविरा किया, और दोस्तों की राय थी कि ताऊ को पुलिस आदि से बचना है तो राजनीती में उतर जाना चाहिए क्योंकि ताऊ के पास वो सारी योग्यताये है जो एक नेता के पास होनी चाहिए मसलन डकैती,लूटपाट,जालसाजी,ठगी, शराफत और भोला भाला चेहरा | और इसी अनुभव और योग्यता व भोला-भाला चेहरा देख अजगर पार्टी की आलाकमान मैडम ने ताऊ को अपनी पार्टी में भरती

The ROYAL "JAAT''
12-06-2011, 10:12 PM
कर लिया | पार्टी में भरती होने के बाद ताऊ ने गांवों में सभाएं कर ऐलान कर दिया कि चुनाव जितने के बाद जो सरकारी अधिकारी गांव वालों को परेशान करते है उन्हें अपने लट्ठ की दो-चार मार कर सीधा कर दूंगा और इसी बदोलत ताऊ के हल्के की जनता ताऊ की समर्थक बन गई बस फ़िर क्या था ताऊ ने आलकमान मैडम की कुछ शानदार रैलियां कर पार्टी में अपना सिक्का जमा लिया और पुरी पार्टी में उसी तरह छा गया जैसे ब्लॉगजगत में ताऊ रामपुरिया छा रहे है |ताऊ की बढती लोकप्रियता का होने वाले आगामी चुनाओं में फायदा उठाने लिए आलाकमान मैडम ने ताऊ को बिना चुनाव लड़े ही किसानो वाला मंत्रालय देकर मंत्री बना दिया | लेकिन मैडम ताऊ को मंत्री मंडल की बैठक,विदेश दौरे व पांचसितारा होटलों में होने वाली पार्टियों से ताऊ को गांव का ग्वार समझ दूर ही रखती थी उसे डर था की पांचसितारा होटलों में ताऊ को चम्मच व

Bhuwan
12-06-2011, 11:01 PM
ताऊ ने अपना दिमाग लगाया और बोला - " ठीक है पर मेरे कुंवर के पास जाने से पहले महल खाली कर दें कुंवर के अलावा महल में कोई नहीं रहे |"
जब सब लोग महल से निकल गए तो ताऊ ने महल में जाकर अपनी धोती के पायचे टांगे अपनी कमीज व बनियान फाड़कर चीथड़े चीथड़े कर लिए और अपनी जूतियाँ हाथ में ले कुंवर की तरफ बेतहासा भागते हुए कहने लगा - " अरे भूत ! भाग ,ताई आ गयी है |"
और कहते कहते ताऊ जोर से बाहर भागने लगा | ताऊ के पीछे भूत भी कुंवर के शरीर को छोड़कर ताई के डर से भागने लगा | भूत के शरीर से निकलते ही कुंवर ठीक हो गया और लोग फिर से ताऊ की जय जयकार करने लगे
:lol::lol:
वाह पंकज भाई.:bravo::bravo::bravo:

ये सूत्र फोरम पर अब तक के सबसे मनोरंजक सूत्रों में से है. बहुत अच्छे पंकज भाई. आनंद आ गया.:banalema: जारी रखो.:cheers:

Bhuwan
12-06-2011, 11:10 PM
डाक्टर :- लेकिन ताऊ जैसे वो लड़का तुझे बता रहा कि इनाम में पुरे एक करोड़ तुम्हारे नाम निकलेगा यदि ऐसा हुआ तो फिर बाकी ५० लाख का क्या करोगे ?
ताऊ :- देखो जी डाकदर साहब बेटों के लिए घर ,टेक्टर अपने बुढापे के लिए जमा पूंजी और सारे तीर्थों का तीर्थाटन करने का खर्चा मिलने से अपना तो सारा काम हो गया | अब मुझे तो कोई जरुरत है नहीं सो बाकी के ५० लाख आपको दे दूंगा |
डाक्टर चूँकि सरकारी डाक्टर था उसकी भी कोई ज्यादा कमाई तो थी नहीं सो डाक्टर ने भी कभी सपने में भी ५० लाख रूपये मिलने की नहीं सोची थी | अतः जब ताऊ द्वारा ५० लाख देने की घोषणा सुनी तो डाक्टर अवाक् रह गया और इसी दौरान ज्यादा ख़ुशी ना झेल पाने की वजह से डाक्टर को दिल का दौरा पड़ गया |

:lol::lol: ताऊ ने तो डोक्टर को ही लुढका दिया.... :cryingbaby:

The ROYAL "JAAT''
13-06-2011, 01:28 PM
:lol::lol:
वाह पंकज भाई.:bravo::bravo::bravo:

ये सूत्र फोरम पर अब तक के सबसे मनोरंजक सूत्रों में से है. बहुत अच्छे पंकज भाई. आनंद आ गया.:banalema: जारी रखो.:cheers:
धन्यवाद भुवन भाई .......

The ROYAL "JAAT''
13-06-2011, 01:29 PM
काँटों से खाना तो आता नही सो कही ये बेइजती ना करा दे, और इसी कारण मैडम ने ताऊ को राजधानी में ना रहे गांवो के दौरे पर लगा कर रखा | लेकिन एक दिन ताऊ जिद पर अड़ गया और मैडम से बोला :- मैडम मुझे भी पांचसितारा होटल की पार्टी में लेकर चलो बाजरे के टिक्कड़ पाड़ते बहुत दिन हो लिए अब मंत्री बनने के बाद भी पांचसितारा खाना नही खाया तो मंत्री बनने का क्या फायदा |
मैडम:- ताऊ तन्ने चम्मच और काँटों से खाना खाना नही आता तू वहां बड़े-बड़े लोगों और प्रेस वालों के सामने मेरी भी इन्सल्ट करवा देगा, इसलिए रहने दे इन पार्टियों में जाना |

arvind
13-06-2011, 01:49 PM
बहुत मजेदार सूत्र है......

The ROYAL "JAAT''
13-06-2011, 11:37 PM
बहुत मजेदार सूत्र है......

धन्यवाद भाई अरविन्द .ताऊ को हमेशा तुम्हारा इंतजार रहेगा आते रहे

The ROYAL "JAAT''
13-06-2011, 11:38 PM
ताऊ :- ठीक है मैडम, मुझे ये सब नही आता लेकिन में और लोगों की देखा-देखी सब सीख लूँगा |
मैडम:- तो ठीक है ताऊ तन्ने पहले मै एक टी पार्टी में साथ ले चलूंगी वहां तुने ठीक तरीके से चाय वगैरह पी ली तब अगली पांचसितारा पार्टी में लेकर जावुंगी |
और ताऊ भी मान गया | मैडम ने ताऊ को समझा दिया की जिस तरह दुसरे बड़े लोग चाय का कप उठाये और वापस रखे उन्हें देखकर तुम्हे भी करना | और मैडम एक पांचसितारा होटल की चाय पार्टी में मंत्री बने ताऊ को साथ ले गई |पार्टी में ताऊ ने दुसरे लोगों ने कैसे चाय का कप उठाया, कैसे पकडा,और कैसे लोग चाय की चुस्कियां ले रहे है देखकर बड़े मजे से चाय

The ROYAL "JAAT''
13-06-2011, 11:40 PM
पीली | मैडम भी ताऊ का क्रियाकलाप देखकर संतुष्ट थी लेकिन चाय पीने के बाद कुछ लोगों ने चाय का खाली कप प्लेट के अन्दर रख दिया और कुछ ने कप प्लेट के बाहर | अब ताऊ को समझ नही आया कि कुछ लोग कप प्लेट के बाहर व कुछ अन्दर क्यों रख रहे सो ताऊ ने अपना दिमाग लगाया और चाय के खाली कप को प्लेट में गोलाई वाली जगह टेढा करके रख दिया, मैडम यह सब देख ही रही थी | पार्टी ख़त्म होने के बाद मैडम ने ताऊ से पूछा -

The ROYAL "JAAT''
13-06-2011, 11:44 PM
मैडम:- ताऊ तुमने कप को प्लेट में टेढा क्यों रखा ? कप प्लेट के अन्दर रखते या फ़िर बाहर रखते |
ताऊ :- मैडम मैंने सोचा कि जिन लोगों ने कप प्लेट में रखा है उन्हें चाय और चाहिए और जिन्होंने कप बाहर रखा है उन्हें चाय दुबारा नही चाहिए | अतः मैंने कप को टेढा रख दिया कि भाई " डाल दोगे तो पी लेंगे वरना कोई बात नही " |

सूत्र पर टिप्पणी कर दोगे तो ठीक वरना कोई बात नही ! ताऊ के कप की तरह सूत्र भी टेढा है |।

The ROYAL "JAAT''
13-06-2011, 11:47 PM
बातां की ब्यालू (बातों ही बातों में डिनर).....


बात बहुत पुराणी है उस ज़माने में यातायात के लिए मोटर-गाड़ी नही हुआ करती थी और राजस्थान में तो ऊंट गाड़ी ही यातायात का मुख्य साधन था | रेत के टिल्लो के बीच से दूर-दूर तक सफर बिना ऊंट के सम्भव ही नही था इसीलिए गांवों में लोग यातायात और खेती बाड़ी के कामों के लिए ऊंट पालते थे | शोकिया लोगों के ऊंट तो देखते ही बनते थे और अपणा ताऊ भी एक शानदार ऊंट और सजी-धजी गाड़ी रखता था आस-पास के धनी लोगों में यातायात के लिए ताऊ की ऊंट-गाड़ी काफी मशहूर थी और ताऊ को भी ऊंट-गाड़ी के किराये से अच्छी आमदनी हो जाया करती थी | एक दिन गांव के सेठ जी को सेठानी के संग दूर रिश्तेदारी में कही जाना था सो सेठ जी ने ताऊ की गाड़ी किराये कर ली और चल दिए यात्रा पर |ताऊ के

The ROYAL "JAAT''
13-06-2011, 11:49 PM
साथ रास्ते में लुट-पाट का खतरा भी नही रहता था क्योकि ताऊ के लट्ठ से दूर-दूर के लुटेरे व उच्चके डरते थे | चूँकि सफर काफी लंबा था सो सेठानी ने पुडी,मालपुए,गुंद के लड्डू और हलवा आदि बनाकर रास्ते में खाने के लिए गाड़ी में रख लिया,चलते चलते रात होने पर ताऊ ने एक टिल्ले के पास गाड़ी रोककर डेरा जमा लिया कि खाने के बाद रात्रि विश्राम यही करेंगे |
ताऊ ने यह सोचकर कि सेठानी खाने में बड़ा अच्छा माल बनाकर लाएगी ही सो ताई को अपने साथ खाना बाँधने को मना कर दिया कि आज बाजरे के टिक्कड़ कौन खायेगा आज तो सेठानी जी के हाथ की बनी मिठाईयां ही खायेगे | और ये बात

Bhuwan
14-06-2011, 10:57 PM
........ अतः मैंने कप को टेढा रख दिया कि भाई " डाल दोगे तो पी लेंगे वरना कोई बात नही " |

सूत्र पर टिप्पणी कर दोगे तो ठीक वरना कोई बात नही ! ताऊ के कप की तरह सूत्र भी टेढा है |।

भाई बेहद मनोरंजक सूत्र है.:clappinghands: :clappinghands:


जारी रखो, हमें तो बस ताऊ के कारनामों का इन्तजार है.... :cheers:
(देखो भाई हमने टिप्पणी, टीका, तिलक सबकुछ कर दिया है. अब नाराज मत होना:giggle:)

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 10:59 PM
ताऊ की गठरी में खाना ना देख सेठानी भांप गई | डेरा ज़माने के बाद जैसे ताऊ पास ही की फोगडे की झाड़ी से ऊंट को बाँधने गया तभी मौका देख सेठानी ने सेठ से कहा कि ताऊ तो खाना लाया नही और हमने उसे खाने का पूछ लिया तो ये ताऊ हमारा सारा खाना खा जाएगा और हम भूखे रह जायेगे सो दोनों ने मिलकर प्लान बनाया कि किसी तरह ताऊ को बातों ही बातों में टरका दिया जाए और थक कर जब ताऊ सो जाएगा तब हम चुपचाप खाना खा लेंगे | इसी प्लान के अनुसार ताऊ के आते ही सेठ जी बोले -

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:12 PM
भाई बेहद मनोरंजक सूत्र है.:clappinghands: :clappinghands:


जारी रखो, हमें तो बस ताऊ के कारनामों का इन्तजार है.... :cheers:
(देखो भाई हमने टिप्पणी, टीका, तिलक सबकुछ कर दिया है. अब नाराज मत होना:giggle:)

अरे भाई इसमें नाराज होने वाली क्या बात है मुझे तो खुशी है की आपको सूत्र पसंद आया और आप ने इस के लिए अपना समय दिया आपका बहुत -२ धन्यवाद ......

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:13 PM
ताऊ खाना न तो आप लाये न हम, अब क्यों न हम बातों की ही ब्यालू (रात का खाना) करले |
ताऊ भी अब सेठ जी व सेठानी का प्लान भांप गया आख़िर ताऊ भी तो ताऊ था |
ताऊ- तो ठीक है सेठ जी पहले आप शुरू करो |
सेठ जी - ताऊ जब रामपुर वाले शाह जी के बेटे की बारात में गए थे वहां क्या मिठाईयां बनी थी रस-गुल्ले, गाजर व दाल का हलवा वाह खा कर मजा आ गया और ताऊ श्यामगढ़ वाले शाह जी के यहाँ तो खाते-खाते पेट भर गया लेकिन दिल नही भरा क्या रस-मलाई थी इमरती का तो कोई जबाब ही नही था |

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:14 PM
इस तरह सेठ जी ने खाने की बातें करते करते अपनी तोंद पर हाथ फेरा,एक झूटी डकार ली और बोले ताऊ मेरा तो पेट भर गया अब तुम शुरू करो |
ताऊ- सेठजी वो हमारे दोस्त है न भाटिया जी एक बार उनके यहाँ गए थे क्या खाना था भाटिया के यहाँ बकरे व मुर्गे का मीट और साथ में वो जर्मन वाली अंग्रेजी दारू, पीते गए और खाते गए नशा भी अच्छा हुआ और सेठ जी वो डूंगर सिंह जी के यहाँ बारात में जब गए थे मजा ही आ गया वो महणसर वाली महारानी दारू क्या नशा है उसमे, बस पीते गए पीते गए और इतना नशा हुआ कि कुछ पता ही नही, नशे में कितने लोगों को लट्ठ मार दिए | और सेठ जी अब तो उसे याद कर ही नशा चढ़ गया है |

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:20 PM
और ताऊ ने नशे में टल्ली होने का नाटक करते हुए जोर-जोर से हाट-हूट कर चिल्लाते हुए हाथ पैर इधर उधर मारने शुरू कर दिए जिनकी एक आद सेठ-सेठानी को भी पड़ गई और दोनों डर के मारे कि अब ताऊ को नशा हो गया है कहीं लट्ठ उठाकर मारधाड़ न करने लग जाए अतः भाग कर पास ही एक फोगडे कि झाड़ी में जाकर छुप गए | तब ताऊ ने खोली खाने की पोटली और हाट-हूट का हल्ला करते हुए सेठानी का सारा खाना खा कर तन कर सो गया | बेचारे सेठ सेठानी को भूखे पेट कहाँ नींद आने वाली थी | सुबह ताऊ उठते ही दोनों से बोला रात को नशा कुछ ज्यादा ही हो गया था कहीं नशे में आपको कुछ कह दिया तो बुरा मत मानना |

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:24 PM
ताऊ और सेठ की कलम


ताऊ- सेठ जी थांरी छुरी निचे पड़गी !
सेठ- डोफा आ तो म्हारी कलम है !
ताऊ- सेठ जी म्हारे गलै तो आ इज फिरी !
एक बनिया बगल में बही दबाये और कान में कलम खोसे हुए , पीली पगड़ी पहने और मुछे नीची किए अपनी दुकान की और जा रहा था ! उसके पीछे एक भुक्त-भोगी ताऊ नंगे पाँव चल रहा था फटी धोती और चिंदी-चिंदी मैली कुचेली पगड़ी के अलवा
उसके शरीर पर कुछ भी बेकार कपड़ा नही था जो था वो उतना ही था जितना सिर और तन की लाज ढकने के लिए जरुरी

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:25 PM
होता है ! अचानक किसी चीज के गिरने की हलकी सी भनक उस ताऊ के कानों में पड़ी ! अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए उसने बनिए को सेठ जी संबोधित करते हुए कहा -
ताऊ - सेठ जी आपकी छुरी निचे गिर गई !
सेठ ने चोंक कर पीछे देखा | और आश्चर्य से दोहराया, 'छुरी ? कैसी छुरी ? मेरा छुरी से क्या वास्ता ?
तब निरीह गरीब ताऊ ने सहज भाव से इशारा करते हुए कहा , ' यह पड़ी है न ?
अब इस बात में सेठ को कहीं उस ताऊ की बेवकूफी नजर आई | और सेठ ने व्यंग्य से मुस्कराते हुए कहा -

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:26 PM
सेठ - यह तो मेरी कलम है कलम !
तब ताऊ ने रुंधे गले से कहा - लेकिन मेरे गले पर तो यही चली थी !
सेठ ने कुछ जबाब नही दिया और चुपचाप अपनी कलम उठाई,कान में खोंसी और खूं-खूं खंखार कर अपनी राह पकड़ी |
सेठ जी थांरी छुरी निचे पड़गी ! डोफा आ तो म्हारी कलम है ! सेठ जी म्हारे गलै तो आ इज फिरी !
यह एक राजस्थानी कहावत है और उपरोक्त कहानी इसकी व्याख्या ! इस तरह न जाने कितनी अर्थ इच्छाए इस कहावत में

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:30 PM
निहित है ! श्रेष्ठ वस्तु भी यदि बुरे काम में आए तो वह बुरी ही है ! बोहरे की कलम भी किसी आततायी की तलवार से कम नही होती ! शोषण करने के अपने अपने हथियार और अपने अपने तरीके होते है और हर तरीके की अपनी अपनी बर्बरता होती है ! बेईमान व्यक्ति के हाथ में कलम थमी हो तो उसे तलवार की कहाँ जरुरत !

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:33 PM
दुकान पर छाया में जाना व छाया में ही आना


एक गांव में सेठ धनी राम अपने जीवन की आखिरी साँसे गिनते हुए अपने पुत्रों को सही ढंग से व्यवसाय चलाने के तरीके बताते हुए निसीहते दे रहे थे उन्होंने अपने पुत्रो से कहा कि हे पुत्रो ! अपने व्यवसाय में कामयाब होना चाहते हो तो अपनी दुकान पर हमेशा छाया में ही जाना और वापस घर छाया में लौटना | ऐसा करने से तुम कभी अपने व्यवसाय में असफल नहीं होवोगे | इतना कहते ही सेठ धनी राम जी की आखिरी सांस निकाल यमराज ने उनके प्राण हर लिए | सेठ जी की मृत्युपरांत

The ROYAL "JAAT''
14-06-2011, 11:35 PM
सभी क्रियाकर्मो से निवृत होने के बाद पुत्रो ने सेठ जी की नसीहत अनुसार घर से दुकान पर छाया में आने जाने का निश्चय कर घर से दुकान तक पुरे रास्ते में टेंट लगवा कर छाया करवा दी और उसी टेंट की छाया में प्रतिदिन घर से दुकान पर आते जाते रहे | वणिक पुत्र दुकान पर बहुत कम समय देते रहते थे वे जब मर्जी दुकान पर जाते थे जब मर्जी लौट आते थे | दुकान का सारा काम नौकरों के जिम्मे व मनमर्जी से होने लगा जिस कारण दुकान पर ग्राहकी कम हो गयी और धीरे धीरे दुकान में घाटा होने लगा | घाटा ज्यादा बढ़ने पर वणिक पुत्र चिंता में पड़ गए और सोचने लगे कि " पिताजी ने कहा था छाया में आना जाना दुकान में कभी घाटा नहीं होगा " हम दोनों छाया में आते जाते है फिर घाटा क्यों ?

jeba2002
15-06-2011, 12:13 PM
बहुत ही बढ़िया सूत्र है मित्र

MANISH KUMAR
15-06-2011, 06:05 PM
पंकज जी, इस मनोरंजक सूत्र के बारे में एक ही शब्द है मेरे पास, "लाजवाब"....... :bravo::bravo:

गति देते रहें. धन्यवाद. :cheers:

The ROYAL "JAAT''
19-06-2011, 10:09 PM
बहुत ही बढ़िया सूत्र है मित्र


शुक्रिया मित्र

The ROYAL "JAAT''
19-06-2011, 10:12 PM
पंकज जी, इस मनोरंजक सूत्र के बारे में एक ही शब्द है मेरे पास, "लाजवाब"....... :bravo::bravo:

गति देते रहें. धन्यवाद. :cheers:

धन्यवाद मनीश आप जेसे दोस्त साथ रहेंगे तो गति कम होने का सवाल ही नही ..........

The ROYAL "JAAT''
19-06-2011, 10:23 PM
माफ़ करे मित्रों आपको इंतजार करना पड़ा मेरे नेट में कुछ दिक्कते आ रही थी पता नही एयरटेल में क्या गडबडी चलती रहती है कभी ठीक से नही चल रहा है कई बार स्पीड तो एसी हो जाती है की पेज खुलने में ही आधा घंटा लग जाता हैं कृपया कोई रास्ता बताईये ................

The ROYAL "JAAT''
19-06-2011, 10:29 PM
परेशान वणिक पुत्र स्व. सेठ जी के अभिन्न मित्र ताऊ के पास पहुंचे कि ताऊ ही इसका कोई हल सूझा दे | ताऊ को अपनी आप बीती सुनाते हुए वणिक पुत्र ने ताऊ से पूछा
वणिक पुत्र :- हे आदरणीय ताऊ ! स्व. पिताजी के कहे अनुसार हम दोनों भाइयों ने दुकान पर छाया में ही आना जाना निश्चित करने के लिए घर से दुकान तक पुरे रास्ते में टेंट लगा छाया करवा दी और उसी कि छाया में दुकान पर आते जाते है फिर ये दुकान में घाटा क्यों ?

The ROYAL "JAAT''
19-06-2011, 10:32 PM
ताऊ :- बावलीबुचो ! तुम्हारे मरहूम बाप का ये मतलब नहीं था कि तुम टेंट की छाया में दुकान पर जावो | अरे बावलीबुचो ! उसका कहने के मतलब था सुबह जल्दी दुकान पर जाना और साँझ ढले देरी से घर आना | जब इतना समय दुकान पर दोगे तब दुकान चलेगी ना | ;;

naman.a
19-06-2011, 11:11 PM
एक ज्ञानवर्धक, रोचक और बेहतरीन सुत्र । सुत्र मे निरंतरता बनाये रखे । धन्यवाद ।

YUVRAJ
19-06-2011, 11:50 PM
:clap:...:clap:...:clap:...:clap:...:bravo:

The ROYAL "JAAT''
20-06-2011, 10:59 PM
एक ज्ञानवर्धक, रोचक और बेहतरीन सुत्र । सुत्र मे निरंतरता बनाये रखे । धन्यवाद ।
शुक्रिया भाई नमन

The ROYAL "JAAT''
20-06-2011, 11:01 PM
ताऊ ने पीना छोड़ा...

उल्टे सीधे धंधो और राजनीती में कुछ कमाने के बाद ताऊ ने कई अन्य शौक पालने के अलावा शराब भी पीना शुरू कर दिया | अब ताऊ अपने दोस्त हरखू के साथ रोज अपने मकान की छत पर बने बगीचे में बैठ कर दारू पीने लगा | हरखू के साथ ताऊ की बड़ी अच्छी दोस्ती थी और हरखू राजनीती में ताऊ की काफी मदद भी करता था इसी दोस्ती के चलते ताऊ कभी भी अपने दोस्त हरखू के बिना अकेले शराब नहीं पीता था | कुछ समय बाद हरखू तिकड़म लगाकर विदेश चला गया और ताऊ रह गया अकेला | वह अपने दोस्त के बिना शराब कैसे पी सकता था सो ताऊ ने हमेशा की तरह छत पर टेबल पर

The ROYAL "JAAT''
20-06-2011, 11:02 PM
बोतल के साथ दो गिलास रखे और उनमे शराब डाल वैसे ही पीने लगा जैसे हरखू के साथ पीया करता था अब जब भी ताऊ शराब पीता टेबल पर हरखू के लिए भी गिलास रखता और उसमे भी शराब डाल पैग बनाता अपना पैग पीने के बाद ताऊ हरखू के लिए बना पैग भी खुद ही पी लिया करता | आस पड़ोस के लोग अक्सर ताऊ को ऐसा करते देखा करते थे उन्हें ताऊ और हरखू की गहरी दोस्ती का पता था | और ताऊ का यह कार्यक्रम निर्बाद कई महीनो तक चलता रहा | एक दिन एक पडौसी ने देखा कि आज ताऊ छत पर टेबल लगा कर बैठा है और शराब की बोतल के साथ गिलास एक ही रखा है | पडोसी

The ROYAL "JAAT''
20-06-2011, 11:03 PM
को दो की जगह एक गिलास देखकर बड़ी हैरानी हुई उसने सोचा लगता है ताऊ की हरखू के साथ दोस्ती टूट गई लगती है सो हिम्मत करके पडोसी ने ताऊ से पूछ ही लिया कि ताऊ क्या बात है ? आजकल अकेले ही पी रहे हो क्या दोस्त से फोन पर कोई मनमुटाव हो गया क्या ?
ताऊ -- नहीं जी , ऐसा कुछ भी नहीं है , हरखू के साथ दोस्ती तो इस शरीर छोड़ने तक बनी रहेगी | दरअसल बात यह है कि मुझे डाकदर साहब ने दारू पीने के लिए मना कर दिया है इसलिय मैंने अब दारू पीना छोड़ दिया है अब ये जो आपको पैग दिखाई दे रहा है मेरा नहीं हरखू का है और अब दारू मै नहीं सिर्फ हरखू ही पी रहा है |

The ROYAL "JAAT''
20-06-2011, 11:04 PM
अक्ल की पौशाक


एक राजा के एक दीवान था जो बहुत बुद्धिमान और राज्य कार्य में प्रवीण था | राजा व प्रजा दोनों ही उस दीवान से बहुत खुश थे,पर होनी को कौन टाल सकता है एक दिन वे दीवानजी अचानक स्वर्ग सिधार गए | उनका बेटा उम्र में छोटा था सो राजा ने उनके परिवार के ही एक दूर के भाई को दीवान बना दिया |

The ROYAL "JAAT''
20-06-2011, 11:05 PM
अब उनका जो परिजन दीवान बना उसे दीवान बनने का घमंड हो गया,वो रोज कचहरी जाते समय पूर्व दीवान के घर के सामने खड़ा हो खंखारा करता,मूंछ पर ताव देता फिर कचहरी जाता | वो पूर्व दीवान की विधवा को ये जताना चाहता कि अब दीवानी उसके पास आ गयी है | पूर्व दीवान की विधवा को उसकी ये हरकत बहुत बुरी लगती थी और वह नए दीवान की इस हरकत से बहुत दुखी होती थी,दुःख के मारे वह सही ढंग से खाना भी नहीं खा पाती परिणाम स्वरूप वह दुबली हो गयी व बीमार रहने लगी तब तक उसका बेटा भी थोडा बड़ा हो गया |

The ROYAL "JAAT''
20-06-2011, 11:06 PM
एक दिन विधवा के बेटे ने अपनी मां से उसकी बीमारी का कारण पूछा साथ ही उसे किसी वैध से दवा लेने को चलने हेतु कहा | पर मां ने दवा के लिए मना कर दिया और दुसरे दिन जब नए दीवान ने कचहरी जाते समय उसके घर के आगे खड़े होकर फिर वही हरकत की तब मां ने उसकी हरकत दिखाते हुए कहा -
"बेटा मेरी बीमारी का कारण ये है, तुम्हारे घर की प्रधानी इसके पास चली गयी है जो वापस तुम्हारे पास आये तब ही मेरा रोग कट सकता है |"

The ROYAL "JAAT''
20-06-2011, 11:07 PM
बेटा भी अपने बाप की तरह चतुर था वह अपनी मां के मन की बात तुरंत समझ गया | दुसरे दिन वह राजा के दरबार में गया जहाँ राजा के सभी कामदार,फोजदार,विद्वान,कवि,साहित्यकार आदि सभी बैठे थे | राजनीती,साहित्य आदि पर ज्ञान की बाते चल रही थी तभी पूर्व दीवान के बेटे ने वहां उपस्थित सभी विद्वानों से प्रश्न किया -
"यहं बड़े बड़े विद्वान विराजे है मेरे मन में एक प्रश्न है उसका समाधान आप विद्वान लोग ही कर सकते है | दुनिया के सभी बड़े बड़े कार्य लोग अक्ल के प्रयोग से करते है,चारों और अक्ल की बाते होती है पर ये अक्ल रहती कहाँ है ? कृपया यह बताये |"

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 01:08 PM
सारे दरबारी लड़के की बात सुनकर चुप हो गए,किसी को भी इसका उत्तर नहीं मिल रहा था,वहां बैठे एक व्यक्ति ने दीवानजी से इस प्रश्न का उत्तर देने का आग्रह किया | दीवानजी को मानों सांप सूंघ गया पर मना कैसे कर सकते थे बोले -"इस प्रश्न का जबाब कल दूंगा |"

राजा ने सभा बर्खास्त कर अगले दिन के लिए स्थगित कर दी |
दीवानजी सीधे पूर्व दीवान के घर गए और लड़के से गुस्से में बोले -" तुझे क्या जरुरत थी दरबार में जाने की और फिर ऐसा प्रश्न पूछने की ? तुने मुझे खाम-खां जंजाल में फंसा दिया |"

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 01:11 PM
लड़का बोला- " काकाजी इसमें इतने गुस्से वाली क्या बात ? कल दरबार में जाकर बता देना अक्ल जबान पर रहती है | जब कोई व्यक्ति बात करता है तो उसकी बात से ही उसकी अक्ल का पता चल जाता है |"
दुसरे दिन दरबार में हाजिर हो दीवान ने यही जबाब दे दिया सभी विद्वानों ने उनकी समझदारी की बहुत तारीफ़ की तभी पूर्व प्रधान के बेटे ने एक प्रश्न और दाग दिया -
" मेरे इस प्रश्न का तो उतर मिल गया अब दूसरा प्रश्न यह है कि अक्ल होटों पर रहती है पर खाती क्या है ?"
सभी ने फिर दीवानजी की और देखा | दीवानजी ने इसका उत्तर देने के लिए भी दुसरे दिन का समय माँगा |

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 01:12 PM
दुसरे दिन सुबह ही फिर दीवानजी पूर्व दीवान के घर जा धमके बोले -" तूं क्यों मेरे पीछे पड़ा है ? अब बता तेरे इस प्रश्न का उत्तर ,आज मैं तेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाया तो मेरी दरबार में क्या इज्जत रहेगी ?
लड़का बोला- " काकाजी अक्ल गम खाती है |
दीवान जी नियत समय पर दरबार में पहुंचे और भरे दरबार में कल के प्रश्न का उत्तर दिया -"अक्ल गम खाती है |"
राजा सहित सभी दरबारी व विद्वान दीवानजी के जबाब पर वाह वाह बोल उठे | राजा ने खुश होकर दीवान को ईनाम में सिरोपाव (पगड़ी) बख्शी |

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 01:13 PM
तभी लड़के ने तीसरा प्रश्न दाग दिया बोला- " अक्ल जबान पर रहती है, गम खाती है पर पहनती क्या है ? अक्ल की पौशाक क्या है ?
सभा में फिर सन्नाटा छा गया | फिर सभी की निगाहें दीवानजी की और | एक व्यक्ति फिर बोला -
"प्रश्न तो वाकई मुश्किल है पर हमारे दीवानजी भी कौनसे कम है इसका उत्तर भी दीवानजी ही देंगे |"

खीजे हुए दीवानजी फिर विधवा के बेटे के पास जा धमके बोले -" बता बेटे इस प्रश्न का उत्तर भी तूं ही बता |"

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 01:15 PM
लड़का बोला -" काकाजी चिंता क्यों करते हो इस प्रश्न का जबाब मैं खुद ही दरबार में दे दूंगा आपकी फजीहत नहीं होने दूंगा आप तो बस मुझे वो सिरोपाव (पगड़ी) दे दीजिये जो राजा ने आज आपको दरबार में बख्शी थी |"
दीवानजी अब करे तो क्या करे | बेचारे दीवानजी ने वह सिरोपाव उस लड़के को दे दिया |
दुसरे दिन फिर दरबार लगा दीवानजी नियत समय में जाकर दरबार में बैठ गए तभी उन्होंने देखा पूर्व दीवान का बेटा वही सिरोपाव (पगड़ी) पहन कर दरबार में आ रहा है जो कल राजा ने उन्हें बख्शा था |

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 01:25 PM
दरबारियों ने दीवानजी से कल के प्रश्न का उत्तर पूछा | दीवानजी इधर उधर झाँकने लगे तभी पूर्व दीवान का बेटा उठ खड़ा हुआ और बोला -
"महाराज का बख्शा हुआ सिरोपाव अक्ल पहनती है इसी अक्ल की बदोलत आज ये सिरोपाव पहने हुए मैं राजा के दरबार में खड़ा हूँ |"
तब राजा ने पूछा -" इस प्रकरण के पीछे बात क्या है ?"
तब पूर्व प्रधान के बेटे ने राजा को दीवानजी की सारी हरकतों के बारे में पुरे विवरण से जानकारी दी | राजा पूर्व प्रधान के बेटे की अक्ल व बुद्धिमानी से बड़ा खुश हुआ कि बेटा वाकई बाप जैसा ही लायक है | राजा ने उसी वक्त उन दीवानजी से प्रधानगी लेकर पूर्व प्रधान के बेटे को दे दी |

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 03:19 PM
पगड़ी को भैंस खा गई


पगड़ी नै भैंस खायगी = पगड़ी को भैंस खा गई |

आज सुबह ताऊ के शनिवारीय खूंटे पर आपने पढ़ा कि कैसे ताऊ ने एक ईमानदार जज से भी हारने वाला केस जीत लिया आज मै ताऊ के एक ऐसे ही मुकदमे का जिक्र कर रहा हूँ जिसकी सुनवाई करने वाली कचहरी का हाकिम बेईमान था बात-बात में रिश्वत लेता था और ताऊ का मुकदमा साधन संपन और तेज तर्रार बनिए के साथ चल रहा था | बनिया हाकिम साहब की न्यायप्रियता से परिचित था अतः बनिए ने हाकिम साहब के घर जाकर एक बहुत ही बढ़िया पगड़ी उपहार में दे दी |

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 03:22 PM
लेकिन कहते है न कि हवा के भी कान होते है और फ़िर ताऊ तो ठहरा ताऊ ! कही से ताऊ को इस बात का पता चल गया और ताऊ ने अमावस्या की रात को हाकिम साहब के घर एक भैंस हाकिम साहब के बच्चों को दूध पिने के लिए पहुँचा दी अमावस्या की रात को इसलिए क्योकि अमावस्या की रात काली होती है और भैंस का रंग भी काला सो किसी को पता तक नही चलेगा | चूँकि भैंस का मूल्य भी पगड़ी से ज्यादा होता है और भैंस का दूध पुरे परिवार के लिए स्वास्थ्य वर्धक भी | और

The ROYAL "JAAT''
21-06-2011, 04:42 PM
जबाब दिया - सेठजी थारी पगड़ी तो भैंस चरगी | बनिए क्या करता सो सहमते हाथो से अपनी पगड़ी सिर पर रखी और ताऊ के आगे से टका-सा मुंह लेकर चला गया |
पगड़ी नै भैंस खायगी = पगड़ी को भैंस खा गई |

Bhuwan
21-06-2011, 10:40 PM
दरबारियों ने दीवानजी से कल के प्रश्न का उत्तर पूछा | दीवानजी इधर उधर झाँकने लगे तभी पूर्व दीवान का बेटा उठ खड़ा हुआ और बोला -
"महाराज का बख्शा हुआ सिरोपाव अक्ल पहनती है इसी अक्ल की बदोलत आज ये सिरोपाव पहने हुए मैं राजा के दरबार में खड़ा हूँ |"
तब राजा ने पूछा -" इस प्रकरण के पीछे बात क्या है ?"
तब पूर्व प्रधान के बेटे ने राजा को दीवानजी की सारी हरकतों के बारे में पुरे विवरण से जानकारी दी | राजा पूर्व प्रधान के बेटे की अक्ल व बुद्धिमानी से बड़ा खुश हुआ कि बेटा वाकई बाप जैसा ही लायक है | राजा ने उसी वक्त उन दीवानजी से प्रधानगी लेकर पूर्व प्रधान के बेटे को दे दी |

वाह मित्र, बहुत मनोरम कहानी पेश की है. :bravo::bravo:

bharat
22-06-2011, 08:11 AM
जमाए लठ गाड दिया छोरे!

The ROYAL "JAAT''
23-06-2011, 05:02 PM
जमाए लठ गाड दिया छोरे!

dhanywad ..........

The ROYAL "JAAT''
27-06-2011, 10:13 PM
ताऊ और बनिए की दोस्ती.........



ताऊ का एक मित्र बनिया जो अक्सर ताऊ के यहाँ आता रहता था.ताऊ ठहरा गावं का सीधा-साधा जाट जो घर आये मेहमान को भगवान का रूप मानता है इसलिए बनिये की पूरी आव भगत करता और हलवा खीर और पकवान खिलाकर खूब जम कर सेवा करता था.पर धूर्त बनिये को इस बात से क्या लेना देना वो तो हर बात में अपना ही फायदा देखता.जब भी वो ताऊ के यहाँ आता हर बार यही कहता की भाई ''जब में तुम्हारे यहाँ आऊंगा तुम क्या दोगे 'और जब तुम मेरे यहाँ आओगे क्या

The ROYAL "JAAT''
27-06-2011, 10:15 PM
लाओगे''ताऊ इस बात के मतलब से बिलकुल अनजान था. इसलिए जब भी बनिया ये बात कहता तो ताऊ कहता की भाई जो चीज मेरी है वो तुम्हारी भी है जिस चीज की जरूरत हो मांग लेना .और जो चीज बनिया मांगता ताऊ हंसी-खुशी उसे दे देता .चालाक बनिया ताऊ की इस नेकदिली का फायदा उठाता रहता और जो कुछ उसको पसंद आता वो ले जाता .इस तरह कई साल बीत गए . एक दिन ताई ने याद दिलाया की क्या बात इस बार बहुत दिन हो गए तुम्हारा मित्र नही आया. वो हमेशा फसल निकलते ही आ जाता है. कहीं वो आपसे नाराज तो नही या हो सकता है की उसकी तबियत ठीक न हो .खेत का

The ROYAL "JAAT''
27-06-2011, 10:25 PM
सारा कम हो चूका है. इसलिए आप ही जाकर हाल-चाल पता कीजिये और दो चार दिन उसके यहाँ रह कर आये .ताऊ कहा ठीक है में कल ही चला जाता हूँ . दूसरे ही दिन ताऊ मित्र के लिए खेत से ताजा सब्जियां,तरबूज व फल एक थेले में डालकर चल पड़ा.बनिए के घर पहुंच कर आवाज दी तो बनिए ने बाहर ताऊ को देखकर सोचने लगा की ये मुसीबत कहाँ से आ गयी पर करता भी क्या सो उसने झूठी खुशी दिखाकर अंदर बुलाया .चाय पानी के बाद ताऊ ने सबका हाल चाल पूछा.परन्तु

The ROYAL "JAAT''
28-06-2011, 11:39 PM
बनिए की नजर तो थेले में थी. ये देखकर ताऊ ने थेला बनिए को दिया और कहा इस बार तुम नही आये तो हमें बहुत चिंता हुई इसलिए में चला आया पहली बार मित्र के घर खाली हाथ तो नही आ सकता था न.इसलिए में ये ताजा फल खास तोर पर भाभी जी के लिए लाया हूँ . ये देख बनिया और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए और ताऊ की खूब सेवा की दूसरे दिन वो ताऊ ने कहा ठीक है भाई अब में चलता हूँ .बनिया झूठ-मूठ की हमदर्दी दिखाकर कहने लगा की भाई में तुम्हारे यहाँ हफ्ते दस दिन रह सकता हूँ तो तुम क्यों नही एक दो दिन तुम भी रहोगे तो हमें बहुत खुशी होगी .ये देख ताऊ ने कहा ठीक हैं तुम इतनी

Bhuwan
09-07-2011, 09:43 AM
मित्र पंकज जी, इस सूत्र को आगे बढाए, :bravo::bravo:आपके ताऊ जी के किस्से को हमें बेसब्री से इन्तजार है. :cheers:

sagar -
29-09-2011, 04:14 PM
कहानी को आगे बढाओ मित्र .....

sombirnaamdev
21-04-2012, 01:18 PM
कम करने के लिए बाबा जी ने निश्चय कर लिया था |
एक दिन उनका एक एसा चेला जीवा राम जो भांग के नशे का आदि हो चूका था हमेशा की तरह आश्रम पहुंचा | आश्रम का दरवाजा बंद देख जीवा ने बाबा जी को आवाज लगाई |
जीवा :- बाबा जी ! बाबा जी !! दरवाजा खोलिए |
बाबा जी :- अरे कौन ?
जीवा :- बाबा जी ! मै जीवो !
बाबाजी :- बेटा ! अब घर में ही घोटो और पीवो |
bhai vaah kya khoob kahi

sombirnaamdev
21-04-2012, 01:29 PM
The ROYAL "JAAT'' (http://myhindiforum.com/member.php?u=2079)
वरिष्ठ सदस्य
bhai saab ye jo dhaga (sutra) hai band karane ka nahi tha
aap se or moderator mahodya se meri parthana hai ki is sutra ko aage badhayein hum se jaisa ban padega utna sath denge

MANISH KUMAR
24-04-2012, 02:41 PM
मित्र पंकज जी, इस सूत्र को आगे बढाए, :bravo::bravo:आपके ताऊ जी के किस्से को हमें बेसब्री से इन्तजार है. :cheers:

the royal "jaat'' (http://myhindiforum.com/member.php?u=2079)
वरिष्ठ सदस्य
bhai saab ye jo dhaga (sutra) hai band karane ka nahi tha
aap se or moderator mahodya se meri parthana hai ki is sutra ko aage badhayein hum se jaisa ban padega utna sath denge

लगता है पंकज जी के ताऊ जी उनसे नाराज हो गएं हैं.