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View Full Version : ख्यालो की दुनियाँ में ।


arvind
17-06-2011, 04:30 PM
दोस्तो, कभी-कभी हमारे साथ कुछ ऐसा वाकया हो जाता है, जब हमारे दिमाग को भरपूर खुराक की आवश्यक्ता होती है। ऐसे ही ख्यालो की दुनियाँ मे आपका स्वागत है।

इस सूत्र मे आप सभी को मै एक काल्पनिक परिस्थिति मे ले जाऊंगा, इसके बाद आपको अपने दिमाग का भरपूर इस्तेमाल करते हुये, उस परिस्थिति का वर्णन करना होगा।

तो क्या आप तैयार है............ ?

arvind
17-06-2011, 04:31 PM
तो सबसे पहली परिस्थिति है -

अगर पेड़ पर फल पकने के बाद जमीन पर गिरने के बजाय अगर आकाश मे उड़ने लगे तो क्या होगा?

ndhebar
17-06-2011, 04:38 PM
तो सबसे पहली परिस्थिति है -

अगर पेड़ पर फल पकने के बाद जमीन पर गिरने के बजाय अगर आकाश मे उड़ने लगे तो क्या होगा?
फिर मैं तो सोचूंगा की काश ये तब होता जब न्यूटन बाग़ में बैठा था
कमबख्त उसके सिद्धांतों पर इतना लम्बा लम्बा लेक्चर तो नहीं सुनने को मिलता
पूरा बचपन मुझे उसी को समझने में गुजर गया

VIDROHI NAYAK
17-06-2011, 04:52 PM
हर जगह तैरते फल होते...दुकानदार बिक्री के फलो को माला की तरह धागे में पिरोये होते...तब किलो के हिसाब से नहीं लड़ी के हिसाब से फल मिलते...पर उनके बीजों को हम बोते कैसे???????:think::think:

arvind
17-06-2011, 04:54 PM
फिर मैं तो सोचूंगा की काश ये तब होता जब न्यूटन बाग़ में बैठा था
कमबख्त उसके सिद्धांतों पर इतना लम्बा लम्बा लेक्चर तो नहीं सुनने को मिलता
पूरा बचपन मुझे उसी को समझने में गुजर गया
तब तो न्यूटन गुरुत्वाकर्षण के बजाये, "ये सेव पेड़ से टूटकर आकाश मे क्यों गया?", इस पर रिसर्च करता और तब हमे आकाशाकर्षण के नियम पर लैक्चर सुनना पड़ता।

ndhebar
17-06-2011, 05:06 PM
तब तो न्यूटन गुरुत्वाकर्षण के बजाये, "ये सेव पेड़ से टूटकर आकाश मे क्यों गया?", इस पर रिसर्च करता और तब हमे आकाशाकर्षण के नियम पर लैक्चर सुनना पड़ता।
मतलब छुटकारा किसी भी हालात में नहीं था
अपनी तो किस्मत ही खराब है

फिर तो मैं पेड़ को चारो और से जाला लगवा कर रखूँगा ताकि फल ऊपर जाने के बजाये उससे चिपक जाये और हम आसानी से उसे ग्रहण कर सकें

raju41
17-06-2011, 05:35 PM
जब फल कच्चा रहता, तभी उसमे डोरी से बांध कर पेड़ से बांध देते, ताकि वो पकने के बाद भी हम आसानी से पकड़ लेते।

arvind
17-06-2011, 06:08 PM
जब फल कच्चा रहता, तभी उसमे डोरी से बांध कर पेड़ से बांध देते, ताकि वो पकने के बाद भी हम आसानी से पकड़ लेते।
What an idea sir ji....... :crazyeyes:

MissK
17-06-2011, 07:00 PM
तो फिर हम पशुपालन के अलावा बड़ी संख्या में पक्षियों को भी पालते और आसमान में दूर-दूर तक जा कर फल पकड़ने की ट्रेनिंग देते...:rolleyes: :cool:

jitendragarg
17-06-2011, 07:04 PM
ye socho, nariyal ka kya hota! abhi itna upar jakar pakta hai, phir to rocket ka upyog karna padta, nariyal paani peeni ke liye!

MANISH KUMAR
19-06-2011, 09:28 PM
तो सबसे पहली परिस्थिति है -

अगर पेड़ पर फल पकने के बाद जमीन पर गिरने के बजाय अगर आकाश मे उड़ने लगे तो क्या होगा?

:thinking: :thinking:सबसे पहली बात तो दिमाग में यही आएगी की प्रथ्वी का गुरुत्वाकर्षण ख़तम हो गया है क्या! :bang-head::bang-head: :elephant:

ndhebar
23-06-2011, 12:37 AM
:thinking: :thinking:सबसे पहली बात तो दिमाग में यही आएगी की प्रथ्वी का गुरुत्वाकर्षण ख़तम हो गया है क्या! :bang-head::bang-head: :elephant:
मतलब इतना सब होने के बाद भी आपका दिमाग काम करेगा
काफी "दिमाकदार" हो मनीष भाई
आखिर जासूस के चेले जो ठहरे

bharat
23-06-2011, 04:26 AM
तो सबसे पहली परिस्थिति है -

अगर पेड़ पर फल पकने के बाद जमीन पर गिरने के बजाय अगर आकाश मे उड़ने लगे तो क्या होगा?
फिर वो गैस वाले गुबारे की जगह फल भी ऐसे ही बेचे जाते!

arvind
25-06-2011, 10:32 AM
आप सभी लोगो ने मेरे पहले "ख्याल" पर बहुत ही रोचक और तार्किक प्रतिक्रियाएं दी है।

अब मेरा अगला "ख्याल"..... अगर मनुष्यो के भी दुम होते?

ndhebar
25-06-2011, 12:28 PM
आप सभी लोगो ने मेरे पहले "ख्याल" पर बहुत ही रोचक और तार्किक प्रतिक्रियाएं दी है।

अब मेरा अगला "ख्याल"..... अगर मनुष्यो के भी दुम होते?
फिर मनुष्य भला मनुष्य कैसे कहलाता
क्योंकि दम वाले बन्दर तो हम थे ही

arvind
05-07-2011, 06:24 PM
अगर मनुष्यो के भी दुम होते तो, मनुष्य सबसे पहले तो दुम भी अलग-अलग स्टाइल के रखता। उन्हे सजाने-सवारने के लिए अनेकों तेल और क्रीम बाजार में उलपब्ध होते। आज जैसे मुछ को प्रतिष्ठा के रूप मे, चेहरे को सौन्दर्य के लिए, मैंटेन करते है, वैसे ही दुम को भी शायद किसी व्यतित्व के साथ जोड़ दिया जाता। तब दुम प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता। किसी धार्मिक, सामाजिक आयोजन मे दुम सटाने की भी प्रथा बन जाती। लंबे और छोटे दुम के मानक तय होते। दुम के सिरे के बाल भी स्टायालिश होते। दुम मे दुम बांध कर खिचने की प्रतियोगिता का भी आयोजन होता।

लेकिन हे प्रारब्ध.... हमे दुम दी ही नहीं..... जबकि सारे जानवरो के दिया।

arvind
05-07-2011, 06:41 PM
अगला ख्याल है.....
अगर मनुष्य जलचर होते, यानि कि पानी में रहने वाले जीव होते।

Sikandar_Khan
26-09-2011, 09:16 AM
अगर ऐसा होता हम पानी लेने सीधा आसमान की ओर जाते.......

MANISH KUMAR
04-10-2011, 04:47 PM
अगला ख्याल है.....
अगर मनुष्य जलचर होते, यानि कि पानी में रहने वाले जीव होते।

तो मानसून का इन्तजार नहीं करना पड़ता. :crazyeyes::crazyeyes:

arvind
04-08-2012, 02:05 PM
अगला ख्याल है......
अगर विश्व अलग-अलग देशो मे न बटकर, एकल विश्व समुदाय (One World Community) होता.......

Dark Saint Alaick
04-08-2012, 03:00 PM
अगला ख्याल है......
अगर विश्व अलग-अलग देशो मे न बटकर, एकल विश्व समुदाय (One World Community) होता.......

जी के बहलाने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है ! :laughing:

abhisays
04-08-2012, 03:08 PM
अगला ख्याल है......
अगर विश्व अलग-अलग देशो मे न बटकर, एकल विश्व समुदाय (one world community) होता.......

ख़याल काफी रोचक है.

अगर ऐसा हुआ तो हिन्दुस्तान के सारे आईटी वाले, अमेरिका भाग जायेंगे..

अमेरिका अपनी दादागिरी विश्व पर नहीं दिखा सकेगा..

भारत पाकिस्तान के मैच का मज़ा खत्म हो जाएगा.