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View Full Version : Ram Ki Maya


Dr. Rakesh Srivastava
20-06-2011, 11:11 PM
राम जी की माया है ,राम जी की माया है ;
राम की कृपा से ,कभी धूप कभी छाया है .
राम का रचा है सब ,जो जनम में घट रहा ;
राम ने हँसाया था ,राम ने रुलाया है .
राम जी ने चाहा जब ,दिन भले गुजर गए ;
राम की नजर फिरी ,तो दुक्खों का साया है .
राम जी जो खुश हुए ,अर्श तक उठा दिया ;
राम जी जो रूठ गए ,फर्श पे गिराया है .
राम -रचे विश्व में ,आगे बढ़ने के लिए ;
नाच हमने नाचे बहुत ,राम ने नचाया है .
राम की परीक्षा है ,जो भी कष्ट हैं हमे ;
राम जी को भूलने पे ,राम ने छकाया है .
राम -नामी ओढ़ समझा ,पाप हमने ढक लिए ;
राम जी की दृष्टि से ,ना कोई बच पाया है .
राम हैं अनुकूल जब तक ,हम बहुत कुछ प़ा गए ;
राम का दिया है सब ,हमने जो कमाया है .
राम जी से मिलने को ,जब चलेंगे अंत में ;
राम जी सब धरा लेंगे ,राम से जो पाया है .
राम -नाम- भजने का ,यदि वक़्त कम हो आपको ;
मैंने कितने जतन से ,प्रभु -नाम को जपाया है .
राम जी की माया है ,राम जी की माया है ;
राम की कृपा से कहीं धूप कहीं छाया है .


रचनाकार ~~डॉ . राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ ,इंडिया .

YUVRAJ
21-06-2011, 08:02 AM
वाह... क्या बात है ... :clap:...:clap:...:clap:...:bravo:

naman.a
21-06-2011, 01:49 PM
वाह डाक्टर साहेब, बहुत ही भाव से लिखी कविता है । राम जी की माया से किसी ने पार नही पाया

वो कहते है कि कह गये भैया लोग सयाने राम की बाते राम ही जाने ।

Kumar Anil
22-06-2011, 08:27 AM
RACHNAKAAR~~Dr. Rakesh Srivastava. Lucknow,India की रचना देवनागरी लिपि मेँ ...............