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View Full Version : ग़ज़ल


Dr. Rakesh Srivastava
26-06-2011, 05:01 PM
डायरी वर्षों की हमने,आँसुओं से हैं लिखीं ;
चन्द खुश लम्हें हैं , पर सप्ताह में इतवार से .
हुस्न के कदमों में , जब भी इश्क का दावा किया ;
मुफ्लिसों की तरह , दामन भर गया दुत्कार से .
लोग ढूँढा ही किये , मुझमें मसालेदार खबरें ;
दोस्तों को हम नज़र आए,सदा अखबार से .
मुल्क की सेहत का बीड़ा , हमनें सौंपा था जिन्हें ;
बाद में ख़ुद नज़र आए , वो सदा बीमार से .
हम नहीं सत्ता के बेटे , जो सदन में गूँज हो ;
एक दिन चुपके से हम , जायेंगे इस संसार से .
जो कोई इतिहास लिखते आए हैं संसार का ;
हाशिये की तरह, हमको छोड़ देंगे मार के .

रचनाकार ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ ,इंडिया .

abhisays
26-06-2011, 06:54 PM
बहुत ही बढ़िया राकेश जी... :clappinghands:

Dr. Rakesh Srivastava
26-06-2011, 11:24 PM
धन्यवाद abhisays जी.

Bhuwan
26-06-2011, 11:28 PM
बहुत अच्छी प्रस्तुति है राकेश जी.:bravo::bravo:

Dr. Rakesh Srivastava
27-06-2011, 07:25 AM
धन्यवाद भुवन जी

Mahendra Singh
29-06-2011, 03:24 PM
डायरी वर्षों की हमने,आँसुओं से हैं लिखीं ;
चन्द खुश लम्हें हैं , पर सप्ताह में इतवार से .
हुस्न के कदमों में , जब भी इश्क का दावा किया ;
मुफ्लिसों की तरह , दामन भर गया दुत्कार से .
लोग ढूँढा ही किये , मुझमें मसालेदार खबरें ;
दोस्तों को हम नज़र आए,सदा अखबार से .
मुल्क की सेहत का बीड़ा , हमनें सौंपा था जिन्हें ;
बाद में ख़ुद नज़र आए , वो सदा बीमार से .
हम नहीं सत्ता के बेटे , जो सदन में गूँज हो ;
एक दिन चुपके से हम , जायेंगे इस संसार से .
जो कोई इतिहास लिखते आए हैं संसार का ;
हाशिये की तरह, हमको छोड़ देंगे मार के .

रचनाकार ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ ,इंडिया .
very good.

Mahendra Singh
29-06-2011, 03:27 PM
aap ki gazal bahut achchi hai. Aap to chupe rustam nikle.

Dr. Rakesh Srivastava
29-06-2011, 04:55 PM
धन्यवाद .

sombirnaamdev
21-04-2012, 01:37 PM
डायरी वर्षों की हमने,आँसुओं से हैं लिखीं ;
चन्द खुश लम्हें हैं , पर सप्ताह में इतवार से .
हुस्न के कदमों में , जब भी इश्क का दावा किया ;
मुफ्लिसों की तरह , दामन भर गया दुत्कार से .
लोग ढूँढा ही किये , मुझमें मसालेदार खबरें ;

दोस्तों को हम नज़र आए,सदा अखबार से .
मुल्क की सेहत का बीड़ा , हमनें सौंपा था जिन्हें ;
बाद में ख़ुद नज़र आए , वो सदा बीमार से .
हम नहीं सत्ता के बेटे , जो सदन में गूँज हो ;
एक दिन चुपके से हम , जायेंगे इस संसार से .
जो कोई इतिहास लिखते आए हैं संसार का ;
हाशिये की तरह, हमको छोड़ देंगे मार के .

रचनाकार ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ ,इंडिया .
dr saab aaj aap ki gajalon ke samander me gota lagakar aaya huin mood ek dum fresh ho gaya hai

Suresh Kumar 'Saurabh'
21-04-2012, 05:08 PM
aap ki gazal bahut achchi hai. Aap to chupe rustam nikle. आपको ऐसा क्यों लगा सिंह जी कि डा. साहब छुपे रुस्तम निकलें? क्या आपको ज्ञात नहीं था कि श्री डा. साहब एक मजे हुए सशक्त रचनाकार हैं?

ndhebar
21-04-2012, 06:25 PM
हम नहीं सत्ता के बेटे , जो सदन में गूँज हो ;
एक दिन चुपके से हम , जायेंगे इस संसार से .
रचनाकार ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ ,इंडिया .

जाना तो एक दिन सबको है बड़े भाई
चाहे शोर मचाकर या चुपचाप
कितना भी शोर मचाये, यहाँ रुक तो नहीं सकते
फिर क्या फायदा

Dr. Rakesh Srivastava
21-04-2012, 10:28 PM
dr saab aaj aap ki gajalon ke samander me gota lagakar aaya huin mood ek dum fresh ho gaya hai

अरे सोमबीर जी ,
ये आपने मेरी किस रचना पर से धूल झाड़ दी ! हकीकत तो ये है कि इसे मैंने लगभग बीस साल की आयु में कविता सीखने के प्रयास में अपनी डायरी में लिख छोड़ा था और इस फोरम के शुरुवाती दिनों में पोस्ट किया था . बहरहाल आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
21-04-2012, 10:36 PM
आपको ऐसा क्यों लगा सिंह जी कि डा. साहब छुपे रुस्तम निकलें? क्या आपको ज्ञात नहीं था कि श्री डा. साहब एक मजे हुए सशक्त रचनाकार हैं?

अरे सौरभ जी ,
बात दरअसल ये है कि मैं इनका फॅमिली डॉक्टर हूँ और इन्हें उसी वक्त ज्ञात हुआ था कि मैं कविता करने का प्रयास कर रहा हूँ .
वैसे आपकी बातों से मुझे संकोच अनुभव हो रहा है .

Dr. Rakesh Srivastava
21-04-2012, 10:39 PM
जाना तो एक दिन सबको है बड़े भाई
चाहे शोर मचाकर या चुपचाप
कितना भी शोर मचाये, यहाँ रुक तो नहीं सकते
फिर क्या फायदा

n.dhebar जी ,
पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
21-04-2012, 10:49 PM
नीलम जी ,
पढ़ने व पसंद करने हेतु आपका आभारी हूँ .

Dr. Rakesh Srivastava
21-04-2012, 10:50 PM
अंजान जी ,
पढ़ने व पसंद करने हेतु आपका आभार व्यक्त करता हूँ .