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View Full Version : महाप्रलय की दस्तक


sach_mishra
15-07-2011, 07:44 AM
कहाँ थे अब तक अब कहाँ आ गए हम ,किसकी बद दुआ जो तबाह हो गए हम |
जाने कहाँ खो गयी वो फीजायें, बिखरा सा मंजर सबको रुलाये |
वो पंक्षी का कलरव वो कोयल के गीत, मैं पाउगा कैसे अपने खोये मीत |
लुटा चूका हूँ कई बार मैं अपनी जवानी , नागासाकी हिरोशिमा की याद है कहानी| कोई जाके कह दे स्वयम प्रलयन्कर से, त्रिनेत्री कैलशी अमरनाथ शन्कर से।

उद्दाल दो समन्दर या धरा को हिला दो, प्रलय के है आदी प्रलय फ़िर बुल दो।
वजुद आज हमारा धरा से मिटा दो, या जापान की किस्मत से प्रलय ही मिटा दो|

YUVRAJ
15-07-2011, 08:07 AM
वाह क्या बात है...:bravo:
जापान के दर्द को आपने बहुत ही सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है ...:)

abhisays
15-07-2011, 08:26 AM
बहुत बढ़िया मिश्रा जी. :cheers:

Bhuwan
17-07-2011, 09:57 PM
कहाँ थे अब तक अब कहाँ आ गए हम ,किसकी बद दुआ जो तबाह हो गए हम |
जाने कहाँ खो गयी वो फीजायें, बिखरा सा मंजर सबको रुलाये |
वो पंक्षी का कलरव वो कोयल के गीत, मैं पाउगा कैसे अपने खोये मीत |
लुटा चूका हूँ कई बार मैं अपनी जवानी , नागासाकी हिरोशिमा की याद है कहानी| कोई जाके कह दे स्वयम प्रलयन्कर से, त्रिनेत्री कैलशी अमरनाथ शन्कर से।

उद्दाल दो समन्दर या धरा को हिला दो, प्रलय के है आदी प्रलय फ़िर बुल दो।
वजुद आज हमारा धरा से मिटा दो, या जापान की किस्मत से प्रलय ही मिटा दो|



बहुत खूब मिश्रा जी.:bravo::bravo:

MANISH KUMAR
03-08-2011, 06:40 PM
सभी एक से बढ़कर एक. :cheers: