Dr. Rakesh Srivastava
18-07-2011, 10:14 PM
तख़्त को यारों रिझाना ही पड़ेगा ;
राग दरबारी सुनाना ही पड़ेगा .
बी सियासत जब भी गुदगुदाएंगी ;
भूल कर गम , मुस्कराना ही पड़ेगा .
कुछ तवायफ हैं , ओ मुजरे भी जरुरी ;
घूम - फिर कर एक को लाना पड़ेगा .
बी सियासत की अदा के तीर खाकर ;
आदतन हमको ही शर्माना पड़ेगा .
हुक्मे ताज , दरबारी या मातमी ;
बस इन्ही रागों को अपनाना पड़ेगा .
पंचमी त्योहार है जब हम सभी का ;
ढूध नागों को पिलाना ही पड़ेगा .
रहनुमाओं की ख़ुशी के वास्ते ;
जीभ को ताले में रख आना पड़ेगा .
नव जवां बी जी को ये मालूम हो ;
एक दिन उनको भी ढल जाना पड़ेगा .
रचनाकार ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ , इंडिया .
शब्दार्थ ~ तख़्त = सत्ता , बी सियासत = सत्ता प्रमुख .
राग दरबारी सुनाना ही पड़ेगा .
बी सियासत जब भी गुदगुदाएंगी ;
भूल कर गम , मुस्कराना ही पड़ेगा .
कुछ तवायफ हैं , ओ मुजरे भी जरुरी ;
घूम - फिर कर एक को लाना पड़ेगा .
बी सियासत की अदा के तीर खाकर ;
आदतन हमको ही शर्माना पड़ेगा .
हुक्मे ताज , दरबारी या मातमी ;
बस इन्ही रागों को अपनाना पड़ेगा .
पंचमी त्योहार है जब हम सभी का ;
ढूध नागों को पिलाना ही पड़ेगा .
रहनुमाओं की ख़ुशी के वास्ते ;
जीभ को ताले में रख आना पड़ेगा .
नव जवां बी जी को ये मालूम हो ;
एक दिन उनको भी ढल जाना पड़ेगा .
रचनाकार ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ , इंडिया .
शब्दार्थ ~ तख़्त = सत्ता , बी सियासत = सत्ता प्रमुख .