Dr. Rakesh Srivastava
07-08-2011, 02:47 PM
मेरे महबूब , मुझे जीने की मोहलत दे दे ;
जो हो सके , तो फिर से अपनी मोहब्बत दे दे.
तुम्हारे दिल से जुदा हो के , ना जी पाऊंगा ;
फिर अपने दिल में , उतरने की इज़ाज़त दे दे .
दिल को मजबूत बना , मेरी ख़ुदकुशी के लिए ;
या मेरी ज़िन्दगी को , अपनी तू सोहबत दे दे .
राह कुछ सूझती नहीं हैं , फिरसे मिलने की ;
मेरे जेहन में कोई , कोई तो हिकमत दे दे .
इस कदर चाहने वाला , न बार - बार मिले ;
कोई जाकर उसे , बस इतनी नसीहत दे दे .
तंग हाथों से खुदा , तूने मेरी शक्ल गढ़ी ;
टूटकर फिरसे वो चाहे , कोई सीरत दे दे .
मेरे चर्चे , उसे फिरसे , मेरे माफिक कर दें ;
कोई हुनर मिले ऐसा , के जो शोहरत दे दे .
तुझसे ज्यादा , मैं इबादत , मेरी जानम की करूँ ;
ऐ खुदा , मुझमे तू इतनी सी , हिमाकत दे दे .
किस लिये तूने खुदा , इनको जफा ही बख्शी ;
हुस्न वालों को , वफ़ा करने की आदत दे दे .
रचनाकार ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ , इंडिया .
(शब्दार्थ ~~ हिकमत = ज्ञान ,सीरत = आतंरिक सौंदर्य ,जफा = अन्याय )
जो हो सके , तो फिर से अपनी मोहब्बत दे दे.
तुम्हारे दिल से जुदा हो के , ना जी पाऊंगा ;
फिर अपने दिल में , उतरने की इज़ाज़त दे दे .
दिल को मजबूत बना , मेरी ख़ुदकुशी के लिए ;
या मेरी ज़िन्दगी को , अपनी तू सोहबत दे दे .
राह कुछ सूझती नहीं हैं , फिरसे मिलने की ;
मेरे जेहन में कोई , कोई तो हिकमत दे दे .
इस कदर चाहने वाला , न बार - बार मिले ;
कोई जाकर उसे , बस इतनी नसीहत दे दे .
तंग हाथों से खुदा , तूने मेरी शक्ल गढ़ी ;
टूटकर फिरसे वो चाहे , कोई सीरत दे दे .
मेरे चर्चे , उसे फिरसे , मेरे माफिक कर दें ;
कोई हुनर मिले ऐसा , के जो शोहरत दे दे .
तुझसे ज्यादा , मैं इबादत , मेरी जानम की करूँ ;
ऐ खुदा , मुझमे तू इतनी सी , हिमाकत दे दे .
किस लिये तूने खुदा , इनको जफा ही बख्शी ;
हुस्न वालों को , वफ़ा करने की आदत दे दे .
रचनाकार ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ , इंडिया .
(शब्दार्थ ~~ हिकमत = ज्ञान ,सीरत = आतंरिक सौंदर्य ,जफा = अन्याय )