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View Full Version : बिरला विद्रोही आशिक


Dr. Rakesh Srivastava
07-08-2011, 02:56 PM
अब वो कुछ आवारा है , भटक रहा बंजारा है ;
जाल फेंकता , जगह - जगह पर , सागर का मछुवारा है .
गुलशन में छुट्टा घूमें , जिसका चाहे मुंह चूमे ;
भंवरा बनकर डोल रहा है , फूल - फूल को प्यारा है .
कली -कली की चाहत है , हसीं दिलों की राहत है;
उसने उसकी कद्र न जानी , वो समझी नक्कारा है.
कूचे - कूचे जाता है , सबमें आस जगाता है;
बादल बनकर घूम रहा है , मौसम का हरकारा है .
सावन का वो झोंका है , चाहे जिसे भिगोता है ;
विरह - व्यथा से सुलग रहीं जो , उनके लिये फव्वारा है .
आसानी से आता है , सबके हाथ सध जाता है ;
जी चाहे जो राग छेड़ ले , ऐसा वो इकतारा है .
हसीं चोट से घायल है , किसी का उतरा पायल है ;
जैसा बेबस उसने समझा , वैसा नहीं बेचारा है .
गैरत उसकी जाग उठी , आशिक अब विद्रोही है ;
खब्त उतारे पूरी जात पे , किसी के इश्क का मारा है .

रचनाकार ~~डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ ,इंडिया .
(शब्दार्थ ~~ हरकारा = संदेशवाहक , इकतारा = एक प्रकार
का सरल सुलभ वाद्य यन्त्र , खब्त = झक्क ,उन्माद .)

MANISH KUMAR
25-08-2011, 06:37 PM
श्रीवास्तव जी आप वास्तव में बहुत अच्छे रचनाकार हैं. आपकी स्सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक जबरदस्त हैं. इनकी तारीफ में शब्द ही नहीं मिल पाते. आपसे हमेशा यही उम्मीद रहेगी की आप निरंतर योंही फोरम पर योगदान देकर हमारा मनोरंजन करते रहेंगे. :cheers:

Dr. Rakesh Srivastava
25-08-2011, 11:29 PM
वरिष्ठ सदस्य ,मनीष कुमार जी ,
आपका बहुत -बहुत शुक्रिया .

YUVRAJ
08-09-2011, 10:03 PM
हमेशा की तरह बेहतरीन, लाजवाब … बहुत ही सुन्दर रचना …:bravo:

Bhuwan
08-09-2011, 11:27 PM
श्रीवास्तव जी आप वास्तव में बहुत अच्छे रचनाकार हैं. आपकी स्सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक जबरदस्त हैं. इनकी तारीफ में शब्द ही नहीं मिल पाते. आपसे हमेशा यही उम्मीद रहेगी की आप निरंतर योंही फोरम पर योगदान देकर हमारा मनोरंजन करते रहेंगे. :cheers:
:iagree:

:bravo::bravo:बहुत अच्छे श्रीवास्तव जी.

Dr. Rakesh Srivastava
09-09-2011, 12:33 AM
युवराज जी एवं भुवन जी
को बहुत - बहुत धन्यवाद .

Ranveer
09-09-2011, 11:47 PM
dr. Rakesh ji...kavita to achhi hai... vidrohi hona to aashiq ka swbhav ya pravriti hi nahi hai ...shayad isiliye aapne topic me
'' virla vidrohi aashiq '' likha hai..rep.....

Dr. Rakesh Srivastava
10-09-2011, 07:55 AM
रणवीर जी ;
हाँ , मैंने भी काफी मनन किया था ,
तभी शब्द विशेष का प्रयोग किया .
आपने भी गहराई तक सोचा और
सही जाना .

इस सोच के लिए आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
10-09-2011, 01:39 PM
रणवीर जी ,
ज़रा इस पुराने चर्चित शेर पर भी गौर फरमाएं ---
'' तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही ;
तू नहीं और सही और नहीं और सही .''

YUVRAJ
10-09-2011, 01:44 PM
अहा हा हा हा ...:lol:
धाशू है ... मजा आ गया ...:)

Ranveer
10-09-2011, 11:48 PM
रणवीर जी ,
ज़रा इस पुराने चर्चित शेर पर भी गौर फरमाएं ---
'' तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही ;
तू नहीं और सही और नहीं और सही .''

ha ..ha..ha....bilkul vyavharik bat kahi aapne....tab us sthiti me sutr ka naam dilfenk aashiq rakhna padta ....sach
kahun to ek sache aasiq ko santushti sirf apni mashooka ki bahon me hi milti hai ....isiliye to wo '' virla '' hota hai......