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View Full Version : किसी का प्यार जो मिले ...!


Dr. Rakesh Srivastava
21-08-2011, 07:17 PM
पेचो ख़म ज़ुल्फ़ के , जो कोई खोलने निकले ;
बर्फ के बाट से , मेढक को तोलने निकले .
जिन्हें खुशफ़हमी थी , खुद के सिकंदर होने की ;
इश्क के मोर्चे से , बन के कलंदर निकले .
हाले दिल जिनके जरिये , तुमको हम सुनाते थे ;
वो ही , मुझसे ही , तुम्हे छीनने वाले निकले .
छांव को गेसुओं की , जल्द क्यों समेट लिया ;
अभी तो अपने इश्क के , न फ़साने निकले .
तू जो लौटा दे , कटे पंख , अगर फिर से मुझे ;
परिंदा फिर से ,मेरे इश्क का , उड़ने निकले .
किसी का प्यार जो मिले , तो जहाँ स्वर्ग बने ;
दिल अगर टूट जाये तो , यही नरक निकले .
तू जनाज़े में मेरे , आने का यकीं तो दिला ;
देख फिर दम मेरा , किस तरह शान से निकले .

रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ (यू .पी. ),इंडिया .

(शब्दार्थ ~ पेचो ख़म = उलझाव/घुमाव और ऐठन ,
कलंदर = फ़कीर / अकेला )

abhisays
21-08-2011, 08:47 PM
बहुत बढ़िया राकेश जी... :cheers:

Dr. Rakesh Srivastava
23-08-2011, 05:48 AM
प्रशासक महोदय ,धन्यवाद .

MANISH KUMAR
25-08-2011, 06:16 PM
:bravo::bravo::bravo:

Dr. Rakesh Srivastava
26-08-2011, 12:07 AM
सर्वश्री दीपू जी एवं मनीश जी ,
आप दोनों का बहुत -बहुत शुक्रिया .

Sikandar_Khan
07-04-2012, 12:51 PM
पेचो ख़म ज़ुल्फ़ के , जो कोई खोलने निकले ;
बर्फ के बाट से , मेढक को तोलने निकले .
जिन्हें खुशफ़हमी थी , खुद के सिकंदर होने की ;
इश्क के मोर्चे से , बन के कलंदर निकले .
हाले दिल जिनके जरिये , तुमको हम सुनाते थे ;
वो ही , मुझसे ही , तुम्हे छीनने वाले निकले .
छांव को गेसुओं की , जल्द क्यों समेट लिया ;
अभी तो अपने इश्क के , न फ़साने निकले .
तू जो लौटा दे , कटे पंख , अगर फिर से मुझे ;
परिंदा फिर से ,मेरे इश्क का , उड़ने निकले .
किसी का प्यार जो मिले , तो जहाँ स्वर्ग बने ;
दिल अगर टूट जाये तो , यही नरक निकले :fantastic:
तू जनाज़े में मेरे , आने का यकीं तो दिला ;
देख फिर दम मेरा , किस तरह शान से निकले .

रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ (यू .पी. ),इंडिया .

(शब्दार्थ ~ पेचो ख़म = उलझाव/घुमाव और ऐठन ,
कलंदर = फ़कीर / अकेला )


डॉक्टर साहब , बहुत ही खूब ! मुझे बेहद अफसोस है की आपकी ये रचना मै पढ़ने से चूक गया था |

jitendragarg
07-04-2012, 09:37 PM
डॉक्टर साहब , बहुत ही खूब ! मुझे बेहद अफसोस है की आपकी ये रचना मै पढ़ने से चूक गया था |


जिन्हें खुशफ़हमी थी , खुद के सिकंदर होने की ;
इश्क के मोर्चे से , बन के कलंदर निकले . :crazyeyes:

sombirnaamdev
07-04-2012, 10:26 PM
तू जनाज़े में मेरे , आने का यकीं तो दिला ;
देख फिर दम मेरा , किस तरह शान से निकले .


very nice what meaning full poetry dr saab
i salute to you once again

Dr. Rakesh Srivastava
08-04-2012, 01:59 PM
डॉक्टर साहब , बहुत ही खूब ! मुझे बेहद अफसोस है की आपकी ये रचना मै पढ़ने से चूक गया था |

सिकंदर भाई आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
08-04-2012, 02:02 PM
जिन्हें खुशफ़हमी थी , खुद के सिकंदर होने की ;
इश्क के मोर्चे से , बन के कलंदर निकले . :crazyeyes:

जितेन्द्र गर्ग जी , आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
08-04-2012, 02:03 PM
तू जनाज़े में मेरे , आने का यकीं तो दिला ;
देख फिर दम मेरा , किस तरह शान से निकले .


Very nice what meaning full poetry dr saab
i salute to you once again



सोमवीर जी आपका बहुत आभार .