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View Full Version : अपने शहर का ताज़ा हाल


Dr. Rakesh Srivastava
04-09-2011, 10:18 AM
सब की रफ़्तार में तूफ़ान नज़र आता है ;
जिसे देखो , वो परेशान नज़र आता है .
पत्थरों के शहर में दिल भी हो गए पत्थर ;
सबके भीतर बड़ा वीरान नज़र आता है .
ख्वाहिशें रोज दफ्न हो रहीं दिल में कितनी ;
हर एक चेहरा शमशान नज़र आता है .
हर कोई अपने उसूलों को बेचता दिखता ;
कोई फुर्सत , कोई जल्दी में नज़र आता है .
क्यों भला पार करे आग का दरिया कोई ;
उसूल वाला जब सूली पे नज़र आता है .
यकीन खुद का नहीं जब , करे क्या दूजे का ;
सामने वाला हर बे -ईमान नज़र आता है .
बहुत सी गणित लगा करके दिल धड़कते यहाँ ;
शहर में प्यार भी व्यापार नज़र आता है .
भावना थोड़ी बहुत स्वार्थ वश दिख जाती है ;
घरों में हर तरफ सामान नज़र आता है .
छुट्टियाँ गर्मी की , स्कूल में होतीं अब भी ;
नाना - दादी का घर सुनसान नज़र आता है .

रचयिता~~डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ ,(यू.पी.),इंडिया.

YUVRAJ
04-09-2011, 10:23 AM
वाह ....:bravo:

Sikandar_Khan
04-09-2011, 10:29 AM
सब की रफ़्तार में तूफ़ान नज़र आता है ;
प्रत्येक व्यक्ति परेशान नज़र आता है .
पत्थरों के शहर में दिल भी हो गए पत्थर ;
सबके भीतर बड़ा वीरान नज़र आता है .
ख्वाहिशें रोज दफ्न हो रहीं दिल में कितनी ;
हर एक चेहरा शमशान नज़र आता है .
हर कोई अपने उसूलों को बेचता दिखता ;
कोई फुर्सत , कोई जल्दी में नज़र आता है .
क्यों भला पार करे आग का दरिया कोई ;
उसूल वाला जब सूली पे नज़र आता है .
यकीन खुद का नहीं जब , करे क्या दूजे का ;
सामने वाला हर बे -ईमान नज़र आता है .
बहुत सी गणित लगा करके दिल धड़कते यहाँ ;
शहर में प्यार भी व्यापार नज़र आता है .
भावना थोड़ी बहुत स्वार्थ वश दिख जाती है ;
घरों में हर तरफ सामान नज़र आता है .
छुट्टियाँ गर्मी की , स्कूल में होतीं अब भी ;
नाना - दादी का घर सुनसान नज़र आता है .

रचयिता~~डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लखनऊ ,(यू.पी.),इंडिया.

राकेश जी बहुत ही सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से दाद कुबूल करेँ |
ये अंडर लाईन वाली पंक्ति मे हर शख्स परेशान नजर आता है हो सकता था

abhisays
04-09-2011, 12:10 PM
बेहतरीन कविता है.. जितनी तारीफ़ की जाए उतनी ही कम..

malethia
04-09-2011, 01:23 PM
shaaandar prstuti........................

Dr. Rakesh Srivastava
04-09-2011, 03:37 PM
सर्वश्री युवराज जी, सिकंदर जी ,मलेथिया जी, अरविन्द जी
एवं अभिशेष जी का बहुत - बहुत धन्यवाद .

Dr. Rakesh Srivastava
04-09-2011, 03:56 PM
सिकंदर जी , सुझाव के लिए पुनः धन्यवाद .
हाँ , ऐसा भी हो सकता था किन्तु विनम्रता
पूर्वक कहना चाहूँगा की मैंने जान - समझ
कर ऐसा नहीं किया .भविष्य में ध्यान रखूँगा .
कोई इतने गौर से पढ़ता है तो अच्छा लगता है .
धन्यवाद .

Sikandar_Khan
04-09-2011, 04:59 PM
सिकंदर जी , सुझाव के लिए पुनः धन्यवाद .
हाँ , ऐसा भी हो सकता था किन्तु विनम्रता
पूर्वक कहना चाहूँगा की मैंने जान - समझ
कर ऐसा नहीं किया .भविष्य में ध्यान रखूँगा .
कोई इतने गौर से पढ़ता है तो अच्छा लगता है .
धन्यवाद .
राकेश जी
एक बार फिर से शुक्रिया
बस उर्दू अल्फाजोँ मे मजा दुगना हो जाता है |
इसीलिए मैने आपको लिखा था |

MANISH KUMAR
05-09-2011, 05:28 PM
:clappinghands::clappinghands:बहुत अच्छी कविता है राकेश जी. मैं तो आपका फैन हो गया. :dance:

Dr. Rakesh Srivastava
06-09-2011, 03:58 PM
मनीष जी , ये बात है ! तो डबल धन्यवाद .

Bhuwan
08-09-2011, 11:42 PM
:clappinghands::clappinghands:बहुत अच्छी कविता है राकेश जी. मैं तो आपका फैन हो गया. :dance:

:giggle::giggle:
बंधू फैन ही रहना, कूलर मत हो जाना.:tomato:
श्रीवास्तव जी एक बार फिर से बधाई और तारीफ कबूल करें.:cheers:

Dr. Rakesh Srivastava
09-09-2011, 12:30 AM
भुवन जी
को बहुत - बहुत धन्यवाद .

MANISH KUMAR
09-09-2011, 05:42 PM
:giggle::giggle:
बंधू फैन ही रहना, कूलर मत हो जाना.:tomato:


जैसी आपकी आज्ञा भुवन जी. :cheers:

Dr. Rakesh Srivastava
09-09-2011, 11:22 PM
जीतेन्द्र गर्ग जी का बहुत - बहुत शुक्रिया .

Ranveer
11-09-2011, 09:59 PM
अच्छी कविता है डाक्टर साहब ....


पर शायद गाँव बहुत हद तक अभी इससे अछूता है ...
कभी मेरे गाँव चलिए ....:o