PDA

View Full Version : मेरी फ़ितरत ....


Dr. Rakesh Srivastava
11-09-2011, 12:06 PM
तुम्हारे हिस्से की सब धूप सहन कर लेता ;
मै पेड़ बन के तुझे उम्र भर साया देता .
हमारे हमसफ़र बन साथ चले चलते अगर ;
पलक पर रखता या फूलों का गलीचा देता .
तेरा यकीन जो मुझ पर ठहर गया होता ;
तेरी ताबीज़ बन ताउम्र हिफाज़त देता .
मै अगर जानता , तलवार तू भी रखती है ;
तो ख़ुद को म्यान से बाहर नहीं आने देता .
बिन तेरे जी नहीं पाऊंगा , पता होता अगर ;
बहस न करके , हाथ गूंगे - सा उठा देता .
वजूद खुद का तेरे प्यार में भुलाकर मै ;
मेरी ख़ुदी को तेरी ख़ुदी का रंग दे देता
चाँद , तू बादलों के पार छुपा बैठा है ;
चकोर किस तरह हालात का पता देता .
मेरी फ़ितरत तेरी फ़ितरत के करीब होती अगर ;
तू भी भूले न मुझे , बस ये श्राप दे देता .

रचयिता ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
गोमती नगर ,लखनऊ ,इंडिया .
(शब्दार्थ ~~ ख़ुदी = आत्म सम्मान , फ़ितरत = स्वभाव )

YUVRAJ
11-09-2011, 03:49 PM
वाह क्या बात ... लाजवाब ...:bravo::bravo::bravo:

arvind
11-09-2011, 03:49 PM
तुम्हारे हिस्से की सब धूप सहन कर लेता ;
मै पेड़ बन के तुझे उम्र भर साया देता .
हमारे हमसफ़र बन साथ चले चलते अगर ;
पलक पर रखता या फूलों का गलीचा देता .
तेरा यकीन जो मुझ पर ठहर गया होता ;
तेरी ताबीज़ बन ताउम्र हिफाज़त देता .
मै अगर जानता , तलवार तू भी रखती है ;
तो ख़ुद को म्यान से बाहर नहीं आने देता .
बिन तेरे जी नहीं पाऊंगा , पता होता अगर ;
बहस न करके , हाथ गूंगे - सा उठा देता .
वजूद खुद का तेरे प्यार में भुलाकर मै ;
मेरी ख़ुदी को तेरी ख़ुदी का रंग दे देता
चाँद , तू बादलों के पार छुपा बैठा है ;
चकोर किस तरह हालात का पता देता .
मेरी फ़ितरत तेरी फ़ितरत के करीब होती अगर ;
तू भी भूले न मुझे , बस ये श्राप दे देता .

रचयिता ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
गोमती नगर ,लखनऊ ,इंडिया .
(शब्दार्थ ~~ ख़ुदी = आत्म सम्मान , फ़ितरत = स्वभाव )
हमेशा की तरह एक और बेहतरीन कविता।

Dr. Rakesh Srivastava
11-09-2011, 05:05 PM
युवराज जी आपने पढ़ा और पसंद किया ,
आपका बहुत -बहुत शुक्रिया .

YUVRAJ
11-09-2011, 05:41 PM
आपकी रचनाओं को चोरी (कापी, पेस्ट) करने का दिल करता है .. अगर इजाजत हो ...:giggle:युवराज जी आपने पढ़ा और पसंद किया ,
आपका बहुत -बहुत शुक्रिया .

~VIKRAM~
11-09-2011, 07:11 PM
डॉक्टर जी !
हमसब का इलाज jari रखे हमें तो ऐसे और डोज से aram milega ! :bigdrunk:

abhisays
11-09-2011, 07:18 PM
बहुत बढ़िया राकेश जी..

bhavna singh
11-09-2011, 08:46 PM
तुम्हारे हिस्से की सब धूप सहन कर लेता ;
मै पेड़ बन के तुझे उम्र भर साया देता .
हमारे हमसफ़र बन साथ चले चलते अगर ;
पलक पर रखता या फूलों का गलीचा देता .
तेरा यकीन जो मुझ पर ठहर गया होता ;
तेरी ताबीज़ बन ताउम्र हिफाज़त देता .
मै अगर जानता , तलवार तू भी रखती है ;
तो ख़ुद को म्यान से बाहर नहीं आने देता .
बिन तेरे जी नहीं पाऊंगा , पता होता अगर ;
बहस न करके , हाथ गूंगे - सा उठा देता .
वजूद खुद का तेरे प्यार में भुलाकर मै ;
मेरी ख़ुदी को तेरी ख़ुदी का रंग दे देता
चाँद , तू बादलों के पार छुपा बैठा है ;
चकोर किस तरह हालात का पता देता .
मेरी फ़ितरत तेरी फ़ितरत के करीब होती अगर ;
तू भी भूले न मुझे , बस ये श्राप दे देता .
डॉक्टर साहब आपकी कविता सीधे दिल को छू गई /

Dr. Rakesh Srivastava
11-09-2011, 10:52 PM
अरविन्द जी ,आप सराहते हैं , अच्छा लगता है .
आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
11-09-2011, 11:25 PM
आपकी रचनाओं को चोरी (कापी, पेस्ट) करने का दिल करता है .. अगर इजाजत हो ..
----------------------------------------------------------------------------------------
युवराज जी ,यदि कॉपी , पेस्ट के साथ रचना के नीचे
रचयिता का नाम भी लिखा हो तो सोने पर सोहागा हो

जायेगा . आप मुझ जैसे नव - सिखुवा की रचनाओं
को ऐसी इज्जत बख्शने की सोच रहे हैं , ये निश्चित
ही मेरे लिए गर्व एवं प्रेरणा की बात है .आपका धन्यवाद .

Dr. Rakesh Srivastava
11-09-2011, 11:38 PM
डॉक्टर जी !
हमसब का इलाज jari रखे हमें तो ऐसे और डोज से aram milega ! :bigdrunk:
----------------------------------------------------------------------------------------------
विक्रम जी , तारीफ का ये तरीका भी
दिलचस्प और मदहोश करने वाला है .
बहरहाल सुरूर में लाने के लिए शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
11-09-2011, 11:42 PM
Abhisays ji ,
आपका बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
11-09-2011, 11:53 PM
डॉक्टर साहब आपकी कविता सीधे दिल को छू गई /
-----------------------------------------------------
मैडम भावना सिंह जी ,
रचना ने आपके दिल को छुआ तो रचयिता की मेहनत सुफल हुयी .
धन्यवाद . आशा है आप आगे भी पढ़ती रहेंगी .

Dr. Rakesh Srivastava
11-09-2011, 11:59 PM
मनीष कुमार जी एवं रणवीर जी को बहुत - बहुत धन्यवाद .

YUVRAJ
12-09-2011, 09:53 AM
अहा हा हा हा ...:lol:
ये भी कोई कहने वाली बात है ... यकीनन ऐसा ही होगा ...:cheers:
मेरा विचार फेसबुक पर पोस्ट करने का है ...:)



युवराज जी ,यदि कॉपी , पेस्ट के साथ रचना के नीचे
रचयिता का नाम भी लिखा हो तो सोने पर सोहागा हो

जायेगा . आप मुझ जैसे नव - सिखुवा की रचनाओं
को ऐसी इज्जत बख्शने की सोच रहे हैं , ये निश्चित
ही मेरे लिए गर्व एवं प्रेरणा की बात है .आपका धन्यवाद .

Dr. Rakesh Srivastava
12-09-2011, 10:09 AM
युवराज जी ,
कम्पयूटर के आकाश में उड़ने
के लिहाज़ से अभी मेरे पंख बहुत
छोटे हैं .चलो आपके पंखों के
सहारे ही दुनिया देख लूँगा .शुक्रिया .