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View Full Version : भजन


bhavna singh
21-09-2011, 08:47 AM
अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम ...

माँगों का सिन्दूर ना छूटे
माँगों का
सिन्दूर ना छूटे
माँ बहनो की आस ना टूटे
माँ बहनो की
आस ना टूटे
देह बिना, दाता, देह बिना
भटके ना प्राण
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम,

ओ सारे जग के रखवाले
ओ सारे जग के रखवाले
निर्बल को बल देने वाले
निर्बल को बल देने वाले
बलवानो को,
ओ, बलवानो को देदे ज्ञान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम

bhavna singh
21-09-2011, 08:52 AM
ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

चढ़ी बरात लई आगौनी, नर-नारी सब देखन आए मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी॥ ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

बालक-बच्चे करैं चवौआ भाग चलौ ह्याँ आयौ हौआ मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

सोच समझकै दियौ जनमासौ बारौठी कौ करौ तमासौ चौमुख दिवला बाल सजा लई कंचन की थारी(इसे 2 बार दोहराना है) मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

करन आरता मैना आई रूप देखकै वो घबराई मैया खड़े सेई खाइयै पछार छूट गई कंचन की थारी(इसे 2 बार दोहराना है) मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

आठ माघ नौ कातिक न्हाई दस बैसाख अलूनौ खाई बहना फूटे री या गौरा के भाग कै वर मिलौ लटधारी(इसे 2 बार दोहराना है) मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

हाथ जोड़ गौरा है गई ठाड़ी भेस बदल लो हे तिपुरारी मेरी घबरा रई महतार कै वर मिलौ लटधारी(इसे 2 बार दोहराना है) मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

बदलूँ भेस करूँ ना देरी तेरी माँ अब माँ है मेरी मत ना घबरावै महतार कै वर मिलौ लटधारी(इसे 2 बार दोहराना है) मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

जब भोले नै रूप सँवारौ माई-बाप कौ मन हरषायौ मैया सुखी री भयौ है संसार पड़न लगीं बुँदियाँ अति भारी(इसे 2 बार दोहराना है) मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारी(इसे 3 बार दोहराना है)

bhavna singh
21-09-2011, 09:10 AM
तू प्यार का सागर है,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,

लौटा जो दिया तूने,
लौटा जो दिया तूने,
चले जाएंगे जहां से हम,
चले जाएंगे जहां से हम,
तू प्यार का सागर है,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तू प्यार का सागर है,

घायल मन का पागल पन्छी,
उड़ने को बेकरार,
उड़ने को बेकरार,
पंख है कोमल आंख है धुंधली,
जाना है सागर पार,
जाना है सागर पार,
अब तू ही इसे समझा,
अब तू ही इसे समझा,
राह भूले थे कहाँ से हम,
राह भूले थे कहाँ से हम,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तू प्यार का सागर है,

इधर झूम के गाये ज़िन्दगी,
उधर है मौत खडी,
उधर है मौत खडी,
कोई क्या जाने कहाँ है सीमा,
उलझन आन पडी,
उलझन आन पडी,
कानों मे जरा कह दे,
कानों मे जरा कह दे,
कि आये कौन दिशा से हम,
कि आये कौन दिशा से हम,
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तेरी एक बून्द के प्यासे हम,
तू प्यार का सागर है,
तू प्यार का सागर है,

bhavna singh
21-09-2011, 09:18 AM
तोरा मन दर्पण कहलाये
भले, बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए

मन ही देवता मन ही इश्वर
मन से बड़ा न कोई
मन उजियारा ,जब जब फैले
जग उजियारा होए
इस उजाले दर्पण पर प्राणी, धूल ना जमने पाए
तोरा मन दर्पण कहलाये .......

सुख की कलियाँ, दुःख के कांटे
मन सब का आधार
मन से कोई बात छुपे न
मन के नैन हजार
जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये ......

bhavna singh
21-09-2011, 10:07 AM
बड़ा नटखट हे रे कृष्ण कन्हैया
का करे यशोदा मैया ....

ढूंढे री अँखियाँ उसे चहुँ और
जाने कहाँ छुप गया नन्द किशोर
उड़ गया ऐसे जैसे पुरवैया..
का करे यशोदा मैया ...

आ तोहे मैं गले से लगा लूँ
लागे न किसी की नज़र मन मे छुपा लूँ
धुप जगत है रे ममता है छैयाँ
का करे यशोदा मैया..

मेरे जीवन का तू एक ही सपना
जो कोई देखे तोहे समझे वो अपना
सब का है प्यारा, हो सब का प्यारा बंसी बजैया
का करे यशोदा मैया..

Gaurav Soni
21-09-2011, 11:08 AM
क्या बात हे मजा अगया

bhavna singh
22-09-2011, 08:31 AM
क्या बात हे मजा अगया

गौरव जी उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद /

bhavna singh
22-09-2011, 08:34 AM
मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत॥।

तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात, तड़पत हरी दरसन॥।

बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज, तड़पत हरी॥।

मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज दे दो आज, ॥।

bhavna singh
22-09-2011, 08:38 AM
माखन चोर , नन्द किशोर, मन मोहन, घनश्याम रे
कितने तेरे रूप रे कितने तेरे नाम रे

देवकी माँ ने जनम दिया और मैया यशोदा ने पाला
तू गोकुल का ग्वाला बिंद्रा बन गया बंसरी वाला
आज तेरी बंसी फिर बाजी मेरे मन के धाम रे
कितने तेरे रूप रे कितने तेरे नाम रे

माखन चोर , नन्द किशोर, मन मोहन, घनश्याम रे
कितने तेरे रूप रे कितने तेरे नाम रे

काली नाग के साथ लड़ा तू ज़ालिम कंस को मारा
बाल अवस्था में ही तुने खेला खेल ये सारा
तेरा बचपन तेरा जीवन जैसे एक संग्राम रे
कितने तेरे रूप रे कितने तेरे नाम रे

माखन चोर , नन्द किशोर, मन मोहन, घनश्याम रे
कितने तेरे रूप रे कितने तेरे नाम रे

तुने सब का चैन चुराया ओ चितचोर कन्हैया
जाने कब घर आए देखे राह यशोदा मैया
व्याकुल राधा ढूंढे श्याम न आया हो गई शाम रे
कितने तेरे रूप रे कितने तेरे नाम रे

माखन चोर , नन्द किशोर, मन मोहन, घनश्याम रे
कितने तेरे रूप रे कितने तेरे नाम रे

Gaurav Soni
22-09-2011, 10:05 AM
अच्छा सूत्र हे क्रप्या इसको आगे ले जाये

bhavna singh
25-09-2011, 09:37 AM
अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी।

देख्यौ चाहति कमलनैन कौ,
निसि-दिन रहति उदासी।।

आए ऊधै फिरि गए आँगन,
डारि गए गर फांसी।

केसरि तिलक मोतिन की माला,
वृन्दावन के बासी।।

काहू के मन को कोउ न जानत,
लोगन के मन हांसी।

सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ,
करवत लैहौं कासी।।

bhavna singh
25-09-2011, 09:39 AM
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो।
इस भव बंधन के भय से हमें उबारौ।

तुम कृपा सिंधु रघुनाथ नाथ हो मेरे ।
मैं अधम पड़ा हूँ चरण कमल पर तेरे।
हे नाथ। तनिक तो हमरी ओर निहारो।
अब कृपा करो ...

मैं पंगु दीन हौं हीन छीन हौं दाता ।
अब तुम्हें छोड़ कित जाउं तुम्हीं पितु माता ।
मैं गिर न कहीं प्रभु जाऊँ आय सम्हारो।
अब कृपा करो ...

मन काम क्रोध मद लोभ मांहि है अटका ।
मम जीव आज लगि लाख योनि है भटका ।
अब आवागमन छुड़ाय नाथ मोहि तारो।
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो ॥

bhavna singh
25-09-2011, 09:51 AM
परम कृपा सुरूप है, परम प्रभु श्री राम ।
जन पावन परमात्मा, परम पुरुष सुख धाम ।। १ ।।
सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शान्ति स्वरूप ।
है ज्ञान आनन्द मयी, राम कृपा अनूप ।। २ ।।
परम पुण्य प्रतीक है, परम ईश का नाम ।
तारक मंत्र शक्ति घर, बीजाक्षर है राम ।। ३ ।।
साधक साधन साधिए, समझ सकल शुभ सार ।
वाचक वाच्य एक है, निश्चित धार विचार ।। ४ ।।
मंत्रमय ही मानिए, इष्ट देव भगवान् ।
देवालय है राम का, राम शब्द गुण खान ।। ५ ।।
राम नाम आराधिए, भीतर भर ये भाव ।
देव दया अवतरण का, धार चौगुना चाव ।। ६ ।।
मन्त्र धारणा यों कर, विधि से ले कर नाम ।
जपिए निश्चय अचल से, शक्ति धाम श्री राम ।। ७ ।।
यथा वृक्ष भी बीज से, जल रज ऋतु संयोग ।
पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मन्त्र से योग ।। ८ ।।
यथा शक्ति परमाणु में, विद्युत् कोष समान ।
है मन्त्र त्यों शक्तिमय, ऐसा रखिए ध्यान ।। ९ ।।
ध्रुव धारणा धार यह, राधिए मन्त्र निधान ।
हरि-कृपा अवतरण का, पूर्ण रखिए ज्ञान ।। १० ।।
आता खिड़की द्वार से, पवन तेज का पूर ।
है कृपा त्यों आ रही, करती दुर्गुण दूर ।। ११ ।।
बटन दबाने से यथा, आती बिजली धार ।
नाम जाप प्रभाव से, त्यों कृपा अवतार ।।१२ ।।
खोलते ही जल नल ज्यों, बहता वारि बहाव ।
जप से कृपा अवतरित हो, तथा सजग कर भाव ।। १३ ।।
राम शब्द को ध्याइये, मन्त्र तारक मान ।
स्वशक्ति सत्ता जग करे, उपरि चक्र को यान ।। १४ ।।
दशम द्वार से हो तभी, राम कृपा अवतार ।
ज्ञान शक्ति आनन्द सह, साम शक्ति संचार ।। १५ ।।
देव दया स्वशक्ति का, सहस्र कमल में मिलाप ।
हो सत्पुरुष संयोग से, सर्व नष्ट हों पाप ।। १६

bhavna singh
25-09-2011, 09:52 AM
करती हूं मैं वन्दना, नत शिर बारम्बार ।
तुझे देव परमात्मन्, मंगल शिव शुभकार ।। १ ।।
अंजलि पर मस्तक किये, विनय भक्ति के साथ ।
नमस्कार मेरा तुझे, होवे जग के नाथ ।। २ ।।
दोनों कर को जोड़ कर, मस्तक घुटने टेक ।
तुझ को हो प्रणाम मम, शत शत कोटि अनेक ।। ३ ।।
पाप-हरण मंगल-करण, चरण शरण का ध्यान ।
धार करूँ प्रणाम मैं, तुझ को शक्ति-निधान ।। ४ ।।
भक्ति-भाव शुभ-भावना, मन में भर भरपूर ।
श्रद्धा से तुझ को नमूँ, मेरे राम हजूर ।। ५ ।।
ज्योतिर्मय जगदीश हे, तेजोमय अपार ।
परम पुरुष पावन परम, तुझ को हो नमस्कार ।। ६ ।।
सत्यज्ञान आनन्द के, परम धाम श्री राम ।
पुलकित हो मेरा तुझे होवे बहु प्रणाम ।। ७ ।।

bhavna singh
28-09-2011, 02:02 PM
आओ आओ यशोदा के लाल .
आज मोहे दरशन से कर दो निहाल .
आओ आओ,
आओ आओ यशोदा के लाल ..

नैया हमारी भंवर मे फंसी .
कब से अड़ी उबारो हरि .
कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल .( २)
आओ आओ,
आओ आओ यशोदा के लाल ..

अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार .
भवसागर है अति विशाल .
लाखों को तारा है तुमने गोपाल .( २)
आओ आओ,
आओ आओ यशोदा के लाल ..

यमुना के तट पर गौवें चराकर .
छीन लिया मेरा मन मुरली बजाकर .
हृदय हमारे बसो नन्दलाल . ( २)
आओ आओ,
आओ आओ यशोदा के लाल ..

bhavna singh
28-09-2011, 02:05 PM
आराध्य श्रीराम त्रिकुटी में .
प्रियतम सीताराम हृदय में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम रोम रोम में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम जन जन में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम कण कण में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम राम मुख में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम राम मन में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम स्वांस स्वांस में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम राम राम राम ..
राम राम राम राम राम राम राम .
राम राम राम राम राम राम राम ..

bhavna singh
30-09-2011, 04:04 PM
उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो तू सोवत है
जो जागत है सो पावत है, जो सोवत है वो खोवत है

खोल नींद से अँखियाँ जरा और अपने प्रभु से ध्यान लगा
यह प्रीति करन की रीती नहीं प्रभु जागत है तू सोवत है.... उठ ...

जो कल करना है आज करले जो आज करना है अब करले
जब चिडियों ने खेत चुग लिया फिर पछताये क्या होवत है... उठ ...

नादान भुगत करनी अपनी ऐ पापी पाप में चैन कहाँ
जब पाप की गठरी शीश धरी फिर शीश पकड़ क्यों रोवत है... उठ ....

bhavna singh
01-10-2011, 10:06 AM
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥

कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी लगन लगाये।
हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े॥

पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते।
भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े॥

तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी।
तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े॥

ऐसी अन्तर ज्योति जगाना हम दीनों को शरण लगाना।
हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े॥

bhavna singh
05-10-2011, 04:35 PM
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा,
आना पड़ेगा .
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा ..

गोकुल में आया मथुरा में आ
छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा .
अरे सांवरे देख आ के ज़रा
सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका ..

जमुना के पानी में हलचल नहीं .
मधुबन में पहला सा जलथल नहीं .
वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ .
छनकती मगर कोई झान्झर नहीं .

bhavna singh
05-10-2011, 04:36 PM
कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना....

तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना
सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना,
राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना..
गौरा साथ लेके , डमरू हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना,
लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना
रीधी साथ लेके, सीधी साथ लेके ,
चले आना प्रभुजी चले आना....

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना...

bhavna singh
05-10-2011, 04:38 PM
करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना ..

कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ .
करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना ..

कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो .
सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना ..

पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ .
भवसागर से पार कर अब तो उबारो मोहना ..

bhavna singh
06-10-2011, 10:13 AM
कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे
सुनयना रानी अपनी लली को दुलरावे

मुख चू्मे और कण्ठ लगावे
मन में मोद में मनावे
कौशल्या रानी
मन में मोद में मनावे

शिव ब्रह्मा जाको पार न पावे
निगम नेति कहि गावे
कौशल्या रानी
निगम नेति कहि गावे

हरि सहचरि बड़ भाग्य निराली
अपनी गोद खिलावे
कौशल्या रानी
अपनी गोद खिलावे

bhavna singh
06-10-2011, 10:14 AM
जय बोलो जय बोलो
गणपति बप्पा की जय बोलो।

सिद्ध विनायक संकट हारी
विघ्नेश्वर शुभ मंगलकारी

सबके प्रिय सबके हितकारी
द्वार दया का खोलो

जय बोलो जय बोलो


पारवती के राज दुलारे
शिवजी की आंखों के तारे

गणपति बप्पा प्यारे प्यारे
द्वार दया का खोलो

जय बोलो जय बोलो।


शंकर पूत भवानी जाये
गणपति तुम सबके मन भाये

तुमने सबके कष्ट मिटाये
द्वार दया का खोलो

जय बोलो जयबोलो


जो भी द्वार तुम्हारे आता
खाली हाथ कभी ना जाता

तू है सबका भाग्य विधाता
द्वार दया का खोलो

जय बोलो जय बोलो
गणपति बप्पा की जय बोलो

bhavna singh
08-10-2011, 10:02 AM
गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये ।
जो गुरु चाहे सोयि सोयि करिये॥


गुरु चरनन रज मस्तक दीजे ।
निज मन बुद्धि शुद्ध कर लीजे।

आँखिन ज्ञान सुअंजन दीजे ।
परम सत्य का दरशन करिये॥

गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥


गुरु अँगुरी दृढ़ता से धरिये ।
साधक नाम सुनौका चढिये।

खेवटिया गुरुदेव सरन में ।
भव सागर हँस हँस के तरिये॥

गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥


गुरु की महिमा अपरम्पार ।
राम धाम में करत विहार।

ज्योति स्वरूप राम दरशन को ।
गुरु के चरन चीन्ह अनुसरिये॥

गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥

bhavna singh
08-10-2011, 10:03 AM
गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं।
ऐसी सुमति हमे दो दाता ॥


मैं अधमाधम पतित पुरातन।
किस विधि भव सागर तर पाऊं ।

ऐसी दृष्टि हमें दो दाता।
खेवन हार गुरु को पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


गुरुपद नख की दिव्य ज्योति से।
निज अन्तर का तिमिर मिटाऊं ।

गुरुपद पदम पराग कणों से।
अपना मन निर्मल कर पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


शंखनाद सुन जीवन रन का
धर्म युद्ध में मैं लग जाऊं ।

गुरुपद रज अंजन आँखिन भर।
विश्वरुप हरि को लख पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


भटके नहीं कहीं मन मेरा।
आँख मूंद जब उनको ध्याऊं ।

पीत गुलाबी शिशु से कोमल।
गुरु के चरन कमल लख पाऊं ॥

गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं ॥

bhavna singh
13-10-2011, 04:09 PM
गुरु चरनन मे शीश झुकाले
जनम सफल हो जायेगा

गुरुदर्शन से बिन माँगे ही
कृपा राम की पायेगा

जनम सफ़ल हो जायेगा

गुरु चरनन में शीश झुका ले


चहु दिश गहन अन्धेरा छाया
पग पग भरमाती है माया

राम नाम की ज्योति जगेगी
अन्धकार मिट जायेगा

गुरु चरनन में शीश झुका ले


गुरु आदेश मान मन मेरे
ध्यान जाप चिन्तन कर ले रे

जनम जनम के पाप कटेंगे
मोक्ष द्वार खुल जायेगा

गुरु चरनन में शीश झुका ले
जन्म सफ़ल हो जायेगा

bhavna singh
13-10-2011, 04:10 PM
गुरु बिन कौन सम्हारे ।
को भव सागर पार उतारे ॥

टूटी फूटी नाव हमारी
पहुँच न पाई तट पर ।
जैसे कोई प्यासा राही ।
भटक गया पनघट पर ।
पास खड़ा गुरु मुस्काता है ।
दोनों बाँह पसारे।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

मेरे राम मुझे शक्ति दो ।
मन में मेरे दृढ़ भक्ति दो ।
राम काम मैं करूँ निरंतर ।
राम नाम चित धारे।
को भव सागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

जीवन पथ की उलझन लख कर।
खड़े न हो जाना तुम थक कर।
तेरा साथी, राम निरंजन ।
हरदम साथ तुम्हारे।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

हमराही तुम विकल न होना ।
संकट में धीरज ना खोना ।
अंधियारे में बाँह पकड़ कर ।
सत्गुरु राह दिखाये।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

bhavna singh
16-10-2011, 06:01 PM
गौरीनंदन गजानना हे दुःखभंजन गजानना ।

मूषक वाहन गजानना बुद्धीविनायक गजानना ।

विघ्नविनाशक गजानना शंकरपूत्र गजानना ।

bhavna singh
16-10-2011, 06:02 PM
घूँघट का पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।

घट घट रमता राम रमैया,
कटुक बचन मत बोल रे॥

रंगमहल में दीप बरत है,
आसन से मत डोल रे॥

कहत कबीर सुनो भाई साधों,
अनहद बाजत ढोल रे॥

bhavna singh
24-10-2011, 07:26 PM
छोटी छोटी गैयाँ, छोटे छोटे ग्वाल
छोटो सो मेरो मदन गोपाल

छोटी छोटी गैयाँ, छोटे छोटे ग्वाल
छोटो सो मेरो मदन गोपाल

आगे आगे गैयाँ पीछे पीछे ग्वाल
बीच मैं है मेरो मदन गोपाल...... छोटी छोटी गैयाँ

घास खाए गैयाँ, दूध पीये ग्वाल
माखन मिसरी खाए मेरो मदन गोपाल... छोटी छोटी गैयाँ

काली काली गैयाँ, गोरे गोरे ग्वाल
श्याम वरन मेरो मदन गोपाल.... छोटी छोटी गैयाँ

छोटी छोटी लाखुटी छोटे छोटे हाथ
बंसी बजावे मेरो मदन गोपाल.... छोटी छोटी गैयाँ

छोटी छोटी सखियाँ मधुबन बाल
रास रचावे मेरो मदन गोपाल..... छोटी छोटी गैयाँ

bhavna singh
24-10-2011, 07:28 PM
जब से लगन लगी प्रभु तेरी
जब से लगन लगी प्रभु तेरी सब कुछ मैं तो भूल गयी हूँ ..
बिसर गयी क्या था मेरा बिसर गयी अब क्या है मेरा .
अब तो लगन लगी प्रभु तेरी तू ही जाने क्या होगा ..
जब मैं प्रभु में खो जाती हूं मेघ प्रेम के घिर आते हैं .
मेरे मन मंदिर मे प्रभु के चारों धाम समा जाते हैं ..
बार बार तू कहता मुझसे जग की सेवा कर तू मन से .
इसी में मैं हूं सभी में मैं हूं तू देखे तो सब कुछ मैं हूं ..

bhavna singh
01-12-2011, 09:32 PM
जय जय गिरिबरराज किसोरी ।
जय महेस मुख चंद चकोरी ॥

जय गज बदन षडानन माता ।
जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥

नहिं तव आदि मध्य अवसाना ।
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ॥

भव भव बिभव पराभव कारिनि ।
बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ॥

सेवत तोहि सुलभ फल चारी ।
बरदायनी पुरारि पिआरी ॥

देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥

bhavna singh
01-12-2011, 09:44 PM
जय राम रमारमनं शमनं . भव ताप भयाकुल पाहि जनं ..
अवधेस सुरेस रमेस विभो . शरनागत मांगत पाहि प्रभो ..
दससीस विनासन बीस भुजा . कृत दूरि महा महि भूरि रुजा ..
रजनीचर बृंद पतंग रहे . सर पावक तेज प्रचंड दहे ..
महि मंडल मंडन चारुतरं . धृत सायक चाप निषंग बरं ..
मद मोह महा ममता रजनी . तम पुंज दिवाकर तेज अनी ..
मनजात किरात निपात किये . मृग लोग कुभोग सरेन हिये ..
हति नाथ अनाथनि पाहि हरे . विषया बन पांवर भूलि परे ..
बहु रोग बियोगिन्हि लोग हये . भवदंघ्रि निरादर के फल ए ..
भव सिंधु अगाध परे नर ते . पद पंकज प्रेम न जे करते ..
अति दीन मलीन दुःखी नितहीं . जिन्ह कें पद पंकज प्रीत नहीं ..
अवलंब भवंत कथा जिन्ह कें . प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह कें ..
नहिं राग न लोभ न मान मदा . तिन्ह कें सम बैभव वा बिपदा ..
एहि ते तव सेवक होत मुदा . मुनि त्यागत जोग भरोस सदा ..
करि प्रेम निरंतर नेम लियें . पद पंकज सेवत शुद्ध हियें ..
सम मानि निरादर आदरही . सब संत सुखी बिचरंति मही ..
मुनि मानस पंकज भृंग भजे . रघुवीर महा रनधीर अजे ..
तव नाम जपामि नमामि हरी . भव रोग महागद मान अरी ..
गुन सील कृपा परमायतनं . प्रनमामि निरंतर श्रीरमनं ..
रघुनंद निकंदय द्वंद्व घनं . महिपाल बिलोकय दीन जनं ..
बार बार बर मागौं हरषि देहु श्रीरंग .
पद सरोज अनपायानी भगति सदा सतसंग ..

aspundir
01-12-2011, 11:42 PM
करि प्रेम निरंतर नेम लियें . पद पंकज सेवत शुद्ध हियें ..
सम मानि निरादर आदरही . सब संत सुखी बिचरंति मही ..

भावना जी, भक्ति रस से पगी रचना को पढ़ कर मन आह्लादित हो गया है, आपको शतशः नमन ।

bhavna singh
29-12-2011, 07:12 PM
करि प्रेम निरंतर नेम लियें . पद पंकज सेवत शुद्ध हियें ..
सम मानि निरादर आदरही . सब संत सुखी बिचरंति मही ..

भावना जी, भक्ति रस से पगी रचना को पढ़ कर मन आह्लादित हो गया है, आपको शतशः नमन ।


aspundir जी हार्दिक आभार ...........!

bhavna singh
29-12-2011, 07:12 PM
जागो बंसीवारे ललना
जागो बंसीवारे ललना जागो मोरे प्यारे ..

रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवाड़े .
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना की झनकारे ..

उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाड़े द्वारे .
ग्वालबाल सब करत कोलाहल जय जय शब्द उचारे ..

माखन रोटी हाथ में लीजे गौअन के रखवारे .
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर शरण आया को तारे ..

bhavna singh
29-12-2011, 07:13 PM
जानकी नाथ सहाय करें
जानकी नाथ सहाय करें जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ॥

सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध और गुरु वरदायक तेरो ।
राहु केतु की नाहिं गम्यता संग शनीचर होत हुचेरो ॥

दुष्ट दु:शासन विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंतर प्रेरो ।
ताकी सहाय करी करुणानिधि बढ़ गये चीर के भार घनेरो ॥

जाकी सहाय करी करुणानिधि ताके जगत में भाग बढ़े रो ।
रघुवंशी संतन सुखदायी तुलसीदास चरनन को चेरो ॥

bhavna singh
15-10-2012, 03:31 AM
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को
जैसे मिल ना रहा हो किनारा, मिल ना रहा हो किनारा
उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो
किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख ...

शीतल बने आग चंदन के जैसी
राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाएं रातें
जो थीं अमावस अंधेरी, जो थीं अमावस अंधेरी
युग- युग से प्यासी मरुभूमि ने
जैसे सावन का संदेस पाया
ऐसा ही सुख ...

जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो
उस पर कदम मैं बढ़ाऊं
फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में
मैं न कभी डगमगाऊं, मैं न कभी डगमगाऊं
पानी के प्यासे को तक़दीर ने
जैसे जी भर के अमृत पिलाया
ऐसा ही सुख .........!

bhavna singh
30-10-2012, 10:11 PM
ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी सबको गले से लगाते चलो ॥

जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा

आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का दे दो कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलो, प्रेम की गंगा

छाया है छाओं और अंधेरा भटक गैइ हैं दिशाएं
मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएं
धरती को स्वर्ग बनाते चलो, प्रेम की गंगा

bhavna singh
30-10-2012, 10:16 PM
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ॥

किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय ।
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ॥

अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि ।
तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां ॥

विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर ।
सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां ॥

तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद ।
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां ॥

bhavna singh
19-11-2012, 08:28 AM
तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है, सीता से नाता जोड़ा है,

तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है....


शीश सिया के चुनड सोहे, टिके की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये ,रघुवर को जानकी प्यारी है

तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है.....


हाथ सिया के चूड़ी सोहे, कंगन की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये, रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है....


कमर सिया के तगड़ी सोहे, झुमके की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये ,रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है....


पैर सिया के पायल सोहे, बिछिया की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये ,रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करो ,शिव धनुष राम ने तोड़ा है....

bhavna singh
26-11-2012, 04:57 PM
तुम तजि और कौन पै जाऊं ।
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं ॥

ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं ।
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं ॥

रंक अयाची कियू सुदामा दियो अभय पद ठाऊं ।
कामधेनु चिंतामणि दीन्हो कलप वृक्ष तर छाऊं ॥

भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं ।
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ॥

idskrishna
30-11-2012, 03:19 PM
Hari Ji
Hari Ji Mori Lagi lagan Mat Todna
Hari Ji Mori Lagi lagan Mat Todna
Hari Ji Mori Lagi lagan Mat Todna
Hari Ji Mori Lagi lagan Mat Todna
Ho Lagi Lagan Mat Todna Pyaare
Lagi lagan Mat Todna Pyaare
Lagi lagan Mat Todna Pyaare
Lagi lagan Mat Todna Pyaare
Hari Ji Meri Lagi Lagan Mat Todna
Hari Ji Meri Lagi Lagan Mat Todna
Prabhu Ji Meri Lagi Lagan Mat Todna
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Haa Lagi Lagan Mat Todna Pyare
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Hari Ji Mori Lagi Lagan Mat Todna
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Prabhu Ji Mori Lagi Lagan Mat Todna
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Hari Ji Mori Lagi Lagan Mat Todna
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rajnish manga
30-11-2012, 05:27 PM
भावना जी, एक सामान्य दिखने वाले सूत्र को आपने असाधारण गरिमा प्रदान की है. यहाँ पर आपने बहुत से पुराने और नए भजन प्रस्तुत कर के बड़ा श्रेष्ठ कार्य किया है जिसकी जितनी तारीफ़ की जाय कम है. मैं जानना चाहता हूँ कि क्या इन भजनों को हम अपने कमप्यूटर पर सेव कर सकते हैं? यदि हाँ तो किस प्रकार?
आई.डी.कृष्णा जी द्वारा प्रेषित भजन भी सुन्दर है. यदि भविष्य में अपने पोस्ट देवनागरी में दे पायें तो और अच्छा लगेगा.

rajnish manga
09-12-2012, 10:15 PM
इस सूत्र में बहुत सुन्दर भजन हमें पढ़ने को मिले. इनमे कई ऐसे भजन भी हमें देखने को मिले जो हमारे घरों में पारंपरिक रूप से विद्यमान रहे हैं और जिनका गायन - श्रवण हम बहुधा देखते सुनते हैं. सुश्री भावना सिंह द्वारा इन भजनों को संकलित करने तथा अपलोड करने में जो मेहनत की गयी उसे पुनः स्मरण करते हुये यहाँ दो भजन मैं भी प्रस्तुत करना चाहता हूँ. इनमे से एक भजन पंजाबी में है किन्तु मेरा विश्वास है कि इसे गैर पंजाबीभाषी भी आसानी से समझ पायेंगे.

rajnish manga
09-12-2012, 10:20 PM
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे.
मिलेगी प्रभु की शरण धीरे धीरे .

दमन इन्द्रियों का तू करता चला जा.
दमन इन्द्रियों का तू करता चला जा.
बना शुद्ध चाल चलन धीरे धीरे.
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे.

मिलेगा तुझे खोज जिसकी है तुझको.
मिलेगा तुझे खोज जिसकी है तुझको.
धरम से जो होगी लगन धीरे धीरे.
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे.

कदम नेक राहों पे धरता चला जा.
कदम नेक राहों पे धरता चला जा.
मिटेगा ये आवागमन धीरे धीरे
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे.

छिड़क जल दया का तू सूखे दिलों पर.
छिड़क जल दया का तू सूखे दिलों पर.
बसेगा ये उजड़ा चमन धीरे धीरे
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे

rajnish manga
09-12-2012, 10:24 PM
लगा मुख पे ताला तू सत्संग वाला.
लगा मुख पे ताला तू सत्संग वाला.
मिटा देगा दर्दे कुहन धीरे धीरे.
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे.

कोई काम दुनियाँ में मुश्किल नहीं है.
कोई काम दुनियाँ में मुश्किल नहीं है.
जो करते रहोगे जतन धीरे धीरे.
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे.

मनुज सेवा तेरी तेरी ईश भक्ति.
मनुज सेवा तेरी तेरी ईश भक्ति.
दीपाएगी तेरा जीवन धीरे धीरे.
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे.

########

rajnish manga
09-12-2012, 10:28 PM
पंजाबी भजन
गुरां दी वाणी सुणके ज़िंदगी संवार ओ मन्ना.
ना कर माया नाल प्यार ना हो ख्वार ओ मन्ना.

ऐवें विषयां च उमर गवाई जान्दा ऐं
आया खटण ते पल्लेओं लुटाई जान्दा ऐं
ना कर घाटे वाला कोई तू ब्योपार ओ मन्ना.
गुरां दी वाणी सुणके ज़िंदगी संवार ओ मन्ना.


जेहड़े हस हस के ने तेनू वाजां मारदे
प्यार करदे ते तन मन उत्तों वार दे
ओ ताँ मतलब दे ने सब यार ओ मन्ना.
गुरां दी वाणी सुणके ज़िंदगी संवार ओ मन्ना.


ऐ ताँ जगत सरां है काहनू भुलया फिरें
झूठी काया माया देख ऐवें डुलाया फिरें
ऐ ताँ रंगरलियाँ दे ने दिन चार ओ मन्ना.
गुरां दी वाणी सुणके ज़िंदगी संवार ओ मन्ना.


वाणी सुण ले घरां दे झूठे धन्धे छाड्ड के
काम क्रोध मान लोभ सारे दिल्लों कड्ड के
चढ़ जा ज्ञान वाली सूली हो जा पार ओ मन्ना.
गुरां दी वाणी सुणके ज़िंदगी संवार ओ मन्ना.

aspundir
11-12-2012, 09:28 PM
तू दयालु, दीन हौं, तू दानि, हौं भिखारी।
हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप-पुंज-हारी॥

नाथ तू अनाथ को, अनाथ कौन मोसो।
मो समान आरत नहिं, आरतिहर तोसो॥

ब्रह्म तू, हौं जीव, तू है ठाकुर, हौं चेरो।
तात-मात, गुरु-सखा, तू सब विधि हितु मेरो॥

तोहिं मोहिं नाते अनेक, मानियै जो भावै।
ज्यों त्यों तुलसी कृपालु! चरन-सरन पावै॥

MP3 Audio (http://www.archive.org/download/ShriRamGeetGunjan-Bhajans/tuu_dayaalu.mp3)of Bhajan sung by Madhu Chandra

aspundir
11-12-2012, 09:28 PM
भज मन राम चरण सुखदाई ॥

जिहि चरनन से निकलीं सुरसरि
शंकर जटा समायी ।
जटा सन्करी नाम परयो है
त्रिभुवन तारन आयी ॥
राम चरण सुखदाई ॥

जिन्ह चरणन की चरण पादुका
भरत रह्यो लव लाई ।
सोइ चरण केवट धोइ लीन्हे
तब हरि नाव चलाई ॥
राम चरण सुखदाई ॥

MP3 Audio (http://www.archive.org/download/ShriRamGeetGunjan-Bhajans/bhaj-man.mp3) of Bhajan by Madhu Chandra

aspundir
19-12-2012, 08:32 PM
कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना....

तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना
सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना,
राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना..
गौरा साथ लेके , डमरू हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना,
लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना
रीधी साथ लेके, सीधी साथ लेके ,
चले आना प्रभुजी चले आना....

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना...

aspundir
19-12-2012, 08:32 PM
तोरा मन दर्पण कहलाये
भले, बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए

मन ही देवता मन ही इश्वर
मन से बड़ा न कोई
मन उजियारा ,जब जब फैले
जग उजियारा होए
इस उजाले दर्पण पर प्राणी, धूल ना जमने पाए
तोरा मन दर्पण कहलाये .......

सुख की कलियाँ, दुःख के कांटे
मन सब का आधार
मन से कोई बात छुपे न
मन के नैन हजार
जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये ......

aspundir
19-12-2012, 08:33 PM
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ॥


साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये ।
हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं ।
अंतरयामी एक तुम आतम के आधार ।
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी कौन उतारे पार ॥
गुरु बिन कैसे लागे पार ॥


मैन अपराधी जन्म को मन में भरा विकार ।
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार ।
अवगुन दास कबीर के बहुत गरीब निवाज़ ।
जो मैं पूत कपूत हूं कहौं पिता की लाज ॥
गुरु बिन कैसे लागे पार

aspundir
19-12-2012, 08:34 PM
राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

निर्गुणियों के साँवरिया ने
खोये भाग जगाये ।

मैं नाहिं जानूँ आरती पूजा
केवल नाम पुकारूं ।

साँवरिया बिन हिरदय दूजो
और न कोई धारूँ ।

चुपके से मन्दिर में जाके
जैसे दीप जलाये ॥

राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

दुःखों में था डूबा जीवन
सारे सहारे टूटे ।

मोह माया ने डाले बन्धन
अन्दर बाहर छूटे ॥

कैसी मुश्किल में हरि मेरे
मुझको बचाने आये ।

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

दुनिया से क्या लेना मुझको
मेरे श्याम मुरारी ॥

मेरा मुझमें कुछ भी नाहिं
सर्वस्व है गिरिधारी ।

शरन लगा के हरि ने मेरे
सारे दुःख मिटाये ॥

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

aspundir
19-12-2012, 08:35 PM
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aspundir
20-12-2012, 07:59 PM
सत्य ज्ञान आनंद के परम धाम श्री राम |
पुलकित हो मेरा तुझे होवे बहु प्रणाम ||

आया तेरे द्वार पर, दुखी अबल तव बाल |
पावन अपने प्रेम से, करिये इसे निहाल ||

पावन तेरा नाम है, पावन तेरा धाम |
अतिशय पावन रूप तू, पावन तेरा काम ||

निश्चय अपने नाम का, भक्ति प्रेम प्रकाश |
दे निश्चय निज रूप का, अपना दृढ़ विश्वास ||

मेरा तन मंदिर बने, मन में नाम बसाय |
वाणी में हो कीर्तन, परम प्रेम में आय ||

उत्तम मेरे कर्म हों, राम इच्छा अनुसार |
तुझमें सब जन ही बनें, रत्न पिरोए तार ||

जय विजय बसे देश में, फैले सुनीति न्याय |
स्व पर का भय भी कभी, जन को नहीं सताय ||

मार्ग सत्य दिखाइए, संत सुजन का पाथ |
पाप से हमें बचाइए, पकड़ हमारा हाथ ||

भक्ति प्रेम से सींचिये, कर के दया दयाल |
अपनी श्रद्धा दान कर, सबको करो निहाल ||

तेरी जय जयकार हो, दश दिश चारों कूंट |
नाम अमीरस मधुर का, पान करे सब घूँट ||

नाम नाद की गूँजती, मधुर सुरीली तान |
राम नाम के शब्द को, सुने सभी के कान ||

जय जय तेरी बोल कर, तेरे गीत को गाय |
तेरा यश वर्णन करूँ, तेरा नाम जपाय ||

निज निश्चय का तेज दे, प्रीति किरण के साथ |
साथ रहे शुभ कर्म में, मंगलमय तव हाथ ||

गूंजे मधुमय नाम की, ध्वनि नाभि के धाम |
हृदय मस्तक कमल में राम राम ही राम ||

मुझे भरोसा राम तू, दे अपना अनमोल ||
रहूँ मस्त निश्चिन्त मैं, कभी ना जाऊं डोल ||

मुझे भरोसा परम है, राम राम ही राम |
मेरी जीवन-ज्योति है, वही मेरा विश्राम ||

rajnish manga
20-12-2012, 09:53 PM
[QUOTE=aspundir;197474]सत्य ज्ञान आनंद के परम धाम श्री राम |

पुलकित हो मेरा तुझे होवे बहु प्रणाम ||

:gm:
बहुत सुन्दर भजन फोरम पर दे रहे हैं पुंडीर जी, इसके लिए आपका आभार. बड़ी विनयपूर्वक बताना चाहता हूँ कि आपके द्वारा फ्रेम 51 और 52 पर प्रस्तुत भजन 'कभी राम बनके' और 'तोरा मन दरपन कहलाये' पहले भी फ्रेम 20 और 4 पर दिए जा चुके हैं. कृपया दोहराव से बचें. धन्यवाद.

aspundir
26-12-2012, 07:07 PM
भूलते हरि नहीं, हम ही उन्हें भुलाते हैं (२)
प्रेम से प्रभु को पुकारो तो चले आते

भक्त प्रहलाद पे संकट महान आया था
स्वयं पिता ने खडग क्रोध में उठाया था
ध्यान प्रह्लाद ने हरि चरणों में लगाया था
बन के नरसिंह दयासिंधु ने बचाया था
सर्वव्यापी प्रभु, ओ ओ ओ ,
सर्वव्यापी प्रभु खम्बे से निकल आते

भूलते हरि नहीं, हम ही उन्हें भुलाते हैं
प्रेम से प्रभु को पुकारो तो चले आते

aspundir
27-12-2012, 08:57 PM
श्री राम, श्री राम, श्री राम, श्री राम ||

ज़रा आ शरण मेरे राम की,
मेरा राम करुणानिधान है | (२)

ज़रा आ शरण मेरे राम की,
मेरा राम किरपानिधान है |

मेरा राम करुणानिधान है |
मेरा राम किरपानिधान है |


ज़रा आ शरण मेरे राम की,
मेरा राम करुणानिधान है |

पल पल तू उसका ध्यान कर
उसके आगे फरियाद कर | (२)
तेरे कष्ट सब कट जायेंगे
तेरे पाप सब धुल जायेंगे |

मेरा राम करुणानिधान है |
मेरा राम किरपानिधान है |
मेरा राम किरपानिधान है |


ज़रा आ शरण मेरे राम की,
मेरा राम करुणानिधान है |


ज़रा आ शरण मेरे राम की,
मेरा राम किरपानिधान है |

लिया आसरा जिस(ने) नाम का
वो तो बन गया श्रीराम का | (२)
जिस नाम से पत्थर तरे
तेरा तरना तो आसान है |
तेरा तरना तो आसान है |

ज़रा आ शरण मेरे राम की,
मेरा राम किरपानिधान है |

लगी भीलनी को ये आस थी
प्रभु कब आयेगें ये प्यास थी | (२)
जूठे बेर खाये राम ने
जूठे बेर खाये राम ने |
ये तो जाने सारा जहान है |

मेरा राम करुणानिधान है |
मेरा राम किरपानिधान है |
मेरा राम किरपानिधान है |


ज़रा आ शरण मेरे राम की,
मेरा राम करुणानिधान है |


ज़रा आ शरण मेरे राम की,
मेरा राम करुणानिधान है |
मेरा राम किरपानिधान है |

Listen to MP3 Bhajan (http://archive.org/download/RamParivarBhajans/ZaraaAaSharanMereRamKeeMeraRamKarunaNidhanHai..mp3 ) by Shri Virendra Katyal ji

aspundir
27-12-2012, 09:07 PM
आओ आओ यशोदा के लाल .
आज मोहे दरशन से कर दो निहाल .
आओ आओ,
आओ आओ यशोदा के लाल ..

नैया हमारी भंवर मे फंसी .
कब से अड़ी उबारो हरि .
कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल .( २)
आओ आओ,
आओ आओ यशोदा के लाल ..

अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार .
भवसागर है अति विशाल .
लाखों को तारा है तुमने गोपाल .( २)
आओ आओ,
आओ आओ यशोदा के लाल ..

यमुना के तट पर गौवें चराकर .
छीन लिया मेरा मन मुरली बजाकर .
हृदय हमारे बसो नन्दलाल . ( २)
आओ आओ,
आओ आओ यशोदा के लाल ..

aspundir
27-12-2012, 09:08 PM
करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना ..

कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो .
सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना ..


कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ .
करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना ..



पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ .
भवसागर से पार कर अब तो उबारो मोहना ..

aspundir
27-12-2012, 09:08 PM
या ब्रज में कछु देख्यो री टोना ।

ले मटकी सिर चली गुजरिया,
आगे मिले बाबा नंद जी के छोना ।
दधि को नाम बिसरि गयो प्यारी,
ले लेहुरी कोउ स्याम सलोना ।

बृंदावन की कुँजगलिन में,
आस लगाय गयो मनमोहना ।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
सुंदर स्याम सुघर रस लोना ।


Listen to the bhajan - MP by Kusum Shrivastav (http://archive.org/download/SwarSammelanBaujiKoShradhanjali/F-kusum-PujyaBabuShradhanjali2010-audio2.mp3)

aspundir
10-03-2013, 11:13 PM
राम नाम, घनश्याम नाम,
शिव नाम सिमर दिन रात .
हरि नाम सिमर दिन रात ..

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात,
जनम सफल तू कर ले अपना,
जनम सफल तू कर ले अपना
मान ले मेरी बात,
हरि नाम सिमर दिन रात

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

धन्य धन्य वो भूमि प्रभु ने
लिया जहाँ अवतार
धन्य है वो स्थान जहाँ प्रभु-
प्रेम का हो परचार (प्रचार)
धन्य है तीरथ जिनकी यात्रा
मुक्ति की है बात
हरि नाम सिमर दिन रात

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

काम क्रोध मोह लोभ छोड़ कर
नाम प्रभु का गा ले
मानुष तन जो पाया उसका
सच्चा लाभ उठा ले
जीवन ये अनमोल तिहारा
पल पल बीतत जात
हरि नाम सिमर
राम नाम सिमर
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

पांच पाण्डवों ने जिस पथ पे
किया महा प्रस्थान
उस पथ पे चले जो भी प्राणी
उसका हो कल्याण
भूल जा तू जग की सब बातें
भूल न पर ये बात

हरि नाम सिमर
राम नाम सिमर
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

राम नाम घनश्याम नाम
शिव नाम सिमर दिन रात
हरि नाम सिमर दिन रात

aspundir
10-03-2013, 11:13 PM
तू ढूँढता है जिसको, बस्ती में या कि बन में
वो साँवरा सलोना रहता है, रहता है तेरे मन में ...

मस्जिद में, मंदिरों में, पर्वत के कन्दरों में (२)
नदियों के पानियों में, गहरे समंदरों में, लहरा रहा है वो ही (२),
खुद अपने बाँकपन में वो साँवरा सलोना रहता है,
रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ...

हर ज़र्रे में रमा है, हर फूल में बसा है (२)
हर चीज़ में उसी का जलवा झलक रहा है हरकत वो कर रहा है (२),
हर इक के तन बदन में वो साँवरा सलोना रहता है,
रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ...

क्या खोया क्या था पाया, क्यूँ भाया क्यूँ न भाया क्यूँ सोचे जा रहा है,
क्या पाया क्या न पाया सब छोड़ दे उसी पर (२),
बस्ती में रहे कि बन में वो साँवरा सलोना रहता है,
रहता है तेरे मन में तू ढूँढता है ...

aspundir
10-03-2013, 11:13 PM
नारायण जिनके हिरदय में
सो कछु करम करे न करे रे ..

पारस मणि जिनके घर माहीं
सो धन संचि धरे न धरे .
सूरज को परकाश भयो जब
दीपक जोत जले न जले रे ..

नाव मिली जिनको जल अंदर
बाहु से नीर तरे न तरे रे .
ब्रह्मानंद जाहि घट अंतर
काशी में जाये मरे न मरे रे ..

aspundir
17-03-2013, 07:53 PM
जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया. (२)

ले चल अपनी नगरिया, मोहे दे के बांहों का सहारा . (२)
जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया,
तू ही मन भाया ..

अब तो रंग गयी गिरिधर, तेरे ही रंग में,
सांवरा सलोना मेरो, बस गयो मेरे मन में,
जानूँ ना प्रीत की रीत सांवरिया ,
ले चल अपनी नगरिया, मोहे दे के बांहों का सहारा .
जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया. (२)
तू ही मन भाया ..

जग के बंधन गिरिधर, कैसे मैं तोड़ चलूं
तू ही अब राह दिखा दे, जिस पे मैं दौड़ चलूँ ,
राह ना सूझे, सांवरिया,
ले चल अपनी नगरिया, मोहे दे के बांहों का सहारा .
जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया.
तू ही मन भाया .. (३)
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aspundir
19-05-2013, 01:50 PM
अब मैं नाच्यों बहुत गुपाल ।

काम क्रोध को पहिरि चोलना, कंठ विषय की माल ।
महा मोह के नूपूर बाजत, निंदा शबद रसाल ।
भरम भरयो मन भयो पखावज, चलत कुसंगत चाल ।
तृष्णा नाद करत घट भीतर, नाना विधि दै ताल ।
माया को कटि फेटा बाँध्यो, लोभ तिलक दै भाल ।
कोटिक कला काँछि देखरार्इ, जल पल सुधि नहिं काल ।
सूरदास की सबै अविद्या दूरि करौ नंदलाल ।


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aspundir
02-06-2013, 05:34 PM
राम हि राम बस राम हि राम ।
और नाहि काहू से काम।
राम हि राम बस ...

तन में राम तेरे मन में राम ।
मुख में राम वचन में राम ।
जब बोले तब राम हि राम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।।

जागत सोवत आठहु याम ।
नैन लखें शोभा को धाम ।
ज्योति स्वरूप राम को नाम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।।

कीर्तन भजन मनन में राम ।
ध्यान जाप सिमरन में राम ।
मन के अधिष्ठान में राम ।
और नाहिं काहू सो काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।

सब दिन रात सुबह और शाम ।
बिहरे मन मधुबन में राम ।
परमानन्द शान्ति सुख धाम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।

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aspundir
06-07-2013, 08:51 PM
मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥

अधिष्ठान मेरा मन होवे।
जिसमे राम नाम छवि सोहे ।
आँख मूंदते दर्शन होवे
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन ...

सांस सांस गुरु मन्त्र उचारूं।
रोमरोम से राम पुकारूं ।
आँखिन से बस तुम्हे निहारूं।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन ...

औषधि रामनाम की खाऊं।
जनम मरन के दुख बिसराऊं ।
हंस हंस कर तेरे घर जाऊं।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन ...

बीते कल का शोक करूं ना।
आज किसी से मोह करूं ना ।
आने वाले कल की चिन्ता।
नहीं सताये हम को स्वामी ॥
मेरे मन ...

राम राम भजकर श्री राम।
करें सभी जन उत्तम काम ।
सबके तन हो साधन धाम।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन ...

आँखे मूंद के सुनूँ सितार।
राम राम सुमधुर झनकार ।
मन में हो अमृत संचार।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥
मेरे मन ...

मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे।
ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥

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aspundir
06-07-2013, 08:56 PM
दाता राम दिये ही जाता ।
भिक्षुक मन पर नहीं अघाता।

देने की सीमा नहीं उनकी।
बुझती नहीं प्यास इस मन की ।
उतनी ही बढ़ती है तृष्णा।
जितना अमृत राम पिलाता।
दाता राम ...

कहो उऋण कैसे हो पाऊँ।
किस मुद्रा में मोल चुकाऊँ।
केवल तेरी महिमा गाऊँ।
और मुझे कुछ भी ना आता।
दाता राम ...

जब जब तेरी महिमा गाता ।
जाने क्या मुझको हो जाता ।
रुंधता कण्ठ नयन भर आते ।
बरबस मैं गुम सुम हो जाता।
दाता राम ...

दाता राम दिये ही जाता ॥

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aspundir
06-07-2013, 08:58 PM
पायो निधि राम नाम, पायो निधि राम नाम .
सकल शांति सुख निधान, सकल शांति सुख निधान .
पायो निधि राम नाम ..


सुमिरन से पीर हरै, काम क्रोध मोह जरै .
आनंद रस अजर झरै, होवै मन पूर्ण काम .
पायो निधि राम नाम ..


रोम रोम बसत राम, जन जन में लखत राम .
सर्व व्याप्त, ब्रह्म राम, सर्वशक्तिमान राम .
पायो निधि राम नाम ..


ज्ञान, ध्यान, भजन, राम; पाप, ताप, हरण नाम .
सुविचारित तथ्य एक, आदि, मध्य, अंत, राम ..
पायो निधि राम नाम ..

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rajnish manga
07-07-2013, 12:18 PM
:bravo:

"पायो निधि राम राम" विजय मेहरोत्रा जी का भजन भोला जी ने इतने मधुर स्वर मे गाया है कि सुनने वाला भाव विभोर हो जाता है. प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.

bindujain
07-07-2013, 04:37 PM
भजनों का अच्छा संकलन है ........

internetpremi
23-07-2013, 08:01 PM
आज पहली बार इस सूत्र पर नजर डाला।
भावना सिंह और पुंडीरजी को धन्यवाद।
पुंडीरजी ने भजन के साहित्य के साथ, MP3 या Youtube Link भी दिए हैं जो सराहनीय है।
ईसी प्रकार, यदि कोई भावना सिंह के पोस्ट किए भजनों का MP3 या Youtube Link दे सकता है तो बडी मेहरबानी होगी।
मेरे पास एक Samsung Galaxy Note Smart phone/tablet है
इन भजनों के साहित्य को आवाज के साथ अपने इस स्मार्ट फ़ोन पर सहेजना चाहता हूँ।
आशा है कि मेरी यह कामना पूरी करने में आप में से कुछ लोगों का योगदान मिलेगा।
धन्यवाद

aspundir
26-07-2013, 10:54 PM
भज मन मेरे राम नाम तू , गुरु आज्ञा सिर धार रे
नाम सुनौका बैठ मुसाफिर जा भवसागर पार रे
राम नाम मुद मंगल कारी , विघ्न हरे सब पातक हारी
सांस सांस श्री राम सिमर मन पथ के संकट टार रे
भज मन मेरे ...


परम कृपालु सहायक है वो। बिनु कारन सुख दायक है वो।
केवल एक उसी के आगे। साधक बाँह पसार रे।
भज मन मेरे ...

गहन अंधेरा चहुं दिश छाया । पग पग भरमाती है माया।
जीवन पथ आलोकित कर ले । नाम - सुदीपक बार रे।
भज मन मेरे ...

परम सत्य है , परमेश्वर है । नाम प्रकाश पुन्य निर्झर है ।
उसी ज्योति से ज्योति जला निज । चहुं दिश कर उजियार रे।
भज मन मेरे ...
भज मन मेरे राम नाम तू गुरु आज्ञा सिर धार रे।

नाम सुनौका बैठ मुसाफिर जा भव सागर पार रे

ncnjnkwz9Yw

aspundir
03-08-2013, 10:45 PM
चंदा चमके आसमान में ,
बरखा बरसे आसमान से ,
बिजली चमके आसमान में ,
सूरज दमके आसमान से ,
बोलो बोलो, बनाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो, चलाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो, बनाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो, चलाने वाला कौन है ?

धरती झूमे नदिया गाये सागर ताल देवे
कोयल कूके मैना गाये मोर मोरनी नाचे
कभी सोचा, बनाने वाला कौन है ?
कभी सोचा, चलाने वाला कौन है ?
बोलो, बोलो, बनाने वाला कौन है ?
बोलो, बोलो, चलाने वाला कौन है ?
बोलूँ, मम्मी,
ना ना ना

रंग बिरंगे फूल यहाँ पर बोलो कौन खिलाते
जितने प्राणी उतने रूप बोलो कौन बनाते
चुप चुपके बनाने वाला कौन है ?
चुप चुपके मिटाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो, बनाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो. चलाने वाला कौन है ?
राम

कोई इस धरती पर आता, कोई इससे जाता
आना जाना इस धरती का प्रति पल चलता जाता
ये आना और जाना किसके हाथ है
ये लेना और देना किसके हाथ है
बोलो बोलो बनाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो चलाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो, सरगम, बोलो ना

कृष्ण

जैसा कर्म करते हैं वे वैसा ही फल पाते
अपनी अपनी किस्मत लेकर वो हैं जग में आते
ये किस्मत बनाने वाला कौन है ?
'मधु' किस्मत मिटाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो बनाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो चलाने वाला कौन है ?

चंदा चमके आसमान में ,
बरखा बरसे आसमान से ,
बिजली चमके आसमान में ,
सूरज दमके आसमान से ,
बोलो बोलो, बनाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो, चलाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो, बनाने वाला कौन है ?
बोलो बोलो, मिटाने वाला कौन है ?
अल्लाह
हाँ

Dr.Shree Vijay
04-08-2013, 06:53 PM
भावना जी आपने अतिसुन्दर कार्य किया उसमे अन्य मित्रों ने भी दिल से सहयोग किया उसके लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद........................................... .........

aspundir
31-08-2013, 09:01 PM
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे

रजनी बीती भोर भयो है , घर घर खुले किवारे ,
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे !!
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे

उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढे द्वारे ,
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल ,जय जय शब्द उचारे !!
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे

माखन रोटी हाथ में लीजे गौवन के रखवारे ,
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ,सरन आया को तारे !!
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे
(भजन - मीराबाई )

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aspundir
06-09-2013, 12:29 AM
सुनि कान्हा तेरी बांसुरी
बांसुरी तेरी जादू भरी


सारा गोकुल लगा झूमने
क्या अजब मोहिनी छा गयी
मुग्ध यमुना थिरकने लगी
तान बंसी की तड़पा गयी
मैं तो जैसे हुई बावरी
सुनि कान्हा तेरी बांसुरी
बांसुरी तेरी जादू भरी


हौले से कोई धुन छेड के
तेरी बंसी तो चुप हो गयी

सात स्वर के भंवर में कहीं
मेरे मन की कली खो गयी
छवि मन में बसी सांवरी



सुनि कान्हा तेरी बांसुरी
बांसुरी तेरी जादू भरी

Listen to this bhajan - MP3 Audio - Sau. Induja Shrivastav (http://archive.org/download/RamParivarBhajans/09-Suni_Kanha_Teri_Bansuri-IndujaBhabhi.MP3)

aspundir
08-09-2013, 10:33 PM
भजन: राम का गुणगान करिये

राम का गुणगान करिये, राम का गुणगान करिये।
राम प्रभु की भद्रता का, सभ्यता का ध्यान धरिये॥

राम के गुण गुणचिरंतन,
राम गुण सुमिरन रतन धन।
मनुजता को कर विभूषित,
मनुज को धनवान करिये, ध्यान धरिये॥

सगुण ब्रह्म स्वरुप सुन्दर,
सुजन रंजन रूप सुखकर।
राम आत्माराम,
आत्माराम का सम्मान करिये, ध्यान धरिये॥

aspundir
08-09-2013, 10:34 PM
या बृज में कछु देख्यो री टोना

या ब्रज में कछु देख्यो री टोना ।

ले मटकी सिर चली गुजरिया,
आगे मिले बाबा नंद जी के छोना ।
दधि को नाम बिसरि गयो प्यारी,
ले लेहुरी कोउ स्याम सलोना ।

या ब्रज में कछु देख्यो री टोना ।

बृंदावन की कुँजगलिन में,
आस लगाय गयो मनमोहना ।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
सुंदर स्याम सुघर रस लोना ।

या ब्रिज में कछु देख्यो री टोना ।।।

aspundir
08-09-2013, 10:34 PM
नन्दबाबाजी को छैया .....

नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..
बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..

काहे की गेंद है काहे का बल्ला
गेंद मे काहे का लागा है छल्ला
कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया ओ भैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..

रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला
गेंद में मोतियां लागे हैं छल्ला
सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भैया कन्हैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..

नीली यमुना है नीला गगन है
नीले कन्हैया नीला कदम्ब है
सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया ओ भैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..


(http://www.blogger.com/share-post.g?blogID=465600321928725264&postID=6978872632685645449&target=email)

aspundir
08-09-2013, 10:47 PM
राम नाम लौ लागी ।
अब मोहे राम नाम लौ लागी ॥

उदय हुआ शुभ भाग्य का भानु,
भक्ति भवानी जागी ॥१॥

मिट गये संशय भव भय भारे,
भ्रांति भूल भी भागी ॥२॥

पाप हरण श्री राम चरण का,
मन बन गया अनुरागी ॥३॥

aspundir
08-09-2013, 10:48 PM
तुम बिन हमरी कौन ख़बर ले
गोवर्धन गिरधारी ,गोवर्धन गिरधारी?

भक्त मीरा की विपदा में , बस काम तुम्हीं तो आये थे
शंकर जी की मुश्किल में , तुम दल बादल सज धाये थे
मेरी भी तो आकर सुन लो , ओ जग के रखवारे
गोवर्धन गिरधारी , गोवर्धन गिरधारी ।।


उलझ गये थे तुम्ही जाकर, दुर्योधन के पासो से,
द्रौपदी की लाज बचाई ,लम्पट कामी हाथों से,
मुझ पर भी किरपा हो जाये ,अब है मेरी बारी
गोवर्धन गिरधारी , गोवर्धन गिरधारी । ।

aspundir
06-10-2013, 06:06 PM
अतुलित बलशाली तव काया ,गति पिता पवन का अपनाया
शंकर से देवी गुन पाया शिव पवन पूत हे धीर वीर
जय जय बजरंगी महावीर -----

दुखभंजन सब दुःख हरते हो , आरत की सेवा करते हो ,
पलभर बिलम्ब ना करते हो जब भी भगतन पर पड़े भीर
जय जय बजरंगी महावीर-----

जब जामवंत ने ज्ञान दिया , तब सिय खोजन स्वीकार किया
सत योजन सागर पार किया ,रघुबंरको जब देखा अधीर
जय जय बजरंगी महावीर -----

शठ रावण त्रास दिया सिय को , भयभीत भई मइया जिय सो .
मांगत कर जोर अगन तरु सो ,दे मुदरी माँ को दियो धीर
जय जय बजरंगी महाबीर-----

जय संकट मोचन बजरंगी , मुख मधुर केश कंचन रंगी
निर्बल असहायन के संगी , विपदा संहारो साध तीर
जय जय बजरंगी महाबीर -----

जब लगा लखन को शक्ति बान,चिंतित हो बिलखे बन्धु राम
कपि तुम साचे सेवक समान ,लाये बूटी संग द्रोंनगीर
जय जय बजरंगी महावीर------

हम पर भी कृपा करो देवा , दो भक्ति-दान हमको देवा
है पास न अपने फल मेवा , देवा स्वीकारो नयन नीर
जय जय बजरंगी महाबीर
तुमबिन को जन की हरे पीर

-JD7w_eLyh0

aspundir
14-10-2013, 10:00 PM
सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिये .
जाहि विधि राखे, राम ताहि विधि रहिये ..

मुख में हो राम नाम, राम सेवा हाथ में .
तू अकेला नाहिं प्यारे, राम तेरे साथ में .
विधि का विधान, जान हानि लाभ सहिये .

किया अभिमान, तो फिर मान नहीं पायेगा .
होगा प्यारे वही, जो श्री रामजी को भायेगा .
फल आशा त्याग, शुभ कर्म करते रहिये .

ज़िन्दगी की डोर सौंप, हाथ दीनानाथ के .
महलों मे राखे, चाहे झोंपड़ी मे वास दे .
धन्यवाद, निर्विवाद, राम राम कहिये .

आशा एक रामजी से, दूजी आशा छोड़ दे .
नाता एक रामजी से, दूजे नाते तोड़ दे .
साधु संग, राम रंग, अंग अंग रंगिये .
काम रस त्याग, प्यारे राम रस पगिये .

सीता राम सीता राम सीताराम कहिये .
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये ..

rajnish manga
15-10-2013, 10:46 AM
सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिये .
जाहि विधि राखे, राम ताहि विधि रहिये ..

......


उपरोक्त भजन सुनने के लिये आप निम्नलिखित पर क्लिक करें:

http://myfreemp3.eu/music/sitaram+bhajan

Arvind Shah
17-10-2013, 01:24 AM
बहुत ही बढीया संकलन ! यदि संभव हो तो ​हिन्दी फील्मों में गायी हुई प्रार्थनाओं का संकलन मय एम.पी.3 लिंक के साथ प्रस्तुत करे ! ये भी मन को बहुत ही सुकुन पहुचाती है ।
अच्छे संकलन के लिए बहुत—बहुत धन्यवाद!!

Arvind Shah
17-10-2013, 01:25 AM
:hello: बहुत ही बढीया संकलन ! यदि संभव हो तो ​हिन्दी फील्मों में गायी हुई प्रार्थनाओं का संकलन मय एम.पी.3 लिंक के साथ प्रस्तुत करे ! ये भी मन को बहुत ही सुकुन पहुचाती है ।
अच्छे संकलन के लिए बहुत—बहुत धन्यवाद!!

aspundir
21-11-2013, 07:46 PM
निरंजन धन तुम्हरो दरबार ।
जहाँ न तनिक न्याय विचार ।।

रंगमहल में बसें मसखरे, पास तेरे सरदार ।
धूर-धूप में साधो विराजें, होये भवनिधि पार ।।



वेश्या ओढे़ खासा मखमल, गल मोतिन का हार ।
पतिव्रता को मिले न खादी सूखा ग्रास अहार ।।



पाखंडी को जग में आदर, सन्त को कहें लबार ।
अज्ञानी को परम* ब्रहम ज्ञानी को मूढ़ गंवार ।।



साँच कहे जग मारन धावे, झूठन को इतबार ।
कहत कबीर फकीर पुकारी, जग उल्टा व्यवहार ।।



निरंजन धन तुम्हरो दरबार ।

aspundir
24-11-2013, 08:53 PM
राम से बड़ा राम का नाम ..

अंत में निकला ये परिणाम,
राम से बड़ा राम का नाम ..

सुमिरिये नाम रूप बिनु देखे,
कौड़ी लगे ना दाम .
नाम के बाँधे खिंचे आयेंगे,
आखिर एक दिन राम .
राम से बड़ा राम का नाम ..

जिस सागर को बिना सेतु के,
लाँघ सके ना राम .
कूद गये हनुमान उसी को,
लेकर राम का नाम .
राम से बड़ा राम का नाम ..

धुन

राम से बड़ा राम का नाम ....

बोलो राम, बोलो राम,
बोलो राम राम राम ....

जय जय राम, जय जय राम,
जय जय राम राम राम ....

राम से बड़ा राम का नाम ..

aspundir
24-11-2013, 08:53 PM
आँगने में बधैया बाजे ..


चंद्रमुखी मृगनयनी अवध की
तोड़त ताने रागने में

बधैया बाजे,
आंगने में बधैया बाजे ..

प्रेमभरी प्रमदागन नाचे
नूपुर बाँधे पायने में
बधैया बाजे,
आंगने में बधैया बाजे ..

न्योछावर श्री राम लला की,
राम लला की, श्री भरत लला की,
भरत लला की, श्री लखन लला की,
लखन लला की, शत्रुघन लला की,
नहिं कोउ लाजत माँगने में
बधैया बाजे,
आंगने में बधैया बाजे ..

सियाअली यह कौतुक देखत
बीती रजनी जागने में,
बधैया बाजे,
आंगने में बधैया बाजे ..

aspundir
24-11-2013, 08:53 PM
गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा॥

चरण कंवल को हंस हंस देखूं,
राखूं नैणां नेरा।
गोबिन्द, राखूं नैणां नेरा।


व्याकुल प्राण धरत नहिं धीरज,
मिल तूं मीत सबेरा।
गोबिन्द, मिल तूं मीत सबेरा।


मीरा के प्रभु गिरधर नागर
ताप तपन बहुतेरा॥
गोबिन्द, ताप तपन बहुतेरा॥

rajnish manga
13-02-2014, 11:30 PM
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करे

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करे ।

नैया तेरी राम हवाले, लहर लहर हरि आप सँभाले |
हरि आप ही उठावे तेरा भार, उदासी मन काहे को करे ||1||

काबू में मँझधार उसी के, हाथों में पतवार उसी के ।
तेरी हार भी नहीं है तेरी हार, उदासी मन काहे को करे ||2||

सहज किनारा मिल जायेगा, परम सहारा मिल जायेगा ।
डोरी सौंप के तो देख एक बार, उदासी मन काहे को करे ||3||

गर निर्दोष तुझे क्या डर है, पग पग पर साथी ईश्वर है ।
जरा भावना से कीजिये पुकार, उदासी मन काहे को करे ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''
~मालिनी ~

bhavna singh
26-08-2014, 05:10 PM
जय बोलो जय बोलो
गणपति बप्पा की जय बोलो।

सिद्ध विनायक संकट हारी
विघ्नेश्वर शुभ मंगलकारी

सबके प्रिय सबके हितकारी
द्वार दया का खोलो

जय बोलो जय बोलो


पारवती के राज दुलारे
शिवजी की आंखों के तारे

गणपति बप्पा प्यारे प्यारे
द्वार दया का खोलो

जय बोलो जय बोलो।


शंकर पूत भवानी जाये
गणपति तुम सबके मन भाये

तुमने सबके कष्ट मिटाये
द्वार दया का खोलो

जय बोलो जयबोलो


जो भी द्वार तुम्हारे आता
खाली हाथ कभी ना जाता

तू है सबका भाग्य विधाता
द्वार दया का खोलो

जय बोलो जय बोलो
गणपति बप्पा की जय बोलो