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View Full Version : चाणक्य नीति के कुछ सूत्र


naman.a
23-09-2011, 12:21 AM
चाणक्य का नाम किसने नही सुना । उनकी तिक्ष्ण बुद्धि, राजनिती और जीवन के विषय के कथनो का सबने लोहा माना उसमे कुछ आपके सामने प्रस्तुत करता हू।

naman.a
23-09-2011, 12:22 AM
बुरे आदमीको चाहे पोपट की तरह सिखाओ वोह नाही सिख पाता न ही याद रख सकता; सर्प को चाहे किताभी दूध पिलाओ वोह जहारही पैदा करेगा; कडवे नीम के मूल मैं चाहे उतनी शक्कर डालो वोह कडवा ही रहेगा;
याने यह बात सिद्ध होती हैं की जन्म से आये 'संस्कार' जैसे हैं वैसे ही रहते हैं......... स्वभाव बदलना सामान्य के बस की बात नहीं !!!

naman.a
23-09-2011, 12:22 AM
फूलो की खुशबु को मिट्टी अपना लेती हैं लेकिन मिट्टी की खुशबु फुल कभी नहीं अपनाता ! जैसे अच्छा आदमी बुरे क साथ होकर भी विचलित नहीं होता ; लेकिन बुरा आदमी अगर सोचे तो मिट्टी की तरह फूलो की तरह उसीकी सुगंध ग्रहण कर सकता हैं !!
उनसे प्रेरित हो सकता हैं !!!

naman.a
23-09-2011, 12:23 AM
बहुत निकटता कभी कभी स्नेह को तोड़ देती हैं ! विशेष कर राजा; अग्नि; परस्त्री; मुर्ख; पानी, इनसब से बहुत स्नेह होने से कुछ समय बाद स्नेह कम होता जाता हैं और जान जोखिम में भी जा सकती हैं !!!

naman.a
23-09-2011, 12:23 AM
पापी को सीधे रास्ते लेने हेतु दो ही मार्ग हैं !
एक उसको युक्तिपूर्वक समजाना........ या फिर दूसरा न समजे तो जूते खिला कर याने फटकार कर समजाना !!!

naman.a
23-09-2011, 12:24 AM
महापुरुषों के गुण देखने चाहिए न की दोष...... सब में कुछ न कुछ बुराई होनी ही हैं !
मानव मात्र की यही खासियत हैं !!!

naman.a
23-09-2011, 12:25 AM
तैल में जल मिल नहीं सकता ! घृत से जल नहीं निकलता ! पारद कीसभी चीज में घुल नहीं सकता ! वैसे ही विभिन्न स्वभाव वाले लोग एअक दुसरे से घुल मिल नहीं सकते !!!!!

naman.a
23-09-2011, 12:25 AM
औरत का शरीर योगिओ के लिए शव के समान, कामिओ के लिए सौंदर्य का भंडार, और जानवर के लिये माँसके समान हैं...

naman.a
23-09-2011, 12:26 AM
जो स्त्री सुबह के वक़्त पति के साथ माता का रिश्ता बनाये..... दिन के वक़्त अच्छी मित्र का रिश्ता बनाये, उसकी सहचरी बने........ रात्रि के समय कामिनी बन कर जो पति को संभाले.... यह बर्ताव जो स्त्री करे उनका दांपत्य जीवन कोऐ भी तोड़ नहीं पाता !!!

naman.a
23-09-2011, 12:27 AM
संतान को ५ साल तक प्यार करो; बाद के १० साल उनपर आप क प्रभाव रहे एइसा बर्ताव करो; लेकिन १६ साल की उम्र के बाद उसके साथ मित्रता का ही बर्ताव हो !

naman.a
23-09-2011, 12:27 AM
सुखी और शांतिपूर्ण घर वही हैं जिस घर के संतान गुणवान; संस्कारी; बुद्धिवान; होते हैं !
पत्नी शांतिपूर्ण और सच्ची गृहिणी हैं !
जिस घर में महमानोका आदर और सत्कार होता हो !
ईश्वर का सिमरन पूजन होता हो !
जिस घर में महमानोको खड़े हो कर बैठने कहा जाता हो !
इसीप्रकार के घर में सदा दिव्य सुख की अनुभूति होती हैं !!!!!

naman.a
23-09-2011, 12:28 AM
फुलोमें खुशबु; तिल में तेल; दूध में घी; और गन्ने में गुड अन्दर ही छुपे होते हैं वोह बहार से नहीं दीखते लेकिन उनको हम स्वीकार करते हैं ...... बस वैसे ही मानव शरीर में ' आत्मा ' होता हैं फिर भी हम उसको श्रधापूर्वक क्यूँ नहीं स्वीकार करते ????

abhisays
23-09-2011, 12:29 AM
नमन जी, एक और शानदार सूत्र आग़ाज़ करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

naman.a
23-09-2011, 12:31 AM
घुवर रात को नहीं देख पाता तो सूरज का क्या फायदा ?
कर्द के शाखाओपर फुल नहीं आते तो वसंत का क्या फायदा ?
चातक के मुहमें वर्षा की एक बूंद भी नहीं पड़ती तो उसमें बादल का क्या दोष ???
भाई विधाताने नियति के हमारे लिये कुछ दियाही नहीं तो रोनेसे क्या फायदा ???? वही होगा जो विधाता चाहेगा ....
दुनियाकी कोईभी शक्ति नियति को बदल नहीं सकती ..... इसी सच्चाई को स्वीकार कर के हम अगर जीवन जीए तो ही सुखको प्राप्त हो सकते हैं !!!!
सुख को अनुभव कारने हेतु अलग कार्य कारन भी हो सकते हैं !!!

naman.a
23-09-2011, 12:31 AM
जो कार्य बड़े हथियार से नहीं किये जा सकते वोह कार्य आदमीकी प्रकृति परखकर करवाए जा सकते हैं ! जैसे की अहंकारी के साथ हात जोड़ कर ..... मुर्ख से साथ उसको जैसी इच्छा हो वैसा बर्ताव कनकी छुट देकर ..... विद्वानके सम्मुख सच बोलके उसको खुश रखकर कार्य करवाया जा सकता हैं !
इससे अपना कार्य भी होता रहता हैं साथ ही लड़ाई - झगडा से भी बचा जा सकता हैं !!!

naman.a
23-09-2011, 12:32 AM
किसी को भी कमजोर नहीं समजना चाहिए ! हर एक के पास कुछ न कुछ शक्ति होती ही हैं ! कभी उसकी शक्ति हमें हैरान कर सकती हैं !
साथ ही जैसा गाल वैसी थप्पड़ याद रखना चाहिए !!!!

naman.a
23-09-2011, 12:33 AM
उच्च कुल में जन्म मनुष्य अगर संस्कार, शील, से युक्त न हो तो वोह सुगंध के बिना फुल जैसा हैं !!!

malethia
23-09-2011, 12:51 AM
एक कुशल राजनीतिज्ञ चाणक्य और उनके द्वारा अपनाई गयी विशेष नीतियों के उल्लेख पर नमन जी के एक और शानदार सूत्र के लिए बधाई

naman.a
23-09-2011, 12:32 PM
असंतुष्ट रहनेवाला पंडित कभी गुणवान नहीं होता !
संतोषसे कार्य करनेवाला राजा उसके राज्यकी प्रगति कभी नहीं कर सकता !
लज्जा विना पत्नी कभी गुणवान नहीं हो सकती;
वेश्या लज्जायुक्त कभी भी नहीं होती !
तात्पर्य यही हैं की किसा गुण किसीके लिए अच्छा तो किसी के लिए बुरा भी होता हैं !!!!!

naman.a
23-09-2011, 12:33 PM
विद्यार्थी; नौकर; भूखा इंसान; राजा; खजांची; चौकीदार; और बुद्दिमान इसमे से कोई भी " सो " जाए तो तुरंत ही उनको जगा देना चाहिए !!!

naman.a
23-09-2011, 12:35 PM
कंजूस को भिखारी शत्रु लगता हैं ! वोह भिखारी को तिरस्कार दृष्टि से देखेगा !
मुर्ख को उपदेशक शत्रु लगता हैं ! वोह उपदेशक के ज्ञान को तिरस्कार दृष्टी से देखता हैं !
चारित्र्य हीन औरत को पति शत्रु लगता हैं !
चोर को रात्रि का चन्द्रमा का प्रकाश शत्रु लगता हैं !
किसके मानसिक स्तर के अनुसार शत्रु और मित्र होते हैं; किसको किस से क्या मिले यह उसकी संगत बताती हैं !

naman.a
23-09-2011, 12:36 PM
अन्न दान कलिकाल में श्रेष्ठ कहा गया हैं ' कलौ कर्ता च लिप्यते ' यह पातक के पारे में कहागया हैं !याने धर्म के हेतु अन्न दान करे तो अगर उसकी पंक्ति में कसाई आये और खाना खाए और नए दम से क़त्ल करे तो उसका पातक अन्न दान कारने वाले को नहीं लगता !!!

naman.a
23-09-2011, 12:38 PM
सागर के लिए वर्षा हो या न हो कुछ फर्क नहीं पड़ता !
जो ज्ञान से युक्त हैं उसको द्रव्य प्रभावित नहीं करसकता !
जिसका पेट भरा हैं उसको उत्तम भोजन कुछ काम नहीं आता

naman.a
25-09-2011, 01:58 PM
विष में अगर अमृत भरा हो तो उसे पी लेना चाहिए !
सुवर्ण अपवित्र स्थान में पड़ा हो फिर भी उसले लिया जाए वहां संकोच न हो !
इसी प्रकार शिक्षा लेते वक़्त या गुण लेते वक़्त सामने वाला नीचा हो फिर भी उस से शिक्षा या गुण लेते हैं !

naman.a
25-09-2011, 01:58 PM
निद्रा मृत्यु का रूप है!
चैतन्य के जो ठीक विपरीत है, वही है निद्रा!
इसलिए कम से कम सोने का अभ्यास डालना चाहिए!
जो सक्षम है उन्हें चार घंटे सोने से काम चल जाएगा!
यह जीवन बहुमूल्य है. निद्रा मे इसे बर्बाद करना अपने प्रति एक अपराध है!

naman.a
25-09-2011, 01:59 PM
जैसे व्याभिचारिणी स्त्री अपनेपर विश्वास रखनेवाले पतिको धोखा देती है वैसे ही मन
भी अपनेपर विश्वास रखनेवाले योगीको - अपने अन्दर काम और उसके पीछे रहनेवाले
क्रोध आदिको अवकाश देकर - धोखा देता है l

naman.a
25-09-2011, 01:59 PM
'मनोविकार व्यक्ति को उचीत - अनुचित का भेद भुला देते हैं .. "

naman.a
25-09-2011, 02:00 PM
बहुत भला होकर जीवन गुजारना अच्छा नहीं होता ! सीधे और भले आदमीको हर एक दबाता हैं !उसकी सज्जनता को लोग पागलपन मानते हैं !
जैसे जंगल में लकड़हरा टेढ़े वृक्ष को बाद में और सीधे वृक्ष को पहले काटता हैं !!!!!

naman.a
25-09-2011, 02:00 PM
किसी चीज का स्वाभिमान होना बहुत जरुरी हैं .... लेकिन यही स्वाभिमान अभिमान में न आये वोह इससे भी ज्यादा जरुरी हैं !!!

naman.a
25-09-2011, 02:02 PM
क्रोध यमराज के समान है, उसके कारण मनुष्य मृत्यु की गोद में चला जाता है। तृष्णा वैतरणी नदी की तरह है जिसके कारण मनुष्य को सदैव कष्ट उठाने पड़ते हैं। विद्या कामधेनु के समान है । मनुष्य अगर भलीभांति शिक्षा प्राप्त करे को वह कहीं भी और कभी भी फल प्रदान कर सकती है।
संतोष नन्दन वन के समान है। मनुष्य अगर अपने अन्दर उसे स्थापित करे तो उसे वैसे ही सुख मिलेगा जैसे नन्दन वन में मिलता है।

naman.a
25-09-2011, 02:02 PM
"अनुभव हमारे ज्ञान को बढ़ा देता है लेकिन हमारी बेवकूफियों को कम नहीं करता।"

naman.a
25-09-2011, 02:02 PM
कुछ हम पहले से जानते हैं , किन्तु फिर भी परिणाम जब सामने आता है तोह आघात लगता है .....सभी जानते हैं , जिसका जन्म हुआ है वोह अवश्य मरेगा एक दिन , परन्तु जब मरता है कोई तोह विस्मय होता है और दुःख भी , कैसी विडम्बना है ये ''