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View Full Version : धूप खिलने को है


Dr. Rakesh Srivastava
28-09-2011, 10:55 PM
कितनी संजीदगी से अपना पक्ष रख भेजा ;
मेरी किताब में इक मोर - पंख रख भेजा .
आँख अर्से से तरसती थीं एक मेहमां को ;
उसने इनके लिए ख़्वाबों का काफ़िला भेजा .
फिर से आकाश में बादल पे रंग चढ़ने लगे ;
धूप खिलने को है , सूरज ने दिलासा भेजा .
गुनगुने झोंकों ने फ़िर बर्फ़ पे हमला बोला ;
बसंत बन के फ़िर फूलों का सिलसिला भेजा .
बिख़र चुकी थी ज़िन्दगी वरक - वरक हो के ;
हमारे कल का बेहतरीन मसौदा भेजा .
आज कल आईना भी बावलापन करने लगा ;
निहारता हूँ जब , बस उसका ही चेहरा भेजा .
अब उसके साथ मिल , मुझको जो गुनगुनाना है ;
वो गीत लिखना मुझे , उसने बस मुखड़ा भेजा .

रचयिता ~~डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड,गोमती नगर,लखनऊ .

Sikandar_Khan
28-09-2011, 10:59 PM
कितनी संजीदगी से अपना पक्ष रख भेजा ;
मेरी किताब में इक मोर - पंख रख भेजा .
आँख अर्से से तरसती थीं किसी मेहमां को ;
उसने इनके लिए ख़्वाबों का काफ़िला भेजा .
फिर से आकाश में बादल पे रंग चढ़ने लगे ;
धूप खिलने को है , सूरज ने दिलासा भेजा .
गुनगुने झोंकों ने फ़िर बर्फ़ पे हमला बोला ;
बसंत बन के फ़िर फूलों का सिलसिला भेजा .
बिख़र चुकी थी ज़िन्दगी वरक - वरक हो के ;
हमारे कल का बेहतरीन मसौदा भेजा .
आज कल आईना भी बावलापन करने लगा ;
निहारता हूँ जब , बस उसका ही चेहरा भेजा .
अब उसके साथ मिल , मुझको जो गुनगुनाना है ;
वो गीत लिखना मुझे , उसने बस मुखड़ा भेजा .

:bravo::bravo::bravo:
बहुत ही खूब राकेश जी ऐसे ही लिखते रहिये |

Gaurav Soni
28-09-2011, 11:05 PM
कितनी संजीदगी से अपना पक्ष रख भेजा ;
मेरी किताब में इक मोर - पंख रख भेजा .
आँख अर्से से तरसती थीं किसी मेहमां को ;
उसने इनके लिए ख़्वाबों का काफ़िला भेजा .
फिर से आकाश में बादल पे रंग चढ़ने लगे ;
धूप खिलने को है , सूरज ने दिलासा भेजा .
गुनगुने झोंकों ने फ़िर बर्फ़ पे हमला बोला ;
बसंत बन के फ़िर फूलों का सिलसिला भेजा .
बिख़र चुकी थी ज़िन्दगी वरक - वरक हो के ;
हमारे कल का बेहतरीन मसौदा भेजा .
आज कल आईना भी बावलापन करने लगा ;
निहारता हूँ जब , बस उसका ही चेहरा भेजा .
अब उसके साथ मिल , मुझको जो गुनगुनाना है ;
वो गीत लिखना मुझे , उसने बस मुखड़ा भेजा .

रचयिता ~~डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड,गोमती नगर,लखनऊ .
क्या बात हे बुहुत खूब

malethia
28-09-2011, 11:10 PM
डॉ.साहेब एक और बेहतरीन तोहफा फोरम वासियों को :bravo::bravo::bravo:

Dr. Rakesh Srivastava
28-09-2011, 11:14 PM
माननीय सिकंदर जी , युवराज जी , malethiya ji एवं गौरव सोनी जी
आप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद .

abhisays
28-09-2011, 11:22 PM
अति विशिष्ट कवि की एक और अति विशिष्ट कविता..

Dr. Rakesh Srivastava
29-09-2011, 12:00 AM
Ashisays जी , आपका शुक्रिया .
आशा है आपका प्यार यूं ही बरकरार रहेगा .

sudhir200089
29-09-2011, 05:53 PM
ओह डॉ राकेश श्रीवास्तव जी, आप यहा भी है। चलो बहुत अच्छा हुआ। ये फोरम तो हिन्दी का बहुत ही अच्छा फोरम लग रहा है। मैंने हिंदीक्लब पर आपका कविता पढ़ा था और आपके द्वारा ही यहा का पता चला।

आपका धन्यवाद।

sagar -
29-09-2011, 08:08 PM
सुंदर प्रस्तुति के लिए धन्येवाद आपका :bravo::bravo:

ndhebar
29-09-2011, 08:45 PM
आज कल आईना भी बावलापन करने लगा ;
निहारता हूँ जब , बस उसका ही चेहरा भेजा .

वाह वाह प्रभु
क्या पंच मारा है
एकदम सॉलिड
मजा आ गया

Dr. Rakesh Srivastava
29-09-2011, 10:55 PM
सर्वश्री n d hebar जी , सागर जी , रणवीर जी और

सुधीर जी को मेरे बहुत - बहुत धन्यवाद .

bhavna singh
29-09-2011, 11:26 PM
कितनी संजीदगी से अपना पक्ष रख भेजा ;
मेरी किताब में इक मोर - पंख रख भेजा .
आँख अर्से से तरसती थीं एक मेहमां को ;
उसने इनके लिए ख़्वाबों का काफ़िला भेजा .
फिर से आकाश में बादल पे रंग चढ़ने लगे ;
धूप खिलने को है , सूरज ने दिलासा भेजा .
गुनगुने झोंकों ने फ़िर बर्फ़ पे हमला बोला ;
बसंत बन के फ़िर फूलों का सिलसिला भेजा .
बिख़र चुकी थी ज़िन्दगी वरक - वरक हो के ;
हमारे कल का बेहतरीन मसौदा भेजा .
आज कल आईना भी बावलापन करने लगा ;
निहारता हूँ जब , बस उसका ही चेहरा भेजा .
अब उसके साथ मिल , मुझको जो गुनगुनाना है ;
वो गीत लिखना मुझे , उसने बस मुखड़ा भेजा .

रचयिता ~~डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड,गोमती नगर,लखनऊ .:bravo::bravo:

डॉक्टर साहब आपकी रचनाएँ बहुत ही सुन्दर होती हैं /

Dr. Rakesh Srivastava
30-09-2011, 12:00 AM
भावना सिंह जी , आपका शुक्रिया .
आपको रचनाएं अच्छी लगती रहें ,
ऐसी कोशिश निरन्तर करता रहूँगा .
आशा है आपने पिछली सभी रचनाएं पढ़ी होंगी .

bhavna singh
30-09-2011, 12:24 AM
भावना सिंह जी , आपका शुक्रिया .
आपको रचनाएं अच्छी लगती रहें ,
ऐसी कोशिश निरन्तर करता रहूँगा .
आशा है आपने पिछली सभी रचनाएं पढ़ी होंगी .

जी हाँ कुछ पढ़ी हैं कुछ बाकी हैं .......................
मै आशा करती हूँ की डॉक्टर साहब की दवाएं मरीजों को इसी प्रकार मिलती रहेंगी /