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View Full Version : एक सुंदर लड़की


Kunal Thakur
04-10-2011, 01:32 PM
वैसे तो हर व्यक्ति के जीवन में कहानियां होती हैं | कुछ कहानियां साधारण सी होती हैं तो कुछ रह्श्य और रोमांच से भरपूर | लेकिन अगर कोई लड़की है और सुंदर भी तो ये दावे के साथ कहा जा सकता है की उसकी जिन्दगी की कहानियां बेहद रोमांचकारी रहे होंगे | बाला अवस्था से लेकर यौवन अवस्था तक वो ध्यान एवम आकर्षण का केंद्र बनी रहती है |अगर किसी में रेखा जी जैसी जवान रहनी की दृढ इछा हो तो बुढ़ापा भी तिलिषम से भरपूर हो सकता है |तिलिषम इसलिए की नारी सुन्दरता हमेशा से पुरषों के लिए शोध का विषय रहा है| अगर ऐसा न होता तो महाकवि कालिदास 'अभिज्ञान शकुन्त्लम' की रचना न करते और राष्ट्र कवि ' दिनकर' ने ‘उर्वशी ' की | कितने पूर्वज अग्नि को समर्पित हुए, कितने पूर्वज कब्र में ध्यान मग्न हुए और कितने ही वंशज आये पर ये शोध कार्य सनातन धर्म की तरह सनातन चला आ रहा है |
लड़की जैसे ही अपनी किशोरावस्था में प्रवेश करती है और उसकी रूप की पंखुरियां प्रस्फुटित होने लगती है, तब से उसका हरेक दिन एक न एक घटना से जुड़ने लगता है| मैं तो ये कहूँगा की चंचल नेनों वाले पुरषों का एक दल ही उस लड़की को ये एहसास करा देता है की अब वो बड़ी हो रही है और प्रभु ने रविवार के दिन उसे बनाया है | मोहल्ले के चौराहे की रोनक बढ़ जाती है| मोहल्ले का किराना दुकान वाला तेल या ब्रेड पे उसे १-२ रुपये ऐसे ही छोड़ देता है | भले ही दुकान पे कितनी ही भीड़ क्यूँ न हो उस सुंदर लड़की को बड़े मुस्कुरा के और बड़े फुर्सत से सामान देगा| स्कूल ले जाने वाला टेम्पो ड्राईवर १५-२० मिनट तक तो आराम से उसका इंतज़ार कर लेता है और लेट होने पे भी कभी कोई शिकायत नहीं करता | क्लास के कुछ होनहार शोधकर्ता बालक, अपने पूर्वजो की परम्परा को आगे बढ़ाते हैं और कॉपियों के कुछ पने 'प्रेम पत्र' के रूप में उस सुंदर लड़की पे समर्पित करते हैं | आजकल उन पन्नो की जगह sms और इ-मेल का भेंट चढ़ता है|क्लास के बेंच हो या मलमूत्र स्थल , उस लड़की की स्तुति पाई जा सकती है | किसी ने सच कहा है की भक्ति की कोई सीमा नहीं होती और भक्त चाहे तो भगवन का सिंहासन भी डोला दे |
बालकों की ये विराट भक्ति उस लड़की को एहसास करा देती है की भगवान् ने उसे कुछ विशिष्ट गुण दिए हैं और उसे किसी महान कार्य के लिए ही पृथ्वी पर भेजा गया है | अगर राहुल गाँधी जी को ये भ्रम हो सकता है की वो भारत के प्रधानमंत्री बनने के लिए ही अवतार लिए हैं तो उस अबोध सुंदर लड़की को क्यूँ नहीं | भक्तो की फ़ौज हो तो जिन्दगी बहुत सहज हो जाती है | वैसे तो भक्त और भगवन के सम्बन्ध में भगवान को अंतर्यामी माना जाता है लेकिन भक्ति सुंदर लड़की की हो रही हो तो भक्त अंतर्यामी हो जाता है| बिना मांगे ही सिनेमा के टिकेट मिल जाते हैं | किसी कुंजिका या पुस्तक के लिए दूकान में जाने की जरुरत नहीं रहती | वर्तमान समय के दर्शानिये स्थल जैसे की McDonald , Cafe Coffee Day आपकी सेवा में हमेशा हाजिर रहते हैं | देवी की अनुकम्पा पाने के लिए भक्तो में होर सी लगी रहती है | कई बार तो भक्त गुण आपस में भिर भी जाते हैं और देवी को पता तक नहीं होता है | कुछ भक्त तो प्रत्यछ रूप से देवी के सामने आने से भी डरते हैं पर देवी को कोई असुविधा न हो इसका पूरा ख्याल रखते हैं |

Kunal Thakur
04-10-2011, 01:41 PM
Rest part
एक सुंदर लड़की
कभी कभी देवी भक्तो की अगाध भक्ति से प्रसन भी हो जाती हैं और अमृत रुपी मुस्कान बिखेर देती हैं | कुछ भक्त हफ्ते, महीने तो कुछ भक्त आजीवन काल तक उस अमृत रुपी मुस्कान से बेसुध रहते हैं | कुछ भक्त तो अपनी जीवन लीला उस प्रसाद प्राप्ति के लिए भेट चढ़ा देते हैं| देवी चाहे तो अन्ना जी से जाएद असरदार ढंग से भ्रस्टाचार खत्म कर सकती है | कौन सरकारी ऑफिसर उससे ' घुस ' जैसी तुछ चीज की मांग करेगा ? पुलिस हो या नेता सब उस के सामने नतमस्तक रहते हैं |

वैसे तो सुंदर लड़की होने के कई फायदे हैं | पर कभी कभी जरुरत से जाएद फायेदा नुकसान को भी आमंत्रण देता है | कुछ अज्ञानी भक्त उग्र हो जाते हैं और देवी को पाने की हटता भी कर बैठते हैं | यहाँ पुरुष और महिला भक्ति में एक विशेष अंतर बताना चाहूँगा | महिला भक्त भले ही भगवान को पाने की इछा रखे पर कभी उग्र नहीं होती | भगवान श्री कृष्ण ने ३६००० गोपियुं के साथ रास रचाया , पर किसी गोपिका के उग्र और हिंसक होने की कोई रिपोर्ट द्वापर युग से नहीं आई | असुर हो या विद्वान ब्राहमण देवी के भक्ति में उग्र हो ही जाता है | चाहे वो भस्मासुर हो या रावण| कुछ भक्त उस सुंदर लड़की के भक्ति में इतने अंधे हो जाते है की विवाह उपरांत भी उसके जीवन में व्यभ्धान डालते रहते हैं | और उस लड़की की जीवन में फिर कोई कहानी आ जाती है | अगर कोई सुंदर लड़की निर्धन हो जिसकी संभावना बहुत ही छिहं होती है, तो उसे कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है | उसे घरेलु कार्य के लिए कोई गृहणी अपने घर में रख नहीं सकती | गृहणी अपने पति की पत्नी व्रत की परीक्षा लेने का जोखिम नहीं उठा सकती |

वैसे तो नारी सुन्दरता पे शोध आगे भी जारी रहेंगे | कई ग्रन्थ भी लिखे जायेंगे | सहिय्त्कार को कहानियुओ की आपूर्ति भी सुंदर लड़की से होती रहेंगी | पर क्या सुंदर लड़की के बिना पुरुष अपने सुरमय और सुरुचिपूर्ण जीवन की कल्पना कर पाएंगे ? ये तो इस लेख के पाठक ही तय करें |
व्यंग्य
कृत :- कुनाल

abhisays
04-10-2011, 02:13 PM
बहुत ही बढ़िया लिखा है..कुनाल भाई मज़ा आ गया.. :bravo::bravo::bravo:

khalid
04-10-2011, 02:28 PM
बहुत अच्छे कुणाल जी :bravo::bravo:

amol
04-10-2011, 05:58 PM
उम्दा लिखते हैं. जनाब. सक्रियता बनाये रखे.. आपको यहाँ काफी पाठक मिलेंगे.

Sikandar_Khan
04-10-2011, 06:04 PM
कुणाल जी
फोरम पर एक बेहतरीन सूत्र देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आप इस सुरुवात को जारी रखेँ |

MANISH KUMAR
04-10-2011, 06:12 PM
कुनाल जी, आपकी एंट्री पोस्ट बहुत जबरदस्त है. आगे भी निरंतरता बनाए रखिए. :bravo:

MissK
04-10-2011, 09:36 PM
एक बढ़िया एवं विचारपूर्ण व्यंग्य लेख के लिए रचनाकार को बधाई!!:bravo:

Kunal Thakur
10-10-2011, 08:09 PM
आप लोगो को अच्छा लगा ये तो अच्छी बात है..पर लेख के अंडर कौन सा व्यंग्य का हिसा अच्छा लगा ये बताएं तो अच्छा होगा...:)

abhisays
10-10-2011, 09:11 PM
आप लोगो को अच्छा लगा ये तो अच्छी बात है..पर लेख के अंडर कौन सा व्यंग्य का हिसा अच्छा लगा ये बताएं तो अच्छा होगा...:)


yaar pura ka pura hi accha laga... :fantastic:

MANISH KUMAR
12-10-2011, 06:25 PM
आप लोगो को अच्छा लगा ये तो अच्छी बात है..पर लेख के अंडर कौन सा व्यंग्य का हिसा अच्छा लगा ये बताएं तो अच्छा होगा...:)

yaar pura ka pura hi accha laga... :fantastic:

:iagree:
बिलकुल सही. पूरा ही अच्छा लगा.
@abhishek ji शायद आपके दोस्त या मिलने वाले हैं कुनाल जी?

abhisays
12-10-2011, 06:57 PM
:iagree:
बिलकुल सही. पूरा ही अच्छा लगा.
@abhishek ji शायद आपके दोस्त या मिलने वाले हैं कुनाल जी?

aapne sahi pakda, janab mere bachpan ke saathi hain.. :crazyeyes:

anoop
13-10-2011, 08:47 AM
आप लोगो को अच्छा लगा ये तो अच्छी बात है..पर लेख के अंडर कौन सा व्यंग्य का हिसा अच्छा लगा ये बताएं तो अच्छा होगा...:)

राहुल गाँधी वाला अंश बेहतरीन है श्रीमान। आप बहुत अच्छा लिखते हैं यह तो आपकी लिखी यह छोटी सी रचना हीं बता रही है। अपने लेखन के गुण को पूरा तन्मयता से पनपने का मौका जरुर दें। भाषा-साहित्य पर पकड़ दैवी (देवी नहीं) कृपा से होती है और यह गुण डिग्री का मोहताज नहीं होता।

Kunal Thakur
16-10-2011, 11:52 AM
बहुत बहुत धन्यवाद अनूप जी !!

ndhebar
16-10-2011, 12:03 PM
वर्तमान समय के दर्शानिये स्थल जैसे की mcdonald , cafe coffee day आपकी सेवा में हमेशा हाजिर रहते हैं | देवी की अनुकम्पा पाने के लिए भक्तो में होर सी लगी रहती है | कई बार तो भक्त गुण आपस में भिर भी जाते हैं और देवी को पता तक नहीं होता है | कुछ भक्त तो प्रत्यछ रूप से देवी के सामने आने से भी डरते हैं पर देवी को कोई असुविधा न हो इसका पूरा ख्याल रखते हैं |

बहुत खूब कुनाल जी
कमाल का लिखा है
आश्चर्य है और साथ में खेद भी कि मैंने इतने दिनों बाद देखा